Author: Ram

  • साइबर क्राइम के प्रकार (Types of Cybercrime)

    साइबर क्राइम के प्रकार (Types of Cybercrime)

    साइबरक्राइम के विभिन्न प्रकार है, जिनका वर्णन इस प्रकार किया गया हैं;

    1. DDoS अटैक्स इनका उपयोग ऑनलाइन सर्विस को अनुपलब्ध बनाने के लिए किया जाता है और विभिन्न सोसेंस से ट्रेफिक के साथ साइट को भारी बनाकर नेटवर्क को धीमा कर देता है। बॉटनेट्स के नाम से पहचानी जाने वाली इन्फेक्टेड डिवाइसेस के बड़े नेटवर्क युजर्स के कम्प्युटर्स पर मालवेयर डिपॉजिट करके बनाए जाते हैं। नेटवर्क धीमा होने के बाद हैकर सिस्टम को हैक कर लेता है।

    2. बॉटनेट्स बॉटनेट्स कॉम्प्रोमास्ड कम्प्युटर्स हैं, जिन्हें रिमोट हैकर्स द्वारा एक्सटर्नल रूप से कंट्रोल किया जाता है। रिमोट हैकर्स इन बॉटनेट्स के जरिए स्पेस भेजते है या दूसरे कम्प्युटर्स पर अटैक करते हैं। बॉटनेट्स का उपयोग मालवेयर के रूप में कार्य करने और मेलिशियस टास्क्स परफॉर्म करने के लिए भी किया जाता है।

    3. आइडेन्टिटी थेफ्ट यह साइबर क्राइम तब होता है, जब कोई क्रिमिनल धन की चोरी करने, कॉन्फिडेन्शियल इन्फॉर्मेशन एक्सेस करने या टेक्स्ट या हेल्थ इन्श्योरेन्स फ्रॉड में पार्टिसिपेट करने के लिए युजर की पर्सनल इन्फॉर्मेशन का एक्सेस प्राप्त कर लेता है।

    वे आपके नाम से फोन/इंटरनेट अकाउंट भी ओपन कर सकते हैं, क्रिमिनल एक्टिविटी को प्लान करने के लिए आपके नाम का उपयोग कर सकते हैं और आपके नाम पर गवर्नमेन्ट बेनिफिट्स को क्लैम भी कर सकते हैं। वे हैकिरा के माध्यम से युजर के पासवर्ड का पता लगाकर सोशल मीडिया से पर्सनल इन्फॉर्मेशन प्राप्त करके या फिशिंग ईमेल्स सेन्ड करके ऐसा कर सकते हैं।

    4. सोशल इंजीनियरिंग सोशल इंजीनियरिंग में वो क्रिमिनल्स सम्मिलित होते हैं, जो आमतौर पर फोन या ईमेल के जरिए आपसे सीधे संपर्क करते हैं। वे आपका विश्वास हासिल करना चाहते हैं और आमतौर पर कस्टमर सर्विस एजेन्ट के रूप में पेश आते हैं, ताकि आप अपनी आवश्यक जानकारी उन्हें देदें। यह सामान्य तौर पर एक पासवर्ड, आपके द्वारा काम किए जाने वाली कम्पनी की जानकारी या बैंक की जानकारी होती है।

    साइबर क्रिमिनल्स यह पता लगा लेते हैं कि वे आपकी जानकारी का क्या उपयोग कर सकते हैं, जिसके बाद वे आपको सोशल अकाउंट पर फ्रेड के रूप में जोड़ने का प्रयास करते हैं। एक बार जब वे किसी अकाउंट को एक्सेस कर लेते हैं, तो वे आपकी जानकारी या आपके नाम के सिक्योर अकाउंट्स को बेच सकते हैं।

    5. PUP PUPs या पोटेन्शियली अनवॉन्टेड प्रोग्राम्स अन्य साइबर क्राइम्स की तुलना में कम खतरनाक होते हैं, लेकिन ये एक प्रकार के मालवेयर होते हैं। वे सर्च इंजन्स तथा पहले से डाउनलोड की गई ऐप्स सहित आपके सिस्टम में आवश्यक सॉफ्टवेयर को अनइंस्टॉल कर देते है। इनमें स्पाइवेयर या एडवेयर सम्मिलित हो सकते हैं, इसलिए मेलिशियस डाउनलोड से बचने के लिए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना एक अच्छा विचार है। इस प्रकार के अटैक में हैकर्स, युजर्स को उनके अकाउंट्स या कम्प्युटर को एक्सेस करने के लिए मेलिशियस ईमेल

    6. फिशिंग अटैचमेन्ट्स या URL भेजते हैं। साइबर क्रिमिनल्स अधिक स्थापित हो रहे हैं और इनमें से कई ईमेल्स स्पैम के रूप में फ्लैग नहीं किए गए हैं। युजर्स को ईमेल्स में यह दावा किया जाता है कि उन्हें अपना पासवर्ड बदलने या अपनी बिलिंग इन्फॉर्मेशन अपडेट करने की आवश्यकता है, जिससे क्रिमिनल्स को एक्सेस प्राप्त हो सके।

    7. प्रोहिबिटेड / इल्लिगल कन्टेन्ट इस साइबर क्राइम में क्रिमिनल्स को इन अप्रोप्रिएट कन्टेन्ट को शेयर करना तथा डिस्ट्रिब्यूट करना सम्मिलित है, जिसे अत्यधिक चिंताजनक तथा आक्रामक माना जाता है। आफेन्सिव कन्टेन्ट में एडल्ट्स के बीच सेक्सुअल एक्टिविटी इन्टेन्स वॉएलेन्ट वीडियोज तथा क्रिमिनल एक्टिविटी बीडियोज सम्मिलित हो सकते हैं, लेकिन ये यही तक सीमित नहीं है। इल्लिगल कन्टेन्ट में टेररिज्म से सम्बन्धित एक्ट्स तथा चाइल्ड एक्सप्लॉइटेशन मटेरियल सम्मिलित है। इस प्रकार का कन्टेन्ट रोजमर्रा के इंटरनेट तथा डार्क वेब, एक एनोनिमस नेटवर्क दोनों पर मौजूद है।।

    8. एक्सप्लाइट किट्स यूजर के कम्प्यूटर को कन्ट्रोल करने के लिए एक्सप्लॉइट किट्स को क्ल्नरेबिलिटी (सॉफ्टवेयर के कोड में बग) की आवश्यकता होती है। ये रेडीमेड टूल्स हैं, जिन्हें क्रिमिनल्स ऑनलाइन खरीद सकते हैं और कम्प्युटर के साथ किसी के भी खिलाफ उपयोग कर सकते हैं। एक्सप्लॉइट किट्स नियमित रूप से सामान्य सॉफ्टवेयर के सामान अपग्रेड होते हैं और डार्क वेब हैकिंग फॉरम्स पर उपलब्ध होते हैं।

  • साइबर क्राइम का क्लासिफिकेशन (Classification of Cybercrime)

    साइबर क्राइम का क्लासिफिकेशन (Classification of Cybercrime)

    1. साइबर टेररिज्म: साइबर टेररिज्म वॉएलेन्ट एक्ट्स करने के लिए कम्प्युटर तथा इंटरनेट का उपयोग है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन की हानि हो सकती है। इसमें नागरिकों के जीवन को खतरे में डालने के लिए सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर द्वारा विभिन्न प्रकार की एक्टिविटीज सम्मिलित हो सकती है।

    सामान्य तौर पर, साइबर टेररिज्म को साइबर स्पेस या कम्प्युटर रिसोर्सेस के उपयोग के माध्यम से किए गए टेररिज्म के कार्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

    2. साइबर एक्सटॉर्शन: साइबर एक्सटॉर्शन तब होता है, जब किसी वेबसाइट, ई-मेल सर्वर या कम्प्युटर सिस्टम को मेलिशियस हैकर्स द्वारा रिपिटेड डिनायल आफ सर्विस या अन्य अटैक्स के अधीन किया जाता है या धमकी दी जाती है। ये हैकर्स अटैक्स को रोकने तथा प्रोटेक्शन प्रदान करने के अश्योरेन्स के बदले भारी धन की माँग करते हैं।

    3. साइबर वारफेयर: साइबर वारफेयर कम्प्युटर्स ऑनलाइन कंट्रोल सिस्टम्स तथा नेटवर्क्स के बेटल स्पेस या वारफेयर कॉन्टेक्स्ट में उपयोग या इसकी टारगेटिंग है। इसमें साइबर अटैक्स, जासूसी तथा तोड़फोड़ के खतरे से सम्बन्धित आफेन्सिव तथा डिफेन्सिव दोनों तरह के ऑपरेशन्स सम्मिलित हैं।

    4. इंटरनेट फ्रॉड: इंटरनेट फ्रॉड एक प्रकार की धोखाधड़ी या छल है, जो इंटरनेट का उपयोग करता है और इसमें धन या प्रॉपर्टी के लिए विक्टिम्स को धोखा देने के उद्देश्य से जानकारी छिपाना या गलत जानकारी प्रदान करना सम्मिलित हो सकता है। इंटरनेट फ्रॉड को केवल विशिष्ट क्राइम नहीं माना जाता है, बल्कि साइबर स्पेस में किए जाने वाले कई अवैध कार्यों को सम्मिलित किया जाता है।

    5. साइबर स्टॉकिंगः यह एक प्रकार का ऑनलाइन हैरेसमेन्ट है, जिसमें विक्टिम को ऑनलाइन मैसेजेस तथा ई-मेल्स की बड़ी मात्रा का सामना करना पड़ता है। इस मामले में, ये स्कॉलर्स अपने विक्टिम्स को जानते हैं और आफलाइन स्टॉकिंग के बजाए वे स्टॉक करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। हालाँकि, यदि वे पाते हैं कि साइबर स्टॉकिंग का वांछित प्रभाव नहीं हो रहा है, तो वे विक्टिम्स के जीवन को और अधिक दयनीय बनाने के लिए साइबर स्टॉकिंग के साथ- साथ उनकी आफलाइन स्टॉकिंग भी शुरू कर देते हैं।

  • साइबर क्राइम की कैटेगरीज (Categories of Cybercrime)

    साइबर क्राइम की कैटेगरीज (Categories of Cybercrime)

    साइबरक्राइम की तीन मुख्य कैटेगरीज हैं:

    इन्डिविजुअल, प्रॉपर्टी तथा गवर्नमेन्ट । उपयोग की जाने वाली विधियों के प्रकार तथा कठिनाई के स्तर कैटेगरीज के आधार पर भिन्न होते हैं।

    प्रॉपर्टीः यह किसी व्यक्ति की बैंक या क्रेडिट कार्ड डिटेल्स को अवेध रूप से रखने वाले क्रिमिनल के वास्तविक जीवन के उदाहरण के समान है। हैकर किसी व्यक्ति की बैंक डिटेल्स को चुराता है ताकि वह धन प्राप्त कर सके, ऑनलाइन खरीदारी कर सके या लोगों को उनकी इन्फॉर्मेशन देने के लिए फिशिंग स्कैम्स चला सके। वे कॉन्फिडेन्शियल इन्फॉर्मेशन -वाले वेब पेज को एक्सेस करने के लिए मेलिशियस सॉफ्टवेयर का उपयोग भी कर सकते हैं। •

    इन्डिविजुअल: साइबर क्राइम की इस कैटेगरी में वह व्यक्ति सम्मिलित है, जो मैलिशियस या इल्लिगल इन्फॉर्मेशन को ऑनलाइन डिस्ट्रिब्युट करता है। इसमें साइबर स्टॉकिंग, पोर्नोग्राफी तथा ट्रेफिकिंग डिस्ट्रिब्युट करना सम्मिलित हो सकता है।

    गवर्नमेन्टः यह सबसे कम सामान्य साइबरक्राइम है, लेकिन सबसे सीरियस आफेन्स है। गवर्नमेन्ट के खिलाफ क्राइम को साइबर टेररिज्म के रूप में भी जाना जाता है। गवर्नमेन्ट साइबर क्राइम में गवर्नमेन्ट वेबसाइट्स मिलिटरी वेबसाइट्स या प्रचार-प्रसार सम्मिलित होता है। ये क्रिमिनल्स सामान्य तौर पर टेररिस्ट्स या अन्य देशों की दूश्मन गवर्नमेन्ट्स होती हैं।

  • साइबर क्राइम kya hai?(Cybercrime )

    साइबर क्राइम (Cybercrime )

    साइबरक्राइम को ऐसे क्राइम के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहाँ क्राइम का ऑजेक्ट कम्प्यूटर होता है या क्राइम करने के लिए इसका उपयोग एक टूल के रूप में किया जाता है। एक साइबर क्रिमिनल युजर की पर्सनल इन्फॉर्मेशन, कॉन्फिडेन्शल बिजनेस इन्फॉर्मेशन, गवर्नमेन्ट इन्फॉर्मेशन या किसी डिवाइस को डिसेबल करने के लिए डिवाइस का उपयोग कर सकता है। उपरोक्त इन्फॉर्मेशन को ऑनलाइन बेचना या प्राप्त करना भी एक प्रकार का साइबर क्राइम ही है।

    अन्य शब्दों में, साइबर क्राइम को एक ऐसे क्राइम के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो नेटवर्क से कनेक्टेड डिवाइस, जैसे कम्प्यूटर या मोबाइल फोन का उपयोग करके किया जाता है। साइबर क्राइम करने वालों को साइबर क्रिमिनल या साइबर क्रुक्स के रूप में जाना जाता है। बढ़ते डिजिटाइजेशन के साथ, इंटरनेट क्राइम्स भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

    जैसे, इस प्रकार का क्राइम दूरस्थ स्थानों से किया जा सकता है। उदाहरण के लिए विदेश के अधिकांश क्रिमिनल्स इस मोड को पसंद करते हैं, क्योंकि ट्रेस होने तथा दंडित होने का जोखिम सीमित है। कुछ सामान्य प्रकार के साइबर क्राइम्स में फिशिंग, हैकिंग, साइबर-बुलिंग, आइडेन्टिटी थेफ्ट, स्पैमिंग आदि सम्मिलित हैं।

  • फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के उदाहरण (Examples of Free and Open Source Software)

    फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के उदाहरण (Examples of Free and Open Source Software

    लिनक्स (आपरेटिंग सिस्टम)

    KDE, GNOME, XFce (डेस्कटॉप एन्वायर्नमेन्टस)

    एंड्राइड (फोन आपरेटिंग सिस्टम / एन्वायर्नमेन्ट)

    अपाचे (वेब सर्वर)

    MySQL, PostgreSQL (DBMS ‘s/सर्वर्स)

    पर्ल, PHP, पायथन (स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज)

    Open Office (आफिस सॉफ्टवेयर सूट)

    GCC (GNU कम्पाइलर कलेक्शन)

    GNU टूलचैन : Autoconf, make आदि)

    Git, सबवर्शन, CVS (वर्शन कंट्रोल सिस्टम्स)

    OpenSSH (SSH सर्वर)

    सेन्डमेल, पोस्टफिक्स (ईमेल ट्रांसपोर्ट सॉफ्टवेयर)

    आक्टेव (GNU Matlab क्लोन)

    GIMP (इमेल मैनिप्युलेशन फोटोशॉप)

    वर्डप्रेस (ब्लॉगिंग)

    ड्रूपल (कन्टेन्ट मैनेजमेन्ट सिस्टम

  • Foss का इतिहास kya hai?(History of Foss)

    Foss का इतिहास (History of Foss)

    अधिकांश लोगों के द्वारा पढ़ा जाने वाला Foss तुलनात्मक रूप से पुराना है। एक अवधारणा के रूप में, यह लगभग 1950 के दशक से है। उस समय, जब कम्पनीज हार्डवेयर खरीदती थीं, तो खरीदे गए उन हार्डवेयर पर रन होने वाला स्पेशलाइज्ड बंडल्ड सॉफ्टवेयर मुफ्त था। इस कारण से उस समय एक स्टैंडर्ड प्रैक्टिस हार्डवेयर कस्टमर्स को उस कोड को मोडिफाय करने की अनुमति प्रदान करना था। चूँकि इस अवधि के दौरान हार्डवेयर असामान्य रूप से महँगा था, इसलिए ये कस्टमर्स मुख्य रूप से रिसर्चर्स तथा एकेडमिशियन्स थे।

    उस समय सॉफ्टवेयर के लिए उपयोग की जाने वाली टर्म वैसी नहीं थी, जैसी आज है। इसके बजाए, इसे सामान्य तौर पर पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर के रूप में संदर्भित किया जाता था। आज Foss तथा पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर काफी अलग हैं। Foss मुफ्त है, लेकिन लाइसेन्स्ड भी है। यह उन टर्म्स तथा कंडीशन्स को सम्मिलित करता है, जिसमें लाइसेंस का उपयोग किया जाता है। पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर के पास कोई लाइसेन्स नहीं है और इसे बिना किसी प्रतिबंध के, स्वतंत्र रूप से उपयोग, मोडिफाय तथा डिस्ट्रिब्यूट किया जा सकता है, और क्रिएट को उसके क्रिएशन का अधिकार नहीं है।

    सन् 1985 में, रिचार्ड स्टॉलमैन ने फ्री सॉफ्टवेयर मूवमेन्ट का समर्थन करने के लिए फ्री सॉफ्टवेयर फाउंडेसन (FSF) की स्थापना की। FSF का कमिटमेन्ट फ्री सॉफ्टवेयर के प्रति था। यानि वह सॉफ्टवेयर जिसे युजर्स उपयोग करने, मोडिफाय करने तथा अध्ययन करने तथा शेयर करने के लिए स्वतंत्र थे।

    एक वर्ष पश्चात्, जैसा कि हम जानते हैं, Foss चार स्वतंत्रताओं के आधार पर अस्तित्व में आया:

    किसी भी उद्देश्य के लिए प्रोग्राम का उपयोग करने की स्वतंत्रता

    सोर्स कोड के लिए एक्सेस

    प्रोग्राम कैसे कार्य करता है, यह जानने तथा इसे मोडिफाय करने की स्वतंत्रता

    कॉपीज जो रिडिस्ट्रिब्युट करने की स्वतंत्रता

    मोडिफाय वर्शन्स की कॉपी डिस्ट्रिब्युट करने की स्वतंत्रता

  • फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) / Free and Open Source Software (Foss) kya hai?

    फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) / Free and Open Source Software (Foss)

    फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को फ्री/लिवर ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Floss) या फ्री/ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) युजर्स तथा प्रोग्रामर्स को सॉफ्टवेयर से सोर्स कोड को एडिट, मोडिफाय तथा रियुज करने की अनुमति प्रदान करता है। यह डेवलपर्स को इसे मोडिफाय करके प्रोग्राम की फंक्शनालिटी में सुधार करने के अवसर प्रदान करता है।

    टर्म ‘फ्री’ इन्डिकेट करती है कि सॉफ्टवेयर में कॉपीराइट पर कोई प्रतिबंध नहीं है। टर्म ‘ओपन सोर्स’ इन्डिकेट करती है कि सॉफ्टवेयर अपने प्रोजेक्ट फॉर्म में है, जिससे रिवर्स इंजीनियरिंग की आवश्यकता के बिना दुनिया भर में कोलबरेट करने वाले एक्सपर्ट डेवलपर्स से आसान सॉफ्टवेयर डेवलपमेन्ट को सक्षम किया जा सके।

    फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का अर्थ यह नहीं है कि सॉफ्टवेयर फ्री है। इसका अर्थ यह है कि सॉफ्टवेयर का सोर्स को सभी के लिए ओपन है और कोई भी व्यक्ति कोड का उपयोग, अध्ययन तथा मोडिफाय करने के लिए स्वतंत्र है। यह सिद्धांत अन्य लोगों को एक कम्युनिटी की तरह सॉफ्टवेयर के डेवलपमेन्ट तथा इम्प्रूवमेन्ट में योगदान करने की अनुमति प्रदान करता है।

  • कॉपीराइट बनाम प्लेगियरिज्म (Copyright Vs. Plagiarism)

    कॉपीराइट बनाम प्लेगियरिज्म (Copyright Vs. Plagiarism)

    कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट तथा प्लेगियरिज्म एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं, लेकिन अलग-अलग स्थितियों में कॉपीराइट विचारों को प्रोटेक्ट नहीं करता है, यह केवल उन विचारों के फिक्स्ड एक्सप्रेशन को प्रोटेक्ट करता है। एक व्यक्ति कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट करता है, जब वह कार्य को कॉपी, डिस्ट्रिब्युट, डिस्प्ले आदि करता है। कार्य को इस तरह से करना कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट है। कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट एक लीगल मेटर है।

    दूसरी ओर, प्लेगियरिज्म तब होता है, जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी और के कार्य को उसके ओरिजिनल सोर्स को उसकी स्वीकृति के बिना पास कर दिया जाता है। यह सुनिश्चित करके प्लेगियरिज्म से बचा जा सकता है कि आप अपने कार्य में किसी ओर के विचारों या कार्यों का उपयोग करते समय हमें ओरिजिनल सोर्स को श्रेय दें। यह एक इथिकल सिचुएशन है, जिसे युनिवर्सिटी पॉलिसी द्वारा सम्बोधित किया जाता है और उल्लंघन होने पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, लिकिन यह लीगल मेटर नहीं है। इन सिचुएशन्स में दोनों के बदले किसी एक का दोषी होना संभव है, या समान समय पर दोनों दोषी हो सकते हैं।

    सिनेरियो 1 (कॉपीराइट उल्लंघन के बिना प्लेगियरिज्म) : यदि आप शेकस्पियर के सॉनेट में किसी शब्दों को कॉपी करते हैं और उसमें अपना नाम डालते हैं, और इसे किसी वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं, तो आप प्लेगियरिज्म के दोषी होंगे, लेकिन कॉपीराइट उल्लंघन के नहीं । चूँकि शेकस्पियर का कार्य पब्लिक डोमेन में है, इसलिए आप अपने विवेक से उन्हें कॉपी कर सकते हैं। हालाँकि, काम को अपना बताकर आपने शेकस्पियर को प्लेगियराइज किया है। प्लेगियरिज्म के आरोप से बचने के लिए दूसरों से बॉरो की गई किसी भी इन्फॉर्मेशन के सोर्स को सही तरीके से उद्धत तथा हवाला करना सुनिश्चित करें।

    सिनेरियो 2 (कॉपीराइट उल्लंघन लेकिन प्लेगियरिज्म नहीं: यदि आप रिसेन्ट टॉप 40 सॉन्ग्स के लिरिक्स को कॉपी करते हैं, और इसे किसी वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं, तो उस सॉन्ग को रिकार्ड करने वाले सिंगर या ऑर्टिस्ट को क्रेडिट दिया जाता है। इस केस में कॉपीराइट उल्लंघन के दोषी होते है, लेकिन प्लेगियरिज्म नहीं। चूँकि आपने ओरिजिनल सोर्स को श्रेय दिया है, इसलिए आप ऑइडियाज को क्लैम नहीं कर रहे हैं। हालाँकि, आप कॉपीराइट आनर की अनुमति के बिना कॉपीराइट मटेरियल डिस्ट्रिब्युट कर रहे हैं, इस प्रकार आप उनके कॉपीराइट का उल्लंघन कर रहे हैं।

    सिनेरियो 3 (कॉपीराइट उल्लंघन तथा प्लेगियरिज्म दोनों): यदि आप रिसेन्ट टॉप 40 सॉन्ग्स की कॉपी बनाते हैं, और इसे स्वयं के नाम पर क्लैम करते हुए वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं, तो आपने इस कार्य पर कॉपीराइट का उल्लंघन किया है, और साथ ही सॉन्ग राइटर को प्लेगियराइज भी किया है।

  • कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट (Copyright Infringement) kya hai?

    कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट (Copyright Infringement)

    कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट (उल्लंघन) कॉपीराइट होल्डर की अनुमति के बिना कॉपीराइट प्रोटेक्टेड मटेरियल का उपयोग या प्रोडक्शन है। कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट का अर्थ है कॉपीराइट होल्डर को दिए गए अधिकार, जैसे कि एक निर्धारित अवधि के लिए किसी कार्य का अनन्य उपयोग, किसी तीसरे पक्ष द्वारा भंग किया जा रहा हो।

    म्यूजिक तथा फिल्म्स सबसे प्रसिद्ध मनोरंजन के साधन हैं, जो कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट की महत्वपूर्ण मात्रा से ग्रसित ह। इन्फ्रिजमेन्ट के मामलों में कन्टिन्जेन्ट लाइबिलिटिज हो सकती हैं, जो संभावित मुकदमे के मामले में अलग अमाउंट सेट हैं।

  • कॉपीराइट (Copyright) kya hai? फेयर युज (Fair Use)

    कॉपीराइट (Copyright) and फेयर युज (Fair Use)

    कॉपीराइट ऑवर के कार्य को प्रोटेक्ट करने का एक कानूनी साधन है। यह एक प्रकार की इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है, जो ऑथर के एक्सक्लुजिव पब्लिकेशन, डिस्ट्रीब्युशन तथा उपयोग के अधिकार प्रदान करती है। इसका अर्थ यह है कि आयर द्वारा बनाया गया कोई भी कन्टेन्ट ऑवर की सहमति के बिना किसी ओर के द्वारा उपयोग या पब्लिश नहीं किया जा सकता है। कॉपीराइट प्रोटेक्शन की अवधि अलग-अलग देशों में भिन्न हो सकती है, लेकिन यह समान्य तौर पर ऑयर के जीवन के साथ-साथ 50 से 100 वर्षों तक रहता है।

    कई अलग-अलग प्रकार के कन्टेन्ट को कॉपीराइट द्वारा प्रोटेक्ट किया जा सकता है। इसके उदाहरणों में पुस्तक, कविताएँ, नाटक, गीत, फिल्म्स तथा कलाकृति सम्मिलित है। आधुनिक समय में, कॉपीराइट प्रोटेक्शन को वेबसाइट्स तथा अन्य ऑनलाइन कन्टेन्ट तक बढ़ा दिया गया है। इसलिए वेब पर पब्लिश किया गया कोई भी ओरिजिनल कन्टेन्ट कॉपीराइट लॉ द्वारा प्रोटेक्ट है। हम जिस डिजिटल युग में रहते हैं, उसमे यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि बड़ी मात्रा में कन्टेन्ट को आसानी से कॉपी तथा पेस्ट किया जा सकता है।

    कई देशों में कॉपीराइट प्रोटेक्शन आटोमेटिक है। इसका अर्थ यह है कि जब आप ओरिजिनल कन्टेन्ट पब्लिश करते हैं, तो यह कॉपीराइट लॉ द्वारा स्वतः प्रोटेक्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप इंटरनेट पर कोई ब्लॉग पोस्ट करते। हैं, तो आपका कन्टेन्ट स्वतः ही कॉपीराइट द्वारा कवर हो जाता है। अधिकतर केसेस में, इस प्रकार का कॉपीराइट प्रोटेक्शन वह है, जो आवश्यक है। हालांकि, यदि आप चाहते हैं, कि अन्य लोगों की जानकारी में हो की आपका कन्टेन्ट प्रोटेक्टेड है, तो आप किसी भी वेब पेज के नाम के आगे कॉपीराइट लोगो (D) पोस्ट कर सकते हैं, जिसमें आपका ओरिजिनल कन्टेन्ट सम्मिलित है। आप उन वर्षों को भी सम्मिलित करना चाह सकते हैं, जिनके पास कन्टेन्ट का स्वामित्व है। नीचे कॉपीराइट लाइन का एक उदाहरण दिया गया है:

    copyright©2007-2009 [your name]

    ऐसी स्थितियों में, जहाँ ऑथर के अधिकारों को प्रोटेक्ट करना महत्वपूर्ण है. कई देश कॉपीराइट करते हैं, जो ऑथर्स को एक सेन्ट्रल एजेन्सी के साथ कॉपीराइट किए गए कन्टेन्ट को रजिस्टर करने की अनुमति प्रदान करता है। इससे कभी भी डिस्प्युट होने पर कन्टेन्ट की ऑनरशिप को साबित करना आसान हो जाता है।

    कॉपीराइट ओरिजिनल कन्टेन्ट को प्रोटेक्ट करने का एक सहायक साधन प्रदान करता है। यह लोगों उनके द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय देने का काम करता है, जिसकी हम सभी सराहना कर सकते हैं। इसलिए यदि आप किसी और के कन्टेन्ट को कापी करने का विचार करते हैं, तो पहले ऑथर से अनुमति लेना सुनिश्चित करें और हमेशा उसे श्रेय दें।

    फेयर युज (Fair Use)

    फेयर युज कॉपीराइट लॉ का एक प्रोविजन है, जो आपको कुछ परिस्थितियों में दूसरों के कॉपीराइट किए गए का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता कार्यों फेयर युज एक अधिकार है कि आपको दूसरों की अनुमति के बिना उसके कॉपीराइट किए गए कार्यों का उपयोग करना है। यह गाइडेन्स का सेट है, जो आपको दूसरों के कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग करने के अपने डिसिजन के बारे में जजमेन्ट लेने की अनुमति प्रदान करता है।

    फेयर युज आपको प्रोटेक्ट करता है, जब आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग आलोचना, टिप्पणी, न्यूज रिपोर्टिंग, टिचिंग, स्कॉलरशिप या रिसर्च है।

    कॉपीराइट मटेरियल का आपका उपयोग फेयर है या नहीं, यह निर्धारित करते समय इस इन चार फैक्टर्स पर विचार किया जाना आवश्यक है:

    फैक्टर 1: कॉपीराइट मटेरियल के आपके उपयोग का पर्पस तथा कैरेक्टर यदि आप नॉन-प्रॉफिट एज्युकेशन सेटिंग में कॉपीराइट का उपयोग करते हैं, या आलोचना, टिप्पणी, न्यूज रिपोर्टिंग, टिचिंग, स्कॉलरशिप या रिसर्च के लिए आपका उपयोग फेयर युज के रूप में योग्य होता है। फैक्टर

    2: कॉपीराइट मटेरियल का नेचर यदि आप फैक्चुअल मटेरियल का उपयोग करते है, तो आपके द्वारा क्रिएटिव मटेरियल्स का उपयोग करने की तुलना में आपके उपयोग को फेयर युज माने जाने की संभावना है। इसके साथ ही आप जिस मटेरियल का उपयोग कर रहे हैं, यदि वह पब्लिश नहीं हुई है, तो आपके पास मटेरियल के पब्लिश होने की तुलना में फेयर युज का क्लेम कम है। फैक्टर

    3: आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले कॉपीराइट मटेरियल के पोर्शन की मात्रा तथा स्थिरता। यदि आप सम्पूर्ण कार्य को एक महत्वपूर्ण पोर्शन से कम का उपयोग करते हैं, तो आपके उपयोग को फेयर युज माना जाता है।

    फैक्टर 4: पोटेन्शियल मार्केट या कॉपीराइट मटेरियल के मूल्य पर आपके उपयोग का प्रभाव यदि आपके द्वारा कॉपीराइट किए गए मटेरियल का उपयोग कॉपीराइट होल्डर की आय को या ओरिजिनल वर्क के लिए मार्केट को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, तो आपके उपयोग को फेयर युज नहीं माना जाता है।