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  • Modern AI Methodologies kya hai?

    आधुनिक AI कार्यप्रणालियाँ (Modern AI Methodologies)

    कंस्ट्रक्शनिस्ट डिजाइन मेथडॉलोजी (CDM या कंस्ट्रक्शनिस्ट AD) का उद्भव 2004 में हुआ जिसका प्रयोग कॉग्निटिव रोबोटिक्स के विकास कम्यूनिकेटिव ह्यूमनाइड व विस्तृत Al सिस्टम में किया गया।

    इन सिस्टमों के उत्पादन में ऐसे कई कार्य होते हैं जिनको सावधानीपूर्वक संबंधित करना चाहिए ताकि सिस्टम का व्यवहार अच्छा हो सके। CDM इंटरेटिव डिजाइन स्टैप पर आधारित है

    जो ‘इंटरेक्टिंग मॉड्यूल’ नामक नेटवर्क बनाती है जिसका प्रयोग टाइप स्ट्रोमों में मैसेज भेजने के लिए होता है। CDM का प्रयोग Open Air (ओपन एयर) मैसेज भी प्रदान करता है जो बुद्धिमान सिस्टम के विकास में सहायक है।

    CDM का सबसे पहले प्रयोग ‘माइरेज’ (Mirage) ने किया जो कि व्यक्ति के कमरे को देख सकता था व वहाँ बैठे व्यक्तियों

    से बात कर सकता था। माइरेज को क्रिसटीन आर. पॅरिस्सन ने बनाया जो CDM के उत्पादक व 2004 में कोलंबिया

    विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। इस कार्यप्रणाली का विकास रेकजाविक विश्वविद्यालय में हो रहा है।

    AI भाषा व उपकरण (AI language and tools)

    AI ने प्रोग्रामिंग भाषाओं में कई बदलाव ला दिए हैं। इनमें पहला नाम ‘ऐलेन न्यूवेल एटे अल’ की भाषा का है, लिस्प डायलेक्ट प्लानर, ऐक्टर, वैज्ञानिक समाज का मेटाफोर, उत्पादक सिस्टम तथा नियमों पर आधारित भाषाएँ अन्य हैं।

    प्रोग्रामिंग भाषाओं, जैसे प्रोलांग व लिस्य पर GOFAL TEST खोज होती है। मैटलैब तथा लश में बेजिशन सिस्टम के लिए कई विशेष लाइब्रेरी होती हैं।

    AI खोज अधिक विकास व प्रोटोटाइपिंग पर जोर देती है तथा इसका प्रयोग कमांड-लाइन टेस्टिंग और प्रयोगों में होता है। वास्तविक समय सिस्टमों को विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है।

    कई ऐक्सपर्ट सिस्टम संगठित ‘if-then’ स्टेटमेंट के एकत्रीकरण होते हैं, जिन्हें उत्पादन कहते हैं। इसमें स्टोकास्टिक तत्व हो

    सकते हैं जो अत्यंत भिन्नता का उत्पादन कर सकते हैं तथा अस्थायी वातावरण में होने वाली भिन्नता का उत्तर देते हैं।

    सॉफ्टवेयर तत्व आपस में तालमेल रखने के लिए Open AIR का प्रयोग करके बड़ी मात्रा में बुद्धिमान सिस्टम के व्यवहार का उत्पाद करते हैं।

    एक साधारण उदाहरण के रूप में स्पीच पहचानने का सिस्टम है तथा स्पीच सिंथेसाइजर OPENAIR मैसेज का प्रयोग ऐक्सपर्ट सिस्टम से बातचीत करने के लिए करता है, जिससे सिस्टम सुन सकता है तथा हमारे प्रश्नों का उत्तर दे सकता है।

    CORBA पुरानी है परन्तु इसी संरचना की है, जिसका प्रयोग तुलना करने के लिए होता है। परन्तु OPENAIR का उत्पादन विशेषकर AI खोज के लिए ही हुआ था जबकि COBRA एक साधारण भाषा थी। साइक्लोन एक सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म या A1 ऑपरेटिंग सिस्टम (AIOS) है जो बड़े मॉडल AI सिस्टम्स में प्रयोग के लिए कम्यूनिकेटिव मशीन लेबोरेटरीज द्वारा बनाया गया है।

    यह एक ब्लैकबोर्ड सिस्टम को इम्प्लीमेन्ट करता है जो Open AIR मैसेज प्रोटोकाल को सपोर्ट करता है। साइक्लोन अव्यापारिक मामलों के लिए मुफ्त में उपलब्ध है तथा खोज संस्थानों द्वारा कम खर्च में प्रयोग किया जाता है।

    OOA एक हाइब्रिड संरचना है जो एक विशेष इंटर-ऐजेंट कम्यूनिकेशन भाषा पर निर्भर करती है- एक लॉजिक पर आधारित डिक्लेरेटिव भाषा जो हाई-लेबल, विषम कार्यों व प्राकृतिक भाषा के ऐक्सप्रेशन्स के लिए अच्छी है।

    मैसेजिंग ओपन सर्विस इंटरफेस परिभाषा (MOSID) मैसेज भेजने व पाने का माध्यम है। ये वे प्रोग्रामिंग इंटरफेस हैं जिसमें सर्विस ओरिएन्टेड संरचना होती है जो सॉफ्टवेयर को दोबारा बनाने व डिजाइन करने के लिए प्रयोग में आती हैं।

  • Brain Imaging kya hai?

    ब्रेन इमेजिंग (Brain Imaging)

    ब्रेन इमेजिंग में कॉग्निटिव कार्य करते समय विश्लेषण प्रक्रिया शामिल है। इससे व्यवहार व मस्तिष्क को यह समझने के लिए जोड़ते हैं कि जानकारी किस प्रकार प्रोसेस की गई है।

    भिन्न प्रकार की इमेजिंग तकनीकें टेम्पोरल (समय-आधारित) व सैप्टियल (स्थान-आधारित) होती हैं। इसका प्रयोग कॉग्निटिव न्यूरो-विज्ञान में किया जाता है।

    सिंगल फोटॉन ऐमिशन कंप्यूटिड टोमोग्राफी (SPECT) तथा पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET) SPECT व PET रेडियो एक्टिव आइसोटोप का प्रयोग करते हैं

    जो मस्तिष्क में खून की कोशिकाओं द्वारा डाला जाता है। मस्तिष्क का वह स्थान जहाँ पर रेडियो एक्टिव कण पाए जाते हैं, अधिक क्रियाशील हो जाता है। PET का स्पैटिकल रिसोल्यूशन TMRI से अच्छा है परन्तु इसका टैम्पोरल रिसोल्यूशन बहुत कमजोर है।

    इलेक्ट्रो ऐन्सेफलोग्राफी (EEG)- यह इलेक्ट्रिकल क्षेत्रों को मापती है जो न्यूरॉन ने उत्पादित किए हैं। यह इलेक्ट्रोड को विषय-वस्तु के ऊपर रखती है।

    इसका टैम्पोरल रिसोल्यूशन अत्यंत शक्तिशाली है परन्तु सैप्टियल रिसोल्यूशन कमजोर है।

    फंक्शनल मैगनैटिक रेजोनेन्स इमेंजिग (IMRI)– यह मस्तिष्क में जाने वाले खून की विभिन्न मात्राओं को मापता है। अधिक मात्रा में खून मस्तिष्क के उस क्षेत्र में न्यूरल कार्य को बढ़ाता है। इससे विभिन्न मस्तिष्क क्षेत्रों में फंक्शनों का प्रयोग आसानी से किया जाता है। MRI में सैप्टियल व टैम्पोरल रिसोल्यूशन ठीक होता है।

    ऑप्टिकल इमेजिंग- इस तकनीक में ट्रांसमीटर व रिसीवरों का प्रयोग खून द्वारा मस्तिष्क के आस-पास के विभिन्न क्षेत्रों में प्रकाश प्रतिबिंब की मात्रा को मापता है।

    क्योंकि ऑक्सीजनेटिड तथा डीऑक्सीजनेटिड खून विभिन्न मात्राओं में प्रकाश रीफलेक्ट करता है इसलिए हम जान सकते हैं कि कौन-से क्षेत्र अधिक क्रियात्मक हैं।

    (अर्थात् वे जिनमें अधिक ऑक्सीजनेटिड खून है) ऑप्टिकल इमेजिंग का टैम्पोरल रिसोल्यूशन ठीक व सैप्टियल रिसोल्यूशन कम होता है। इसका लाभ यह है कि यह अत्यंत सेफ है तथा बच्चों पर भी इसका प्रयोग हो सकता है।

    मैग्नेटो ऐन्सेफलोग्राफी (MEG)- यह कॉरटिकल एक्टिविटी उत्पन्न मैग्नेटिक क्षेत्रों को मापती है। यह EEG में मिलती-जुलती है, बजाय इसके कि इसमें सैप्टियल रिसोल्यूशन अच्छा होता है

    क्योंकि इसमें EEG की तरह मैग्नेटिक क्षेत्र अस्पष्ट नहीं होते। MEG छोटे-छोटे मैग्नेटिक क्षेत्रों को ढूँढ़ने के लिए SQUID सेंसरों का प्रयोग करती है।

  • Computational Modeling kya hai?

    कंप्यूटेशनल मॉडलिंग (Computational Modeling)

    कंप्यूटेशनल मॉडलिंग में समस्याओं को गणित व लॉजिक के रूप में पेश किया जाता है। इनका प्रयोग सिमुलेशन में व बुद्धिमत्ता की विशेष व साधारण विशेषताओं के लिए किया जाता है।

    इनका प्रयोग एक खास कॉग्निटिव सोच को समझने के लिए सहायक है।

    • सांकेतिक मॉडलिंग- ये एक्सपर्ट सिस्टम्स व सामान्य नॉलेज बेस्ड सिस्टम्स की तकनीकों पर आधारित सिस्टम हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः इन्फॉरमेशन इंजीनियरिंग व साधारण सिस्टमिक्स में होता है।

    सब सिंबॉलिक मॉडलिंग- इसमें कनेक्शनिस्ट व न्यूरल नेटवर्क मॉडल शामिल हैं। यह इस बात पर आधारित है कि मस्तिष्क एक साधारण नोडों का जाल है तथा इनके जुड़ने की प्रकृति से सिस्टम अपनी शक्ति लेता है।

    इस ऐप्रोच को ‘न्यूरल नेट्स’ नामक किताब में दर्शाया गया है। कुछ लोगों का यह मानना है कि ये सिस्टम, सिस्टम के कार्यों को बार-बार रिपीट करते रहते हैं तथा आसान व साधारण नियमों को भी कठिन व विषम बनाकर पेश करते हैं।

    उपरोक्त एप्रोच इंटीग्रेटिड कंप्यूटेशनल मॉडल की जनरलाइज्ड फार्म है जो सिंथेटिक / ऐब्सट्रैक्ट AI को दर्शाती है। एक व्यक्ति की व समाज या संगठन की निर्णय लेने की प्रक्रिया को यह विस्तार देती है व उसमें सुधार लाती है

  • Computational AI kya hai?

    कंप्यूटेशनल बुद्धिमत्ता (Computational AI)

    इसकी परिधि में सीखने व विकास के उपाय हैं (उदाहरणार्थ, कनेक्शनिस्ट सिस्टमों में पैरामीटर ट्यूनिंग) ।

    सीखना एंपीरिकल डाटा पर आधारित है तथा नॉन-सिम्बॉलिक AI, स्क्रूफी AI तथा सॉफ्ट कंप्यूटिंग से जुड़ा है। इस मेथड में शामिल हैं :

    न्यूरल नेटवर्क- इसमें काफी शक्तिशाली पैटर्न को पहचानने की क्षमता है।

    फूजी सिस्टम– इसमें अनिश्चित कारणों के लिए तकनीकें हैं। इसका प्रयोग मॉडर्न इंडस्ट्रियल तथा उपभोक्ता-उत्पाद नियंत्रण सिस्टम में होता है।

    क्रांतिकारी कम्प्यूटेशन– यह जीव-विज्ञान से प्रेरित होकर अपने मूल में बदलाव के लिए है। जैसे- जनसंख्या, क्यूटेशन, सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट, ताकि समस्याओं का सबसे बेहतर हल ढूँढ़ा जाये।

    इनका वर्गीकरण क्रांतिकारी ऐल्गोरिद्म (algorithm) में होता है (उदाहरण- जेनेटिक ऐल्गोरिद्म) तथा स्वार्म बुद्धिमत्ता (उदाहरण- आंट एल्गोरिदम) ।

    इन दोनों सिस्टमों को जोड़ने के लिए प्रयत्न किया जाता है। एक्सपर्ट इंफेरेन्स नियमों का उत्पादन न्यूरल नेटवर्क या सांख्यिकी के उत्पादन नियमों के तहत होता है।

    यह सोचा जाता है कि मानव मस्तिष्क परिणामों को बनाने व क्रास चेक करने के लिए कई तकनीकों का प्रयोग करता है, इसलिए एक सही मायने में AI के लिए सिस्टम इंटीग्रेशन अत्यंत आवश्यक है।

  • Conventional AI kya hai?

    कन्वेंशनल AI (Conventional AI)

    इसमें अधिकतर मशीनों द्वारा सीखे जाने वाले मेथड शामिल होते हैं, जिनकी विशेषता फॉरमैलिज्म व सांख्यिकी विश्लेषण पर आधारित होती है।

    इसे सांकेतिक AI, लॉजिकल AI, नोट AI तथा गुड ओल्ड फैशन्ड AI (GOFAI) भी कहा जाता है। इस मेथड में शामिल हैं :

    एक्सपर्ट सिस्टम– यह हर निष्कर्ष पर कारकों की क्षमताओं का विश्लेषण करता है। एक एक्सपर्ट सिस्टम बहुत सारी जानकारी पर कार्य करता है तथा उन पर आधारित निष्कर्ष देता है।

    स्थिति पर आधारित कारण यह समस्याओं व उत्तरों के सेट एक डाटा संरचना जिसे केस कहते हैं, में स्टोर करता है। ऐसा सिस्टम जिसमें समस्या दी हुई है, इससे मिलता-जुलता केस ढूँढ़ता है तथा इसका हल ढूँढ़कर आउटपुट देता

    बेजिअन नेटवर्क- यह एक कठिन व विषम समस्या को हल करने की तकनीक है।

    व्यवहार आधारित AI– यह हाथ द्वारा बनाया गया AI सिस्टम है जो मॉड्यूलर मेथड बनाता है।

  • Input Device Kya Hai?

    इनपुट डिवाइसेज़ (Input Devices) हमार हाथ और पैर की भाँति है जिसके द्वारा हम अपना श्रम इनपुट करते हैं। इसी प्रकार, कम्प्यूटरों में भी कई इनपुट डिवाइसेज़ (input devices) होती है।

    यह डिवाइस कम्प्यूटर के मस्तिष्क की निर्देशित करती हैं। कि वह क्या करें। इनपुट डिवाइसेज़ (input devices) कई रूप में उपलब्ध है

    सभी के विशिष्ट उद्देश्य हैं। टाइपिंग के लिए हमारे पास की बोर्ड होते हैं, जो हमारे निर्देशों को टाइप करते हैं। माउस की सहायता में कमाण्ट्स को एक बार या दो बार क्लिक कर एक्जिक्यूट किया जाता है।

    इसका प्रयोग चयन (select) तथा अचयन (desclect) के लिए भी करते हैं। जॉयस्टिक, ट्रैकबॉल कमोबेश माउस के समान ही होते हैं। स्कैनर आकृतियाँ (images) का सी.पी.यू. में इनपुट करते हैं।

    इसके अतिरिक्त, ऑडियो तथा विडियो इनपुट करने के लिए भी डिवाइसेज़ हैं। इस अध्याय में बाजार में अब तक उपलब्ध प्रत्येक इनपुट डिवाइसेज पर पूरी चर्चा की जा रही है।

    इनपुट डिवाइस (Input Device)

    आइए हम अध्याय की शुरूआत यह जानने के प्रयास से करें कि इनपुट डिवाइसेज़ क्या है ? इनपुट डिवाइसेज़ से डिवाइसेज़ हैं

    जो हमारे निर्देशों या आदेशों (commands) को कम्प्यूटर के मस्तिष्क सी. पी. यू. तक पहुँचाते हैं। की-बोर्ड, माउस, स्कॅनर इत्यादि प्रचलित इनपुट डिवाइसेज़ हैं।

  • AI Mechanisms kya hai?

    AI मैकैनिज्म (AI Mechanisms)

    AI सिस्टम आटोमेटिड इन्टरफीयरेंस इंजिनों के फलस्वरूप बने हैं। यह कुछ स्थितियों (ii) तथा कारकों (then) पर आधारित हैं। परिणामों के आधार पर AI एप्लिकेशनों को दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है :

    क्लासिफायर (“यदि चमक है तो हीरा है”) तथा नियंत्रक (“यदि चमक है तो उठा लो “)। नियंत्रक कार्यों में हस्तक्षेप करने से पहले, कंडीशन देते हैं इसलिए AI सिस्टम में बंटबारा इसका केन्द्र है।

    क्लासिफायर पैटर्न की पहचान कंडीशन को मैच करने के लिए करते हैं। अधिकतर स्थितियों में पूरी तरह मैच नहीं बल्कि काफी मिलता-जुलता होता है। इस सोच को तकनीक दो रूपों में बाँटती है: कनवेंशनल AI तथा कम्प्यूटेशनल बुद्धिमत्ता (CT)

    क्लासीफायर्स (Classifiers)

    क्लासीफायरों का प्रयोग AI में उदाहरणों को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है। इन्हें पैटर्न या ऑब्जरवेशन कहा जाता है।

    हर पैटर्न किसी पहले से ही डिफाइन्ड क्लास का भाग होता है। एक क्लास को किसी निर्णय के रूप में देखा जा सकता है, जो कि अभी लेना है। सारी ऑब्जरवेशनों को इकट्ठा करके क्लास लेबल दिए जाते हैं तो एक डाटा सेट बनता है।

    जब कोई नई ऑब्जरवेशन बनती है, उसका वर्गीकरण पिछले अनुभव पर आधारित होता है। एक क्लासीफायर सांख्यिकी व मशीनों द्वारा सीखता है।

    बहुत सारे क्लासीफायर अपनी शक्ति व कमजोरी के साथ उपलब्ध हैं। इनके कार्य डाटा की विशेषताओं पर निर्भर करते हैं। अपने आप में ही पूरक कोई एक क्लासीफायर नहीं है।

    इसे ‘नो फ्री लंच’ थ्योरम भी कहते हैं। क्लासीफायर के कार्यों को मापने व तुलना करने हेतु तथा डाटा की विशेषताएँ ढूँढ़ने के लिए कई एंपीरिकल टेस्ट किए जाते हैं जिससे क्लासीफायर की परफॉरमेंस पता चलती है।

    एक अच्छा क्लासीफायर ढूँढ़ना एक विज्ञान नहीं बल्कि कला है। अत्यधिक प्रयुक्त होने वाले क्लासीफायर हैं : न्यूरल नेटवर्क, सपोर्ट वेक्टर मशीन, के-नियरेस्ट नेबरऐलगोरिद्म, गॉसिअन मिक्सचर मॉडल, नेव बेज क्लासीफायर तथा डिसीजन ट्री।

  • Interdisciplinory Nature kya hai?

    अनुशासित प्रकृत्ति (Interdisciplinory Nature)

    कॉग्निटिव विज्ञान एक अनुशासित क्षेत्र है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों, जैसे मनोविज्ञान, न्यूरोविज्ञान, लिंगुइस्टिकस, फिलॉसफी, कम्प्यूटर विज्ञान, एंथ्रोपलॉजी, जीव विज्ञान व भौतिक विज्ञान का समावेश है।

    यह विज्ञान अधिक से अधिक विश्व को बाहरी रूप में देखता है जिस प्रकार कि दूसरे विज्ञान करते हैं। इसलिए इसका अपना भी एक उद्देश्य व औचित्य है।

    ये दूसरे भौतिक विज्ञानों के साथ कम्पैटिबल (Compatible) भी है तथा व्यक्ति के व्यावहारिक अध्ययन के लिए वैज्ञानिक तकनीकों तथा सिमुलेशन या मॉडलिंग का प्रयोग करता है।

    फिर भी कॉग्निटिव विज्ञान और अन्य विज्ञानों के मध्य काफी मद भेद हैं तथा इसकी अनुशासित प्रकृत्ति अभी भी इतनी प्रचलित नहीं है।

    कई वैज्ञानिक जो अपने आपको कॉग्निटिव वैज्ञानिक मानते हैं, मस्तिष्क के लिये कार्यात्मक व्यू रखते हैं- एक ऐसा व्यू जिसमें मानसिक स्थिति कार्य के अनुरूप वृगीकृत की जाती है।

    जिससे कोई सिस्टम किसी मानसिक स्थिति के अनुरूप उपयुक्त कार्य कर रहा है तो उसे उसी मानसिक स्थिति में समझा जाना चाहिये।

    अतः मास्तिष्क के फंक्शन लिखने के अनुसार न-हयूमन सिस्टम जैसे अन्य जानवरों की जातियाँ, विभिन्न लाइफ फार्म्स, अथवा कम्प्यूटर्स की भी मानसिक स्थितियाँ नॉन- हो सकती हैं।

    इसलिए कॉग्निटिव विज्ञान का पहलू दूसरे विज्ञानों, जैसे न्यूरोविज्ञान व साइकोलॉजी से पूरी तरह मेल नहीं खाता।

    बाहरी सोच से कॉग्निटिव विज्ञान की सबसे बड़ी अनुशासित प्रकृत्ति ‘सिस्टमिक्स’ है। इसमें विभिन्न सामाजिक सिस्टमों के मॉडल व थ्योरी शमिल हैं परन्तु जोर कॉग्निशन व बुद्धिमत्ता पर दिया गया है।

  • Concepts of AI kya hai?

    की अवधारणायें (Concepts of AI)

    कॉग्निटिव विज्ञान (Cognitive Science) कॉग्निटिव विज्ञान कॉग्निटिव कार्यों का अनुशासित अध्ययन है

    जो ज्ञान को प्राप्त करने व उसका प्रयोग करने से होता है। ये विभिन्न विषयों से कार्यप्रणाली लेता है; जैसे मनोविज्ञान, न्यूरो-विज्ञान, फिलॉसफी, कम्प्यूटर विज्ञान, ऐन्थ्रोपलॉजी व लिंगुइस्टिक्स |

    कॉग्निटिव विज्ञान शब्द का 1973 में क्रिस्टोफर लॉगुएट हिगिन्स ने प्रयोग किया था। कॉग्निटिव का अर्थ किसी भी मानसिक ऑपरेशन या संरचना से है

    जिसका कि यथार्थ रूप में अध्ययन संभव है। यह विचार अत्यंत विस्तृत है तथा इसका अर्थ ‘फिलॉसफी’ के शब्द कॉग्निटिव जिसका अर्थ सच्चाई व फॉरमल नियम होता है, कदापि नहीं है।

    कॉग्निटिव विज्ञान का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है जिसमें कॉग्निटिव के कई विषय आते हैं। परन्तु इसका अर्थ प्रत्येक मानसिक संरचना या ऑपरेशन से संबंधित नहीं है।

    सामाजिक व संस्कृति से जुड़े तथ्य, जागरूकता, मनोभाव, तथा तुलनात्मक अध्ययन इसके क्षेत्र से बाहर हैं। कई लोग कहते हैं कि ये महत्त्वपूर्ण विषय हैं तथा इनका सम्मिलन आवश्यक है।

  • Lokapriy Microprocessors Kaun Se Hai?

    इन्टेल निःसंदेह सबसे पहली प्रोसेसर निर्माता कंपनी है तथा आज सर्वाधिक लोकप्रिय भी है। लेकिन अब बाजार में केवल इण्टेल नहीं है बल्कि कुछ और भी है जिनके प्रोसेसर उपयोग हो रहे हैं।

    आइए इस खण्ड में यह जानते हैं कि बाजार में विभिन्न प्रकार के प्रोसेसर कौन कौन से हैं? आज बाजार में हम तीन प्रकार के प्रोसेसर सामान्यतः देखते हैं। ये प्रोसेसर इण्टेल, ए.एम.डी. तथ आई.बी.एम. के हैं।

    इण्टेल प्रोसेसर (Intel Processor)

    इण्टल कॉरपोरेशन ने दुनिया में माइको प्रोससर बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। इण्टल कॉरपोरेशन ने ही सबसे पहला माइक्रो प्रोसेसर बनाया था। इसके द्वारा बनाये जा रहे प्रोसेसर्स इण्टेल प्रोसेसर कह जाते हैं।

    इण्टेल प्रोसेसर का प्रयोग अधिकतर माइको पर्सनल कम्प्यूटर में होता है। सेलेगन (celeron), पेण्टियम, इटेनियम इसकी प्रसिद्ध फेमली (family) है।

    ए.एम.डी. प्रोसेसर (AMD Processor)

    ए.एम.डी. का पूर्ण रूप एडवांस्ड माइको डिवाइसेज (Advanced Micro Devices) है। आज इन्टेल के बाद सबसे अधिक उपयोग होने वाला प्रोसेसर ए. एम. डी. प्रोसेसर ही है। ए.एम.डी. प्रोसेसर के प्रमुख फेमली मेम्बर्स में डयूरॉन, ऐथलॉन, ऑपेट्रॉन प्रमुख हैं।

    मोटोरोला प्रोसेसर (Motorola Processor)

    मोटोरोला प्रॉसेसर, मोटोरोला द्वारा बनायी जाने वाली प्रोसेसर है। इन्हें फ्रीस्कल प्रोसेसर के नाम से जाना जाता है। प्रायः सभी ऐपल कंप्यूटरों में इसी प्रोसेसर का प्रयोग होता है।