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  • E-Office kya hai?

    ई-ऑफिस (E-Office)

    ई-ऑफिस मिशन मोड प्रोजेक्ट, भारत के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के नेशनल ई-गवर्नेन्स प्लान के अन्तर्गत एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।

    प्रोजेक्ट प्रशासनिक सुधार और भारत के पब्लिक गवर्नेन्स (DARPG) के द्वारा सरकारी प्रक्रिया (Government Process) और सेवा वितरण तंत्र (Service Delivery mechanisms) में दक्षता में सुधार करने के लिए, इम्प्लीमेंट की जा रही है।

    प्रोजेक्ट का उद्देश्य एक इलेक्ट्रॉनिक फाइल सिस्टम से पुराने मैनुअल प्रोसेस के रिप्लेस द्वारा उत्पादकता, गुणवत्ता, रिसोर्स मैनेजमेंट, प्रतिवर्तन काल (Turnaround Time) में सुधार और पारदर्शिता में वृद्धि है।

    नए ई-ऑफिस प्रणाली एक इंटीग्रेटेड फाइल और रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम है जो कर्मचारियों को सामग्री प्रबंधन, डाटा को आंतरिक रूप से या सहयोग में सर्च करने की अनुमति देता है।

    फाइल सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक मूवमेंट और फाइल की ट्रेकिंग और आर्चिवल तथा डाटा की पुनःप्राप्ति भी सक्षम बनाता है। सिस्टम सुरक्षित और गोपनीय हो, रूटिन टास्क को स्वतः करे, निगरानी के काम और ऑटो-स्कैलेशन जब देरी हो रही हो, के साथ आवश्यक कार्य को सम्भालने में सक्षम हो के लिए . प्लान किया जाता है।

    यह परियोजना 2008 में 5 साल की अवधि के भीतर सरकारी कार्यालय को एक पेपरलेस कार्यालय में परिवर्तित करने की उम्मीद के साथ शुरू किया गया था।

    ई-ऑफिस प्रोजेक्ट, केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों पर लक्षित, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के ई-गवर्नेन्स डिविजन, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के प्रशिक्षण प्रभाग, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग में संचालित किया जा रहा है।

  • driving licence kaise prapt karen

    ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपको क्या करने की आवश्यकता है ?

    एक स्थायी लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक लर्नर्स लाइसेंस अनिवार्य है। 50 सीसी क्षमता और बिना किसी गेयर (gear) वाले वाहन के लिए निजी मोटर वाहन हेतु लर्नर्स लाइसेंस प्राप्त करने की पात्रता 16 वर्ष (यदि आवेदक के माता-पिता या अभिभावक अपनी सहमति दे) निजी मोटर वाहन (Private Motor Vehicle) चलाने के लिए स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है।

    एक व्यक्ति जिसकी उम्र कम से कम 20 वर्ष है और उसके पास लर्नर्स लाइसेंस है तो वह एक वाणिज्यिक वाहन (commercial vehicle) चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त कर सकता है।

    इसके लिए उसे यातायात के नियमों और सभी मामलों (cases) में विनियमों (regulations) से परिचित या दक्ष भी होना जरूरी है।

    लर्नर्स लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपको अपने क्षेत्र में अपने पासपोर्ट आकार के फोटो और अपनी आयु और निवास का प्रमाण-पत्र के साथ, मेडिकल फिटनेस की घोषणा और अपेक्षित शुल्क के साथ निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होता है।

    आपके डॉक्यूमेंट्स के सत्यापन (verification) करने के बाद आपको लर्नर्स की परीक्षा देना होगा। आमतौर पर आवेदन फॉर्म के साथ यातायात नियमों, संकेत और विनियमों (regulations) की एक पुस्तिका (handbook) दिया जाता हैं

    लर्नर्स टेस्ट पास करने के बाद आपको लर्नर्स लाइसेंस जारी किया जाएगा। यदि आप टेस्ट में असफल होते हैं तो आपको दोबारा टेस्ट देने का मौका दिया जाएगा।

    एक स्थायी लाइसेंस (permanent licence) प्राप्त करने के लिए आप के पास एक वैध (valid) लर्नर्स लाइसेंस होना आवश्यक है।

    स्थायी लाइसेंस के लिए लर्नर्स लाइसेंस जारी होने के 30 दिन के बाद और 180 दिनों के भीतर आवेदन करना होता है। आपको वाहन के सिस्टम, ड्राइविंग, यातायात नियमों के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

    आपसे ड्राइविंग टेस्ट कराया जाएगा जिसके लिए आपको अपने साथ वाहन लाना होता है। टेस्ट पास करने पर आपको स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा

  • driving licence kya hai(Road Transport) ?

    सड़क परिवहन (Road Transport)

    ड्राइविंग लाइसेंस क्या है और यह क्यों अनिवार्य है ?

    driving licence

    ड्राइविंग लाइसेंस एक आफिसियल डाक्यूमेंट है जो यह प्रमाणित करता है कि धारक (holder) मोटर वाहन या वाहन चलाने के लिए योग्य है। भारत में मोटर वाहन अधिनियम 1988 के प्रावधानों के अधीन कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान

    में मोटर वाहन नहीं चला सकता है जब तक कि उसके पास जारी किया गया वैद्य लाइसेंस न हो, जो उसे एक विशेष श्रेणी मोटर वाहन चलाने के लिए प्राधिकृत (Authorising) करता है। भारत में दो प्रकार के ड्राइविंग लाइसेंस जारी किये जाते हैं :

    लर्नर्स लाइसेंस और स्थायी लाइसेंस। लर्नर्स लाइसेंस मात्र छ: (6) माह के लिए वैध होता है। स्थायी लाइसेंस लर्नर्स लाइसेंस जारी करने के डेट से एक महीने की समाप्ति के बाद ही लिया जा सकता है।

  • BackgroundE-Governance kya hai?

    बैकग्राउण्ड (Background) (E-Governance)

    भारतवर्ष में ICT तकनीक के अन्तर्गत IT के विस्तृत प्रयोगों और चलन के कारण कम्प्यूटर्स मोबाइल फोन्स, इन्टरनेट और अन्य कम्पोनेन्ट्स का पिछले दो दशकों में काफी विस्तृत रूप में फैलाव हो सका है।

    दरअसल भारतवर्ष में इ गवर्नमेन्ट की आवश्यकता का फाइनल आर्टिकुलेशन (प्रयास) सेकेण्ड ऐडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म कमीशन के ग्यारहवें रिपोर्ट जिसका शीर्षक “प्रोमोटिंग ई-गवर्नमेन्ट द स्मार्ट वे फॉरवाड” है, के रूप में प्रस्तुत किया गया।

    पाराग्राफ 83 के अनुसार, कनवरजेंस एवं गवनेन्स पर काम कर रहे वर्कग्रुप का टेंथ फाइव इयरप्लान का 2002-07 रिपोर्ट प्लानिंग कमीशन, नवम्बर 2001, SMART गर्वनमेंट को सिम्पल, मोरल, अकाउन्टेबल, रिसपॉन्सिव और ट्रान्सपैरेन्ट गॅवॅन्मेंट की तरह परिभाषित किया गया है।

    20 दिसम्बर 2008 को ARC रिपोर्ट GOI (भारत सरकार) को प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट में कई प्रायर इनिसिएटिव्स प्रेरणा के स्रोत के रूप में उद्धृत किये गए हैं, जिसमें सिंगापुर में हुए एक प्रोग्राम का रेफरेंस (सन्दर्भ) भी इन्क्लुड किया गया है।

    ARC रिपोर्ट ने ई-गवर्नेन्स की जरूरत को परिभाषित करते हुए स्पष्ट किया है कि सरकार को नागरिकों (G2C) और G2B (बिजनसेस) के और भी करीब लाने हेतु ई-गवर्नेन्स की जरूरत ज्यादा महसूस की गई है, जबकि इन्टर गॅवॅमेंट अजेन्सी कॉपरेशन को फ्रैन्डली, कनवेनिएन्ट, ट्रान्सपरेन्ट और इनएकसपेन्सिव फैशन में प ्रोमोट भी किया जा रहा है। इस रिर्पोट के अनुसार ई-गवर्नेस का लक्ष्य

    निम् तरीके से परिभाषित किया गया हैं

    1. नागरिकों को बेहतर सर्विस डेलिवरी

    2. ट्रान्सपरेंसी और अकाउन्टेबिलिटी उद्घाटित करना

    3. नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराके शक्ति देना या समर्थ बनाना

    4. सरकार के आन्तरिक विभागों को कार्य क्षमता को इम्प्रूव करना

    5. व्यवसाय और उद्योग के साथ इन्टरफेस इम्प्रूव करना ।

    इस रिपोर्ट ने भारत वर्ष में ऑन गोइंग ई-गॅवॅनमेन्ट के इनिसिएटिव्स के अस्तित्व को उस समय रिकॉगनाइज किया और उनकी संस्तुति भी रिकॅमेण्ड किया है ताकि NeGP के अर्न्तगत कॉर्डिनेटेड इम्प्लिमेन्टेशन के लिए कनसोलिडेट किया जा सके।

  • National e-Governance Plan kya hai?

    नेशनल ई-गॅवॅनेन्स प्लान (National e-Governance Plan)

    NeGP (नेशनल e – Governance Plan) भारत सरकार की एक प्लानिंग है, जिसमें समस्त गवर्नमेंट सर्विसेस को भारतीय नागरिकों के लिए इलैक्ट्रॉनिक मिडिया के जरिये उपलब्ध किया गया है।

    द्वितीय ऐडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म कमिशन की अनुशंसा (सिफारिश) का ही यह नतीजा है। यह प्लानिंग भारत सरकार के डिपार्टमेन्ट ऑफ इनफॉरमेशन टैक्नोलॉजी, मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन्स एण्ड इनफॉरमेशन टैक्नोलॉजी के अधीन कार्य करता है।

    भारत सरकार ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेन्स प्लान (NeGP) को इस विचारार्थ शुरू किया है कि पूरे देश भर में ई-गवर्नेन्स के ग्रोथ को सपोर्ट किया जा सके।

    योजना की परिकल्पना G2G G2B, G2E and G2C सर्विसेस को क्रियान्वित करने के लिए सही इनवायरमेंट को क्रिएट करने के लिए किया गया है

    ई-गवर्नेन्स ऐप्लिकेशन्स के बीच इन्टेरोपिरेबिलिटी को सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार ने इन्स्टीच्युशनल मैकेनिज्म की स्थापना की है ताकि स्टैक होल्डर्स जैसे डिपार्टमेंट ऑफ इनफॉरमेशन टैक्नोलॉजी (DIT), नेशनल इनफॉरमेटिक्स सेन्टर (NIC), स्टैण्डर्डाइजेशन टेस्टिंग क्वालिटी सर्टिफिकेशन (STRC), अन्य सरकारी विभागों, एकेडेमिया, टैक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स, डोमेन एक्सपर्ट्स इन्डस्ट्रीज BIS एवं NGOs इत्यादि के कॅलैबरेटिव (सहयोगात्मक) प्रयासों से स्टैण्डर्ड को सूत्रबद्ध या प्रतिपादित कर सके। इस प्रक्रिया में फॉर्मल पब्लिक रिव्यू का प्रावधान भी है।

    ई-गवनेन्स स्टैण्डर्ड पोर्टल (http://egovstandards.gov.in) पासवर्ड प्रोटेक्टेड शेयरिंग ऑफ आइडिया के लिए एक मंच भी उपलब्ध करता है, विभिन्न कमिटिज के सदस्यों के बीच नॉलेज और ड्राफ्ट जो स्टैण्डर्ड फॉर डॉक्यूमेंट भी उपलब्ध करता है।

    ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट के वेब पब्लिशिंग के लिए क्लोज्ड ( अत्यन्त निकटस्थ) यूजर ग्रुप एवं पब्लिक के द्वारा प्रस्तुत रिव्यू कमेन्ट्स का भी प्रावधान इसके अन्तर्गत है

    सरकार के अपेक्स बॉडी द्वारा विधिवत अप्रूव्ड स्टैण्डर्ड्स को जिनके अन्तर्गत DIT, NIC, NASCOM, BIS CDAC प्लानिंग कमिशन इत्यादि के सीनियर स्ट्रैटेजिक मेम्बर्स हों, वेब साइड पर रिलीज किया जायेगा।

    यह वेब साइट http:// cgoustandards.gov.in NTC के द्वारा फ्री डाउनलोड और उपयोग के लिए रिलीज किया जायेगा

  • E-Governace kya hai?

    परिचय (Introduction) E-Governance

    जब सरकार अपनी इफेक्टिवनेंस, एफिशिएंसी सर्विस डिलिवरी को इम्प्रूव करने व डेमोक्रेसी को प्रमोट करने के लिए कई तरह की मॉडर्न इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टैक्नोलॉजीज को काम में लेती है तो इसे ई-गवर्नेस कहते हैं।

    ई-गवर्नेस में काम में आने वाली ये मॉडर्न टैक्नोलॉजीज हैं – इंटरनेट, लोकल एरिया नेटवर्क्स, मोबाइल्स आदि। ई-डेमोक्रेसी को दो शब्दों इलेक्ट्रॉनिक और डेमोक्रेसी से मिलाकर बनाया है। ई-डेमोक्रेसी में इन्फॉर्मेशन टैक्नोलॉजीज और कम्यूनिकेशन टैक्नोलॉजीज को पॉलिटिकल और गवर्नेस प्रोसेसेज में काम में लिया जाता है।

    डिजिटल शब्द को यहां प्रयुक्त करने का कारण यह है कि इस में इन्फॉर्मेशन की नॉलेज और कम्यूनिकेशन टैक्नोलॉजी को एक्सिस करने में इनकी डिजिटल अवस्था होती है।

    साइबर क्राइम एक अनलॉफूल एक्ट है, जिसमें कम्प्यूटर एक टूल होता है और यह इस क्राइम का शिकार भी बनता है। साइबर क्राइम में ऐसी क्रिमिनल एक्टिविटीज होती हैं जो इंडियन पैनल कोर्ट के अनुसार ट्रेडिशनल क्राइम होते हैं, जैसे चोरी, फ्रॉड, फोरजरी, डीफेमेशन आदि।

    इस अध्याय में आप ई-गवर्नेस, ई-डेमोक्रेसी, प्राइवेसी व सिक्यूरिटी इश्यूज, डिजिटल डिवाइड साइबर काडम आदि के बारे में अध्ययन करेंगे।

    ई-गवर्नेस के निर्णायक (Defining of e-Govenance)

    E-Governance क्या है ?

    यह सरकार द्वारा इंटरनेट, लोकल एरिया नेटवर्क, मोबाइल आदि जैसे आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की एक श्रृंखला का उपयोग है ताकि प्रजातांत्रिक व्यवस्था को ज्यादा प्रभावी, दक्ष, सेवा प्रदायी बनाया जा सके, साथ ही लोकतंत्र की ज्यादा से ज्यादा प्रोमोट किया जा सके।

    गवर्नेस : सूचना संदर्भ (परिप्रेक्ष्य ) में

    • प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र इस बात पर यकीन करता है कि किसी तरह का निर्णय लेने का सबसे अच्छा तरीका है कि उस निर्णय में शासन के सारे नागरिकों की विस्तृत पार्टिसिपेशन होनी चाहिए और जिनके पास रेलिवेन्ट (प्रासंगिक) इनफॉरमेशन की पहुँच भी हो। • गॅवॅन्मेंट स्वयं स्वभाववश इनफॉरमेशन इनटेंसिव आर्गनाइजेशन है।

    इनफॉरमेशन एक तरह से पावर है और इनफॉरमेशन मैनेजमेंट राजनीतिक अभिक्रिया है

    गॅवनेंस : आई.टी. फ्रेमवर्क में

    • इन्टरनेट और इलैक्ट्रॉनिक कॉमर्स के विस्तार, गवर्नेन्स की प्रक्रिया में विभिन्न स्टैक होल्डर्स के बीच संबंधों को पुन परिभाषित करना

    • गॅवनेंस का एक नया मॉडल वर्चुअल स्पेस में ट्रॉन्जेक्सन्स, डिजिटल इकॉनमी और नॉलेज ऑरियेन्टेड सोसाइटिज साथ डील करने पर आधारित होगा।

    इलेक्ट्रॉनिक गॅवर्नेस एक उभरता हुआ ट्रैण्ड है, जिसे गॅवॅन्मेंट के कार्यों के तरीकों को रि-इनवेंट किया जा सके।

  • M-Commerce in India

    भारत में M-कॉमर्स (M-Commerce in India)

    M-कॉमर्स का प्रचलन भारत में बढ़ रहता है तथा Paymate कम्पनी इस क्षेत्र में सबसे आगे है। Paymate मुम्बई में है तथा यह कम्पनी वायरलैस ट्रांजैक्शन के लिये प्लेटफॉर्म प्रदान करती है।

    यह आश्चर्यजनक नहीं है कि भारत M-कॉमर्स के लिये एक उन्नतिशील केन्द्र बन गया है। भारत की टेलीकॉम रेगुलेटरी ने रिपोर्ट जारी की है कि देश के 9 मिलियन ऑनलाइन कस्टमर्स से श्रेष्ठ होने के लिये मोबाइल ग्राहकों की संख्या 185 मिलियन पहुँच चुकी है। (23 Oct 2007)

    Ajay Adiseshann, Paymate के फाउन्टर तथा मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि भारत इन्टरनेट पर सर्विसेज की ऐक्सेस को छोड़कर मोबाइल के अनुभव की ओर बढ़ रहा है।

    डिजीटल शॉपिंग अथवा e-शॉपिंग का पहलु अनुभव लोग इंटरनेट पर नहीं बल्कि मोबाइल पर करेंगे तथा इसीलिये बिजनैस अपने कस्टमर्स को सर्विस प्रदान करने के लिये मोबाइल फोन को अगले चैनल की तरह उपयोग करेंगे।

    पेयमेट ने पिछले साल एक Eco-system लॉन्च किया है। इसके निर्माण हेतु उसने दो साल लगाये हैं। Eco-system बैंक, रिटलर्स तथा कस्टमर्स को SMS का उपयोग करके जोड़ता है। यह सर्विस अपनी सरलता तथा आसानी से उपयोग होने वाली विशेषताओं के कारण भारत तथा बाहर बहुत प्रसिद्ध हो रही है। यह इस तरह कार्य करती है : आप Paymate के लिये अपने बैंक द्वारा एक मैसेज भेजकर या कॉल करके रजिस्टर करते हैं। एक बार जब बैंक आपके फोन नम्बर को प्रमाणित कर देता है तो आपको एक पर्सनल आइडेन्टिफिकेशन (PIN) नम्बर दिया जाता है, जिसको आप हर उस समय उपयोग कर सकते हैं, जब आप फोन से अथवा काउन्टर द्वारा ऑनलाइन भुगतान करते हैं।

  • Keyboard Kya Hai

    की-बोर्ड कम्प्यूटर का एक अभिन्न अंग तथा प्राथमिक इनपुट उपकरण है। आइए इस सेक्शन में हम यह जानते हैं कि की बोर्ड क्या है ? की बोर्ड कम्प्यूटर का एक पेरिफेरल (peripheral) है

    जो आंशिक रूप से टाइपराइटर के की-बोर्ड की भांति होता है। की बोर्ड को टेक्स्ट तथा कॅरेक्टर इनपुट के लिए डिज़ायन (desgin) किया गया है

    की बोर्ड साथ ही यह कम्प्यूटर के ऑपरेशन्स का कंट्रोल (नियंत्रित) भी करता है। भौतिक रूप से कम्प्यूटर का की बोर्ड आयताकार या लगभग आयताकार बटनों या कीज (keys) की एक व्यवस्था होती है।

    की-बोर्ड में सामान्यतः कीज (keys) अंकित होती है अथवा छपा हुई होती है। अधिकतर स्थिति में, किसी कीज (key) को दबाने पर का चार्ड एक लिखित चिह्न (written symbol) भेजता है।

    किन्तु कुछ संब (symbol) को बनाने के लिए कई कीज का साथ साथ या एक कम में दबाने या पकड़े रहने की आवश्यकता पड़ती हैं

    अन्य कीज (key) कोई संकेत नहीं बनाती बल्कि कम्प्यूटर अथवा की-बोर्ड के ऑपरेशन्स का प्रभावित करती हैं। की-बोर्ड की लगभग आधी कीज (keys) अक्षर, संख्या या चिह्न (characters) बनाती हैं।

    अन्य कुन्जी (key) को दबाने क्रियाएँ (actions) होती है तथा कुछ क्रियाओं (actions) का सम्पन्न करने के लिए एक से अधिक कुजियों को एक दबाया जाता है।

    की-बोर्ड की संरचना (Anatomy of a Keyboard)

    को-बोर्ड का परिचय संक्षेप में हमने पिछले खण्ड में जान लिया है। इस सेक्शन में हम यह जानते हैं की की-बोर्ड संरचना क्या है ? की-बोर्ड के मुख्य भाग कौन कौन से है?

    (What is the anatomy of a keyboard? W are the main sections of a keyboard?)

    हम को बोर्ड को संरचना के आधार पर इसकी keys की छ: भागों में इस प्रकार बाँट सकते हैं –

    1) एल्फान्यूमेरिक कीज़ (The Alphaniurmeric Keysh

    2) फंक्शन कोन (The Function Keys)

    3)मॉडिफायर कोन (The Modifier Keys

    4) न्यूमेरिक की पैड (The Numeric Keypad)

    5) विशिष्ट वाण्य कीन (Special Purpose Keys)

    6) कर्सर मूवमेन्ट कीज (Cursor Movment Keys)

    एल्फान्यूमेरिक कोण (Alphanumeric Keys)

    अल्फान्यूमेरिक कीज (keys) की-बोर्ड के केन्द्र स्थित होती है, जैसा आप किसी पारम्परिक मानतीय (manual) यामाध्य में देखते हैं।

    एल्फान्यूमेरिक कीज (keys) में वर्णमाला (A Z. या a-z), न्यूमेरिक अक्षर (0-9), विशेष चिह्न (~,!,@,#,$,%,^,&,*,(),_,+,|,-) होते हैं। इस सेक्शन में की बोर्ड की कीज (keys) की व्यवस्था की क्यों (QWLITY) के नाम से जाना जाता है,

    क्योंकि इस सेक्शन की सबसे ऊपरी पाँक्षा में क्यू डब्ल्यू. आर. टी. (QWLITY) वर्ण होते हैं। की इस सेक्शन में अंका, फिल्म the तथा वर्णमाला (alphabets) के अतिरिक्त चार कीज TAB. CAPS LOCK, BACKSPACE था ENTER कुछ विशिष्ट कार्यों के लिए होती हैं।

    न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad)

    न्यूमेरिक की पेड़ में लगभग 17 कीज़ (कुन्जियों) होती हैं जिनमें 0-9 तक के अंक गणितीय ऑपरेटर (mathematical operators), ऐसे कीज़ तथा कुछ विशेष कीज़ (Key) (Home, PgUp, PgDn, End, Ins, Enter तथा Del) होती है।

    विशेष कीज़ का संचालन नमलॉक (NumLock) key को ऑन या ऑफ करके किया जा सकता है। यह आपके कम्प्यूटर पर कैलकुलेटर की भाँति कार्य करता है।

    फंक्शन कीज़ (Function Keys)

    की-बोर्ड के ऊपर सम्भवतः 12 फंक्शन कीज़ होती हैं जो F1, F2….. F12 द्वारा इंगित होती हैं। ये कीज़ निर्देशों को शॉट-कट के रूप में प्रयोग करने में सहायक होती हैं।

    इन कीज़ के कार्य सॉफ्टवेयर के अनुसार बदलते रहते हैं। FI सामान्यतः प्रयोग में आने वाले सभी सॉफ्टवेयर में सहायता (help) के लिए होता है।

    विशिष्ट उद्देशीय कीन ( Special Purpose Keys)

    उन्नत किस्म को सॉफ्टवेयरों के विकास के बाद की बार्ड भी कई विशेष प्रकार की कौन के साथ उपलब्ध हो रहे हैं।

    ये कीम नये ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ विशेष कार्यों के अनुरूप जाती हैं। उदाहरणस्वरूप Sleep. Power, Volume, Start, Shortcut इत्यादि।

    मॉडीफायर कीज़ (The Modifier keys )

    इसमें तीन कौन होती हैं, जिसके नाम SHIFT ALT (Alternate). CTRL (Control) हैं। इनको अकेला दबाने पर कोई खास प्रयोग नहीं होता है,

    परन्तु जब अन्य किसी key (की) के साथ इनका प्रयोग होता है तो ये उन कीज़ के इनपुट को बदल देती हैं। इसलिए ये मॉडीफायर keys कही जाती हैं। जैसे जब आप SHIFT बटन को A के साथ दबाते हैं,

    (जब CAPSLOCK ऑफ रहता है) तो A इनपुट होता है जबकि सामान्य स्थिति में प्रदर्शित होता है। उसी प्रकार जब आप CTRL का प्रयोग के साथ करते हैं

    तो इसका प्रयोग कमाण्ड की तरह विषय-वस्तु (contents) को कॉपी करने में होता है। ALT का प्रयोग विंडो आधारित प्रोग्राम से मेन्यू को इनवाक करने में किया जाता है।

    कर्सर मूवमेण्ट कीज़ (The Cursor Movement keys )

    इसमें चार प्रकार के UP, Down, LEFT तथा RIGHT बटन का प्रयोग कर्सर को स्क्रीन पर मूव कराने में किया जाता है।

    आप इन कीज को न्यूमेरिक कीपैड पर भी पा सकते हैं। इसका प्रयोग तभी किया जा सकता है, जब Numlock ऑन हो ।

  • M-Commerce (mobile- commerce) kya hai?

    मोबाइल कॉमर्स की वृद्धि, सफल इतिहास तथा एप्लीकेशन्स

    (Growth, Success Stories and Applications of M-Commerce)

    विश्लेषकों का कहना है कि 3G सर्विसेज का शीघ्र व्यापारीकरण विकसित बाजारों में M-कॉमर्स के लिये नये अवसर प्रदान करेगा। M-कॉमर्स के सम्भावित बाजारों का अनुकूल लाभ उठाने के लिये हैण्डसैट निर्माता जैसे Nokia, Ericsion, Motorola तथा Qualcomm AT&T जैसे करियर (carrier) के साथ कार्य कर रहे हैं और शीघ्रता से WAP-योग्य स्मार्ट फोन और उन तक पहुँचने वाले तरीकों का विकास कर रहे हैं।

    Blue tooth टेक्नॉलाजी का उपयोग करके स्मार्ट फोन फैक्स, ई-मेल तथा अन्य योग्यताओं को एक ही उपकरण में एक साथ प्रदान करता है। जिससे मोबाइल कॉमर्स शीघ्रता से मोबाइल वर्कफोर्स द्वारा स्वीकार कर ली जाये।

    PDA तथा सेलुलर फोन इतने प्रसिद्ध हो गये हैं कि कई बिजनैस ने कस्टमर्स से संचारन तथा उन तक पहुँचने के लिये M- कॉमर्स का एक प्रभावी तरीके की तरह उपयोग करना शुरू कर दिया है।

    तकनीकी टैन्ड्स तथा आधुनिकता के बाद एशिया, यूरोप, कनाडा तथा US ने भी M-कॉमर्स की प्रारम्भिक स्टेज का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। जापान को M-कॉमर्स में अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख की तरह देखा जा रहा है।

    M-कॉमर्स 1997 में उत्पन्न हुआ था जब दो मोबाइल फोन योग्य कोका-कोला वेंडिंग मशीन Finland के Helsinki क्षेत्र में इन्स्ट्राल की गयी थी। वे वेन्डिंग मशीन को भुगतान भेजने के लिये SMS टेक्स्ट मैसेज का उपयोग करते हैं।

    1997 में मोबाइल फोन पर आधारित पहली बैकिंग सर्विस आरम्भ हुई थी यह सर्विस Finland के Merinta bank ने SMS का उपयोग करके शुरू की थी।

    1998 में पहले डिजीटल कन्टेंट सेल्स मोबाइल फोन के डाउनलोड्स की तरह संभव हुए थे जब Radionlinja के द्वारा Finland में पहली कॉमर्शियली डाउनलोड करने योग्य रिंगटोन्स लॉन्च की गयी थी ।

    Radiolinja अब Elisha का भाग है। 1999 में Philippines में स्मार्ट फोन द्वारा नेशनल M-पेयमन्ट सिस्टम के परिचय तथा जापान में NTT DoCoMo द्वारा पहले मोबाइल इंटरनेट प्लेटफार्म के लॉन्च के साथ M- कॉमर्स के लिये दो मुख्य कामर्शियल प्लेटफार्म लॉन्च किये गये थे।

    NTTT DoCoMo ने जिस मोबाइल इंटरनेट प्लेटफार्म को आरंभ किया है उसे I-Mode कहते हैं। I-Mode revenue- shariny डील भी ऑफर करता है जहाँ पर NTT DoCoMo कन्टेंट पेयमेंट के लिये सिर्फ 9 प्रतिशत रखता है 91% कन्टेंट स्वामी को वापिस कर देता है।

    2000 के प्रारम्भिक समय में Norway द्वारा मोबाइल पार्किंग के आरम्भ, Austria द्वारा ट्रेन के लिये मोबाइल टिकट के ऑफर तथा Japan द्वारा एअरलाइन टिकट की मोबाइल खरीदारी के साथ मोबाइल कॉमर्स से सम्बन्धित सर्विसेज शीघ्रता से प्रचारित होने लगी थी।

    पहला सम्मेलन जो मोबाइल कॉमर्स को समर्पित था जुलाई 2001 में लन्दन में हुआ था तथा पहली पुस्तक जो M- कॉमर्स से सम्बन्धित है वो Tomi Ahonen की M-Profiles नाम की पुस्तक है जो 2002 में प्रकाशित हुई थी।

    पहला यूनिवर्सिटी का शार्ट कोर्स जो M- कॉमर्स से सम्बन्धित है 2003 में Tomi Ahonen तथा Steve Jones के लेक्चर के साथ आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हुआ था।

  • CDMA kya hai?

    CDMA

    CDMA स्प्रेड स्पैक्ट्रम टैक्नोलॉजी की विशिष्ट माड्यूलेशन तकनीक है। CDMA इम्प्लीमेंटेशन को रिफर करने के लिये बहुत सारे विभिन्न नामों का प्रयोग होता है।

    Qual comm द्वारा परिभाषित वास्तविक US स्टैण्डर्ड IS-95 के नाम से जाना जाता है, IS दूरसंचार इन्डस्ट्री एसोसिएशन (T/A) के इन्ट्रीरम स्टैण्डर्ड को रिफर करता है।

    IS-95 को 2G अथवा दूसरी पीढ़ी के सेलुलर के नाम से भी जाना जाता है। Qualcomm का ब्रान्डनाम ‘cdmaOne’ 2G CDMA स्टैण्डर्ड को रिफर करने के लिये भी उपयोग किया जा सकता है।

    CDMA को मोबाइल ऐअर इन्टरफेस स्टैण्डर्ड की तरह स्वीकृति मिल सके इसके लिये अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) से अनुरोध किया गया है।

    जबकि ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन (GSM) स्ट्रैण्डर्ड सम्पूर्ण नेटवर्क आधारभूत संरचना की स्पेसिफिकेशन है CDMA इन्टरफेस केवल ऐअर इन्टरफेस जो तकनीक का रेडियो भाग होता है से सम्बन्धित है।

    उदाहरण के लिये, GSM अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर स्वीकार किये गये स्टैण्डर्ड पर आधारित आधारभूत संरचना को निर्दिष्ट करता है। जबकि CDMA प्रत्येक ऑपरेटर को स्थितिनुसार नेटवर्क विशेषतायें प्रदान करने की अनुमति देता है।

    ऐअर इन्टरफेस पर सिंगनेलिंग सुइट (GSM: ISDNSS7) का कार्य इनके समन्वय के लिये तेज कर दिया गया है।

    बहुत सारे संशोधनों के बाद IS-2000 स्ट्रैण्डर्ड ने IS-95 का स्थान ले लिया है। यह स्ट्रैण्डर्ड 3G के लिये IMT-2000 स्पेसिफिकेशन के कुछ मापदण्ड को प्राप्त करने के लिये प्रस्तुत किया गया है।

    इसे 1xRTT नाम से भी रिफर किया जाता है जिसका सरल अर्थ है “टाइम्स रेडियो ट्रान्समिशन टैक्नोलॉजी” तथा यह सूचित करता है कि IS-2000 वास्तविक IS- 95 स्टैण्डर्ड की तरह समान 1.25 MHz का करियर शेयर्ड चैनल का उपयोग करता है।

    एक सम्बन्धित योजना जिसे 3xRTT कहते हैं वह 3.75 MHz band width के लिये तीन 1.25 MHz करियर का उपयोग करती है जो स्वतन्त्र यूजर को अधि क डाटा ब्रस्ट रेट की अनुमति देते हैं लेकिन 3xRTT योजना को व्यवसायिक रूप से फैलाया नहीं गया है।

    अभी हाल ही में, Qualcomm ने नयी CDMA पर आधारित तकनीक जिसे IxEV-Do or IS-856 का निर्माण किया है जो IMT-2000 द्वारा आवश्यक पैकेट डाटा ट्रांसमिशन के लिए अधिक रेट्स प्रदान करता है तथा इन उच्च रेट्स की आवश्यकता बेतार नेटवर्क ऑपरेटर्स को भी होती है।

    CDMA सिस्टम प्राय: एक समान परन्तु इनकम्पैटबिल टेक्नोलॉजी जिसे बाइडवैण्ड कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (W- CDMA) कहते हैं के साथ अस्तव्यस्त है।

    जो W-CDMA ऐअर इन्टरफेस का आधार है। W-CDMA ऐअर इन्टरफेस ग्लोबल 3G स्टैण्डर्ड UMTS तथा जापानी 3G स्टैण्डर्ड FOMA में उपयोग होता है तथा यह NTT DoCoMo और वोडाफोन द्वारा भी उपयोग किया जाता है।

    हालांकि US नेशनल स्टैण्डर्ड की CDMA family (जिसमें CdmaOne तथा CDMA 2000 भी सम्मिलित है) ITU स्टैण्डर्ड की W-CDMA family के साथ अनुकूल नहीं है। CDMA की एक अन्य महत्त्वपूर्ण एप्लीकेशन ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है CDMA की यह एप्लीकेशन CDMA सेलुलर से पहले घटित है तथा इससे बिल्कुल भिन्न है।

    Qualcomm CDMA अत्यधिक उपयुक्त टाइम सिग्नल्स (सामान्यतः जो सैल बेस स्टेशन में GPS रिसीवर से सम्बन्धित है) को शामिल करता है, इसलिये सैल फोन CDMA पर आधारित क्लॉक्स रेडियो क्लॉक का एक प्रसिद्ध प्रकार है जो कम्प्यूटर नेटवर्क में उपयोग होता है।

    रिफ्रेरेन्स क्लॉक के उद्देश्य हेतु CDMA सैलफोन सिग्नल्स के इस्तेमाल का मुख्य लाभ यह है कि वे विल्डिंग के अन्दर बेहतर ढंग से काम करते हैं। इसलिये वे बिल्डिंग के बाहर एक GPS एन्टीने के सपोर्ट की आवश्यकता को खत्म करते