Author: Ram

  • SQL ke Labh Kya hai? Advantages of SQL in Hindi

    SQL के लाभ (Advantages of SQL)

    1. कोडिंग की कोई आवश्यकता नहीं है : स्टैंडर्ड SQL का उपयोग करके कोड की पर्याप्त मात्रा को लिखने की आवश्यकता के बिना डेटाबेस सिस्टम को मैनेज करना बहुत आसान है।

    2. वेल डिफाइन्ड स्टैंडर्ड्स : लम्बे समय से स्थापित ऑर्गेनाइजेशन्स SQL डेटाबेसेस का उपयोग करते हैं, जिसे ISO तथा ANSI द्वारा उपयोग किया जा रहा है।

    3. इंटरेक्टिव लैंग्वेज : इस डोमेन लैंग्वेज का उपयोग डेटाबेस के साथ कम्युनिकेट करने और कुछ ही सेकंड्स में कॉम्प्लेक्स सवालों के जवाब प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

    4 मल्टिपल डेटा व्यूज : SQL की सहायता से युजर्स विभिन्न यूजर्स के लिए डेटाबेस स्ट्रक्चर के विभिन्न व्यूज तथा डेटाबेसेस का निर्माण कर सकते हैं।

    5. मैनेजमेन्ट में आसानी : SQL का उपयोग लगभग हर रिलेशनल, डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम में किया जाता है। ‘Select’, ‘Create’, ‘Insert’, ‘Drop’, ‘Update’, तथा ‘Delete’ स्टैंडर्ड और कॉमन SQL कमांड्स हैं, जो हमें डेटाबेस से बड़ी मात्रा में डेटा को बहुत जल्दी और कुशलता से मैनेज करने में सहायता करते हैं।

  • SQL ki Applications kya hai

    (Applications of SQL)

    SQL की मुख्य एप्लिकेशन्स का वर्णन इस प्रकार किया गया है :

    1. डेटा इन्टिग्रेशन स्क्रिप्ट्स : SQL की मुख्य एप्लिकेशन डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर्स तथा डेवलपर्स द्वारा डेटा इन्टिग्रेशन स्क्रिप्ट्स लिखना है।

    2. एनालिटिकल क्वेरीज : डेटा एनालिस्ट्स नियमित रूप से एनालिटिकल क्वेरीज को सेट तथा रन करने के लिए स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज का उपयोग करते हैं।

    3. रिट्राइव इन्फॉर्मेशन इस लैंग्वेज की एक अन्य पॉप्युलर एप्लिकेशन एनालिटिक्स एप्लिकेशन तथा ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग के लिए डेटाबेस के भीतर इन्फॉर्मेशन के सबसेट्स को रिट्राइव करता है। सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले SQL एलिमेन्ट्स सिलेक्ट, इन्सर्ट, अपडेट, एड, डिलिट, क्रिएट, इन्केट तथा अल्टर है।

    4. अन्य महत्वपूर्ण एप्लिकेशन्स : SQL का उपयोग इन्डेक्स स्ट्रक्चर्स तथा डेटाबेस टेबल के मोडिफिकेशन के लिए किया जाता है। इसके साथ ही, युजर्स इन लैंग्वेज का उपयोग करके डेटा की रोज को एड, अपडेट तथा डिलिट कर सकते हैं।

  • SQL ki Visheshtaen Kya Hai

    (Characteristics of SQL)

    आधुनिक दुनिया में SQL सबसे अधिक डिमांड वाली स्किल्स में से एक है। हर दिन बड़ी मात्रा में डेटा कलेक्ट किया जाता है और इन होटाबेसेस के साथ इनसाइटफुल इन्फॉर्मेशन प्राप्त करने के लिए डील करना होता है। इसलिए, हमारे लिए SQL सोखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक स्पेशल पर्पस डेटाबेस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जो डेटाबेस में उपयोगी स्ट्रेटेजीस बनाने में सहायता करती है और आसानी से अत्यंत बड़े पैमाने पर डेटाबेस के साथ इंटरेक्ट कर सकती है, भले भी साइज हो। SQL की ये विशेषताएँ SQL को सबसे पॉवरफूल टूल बनाती हैं। इसलिए यहाँ SQL की कुछ प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया गया है, जो इसे एक सफल डेटाबेस प्रोग्रामिंग लँग्वेज बनाती है :

    1. हाई परफॉर्मन्स : SQL ट्रांजेक्शनल, हेवी वर्कलोड तथा हाई युसेज डेटाबेस सिस्टम के लिए हाई परफॉर्मन्स मोग्रामिंग कैपेबिलिटी प्रदान करता है। SQL प्रोग्रामिंग, डेटा को अधिक एनालिटिकल रूप से वर्णन करने के कई तरीके प्रदान करता है।

    2. हाई अवेलेबिलिटी : SQL MS एक्सेस, माइक्रोसॉफ्ट SQL सर्वर, MySQL, ओरेकल डेटाबेस, SAP HANA, SAP एडाप्टिव सर्वर आदि जैसे डेटाबेस के साथ कम्पेरियल है। ये सभी रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम SQL को सपोर्ट करते हैं तथा प्रोसीजरल प्रोग्रामिंग और विभिन्न अन्य फंक्शन्स के लिए एप्लिकेशन एक्सटेंशन बनाना आसान। है, जो अतिरिक्त विशेषता है। यह SQL को एक पॉवरफूल टूल में कन्वर्ट करती है।

    3. स्कैलेबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी: SQL स्कैलेबिलिटी तथा फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है। नई टेबल्स बनाना बहुत आसान है, साथ ही पहले से बनाई गई या अनुपयोगी टेबल्स को डेटाबेस से ड्रॉप या डिलिट किया जा सकता है।

    4. ट्रांसपोर्ट SQL मग बड़े रिकॉर्ड्स को हैंडल कर सकती है तथा कई ट्रांजेक्शन्स को मैनेज कर सकती है।

    5. क्योरिटी टेबल्स प्रोसीजर्स तथा व्यूज को परमिशन देना बहुत आसान है, इसलिए SQL आपके डेटा को सिक्योरिटी प्रदान करता है।

    6. कॉम्प्रेहेन्सिव एप्लिकेशन डेवलपमेन्ट SQL का उपयोग कई प्रोग्रामर्स द्वारा डेटाबेस में प्रोग्राम एप्स को एक्सेस करने के लिए किया जाता है। भले ही आर्गेनाइजेशन का साइज कोई भी हो SQL हर छोटे तथा बड़े आर्गेनाइजेशन के लिए कार्य करता है।

    7. पोर्टेबिलिटी : SQL का उपयोग PCs, सवर्स, लैपटॉप्स और यहाँ तक कि कुछ मोबाइल फोन्स में प्रोग्राम के लिए किया जाता है।

    8. ओपन सोर्स : SQL रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम के निर्माण के लिए एक ओपन सोर्स प्रोग्रामिंग लैग्वेज है।

  • Computer Kya hai ?


    मान लीजिये, आप एक विद्यार्थी या एक अध्यापक या किसी क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और आपसे पूछा जाता है कि कम्प्यूटर क्या है ? क्या आपके द्वारा ‘नहीं’ में उत्तर देना उचित है ? यह बहुत आश्चर्यजनक है कि कोई व्यक्ति शिक्षित होते हुए भी यह न जाने कि कम्प्यूटर क्या है। यह अविश्वसनीय प्रतीत होता है।

    आजकल हर जगह कम्प्यूटर विद्यमान है और पृथ्वी पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति इस के अस्तित्व के सत्य को नकार नहीं सकता। जब आप किसी डिपार्टमेन्टल स्टोर में जाते हैं तो देखते हैं कि एक बार कोड रोडर आपके द्वारा खरीदे गये सामान पर बने बार कोड को जाँचता है और एक कम्प्यूटर से जुड़ा हुआ प्रिन्टर आपको बिल बनाकर देता है। एक बुद्ध बक्से जैसी दिखने वाली मशीन ने हमारी पूरी जीवन शैली को बदल दिया है। पोस्टकार्डस का स्थान ई-मेल ने ले लिया है। बैंकिंग ने नये आयाम ग्रहण कर लिये हैं टिकट लेने या देने की प्रक्रिया ने नया स्वरूप ले लिया है। सब-कुछ ऐसा दिखता है कि मानो कोई अदृश्यशक्ति आदेश दे रही हो- “तथास्तु’ अर्थात् जैसा आप चाहते हैं वैसा ही हो। जब यह मशीन हमारी जीवन शैली को बदल चुकी है, तो क्या हमारी यह जिम्मेदारी नहीं है कि हम इस दिव्य रचना (कम्प्यूटर) की छोटी-बड़ी प्रत्येक बात को जानें में व्यक्तिगत रूप से इसे एक मानवीय रचना के बजाय दिव्य रचना कहता हूँ जिसका विचार मानवीय मस्तिष्क में हमारे जीवन को सुखद बनाने हेतु आया। इस अध्याय में आपको कम्प्यूटर के बारे में अधिकाधिक जानकारी देनेy का प्रयास किया गया है।

    अध्याय

    कम्प्यूटर क्या है ? (What is computer?)

    साधारण तौर पर परिभाषा यह है कि कम्प्यूटर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र (machine) है जो अंकगणितीय और तार्किक क्रिया-कलापों (लॉजिकल ऑपरेशन्स) को सम्पन्न करता है। दूसरे शब्दों में कम्प्यूटर को एक ऐसे यन्त्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका प्रयोग निर्देशों की एक सूची के अनुरूप डाटा को व्यवस्थित (manipulate) करने में होता है। आज कम्प्यूटर केवल कुछ कार्यों तक ही सीमित नहीं है जैसाकि यह अपने शैशव काल में था। पहले के कम्प्यूटर एक बड़े कमरे के आकार के होते थे जो आजकल के सैकड़ों पर्सनल कम्प्यूटरों के बराबर ऊर्जा का उपयोग करते थे। आजकल कम्प्यूटरों ने नाना प्रकार के रूप और आकार ग्रहण कर लिये हैं। अब कम्प्यूटरों को इतना छोटा बनाया जा सकता है कि उन्हें एक कलाई घड़ी में फिट किया जा सकता है तथा घड़ी की बैटरी से ही चलाया जा सकता है। आजकल पर्सनल तथा पोर्टेबल कम्प्यूटरों का बाहुल्य है।

    Embedded कम्प्यूटर भी प्रचलित हैं। ये कम्प्यूटर छोटे तथा साधारण यन्त्र (मशीन) होते हैं जो प्रायः अन्य यंत्रों को नियंत्रित (control). करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। उदाहरण के लिए इन्हें हम लड़ाकू विमान से लेकर इण्डस्ट्रियल रोबोट, डिजिटल कैमरा और बच्चों के खिलौनों तक में देख सकते हैं। कम्प्यूटर में किसी भी प्रोग्राम को स्टोर एवं एक्जिक्यूट करने की क्षमता होती है जो कम्प्यूटर को अत्यंत सार्वभौमिक (वर्साटाइल) बनाते हैं तथा इन्हें कैलकुलेटर से भिन्न बनाते हैं। कोई भी कम्प्यूटर एक निश्चित एवं न्यूनतम क्षमता के साथ, सिद्धान्तत: (in principle), उन सभी कार्यों को सम्पन्न कर सकता है जो किसी अन्य कम्प्यूटर द्वारा संपन्न किये जा सकते. इसलिए, पर्सनल डिजिटल असिस्टेण्ट से लेकर सुपर कम्प्यूटर तक की क्षमता और जटिलता (complexity) वाले कम्यूट समान संगणनात्मक (computational) कार्य को सम्पन्न कर सकते हैं अलबत्ता उनके लिए प्रोसेसिंग समय तथा स्टोरेज (storage capacity) कोई मायने न रखते हों।

    कम्प्यूटर साक्षरता क्यों कम्प्यूटर जानना आवश्यक क्यों है ? क्या यह सिर्फ एक उद्योग को स्थापित करने की कोशिश है ? या फिर कम्प्यूटर वाकई इतना महत्त्वपूर्ण बन गया है कि इसको भली भाँति जानना आवश्यक है। इससे पहले कि आप इसका कोई हुँदै आप अपने चारों और कम्प्यूटर के अनुप्रयोगों (application) पर एक दृष्टि डालें। आप टेलिविजन तो प्रतिदिन । होंगे। क्या टेलिविजन पर दिखाये जा रहे समाचार तथा अन्य कार्यक्रम कम्प्यूटर के बगैर इतना उत्कृष्ठ रूप में मुमकिन । ? बिल्कुल नहीं। टेलिविजन स्टूडियो में कम्प्यूटरीकृत ग्राफिक्स तथा उच्च स्तरीय (high level) कम्प्यूटर नियंत्रित प्रश तंत्र का प्रयोग होता है। इसके अतिरिक्त घटनाओं के सीधे प्रसारण एवं और बहुत सारी गतिविधियों में कम्प्यूटर का प्र अनिवार्य बन गया है। क्या आपने कभी मौसम समाचार पर गौर किया है ? किस प्रकार आपको मौसम की भविष्यवाणी बतायी जाती है ? मौसम विभाग इसके लिए व्यापक कम्प्यूटर नेटवर्क का प्रयोग करने के अलावा उपग्रह से जुड़े हुए Computer forecast system का प्रयोग करते हैं। क्या आपने बाइक या कार में कम्प्यूटर की उपयोगिता पर ध्यान दिया है ? बाइक या कार की ईंधन प्रणाली (fuel system) कम्प्यूटर द्वारा ही नियंत्रित (control) होता है। क्या आपने क पर चलते समय या गाड़ी पर चलते हुए यातायात प्रणाली (traffic system) पर ध्यान दिया है ? Traffic Light System पूरा-पूरा कम्प्यूटर द्वारा संचालित होता है। विकसित देशों में तो पूरा यातायात तंत्र (traffic system) ही कम्प्यूटर द्वारा निर्वाि होता है। क्या आपने बैंकिंग सिस्टम में कम्प्यूटर की उपयोगिता पर ध्यान दिया है? आज पूरे बैंकिंग सिस्टम का आध कम्प्यूटर है। ऑटोमेटेड टेलर मशीन स्वयं में पूरा कम्प्यूटर ही है। क्या आप कोई ऐसा क्षेत्र सोच सकते हैं, जहाँ कम्प्यू का प्रयोग न हो रहा हो ? कम्प्यूटर हवाई जहाज को उतरने में चिकित्सा में, दूरभाष प्रणाली में शिक्षण में रिश्तों को बनाय रखने में, वित्त व्यवस्थित रखने में शोध करने में, मनोरंजन करने में और इसी तरह के अनेक कामों में हमारी सहायता करता है।अब आप बताइए कि क्या कम्प्यूटर साक्षर होना आपके लिए आवश्यक है ? इसके बाद कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति का जवाब शायद ही न हो। आज कम्प्यूटर साक्षरता उतना ही जरूरी है जितना पढ़ना लिखना सीखना आवश्यक है। कम्प्यूटर आज रोजना पाने का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। यदि आप व्यापार कर रहे हैं तो कम्प्यूटर को जानना व्यापार के दाव पेंच (details an secrets) जानने के बराबर महत्त्वपूर्ण है। आज कम्प्यूटर सूचना तंत्र (information system) का आधार है और सूच (information) कामयाबी का स्रोत है। आप अपने आपको जितना अधिक अपडेट रखते हैं, उतनी अधिक तेजी के स कामयाबी की ओर बढ़ते हैं। कम्प्यूटर आज निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि आप किसी व्यापार के प्रवक है और आप कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय लेना चाहते हैं तो आज आपके पास निर्णय लेने के लिए केवल एक दिमाग नहीं, बल्ि विश्व के सबसे अच्छे दिमागों का संकलन (collection) कम्प्यूटर की सहायता से उपलब्ध होता है। इस तंत्र को Experts System कहते हैं। प्रबंधन में कम्प्यूटर ने प्रबंधन सूचना तंत्र (Management Information System) को उन दिया है जो आज प्रबंधकों के लिए जानना बिल्कुल आवश्यक है।

    आज विद्यार्थी से लेकर किसान, चिकित्सक, व्यापारी, विशेषज्ञ, लेखक, वैज्ञानिक सभी के लिए कम्प्यूटर साक्षरता के ब उनका ज्ञान संभवतः अधूरा है। कम्प्यूटर जागृति एक व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत कारणों से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। मैन रोड • डाइजेस्ट के कुछ साल पहले के संस्करण में एक सच्ची कहानी पढ़ी थी। उसमें एक बच्चे को ऐसी बीमारी थी जो लाईल थी, परन्तु उस बच्चे की माँ ने हिम्मत नहीं हारी और इण्टरनेट की सहायता से बीमारी पर स्वयं शोध किया और उस के आधार पर एक विशेष सम्मिश्रण वाली दवा बनायो। फिर इण्टरनेट के माध्यम से हो उसने उस विशेष सम्मिश्रण वाल ‘दवा किसी दवा कम्पनी द्वारा बनवायी और इस प्रकार उसने अपने बच्चे को जान बचायी कम्प्यूटर साक्षरता के कारण

    कम्प्यूटर की क्षमताएँ – आजकल कम्प्यूटर को क्षमता का उल्लेख करना तथा इसकी क्षमताओं को सूचिबद्ध करना अत्यंत आसान है। कोई साचार आदमी भी इसकी को गणना कर सकता है। आइए, तो हम इस प्रश्न का उत्तर जाने कि कम्प्यूटर की मुख क्षमताएं क्या हैं ? (What are the chief strengths of a computer?) कम्प्यूटर का उपयोग व्यापक है। यह आज विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न लोगों की सहायता कर रहा है। इसके अनुप्रयो (applications) को देखते हुए इसकी क्षमताएँ इस प्रकार हो सकती हैं। गति (Speed) कम्प्यूटर किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर सकता है। कम्प्यूटर कुछ ही क्षण में गुणहभाग को करोड़ों क्रियाएँ (operations) कर सकता है। यदि आपको 440 x 56 का गुणा करना हो तो इसमें आपका लगभग 1 से लेकर 2 मिनट तक का समय लग सकता है। यही कार्य कैलकुलेटर से करें तो वह लगभग 5 सेकेण्में किया जा सकता है। लेकिन एक आधुनिक कम्प्यूटर में ऐसे 30 लाख ऑपरेशन्स एक साथ कुछ ही सेकण्डों (seconds) में सम्पन्न हो सकते ह

    स्वचालन (Automation) – कम्प्यूटर अपना कार्य, प्रोग्राम (निर्देशों के एक समूह) के एक बार लोड हो जाने पर स्वतः करता रहता है। उदाहरणार्थ किसी डाटा एन्ट्री प्रोग्राम पर कार्य कर रहे ऑपरेटर को स्वयं रिपार्ट तैयार करने की आवश्यकता अपितु कम्प्यूटर प्रविष्ट डाटा (entered data) के आधार पर स्वयं ही रिपोर्ट देता रहता है।

    शुद्धता (Accuracy) कम्प्यूटर अपना कार्य बिना किसी गलती के करता है। कम्प्यूटर द्वारा गलती किये जाने के कई उदाहरण सामने आते हैं, लेकिन इन सभी गलतियां में या तो गलती कम्प्यूटर में डाटा एन्टर करते समय की गयी होतीया यह कभी प्रोग्राम के तट के समय की है। कम्प्यूटर स्वयं कभी गलती नहीं करता है।

    सार्वभौमिकता (Versatility ) कम्प्यूटर अपनी सार्वभौमिकता (versatility) के गुण के कारण बड़ी तेजी से सारी दुनिया में छाता जा रहा है। कम्प्यूटर गणितीय कार्यों को सम्पन्न करने के साथ-साथ व्यावसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने लगा है। कम्प्यूटर में प्रिंटर संयोजित करके सभी प्रकार को सूचनाएँ कई रूपों में प्रस्तुत की जा सकती हैं। कम्प्यूटर को टेलीफोन लाइन से जोड़कर सारी दुनिया से सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। कम्प्यूटर की सहायता से तरह-तरह के खेल खेल जा सकते हैं।

    उच्च स्टोरेज क्षमता (High Storage Capacity) एक कम्प्यूटर सिस्टम की डाटा स्टोरेज क्षमता अत्यधिक होती है। कम्प्यूटर लाखों शब्दों का बहुत कम जगह में स्टार करके रख सकता है। यह सभी प्रकार के डाटा, चित्र, प्रोग्राम, Text तथा आवाज को कई वर्षों तक स्टोर करके रख सकता है। हम कभी भी यह सूचना कुछ ही सेकेण्ड में प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने उपयोग में ला सकते हैं।

    कर्मठता ( Diligence) आम मानव किसी कार्य को निरन्तर कुछ ही घण्टों तक करने में थक जाता है। इसके ठीक विपरीत, कम्प्यूटर किसी कार्य को निरन्तर कई घण्टों दिनों तथा महीना तक करने की क्षमता रखता है। इसके बावजूद उसके कार्य करने की क्षमता में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम को शुद्धता घटती है। कम्प्यूटर किसी भी दिये गये कार्य को बिना किसी भेद-भाव के करता है, चाहे वह कार्य रुचिकर हो या उबाऊ

    विश्वसनीयता (Reliability) जैसाकि पहले उल्लेख किया जा चुका है कि कम्प्यूटर में ठीक ठीक स्टोरेज, स्वचालन, डाटा को यथास्थिति में पुनःप्राप्ति कर्मठता तथा उच्च गति जैसी क्षमताएँ विद्यमान हैं। यही क्षमताएँ कम्प्यूटरों को आज विश्वसनीय (reliable) बनाते हैं। सभी व्यवसाय तथा विद्वता (intellacts) के लोग इस पर पूरी तरह से निर्भर हैं।

    कम्प्यूटर की सीमाएँ (Limitations Of Computer) कम्प्यूटर की कमियों का उल्लेख एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, परन्तु यदि हम ठीक से विचार करें तो हम कम्प्यूटर की निम्न कामयों पर प्रकाश डाल सकते हैं, तो आइए हम जानें कि कम्प्यूटर की मुख्य कमियाँ क्या-क्या हैं ? (What are the main limitations of a computer?) कम्प्यूटर को क्षमताएँ हो मूलतः आज इसकी लोकप्रियता के कारण है। किन्तु किसी भी मानव निर्मित प्रणाली (system) की सीमाएँ या कमियाँ हो सकती हैं। इसके बगैर किसी प्रणाली की कल्पना शायद नहीं की जा सकती है। अतः कम्प्यूटर की कमियों को भी जानना आवश्यक है। इसकी कमियाँ इस प्रकार हैं

    बुद्धिमत्ता की कमी (Lack of Intelligence) कम्प्यूटर एक मशीन है। इसका कार्य यूजर के निर्देशों को कार्यान्वित (एक्जिक्यूट) करना है। कम्प्यूटर किसी भी स्थिति में न तो निर्देश से अधिक और न ही इससे कम का क्रियान्वयन करता है। कम्प्यूटर एक बिल्कुल मूर्ख नौकर की भाँति कार्य करता है। इसे आप यदि कहें कि जाओ और बाजार से सब्जी खरीद तो ऐसा निर्देश देने पर वह बाजार जायेगा और सब्जी भी खरीदेगा परन्तु सब्जी लेकर घर तक कभी नहीं लौटेगा। यहाँ प्रश्न उठता है- क्या ? इसका सीमा उत्तर है कि आपने उससे सब्जी खरीदने को अवश्य कहा परन्तु उसे घर लाने को नहीं कहा। इसका अर्थ यह है कि कम्प्यूटर के अंदर सामान्य बोध नहीं होता है। यद्यपि कम्प्यूटर वैज्ञानिक आर के कम्प्यूटर में कृत्रिम बुद्धिमता के बारे में शोध कर रहे हैं, इसमें सफलता मिलने पर कम्प्यूटर के अंदर बुद्धिमता की कमी तो कुछ हद तक दूर हो सकेगी तथापि मानवीय बुद्धिमत्ता को तुलना कभी भी एक मशीनों बुद्धिमता के साथ नहीं हो पाएगी।

    आत्मरक्षा करने में अक्षम (Unable In Self Protection) कम्प्यूटर चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो परन्तु उसका नियंत्रण (कंट्रोल) मानव के पास ही होता है तथा वह जिस प्रकार उसे नियंत्रित (कंट्रोल) करता है वह नियंत्रित होता है। कम्प्यूटर किसी भी प्रकार आत्मा नहीं कर सकता है। उदाहरणार्थ श्याम नामक किसी व्यक्ति ने एक ई-मेल अकाउण्ट बनाया तथा एक विशेष पासवर्ड उसने अपने इस अकाउन्ट को खोलने के लिए चुना। कम्प्यूटर अब यह नहीं देखता कि इस अकाउन्ट को खोलन कला श्याम ही है, बल्कि यह देखता है कि पासवर्ड क्या है। ठीक उसी प्रकार स्वचालित टेलर-मशीन (Automatic Teller Machine) से पैसा कौन निकाल रहा है, इसकी चिंता कम्प्यूटर नहीं करता, बल्कि यह देव कार्ड के साथ पर है कि नहीं इसको जाँच करता है। यह दृष्टिकोण कम्प्यूटर को एक और नय बनता है और इसकी वापर एक प्रश्नचिह्न भी खड़ा करता है।

    कम्प्यूटर का विकास (Development of Computers) ऐबाकस – कम्प्यूटर का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है जब चीन में एक गणना- यंत्र (calculating machine) ‘ऐबाकस’ का आविष्कार हुआ। यह एक यान्त्रिक डिवाइस (Mechanical Device) है, जो आज भी चीन, जापान सहित एशिया के अनेक देशों में अंकों की गणना के लिए काम आती है। ऐवाकस जोड़ने वाली मशीनों (Adding Machines) तथा कम्प्यूटर के लिए आधारशिला थी ऐबाकस (Abacus) तारों का एक फ्रेम होता है। इन तारों (Wires) में बीड (पक्की मिट्टी के गोल टुकड़े जिनमें छेद हॉ) पिरोए रहते हैं। प्रारम्भ में ऐबाकस (Abacus) को व्यापारी गणनाएँ करने के काम में प्रयोग किया करते थे। यह मशीन अंकों के जोड़, घटाव, गुणा व भाग क्रियाएँ करने के काम आती है।

  • Structured Query Language kya hai

    (Structured Query Language (SQL)

    स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैग्वेज (SQL) रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेन्ट तथा डेटा मैनिप्युलेशन के लिए एक स्टैंडर्ड कम्प्यूटर लैग्वेज है। SQL का उपयोग डेटा को क्वेरी, इन्सर्ट अपडेट तथा मोडिफार करने के लिए किया जाता है। अधिकांश रिलेशनल डेटाबेसेस SQL को सपोर्ट करते हैं, जो डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर (DBA) के लिए एक अतिरिक्त लाभ है, क्योंकि उन्हें कई अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर डेटाबेस को सपोर्ट करने की अक्सर आवश्यकता होती है।

    पहली बार 1970 की शुरूआत में रेमंड बोयस तथा डोनाल्ड चैंबरलिन द्वारा IBM में डेवलप किया गया था, वर्ष 1979 में व्यावसायिक रूप से रिलेशनल सॉफ्टवेयर इनकॉर्पोरेशन (अब ओरेकल कॉर्पोरेशन के नाम से जाना जाता है) द्वारा SQL रीलिज किया गया था। वर्तमान स्टैंडर्ड SQL वर्शन्स वॉलन्टरी, वेंडर कम्प्लाएंट तथा अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्स इन्स्टिट्यूट (ANSI) द्वारा मॉनिटर किए जा रहे हैं। अधिकांश प्रमुख वेंडर्स के पास प्रोप्राइटरी वर्शन्स भी होते हैं, जो ANSI SQL, उदाहरण के लिए, SQL * Plus (ओरेकल) तथा ट्रांजेक्ट- SQL (T-SQL) (माइक्रोसॉफ्ट) पर इनकॉर्पोरेट तथा निर्मित होते हैं।

    पैसेज के फंडामेंटल DBA राइट्स में से एक SQL को सीखना है, जो पहले SELECT स्टेटमेन्ट को लिखने या ग्राफिकल युजर इंटरफेस (GUI) के बिना SQL स्क्रिप्ट लिखने से शुरू होता है। रिलेशनल डेटाबेसेस आसान डेटाबेस मैनेजमेन्ट के लिए GUI का उपयोग करते हैं। ग्राफिकल टूल्स की सहायता से क्वेरीज आसान हो जाती हैं, उदाहरण के लिए, ड्रेग एंड ड्रॉप विज़ार्ड्स। यद्यपि SQL सीखना अनिवार्य है, क्योंकि ऐसे टूल्स कभी भी SQL के समान शक्तिशाली नहीं होते हैं।

  • Database Management System ki Haniyan?

    (Disadvantages of Database Management System)

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की हानियाँ इस प्रकार समझाई गई है :

    1. मैनेजमेन्ट कॉम्प्लेक्सिटी एक बार जब आप डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम को इक्विप कर लेते हैं, तो इसे मैनेज करना आसान काम नहीं है। आपको मैनेजमेन्ट कैपेबिलिटीज के साथ ही बेहतर स्टाफ रखने की आवश्यकता होती. है। कई बार यह निर्णय लेना कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है कि डेटा कहाँ से लिया जाए तथा कहाँ सेव किया जाए।

    2. फ्रिक्वेन्सी अपेडट/रिप्लेसमेन्ट साइकल : DBMS वेंडर्स अक्सर नई फंक्शनालिटी को जोड़कर अपने प्रोडक्ट्स को अपग्रेड करते हैं। इस तरह के नए फीचर्स अक्सर सॉफ्टवेयर के नए वर्शन्स में आते हैं। इनमें से कुछ वर्शन्स में हार्डवेयर अपग्रेड की आवश्यकता होती है। न केवल अपग्रेड्स में खर्च होता है, बल्कि डेटाबेस युजर्स तथा एडमिनिस्ट्रेटर्स को नए फीचर्स को सही तरह से उपयोग करने और मैनेज करने के लिए प्रशिक्षित करने में भी भारी मात्रा में खर्च होता है।

    3. कॉम्प्लेक्सटी : एक अच्छे DBMS से अपेक्षित किया जाने वाला फंक्शनालिटी का प्रोविजन DBMS को बेहद कॉम्प्लेक्स बना देता है। डेटाबेस डिजाइनर्स, डेवलपर्स, डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर्स तथा एंड यूजर्स को इस फंक्शनालिटी को समझना बेहद आवश्यक है ताकि इसका पूरा लाभ उठाया जा सके। सिस्टम को समझने में फैल्योर बूरे डिजाइन डिसिजन्स का कारण बन सकता है, जो एक आर्गेनाइजेशन के लिए गंभीर विषय हो सकता है।

    4. साइज : फंक्शनालिटी की कॉम्प्लेक्सटी तथा चौड़ाई DBMS को सॉफ्टवेयर का बहुत बड़ा हिस्सा बनाता है, जो डिस्क स्पेस की कई मेगाबाइट्स को आक्युपाए कर लेता है तथा कुशलता से रन होने के लिए पर्याप्त मात्रा में मेमोरी की आवश्यकता होती है।

    5. परफॉर्मन्स आमतौर पर, फाइल बेस्ड सिस्टम एक विशेष एप्लिकेशन के लिए लिखी जाती है, जैसे कि इन्वॉइसिंग । परिणामस्वरूप, परफॉर्मेन्स आमतौर पर अच्छी होती है। यद्यपि, DBMS को एक के बजाए कई एप्लिकेशन्स के लिए लिखा जाना सामान्य बात है। इसका प्रभाव यह है कि कुछ एप्लिकेशन्स उतनी तेजी से रन नहीं हो पाती हैं, जितनी तेजी से उनका उपयोग किया जाता है।

    6. फैल्योर का उच्च प्रभाव : रिसोर्सेस का सेंट्रलाइजेशन सिस्टम की वल्नरेबिलिटी (भेदयता) को बढ़ाता है। चूँकि सभी युजर्स तथा एप्लिकेशन्स DBMS की वैधता पर भरोसा करते हैं, किसी एक कम्पोनेन्ट का फैल्योर सभी आपरेशन्स को रोक सकता है।

    7. अतिरिक्त हार्डवेयर कॉस्ट्स : DBMS और डेटाबेस के लिए डिस्क स्टोरेज की आवश्यकता के चलते अतिरिक्त स्टोरेज स्पेज को खरीदने की आवश्यकता हो सकती है। इसके साथ ही, आवश्यक परफॉर्मेन्स प्राप्त करने के लिए एक बड़ी मशीन खरीदना आवश्यक हो सकता है, शायद यहाँ तक कि DBMS को रन करने के लिए पूर्ण रूप से डेडिकेटेट मशीन थी। अतिरिक्त हार्डवेयर की खरीद का परिणाम बड़ी मात्रा में खर्च हो सकता है।

    8. कन्वर्शन की कॉस्ट : कुछ सिचुएशन्स में, DBMS तथा हार्डवेयर पर रन की जाने वाली एक्जिस्टिंग एप्लिकेशन्स को कन्वर्ट करने की कॉस्ट की तुलना में DBMS तथा अतिरिक्त हार्डवेयर को कॉस्ट महत्वहीन हो सकती है। इस कॉस्ट में इन नए सिस्टम्स का उपयोग करने के लिए ट्रेनिंग स्टॉफ की कॉस्ट और संभवतः सिस्टम के कन्वर्शन तथा रन करने में सहायता के लिए स्पेशलिस्ट स्टाफ का रोजगार भी सम्मिलित है। यह कॉस्ट मुख्य कारणों में से एक है कि क्यों कुछ आर्गेनाइजेशन्स अपने मौजूदा सिस्टम्स से बंधे हुए महसूस करते हैं और मॉडर्न डेटाबेस टेक्नोलॉजी पर स्विच नहीं कर सकते हैं।

  • Database Management System Ke Labh

    (Advantages of Database Management System)

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम में संभावित लाभ होते हैं, जिन्हें इस प्रकार दर्शाया गया है।

    1. डेटा एक्सट्रेक्शन यह किसी भी सॉफ्टवेयर सिस्टम के सबसे आवश्यक लाभों में से एक है और DBMS इस फिल्ड में भी काफी कुशलता से कार्य करता है. यह एंड युजर से अननेसेसरी डिटेल्स को हाइड करता है और सिर्फ यह प्रदर्शित करता है कि उसके टास्क को कम्प्लिट करने के लिए क्या उपयोगी है। इस प्रकार, यह हिडन कॉम्प्लेक्सिटीज के ओवरहैड को भी कम करता है और इसके साथ कार्य करने के लिए आसान सिस्टम बनाता है।

    2. डेटा रिडन्डेन्सी कंट्रोल : डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम ACID (एटोमिसिटी, कन्सिस्टेन्सी, आइसोलेशन तथा ड्यूरोबिलिटी) और नॉर्मलाइजेशन प्रॉपटीज का उपयोग करके रिकॉर्ड सिस्टम में कुशलता से रिडन्डेन्सी को रिमूव कर देता है।।

    3. डेटा इन्कन्सिस्टेन्सी का मिनिमाइजेशन : चूँकि डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम, सिस्टम की रिडन्डेन्सी को रिड्यूस करता है, इसलिए यह आसानी से सभी इन्कन्सिस्टेन्सीज को दूर करके सिस्टम को कन्सिस्टेन्ट बनाता है।

    4. डेटा मैनिप्युलेशन में आसानी DBMS डेटाबेस मैनिप्युलेटिव लैग्वेजेस का उपयोग करता है जैसे कि SQL के साथ कमांड्स, जैसे- SELECT (एक या अधिक टेबल्स से रिकॉर्ड्स के सिलेक्शन के लिए उपयोग किया जाता है), INSERT (टेबल में रिकॉर्ड्स इन्सर्ट करने के लिए). UPDATE ( रिकॉर्ड्स की एक्जिस्टिंग इन्फॉर्मेशन को अपडेट करने के लिए) और DELETE (टेबल से एक या अधिक रिकॉर्डस रिमूव करने के लिए) डेटाबेस की इन्फॉर्मेशन को menuplate karti है, जिससे कि इसे आसानी से अपडेट किया जा सके।

    5. डेटा सिक्योरिटी: पूर्व फाइल सिस्टम के विपरीत डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम एक सिक्योर्ड लॉगिन पासवर्ड (एडमिन तथा युजर के लिए सेपरेट) के साथ आता है, जिसके माध्यम से युजर और एडमिन एक्सेस (चेन्जेस के लिए) का उपयोग भी काफी हद तक सिक्योर किया जा सकता है।

    6. डेटा का कॉन्करंट एक्सेस मल्टिपल यूजर्स समान डेटाबेस को एक्सेस कर सकते हैं, इस प्रकार डेटा शेयरिंग संभवत: आसान हो जाती है। यूजर्स को डेटाबेस का उपयोग करने के लिए किसी विशेष स्थान के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती हैं, वे अपनी आसानी और डेटाबेस के बेसिक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर आवश्यकताओं के अनुसार इसका उपयोग कर सकते हैं।

    7. इम्प्रूव्ड डेटा एक्सेस : डेटा को सॉर्टेड तरीके से स्टोर किया जाता है, जो डेटा एक्सेस को बेहद कुशल तथा आसान बनाता है। यूजर, एक्सेस और रिडन्डेन्ड रिकॉड्स (जिनकी उसे आवश्यकता है, के अलावा) के बारे में परेशान हुए बिना सीधे तौर पर रिट्राइव कर सकता है। यह काफी समय बचाता है।

    8. डेटा इन्डिपेन्डेन्स : किसी विशेष डेटाबेस में स्टोर किया गया डेटा अन्य डेटा से पूरी तरह इन्डिपेन्डेन्ट होता है। हम किसी अन्य डेटा पर विचार कि बिना अपनी पसंद के डेटा की तलाश कर सकते हैं।

    9. स्टैंडर्ड्स को इन्फोर्स किया जा सकता है चूँकि DBMS एक सेंट्रल सिस्टम है, इसलिए स्टैंडर्ड्स को आसानी से इन्फोर्स (लागू) किया जा सकता है। यह कंपनी लेबल, डिपार्टमेन्ट लेवल, नेशनल लेवल या इंटरनेशनल लेवल पर कि जा सकता है। स्टैंडर्डाइज्ड डेटा, डेटा के माइग्रेशन या इंटरचेंजिंग के दौरान अत्यंत सहायक होना है। फाइल सिस्टम एक इन्डिपेन्डेन्ट सिस्टम होता है, इसलिए स्टैंडर्ड को कई इन्डिपेन्डेन्ट एप्लिकेशन्स में आसानी से इन्फोर्स नहीं किया जा सकता है।

    10. अनथोराइज्ड एक्सेस को रेस्ट्रिक्ट करता है जब मल्टिपल युजर्स एक डेटाबेस शेयर करते हैं, तो यह संभावना होती है कि कुछ यूजर्स डेटाबेस में सभी इन्फॉर्मेशन को एक्सेस करने के लिए आधोराइज नहीं होंगेDBMS सिक्योरिटी तथा आथोराइजेशन सबसिस्टम प्रदान करता है, जिसका उपयोग DBA अकाउंट्स क्रिएट करने तथा अकाउंट रेस्ट्रिक्शन्स को स्पेसिफाय करने के लिए करता है। इसके बाद DBMS इन रेस्ट्रिक्शन्स को स्वचालित रूप से इन्फोर्स करता है।

    11. बैकअप तथा रिकवरी प्रदान करता है DBMS को हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर फैल्योर्स से रिकवर करने के लिए सुविधाएँ प्रदान करना आवश्यक है। DBMS का बैकअप तथा रिकवरी सबसिस्टम, रिकवरी के लिए जिम्मेदार होता है। उदाहरण के लिए, यदि कम्प्यूटर सिस्टम किसी कॉम्प्लेक्स अपडेट प्रोग्राम के बीच में फैल हो जाता है, तो रिकवरी सबसिस्टम या सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होता है कि डेटाबेस उस स्टेट रिस्टोर होता है जिस स्टेट में यह प्रोग्राम के एक्जिक्युशन की शुरूआत होने से पहले था ।

    12. डेटा मॉडल डेवलप किया जा सकता है: सेंट्रलाइज्ड सिस्टम कॉम्प्लेक्स डेटा तथा इंटरफाइल रिलेशनशिप्स को रिप्रेजेन्ट करने में सक्षम होता है, जो परिणामस्वरूप बेहतर डेटा मॉडलिंग प्रॉपर्टीज प्रदान करता है। रिलेशनल मॉडल की डेटा बनाने की प्रॉपर्टी एन्टिटी तथा उनकी रिलेशनशिप पर आधारित होती है।

  • Computer Introduction Hindi me


    मान लीजिये, आप एक विद्यार्थी या एक अध्यापक या किसी क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और आपसे पूछा जाता है कि कम्प्यूटर क्या है ? क्या आपके द्वारा ‘नहीं’ में उत्तर देना उचित है ? यह बहुत आश्चर्यजनक है कि कोई व्यक्ति शिक्षित होते हुए भी यह न जाने कि कम्प्यूटर क्या है। यह अविश्वसनीय प्रतीत होता है। आजकल हर जगह कम्प्यूटर विद्यमान है और पृथ्वी पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति इस के अस्तित्व के सत्य को नकार नहीं सकता। जब आप किसी डिपार्टमेन्टल स्टोर में जाते हैं तो देखते हैं कि एक बार कोड रोडर आपके द्वारा खरीदे गये सामान पर बने बार कोड को जाँचता है और एक कम्प्यूटर से जुड़ा हुआ प्रिन्टर आपको बिल बनाकर देता है।

    एक बुद्ध बक्से जैसी दिखने वाली मशीन ने हमारी पूरी जीवन शैली को बदल दिया है।

    पोस्टकार्डस का स्थान ई-मेल ने ले लिया है। बैंकिंग ने नये आयाम ग्रहण कर लिये हैं टिकट लेने या देने की प्रक्रिया ने नया स्वरूप ले लिया है। सब-कुछ ऐसा दिखता है कि मानो कोई अदृश्यशक्ति आदेश दे रही हो-“तथास्तु’ अर्थात् जैसा आप चाहते हैं वैसा ही हो। जब यह मशीन हमारी जीवन शैली को बदल चुकी है, तो क्या हमारी यह जिम्मेदारी नहीं है कि हम इस दिव्य रचना (कम्प्यूटर) की छोटी-बड़ी प्रत्येक बात को जानें में व्यक्तिगत रूप से इसे एक मानवीय रचना के बजाय दिव्य रचना कहता हूँ जिसका विचार मानवीय मस्तिष्क में हमारे जीवन को सुखद बनाने हेतु आया। इस अध्याय में आपको कम्प्यूटर के बारे में अधिकाधिक जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

  • Database Management System ke Components kya hai

    DBMS के मेजर कम्पोनेन्ट्स या सॉफ्टवेयर मॉड्युल्स इस प्रकार है।

    1. क्वेरी प्रोसेसर डेटाबेस युजर डेटाबेस के सात प्रदान की गई डेटा मैनिप्युलेशन लैग्वेज में क्वेरी को फॉम्यूलेट • करके डेटा रिट्राइव करता है। क्वेरी प्रोसेसर का उपयोग आन-लाइन युजर की क्वेरी को इंटरप्रिंट करने के लिए किया है तथा इसके एक्जिक्युशन के लिए डेटा मैनेजर को भेजने के लिए कैपेबल फॉर्म में आपरेशन्स की इफिशिएंट सीरिज में कन्वर्ट किया जाता है। क्वेरी प्रोसेसर डेटाबेस के रिलेवेन्ट पोर्शन के स्ट्रक्चर को ढूंढने के लिए डेटा डिक्शनरी का उपयोग करता है तथा इस इन्फॉर्मेशन का उपयोग क्वेरी को मोडिफाए करने तथा डेटाबेस को एक्सेस करने हेतु आप्टिमल प्लान बनाने के लिए करता है।

    2. रन टाइम डेटाबेस मैनेजर: रन टाइम डेटाबेस मैनेजर, DBMS का सेंट्रल सॉफ्टवेयर कम्पोनेन्ट है। यह युजर द्वारा सबमिट किए गए एप्लिकेशन प्रोग्राम्स तथा क्वेरीज के साथ इंटरफेस करता है। यह रनटाइम पर डेटाबेस के एक्सेस को हैंडल करता है। यह प्रत्यक्ष रूप से क्वेरी प्रोसेसर के माध्यम से आने वाली युजर की क्वेरीज में या फिजिकल फाइल सिस्टम के लिए युजर के लॉजिकल व्यू से अप्रत्यक्ष रूप से एप्लिकेशन प्रोग्राम के माध्यम से आपरेशन्स में कन्वर्ट करता है। डेटाबेस मैनेजर, डेटा की कन्सिस्टेन्सी तथा इन्टिग्रिटी को मेन्टेन करने के लिए जिम्मेदार होता है। रन टाइम डेटाबेस मैनेजर को डेटाबेस कंट्रोल सिस्टम भी कहा जाता है। इसके निम्नलिखित कम्पोनेन्ट्स हैं

    (1) अथोराइज्ड कंट्रोल: यह मॉड्युल चैक करता है कि युजर के पास रिक्वायर्ड ऑपरेशन को करने के लिए आवश्यक अथोराइजेशन है या नहीं।

    (11)कमांड प्रोसेसरः यह कम्पोनेन्ट अथोराइजेशन कंट्रोल मॉड्यूल द्वारा पास की गई क्वेरीज को प्रोसेस करता है।।

    (III) इन्टिग्रिटी चैकरः यह कम्पोनेन्ट डेटाबेस को चेन्ज करने वाले रिक्वेस्ट कि गए सभी आपरेशन्स के लिए

    आवश्यक इन्टिग्रिटी कन्स्ट्रेन्ट्स को चैक करता है।

    (iv) क्वेरी आप्टिमाइजर : यह कम्पोनेन्ट क्वेरी के एक्जिक्युशन के लिए ऑप्टिमल स्ट्रेटेजी को डिटरमाइन करने

    हेतु जिम्मेदार है। यह क्वेरी को इवैल्युएट करने के लिए एक इफिशिएंट एक्जिक्युशन प्लान बनाने के लिए कैसे डेटा स्टोर

    किया जाता है, इसकी इन्फॉर्मेशन का उपयोग करता है।

    (v) ट्रांजेक्शन मैनेजर : ट्रांजेक्शन मैनेजर ट्रांजेक्शन्स से प्राप्त किए जाने वाले आपरेशन्स की आवश्यक प्रोसेसिंग परफॉर्म करता है। यह निम्नलिखित दो बाते सुनिश्चित करता है।

    (a) एक उपयुक्त लॉकिंग प्रोटोकॉल के अनुसार टूजिक्शन रिक्वेस्ट तथा रीलिज लॉक्स

    (b) ट्रांजेक्शन्स के एक्जिक्युशन के लिए शेड्युल्स (vi) शेड्युलर यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि डेटाबेस पर कॉन्करंट आपरेशन्स एक दूसरे को कॉन्फ्लिक्ट किए बिना कितना आगे बढ़ते हैं। यह उस रिलेटिव आर्डर को कंट्रोल करता है जिसमें ट्रांजेक्शन आपरेशन्स एक्जिक्यूट किए जाते हैं। दो कम्पोनेन्ट्स होते हैं:

    (b) बफर मैनेजर : बफर मैनेजर को कैशे मैनेजर भी कहा जाता है। यह मेन मेमोरी तथा सेकंडरी स्टोरेज जैसे

    (vii) डेटा मैनेजर : डेटा मैनेजर डेटाबेस में डेटा की एक्युअल हँडलिंग के लिए जिम्मेदार हैं। इस मॉड्युल में (a) रिकवरी मैनेजर : रिकवरी मैनेजर यह सुनिश्चित करता है कि डेटाबेस, फैल्योर्स की प्रेजेन्स में कन्सिस्टेन्ट

    डिस्क या टेप के बीच डेटा ट्रांसफर के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

    3. DML प्रोसेसर : DML कम्पाइलर का उपयोग करके DDL प्रोसेसर एक एप्लिकेशन प्रोग्राम में एम्बेडेट DML स्टेटमेन्ट को होस्ट लैंग्वेज में स्टैंडर्ड फंक्शन कॉल्स में कन्वर्ट करता है। DML कम्पाइलर होस्ट प्रोग्रामिंग लँग्वेज में लिखें गए DML स्टेटमेन्ट्स को डेटाबेस एक्सेस के लिए आब्जेक्ट कोड में कन्वर्ट कर देता है.

    4. DDL प्रोसेसर : DDL कम्पाइलर का उपयोग करके DDL प्रोसेसर DDL स्टेटमेन्ट्स को मेटाडेटा वाली टेबल्स के एक सेट में कन्वर्ट करता है। इन टेबल्स में डेटाबेस से संबंधित मेटाडेटा होता है और यह एक ऐसे रूप में होता है, जिसका उपयोग DBMS के अन्य कम्पोनेन्ट्स द्वारा किया जा सकता है।

    5. फिजिकल डेटाबेस : रनटाइम डेटाबेस मैनेजर फिजिकल सिस्टम इम्प्लिमेन्टेशन के एक भाग के रूप में विभिन्न डेटा स्ट्रक्चर्स को इम्प्लिमेन्ट करता है।

    (i) डेटा फाइल्स : डेटा फाइल्स डेटाबेस को स्टोर करती हैं। (ii) डेटा डिक्शनरी : डेटा डिक्शनरी डेटाबेस की विशेष स्किमा में डेटाबेस के स्ट्रक्चर के बारे में मेटाडेटा स्टोर करती है।

    (iii) इन्डाइसेस : इन्डाइसेस या इंडेक्स फाइल्स उन डेटा आइटम्स को तेजी से एक्सेस प्रदान करती हैं, जो विशेष वैल्यूज रखते हैं।

  • Database Management System Kya Hai?

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की विशेषताएँ

    1. डेटा को टेबल्स में स्टोर किया जाता है : डेटा कभी भी सीधे तौर पर डेटाबेस में स्टोर नहीं किया जाता है। डेटा को टेबल्स, में स्टोर किया जाता है, जिन्हें डेटाबेस के भीतर क्रिएट किया जाता है। DBMS टेबल्स के बीच रिलेशनशिप्स की अनुमति भी प्रदान करता है, जो डेटा को और अधिक मिनिंगफुल तथा कनेक्टेड बनाती हैं। आप डेटाबेस में क्रिएट की गई टेबल्स को देखकर आसानी से समझ सकते हैं कि किस प्रकार का डेटा स्टोर किया गया है।
    2. रिड्यूस्ड रिडन्डेन्सी : आज के युग में, हार्ड ड्राइव्स बहुत सस्ती हो चुकी हैं, लेकिन जब हार्ड ड्राइव्स महँग हुआ करती थीं, तब डेटाबेस में डेटा का अनावश्यक रिपिटिशन बहुत बड़ी समस्या थी। लेकिन DBMS नॉर्मलाइजेशन का अनुसरण करता है, जो डेटा को इस प्रकार विभाजित करता है कि पार्टिशन मिनिमम होता है।
    3. डेटा कन्सिस्टेन्सी : लाइव डेटा के केस में, डेटा निरंतर अपडेट तथा एड होता है, इस डेटा की कन्सिस्टेन्स को मेन्टेन करना चुनौतिपूर्ण हो जाता है। लेकिन DBMS इसे स्वयं ही हैंडल कर लेता है।
    4. मल्टिपल युजर तथा कॉन्करंट एक्सेस को सपोर्ट करता है : DBMS एक ही समय पर मल्टिपल युजर्स को कार्य (अपडेट, इन्सर्ट, डिलिट डेटा) करने की अनुमति प्रदान करता इसके साथ ही डेटा कन्सिस्टेन्सी मेन्टेन करना भी मैनेज करता है।
    5. क्वेरी लैंग्वेज : DBMS युजर्स को सिम्पल क्वेरी लैंग्वेज प्रदान करता है, जिसका उपयोग करके डेटा को आसानी से डेटाबेस में फेच, इन्सर्ट, डिलिट तथा अपडेट किया जा सकता है।
    6. सिक्योरिटी : DBMS डेटा की सिक्योरिटी का ध्यान रखता है और अनआथोराइज्ड एक्सेस से डेटा को प्रोजेक्ट भी करता है। DBMS में विभिन्न आथोराइज्ड एक्सेस के साथ युजर अकाउंट्स क्रिएट कर सकते हैं, जिनका उपयोग करके हम युजर एक्सेस को रेस्ट्रिक्ट करके हमारे डेटा को आसानी से सिक्योर कर सकते हैं।
    7. ट्रांजेक्शन्स : DBMS ट्रांजेक्शन्स को सपोर्ट करता है, जो रियलं वर्ल्ड एप्लिकेशन्स में डेटा को बेहतर रूप से हैंडल करने तथा मैनेज करने की अनुमति प्रदान करता है, जहाँ मल्टिथ्रेडिंग का एक्सरेन्सिव रूप से उपयोग किया जाता है। mant Sustem)