Generation of Computer in Hindi | कम्प्यटर की पीढ़ियां

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कम्प्यटर की पीढ़ियां- सन् 1942 से कम्प्यूटर युग की शुरूआत हुई के प्रारम्भिक काल में इस मशीन का प्रयोग केवल बड़ी-बड़ी सरकारी संस्थायें ही था, लेकिन इसके विकास के साथ-साथ यह मशीन सामान्य जन के सिर गई। इसे सरलता से समझने के लिये हम निम्न भागों में बाँट सकते हैं।

Generation of computer

आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस Blog पर और आज हम पढ़ने वाले हैं Generation of compute के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं.

Generation of computer in Hindi | कम्प्यटर की पीढ़ियां

(1) कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी (1942-55)-

इस युग का प्रारम्भ जून, 19 माना जाता है, जब एक सरकारी अमेरिकन संस्था द्वारा UNIVAC-I नामक कम गया। यह मशीन ENIAC नामक Computer से आधुनिक तथा शक्तिशाली थी। इस पर प्रयोग पेयबल प्रोसेसिंग में किया जाता था। यह इस प्रकार से दिखाई पड़ती थी

इस मशीन के प्रयोग का प्रारम्भ सन् 1951 में हुआ था, लेकिन इसमें निराला विकास किया जाता रहा, तथा सन् 1959 में यह कम्प्यूटर काफी विकसित हो चुका था

और इसमें निर्वात वाल्वों का प्रयोग काफी मात्रा में किया जाने लगा था। ___ इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में मैग्नेटिक ड्रम-युक्त Internal Memory को प्रयोग किया जाने लगा था। इसके द्वारा कम्प्यूटर पंच कार्ड से Data व Programs को Read करके ड्रम में Store कर लेते थे। इन सबके अतिरिक्त इस पीढी के कम्प्यूटरों Machine लैंग्वेज का प्रयोग भी किया जाने लग था। यह मशीन लैंग्वेज निम्न प्रकार की होती थी

0101100011000001001001 इस प्रकार इस पीढ़ी से programming का प्रारम्भ हो गया था। 1952 में पेनसिलविया विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. ग्रेस हॉपर द्वारा असेम्बली लैंग्वेज का आविष्कार किया गया और इस लैंग्वेज का प्रयोग प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों में सफलतापूर्वक किया गया।

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(2) द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1956-1964)-

इस पीढी के Computer तकनीकी रूप से प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों से एकदम भिन्न थे, क्योंकि इनमें वैक्यूम ट्यूब्स के स्थान पर ट्रांजिस्टर्स का प्रयोग किया गया था, जिसका परिणाम यह हुआ कि कम्प्यूटरों का आकार एकदम छोटा हो गया तथा यह अति अल्प मात्रा में विद्युत का प्रयोग करने लगे। ABC, ENIAC, EDSAC, EDVAC, UNIVAC I इत्यादि कम्प्यूटर इसी पीढ़ी के अन्तर्गत आते हैं.

(3) तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1965-1975)-

तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों में IBM न अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा इंटीग्रेटेड सर्किट से युक्त कम्प्यूटरों की एक नई श्रृंखला को कम्प्यूटर बाजार में प्रस्तुत किया, जो अति शीघ्र ही लोकप्रिय हो गई तथा इसका प्रयोग कार्यालयों में किया जाने लगा। मेनफ्रेम और मिनी कम्प्यूटर इसी पीढ़ी में आते हैं। इस श्रृंखला के प्रमुख कम्प्यूटर थे-360/Model 195, सिस्टम/360 तथा 360/Model 10.

यह समस्त कम्प्यूटर IC पर आधारित होने के कारण द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों से आकार में अत्यन्त छोटे थे तथा इनका रखरखाव अत्यन्त आसान था क्योंकि इसमें प्रयुक्त होने वाली समस्त IC एक PCB पर लगी होती थीं। इसके अतिरिक्त इस पीढ़ी से Computer फैमिली का विचार प्रचलन में आया।

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(4) चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर (1976-1989)-

सन् 1976 से चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटरों का युग प्रारम्भ होता है। इस पीढ़ी में Computer उद्योग ने प्रवेश किया। माइक्रोप्रोसेसर के युग में इस युग में कम्प्यूटर का आकार एक मेज पर आकर स्थिर हो गया।

Microprocessor का विकास- वास्तविक रूप में माइक्रो कम्प्यूटर्स की कहानी का जन्म सन् 1969 में हुआ। इस सन् में एक जापानी कम्पनी इंटेल कॉरपोरेशन से एक समझौता हुआ। इस समय तक Intel अमेरिका के कैलीफोर्निया राज्य में स्थित एक अत्यन्त छोटी कम्पनी थी, तथा calculator बनाने का कार्य करती थी। इस समझौते पर हस्ताक्षर करके उसे क्रियान्वित करने वाले व्यक्ति थे- मैरी ई. टेड हॉफ। इस व्यक्ति को अब हम इंजीनियरों के engineer के नाम से जानते हैं।

टेड हॉफ ने एक जनरल परपज लॉजिक चिप का विकास किया, जिसे इंटेल 4004 के नाम से कम्प्यूटर बाजार में प्रस्तुत किया गया। इसे ही प्रथम Microprocessor के नाम से जाना गया। इसके विकास के पश्चात् Intel Corporation विश्व में माइक्रोप्रोसेसर के सबसे बड़े निर्माता के रूप में उभर कर आया। आज भी इंटेल इस क्षेत्र में सर्वप्रथम है। इसके पश्चात् सन् 1970 में एक अन्य अमेरिकन कम्पनी MITS द्वारा Altair 8800 के नाम से माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित कम्प्यूटर को कम्प्यूटर बाजार में प्रस्तुत किया गया, वास्तव में यह ही विश्व का प्रथम माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित कम्प्यूटर था।

Bill Gates का पदार्पण- Micro Computer को अधिक से अधिक प्रचलित करने के लिये MITS ने बिल गेट्स नामक एक Software engineer को BASIC नाम की एक हाईलेवल लैंग्वेज का निर्माण कार्य सौंपा। बिल गेट्स ने इसको अपने अंजाम तक पहुँचाया, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक कार्य के लिये Application Software का निर्माण सम्भव व सहज हो सका। कुछ समय पश्चात् बिल गेट्स ने MITS से अलग होकर Software बनाने की एक नई कम्पनी की आधारशिला रखी, यह कम्पनी Microsoft Corporation थी। आज सारे विश्व के 90 प्रतिशत कम्प्यूटरों में इसी कम्पनी द्वारा बनाये गये Software कार्य करते हैं।

Apple Mac का उदय- सन् 1977 में Steve Job और स्टीव जोनेक नामक दो युवा इंजीनियरों ने Apple Computer के नाम से एक माइक्रोप्रोसेसर युक्त कम्प्यूटर की Kit को कम्प्यूटर के बाजार में प्रस्तुत किया। इस किट के बनाने के पश्चात् कुछ ही वर्षों में Apple विश्व में कम्प्यूटर बनाने में अग्रणी हो गई।

वर्कशीट का जन्म- इस कम्पनी ने अपने उत्पाद को मशहूर तथा प्रचलित करने के लिये दो युवा Software इंजीनियरों ब्रिकलिन और फ्रैंकस्टन की मदद से Visi Calc नामक एक कैलकुलेशन सॉफ्टवेयर को Software बाजार में प्रस्तुत किया, वास्तव में यह प्रथम स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर था। इस सॉफ्टवेयर के कारण एपल Micro Computer के प्रयोग में बढोत्तरी हुई और Apple Computers का आधार अत्यन्त मजबूत हो गया।

PC का आगमन-सन् 1981 में IBM ने भी Micro Computer के बाजार में कदम रखा. जिसे उसने IBM (PC) के नाम से प्रस्तुत किया। IBM द्वारा प्रस्तुत किये गये उत्पाद ने कम्प्यूटर बाजार में क्रांति उत्पन्न कर दी और इसके कारण Apple माइक्रो कम्य की बिक्री अत्यन्त कम हो गई। इस उत्पाद को और अधिक प्रचलित करने के लिये लोट्स Development Corporation द्वारा लोट्स 1-2-3 नामक एक स्प्रेडशीट Software को Software बाजार में प्रस्तत किया गया, इस सॉफ्टवेयर के आते ही IBM-PC का प्रयोग एवं बिक्री अत्याधिक बढ़ गई। यह सॉफ्टवेयर पूर्व प्रचलित Visi Calc नामक सॉफ्टवेयर से अधिक शक्तिशाली था। कुछ समय पश्चात् लोट्स और IBM ने मिलकर एक व्यापारिक समझौते के अंतर्गत अपने-अपने उत्पादों की कीमत अत्यन्त कम कर दी. जिससे इस कम्प्यूटर तक सामान्यजन की पहुँच सम्भव हो सकी।

चौथी पीढ़ी की मुख्य विशेषतायें- चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर माइक्रो-प्रोसेसर युक्त अत्यन्त शक्तिशाली कम्प्यूटरों के रूप में Computer बाजार में आये, यह सेमी कंडक्टर, आंतरिक मेमारा तथा VLSI तकनीक से युक्त थे।

(i) सूक्ष्मीकरण– इस पीढ़ी के कम्यूटरों का उत्पादन करते समय इस बात पर अधिक से अधिक बल दिया गया कि इनका साईज अत्यन्त छोटा हो तथा यह अधिक शक्तिशाली हो। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु इन कम्प्यूटरों में VLSI तकनीक का प्रयोग किया गया। कुछ समय पश्चात् इनका साईज और कम करने के लिये VLSI का प्रयोग किया गया, जिसके परिणामस्वरूप यह कम्प्यूटर साईज में अत्यन्त छोटे तथा कार्य में अत्यन्त शक्तिशाली हो गये।

(1) सेमीकंडक्टर इंटरनल मेमोरी– इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में MOS मेमोरी का प्रयोग किया गया। यह मेमोरी पूर्व प्रचलित मेमोरी से अधिक शक्तिशाली तथा तीव्र गति से कार्य करती थी और इसका आकार अत्यन्त छोटा हो गया। इस मेमोरी को हम अपनी आवश्यकता के अनुसार कम्प्यूटर में प्रयोग किये जा रहे मेमोरी बोर्ड में कम या अधिक भी कर सकते हैं।

(ii) ताकतवर सॉफ्टवेयर– इस पीढ़ी में Computer Hardware के साथ-साथ Computer Software के विकास में भी आश्चर्यजनक रूप में विकास हुआ, तथा सॉफ्टवेयर मार्केट में अनेक लैंग्वेज पदार्पण हुआ जिनमें BASIC, FORTRAN, COBOL, RPG, C, PASCAL इत्यादि प्रमुख हैं.

इसके अलावा इनसे पीढ़ी में ही पैकेज सॉफ्टवेयरों का प्रचलन प्रारम्भ हुआ, जिससे Computer का प्रयोग अति सामान्य हो गया। इसके अतिरिक्त इसी पीढ़ी में DSS का भी विकास हुआ, जिसके फलस्वरूप कार्यालयों में कम्प्यूटर के प्रयोग का प्रचलन अत्याधिक बढ़ गया।

(5) पाँचवी पीढ़ी के कम्पयूटर (1989-1994)-

वर्तमान समय में हमें पाँचवी पीढ़ी के कम्प्यूटरों के साथ कार्य कर रहे हैं। इसलिये हम यह बात अत्यन्त स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं, कि इस पीढ़ी के कम्प्यूटर अपने पूर्वज से कितने अधिक शक्तिशाली तथा आधुनिक हैं.

इस पीढ़ी में IBM द्वारा 80286-386-486-586 इत्यादि Personal Computers की श्रृंखला ने सारे विश्व के Computer Market पर अपना अधिकार कर लिया है। इसी पीढ़ी के अंदर Super Computer कम्प्यूटर का विकास सम्भव हो सका है। इसी पीढ़ी के अंतर्गत कम्प्यूटरों में एक नई तकनीक का विकास हुआ जिसे हम रोबोटिक्स के नाम से जानते हैं। इसके अलावा सॉफ्टवेयरों में अनेक मूलभूत परिवर्तन हुये तथा कृत्रिम ज्ञान क्षमता वाले सॉफ्टवेयरों का विकास हुआ। नये-नये operating system विकसित किये तथा Application Software में भी अत्यधिक अर्थपूर्ण सॉफ्टवेयर मार्केट में आ गये, जिनमें विंडोज 95 अग्रणी है।

इस पीढ़ी के कम्प्यूटर चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर से साईज में एक चौथाई रह गये, इनका प्रयोग हम अपनी गोद में अथवा हाथ पर रखकर कर सकते हैं। इन कम्प्यूटरों में हम अपनी आवश्यकता के अनुसार Memory (RAM) को कितना भी अधिक घटा या बढ़ा सकते हैं तथा IDE और स्कैजी हार्डडिस्क का विकास भी इसी पीढ़ी के अंतर्गत हुआ जिससे DATA Store स्टोर करने की समस्या हल हो सकी। इस प्रकार हम यह बात सरलतापूर्वक समझ सकते हैं कि इस पीढ़ी के Computer कितने आधुनिक हैं। अब केवल एक बात की ही कमी है कि कम्प्यूटरों को मनुष्य की भाँति इस प्रकार बनाये जाये कि वह भी अधिक से अधिक शक्तिशाली कम्प्यूटरों का निर्माण कर सकें।

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(6) छठी पीढ़ी के कम्प्यूटर (1995-1999)-

Pentium प्रो, Pentium– II, Pentium प्रोसेसर वास्तव में छठी पीढ़ी के प्रोसेसर हैं। जिन कम्प्यूटरों में इनका प्रयोग किया जाता है वे कम्प्यूटरों की छठवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

(7) सातवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर (2000-2004)-

आज हम जिस Pentium-4 प्रोसेसर को प्रयोग करते हैं वह वास्तव में सातवीं पीढ़ी का माइक्रोप्रोसेसर है। जिन कम्प्यूटरों में इसे प्रयोग में किया जाता है वह सभी सातवीं पीढ़ी के अन्तर्गत आते हैं.

(8) आठवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर (2005-2006)-

आज हम जिस Intel कोर ड्यू प्रोसेसर को प्रयोग करते हैं वह वास्तव में आठवीं पीढ़ी का माइक्रोप्रोसेसर है। जिन कम्प्यूटर में इसे प्रयोग किया जाता है वह सभी आठवीं पीढ़ी के अन्तर्गत आते हैं.


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