SIMM kya hai?

आइए अब हम जानते हैं कि सीम्म क्या हैं ? (What is SIMM?) सीम्म (SIMM) को सिंगल इनलाइन मेमोरी मॉड्यूल (Single In-line Memory Module) कहा जाता है।

यह एक प्रकार का मेमोरी मॉडयूल है जिसे पर्सनल कम्प्यूटरों में रैण्डम एक्सेस मेमोरी के लिए प्रयोग किया जाता है।

अधिकतर पुराने पर्सनल कम्प्यूटरों के मदरबोर्ड जैसे 8088 आधारित पी.सी. तथा एक्स.टी. में सॉकेट युक्त (socketed) डी.आई.पी. चिप (DIP chips) का प्रयोग होता था।

80286 आधारित कम्प्यूटर के आगमन के बाद जिसमें अधिक मेमोरी का प्रयोग हो सकता था, मेमोरी मॉडयूल को मदरबोर्ड पर जगह बचाने तथा मेमोरी विस्तार को आसान बनाने के उद्देश्य से विकसित किया गया ।

8 या 9 सिंगल डीरैम डीप चिप्स (Single DRAM DIP chips) को प्लग करने के बजाय एक अतिरिक्त मेमोरी मॉडयूल ही कम्प्यूटर की मेमोरी को बढ़ाने के लिए काफी था।

कुछ 80286 आधारित कम्प्यूटरों में (अक्सर नॉन-स्टैण्डर्ड) सोप्प अर्थात् सिंगल इनलाइन पिन पैकेज (Single In-line Pin Package) जैसे मेमोरी मॉडयूल का प्रयोग होता था।

30 पिन वाला सोप्प (SIPP) प्राय: इन्स्टॉलेशन के दौरान मुड़ जाता या टूट जाता था अतः उन्हें तत्काल सीम्म (SIMM) के द्वारा बदला गया जिसमें पिन के स्थान पर प्लेट्स (plates) का प्रयोग होता था।

सबसे पहला SIMM 1980 के मध्य में PS/2 पर नजर आया था जिसे स्किप कॉपोला (Skip Coppola) ने प्रस्तावित किया था जो उस समय आई.बी.एम. में थे।

इसके कारण उस समय की कई समस्याओं का समाधान हुआ। उदाहरणस्वरूप मदरबोर्ड पर सौम्म कम जगह लेते थे।

सोम्मस् (SIMMS) के पहले प्रकार में बोस पिन होती थीं तथा 8 बिट डाटा (पॅरिटी वर्जन्स में 9 बिट्स) प्रदान करते थे।

अतः सिस्टम जिसमें 300 पिन सीम्म को आवश्यकता होती थी को 4 के सेटों में इन्स्टॉल (install) करना होता था।

सीम्मस (SIMMs) के दूसरे प्रकार में 72 पिनें होती थी तथा 32 बिट डाटा (पैरिटी वर्जन्स में 36 बिट) प्रदान करते थे।

1997 के करीब 72 पिन सीम्म ने 30 पिन सीम्म को प्रतिस्थापित कर दिया। मेमोरी मॉडयूल तथा कुछ प्रोसेसर्स के अलग-अलग डाटा बस की चौड़ाई के कारण कभी-कभी कई मॉडयूल को मेमोरी बैंक (memory bank) को भरने हेतु समान जोड़ों या चार के समान जोड़ों में इन्स्टॉल (install) किया जाता है।

उदाहरणार्थ, 80386 या 80486 सिस्टम्स (32 बिट चौड़ाई वाले डाटा बस) में या तो 300-पिन के सीम्म अथवा 72 पिन के सीम्म की आवश्यकता होती है।

पहले के सीम्म सॉकेट पारम्परिक पुश-टाइप ( push-type) सॉकेट होते थे। इनकी जल्दी ही जिफ (ZIF) अर्थात् जीरो इंसर्शन फोर्स (Zero Insertion Force) सॉकटों (sockets) ने प्रतिस्थापित कर दिया

जिसमें सीम्म का प्रविष्ट कर तब तक घुमाया जाता जब तक कि यह अपनी जगह पर पूरी तरह फिट नहीं हो जाता।

सीम्म को इन्स्टॉल करने के लिए मॉड्यूल को सर्किट में एक कोण पर स्थित किया जाता है तथा उसे उसी स्थिति में घुमाया जाता है।

उसे हटाने के लिए दो धातु अथवा प्लास्टिक के क्लिपों (clips) को प्रत्येक छोर पर उसी और खींचा जाता है ।

फिर सोम्म को पीछे झुकाकर बाहर निकाला जाता है। पहले के सॉकेटों में प्लास्टिक रिटेनर क्लिप (retainer clips) का प्रयोग होता था

जो अक्सर टूट जाता था। अतः स्टील के क्लिप प्रयोग में आने लगे। 30 पिन सीम्म के 256 किलोबाइट, 1 मेगाबाइट, 4 मेगाबाइट, 16 मेगाबाइट मानक आकार (standard size) उपलब्ध हैं

वहीं सीम्म पिन के साथ सीम्म 1, 2, 4, 16, 32, 64, 1280 मेगाबाइट में उपलब्ध हैं।

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