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  • Repeater kya hai?

    रिपिटर

    रिपिटर की ऑपरेटिंग फिजिकल लेयर पर की जा सकती है। इस डिवाइस का मुख्य कार्य सिंग्नल के कमजोर या डेमेज होने से पहले समान नेटवर्क पर सिग्नल को रिप्रोड्यूस करना है।

    इन डिवाइसेस के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बात यह है कि वे सिंग्नल को मजबूत नहीं करते हैं। जब भी सिंग्नल कमजोर होता है, तो वे वास्तविक ताकत पर इसे रिप्रोड्यूस करते हैं। रिपिटर एक दो-पोर्ट डिवाइस है।

  • Computer Network Mein Bridge ke Prakar kya hai?

    ब्रिज के प्रकार

    (i) ट्रांसपेरेन्ट ब्रिजेस- ये ऐसे ब्रिजेस हैं, जिनमें स्टेशन्स ब्रिज के एक्सिस्टेंस से पूरी तरह अनजान रहते हैं, अर्थात् भले ही ब्रिज को नेटवर्क से जोड़ दिया जाए या हटा दिया जाए, स्टेशन्स का रिकॉन्फिगरेशन अनावश्यक रहता है। ये ब्रिजेस दो प्रोसेसेस अर्थात् ब्रिज फॉरवर्डिंग तथा ब्रिज लर्निंग का उपयोग करते हैं।

    (ii) सोर्ट रूटिंग ब्रिजेस– इन ब्रिजेस में, सोर्स स्टेशन द्वारा राउटिंग ऑपरेशन किया जाता है तथा फ्रेम स्पेसिफाए करता है कि किस रूट को फॉलो करना है। रूट एक स्पेशल फ्रेम सेंड करके फ्रेम कहा जाता है, जो डेस्टिनेशन तक सभी पॉसिबल पाथ्स का उपयोग करके सम्पूर्ण नेटवर्क के माध्यम से फैलता है।

  • Computer Network Mein Bridge ka kya upyog hai?

    कम्प्यूटर नेटवर्क में ब्रिज का उपयोग दो या अधिक नेटवर्क सेगमेन्ट्स को एकजुट करने के लिये किया जाता है। नेटवर्क आर्किटेक्चर में ब्रिज का मुख्य कार्य विभिन्न सेगमेन्ट्स के बीच फ्रेम्स को स्टोर तथा ट्रांसमिट करना है। ब्रिज फ्रेम्स को ट्रांसफर करने के लिये MAC (मीडिया एक्सेस कंट्रोल) हार्डवेयर का उपयोग करता है।

    ब्रिज का उपयोग दो फिजिकल लोकल एरिया नेटवर्क्स को एक बड़े लॉजिकल लोकल एरिया नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिये भी किया जाता है। OSI मॉडल में, ब्रिज डेटा लिंक तथा फिजिकल लेयर के बीच डेटा फ्लो को कंट्रोल करके नेटवर्क को बड़े से छोटे नेटवर्क में विभाजित करने के लिये दोनों लेयर्स पर कार्य करता है। हाल के वर्षों में ब्रिजेस को स्विचेस द्वारा रिप्लेस कर दिया गया है ताकि अधिक कार्यक्षमता प्रदान की जा सके।

  • Modem kya hai?

    मॉडेम सबसे महत्वपूर्ण डिवाइस है और इसका उपयोग हमारे जीवन में दैनिक रूप से किया जाता है। यदि हम ध्यान दें, तो घरों में इंटरनेट कनेक्शन वायर की सहायता से किया जाता है, यह वायर इंटरनेट डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है। लेकिन प्रत्येक कम्प्यूटर शून्य तथा एक (0 तथा 1) के रूप में डिजिटल या बाइनरी डेटा प्रदान करता है।

    मॉडेम का पूरा नाम मॉड्यूलेटर तथा डिमॉड्यूलेटर है। इसलिए, यह कम्प्यूटर तथा टेलीफोन लाइन के बीच सिंग्नल को मॉड्यूलेट तथा डिमॉड्यूलेट करता है क्योंकि कम्प्यूटर डिजिटल डेटा जनरेट करता है, जबकि टेलीफोन लाइन एनालॉग सिंग्नल जनरेट करती है।

    नेटवर्क राउटर

    नेटवर्क राउटर, कम्प्यूटर नेटवर्क में एक प्रकार की नेटवर्क डिवाइस होती है और इसका उपयोग एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर ट्रैफिक को ले जाने के लिये किया जाता है। ये दो नेटवर्क्स एक पब्लिक कम्पनी नेटवर्क के लिये प्राइवेट हो सकते हैं। उदाहरण के लिये, एक राउटर को जंक्शन पर ट्रैफिक पुलिस के रूप में माना जा सकता है, जिस प्रकार वह डिससिमिलर ट्रैफिक नेटवर्क्स को डिससिमिलर डायरेक्शन्स करने के लिये निर्देशित करता है।

  • Network Switch kya hai?

    नेटवर्क स्विच

    एक हब की तरह, यह भी LAN में लेयर पर कार्य करता है और हब की तुलना में स्विच अधिक कामदार होता है। हब डेटा ट्रांसफर करने के लिये किया जाता है, जबकि स्विच का उपयोग डेटा को फिल्टर करने तथा फॉरवर्ड करने के लिये किया जाता है। इसलिये डेटा पैकेट से डिल करने के लिये यह टेक्निक अधिक उपयोगी है।

    जब भी स्विच में इंटरफेस से डेटा पैकेट ऑब्टेन किया जाता है, तो डेटा पैकेट को फिल्टर किया जा सकता है तथा प्रपोस्ड रिसिवर के इंटरफेस पर ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके कारण, स्विच सिस्टम कॉन्फिगरेशन के साथ-साथ मेमोरी को टेबल को मेन्टेन करता हैं। इस टेबल को FIB (फॉवर्डिंग इन्फॉर्मेशन बेस) या फॉरवर्डिंग टेबल के रूप में भी जाना जाता है।

  • Computer Network Architecture kya hai?

    कम्प्यूटर नेटवर्क आर्किटेक्चर

    कम्प्यूटर आर्किटेक्चर एक डिजाइन है, जिनमें कम्प्यूटर नेटवर्क के सभी कम्प्युटर्स ऑर्गेनाइज होते हैं। एक आर्किटेक्चर यह भी परिभाषित करता है कि कम्प्यूटर नेटवर्क से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिये कम्प्यूटर्स को किस तरह से कनेक्ट किया जाना चाहिये,

    जैसे बेहतर रिस्पॉन्स टाइम, सिक्योरिटी, स्कैलेबिलिटी आदि। दो सबसे अधिक पॉपुलर कम्प्यूटर आर्किटेक्चर्स P2P (पीयर टू पीयर) तथा क्लाइंट-सर्वर आर्किटेक्चर है।

  • Computer Network ke gun kya hai?

    कम्प्यूटर नेटवर्क के गुण

    1. परफॉर्मेन्स- कम्प्यूटर नेटवर्क की परफॉर्मेन्स रिस्पॉन्स टाइम के संदर्भ में मापी जाती है। एक नोड कम्प्यूटर को (कई बार नोड भी कहा जाता है) से डेटा सेंड तथा रिसिव करने का रिस्पॉन्स टाइम न्यूनतम होना चाहिए।

    2. डेटा शेयरिंग- कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग करने का एक कारण यह है कि ट्रांसमिशन मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे से कनेक्टेड विभिन्न सिस्टम्स के बीच डेटा शेयर किया जा सके।

    3. बैकअप कम्प्यूटर में एक सेन्ट्रल सर्वर का होना आवश्यक है, जो एक नेटवर्क पर शेयर किये जाने वाले सभी डेटा का बैकअप रखता है, ताकि फैल्युअर के केस में यह डेटा को रिकवर करने में सक्षम हो।

    4. सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर कॉम्पेटिबिलिटी- एक कम्प्यूटर नेटवर्क को एक ही सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर का उपयोग करने के लिये एक कम्प्यूटर नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर्स को सीमित नहीं करना चाहिये, इसके बजाए इसे विभिन्न सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर कान्फिगरेशन के बीच बेहतर कॉम्पेटिबिलिटी की अनुमति प्रदान करना चाहिये ।

    5. रिलाएबिलिटी- नेटवर्क में कोई भी फैल्योर नहीं होना चाहिये या यदि ऐसा होता है, फैल्योर की रिकवरी तेजी से होना चाहिये।

    6. सिक्योरिटी कम्प्यूटर नेटवर्क सिक्योर होना चाहिये, ताकि किसी नेटवर्क पर ट्रांसमिट होने वाले डेटा अनऑथोराइज्ड एक्सेस से सेफ रहे। इसके साथ ही, सेंड किये गए डेटा को रिसिव भी किया जाना चाहिये, क्योंकि यह रिसिविंग नोड पर है, जिसका अर्थ है कि ट्रांसमिशन के दौरान डेटा का कोई लॉस नहीं होना चाहिये।

    7. स्कैलेबिलिटी- कम्प्यूटर नेटवर्क स्कैलेबल होना चाहिये, जिसका अर्थ है कि इसे हमेशा एक्जिस्टिंग कम्प्यूटर नेटवर्क में नए कम्प्यूटर (या नोड्स) को एड करने की अनुमति प्रदान करना चाहिये। उदाहरण के लिये, एक कम्पनी अपने 100 एम्प्लॉइज के लिये एक कम्प्यूटर नेटवर्क पर 100 कम्प्यूटर्स रन करती है, माना कि वह अन्य 100 एम्प्लॉइज को हायर करती है और नए 100 कम्प्यूटर्स को एक्सिस्टिंग LAN से जोड़ना चाहती है, तो इस स्थिति में लोकल एरिया कम्प्यूटर नेटवर्क को इसकी अनुमति प्रदान करना चाहिये।

  • Computer Network ka upyog kya hai

    कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग

    1. रिसोर्स शेयरिंग- रिसोर्स शेयरिंग, रिसोर्स तथा यूजर की फिजिकल लोकेशन की आवश्यकता के बिना नेटवर्क पर यूजर्स के बीच प्रोग्राम्स, प्रिन्टर्स तथा डेटा जैसे रिसोर्सेस की शेयरिंग है।

    2. सर्वर – क्लाइंट मॉडल- कम्प्यूटर नेटवर्किंग का उपयोग सर्वर-क्लाइंट मॉडल में किया जाता है। सर्वर एक सेंट्रल कम्प्यूटर है, जिसका उपयोग इन्फॉर्मेशन को स्टोर करने और सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा मेन्टेन रखे जाने के लिये किया जाता है। क्लाइंट्स वे मशीन्स हैं, जिनका उपयोग सर्वर में स्टोर्ड इन्फॉर्मेशन को रिमोटली एक्सेस करने के लिये किया जाता है।

    3. कम्यूनिकेशन मीडियम- कम्प्यूटर नेटवर्क यूजर्स के बीच कम्युनिकेशन मीडियम के रूप में व्यवहार करता है। उदाहरण लिये एक कम्पनी में एक से अधिक कम्प्यूटर होते हैं, जिनमें ई-मेल सिस्टम होता है, जिसे एम्प्लॉयीज डेली कम्युनिकेशन के लिये उपयोग करते हैं।

    4. ई-कॉमर्स- बिजनेसस में भी कम्प्यूटर नेटवर्क महत्वपूर्ण है। हम इंटरनेट के माध्यम से बिजनेस कर सकते हैं। उदाहरण के लिये, अमेजन इंटरनेट के बिजनेस कर रहा है।

  • Network ka Itihaas kya hai

    नेटवर्क का इतिहास

    (ARPANET प्रथम नेटवर्क

    इन्टरनेट का जनक ARPANET (एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क) US डिपार्टमेन्ट ऑफ डिफेन्स (DOD) द्वारा स्थापित किया गया था। नेटवर्क को स्थापित करने का कार्य 1960 के दशक की शुरुआत में हुआ और DOD ने मेजर रिसर्च वर्क को स्पॉन्सर किया, जिसके परिणामस्वरूप नेटवर्क कम्यूनिकेशन के लिये इनिशियल प्रोटोकॉल्स, लैग्वेजेस तथा फ्रेमवर्क्स का विकास हुआ।

    इसके लॉस एंजल्स (UCLA) में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड रिसर्च इन्स्टिट्यूट (SRI) सेंटर बारबरा में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी तथा उताह यूनिवर्सिटी चार नोड्स थे। 29 अक्टूबर, 1969 को UCLA तथा SRI के बीच पहले मैसेज का आदान-प्रदान हुआ। BBN के UCLA से कनेक्ट होने के बाद सन् 1972 में बोल्ट बेरनेक एंड न्यूमेन इन्कॉर्पोरेशन में रॉय टॉम्लिन्सन द्वारा ई-मेल बनाया गया था।

    इन्टरनेट

    ARPANET ने अमेरिका की उन यूनिवर्सिटीज के पास DOD को कनेक्ट करने के लिये विस्तार किया, जो डिफेन्स- रिलेटेड रिसर्च कर रहे थे। इसने देश की अधिकांश प्रमुख यूनिवर्सिटीज को कवर किया। नेटवर्किंग के कॉन्सेप्ट को बढ़ावा तब मिला, जब यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन (UK) तथा रॉयल राडार नेटवर्क (नॉर्वे) ARPANET से कनेक्ट हुए और तब नेटवर्क्स का नेटवर्क बनाया गया।

    इस नेटवर्क्स के नेटवर्क को विस्तार से स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के विन्टन सर्फ, योगेन डेलल तथा कार्ल सनशाइन द्वारा इन्टरनेट के रूप में आविष्कृत किया गया। उन्होंने साथ में इन्टरनेट पर इन्फॉर्मेशन एक्सचेन्ज की सुविधा के लिये प्रोटोकॉल्स भी विकसित किये। ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (TCP) को आज भी नेटवर्किंग की रीढ़ माना जाता है।

    टेलनेट

    टेलनेट ARPANET का पहला कमर्शियल एडाप्टेशन था, जिसे सन् 1974 में इंट्रोड्यूस किया गया था। इसके साथ ही इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) कॉन्सेप्ट भी इंट्रोडयूस किया गया था । ISP का मुख्य कार्य सस्ती दरों पर अपने कस्टमर्स को अनइन्टरपेड इन्टरनेट कनेक्शन प्रदान करना है।

    वर्ल्ड वाइड वेब

    इन्टरनेट के कमर्शियलाइजेशन के साथ ही दुनिया के विभिन्न भागों में अधिक से अधिक नेटवर्क्स विकसित किये गए। प्रत्येक नेटवर्क, नेटवर्क पर कम्यूनिकेट करने के लिये विभिन्न प्रोटोकॉल का उपयोग करता था। इसने विभिन्न नेटवर्क्स को मूलरूप से एक साथ कनेक्ट होने से रोक दिया। 1980 के दशक में, टीन बर्नर्स ली ने स्विट्ज़रलैण्ड के CERN में कम्प्यूटर साइंटिस्ट्स के समूह का नेतृत्व किया, जिसने वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) नामक विभिन्न नेटवर्क्स का एक सहज नेटवर्क तैयार किया।’

  • Computer Network ka Parichay

    कम्प्यूटर नेटवर्क का परिचय (Introduction to Computer Network)

    कम्प्यूटर नेटवर्क विभिन्न डिवाइसेस का ग्रुप है जो एक ट्रांसमिशन मिडियम जैसे- वायर्स, केबल्स आदि के माध्यम से कनेक्टेड होता है। ये डिवाइसेस कम्प्यूटर्स, प्रिन्टर्स, स्कैनर्स, फैक्स मशीन्स इत्यादि हो सकती है। नेटवर्क दो कम्प्यूटर्स जितना छोटा भी हो सकता है और असंख्य डिवाइसेस जितना बड़ा भी हो सकता है। एक ट्रेडिशनल नेटवर्क केवल डेस्कटॉप, कम्प्यूटर्स को ही समाविष्ट करता है, जबकि मॉडर्न नेटवर्क में लेपटॉप्स, टेब्लेट्स, स्मार्टफोन्स, टेलीविजन्स, गेमिंग कन्सोल्स, स्मार्ट एम्प्लाएन्सेस तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सम्मिलित है। सरल शब्दों में, कम्प्यूटर नेटवर्क दो या अधिक कनेक्टेड कम्प्यूटर्स का बना होता है। यह कनेक्शन दोहरा होता है-

    (a) फिजिकल वायर्स, केबल्स तथा वायरलेस मीडिया (सेलफोन्स के एटमॉस्फियर के साथ) के माध्यम से। (b) लॉजिकल फिजिकल मीडिया के माध्यम से डेटा को ट्रांसपोर्ट करके।

    कम्प्यूटर नेटवर्क का पर्पस नेटवर्क पर अन्य डिवाइसेस में स्टोर किये गए डेटा को सेन्ड तथा रिसिव करना है। इन डिवाइसेस को कई बार नोड्स के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।

    स्कैल, सिंगल PC (पर्सनल कम्प्यूटर) से लेकर दुनियाभर में स्थित सभी विशाल डेटा सेन्टर्स तक बेसिक पेरिफेरल्स को इंटरनेट पर शेयर करना हो सकता है। स्कोप के साथ ही सभी नेटवर्क्स-कम्प्यूटर और या व्यक्तियों को इन्फॉर्मेशन तथा रिसोर्सेस शेयर करने की अनुमति प्रदान करते हैं।