Author: Twinkle

  • Touch Screen Kya Hai?

    आज प्रौद्योगिकी (technology) ने आवश्यकता के अनुसार न जान कैसी-कैसी डिवाइसेज का आविष्कार करवा डाला है।

    उन स्क्रीन भी इसी प्रौद्योगिकी (technology) की एक कड़ी है। इस संक्शन में हम जानते हैं कि टच स्क्रीन क्या है ?

    टच स्क्रीन एक इनपुट डिवाइस है। इसमें एक प्रकार की डिस्न स्क्रीन होती है जिसकी सहायता से यूजर किसी प्वाइन्टिंग डिवाइस (pointing device) के बजाय अपनी उँगलियों का स्थित कर स्क्रीन पर मेन्यु या किसी ऑब्जेक्ट का चयन (select) करता है।

    कोई यूजर जिसको कम्प्यूटर की बहुत अधिक जानकारी न हो तो भी इसे सहजता से प्रयोग कर सकता है। ट स्क्रीन निस्संदेह एक यूजर फ्रेन्डली (friendly) इनपुट डिवाइस है

    किन्तु यह कम्प्यूटर में बड़ी मात्रा में डाटा को इनपुट करने में हमारी सहायता नहीं कर सकती है।

    टच स्क्रीन आपको रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, अस्पताल, शॉपिंग मॉल्स इत्यादि में लगे सूचना किओस्क पर मिल सकते हैं। कुछ ए. टी. एम. में भी टच स्क्रीन का प्रयोग होता है।

  • Trackball Kya Hai?

    इस सेक्शन में हम यह जानते हैं कि ट्रैकबॉल क्या है ? (What is a trackball?)

    ट्रैकबॉल एक प्वाइन्टिंग इनपुट डिवाइस है जो माउस की तरह ही कार्य करती है। इसमें बॉल (ball) होती है तथा कुछ बटन होते हैं।

    सामान्यतः पकड़ते समय बॉल (ball) पर आपका अंगूठा (thumb) होता है तथा आपकी अंगुलियाँ इसके बटन पर होती है।

    स्क्रीन पर प्वाइंटर को घुमाने के लिए अंगूठा से उस बॉल (ball) को घुमाते हैं। ट्रैक बॉल को माउस की तरह घुमाने की आवश्यकता नहीं होती

    इसलिए यह अपेक्षाकृत कम जगह घेरता है। ट्रैकबॉल की लोकप्रियता विशेषकर लैपटॉप (Laptop) कम्प्यूटर के कारण हुई

    क्योंकि लैपटॉप को कहीं भी आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाया जा सकता है। ट्रैक बॉल कई मॉडल में उपलब्ध हैं।

    यह बड़ी तथा छोटी दोनों प्रकार की बॉल (ball) के साथ उपलब्ध है। दो बटन तथा तीन बटनों के साथ बायाँ हाथ तथा दाहिना हाथ दोनों प्रकार के यूजर के लिए उपलब्ध हैं।

  • Joystick Kya Hai?

    बच्चों को आपने कम्प्यूटर पर या गेम्स कॉन्सोल्स पर गेम्स खेलते हुए देखा होगा। गम्म खलन के दौरान जो उपकरण सबसे ज्यादा प्रयोग होता है वह जॉयस्टिक होता है।

    आइए इस सेक्शन में हम यही जानते है कि जॉयस्टिक क्या है? (What is a joystick?)

    जॉयस्टिक एक इनपुट डिवाइस है। इसका प्रयोग प्रायः गेम्स खेलने में होता है। जबकि के माध्यम से स्क्रीन पर उपस्थित टर्टल या आकृति का इसके हैंडल से पकड़ कर चलाया जा सकता है।

    इसका प्रयोग बच्चों द्वारा प्रायः कम्प्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है क्योंकि यह बच्चों का कम्प्यूटर सिखाने का आसान तरीका है।

    वैसे तो कम्प्यूटर के सारे खेल की-बोर्ड द्वारा खेले जा सकते हैं परन्तु कुछ खेल जो तेज गति से खुल जाते हैं,

    उन खेलों में बच्चे अपने आपको सुविध जनक महसूस नहीं करते हैं। इसलिये जॉयस्टिक का प्रयोग किया जाता है।

  • Mouse Kitane Prakaar Ke Hote Hai?

    हम अब तक माउस के बारे में महत्वपूर्ण बातें जान चुके हैं। चलिए अब हम यह जानते हैं की माउस कितने प्रकार के होते हैं ?

    (How many types are there of a mouse?) माउस तीन प्रकार के होते हैं। ये निम्नलिखित हैं-

    1) मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

    2) ऑप्टिकल माउस (Optical Mourse)

    3) तार रहित माउस (Cordless Mouse)

    मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

    आजकल अधिकतर माउस मैकेनिकल ही होते हैं। इसमें एक रबड़ बॉल (Rubber ball) होता है जो माउस के खोल (case) के नीचे निकला हुआ होता है।

    जब माउस को सतह पर घुमाते हैं तब बॉल उस खोल के अंदर घूमता है। माउस के अंदर बॉल के घूमने से उसके अन्दर के सेन्सर्स (sensors) कम्प्यूटर को संकेत (signals) भेजते हैं।

    इन संकेतों (signals) में बॉल के घूर्णन की दूरी, दिशा तथा गति सम्मिलित होती है। इस डाटा के आधार पर कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्वाइंटर को निर्धारित करता है।

    ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse)

    ऑप्टिकल माउस एक नये प्रकार का नॉन मैकेनिकल माउस (non-mechanical mouse) हैं। इसमें प्रकाश की एक पुँज (beam of light) इसके नीचे की सतह से उत्सर्जित (emits) होती है।

    जिसके परावर्तन (reflection of light) के आधार पर यह ऑब्जेक्ट (जिस पर प्रक्रिया करनी है) की दूरी, दिशा तथा गति तय करता है।

    तार रहित माउस (Cordless Mouse)

    तार रहित (Cordless) माउस सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी (Advanced Technology) के माउस हैं जो आपको तार के झंझट से मुक्ति देते हैं।

    यह रेडियो फ्रीक्वेन्सी (frequency) तकनीक की सहायता से आपके कम्प्यूटर को सूचना कम्युनिकेट (communicate) करते हैं।

    इसमें दो मुख्य कम्पोनेन्ट्स ट्रान्समीटर (transmitter) तथा रिसोवर (receiver) होते हैं। ट्रान्स्मीटर माउस में होता है

    जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल (Electromagnetic signal) के रूप में माउस की गति तथा इसके क्लिक किये जाने को सूचना भेजता है।

    रिसीवर (receiver) जो आपके कम्प्यूटर से जुड़ा होता है, उस सिग्नल को प्राप्त करता है, इस डिकोड (decode) करता है तथा इसे माउस ड्राइवर सॉफ्टवेयर तथा ऑपरेटिंग सिस्टम को भेजता है।

    रिसोवर अलग से जोड़ा जाने वाला एक संयंत्र भी हो सकता है तथा इसको मदर बोर्ड के किसी स्लॉट (Slot) में कार्ड के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। कुछ कम्प्यूटर में यह इन-बिल्ट भी होता है।

  • Mouse Kya Hai?

    पिछले सेक्शन में आपने की बोर्ड तथा टर्मिनल के बारे में जाना। इस सेक्शन में चलिये हम यह जानते हैं की माउस क्या और यह किस प्रकार कार्य करता है?

    (What is a mouse? And how does it work?)

    1980 के दशक में कम्प्यूटर के साथ, सम्भवतः इनपुट डिवाइस के रूप में कंवल की-बोर्ड का प्रयोग किया जाता था।

    आज कुछ वर्षों से विशेषकर जब से ग्राफिकल यूजर इंटरफेस युक्त कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तथा ऑपरेटिंग सिस्टम आने लगे हैं

    पर्सनल कम्प्यूटर के साथ प्वाइन्टिंग डिवाइस के रूप में माउस का प्रयोग होता है। इसका नाम माउस, शायद लोगों ने कम्प्यूटर के विभिन्न भाग जैसे मॉनीटर तथा सी. पी. यू. के कैबिनेट की अपेक्षाकृत इसके आकार को देखकर रखा होगा।

    माउस अपनी सपोर्टिंग सतह (surface) के सापेक्ष में द्वि-विमीय गति की पहचान करते हुए एक प्वाइन्टिंग डिवाइस के रूप में कार्य करता है।

    भौतिक रूप से, माउस एक डिब्बे (case) की भांति होता है, जो यूजर के द्वारा किसी एक हाथ से पकड़ कर चलाया जाता है तथा जिसमें दो या दो से अधिक बटन होते हैं।

    इसमें कभी- कभी कुछ और तत्त्व, जैसे- व्हील्स (wheels) होते हैं, जिनकी सहायता से सिस्टम यूजर आधारित क्रिया-कलापों (ऑपरेशन्स) को सम्पन्न करते हैं।

    इसमें अतिरिक्त बटन या फीचर जन्म नियंत्रण (control) अथवा विमीय (dimensional) इनपुट जोड़ सकते हैं। माउस को गति सामान्यतः मॉनीटर पर प्वाइन्टर की गति में परिवर्तित होता है।

    माउस के कार्य (Functions of mouse)

    पिछले सेक्शन में आपने यह जाना की माउस क्या है और यह कार्य कैसे करता है। इस सेक्शन में हम यह जानते हैं की माउस क्या क्या कार्य करता है ?

    (What does the mouse do?) अर्थात् माउस के विभिन्न कार्य क्या हैं ? (What are the different functions of a mouse?)

    माउस किसी विशिष्ट आइकन, मेन्यू या किसी विशेष लोकेशन को स्क्रीन पर इंगित (point) करता है। केवल इंगित करना ही यूजर के लिए इसे उपयोगी नहीं बनाता है,

    बल्कि यह वैसे चार मुख्य कार्यों को करता है, जिन्हें आप की बोर्ड की सहस्यता से इतनी सहजता से नहीं कर सकते हैं और इसलिए यूजर के लिए यह अत्यंत उपयोगी है। इसके मुख्य कार्य निम्न हैं

    क्लिकिंग (Clicking)

    क्लिकिंग या सिंगल क्लिकिंग माउस के बाएँ (left) बटन के दबाने (press) को रिफर (refer) करता है। जब आप किसी ऑब्जेक्ट को इंगित करते हैं

    तथा उसे क्लिक करते हैं तो ऑब्जेक्ट का चयन (selection) हो जाता है। इसके एक्जिक्यूशन में विविधता होती है। उदाहरण के लिए यदि आप File मेन्यू को क्लिक तथा इंगित (point) करते हैं

    तो यह चयन नहीं होता बल्कि ऑब्जेक्ट एक्जिक्यूट होता है। तथा इसका सब मेन्यू प्रदर्शित हो जाता है। जब आप आइकन (icon) को अपने डेस्कटॉप पर क्लिक करते हैं,

    तो यह इसके द्वारा सलेक्ट (select) होता है, यद्यपि यह इस बात पर निर्भर करता है कि डेस्कटॉप को किस प्रकार कस्टमाइज किया गया है।

    डबल क्लिकिंग (Double Clicking)

    डबल क्लिॉकिंग का अर्थ माउस के बाएँ (left) बटन को दो बार लगातार दबाना है। डबल क्लिक का कार्यमुख्य रूप से अक्ट को आइकन फार्म में एक्जिक्यूट (execute) करना है। यदि आप मेन्यू की रात (point) करते है तो दो बार क्लिक करने को कोई आवश्यकता नहीं होती

    राइट क्लिकिंग (Right Clicking)

    राइट क्लिकिंग का अर्थ माउस के दाएँ (right) बटन को दबाना है। इसका प्रयोग पॉप-अप मेन्यू अथवा शार्टकट मेन्यू को एक्तिक्यूट करने के लिए करते हैं।

    उदाहरण के लिए जब आप ऑब्जेक्ट को इंगित (point) करते हैं तथा राइट क्लिक करते हैं, तो कुछ महत्त्वपूर्ण कमाण्ड COPY. CUT RENAME का प्रयोग क्रमशः करने, मूव करने, उसका नाम बदलने में होता है।

    आप इच्छानुसार मास की प्रोटीन (properties) को कस्टमाइज (customize) कर उसके बायें तथा दाँयें (left and right) बटन के कार्यों को बदल भी सकते हैं।

    ड्रैगिंग (Dragging)

    ड्रैगिंग का अर्थ एक ऑब्जेक्ट को एक स्थान से दूसरे स्थान पर खोचकर ले जाना होता है। इसका प्रयोग विशेषकर तब होता है

    जब आप विण्डोज इक्सप्लोर का प्रयोग कर रह है हालांकि इसका प्रयोग इक्स्प्लोरर तक हो सीमित नहीं है।

    इसका प्रयोग आप विण्डोजर में कॉपी करने तथा मूव करने जैसे कार्यों के शॉट कट के रूप में कर सकते हैं।

    आप इसका प्रयोग किसी ऑफिस एलोकेशन जैसे यई अथवा एक्सेल (excel) में ब्लॉक (block) अर्थात् विषय-वस्तु (contents) के चयनित क्षेत्र को कॉपी तथा मूव कराने में कर सकते हैं।

    इसका प्रयोग करने के लिए आप ऑब्जेक्ट को गित (point) करें तथा बायें बटन को क्लिक करें। फिर बटन को पकड़े हुए इच्छित स्थान पर ले जाकर छोड़ दें (अर्थात् बटन को छोड़ दें)

    जहाँ इंगिंग (dragging) होती है वहीं ड्रॉपिंग (dropping) होती है, इसलिए इस विधि को ड्रैग तथा ड्रॉप।(drag and drop method) कहा जाता है।

    स्क्रॉलिंग (Scrolling)

    माउस में दोनों बटन के मध्य एक स्क्रॉल बटन होता है। इसका प्रयोग स्क्रीन की सामग्री (matter) को ऊपर नीचे करने में किया जाता है। यह बटन आमतौर पर सभी प्रोग्राम्स (programs) में उपयोगी नहीं होता है।

  • Pointing Input Devices Kya Hai?

    प्वाइन्टिंग इनपुट डिवाइस में इनपुट डिवाइस है जो डॉग (point) कर निर्देशों (कमाण्ड) को इनपुट करते हैं।

    उदाहरण के तौर पर टेक्स्ट को कॉपी करने के लिये माउस किसी कमाण्ड को टाइप करने के बजाए कॉपी कमाण्ड को एक आकृति (icon) को डॉग (point) करके उसका चयन करता है।

    माउस लाइट पन व स्कीन तथा डिजिटाइजिंग टेबलेट प्वाइन्टिंग इनपुट डिवाइस के उदाहरण हैं।

    1) माउस (Mouse)

    2) जॉयस्टिक (Joystick)

    3) ट्रैकबॉल (Trackball)

    4) टच स्क्रीन (Touch Screen)

    5) लाइट पेन (Light Pen)

  • Terminal Kya Hai?

    आप अब हम यह जानते है को टर्मिनल क्या होता है ? यह कितने प्रकार का होता है ?

    (What is terminal? How many types of terminal there are)

    टर्मिनल एक असामान्य प्रकार का (uncommon) इनपुट डिवाइस है जो सम्भवतः मिनी कम्प्यूटर या मेनफ्रेम कम्प्यूटर ही में प्रयोग होता है।

    इसमें एक मानीटर तथा का बोर्ड होते हैं तथा यह रिमोट (remote) कम्प्यूटर से जुड़ा होता है। इसका प्रयोग डाटा इनपुट करने तथा रिमोट (remote) कम्प्यूटर से डाटा प्राप्त करने में होता है।

    देखने में यह बिल्कुल डेस्कटप कम्प्यूटर की तरह लगता है तथा इसे आपने भी रेलवे स्टेशन या बैंक में देखा होगा। इसमें कुछ तो फिक्स्ड टर्मिनल होत है

    जबकि कुछ को एक स्थान से दूसरे स्थान से जाया जा सकता है। डम्ब (dum), स्मार्ट (smart) तथा इंटेजिलेट (intelligent) टर्मिनल के प्रकार है।

    डम्ब टर्मिनल ( Dumb Terminal)

    डम्ब टर्मिनल सबसे कम कीमत का टर्मिनल होता है तथा यह पूरी तरह से मुख्य कम्प्यूटर पर निर्भर होता है।

    इसमें स्वयं किसी प्रकार की प्रोसेसिंग करने की क्षमता नहीं होती है। यह केवल की-बोर्ड को सहायता से डाटा इनपुट कर सकता है

    तथा मुख्य कम्प्यूटर से सूचनार्थ डाटा प्राप्त कर सकता है जो स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। आप प्रायः रेलवे आरक्षण काउण्टर पर जो कम्प्यूटर देखते हैं वह डम्ब टर्मिनल हो होता है।

    स्मार्ट टर्मिनल (Smart Terminal)

    स्मार्ट टर्मिनल में डाटा को इनपुट तथा प्राप्त करने की क्षमता के अतिरिक्त कुछ सीमित प्रोसेसिंग अधिकार होते हैं।

    इसमें कोई नये निर्देश (instructions) का लिखना या प्रोग्रामिंग करना वर्जित होता है। प्वाइंट ऑफ सेल (Point of Sale) टर्मिनल एक अत्यंत प्रचलित स्मार्ट टर्मिनल है

    जो लगभग कॅश रजिस्टर की तरह होता है, परन्तु यह सेल प्वाइन्ट के सेन तथा ईवेण्ट्री डाटा भी ग्रहण करता है जो प्रोसेसिंग हेतु केन्द्रीय (central) कम्प्यूटर का भेज दिया। जाता है।

    बिग बाजार तथा विशाल मेगा मार्ट जैसे सुपर बाजार में इन्हीं टर्मिनल का प्रयोग होता है। ये मुख्य कम्प्यूटर को प्रत्येक मिनट सेल तथा इंवेण्ट्री सूचना अपडेट करते रहते हैं।

    इस तरह के टर्मिनल में एक बार कोड रोडर, कैश रजिस्टर की तरह एक की-बोर्ड, कॅश ड्रावर (drawer) तथा एक प्रिन्टर लगा होता है। चौकंग में भी इसी प्रकार के टर्मिनल्स का अक्सर प्रयोग देखा जा सकता है।

    इंटेलिजेण्ट टर्मिनल (Intelligent Terminal)

    इंटेलिजेण्ट टर्मिनल में डाटा इनपुट डाटा प्राप्ति के अतिरिक्त स्वतंत्र (independent) प्रोसेसिंग की भी क्षमता होती है।

    इसमें की-बोर्ड, मॉनीटर तथा मुख्य कम्प्यूटर लिंक के अतिरिक्त प्रोसेसिंग यूनिट स्टोरेज यूनिट एवं सॉफ्टवेयर होता है।

    ऐसे कम्प्यूटरों का प्रयोग बड़ी-बड़ी कम्पनियां अपने शाखा कार्यालय में करती है जहाँ शाखा प्रबंधक इसे व्यवस्थित करते हैं। माइको कम्प्यूटर का प्रयोग इंटेलिजेण्ट टर्मिनल के रूप में प्रायः होता है।

  • Ergonomic Keyboard Kya Hai

    यह जानते हैं। बहुत सारी कम्पनियों ने एक खास प्रकार के की-बोर्ड का निर्माण किया है|

    जो यूजर को टाइपिंग करने में दूसरे पारम्परिक की-बोर्ड की अपेक्षा अधिक आराम देते हैं। ऐसे की-बोर्ड अरगॉनॉमिक की बोर्ड कहे जाते हैं।

    ऐसे की-बोर्ड विशेष तौर पर यूजर की कार्य क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ लगातार टाइपिंग करने के कारण उत्पन्न होने वाले कलाई (wrist) के दर्द को कम करने में सहायक होते हैं।

  • Wireless Keyboard Kya Hai?

    इस सेक्शन में हम यह जानते हैं की तार रहित की बोर्ड क्या है ? इसके सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलू क्या है?

    (What is a wireless keyboard? What are the positive and negative aspects of a wireless keyboard?)

    तार रहित की-बोर्ड यूजर को की बोर्ड में तार के प्रयोग से छुटकारा दिलाता है। कुछ कम्पनियों ने ताररहित की-बोर्ड का बाजार में प्रवेश कराया है।

    यह को बार्ड सीमित दूरी तक कार्य करता है। यह तार रहित को बोर्ड से थोड़ा महंगा होता है तथा इसमें थोड़ी तकनीकी जटिलता (technical complicity) होती है।

    इसमें तकनीकी जटिलता होने के कारण इसका प्रचलन बहुत अधिक नहीं हो पाया है। ज्यादातर तार रहित की बोर्ड के साथ एक माउस की जोड़ी बनाकर उसको रिसीवर द्वारा संचालित किया जाता है

    जोकि की बोर्ड और माउस दोनों को नियंत्रित करता है। यह की-बोर्ड तारमुक्त होने के कारण लोकप्रिय होता जा रहा है।

    सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलू (Positive And Negative Aspects )

    तार मुक्त की बोर्ड के निम्नलिखित सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलू हो सकते हैं।

    सकारात्मक पहलू (Positive Aspects)

    1) तार के झंझट से मुक्ति

    2) डेस्क स्पेस की बचत

    3) की-बोर्ड पोटेबिलिटी अर्थात् की-बोर्ड को इधर-उधर से जाया जा सकता है।

    नकारात्मक पहलू (Negative Aspects)

    1) तकनीकी जटिलता (Technical complexity)

    2) अपेक्षाकृत महँगा

    3) कम टिकाऊ

  • Keyboard Kya Hai

    की-बोर्ड कम्प्यूटर का एक अभिन्न अंग तथा प्राथमिक इनपुट उपकरण है। आइए इस सेक्शन में हम यह जानते हैं कि की बोर्ड क्या है ? की बोर्ड कम्प्यूटर का एक पेरिफेरल (peripheral) है

    जो आंशिक रूप से टाइपराइटर के की-बोर्ड की भांति होता है। की बोर्ड को टेक्स्ट तथा कॅरेक्टर इनपुट के लिए डिज़ायन (desgin) किया गया है

    की बोर्ड साथ ही यह कम्प्यूटर के ऑपरेशन्स का कंट्रोल (नियंत्रित) भी करता है। भौतिक रूप से कम्प्यूटर का की बोर्ड आयताकार या लगभग आयताकार बटनों या कीज (keys) की एक व्यवस्था होती है।

    की-बोर्ड में सामान्यतः कीज (keys) अंकित होती है अथवा छपा हुई होती है। अधिकतर स्थिति में, किसी कीज (key) को दबाने पर का चार्ड एक लिखित चिह्न (written symbol) भेजता है।

    किन्तु कुछ संब (symbol) को बनाने के लिए कई कीज का साथ साथ या एक कम में दबाने या पकड़े रहने की आवश्यकता पड़ती हैं

    अन्य कीज (key) कोई संकेत नहीं बनाती बल्कि कम्प्यूटर अथवा की-बोर्ड के ऑपरेशन्स का प्रभावित करती हैं। की-बोर्ड की लगभग आधी कीज (keys) अक्षर, संख्या या चिह्न (characters) बनाती हैं।

    अन्य कुन्जी (key) को दबाने क्रियाएँ (actions) होती है तथा कुछ क्रियाओं (actions) का सम्पन्न करने के लिए एक से अधिक कुजियों को एक दबाया जाता है।

    की-बोर्ड की संरचना (Anatomy of a Keyboard)

    को-बोर्ड का परिचय संक्षेप में हमने पिछले खण्ड में जान लिया है। इस सेक्शन में हम यह जानते हैं की की-बोर्ड संरचना क्या है ? की-बोर्ड के मुख्य भाग कौन कौन से है?

    (What is the anatomy of a keyboard? W are the main sections of a keyboard?)

    हम को बोर्ड को संरचना के आधार पर इसकी keys की छ: भागों में इस प्रकार बाँट सकते हैं –

    1) एल्फान्यूमेरिक कीज़ (The Alphaniurmeric Keysh

    2) फंक्शन कोन (The Function Keys)

    3)मॉडिफायर कोन (The Modifier Keys

    4) न्यूमेरिक की पैड (The Numeric Keypad)

    5) विशिष्ट वाण्य कीन (Special Purpose Keys)

    6) कर्सर मूवमेन्ट कीज (Cursor Movment Keys)

    एल्फान्यूमेरिक कोण (Alphanumeric Keys)

    अल्फान्यूमेरिक कीज (keys) की-बोर्ड के केन्द्र स्थित होती है, जैसा आप किसी पारम्परिक मानतीय (manual) यामाध्य में देखते हैं।

    एल्फान्यूमेरिक कीज (keys) में वर्णमाला (A Z. या a-z), न्यूमेरिक अक्षर (0-9), विशेष चिह्न (~,!,@,#,$,%,^,&,*,(),_,+,|,-) होते हैं। इस सेक्शन में की बोर्ड की कीज (keys) की व्यवस्था की क्यों (QWLITY) के नाम से जाना जाता है,

    क्योंकि इस सेक्शन की सबसे ऊपरी पाँक्षा में क्यू डब्ल्यू. आर. टी. (QWLITY) वर्ण होते हैं। की इस सेक्शन में अंका, फिल्म the तथा वर्णमाला (alphabets) के अतिरिक्त चार कीज TAB. CAPS LOCK, BACKSPACE था ENTER कुछ विशिष्ट कार्यों के लिए होती हैं।

    न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad)

    न्यूमेरिक की पेड़ में लगभग 17 कीज़ (कुन्जियों) होती हैं जिनमें 0-9 तक के अंक गणितीय ऑपरेटर (mathematical operators), ऐसे कीज़ तथा कुछ विशेष कीज़ (Key) (Home, PgUp, PgDn, End, Ins, Enter तथा Del) होती है।

    विशेष कीज़ का संचालन नमलॉक (NumLock) key को ऑन या ऑफ करके किया जा सकता है। यह आपके कम्प्यूटर पर कैलकुलेटर की भाँति कार्य करता है।

    फंक्शन कीज़ (Function Keys)

    की-बोर्ड के ऊपर सम्भवतः 12 फंक्शन कीज़ होती हैं जो F1, F2….. F12 द्वारा इंगित होती हैं। ये कीज़ निर्देशों को शॉट-कट के रूप में प्रयोग करने में सहायक होती हैं।

    इन कीज़ के कार्य सॉफ्टवेयर के अनुसार बदलते रहते हैं। FI सामान्यतः प्रयोग में आने वाले सभी सॉफ्टवेयर में सहायता (help) के लिए होता है।

    विशिष्ट उद्देशीय कीन ( Special Purpose Keys)

    उन्नत किस्म को सॉफ्टवेयरों के विकास के बाद की बार्ड भी कई विशेष प्रकार की कौन के साथ उपलब्ध हो रहे हैं।

    ये कीम नये ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ विशेष कार्यों के अनुरूप जाती हैं। उदाहरणस्वरूप Sleep. Power, Volume, Start, Shortcut इत्यादि।

    मॉडीफायर कीज़ (The Modifier keys )

    इसमें तीन कौन होती हैं, जिसके नाम SHIFT ALT (Alternate). CTRL (Control) हैं। इनको अकेला दबाने पर कोई खास प्रयोग नहीं होता है,

    परन्तु जब अन्य किसी key (की) के साथ इनका प्रयोग होता है तो ये उन कीज़ के इनपुट को बदल देती हैं। इसलिए ये मॉडीफायर keys कही जाती हैं। जैसे जब आप SHIFT बटन को A के साथ दबाते हैं,

    (जब CAPSLOCK ऑफ रहता है) तो A इनपुट होता है जबकि सामान्य स्थिति में प्रदर्शित होता है। उसी प्रकार जब आप CTRL का प्रयोग के साथ करते हैं

    तो इसका प्रयोग कमाण्ड की तरह विषय-वस्तु (contents) को कॉपी करने में होता है। ALT का प्रयोग विंडो आधारित प्रोग्राम से मेन्यू को इनवाक करने में किया जाता है।

    कर्सर मूवमेण्ट कीज़ (The Cursor Movement keys )

    इसमें चार प्रकार के UP, Down, LEFT तथा RIGHT बटन का प्रयोग कर्सर को स्क्रीन पर मूव कराने में किया जाता है।

    आप इन कीज को न्यूमेरिक कीपैड पर भी पा सकते हैं। इसका प्रयोग तभी किया जा सकता है, जब Numlock ऑन हो ।