Category: ComputerTopic

  • Portable Printer or Dot Matrix Printer Kya Hai?

    पोर्टेबल प्रिन्टर (Portable Printer)

    पोर्टेबल प्रिन्टर छोटे, कम वजन वाले इंकजेट या थर्मल प्रिन्टर होते हैं जो लैपटॉप कंप्यूटर द्वारा यात्रा के दौरान प्रिन्ट निकालने की अनुमति देते हैं।

    ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में आसान इस्तेमाल करने में सहज होते हैं मगर कॉम्पैक्ट (compact ) डिजाइन की वजह से सामान्य इंकजेट प्रिन्टर्स के मुकाबले महंगे होते हैं।

    इनकी प्रिन्टिंग की गति भी सामान्य प्रिन्टर से कम होती हैं। कुछ प्रिन्टर डिजिटल कैमरे से तत्काल फोटो निकालने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं इसलिए इन्हें पोर्टेबल फोटो प्रिन्टर कहा जाता है।

    डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer)

    डॉट मैट्रिक्स एक इम्पैक्ट प्रिंटर है। इस प्रिंटर के प्रिंट हैड (print head) में अनेक पिनों (Pins) का एक मैट्रिक्स (Matrix) होता है

    और प्रत्येक पिन के रिबन (Ribbon) पर स्पर्श (strike) से कागज पर एक डॉट (dot) छपता है। अनेक डॉट मिलकर एक कैरेक्टर बनाते हैं।

    प्रिंट हैड में 7, 9, 14, 18 या 24 पिनों का ऊर्ध्वाधर समूह होता है। एक बार में एक कॉलम की पिनें प्रिंट हैड से बाहर निकलकर डॉट्स (Dots) छापती है|

    जिससे एक कैरेक्टर अनेक चरणों (Steps) में बनता है और लाइन की दिशा में प्रिंट हैड आगे बढ़ता जाता है।

    प्रिंट हैड की पिने कम्प्यूटर के सी. पी. यू. (CPU) द्वारा भेजे गये संकेतों (signals) के आधार पर उपयुक्त स्थान पर डॉट बनाती चली जाती हैं।

    डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की प्रिंटिंग गति 30 से 600 कैरेक्टर प्रति सैकण्ड (CPS – Character Per Second) होती है।

    कई डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर लाइनों को दायों से वायों और, तथा बायों से दायीं और दोनों दिशाओं में प्रिंट करने की क्षमता रखते हैं।

    जब प्रिंट हैड बायें से दायें गति करते हुए एक लाइन प्रिंट कर लेता है तो अगली लाइन दायें से बायें गति करते हुए प्रिंट करता है।

    डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में पूर्व निर्मित फॉन्ट (Font) नहीं होते हैं। इसलिये ये विभिन्न आकार, प्रकार और भाषा के कैरेक्टर ग्राफिक्स आदि छाप सकता है।

    यह प्रिंट हेड की मदद से कॅरेक्टर बनाता है, जो कि कोड (0 और 1) के रूप में मेमोरी से प्राप्त करता है। प्रिंट हेड में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट (Electronic circuit) मौजूद रहता है जो करेक्टर को डीकोड (decode) करता है।

    डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के आउटपुट की स्पष्टता सॉलिड फॉन्ट (Solid Font ) डिवाइसेज की तुलना में कम होती है। यह प्रिंटर आउटपुट को निम्नलिखित दो प्रकार की गुणवत्ताओं (Qualities) में छाप सकता है |

    1) ड्रॉफ्ट क्वालिटी प्रिंटिंग (Draft Quality Printing) – इसमें निम्न कोटि की सामान्य छपाई होती है।

    2) नियर लैटर क्वालिटी प्रिंटिंग (Near Letter Quality printing) – इस प्रिंटिंग में प्रत्येक करेक्टर दो बार में ओवर स्ट्राइक (Overstrike) से छपता है। इस अवस्था में छपाई की गति धीमी होती है।

    डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की विशेषताएँ (Advangates of a Dot Matrix Printer)

    1) बहुभाग (Multifaceted) फॉर्म या कार्बन कॉपियों पर छापने के लिए उपयुक्त

    2) प्रति पृष्ठ प्रिंटिंग लागत बिल्कुल कम

    3) लगातार फॉर्म वाले कागज पर छपाई तथा डाटा लॉगिंग के लिए उपयोगी।

    4) विश्वसनीय तथा टिकाऊ (Reliable and durable)

    डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर की कमियाँ (Disadvantages of a Dot Matrix Printer)

    1) शोरयुक्त (यह प्रिंटिंग के दौरान बहुत आवाज करता है।)

    2) सीमित प्रिंटिंग क्वालिटो

    3) कम प्रिंटिंग गति

    4) सीमित रंगों में ही प्रिन्टिंग।

  • Multifunctional (All in One Printer) Kya Hai?

    मल्टीफंक्शनल प्रिन्टर को ऑल इन वन प्रिन्टर या मल्टोफक्शनल डिवाइस ( Multi Function Device) भी कहा जाता है।

    यह ऐसी मशीन होती है जिसके द्वारा कई मशीनों तथा प्रिन्टर, स्कॅनर, कॉपीयर तथा फैक्स के कार्य किये जा सकते हैं।

    मल्टीफंक्शन प्रिंटर घरेलू कार्यालयों (home offices) में बहुत लोकप्रिय होता है। इसमें इंकजेट या लेजर प्रिंट विधि का प्रयोग हो सकता है।

    कुछ मल्टोफक्शन प्रिन्टर्स में मीडिया कार्ड रोडर का प्रयोग होता है जो डिजीटल कैमरा से कम्प्यूटर के प्रयोग के बगैर सीधे-सीधे इमेज छाप सकता है।

    मल्टीफंक्शनल प्रिन्टर की विशेषताएँ (Advantages of a multifunction printer)

    1) कम कीमत- मल्टीफंक्शनल प्रिन्टर को खरीदना सभी उत्पादों (फैक्स मशीन, स्कंनर, प्रिन्टर, कॉपीयर) को अलग-अलग खरीदने से ज्यादा सस्ता पड़ता है।

    2) यह कम जगह लेता है।

    मल्टीफंक्शनल प्रिन्टर की कमियाँ (Disadvantages of a multifunction printer )

    1) अगर कोई एक कंपोनेन्ट टूट जाता है तो पूरी मशीन बदलनी पड़ती है।

    2) किसी कंपोनेंट की खराबी से पूरी मशीन प्रभावित होती है।

    3) प्रिन्ट की क्वालिटी और गति कुछ अकेले प्रिन्टर से कम होती है।

  • Photo Printer Kya Hai?

    फोटो प्रिन्टर रंगीन प्रिन्टर होते हैं जो फोटो लैब को क्वालिटी फोटो पेपर पर छापते हैं। इसका इस्तेमाल डॉक्युमेंट्स की प्रिन्टिंग के लिए भी किया जा सकता है।

    इन प्रिन्टर्स के पास काफी बड़ी संख्या में नॉजल (nozzles) होते हैं जो काफी अच्छी क्वालिटी की इमेज के लिए बहुत अच्छी स्याही की बूँद छापता है।

    कुछ फोटो प्रिन्टर में मीडिया कार्ड रोडर (reader) भी होते हैं ये 4″ x 6″ फोटो को सोधे डिजिटल कॅमरे के मीडिया कार्ड से बिना किसी कंप्यूटर के प्रिन्ट कर सकते हैं।

    ज्यादातर इंकजेट प्रिन्टर और उच्च क्षमता वाले लेजर प्रिन्टर उच्च क्वालिटी को तस्वीरें प्रिन्ट करने में सक्षम होते हैं।

    कभी-कभी इन प्रिन्टरों को फोटो प्रिन्टर के रूप में बाजार में लाया जाता है। समर्पित फोटो प्रिन्टर को फोटो को अच्छी तरह से और सस्ता प्रिन्ट करने के उद्देश्य से बनाया जाता है।

    बड़ी संख्या में नोजल तथा बहुत अच्छे बूंदों के अतिरिक्त इन प्रिन्टर्स में अतिरिक्त फोटो स्थान (cyan), हल्का मैजेण्ट (magenta), तथा हल्का काले रंगों में रंगीन कार्टेज होता है।

    ये अतिरिक्त रंगोन कार्टेज की सहायता से अधिक रोचक तथा वास्तविक दिखने जैसा (realistic) फोटो छापते हैं। इसका परिणाम साधारण इंकजेट तथा लेजर प्रिंटर से बेहतर होता है।

  • Thermal Printer Kya Hai?

    थर्मल प्रिन्टर्स दो तरह की तकनीक डायरेक्ट थर्मल और थर्मल ट्रांसफर प्रिन्टिंग का इस्तेमाल करते हैं।

    पारम्परिक धर्मल प्रिन्टर डायरेक्ट थर्मल विधि का इस्तेमाल करते हैं। इस विधि में बिजली के द्वारा गर्म किये गये पिन को ताप संवेदी (heat sensitive) कागज या थर्मल कागज पर लगाया जाता है।

    गर्म होने पर थर्मल कागज की कोटिंग (coating) काली हो जाती है जिससे कैरेक्टर व आकृति बनता है।

    डायरेक्ट थर्मल प्रिन्टर में किसी इंक, टोनर या रिबन का इस्तेमाल नहीं होता है। ये प्रिन्टर टिकाऊ होते हैं।

    इन्हें इस्तेमाल करना आसान होता है और प्रिंटिंग करने का खर्च भी दूसरे प्रिन्टर के मुकाबले कम होता है।

    किन्तु धर्मल पेपर गर्मी, रोशनी तथा पानी से ज्यादा प्रभावित होता है। इसलिए टेक्स्ट और इमेज समय के साथ मिट जाता है या धुंधला हो जाता है।

    थर्मल ट्रांस्फर प्रिंटिंग में थर्मल प्रिंट हेड एक ताप संवेदी (heat sensitive) रिबन को ताप देकर गर्म करता जिससे कागज पर वह स्याही पिघलाता है तथा टेक्स्ट एवं आकृति तैयार होती है।

    इसके प्रिन्ट आउट अत्यंत टिकाऊ होते हैं तथा लम्बे समय तक के लिए इन्हें संग्रहित (store) करके रखा जा सकता है।

    कैश रजिस्टर्स, ए.टी.एम. तथा प्वाइंट ऑफ सेल्स टर्मिनल में धर्मल प्रिन्टर का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है।

    इक्कीसवीं सदी के पहले कुछ पुरानी फैक्स मशीनों में भी डायरेक्ट थर्मल प्रिन्टिंग का इस्तेमाल किया जाता था।

    इन पुराने प्रिन्टर की जगह अब लेजर और इंकजेट प्रिन्टर्स ने ले ली है। थर्मल प्रिन्टिंग को तकनीक बार कोड प्रिन्टिंग के लिए अभी भी सबसे अच्छी मानी जाती है

    क्योंकि यह बार की ठीक-ठीक चौड़ाई के साथ सटीक तथा अच्छे क्वालिटी को इमेज बनाता है।

    कुछ पोर्टेबल प्रिन्टर तथा ज्यादातर लेवल प्रिन्टर अभी भी थर्मल प्रिन्टिंग विधि का इस्तेमाल करते हैं।

    थर्मल प्रिन्टर थर्मल इंकजेट प्रिन्टर की तरह नहीं होता है। थर्मल इंकजेट प्रिंटर में इंकजेट प्रिंट प्रौद्योगिकी (technology) का प्रयोग होता है।

    यह लिक्विड़ स्याही को गर्म कर वाप्पीय बुलबुला बनाता है जिससे नोजल से कागज पर स्याही की बूंदों का छिड़काव होता है।

  • Laser Printer Kya Hai?

    लेजर प्रिंटर नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर है। लेजर प्रिंटर का उपयोग कम्प्यूटर सिस्टम में 1970 के दशक से हो रहा है। पहले से मेतक्रम कम्प्यूटर में प्रयोग किये जाते थे।

    1980 के दशक में लेजर प्रिंटर का मूल्य लगभग 3000 डॉलर था और यह माइक्राकम्प्यूटर के लिये उपलब्ध था।

    ये प्रिंटर आजकल अधिक लोकप्रिय हैं क्योंकि ये अपेक्षाकृत अधिक तेज़ और उच्च क्वालिटी में टेक्स्ट और ग्राफिक्स छापने में सक्षम हैं।

    लेजर प्रिंटर पृष्ठ पर आकृति (Images) को जिरोग्राफी (Xerography) तकनीक से छापता है। जिरीग्राफी (Xerography) तकनीक का विकास जिरॉक्स (Xerox) मशीन (फोटोकॉपिअर मशीन) के लिये हुआ था।

    जिरोग्राफी एक फोटोग्राफी जैसी तकनीक है, जिसमें फिल्म एक आवेशित पदार्थ का लेपन युक्त इम (Drum) होता है। यह इम फोटो संवेदित (photo- sensitive) होता है।

    इसके द्वारा कागज पर आउटपुट को छापा जाता है। कम्प्यूटर से प्राप्त आउटपुट, लेजर स्रोत (laser source) से लेजर किरण (laser Ray) के रूप में उत्सर्जित होता है।

    यह लेजर किरण लेन्सों द्वारा एक घूमते हुए बहुभुजाकार (Polygon shaped) दर्पण पर फोकस की जाती है, जहाँ से परावर्तित होकर आउटपुट की यह लेजर-किरण लेन्सों द्वारा पुनः एक अन्य दर्पण पर फोकस होती हुई परावर्तित होकर फोटो संवेदित ड्रम पर गिरती है।

    घूमने वाला बहुभुजाकार दर्पण आउटपुट की लेजर किरण को सम्पूर्ण फोटो संवेदित ड्रम पर छपने वाली लाइनों के रूप में डालता है।

    जब यह ड्रम घूमता है तो आवेशित स्थानों पर टोनर (Toner- एक विशेष स्याही का पाउडर) चिपका लेता है। इसके बाद यह टोनर कागज पर स्थानान्तरित हो जाता है

    जिससे आउटपुट कागज पर छप जाता है। यह आउटपुट अस्थाई होता है, टोनर को स्थाई रूप से कागज पर सील (Seal) करने के लिए इस गरम रोलर से गुजारा जाता है।

    अधिकतर लेजर प्रिंटर्स में एक अतिरिक्त माइक्रोप्रोससर (Microprocessor), रैम (RAM) और रोम (ROM) होते हैं। रोम (ROM) में फॉन्ट (Font) और पृष्ठ को व्यवस्थित करने के प्रोग्राम संग्रहीत (stored) रहते हैं।

    लेजर प्रिंटर सर्वश्रेष्ठ आउटपुट छापता है। प्रायः यह 300 Dpi से लेकर 600 Dpi तक या उससे भी अधिक रिजोलुशन की छपाई करता है।

    रंगीन लेजर प्रिंटर उच्च क्वालिटी का रंगीन आउटपुट देता है। इसमें विशेष टोनर होता है, जिसमें विविध रंगों के कण उपलब्ध रहते हैं। लेजर प्रिंटर महँगे होते हैं|

    लेकिन इनकी छापने की गति उच्च होती है। प्लास्टिक की शोट या अन्य किसी शीट पर भी ये प्रिंटर आउटपुट को छाप सकते हैं।

    इनका उपयोग छपाई की ऑफसेट मशीन की मास्टर (Master) कॉपी छापने में होता है जिनसे आउटपुट की प्रतिलिपियाँ अधिक संख्या में छापी जाती हैं।

    लेजर प्रिन्टर की विशेषताएँ (Advantages of a laser printer)

    1) उच्च रिजोलुशन (सामान्यतः 600 से 1200 डॉट्स प्रति इंच तक)।

    2) उच्च प्रिंटिंग गति।

    3) दाग धब्वा रहित छपाई।

    4) प्रति पृष्ठ छपाई की इंकजेट प्रिन्टर के अपेक्षाकृत कम कीमत |

    5) प्रिन्ट आउट जल संवदनी (water sensitive) नहीं

    6) बड़ी मात्रा में छपाई के लिए उपयुक्त।

    लेजर प्रिन्टर की कमियां (Disadvantages of a laser printer)

    1) इंकजेट प्रिन्टर से अधिक महंगा

    2) आमतौर पर विभिन्न प्रकार के रंगों में तथा उच्च क्वालिटी आकृतियों जैसे फोटो छापने में कम सक्षम।

    3) टोनर तथा ड्रम का बदलना महँगा ।

    4) इंकजेट प्रिन्टर्स से बड़ा तथा भारी |

    5) वार्म अप टाइम आवश्यक।

  • Inkjet Printer Kya Hai?

    इंकजेट प्रिंटर एक नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर है जिसमें एक नोजल (nozzle) से कागज पर स्याही की बूँदों की बौछार कर टेस्ट तथा आकृति छापी जाती है।

    ये प्रिन्टर परेलू उपयोग के लिए सबसे लोकप्रिय प्रिन्टर होते हैं। इन दिनों, अधिकतर इंकजेट प्रिंटर में धर्मल इंकजेट या पाइड्रोइलेट्रिक (pygoelectric) इंकजेट प्रौद्योगिकी ( technol- ogy) का प्रयोग होता है।

    थर्मल इंकजेट प्रिन्टर गर्म करने वाले सत्य का प्रयोग करता है। यह गर्म करने वाला तत्व (substance) द्रव्य स्याही को गर्म कर वाष्पीय बुलबुला (vapour bubble) बनाता है

    जो नोजल के माध्यम से कागज पर स्याही के बंदों को फेंकता है। अधिकतर इंकजेट निर्माता इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग इंकजेट प्रिन्टर्स में करते हैं।

    पाइजोइलेक्ट्रीक इंकजेट प्रौद्योगिकी का प्रयोग सभी IPSON के प्रिंटर्स तथा औद्योगिकीय इंकजेट प्रिंटर्स होता है।

    इस प्रकार के प्रिन्टर्स में गर्म करने वाले तत्व के बदले में प्रत्येक नाजल में पाइजाइलेक्ट्रीक क्रिस्टल का प्रयोग होता है।

    पाइजोइलेक्ट्रीक क्रिस्टल प्राप्त विद्युत धारा के आधार पर रूप तथा आकार बदलते हैं तथा नोजल से कागज पर स्याही के छोटे छोटे बूंदों को छोड़ते हैं।

    थर्मल इंकजेट प्रिंटस में जलीय (aqueous) स्याही का प्रयोग होता है जो पानी, ग्लायकोल (glycol ) तथा रंगों का मिश्रण होता है। ये स्याही सस्ते होते हैं|

    लेकिन इसका प्रयोग केवल कागज या विशेष रूप से लेपित पदार्थों पर ही किया जा सकता है। पाइजोइलेक्ट्रिक इंकजेट प्रिंटर में कई प्रकार की स्याही जैसे सॉल्वन्ट (solvent) स्याही, डाई सबलिमेशन स्याही इत्यादि का प्रयोग होता है|

    ये विभिन्न आलेपित (uncoated) पदार्थों पर टेक्सट और ग्राफिक्स छाप सकता है। इंकजेट हेड डिजायन दो मुख्य समूहों जैसे फिक्सड हेड तथा डिस्पोजेबल हेड में बंटा होता है।

    फिक्स्ड हेड प्रिन्टर में ही बना होता है तथा प्रिन्टर जब तक चलता है यह चलता है। यह सस्ते डिसपोजेबल हेड की अपेक्षाकृत अधि क स्पष्ट आउटपुट पैदा करता है।

    फिक्सड हेड प्रिन्टरों के स्याही काज सस्ते होते हैं क्योंकि इसका प्रिन्ट हेड बदलना नहीं होता है। किन्तु हेड खराब हो जाने की स्थिति में पूरा प्रिन्टर हो बदलना पड़ता है।

    डिस्पोजेबल हेड में इंक कार्टेज की बदलने की व्यवस्था रहती है। इसे कार्टेज में स्वाही समाप्त होने की स्थिति में बदल दिया जाता है।

    इसके कारण स्याही कार्टेज की लागत बढ़ती है तथा इन कार्टेज में उच्च क्वालिटी के प्रिंट हेड का उपयोग सीमित होता है।

    किन्तु इसमें प्रिंट हेड का नष्ट होना समस्यादायक नहीं होता क्योंकि इसे नये स्याही कार्टेज के साथ बदला जा सकता है।

    कुछ प्रिंटर निर्माता डिस्पोजेबल ‘स्याही तथा डिस्पोजेबल प्रिंट हेड का अलग अलग प्रयोग करते हैं। प्रिंट हेड सस्ते डिस्पोजेबल हेड से अधिक चलते हैं

    तथा बड़ी मात्रा में प्रिंटिंग के लिए उपयुक्त होते हैं। यद्यपि इंकजेट प्रिंटर सामान्यतः घरों या छोटे व्यापारों में प्रयोग होता है|

    कुछ निर्माताओं ने औद्योगिकीय उद्देश्यों के लिए अच्छा परिणाम देने वाले इंकजेट प्रिंटर्स बनाये हैं। इन इंकजेट प्रिंटरों का प्रयोग विज्ञापन ग्राफिक्स व तकनीकी रेखाचित्र छापने में होता है।

    इंकजेट प्रिन्टर की विशेषताएँ (Advantages of an inkjet printer)

    1) कम लागत

    2) उच्च स्तर का परिणाम बिल्कुल स्पष्ट विवरणों के साथ छपाई करने में सक्षम

    3) चमकीले रंगों में छपाई करने में सक्षम

    4) चित्रों की छपाई के लिए उत्तम

    5) उपयोग में आसान।

    6) डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर को अपेक्षाकृत अधिक शात

    7) वॉर्म अप टाइम (गर्म होने में लगने वाला समय) को आवश्यता नहीं।

    इंकजेट प्रिंटर की कमियाँ (Disadvantages of an inkjet printer)

    1) प्रिंट हेड कम टिकाऊ प्रिंट हेड क्लॉगिंग (clogging) तथा इसके नष्ट होने की संभावना अधिक|

    2) स्याही काटेज को बदलना महंगा|

    3) बड़ी संख्या में प्रिन्टिंग के लिए अच्छा नहीं|

    4) लेजर प्रिन्टर की तरह इसको प्रिंटिंग गति तेज नहीं

    5) स्याही का बहाव तथा किनारे पर स्याही लग जाने के कारण कागजों पर भद्दा प्रभाव।

    6) जलीय स्थाही पानी संवदो (water sensitive) होती है जिसके कारण पानी की एक बूँद भी भद्दापन ला सकती है।

    7) इंकजेट प्रिंट आउटस् (print-outs) पर हाइलाइट मार्कर का प्रयोग मुश्किला

    कई उपभोक्ता (consumer) इंकजेट प्रिन्टर इन दिनों 1500 रुपये तक के कम दामों में बिक रहे हैं। हालांकि इंकजेट प्रिंटर की कीमत घटने के बावजूद उसके कार्टेज के दाम बढ़ ही रहे है।

    किन्तु इंकजेट प्रिन्टर के उपभोक्ता दोबारा स्याही भरने का विकल्प मौजूद होता है जो प्रिन्टिंग लागत को लगभग 57 गुणा कम कर देता है।

  • Printar Ke Mukhy Prakaar Samajhaie.

    प्रिन्टर को दो प्रमुख भागों, इफैक्ट प्रिन्टर और नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर में विभाजित किया जा सकता है। इम्पैक्ट प्रिन्टर टेक्स्ट और इमेज तब बनाते हैं

    जब छोटे तारा वाले पिन जो प्रिन्टर से लग हात है, रिबन के साथ भौतिक रूप से सम्पर्क बनात हुए कागज पर दवाब बनाते हैं।

    नॉन इंपैक्ट प्रिन्टर बिना कागज पर दवाब बनाये ग्राफिक्स और टेक्स्ट को कागज पर दर्शात हैं। प्रिन्टर को उनको तकनीक और प्रिंट करने के तरीक के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है।

    इंकजेट प्रिन्टर, लेजर प्रिन्टर, डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर और थर्मल प्रिन्टर कुछ सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रिन्टर हैं। इनमें सिर्फ डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर हो इस्पेक्ट है बाकी सब नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर हैं।

    कुछ प्रिन्टरों जैसे फोटो प्रिन्टर, पोर्टेबल प्रिन्टर मल्टीफंक्शन प्रिन्टर और ऑल-इन-वन के नाम उनके द्वारा किये जाने वाले विशेष कार्यों के आधार पर दिये जाते हैं।

    फोटो प्रिन्टर और पाटेबल प्रिन्टर साधारणतः इंकजेट प्रिन्ट तरीके का इस्तेमाल करते हैं जबकि मल्टीफंक्शन प्रिन्टर इंकजेट या लेजर दोनों तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं।

    इंकजेट और लेजर प्रिन्टर घर और व्यापार में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाते हैं। डॉट मैटिक्स प्रिन्टरों का इस्तेमाल साठ और सत्तर के दशक में ज्यादा किया जाता था

    मगर उसकी जगह घरों में इंकजेट प्रिन्टर का इस्तेमाल किया जाने लगा है। अभी भी डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर का इस्तेमाल अनेक हिस्से वाले फॉर्म (multifacted forms) तथा कार्बन कॉपी के लिए कुछ तरह के व्यापार में किया जाता है।

    थर्मल प्रिन्टर का इस्तेमाल ए. टी. एम. (ATM) केश रजिस्टर्स तथा पायन्ट टू सेल्स टर्मिनल तक सीमित है। कुछ लेजर प्रिन्टर्स तथा पोर्टेबल प्रिन्टर्स में भी थर्मल प्रिन्टिंग का इस्तेमाल होता है।

    डिजिटल कैमरा, लैपटॉप और घरेलू ऑफिस की लोकप्रियता के कारण फोटो, पोर्टेबल और मल्टीफंक्शन प्रिन्टर्स की मांग कुछ वर्षों में अप्रत्याशित ढंग से बढ़ी है।

  • Printers Kya Hai?

    प्रिंटर (Printers )

    डिस्प्ले डिवाइसेज में आउटपुट डिवाइस के रूप में दो कमियाँ हैं

    1) एक बार में केवल सीमित डाटा हो दिखाई देता है।

    2) स्क्रीन पर आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी transfer नहीं की जा सकती तथा इसे कागज पर प्रिन्ट नहीं किया जा सकता है |

    प्रिन्टर उपर्युक्त दोनों कमियों को दूर करता है। यह एक आउटपुट डिवाइस है। इसमें कम्प्यूटर से प्राप्त डिजिटल सिग्नल (0 और 1 बिट) प्राकृतिक भाषा (english, hindi etc.) में परिवर्तित होकर कागज पर हार्ड कॉपी के रूप में छपते ( print) है।

    प्रिन्टर कई प्रकार के होते हैं। लेजर, इंकजेट, डॉट मैट्रिक आदि इसके मुख्य उदाहरण हैं।

    प्रिन्टिंग विधि (Printing Methods )

    प्रिन्टर में प्रिन्ट करने की विधि बहुत महत्त्वपूर्ण कारक है। आमतौर पर हम इम्पैक्ट प्रिंटिंग तथा नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग विधि के बारे में चर्चा करते हैं।

    इस खण्ड में हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि प्रिंटिंग की विभिन्न विधियाँ क्या हैं ? (What are the methods of printing ?) प्रिन्टिंग की दो विधियों इम्पैक्ट और नॉन-इम्पेक्ट हैं।

    इम्पैक्ट प्रिंटिंग ( Impact Printing)

    प्रिंटिंग की यह विधि टाइपराइटर की विधि के समान होती है जिसमें धातु का एक हैमर (hammner) या प्रिंट हैड (print head) कागज व रिबन (Ribbon) पर टकराता है।

    इम्पैक्ट (Impact) प्रिंटिंग में अक्षर या कैरेक्टर्स, ठोस मुद्रा अक्षरों (Solid Fonts) या डॉट मैट्रिक्स (Dot Matrix ) विधि से कागज पर प्रिंट होते हैं।

    1) ठोस मुद्रा अक्षर (Solid Font) विधि – इस विधि में टाइपराइटर की तरह अक्षरों के लिए धातु के ठोस टाइपसेट होते हैं जिन पर अक्षर उभरे रहते हैं।

    2) डॉट मैट्रिक्स (Dot Matrix ) विधि डॉट मैट्रिक्स विधि में पिनों (Pins) की ऊर्ध्वाधर पंक्ति (Vertical Row) का एक प्रिंट हेड होता है।

    इम्पैक्ट डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर प्रायः ठोस मुद्रा अक्षर प्रिंटरों (Solid-Font Printers) की अपेक्षाकृत उच्च गति के होते हैं। 100 से 200 कैरेक्टर प्रति सेकण्ड की गति सामान्य रूप से होती है।

    नॉन- इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non-Impact Printing)

    इस प्रकार की प्रिंटिंग में प्रिंट हेड और कागज के मध्य संम्पर्क नहीं होता है। नॉन इम्पैक्ट प्रिंटिंग की अनेक विधियों जैसे- इलेक्ट्रोथर्मल (Electro-thermal). इंक-जंट (Inkjet ), लेसर (LASER ) और अर्मल- ट्रांसफर (Thermal-transfer) आदि हैं।

    1) इलेक्ट्रोथर्मल प्रिंटिंग (Electrothermal Printing) – इसमें एक विशेष कागज पर कैरेक्टर को गरम रॉड (Heated Rod) वाले प्रिंट हैड (Print Head) से चलाया जाता है। ये प्रिंटर हार्ड (hard) होते हैं और इनके लिए विशेष कागज की आवश्यकता होती है।

    2) थर्मल- ट्रांसफर प्रिंटर (Thermal Transfer Printer)- यह एक नई तकनीक का प्रिंटर है जिसमें कागज पर वैक्स आधारित रिबन (Wax based Ribbon ) से स्याही का तापीय स्थानान्तरण होता है।

  • Video Standard Or Display Modes Kya Hai?

    आप दस पंद्रह साल पहले के मॉनीटर पर नज़र डालेंगे तो आपको आजके मॉनीटर तथा पहले के मॉनीटर में बहुत अंतर दिखेगा।

    इस खण्ड में हम यही जानते हैं कि अब तक के प्रचलित विडियो स्टैण्डर्ड कौन-कौन से हैं?

    (What are the video standards so far?)

    विडियो स्टैण्डर्ड से तात्पर्य मॉनिटर में लगायी जाने वाली तकनीक से है। पर्सनल कम्प्यूटर की वीडियो तकनीक में दिन प्रतिदिन सुधार आता जा रहा है। अब तक परिचित हुए स्टैण्डर्डस में वीडियो स्टैण्डर्ड के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं|

    कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Colour Graphics Adapter)

    कलर ग्राफिक्स अडैप्टर को संक्षेप में सी.जी.ए. (CGA) कहते हैं। इसका निर्माण 1981 में इन्टरनेशनल बिजनेस मशीन (International Business Machine) नामक कम्पनी ने किया था।

    यह डिस्प्ले सिस्टम चार रंगों को प्रदर्शित करने की क्षमता रखता था तथा इसको प्रदर्शन क्षमता (displaying efficiency) 320 पिक्सल क्षैतिज (horizontally) तथा 200 पिक्सल उदग्र (vertically) थी।

    यह डिस्प्ले सिस्टम विण्डोज के साथ ारण खेलों के लिये प्रयोग में आता था। यह सिस्टम डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing ) तथा अन्य ग्राफिक्स इमेज के लिये उपयुक्त नहीं था।

    एन्हन्ड ग्राफिक्स अडेप्टर (Enhanced Graphics Adapter)

    इसका निर्माण भी इन्टरनेशनल बिजनेस मशीन (International Business Machine ) ने सन् 1984 में किया था। यह डिस्प्ले सिस्टम 16 अलग-अलग रंगों को प्रदर्शित करता था।

    इसको प्रदर्शन क्षमता सी.जी.ए. (CGA) की अपेक्षा अधिक बेहतर यानि 640 पिक्सेल क्षतिज तथा 350 पिक्सेल उदग्र थी।

    यह डिस्प्ले सिस्टम टेक्स्ट को CGA की अपेक्षा अधिक आसानी से पढ़ सकता था। इसके बावजूद ई.जी.ए. (EGA) अधिक क्षमता वाली ग्राफिक्स तथा डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing) के लिये उपयुक्त नहीं था।

    विडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video Graphics Array)

    बी. जी. ए. ( VGA ) डिस्प्ले सिस्टम का निर्माण आई. वी. एम. कम्पनी ने सन 1987 में किया था। आजकल बहुत सारे वी.जी.ए. (VGA) मानीटर प्रयोग में लाये जा रहे हैं।

    वी. जी. ए. मॉनीटर का रिजोलूशन इसमें प्रयोग होने वाले रंगों पर निर्भर करता है। आप 16 रंग 640×480 पिक्सेल पर या 256 रंग 320 x 200 पिक्सेल पर चुन (opt) सकते हैं। सारे आई.बी.एम. कम्प्यूटर बी.जी.ए. डिस्प्ले सिस्टम पर कार्य करते हैं।

    एक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array)

    इक्स्टेण्डेड ग्राफ़िक्स ऐरे (Extended Graphics Array) डिस्प्ले सिस्टम का निर्माण इन्टरनेशनल बिजनेस मशीन (International Business Machine ) ने सन् 1990 में किया था।

    यह डिस्प्ले सिस्टम वी, जी. ए. का उत्तरवर्ती (successor ) था जो 4814 / A डिस्प्ले था। इसका अगला संस्करण (next version) XGA-216 लाख रंगों में 800×600 पिक्सेल का रिजोलुशन तथा 65536 मिलियन रंगों में 1024 x 768 पिक्सेल का रिजोलूशन प्रदर्शित करता था।

    सुपर विडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video Graphics Array)

    आजकल सारे कम्प्यूटर SVGA ग्राफिक्स डिस्प्ले सिस्टम के रूप में बिक रहे हैं। वास्तव में एस.वी.जी.ए. का अर्थ वी.जी.ए. से अलग है

    परन्तु यह एक अकेला (Single) स्टैण्डर्ड (Standard) नहीं है। नये युग में वीडियो इलेक्ट्रानिक्स स्टैण्डर्डस एसोसिएशन (Video Electronic Standard Association) द्वारा एक स्टैण्डर्ड प्रोग्रामिंग इन्टरफेस को प्रस्तावित किया गया है,

    जोकि पर्सनल कम्प्यूटरों में एस.वी.जी.ए. डिस्प्ले सिस्टम को लागू (enables) करता है। इसको VESA BIOS Extension कहते हैं।

    एस.वी.जी.ए. डिस्प्ले सिस्टम 16,000,000 तक के रंगों का प्रदर्शन करता है। छोटे आकार के एस. वी.जी.ए. मॉनीटर 800 पिक्सल क्षैतिज तथा 600 पिक्सल उदग्र प्रदर्शित करते हैं

    तथा बड़े आकार के एस. वी. जी. ए. मॉनीटर 1280 x 1024 या 1600 × 1200 पिक्सेल रिजोलुशन प्रदर्शित करते हैं।

  • Monitor Ki Mukhya Visheshtaen Samjhaie

    मॉनीटर की मुख्य विशेषताएँ (characterstics) निम्नलिखित हैं

    रिजोलूशन (Resolution)

    डिस्प्ले डिवाइस (मॉनीटर) का महत्त्वपूर्ण गुण रेजोलुशन (Resolution) या स्क्रीन के चित्र की स्पष्टता (Sharpness) होता है।

    अधिकतर डिस्प्ले ( Display) डिवासेज में चित्र (Image) स्क्रीन के छोटे-छोटे डॉट (Dots) के चमकने से बनते हैं।

    स्क्रीन के ये छोटे-छोटे डॉट (Dots) पिक्सेल (Pixels) कहलाते हैं। यहाँ पिक्सल (Pixel) शब्द पिक्चर एलिमेन्ट (Picture Element) का सक्षिप्त रूप है।

    स्क्रीन पर इकाई क्षेत्रफल ( unit area) में पिक्सेल्स की संख्या रिजोलुशन (Resolution) को व्यक्त करती है|

    स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सेल होंगे, स्क्रीन का रिजोलूशन (Resolution) भी उतना ही अधिक होगा

    अर्थात् चित्र उतना ही स्पष्ट होगा। एक डिस्प्ले रिजोलूशन माना 640×480 है तो इसका अर्थ है कि स्क्रीन 640 डॉट के कॉलम (Column) और 480 डॉट की पंक्तियों (Rows) से बनी है 640×480307200 Pixels टैक्स्ट के अक्षर या कैरेक्टर (Character) स्क्रीन पर डॉट मैट्रिक्स (Dot Matrix ) विन्यास से बने होते हैं।

    सामान्यतया मैट्रिक्स का आकार 5 x 7 = 35 पिक्सेल या 7 x 12= 84 पिक्सेल के रूप में एक टेक्स्ट कैरेक्टर डिस्ले करने के लिए होता है।

    इस प्रकार एक स्क्रीन पर 65 कैरेक्टर की 25 पंक्तियाँ डिस्प्ले की जा सकती हैं। स्क्रीन पर हम इससे अधिक रिजोलूशन (Resolution) प्राप्त कर सकते हैं।

    रिफ्रेश रेट (Refresh Rate)

    कम्प्यूटर मॉनीटर लगातार कार्य करता रहता है, लेकिन परिवर्तन (changes) इतनी तेजी से होते हैं कि हमारी आँख इन्हें अनुभव नहीं करती हैं।

    कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज बायें से दायें तथा ऊपर से नीचे बदलती रहती है जो इलेक्ट्रॉन गन के द्वारा व्यवस्थित होता रहता है|

    परन्तु इसका अनुभव हम तभी कर पाते हैं जब स्क्रीन क्लिक करती है। प्रायः स्क्रीन के रिफ्रेश होने का अनुभव हम तब कर पाते हैं

    जब रिफ्रेश रेट कम होता है। मानीटर के रिफ्रेश रेट (refresh rate) को हर्ट्ज में नापा जाता है।

    डॉट पिच (Dot Pitch)

    डॉट पिच एक प्रकार की मापन तकनीक (measuring technique) है जो यह दर्शाती है कि दो पिक्सल (Pixel) के मध्य उर्ध्वाधर अन्तर (vertical differences) कितना है।

    डॉट पिच का मापन मिलीमीटर में किया जाता है। यह एक ऐसा गुण या विशेषता है जो डिस्प्ले मॉनीटर की गुणवत्ता को स्पष्ट करता है।

    एक कलर मॉनीटर जो पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयोग होता है, उसकी डॉट पिच (Dot Pitch) की रेंज (Range) 0.15 मिलिमिटर से 0.30 मिलिमिटर तक होती है। डॉट पिच (dot pitch) को फॉस्फर पिच ( Phosphor Pitch) भी कहते हैं।

    इन्टरलेसिंग या नॉन- इन्टरलेसिंग (Interlacing or Non-Interlacing)

    इन्टरलेसिंग (interlacing) एक ऐसी डिस्प्ले तकनीक है जो कि एक मानीटर को इस योग्य बनाती है कि वह डिस्प्ले होने वाले रिजोलूशन (resolution) की गुणवत्ता में और वृद्धि कर सके।

    इन्टरलेसिंग मॉनीटर में इलेक्ट्रॉन गर्ने (electron guns) केवल आधी (half) लाइन खींचती थी क्योंकि इन्टरलसिंग मॉनीटर एक समय में केवल आधी लाइन को ही रिफ्रेश करता है।

    यह मॉनीटर प्रत्येक रिफ्रेश साइकिल ( refresh cycle) में दो से अधिक लाइन्स को प्रदर्शित कर सकता है|

    दूसरी तरफ नॉन-इन्टरलेसिंग मॉनिटर वहीं रिजोलुशन प्रदान करता है जो कि इन्टरलसिंग प्रदान करता है लेकिन यह कम खर्चीला होता है।

    इन्टरलसिंग मॉनिटर की केवल यह कमी होती है कि इसका प्रतिक्रिया समय (response time) धीमा होता है।

    वे प्रोग्राम्स जो तेज रिफ्रेश दर की मांग करते हैं जैसे एनिमेशन तथा वीडियो कम फिलकरिंग (hickering) करते हैं।

    इन दोनों प्रकार के मॉनीटरों में देखा जाये तो दोनों ही एक समान रिजोलुशन प्रदान करते हैं परन्तु नान इन्टरलेसिंग मॉनीटर ज्यादा अच्छा होता है।

    बिट मैपिंग (Bit Mapping)

    प्रारम्भ में डिस्प्ले डिवाइसेज केवल कॅरेक्टर एड्सबल (character addressabley होती थी जो केवल टेक्स्ट (text) को हो डिस्प्ले करती थीं।

    स्क्रीन पर भेजा जाने वाला प्रत्येक करेक्टर समान आकार और एक निश्चित संख्या के पिक्सल्स (pixels) के ब्लॉक (समूह) का होता था।

    ग्राफिकल (Graphical) डिस्प्ले डिवाइस को माँग बढ़ने पर मॉनीटर निर्माताओं ने बहुउपयोगी (multipurpose) डिस्प्ले डिवाइसेज विकसित का जिनमें टेक्स्ट और ग्राफिक्स, दोनों डिस्प्ले हो सके।

    ग्राफिकल (graphical) आउटपुट डिस्प्ले करने के लिये जो तकनीक काम में लायी गयी वह बिट मैपिंग (hit mapping) कहलाती है।

    इस तकनीक में बिट मैप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सल ऑपरेटर द्वारा स्क्रीन पर नियन्त्रित होता है। इससे ऑपरेटर कोई भी ग्राफिकल इमेज (आकृति) स्क्रीन पर बना सकता है।