Author: Ram

  • Radio Transmission kya hai?

    रेडियो संचारण (Radio Transmission)

    रेडियो तरंगों की आवृत्ति 10KHz और 1GHz के बीच होती है। रेडियो तरंगों में निम्न प्रकार सम्मिलित होते हैं।

    Radio Transmission

    (a) लघु तरंग (short wave) (b) बहुत ऊँची आवृत्ति (VHF) टेलीविजन और FM रेडियो।

    (c) अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेन्सी (UHF) रेडियो और टेलीविजन

    आवृत्ति सीमाएँ तथा उनके अन्तरण (transfer) में प्रयुक्त माध्यमों के प्रकार चित्र में प्रदर्शित हैं।

    रेडियो तरंग को सभी दिशाओं में प्रसारित किया जा सकता है। रेडियो तरंगों को प्रसारित करने के लिए विभिन्न प्रकार के एन्टिना ( antenna) प्रयोग किये जा सकते हैं।

    रेडियो आवृत्ति (RF) सिग्नल की शक्ति एन्टिना और ट्रान्सीवर (एक ऐसा उपकरण जो कि कॉपर, रेडियो तरंगों या फाइबर ऑप्टिक केबल जैसे माध्यमों पर किसी सिग्नल को भेजता और प्राप्त करता है) के द्वारा निर्धारित की जा सकती है

  • Radio Frequency kya hai?

    रेडियो आवृत्ति (Radio Frequency)

    रेडियो आवृत्ति (संक्षिप्त रूप RF f या 1.f.) एक शब्दावली है, जो ऐसी विशेषताओं वाले प्रत्यावर्ती धारा (Alternating current या AC) के लिये प्रयुक्त होता है,

    जिसमें यदि किसी एन्टिना (antenna) में धारा प्रवाहित की जाये तो ताररहित प्रसारण (broadcasting) तथा/अथवा संचारण हेतु उपयुक्त विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (Electormagnatic (EM) field) उत्पन्न हो जाता है।

    ये आवृत्तियाँ विद्युत चुम्बकीय विकिरण स्पेक्ट्रम (electromagnetic radiation spectrum) के अधिकांश भाग को आच्छादित करती है,

    जिनका विस्तार नौ किलो हर्ट्ज (9KHz) जो ताररहित संचार आवृत्ति का निम्नतम आवंटन है (यह मानव के श्रवण क्षमता की सीमा के अन्तर्गत है), से हजारों गीगाहर्ट्ज (GHz) तक होता है।

    जब किसी एन्टिना में एक RF धारा प्रवाहित की जाती है, तो यह एक विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जो अन्तरिक्ष से होकर प्रसारित होता है। यह क्षेत्र कभी-कभी RF क्षेत्र कहलाता है।

    तकनीकी शब्दावली से अलग इसे “रेडियोवेव (radiowave)” कहा जाता है। किसी भी RF क्षेत्र में एक तरंगदैर्ध्य (wavelength) होता है,

    जो आवृत्ति का व्युत्क्रमानुपाती S होता है। वायुमंडल या बाह्य अंतरिक्ष में, यदि आवृत्ति मेगाहर्ट्ज तथा तरंगदैर्ध्य मीटर है, तब

    s = 300/f

    किसी RF संकेत (RF signal) की आवृत्ति उसके संगत EM क्षेत्र के तरंगदैर्ध्य का व्युत्क्रमानुपाती होता है। 9 किलोह पर, फ्री-स्पेस (free-space) तरंगदेर्ध्य लगभग 33 किलोमीटर या 21 मील होता है। उच्चतम रेडियो आवृत्तियों पर, EM तरंगदैर्ध्य लगभग एक मिलीमीटर (mm) होता है।

    जैसे-जैसे RF स्पेक्ट्रम के पार भी आवृत्ति बढ़ती जाती है, EM ऊर्जा इन्फ्रारेड (Infrared या IR). दृश्य, अल्ट्रावायलेट (ultraviolet या UV), एक्स-किरणें तथा गामा किरणों के रूप में पायी जाती हैं।

    कई प्रकार के वाररहित डिवाइसेस RF क्षेत्रों का उपयोग करती है ताररहित व सेल्यूलर टेलीफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण केन्द्र, उपग्रह संचारण स्टेशन (Satellite communication stations) तथा द्वि-मार्गी (two-way) रेडियो सेवा सभी RF स्पेक्ट्रम के अन्तर्गत कार्य करते हैं।

    कुछ ताररहित डिवाइसेस IR या दृष्टिगोचर प्रकाश आवृतियों (visible-light frequencies) के माध्यम से कार्य करती है, जिनका विद्युतचुम्बकीय तरंगदैर्घ्य RF क्षेत्रों के तरंगदैर्ध्य से छोटा होता है।

    उदाहरण के रूप में अधिकांश टेलीविजन सेटों के रिमोट कन्ट्रोल बॉक्स, कम्प्यूटर के कुछ कॉर्डलेस की बोर्ड व माउस तथा कुछ ताररहित हाई-फाई स्टीरियो हेडसेट के नाम लिये जा सकते हैं।

    RF स्पेक्ट्रम कई रेंजो या बैण्डों में विभाजित होता है। निम्नतम आवृत्ति वाले सेगमेन्ट (segment) के अपवाद को छोड़कर, प्रत्येक बैण्ड आवृत्ति में वृद्धि को 10 की घात के संगत निरूपित करता है।

    सारणी 2.1 में RF स्पेक्ट्रम में आठ बैण्डों को उनके तथा बैण्डविड्थ रेंज (Bandwidth range) के साथ दिखाया गया है। SHF एवं EHF बैण्ड को प्रायः माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम के रूप में जाना जाता है।

  • Wireless Services kya hai?

    वायरलैस सर्विसेज (Wireless Services)

    वायरलेस संचालन लम्बी दूरी की संचार जैसी सेवाओं (services) की अनुमति देते हैं जो तारों (wires ) के उपयोग से इम्प्लिमेंट करने के लिए असम्भव या अव्यावहारिक (impractical) हैं।

    Wireless Services kya hai?

    यह शब्द आमतौर पर दूरसंचार सिस्टमस (जैसे-रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर रिमोट कंट्रोल, कम्प्यूटर नेटवर्क, नेटवर्क टर्मिनलों, आदि) जो तारों के उपयोग के बिना सूचना के स्थानांतरण करने के लिए ऊर्जा के कुछ फॉर्म (जैसे-रेडियो फ्रिक्वेंशी (RF), ध्वनि ऊर्जा आदि) का उपयोग करता है, को उल्लेख करने के लिए दूरसंचार (Tele communications) उद्योग में प्रयोग किया जाता है।

    इस तरीके से सूचना छोटी और लम्बी दोनों ही दूरी (Distances) पर स्थानांतरित किया जाता है। वायरलैस उपकरणों के सामान्य उदाहरण निम्न हैं।

    • टेलीमेटरी नियंत्रण और यातायात नियंत्रण सिस्टम्स

    • इन्फ्रारेड और अल्ट्रासोनिक दूरस्थ (Remote) नियंत्रण सिस्टम्स

    • प्वाइंट-टू-प्वाइंट संचार के लिए माड्यूलेटेड लेजर लाइट सिस्टम्स

    • उपभोक्ता टू-वे (two-way) रेडियो जिसमें FRS परिवार रेडियो सर्विस, GMRS (जनरल मोबाइल रेडियो सर्विस)तथा नागरिक बैंड रेडियो (CB रेडियो) सम्मिलित हैं।

    • एमेच्योर रेडियो सर्विस (हैम रेडियो)

    • विमान-चालकों (Aviators) और हवाई यातायात नियंत्रण द्वारा उपयोग किये जाने वाले एयरबैंड तथा रेडियो नेविगेशन उपकरण।

    • सेलुलर टेलीफोन और पेजर्स: व्यक्तिगत और व्यवसायिक दोनों में पोर्टेबल और मोबाइल एप्लीकेशन्स के लिए कनेक्टिविटी प्रदान करता है।

    • ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS): कारों और ट्रकों के चालकों, नौकाओं और जहाजों के कप्तानों और विमान के पायलटों को पृथ्वी पर कहीं भी उनके स्थान का पता लगाने की अनुमति देता है।

    • ताररहित (cordless) कम्प्यूटर पेरिफेरल्स ताररहित माउस एक सामान्य उदाहरण हैं; की-बोर्ड और प्रिंटर भी वायरलैस USB या ब्लू टूथ जैसी वायरलैस प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से एक कम्प्यूटर से जोड़ा जा सकता है। तार रहित टेलीफोन सेट ये सीमित रेंज के उपकरण हैं; सेल फोन से भ्रमित न हों।

    • सैटेलाइट टेलीविजन – क्या जियो-स्टेशनरी अर्बिट में उपग्रहों (Satellites) से प्रसारण (Broadcast) हैं ? दर्शकों को कई टी.वी. चैनल प्रदान करने के लिए विशिष्ट सर्विसेज डायरेक्ट ब्राडकास्ट सैटेलाइट का उपयोग करते हैं।

    • उपभोक्ता और पेशेवर या व्यवसायिक समुद्री VHF रेडियो ।

    • व्यवसायिक LMR (लैंड मोबाइल रेडियो) और SMR (विशिष्ट मोबाइल रेडियो) सामान्यतः व्यापार, औद्योगिक और सार्वजनिक सुरक्षा संस्थाओं द्वारा प्रयोग किया जाता है।

  • The Concept of Cellular Network kya hai?

    सेलुलर नेटवर्क की अवधारणा (The Concept of Cellular Network)

    एक सेलुलर रेडियो सिस्टम में, एक लैंड एरिया रेडियो सर्विस के साथ आपूर्ति के नियमित आकार के सेल्स (Cells) में विभाजित किया गया है,

    जो हेक्सगोनल, वर्गाकार, वृत्ताकार या कुछ अन्य अनियमित आकार के हो सकते हैं, यद्यपि हेक्सागोनल सेल्स (hexagonal cells) पारंपरिक (convetional) हैं।

    इन सेल्स के सभी सेल को मल्टीपल्स फ्रिक्वेंसी (f1- f6) असाइन किया गया है जो संगत रेडियो बेस स्टेशनों को दिया गया है।

    अन्य सेलस में ग्रुप-ऑफ-फ्रिक्वेंसी पुनः उपयोग (reused) किया जा सकता है, बशर्ते कि ऐसी ही फ्रिक्वेंशीज सटे पड़ोसी सेल्स में पुनः उपयोग नहीं किया गया हो, जैसे कि को-चैनल हस्तक्षेप के कारण हो जायेगा।

    एक सिंगल ट्रांसमीटर के साथ एक नेटवर्क से तुलना में एक सेलुलर नेटवर्क, में वृद्धि की क्षमता इस तथ्य (fact) से आता है कि एक ही रेडियो फ्रिक्वेंशी एक पूरी तरह से अलग ट्रांसमिशन (प्रसारण) के लिए एक अलग क्षेत्र में पुनः प्रयोग (Reused ) किया जा सकता है।

    यदि एक सिंगल प्लैन ट्रांसमीटर है तो केवल एक ट्रांसमिशन किसी भी फ्रिक्वेंशी पर प्रयोग किया जा सकता है। दुर्भाग्य से अनिवार्य रूप से अन्य सेल जो एक ही फ्रिक्वेंशी का उपयोग करते हैं, से सिग्नल से हस्तक्षेप के कुछ स्तर हैं।

    इसका मतलब यह है कि एक मानक FDMA सिस्टम में, सेल्स जो एक जैसी फ्रिक्वेंशी का पुनः उपयोग (Reused) करते हैं के बीच कम से कम एक सेल अन्तराल होनी चाहिए।

    टैक्सी कम्पनी के साधारण केश में, प्रत्येक रेडियो के पास विभिन्न फ्रिक्वेंशी को ट्यून (Tune) करने के लिए एक मैन्युअल रूप से संचालित चैनल सिलेक्टर नॉब (घुंडी) था/ जैसे ही ड्राइवर्स चारों ओर घूमते हैं तो वे चैनल से चैनल बदल जायेंगे।

    ड्राइवर्स जानते हैं कि कौन-सी फ्रिक्वेंशी किस क्षेत्र को लगभग कवर करती है। जब वे ट्रांसमीटर से संकेत प्राप्त नहीं करते थे तो वे अन्य चैनलों के लिए प्रयास तब तक करते थे, जब तक वे एक ऐसे चैनल को नहीं पा जाते जो कार्य कर रहा हो।

    जब बेस स्टेशन ऑपरेटर (TDMA के संदर्भ में) द्वारा आमंत्रित किया जायेगा तो टैक्सी डाइवर्स केवल एक समय में एक बात करेंगे।

  • Cellular Transmission kya hai?

    सेलूलर ट्रांसमिशन (Cellular Transmission)

    परिचय (Introduction)

    एक सेलुलर नेटवर्क पूरे लैंड एरिया में वितरित (Distributed) एक रेडियो नेटवर्क है जो सेल्स (Cells) कहा जाता है,

    इसमें से प्रत्येक कम से कम एक फिक्स्ड-लोकेशन ट्रान्सीवर (Fixed-location Transceiver) जो एक सेल साइट (Cell site) या बेस स्टेशन (Base station) के रूप में जाना जाता है, के द्वारा सर्व (Served) किया जाता है।

    जब ये सेल्स (Cells) एक साथ शामिल (joined) हो जाते हैं तो एक व्यापक भौगोलिक क्षेत्र में रेडियो कवरेज प्रदान करते हैं। बेस स्टेशनों के माध्यम से, यह अधिक पोर्टेबल ट्रान्सीवर्स (उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन, पेजर आदि) को एक-दूसरे के साथ तथा फिक्स्ड ट्रान्सीवर तथा नेटवर्क में कहीं भी टेलीफोन के साथ संवाद करने में सक्षम बनाता है,

    यहाँ तक कि अगर कुछ ट्रान्सीवर्स (Transceivers) एक से अधिक सेल के माध्यम से ट्रांसमिशन के समय आगे बढ़ रहे हैं। सेलुलर नेटवर्क वैकल्पिक समाधान के तुलना निम्न लाभ प्रदान करते हैं,

    क्षमता में वृद्धि, शक्ति का उपयोग कम करता है, बड़े कवरेज क्षेत्र और अन्य संकेतों (signals) आवृति संचार, माइक्रोवेब संचार, उदाहरण के लिए उच्च दिशात्मक एंटीना के द्वारा लांग-रेंज लाइन -लॉफ-साइट या सार्ट-रेंज संचार, इन्फ्रारेड (IR) कम दूरी संचार, उदाहरण के लिए उपभोक्ता IR उपकरणों से जैसे रिमोट कंट्रोल्स या इन्फ्रारेड डाटा एसोसिएशन (IDA) के माध्यम से हो सकता है।

    मोबाइल उपग्रह संचार, जहाँ अन्य वायरलैस कनेक्शन अनुपलब्ध (Unavailable) है, जैसे बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों या दूरदराज के स्थानों में प्रयोग किया जा सकता है।

    सैटेलाइट (Satellite) संचार विशेष रूप से परिवहन (Transportation), उड्डयन (Aviation), समुद्री (Maritime) और सैन्य (Military) उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है

  • Manag Credit Risk kya hai?

    क्रेडिट जोखिम प्रबंधन (Managing Credit Risk)

    क्रेडिट या संगठित रूप से लिया गया जोखिम नेट सेटलमेंट प्रणाली में मुख्य मुद्दे हैं क्योंकि इसके नेट स्थिति का निबटारा करने में किसी बैंक की असफलता बैंक की कई असफलताओं का कारण बन सकती है।

    Managing Credit Risk

    डिजिटल सेन्ट्रल बैंक को ऐसी नीतियों का विकास करना चाहिए जो इन संभावनाओं से निबट सके। बहुत से विकल्प अस्तित्व में हैं, जिनमें से प्रत्येक की खूबियों और खामियाँ हैं।

    निबटारा (settlement) पर डिजिटल सेन्ट्रल बैंक की गारन्टी प्रणाली से दिवालापन जाँच को हटा देता है क्योंकि बैंक अत्यन्त आसानी से दूसरे बैंकों से क्रेडिट खतरे झेल सकते हैं।

    बिना ऐसी किसी गारण्टी के मुद्रा बाजार तथा क्लियरिंग तथा निबटारे (settlement) प्रणालियाँ बाधित हो सकती हैं। मध्य मार्ग के रूप में यदि सेन्ट्रल बैंक गारंटी नहीं लेता, तो कम से कम इसे आंतरिक रूप से यह परिभाषित करना चाहिए कि निपटारे में शामिल बैंको के लिए लिक्विडिटी के प्रसार की शर्तें तथा नियम क्या-क्या हो सकती हैं।

    इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा (Electronic Security)

    इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा को समझने के लिए एक केस का अध्ययन करते हैं। समीर याहू या सिफी डॉट कॉम से एक औपचारिक (official) लगने वाला मेल प्राप्त करता है।

    इस ई-मेल में उसे एक वायरस के बारे में चेतावनी दी जाती है तथा उसके उपचार के लिए एक लिंक दिया जाता है जिसे उसको क्लिक करने की सलाह दी जाती है।

    समीर उस लिंक पर क्लिक करता है तथा फाइल को डाउनलोड करता है और फिर यह समझकर कि अब उसका कम्प्यूटर सिस्टम सुरक्षित है उसे बंद कर देता है।

    ऐसा करने पर उसे यह अनुभव भी नहीं होता कि उसके कम्प्यूटर सिस्टम में ट्रॉजन नामक एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम सेंध लगा चुका है तथा अब उसका कम्प्यूटर कुछ लोगों के द्वारा एक्सेस किया जा रहा है।

    अब वे लोग उसके कम्प्यूटर में संग्रहित फाइलों को देख सकते हैं, कॉपी कर सकते हैं और उसके कम्प्यूटर पर फाइलें अपलोड कर सकते हैं।

    यहाँ तक कि जब तक वह इण्टरनेट से जुड़ा है उसकी सारी गतिविधियों की सूचना उन्हें मिल रही है यथा समीर द्वारा व्यापार में प्रयोग किया जा रहा क्रेडिट कार्ड की संख्या भी उनके कब्जे में है तथा उसका दुरूपयोग अवश्यंभावी है।

    हैकर्स (hackers), कयरस, लॉजिक बम, ई-मेल बम, ट्रॉन्स, वेब जैकिंग, आई. पी. स्पूफिंग, इमेल स्पूफिंग, इण्टरनेट के नकारात्मक पहलू तथा सुरक्षा खतरे के कुछ उदाहरण हैं।

  • Risk And Electronic Payment System kya hai?

    जोखिम और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली (Risk And Electronic Payment System)

    -कॉमर्स की एक महत्त्वपूर्ण चुनौती जोखिम प्रबंधन है। भुगतान प्रणालियों के संचालन में तीन मुख्य जोखिम • धोखाध डी और गलती, गोपनीयता के मामले, और क्रेडिट संबंधी जोखिम हैं।

    Risk And Electronic payment system

    गलतियों से दूर रहने के लिए कानूनी ढाँचें में सुध र की आवश्यकता है। गोपनीयता और धोखाधडी के मुद्दों से निबटने के लिए सुरक्षा ढ़ाँचें में सुधार की जरूरत है।

    क्रेडिट संबंधी जोखिम को कम करने के लिए ऐसी प्रक्रिया का निर्माण करना ताकि क्रेडिट को संतुलित किया जा सके और बाजार में खुदरा पैसों (float) को कम किया जा सके।

    भूलों और विवादों से होने वाले खतरे : उपभोक्ता संरक्षण (Risks From Mistakes and Disputes :

    परोक्ष रूप से सारे इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियों को प्रमाणिक आँकड़े रखने के लिए कुछ क्षमता की आवश्यकता होती है जिसके कुछ स्पष्ट कारण हैं। तकनीकी दृष्टि से, इलेक्ट्रानिक प्रणालियों के लिए यह कोई समस्या नहीं है।

    क्रेडिट और डेबिट कार्ड ऐसा करते हैं और यहाँ तक कि कागज आधारित चेक एक प्रमाणिक रिकॉर्ड तैयार करते हैं। एक बार सूचना को इलेक्ट्रॉनिक रूप से ग्रहणकर लेने के बाद तो इसको बनाए रखना आसान और सस्ती भी होती है (यहाँ तक इसे नष्ट कर देने से अधिक आसान इसे सुरक्षित रखना होता है।)

    उदाहरण के लिए बहुत से लेन-देन प्रोसेसिंग प्रणालियों में पुराने या अवरूद्ध खातों को कभी मिटाया नहीं जाता और पुराने लेन-देन संबंधी इतिहास को चुंबकीय फीतों पर सदा के लिए बरकरार रखा जा सकता है।

    इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन के अमूर्त्य (intangible) प्रकृति तथा विवाद हल के पूरी तरह आँकडों पर निर्भर रहने के कारण भुगतान डायनमिक्स (payment dynamics) और बैंकिंग तकनीक का एक सामान्य नियम यह हो सकता है। किसी भी डाटा को कभी त्यागने की आवश्यकता नहीं है। इन ऑटोमेटिक रिकॉडों की विशेषताओं में शमिल हैं।

    स्थायी संग्रहण

    अभिगम्यता और पता लगा ले पाने की क्षमता।

    भुगतान करने वाले बैंक, या मोद्रिक स्वामित्व धारकों का डाटा हस्तांतरण ।

    एक भुगतान प्रणाली डाटाबेस और जोखिम प्रबंधन के उद्देश्य के लिए रिकॉर्ड कीपिंग की आवश्यकता

    नगद राशि लेन-देन संबंधी गोपनीयता के खिलाफ जाता है। हम यह कह सकते हैं गोपनीयता आज इसलिए कायम है कि नगद की अवधारणा कम्प्यूटर और नेटवकों ने हमें हर चीज पता करने की जो क्षमता प्रदान की उससे काफी पुराना है।

    हालांकि भुगतान करने वाले लोगों का एक हिस्सा, सदा लेन-देन की गोपनीयता की इच्छा रखेगी, बहुत से लोग यह विश्वास करते हैं कि गोपनीयता लोक-कल्याण के हित में नहीं है क्योंकि • इससे बहुत से कर तस्करी तथा हवाला (money launduring) जैसी संभावनाएँ बनती हैं।

    गोपनीयता के मुद्दे यह प्रश्न खड़ा करते हैं कि क्या इलेक्ट्रॉनिक भुगतान बिना किसी ऑटोमेटिक रिकॉर्ड फीचर के किये जा सकते हैं।

    बहुत से हाल की भुगतान प्रणालियाँ इस मुद्दे पर उभयभावी दिखती हैं। उदाहरण के लिए मॉन्डक्स इलेक्ट्रॉनिक पर्स नगद राशि के साथ समतुल्य दिखते हैं, किन्तु इसके इलेक्ट्रॉनिक बटुवे को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे इन-बिल्ट स्टेटमेंट के साथ कार्ड के अन्तिम 20 लेन-देन के ऑटोमेटिक रिकॉर्ड रखता है।

    स्पष्टतः कार्ड रीडिंग टर्मिनल, मशीन या टेलीफोन सब सारे लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रख सकते हैं और शायद अन्तिम रूप से ऐसा करेंगे भी इन आँकडों के साथ किसी स्मार्ट कार्ड का बैलेंस तथ्य के अनुसार पुर्नरचित किया जा सकता है जिसमें किसी भी हानि या चोरी के बदले अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान कर देता है।

    सारांश में, गोपनीयता एक मुद्दा है जिसे इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन में उपभोक्ता संरक्षण को कवर करने वाले नियम (regulation) के जरिये संबोधित किया जाता है। इस मुद्दे पर गंभीर परिचर्चा की गुजाइश है।

    बिना स्वचालित रिकॉर्ड कीपिंग के बिना एक गोपनीय भुगतान प्रणाली बैंकरों तथा सरकारों के लिए स्वीकार करना अत्यंत कठिन होगा। यदि नियमों को लागू किया जाय तो प्रत्येक लेन-देन को रिपोर्ट करना होगा, अर्थात इसे एक एकाउण्ट स्टेटमेंट पर प्रकट होना होगा ताकि गलतियों और विवादों का समाधान आसान हो सके।

    हालांकि ग्राहकों को यह महसूस हो सकता है कि यह सारी रिकॉर्ड कीपिंग गोपनीयता पर हमला है फलस्वरूप इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली की स्वीकृति की गति धीमी हो सकती है।

  • Credit Card Based Electronic Payment System kya hai?

    क्रेडिट कार्ड आधारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली (Credit Card Based Electronic Payment System)

    डिजिटल कैश व इलेक्ट्रॉनिक कैश से संबंधित जटिलता से बचने के लिए उपभोक्ता व वेन्डर इण्टरनेट पर क्रेडिट कार्ड भुगतान को एक संभावित प्रामाणिक विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

    आधारभूत प्रक्रिया में कुछ खास नया नहीं है। यदि उपभोक्ता कोई उत्पाद या सेवा खरीदना चाहते हैं तो वे संबद्ध सेवा प्रदाता को अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी उपलब्ध कराते हैं और क्रेडिट कार्ड संगठन इस भुगतान को किसी अन्य भुगतान की तरह ही निबटाती है। हम ऑन लाइन नेटवर्क पर क्रेडिट कार्ड भुगतान को तीन भागों में बाँट सकते हैं।

    साधारण क्रेडिट कार्ड ब्योरे का प्रयोग करता हुआ भुगतान भुगतान का सबसे आसान तरीका किसी सार्वजनिक – नेटवर्क जैसे टेलिफोन लाइनों या इन्टरनेट पर एन्क्रिप्शन रहित क्रेडिट कार्ड का आदान-प्रदान है।

    इन्टरनेट के निम्न स्तर की सुरक्षा व्यवस्था इसे थोडा समस्या जनक बना देती है (कोई भी स्नूपर क्रेडिट कार्ड पढ़ सकता है और इस तरह के प्रोग्राम भी बनाये जा सकते हैं

    जो इन्टरनेट ट्रैफिक को स्कैन कर और संख्याओं को अपने मालिक के पास भेज सकते हैं। ) प्रमाणीकरण भी एक महत्त्वपूर्ण समस्या है और यह सुनिश्चित करना वेन्डर का दायित्व है

    कि क्रेडिट कार्ड का प्रयोग कर रहा व्यक्ति ही इसका मालिक है। एन्क्रिप्शन (encryption) के बिना इसका कोई रास्ता नहीं है।

    एन्क्रिप्टेड (encrypted) क्रेडिट कार्ड ब्योरे का प्रयोग कर किया गया भुगतान समझदारी की बात यह है कि भेजने से पूर्व आपके क्रेडिट कार्ड ब्योरे को एन्क्रिप्ट किया जाये, पर उसमें भी कुछ कारकों पर विचार करना आवश्यक होता है।

    उसमें से एक क्रेडिट कार्ड आदान-प्रदान पर आने वाला खर्च है। यह खर्च, लेन-देन में अतिरिक्त खर्च जोड कर कम मूल्य के भुगतान (माइक्रो भुगतान) पर रोक लगा देगा।

    तृतीय पक्ष सत्यापन का प्रयोग कर किया गया भुगतान सत्यापन और सुरक्षा समस्या का एक समाधान तृतीय पक्ष का प्रवेश है। तृतीय पक्ष कोई ऐसी कंपनी हो सकती है जो दो ग्राहकों के मध्य किये गये भुगतान को प्राप्त करे तथा इसे स्वीकृति प्रदान करें।

  • Smart Card Reader and Smart Phones kya hai?

    स्मार्ट कार्ड रीडर और स्मार्ट फोन (Smart Card Reader and Smart Phones)

    स्मार्ट कार्ड के फायदे स्मार्ट कार्ड रीडर कहलाने वाले उपकरण की सर्वव्यापकता पर निर्भर करता है, जो किसी स्मार्ट कार्ड के चिप के साथ कम्युनिकेट कर सकता है।

    किसी स्मार्टकार्ड पर लिखी हुई चीजें पढ़ने और उस पर अंकित करने के अलावा ये उपकरण विविध प्रकार की प्रबंधन प्रणालियों को सपोर्ट कर सकती है।

    कुछ स्मार्ट कार्ड रीडर पर्सनल कम्प्यूटर, विक्रय टर्मिनल तथा एक फोन को मिलाकर उपभोक्ताओं को घर छोड़े बिना वित्तीय लेन-देन में समर्थ बनाते हैं।

    सरलतम रूप में, एक कार्डरीडर दो लाइनों को 16 कैरेक्टरों के जरिये प्रदर्शित करता है जो दोनों प्रॉम्प्ट तथा प्रयोक्ता के द्वारा प्रविष्ट उत्तर को दर्शा सकता है।

    इसकी सक्षमता को एक रंग कोडित फंक्शन कुन्जियों के द्वारा बढ़ा दी जाती है जिसे इस तरह से प्रोग्राम किया जा सकता है कि यह एक कुञ्जी दबाने के जरिए अत्यन्त आम रूप से प्रयुक्त क्रियाओं को सम्पन्न कर सके।

    यह पर्सनल कम्प्यूटर तथा इलेक्ट्रॉनिक नकदी रजिस्टर (electronic cash register) जैसे ट्रैजेक्शन ऑटोमेशन सिस्टम्स के पूरे श्रृंखला के साथ आर. एस.-232 क्रमिक इंटरफेस के माध्यम से कम्यूनिकेट कर सकता है।

    कार्ड रीडर, स्क्रीन फोन के रूप में अधिक प्रचलित हो रही है। स्क्रीन फोन अनुप्रयोग के प्रस्तावक बहुत पहले से ही बताए जा चुके हैं कि फोन के साथ उपभोक्ता की घनिष्ठता स्क्रीन फोन को एक ऐसी रिसेप्शन (reception) देती है

    जिससे कम्प्यूटर का कोई मेल नहीं हो सकता। कुछ स्क्रीन आधारित फोन में एक चार पंक्ति वाला स्क्रीन, एक चुम्बकीय स्ट्राइप कार्ड रीडर तथा एक फोन की-बोर्ड होता है।

    प्रयोक्ता फोन पर के मेन्यू जो ऑटोमेटेड टेलर मशीन के मेन्यू की तरह के होते हैं, की सहायता से लेन-देन करते हैं। बहुत सारे बैंकर यह मानते हैं कि स्क्रीन आधारित फोन PC आधारित गृह बैंकिंग अनुप्रयोग की अपेक्षा प्रयोग में अपेक्षाकृत अधिक सुविधाजनक है जिसमें प्रयोक्ता को अपने सिस्टम को बूट अप करने की आवश्यकता होती है और लेन-देन के पूर्व एक मॉडेम कनेक्शन स्थापित करने की जरूरत होती है।

    स्क्रीन फोन की अन्य विशेषताओं में उन्नत टेलिफोन फंक्शन जैसे द्वि पथगामी स्पीकर फोन क्षमता, एक डायलिंग डाइरेक्ट्रि और कॉल्स को ट्रैक करने के लिए एक फोन लॉग (phone log) शामिल हैं। कई वित्तीय संस्थाओं ने स्क्रीन फोन के मार्केटिंग टूल के रूप में इनका इस्तेमाल करने के लिए स्थानीय फोन कम्पनियों के साथ टीम बनायी है।

    स्मार्ट कार्ड रीडरों को विशिष्ट वातावरणों के लिए कस्टमाइज किया जा सकता है। ऑपरेटिंग एनवायर्नमेंट उपकरण की सुरक्षा प्रणाली से बिना कोई समझौता किये अनुप्रयोगों के निर्माण और सुधार के लिए प्रोग्रामरों को C प्रोग्रामिंग भाषा के प्रयोग की अनुमति देता है।

    अधिकांश कार्ड रीडरों के लिए विकास प्रणाली (development system) त्वरित अनुप्रयोग विकास (accelerated application development) पूर्व-कोडित मॉड्यूल्स (pre-coded modules) के साथ आती है।

    स्मार्ट कार्ड प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए, स्मार्ट कार्ड फोरम जो करीब 130 व्यापारिक और सरकारी एजेंसियों का समूह है, बहुप्रयोग वाले स्मार्ट कार्डों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए आम निर्देश बना रही है – जो टॉल गेट्स (toll gates) से लेकर अस्पतालों तक सभी जगह उपयोग किये जा सकते हैं।

  • Electronic Purse and Debit Card kya hai?

    इलेक्ट्रॉनिक पर्स और डेबिट कार्ड (Electronic Purse and Debit Card)

    अपने बढ़ते हुए लचीलेपन के बावजूद, संबंध आधारित कार्ड (Relationship based cards) क्रेडिट आधारित होती हैं और भुगतान चक्र (billing cycle) के अन्त में इसका निपटारा हो जाता है।

    नगद के बदले में एक वित्तीय माध्यम (Financial Instrument) की जरूरत होती है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए बैंक, क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ, और यहाँ तक कि सरकारी संस्थाएँ इलेक्ट्रॉनिक पर्स का परिचय करने के दौर में हैं जो बटुवे के आकार की स्मार्ट कार्ड होती है।

    जिसमें अंत:स्थापित (embedded) माइक्रोचिप लगी होती है जो लोगों के उपयोग के लिए पैसे की रकम को संगृहित करती है ताकि खाने-पीने का सामान खरीदने से लेकर, छायाप्रति कराने से लेकर किराये के भुगतान तक के लिए नगदी की जरूरत न पडे ।

    एक इलेक्ट्रॉनिक पर्स निम्न तरीके से काम करता है। पर्स में पैसे डालने के बाद, किसी ATM पर या किसी सस्ते विशेष टेलिफोन के जरिये, इसका प्रयोग आइस्क्रीम तथा मिठाइयों का भुगतान करने के लिए भी किया जा सकता है बशर्ते वेंडिंग (vending) मशीन में कार्ड रीडर लगा हो।

    वेंडिंग मशीन को सिर्फ यह पता लगाने की जरूरत होती है कि कार्ड असली है और एक आइसक्रीम का दाम अदा करने लायक पर्याप्त पैसा उसमें उपलब्ध है।

    एक सेकण्ड में कार्ड के बैलेंस (balance) से खरीदारी की कीमत घटा ली जाती है और वेंडिंग मशीन के इलेक्ट्रॉनिक कैश बॉक्स में जोड दिया जाता है।

    कार्ड में बची हुई राशि को बेंडिंग मशीन के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है या इसे ए.टी.एम. पर या किसी बैलेंस रीडिंग उपकरण से जाँचा जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक पर्स आपके प्रि-पेड मोबाइल की भाँति है जब इसके अंदर की राशि खत्म हो जाय तो आप इसे दोबारा चार्ज कर सकते हैं।

    जहाँ तक विक्रेता का प्रश्न है, रसीदों को व्यक्तिगत रूप से या टेलिफोन द्वारा समय-समय पर इकट्ठा किया जा सकता है और बैंक खाते में स्थानांतरित किया जा सकता है। हालाँकि यह तकनीक एक दशक से उपलब्ध रही है, परन्तु कार्ड से अपेक्षाकृत सस्ती है।