Author: Ram

  • Brain Imaging kya hai?

    ब्रेन इमेजिंग (Brain Imaging)

    ब्रेन इमेजिंग में कॉग्निटिव कार्य करते समय विश्लेषण प्रक्रिया शामिल है। इससे व्यवहार व मस्तिष्क को यह समझने के लिए जोड़ते हैं कि जानकारी किस प्रकार प्रोसेस की गई है।

    भिन्न प्रकार की इमेजिंग तकनीकें टेम्पोरल (समय-आधारित) व सैप्टियल (स्थान-आधारित) होती हैं। इसका प्रयोग कॉग्निटिव न्यूरो-विज्ञान में किया जाता है।

    सिंगल फोटॉन ऐमिशन कंप्यूटिड टोमोग्राफी (SPECT) तथा पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET) SPECT व PET रेडियो एक्टिव आइसोटोप का प्रयोग करते हैं

    जो मस्तिष्क में खून की कोशिकाओं द्वारा डाला जाता है। मस्तिष्क का वह स्थान जहाँ पर रेडियो एक्टिव कण पाए जाते हैं, अधिक क्रियाशील हो जाता है। PET का स्पैटिकल रिसोल्यूशन TMRI से अच्छा है परन्तु इसका टैम्पोरल रिसोल्यूशन बहुत कमजोर है।

    इलेक्ट्रो ऐन्सेफलोग्राफी (EEG)- यह इलेक्ट्रिकल क्षेत्रों को मापती है जो न्यूरॉन ने उत्पादित किए हैं। यह इलेक्ट्रोड को विषय-वस्तु के ऊपर रखती है।

    इसका टैम्पोरल रिसोल्यूशन अत्यंत शक्तिशाली है परन्तु सैप्टियल रिसोल्यूशन कमजोर है।

    फंक्शनल मैगनैटिक रेजोनेन्स इमेंजिग (IMRI)– यह मस्तिष्क में जाने वाले खून की विभिन्न मात्राओं को मापता है। अधिक मात्रा में खून मस्तिष्क के उस क्षेत्र में न्यूरल कार्य को बढ़ाता है। इससे विभिन्न मस्तिष्क क्षेत्रों में फंक्शनों का प्रयोग आसानी से किया जाता है। MRI में सैप्टियल व टैम्पोरल रिसोल्यूशन ठीक होता है।

    ऑप्टिकल इमेजिंग- इस तकनीक में ट्रांसमीटर व रिसीवरों का प्रयोग खून द्वारा मस्तिष्क के आस-पास के विभिन्न क्षेत्रों में प्रकाश प्रतिबिंब की मात्रा को मापता है।

    क्योंकि ऑक्सीजनेटिड तथा डीऑक्सीजनेटिड खून विभिन्न मात्राओं में प्रकाश रीफलेक्ट करता है इसलिए हम जान सकते हैं कि कौन-से क्षेत्र अधिक क्रियात्मक हैं।

    (अर्थात् वे जिनमें अधिक ऑक्सीजनेटिड खून है) ऑप्टिकल इमेजिंग का टैम्पोरल रिसोल्यूशन ठीक व सैप्टियल रिसोल्यूशन कम होता है। इसका लाभ यह है कि यह अत्यंत सेफ है तथा बच्चों पर भी इसका प्रयोग हो सकता है।

    मैग्नेटो ऐन्सेफलोग्राफी (MEG)- यह कॉरटिकल एक्टिविटी उत्पन्न मैग्नेटिक क्षेत्रों को मापती है। यह EEG में मिलती-जुलती है, बजाय इसके कि इसमें सैप्टियल रिसोल्यूशन अच्छा होता है

    क्योंकि इसमें EEG की तरह मैग्नेटिक क्षेत्र अस्पष्ट नहीं होते। MEG छोटे-छोटे मैग्नेटिक क्षेत्रों को ढूँढ़ने के लिए SQUID सेंसरों का प्रयोग करती है।

  • Computational Modeling kya hai?

    कंप्यूटेशनल मॉडलिंग (Computational Modeling)

    कंप्यूटेशनल मॉडलिंग में समस्याओं को गणित व लॉजिक के रूप में पेश किया जाता है। इनका प्रयोग सिमुलेशन में व बुद्धिमत्ता की विशेष व साधारण विशेषताओं के लिए किया जाता है।

    इनका प्रयोग एक खास कॉग्निटिव सोच को समझने के लिए सहायक है।

    • सांकेतिक मॉडलिंग- ये एक्सपर्ट सिस्टम्स व सामान्य नॉलेज बेस्ड सिस्टम्स की तकनीकों पर आधारित सिस्टम हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः इन्फॉरमेशन इंजीनियरिंग व साधारण सिस्टमिक्स में होता है।

    सब सिंबॉलिक मॉडलिंग- इसमें कनेक्शनिस्ट व न्यूरल नेटवर्क मॉडल शामिल हैं। यह इस बात पर आधारित है कि मस्तिष्क एक साधारण नोडों का जाल है तथा इनके जुड़ने की प्रकृति से सिस्टम अपनी शक्ति लेता है।

    इस ऐप्रोच को ‘न्यूरल नेट्स’ नामक किताब में दर्शाया गया है। कुछ लोगों का यह मानना है कि ये सिस्टम, सिस्टम के कार्यों को बार-बार रिपीट करते रहते हैं तथा आसान व साधारण नियमों को भी कठिन व विषम बनाकर पेश करते हैं।

    उपरोक्त एप्रोच इंटीग्रेटिड कंप्यूटेशनल मॉडल की जनरलाइज्ड फार्म है जो सिंथेटिक / ऐब्सट्रैक्ट AI को दर्शाती है। एक व्यक्ति की व समाज या संगठन की निर्णय लेने की प्रक्रिया को यह विस्तार देती है व उसमें सुधार लाती है

  • Computational AI kya hai?

    कंप्यूटेशनल बुद्धिमत्ता (Computational AI)

    इसकी परिधि में सीखने व विकास के उपाय हैं (उदाहरणार्थ, कनेक्शनिस्ट सिस्टमों में पैरामीटर ट्यूनिंग) ।

    सीखना एंपीरिकल डाटा पर आधारित है तथा नॉन-सिम्बॉलिक AI, स्क्रूफी AI तथा सॉफ्ट कंप्यूटिंग से जुड़ा है। इस मेथड में शामिल हैं :

    न्यूरल नेटवर्क- इसमें काफी शक्तिशाली पैटर्न को पहचानने की क्षमता है।

    फूजी सिस्टम– इसमें अनिश्चित कारणों के लिए तकनीकें हैं। इसका प्रयोग मॉडर्न इंडस्ट्रियल तथा उपभोक्ता-उत्पाद नियंत्रण सिस्टम में होता है।

    क्रांतिकारी कम्प्यूटेशन– यह जीव-विज्ञान से प्रेरित होकर अपने मूल में बदलाव के लिए है। जैसे- जनसंख्या, क्यूटेशन, सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट, ताकि समस्याओं का सबसे बेहतर हल ढूँढ़ा जाये।

    इनका वर्गीकरण क्रांतिकारी ऐल्गोरिद्म (algorithm) में होता है (उदाहरण- जेनेटिक ऐल्गोरिद्म) तथा स्वार्म बुद्धिमत्ता (उदाहरण- आंट एल्गोरिदम) ।

    इन दोनों सिस्टमों को जोड़ने के लिए प्रयत्न किया जाता है। एक्सपर्ट इंफेरेन्स नियमों का उत्पादन न्यूरल नेटवर्क या सांख्यिकी के उत्पादन नियमों के तहत होता है।

    यह सोचा जाता है कि मानव मस्तिष्क परिणामों को बनाने व क्रास चेक करने के लिए कई तकनीकों का प्रयोग करता है, इसलिए एक सही मायने में AI के लिए सिस्टम इंटीग्रेशन अत्यंत आवश्यक है।

  • Conventional AI kya hai?

    कन्वेंशनल AI (Conventional AI)

    इसमें अधिकतर मशीनों द्वारा सीखे जाने वाले मेथड शामिल होते हैं, जिनकी विशेषता फॉरमैलिज्म व सांख्यिकी विश्लेषण पर आधारित होती है।

    इसे सांकेतिक AI, लॉजिकल AI, नोट AI तथा गुड ओल्ड फैशन्ड AI (GOFAI) भी कहा जाता है। इस मेथड में शामिल हैं :

    एक्सपर्ट सिस्टम– यह हर निष्कर्ष पर कारकों की क्षमताओं का विश्लेषण करता है। एक एक्सपर्ट सिस्टम बहुत सारी जानकारी पर कार्य करता है तथा उन पर आधारित निष्कर्ष देता है।

    स्थिति पर आधारित कारण यह समस्याओं व उत्तरों के सेट एक डाटा संरचना जिसे केस कहते हैं, में स्टोर करता है। ऐसा सिस्टम जिसमें समस्या दी हुई है, इससे मिलता-जुलता केस ढूँढ़ता है तथा इसका हल ढूँढ़कर आउटपुट देता

    बेजिअन नेटवर्क- यह एक कठिन व विषम समस्या को हल करने की तकनीक है।

    व्यवहार आधारित AI– यह हाथ द्वारा बनाया गया AI सिस्टम है जो मॉड्यूलर मेथड बनाता है।

  • AI Mechanisms kya hai?

    AI मैकैनिज्म (AI Mechanisms)

    AI सिस्टम आटोमेटिड इन्टरफीयरेंस इंजिनों के फलस्वरूप बने हैं। यह कुछ स्थितियों (ii) तथा कारकों (then) पर आधारित हैं। परिणामों के आधार पर AI एप्लिकेशनों को दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है :

    क्लासिफायर (“यदि चमक है तो हीरा है”) तथा नियंत्रक (“यदि चमक है तो उठा लो “)। नियंत्रक कार्यों में हस्तक्षेप करने से पहले, कंडीशन देते हैं इसलिए AI सिस्टम में बंटबारा इसका केन्द्र है।

    क्लासिफायर पैटर्न की पहचान कंडीशन को मैच करने के लिए करते हैं। अधिकतर स्थितियों में पूरी तरह मैच नहीं बल्कि काफी मिलता-जुलता होता है। इस सोच को तकनीक दो रूपों में बाँटती है: कनवेंशनल AI तथा कम्प्यूटेशनल बुद्धिमत्ता (CT)

    क्लासीफायर्स (Classifiers)

    क्लासीफायरों का प्रयोग AI में उदाहरणों को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है। इन्हें पैटर्न या ऑब्जरवेशन कहा जाता है।

    हर पैटर्न किसी पहले से ही डिफाइन्ड क्लास का भाग होता है। एक क्लास को किसी निर्णय के रूप में देखा जा सकता है, जो कि अभी लेना है। सारी ऑब्जरवेशनों को इकट्ठा करके क्लास लेबल दिए जाते हैं तो एक डाटा सेट बनता है।

    जब कोई नई ऑब्जरवेशन बनती है, उसका वर्गीकरण पिछले अनुभव पर आधारित होता है। एक क्लासीफायर सांख्यिकी व मशीनों द्वारा सीखता है।

    बहुत सारे क्लासीफायर अपनी शक्ति व कमजोरी के साथ उपलब्ध हैं। इनके कार्य डाटा की विशेषताओं पर निर्भर करते हैं। अपने आप में ही पूरक कोई एक क्लासीफायर नहीं है।

    इसे ‘नो फ्री लंच’ थ्योरम भी कहते हैं। क्लासीफायर के कार्यों को मापने व तुलना करने हेतु तथा डाटा की विशेषताएँ ढूँढ़ने के लिए कई एंपीरिकल टेस्ट किए जाते हैं जिससे क्लासीफायर की परफॉरमेंस पता चलती है।

    एक अच्छा क्लासीफायर ढूँढ़ना एक विज्ञान नहीं बल्कि कला है। अत्यधिक प्रयुक्त होने वाले क्लासीफायर हैं : न्यूरल नेटवर्क, सपोर्ट वेक्टर मशीन, के-नियरेस्ट नेबरऐलगोरिद्म, गॉसिअन मिक्सचर मॉडल, नेव बेज क्लासीफायर तथा डिसीजन ट्री।

  • Interdisciplinory Nature kya hai?

    अनुशासित प्रकृत्ति (Interdisciplinory Nature)

    कॉग्निटिव विज्ञान एक अनुशासित क्षेत्र है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों, जैसे मनोविज्ञान, न्यूरोविज्ञान, लिंगुइस्टिकस, फिलॉसफी, कम्प्यूटर विज्ञान, एंथ्रोपलॉजी, जीव विज्ञान व भौतिक विज्ञान का समावेश है।

    यह विज्ञान अधिक से अधिक विश्व को बाहरी रूप में देखता है जिस प्रकार कि दूसरे विज्ञान करते हैं। इसलिए इसका अपना भी एक उद्देश्य व औचित्य है।

    ये दूसरे भौतिक विज्ञानों के साथ कम्पैटिबल (Compatible) भी है तथा व्यक्ति के व्यावहारिक अध्ययन के लिए वैज्ञानिक तकनीकों तथा सिमुलेशन या मॉडलिंग का प्रयोग करता है।

    फिर भी कॉग्निटिव विज्ञान और अन्य विज्ञानों के मध्य काफी मद भेद हैं तथा इसकी अनुशासित प्रकृत्ति अभी भी इतनी प्रचलित नहीं है।

    कई वैज्ञानिक जो अपने आपको कॉग्निटिव वैज्ञानिक मानते हैं, मस्तिष्क के लिये कार्यात्मक व्यू रखते हैं- एक ऐसा व्यू जिसमें मानसिक स्थिति कार्य के अनुरूप वृगीकृत की जाती है।

    जिससे कोई सिस्टम किसी मानसिक स्थिति के अनुरूप उपयुक्त कार्य कर रहा है तो उसे उसी मानसिक स्थिति में समझा जाना चाहिये।

    अतः मास्तिष्क के फंक्शन लिखने के अनुसार न-हयूमन सिस्टम जैसे अन्य जानवरों की जातियाँ, विभिन्न लाइफ फार्म्स, अथवा कम्प्यूटर्स की भी मानसिक स्थितियाँ नॉन- हो सकती हैं।

    इसलिए कॉग्निटिव विज्ञान का पहलू दूसरे विज्ञानों, जैसे न्यूरोविज्ञान व साइकोलॉजी से पूरी तरह मेल नहीं खाता।

    बाहरी सोच से कॉग्निटिव विज्ञान की सबसे बड़ी अनुशासित प्रकृत्ति ‘सिस्टमिक्स’ है। इसमें विभिन्न सामाजिक सिस्टमों के मॉडल व थ्योरी शमिल हैं परन्तु जोर कॉग्निशन व बुद्धिमत्ता पर दिया गया है।

  • Concepts of AI kya hai?

    की अवधारणायें (Concepts of AI)

    कॉग्निटिव विज्ञान (Cognitive Science) कॉग्निटिव विज्ञान कॉग्निटिव कार्यों का अनुशासित अध्ययन है

    जो ज्ञान को प्राप्त करने व उसका प्रयोग करने से होता है। ये विभिन्न विषयों से कार्यप्रणाली लेता है; जैसे मनोविज्ञान, न्यूरो-विज्ञान, फिलॉसफी, कम्प्यूटर विज्ञान, ऐन्थ्रोपलॉजी व लिंगुइस्टिक्स |

    कॉग्निटिव विज्ञान शब्द का 1973 में क्रिस्टोफर लॉगुएट हिगिन्स ने प्रयोग किया था। कॉग्निटिव का अर्थ किसी भी मानसिक ऑपरेशन या संरचना से है

    जिसका कि यथार्थ रूप में अध्ययन संभव है। यह विचार अत्यंत विस्तृत है तथा इसका अर्थ ‘फिलॉसफी’ के शब्द कॉग्निटिव जिसका अर्थ सच्चाई व फॉरमल नियम होता है, कदापि नहीं है।

    कॉग्निटिव विज्ञान का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है जिसमें कॉग्निटिव के कई विषय आते हैं। परन्तु इसका अर्थ प्रत्येक मानसिक संरचना या ऑपरेशन से संबंधित नहीं है।

    सामाजिक व संस्कृति से जुड़े तथ्य, जागरूकता, मनोभाव, तथा तुलनात्मक अध्ययन इसके क्षेत्र से बाहर हैं। कई लोग कहते हैं कि ये महत्त्वपूर्ण विषय हैं तथा इनका सम्मिलन आवश्यक है।

  • Atrificial Intelligence kya hai?

    अप्राकृतिक या कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Atrificial Intelligence)

    अप्राकृतिक या कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनों के कॉग्निटिव अध्ययन से संबंधित है। इसका मुख्य उद्देश्य इन्सानियत बुद्धिमत्ता को कम्प्यूटर में डालना है।

    कॉग्निटिव अध्ययन के लिए कम्प्यूटरों का भी भरपूर प्रयोग होता है इन्सानी बुद्धिमत्ता की संरचना को समझने के लिए कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग सिमुलेशन (simulation) का प्रयोग करती है।

    मस्तिष्क को छोटे परन्तु स्वतंत्र तत्वों जैसे न्यूरॉन का ऐरे समझा जाए अथवा उच्च श्रेणी की संरचना जैसे संकेत, स्कीमाज, योजनायें तथा नियम यह आज भी विवाद का विषय है।

    पहली सोच मस्तिष्क के अध्ययन के लिये कनेक्शनिज्म का उपयोग करती है जबकि दूसरी सांकेतिक कम्प्यूटेशन पर जोर देती है।

    इस विषय को देखने का एक तरीका है कि क्या मनुष्य के मस्तिष्क को उचित ढंग से कम्प्यूटर पर सिमुलेट किया जा सकता है बिना न्यूरॉन को सिमुलेट किये जो मनुष्य के मस्तिष्क का निर्माण करते हैं।

    ध्यान ही मुख्य जानकारी का चुनाव है। मानव मस्तिष्क ऐसी सैकड़ों कोशिकाओं का केन्द्र है जो कार्यप्रणाली का निर्णय करता है।

    कभी-कभी किसी एक विशेष जानकारी पर ही ध्यान केन्द्रित करना कोई हल होता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रयोग सबसे पहले जॉन मैकार्थी ने किया है, इसका अर्थ विज्ञान व इंजीनियरिंग का प्रयोग बुद्धिमान मशीनें बनाने के लिए था।

    यह बुद्धिमत्ता अप्रकृतिक, मानव-निर्मित व कृत्रिम है। जब ‘AT शब्द का प्रयोग होता है, कंप्यूटेशनल व सिंथेटिक बुद्धिमत्ता का प्रयोग अधिक सही लगता है।

    इन सिस्टम्स को भागों में बांटने के लिए कमजोर व शक्तिशाली AI का प्रयोग किया जाता है। AI विभिन्न क्षेत्रों, जैसे कंप्यूटर विज्ञान, मनोविज्ञान, फिलॉसफी, न्यूरो-विज्ञान, इंजीनियरिंग व व्यावहारिक विज्ञान आदि में प्रयुक्त होती है। इसका प्रयोग कंप्यूटर व अन्य मशीनों द्वारा होता है।

    AI के विषय में खोज यह बताती है कि ऑटोमेटिक मशीनों का उत्पादन किस प्रकार हो। उदाहरणार्थ, नियंत्रण, नियोजन, समय-सारणी बनाने, हस्तलिपि, प्रश्नों के उत्तर देने की क्षमता, प्राकृतिक भाषा, भाषण, तथा मुख पहचानना आदि।

    AI का अध्ययन भी एक इंजीनियरिंग अनुशासन बन गया है जो जिंदगी से जुड़ी समस्याओं का समाधान देता है। यह कम्प्यूटर शतरंज, विडियो गेम, साफ्टवेयर एप्लिकेशन आदि में भी सहायक है।

    AI की सबसे कठिन समस्या इसका विस्तृत स्वरूप है। कई मशीनों का निर्माण हुआ है जो अद्भुत कार्य कर सकती हैं, परन्तु AI के क्षेत्र में कोई ऐसी मशीन नहीं बनी है।

  • Intelligence kya hai?

    बुद्धिमत्ता (Intelligence)

    हमारी प्रमुख परिभाषा ‘ब्रिटानिका ऐन्साइक्लोपीडिया’ से ली गई है- किसी वातावरण में ढलने की योग्यता या तो व्यक्ति के स्वयं में बदलाव से या वातावरण में बदलाव से होती है या फिर नया वातावरण ही ढूँढ़ने से बुद्धिमत्ता हार्डवेयर से स्वतंत्र है तथा इसका वर्णन ऐब्सट्रैक्ट लेवल पर हो सकता है परन्तु कॉग्निशन तो गणना या कम्प्यूटेशन है।

    रोशनी की गति की तरह सोचना, परमाणु स्केल के पदार्थों को मापना, अपने आपको शरीर की सीमाओं से परे रखना, इन्सानियत एक दिन इस संसार पर विजय पा लेगी।

    यह अपने आपके लिए नई राहों की खोज करेगी। यह खोए हुए संसार को दुबारा बनाएगी व मृत को पुनर्जीवित करेगी। सोच व हकीकत में केवल कुछ ही अंतर रह जाएगा।

    यहाँ हम अप्राकृतिक जिन्दगी को लालचपूर्ण निगाहों से देखते हैं। यह शरीर की सीमाओं से परे तथा भविष्य की शक्ति का निश्चय करती हैं। सीमाएँ शक्ति की इच्छा जागृत करती हैं, और शक्ति का निश्चय इन सारी सीमाओं को पार पाना चाहता है।

    शब्दकोष में बुद्धिमत्ता का अर्थ ‘जानकारी प्राप्त करने व प्रयोग करने की क्षमता’ तथा ‘सोच व कारण के गुर’ हैं। साधारणतः बुद्धिमत्ता विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त करने व उसे प्रयोग करने की योग्यता से संबंधित है।

    यह विभिन्न विषयों पर सोचने तथा तर्क करने की योग्यता से भी संबंधित होती है। बुद्धिमता केवल एक क्षेत्र जैसे शतरंज खेलना, भाषाएँ या गणित के बारे में ही जानकारी प्राप्त करना नहीं है बल्कि यह विभिन्न क्षेत्रों में अर्जित की गयी योग्यता से संबंधित होती है।

    गार्डनर की मल्टीपल इन्टेलीजेन्स थ्योरी कहती है कि बुद्धिमत्ता का बँटवारा विभिन्न विशेष इन्टेलीजेन्स घटकों क्षेत्रों में हो सकता है;

    जैसे लॉजिकल, गणित, संगीत, लिंगुइस्टिक्स, प्राकृतिक क्षेत्र, सैप्टियल, शारीरिक ज्ञान, या इन्टर/इन्टरा पर्सनल विस्तृत सोच में यह स्पष्ट है कि वैयक्तिक बुद्धिमत्ता कोई साधारण विषय नहीं है। हमारी बुद्धिमत्ता हमारे अनुभव में आई अनेक स्थितियों से जुड़ी है;

    जैसे- सामाजिक आचार-व्यवहार, विजन प्रोसेसिंग, मोशन नियंत्रण आदि ।

    हमारी बुद्धिमत्ता एक सिद्धान्त है, परन्तु हमें अपनी काफी समस्याएँ सुलझाने के लिए कुछ विषम कार्यप्रणालियों जैसे गणित तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग की सहायता लेने की आवश्यकता होती है। वैसे हम भाषा, आवाज, दृश्य, व सामाजिकता से जुड़ी समस्याओं के हल ढूँढ़ने में स्वयं ही बुद्धिमान हैं।

    सैद्धांतिक रूप में एक व्यक्ति जिसकी सामाजिक बुद्धिमत्ता नहीं है परन्तु वह लॉजिक व गणित में माहिर है, वह धीरे-ध रे सामाजिक समस्याओं को हल कर सकता है। परन्तु जो व्यक्ति सामाजिक बुद्धिमत्ता रखता है वह इन समस्याओं को जल्दी हल करेगा।

    एक दूसरी एप्रोच के अनुसार मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट स्टर्नबर्ग ने बुद्धिमत्ता के तीन पहलू बताए ऐक्सपीरिएन्सनल और कॉन्टैक्शुअल । हैं : कॉम्पोनेंशियल,

    कॉम्पोनेंशियल बुद्धिमत्ता का अर्थ लोगों की उन निपुणताओं से है जो उन्हें बुद्धिमान बनाती है।

    ऐक्सपीरिएन्सनल बुद्धिमत्ता का तात्पर्य मस्तिष्क के अनुभवों से सीखने व प्रयोग करने की क्षमता से है।

    कॉन्टैक्शुअल बुद्धिमत्ता का तात्पर्य मस्तिष्क का किसी विषय विशेष को समझने, चुनने, परिवर्तित व उसे प्रयोग करने की क्षमता से है

  • Web Casting kya hai?

    वेब कास्टिंग (Web Casting)

    शब्द वेब कॉस्टिंग वस्तुत: वेब (web) और ब्रॉडकॉस्टिंग (Broadcasting) का मिश्रण (blend) है। इसका उपयोग सबसे पहले 1997 में सामने आया था।

    वेब कॉस्टिंग जिसे नेटकास्टिंग भी कहा जाता है, का अर्थ वर्ल्ड वाइड वेब के ज़रिये सूचना या जानकारी प्रसारित करना है। इसका अर्थ इन्टरनेट पर लाइव ऑडियो या विडियो भेजना है।

    वेबकॉस्टिंग का उपयोग वाणिज्यिक विभागों में भी विस्तृत रूप से निवेशक संबंध (investor relations) प्रस्तुतीकरण (जैसे- आम वार्षिक सभाएँ) में, ई-लर्निंग (सेमिनार प्रसारित करने के लिए) में और संबंधित संचार गतिविधियों में किया जाता है।

    यद्यपि वेबकॉस्टिंग, बहुत अधिक वेब कॉन्फ्रेन्सिंग (Web conferencing) के विचारों के साथ ताल-मेल नहीं रख पाता, जिसे अनेक से अनेक (many to many) के बीच अन्योन्यक्रिया (Interaction) के लिए बनाया गया है।

    सस्ते या सुलभ तकनीक का प्रयोग कर वेबकॉस्ट करने की क्षमता ने स्वतंत्र मीडिया को फूलने-फलने में योगदान किया है।

    बहुत से ऐसे प्रसिद्ध स्वतंत्र शो (shows) हैं जो नियमित रूप से ऑनलाइन ब्रॉडकास्ट किये जाते हैं। अक्सर घर पर औसत नागरिकों के द्वारा बनाये जाने के कारण उनमें बहुत सी रूचिकारक मुद्दे शामिल होते हैं

    (नीरस मुद्दों से लेकर अप्रत्याशित और विचित्र मुद्दों तक)। कम्प्यूटर, तकनीक और खबरों से जुड़े वेबकास्ट आमतौर पर लोकप्रिय होते हैं और बहुत से नये कार्यक्रम नियमित रूप से शामिल किये जाते हैं।

    लगभग सारे मुख्य ब्रॉडकास्टर अपने आउटपुट का वेबकास्ट रखते हैं। इसमें बी. बी. सी. (BBC) से सी. एन. एन (CNN) और अल जजीरा (Al Jazeera) से लेकर यू. एन. टी. वी. (UNTV) वेबकास्ट और रेडियो चाइना, वेटिकन रेडियो, संयुक्त राष्ट्र रेडियो और वर्ल्ड सर्विस तक शामिल हैं।