Author: Ram

  • VR Rendering Process kya hai?

    VR रैन्डरिंग प्रोसेस (Rendering Process)

    एक VR प्रोग्राम के रैन्डरिंग प्रोसेस वे हैं जो अनुभूतियों (sensations) को बनाते हैं जो आउटपुट हैं। नेटवर्क VR प्रोग्राम अन्य नेटवर्क प्रोसेस में डाटा आउटपुट करेगा।

    विजुअल, आडीटरी, हैपटिक (touch/force) तथा अन्य सेन्सरी यूजर के लिये सिस्टम के लिये पृथक् रैन्डरिंग प्रोसेस होंगी।

    प्रत्येक रैन्डरर वर्ल्ड स्टेट का वर्णन सिमुलेशन प्रोसेस से लेगा अथवा प्रत्येक समय-चरण के लिये वर्ल्ड डाटाबेस से सीधा प्राप्त करेगा।

    •विजुअल रैन्डरर :यह अत्यन्त सामान्य प्रोसेस है और कम्प्यूटर ग्राफिक तथा एनीमेशन की दुनिया में इसका लम्बा इतिहास है। पाठक को उत्साहित किया जाता है कि इस टैक्नालाजी के विभिन्न पहलुओं से वह परिचित हो जाये।

    VR एप्लिकेशन्स के लिये ग्राफिक रैन्डरर का मुख्य ध्यान फ्रेम जैनरेशन रेट (frame generation rate) पर होता है।

    यह आवश्यक है कि प्रत्येक सैकण्ड के 1/20 वे भाग में या इससे अधिक तेजी से एक नया फ्रेम बनना चाहिये। क्योंकि मानव के दिमाग में इतनी तेजी से चलने वाले फ्रेम आपस में मिलकर एक पूरी तस्वीर बनायेंगे और एनीमेशन देखने में सुन्दर लगेगा।

    फिल्मों के लिये 24 फ्रेम प्रति सेकंड (fps) स्टैण्डर्ड रेट है, 25 fps रेट PAL TV का है; 30 fps NISC TV का है और 60 fps show scam फिल्म का रेट है। ये तकनीक बहुत वास्तविक इमेज बना सकती हैं किन्तु एक फ्रेम को बनाने में बहुधा घण्टों लग जाते हैं।

    VR के लिये विजुअल रैन्डरर अन्य विधियाँ इस्तेमाल करते हैं; जैसे ‘painter’s algorithm’, Z-buffer या अन्य Scanline ओरियेन्टैड एल्गोरिद्म ( algorithm ) | Painter’s algorithm, अनेक लो एण्ड (low end) वी आर सिस्टमों का पसंदीदा है

    क्योंकि यह तुलना में तेज है, आसानी से इम्प्लीमेंट किया जा सकता है और मेमोरी संसाधन पर भारी नहीं है। तथापि इसमें अनेक विजिबिलिटी समस्याएँ हैं।

    विजुअल रैन्डरिंग प्रोसेस को बहुधा रैन्डरिंग पाइप लाइन भी कहते हैं। साधारणतः रैन्डरिंग पाइप लाइन दुनिया, वस्तुओं लाइटिंग (lighting) तथा वर्ल्ड स्पेस में कैमरे (eye) की स्थिति के वर्णन के साथ शुरू होती है।

    पहला कदम होगा कि उन सभी वस्तुओं को हटा दिया जाये जो कैमरे में नहीं दिखती हैं। यह object bounding box या कैमरे के viewing pyramid के विरुद्ध sphere की वस्तुओं को जल्दी से क्लिपिंग कर किया जाता है।

    तब बाकी बचे ऑब्जेक्ट (वस्तुएँ) अपनी geometry को eye cordinate system (eye point at origin) में transform कर लेते हैं। तत्पश्चात् छुपे हुए surface algorithm और actual pixel rendering की जाती हैं।

    Pixel rendering को ‘lighting’ या ‘shading’ algorithm भी कहते हैं। रियलिज्म (realism) और उपलब्ध गति के आकलन के आधार पर अनेक विभिन्न विधियाँ संभव हैं। सरलतम विधि को ‘flat shading’ कहते हैं जिसमें समस्त क्षेत्र को एक ही रंग से भर दिया जाता है।

    अगला चरण एक ही धरातल पर रंगों में कुछ विविधता लाना है। इसके बाहर सफेंस बाउन्डरि के पार स्मूद शेडिंग, हाईलाइट्स को जोडने, रिफ्लेक्शन इत्यादि की आवश्यकता होती है।

    विजुअल रैन्डररिंग के लिये एक प्रभावशाली शार्ट-कट “टैक्सचर” (texture) अथवा “इमेज” (image) का प्रयोग होता है। ये वो तस्वीरें होती हैं जो वर्चुअल वर्ड में आब्जेक्ट्स पर मेप्ड (mapped) होती हैं।

    आब्जेक्ट्स के लिये लाइटिंग और शेडिंग की गणना के बजाय रेन्डरर को यह बताना चाहिये कि ऑब्जेक्ट के प्रत्येक विजिबल प्वाइंट पर टैक्सचर का कौन सा भाग प्रदर्शित होता है।

    परिणामिक इमेज औरों से ज्यादा विस्तारक दिखायी देती है। कुछ VR सिस्टमों में विशेष ‘bill board’ objects होते हैं जो यूजर के सामने face करते हैं। बिलबोर्ड में विभिन्न images

    की एक सीरीज की mapping कर यूजर वस्तु के चारों ओर घूमती क्रिया को दर्शा सकता है

    ऑडिटरी रैन्डरिंग (Auditory Rendering) : एक वी आर सिस्टम आडियो कम्पोनेन्ट (audio component) के मिल जाने से अधिक शक्तिशाली हो जाता है। यह मोनो, स्टीरियो या 3D आडियो प्रोड्यूस कर सकता है,

    जबकि 3D आडियो प्रोड्यूस करना काफी कठिन है। 3D आडियो में होने वाले अनुसंधान दर्शाते हैं कि हमारे सिर और कान के आकार के अनेक पहलू हैं जो 3D sounds को पहचानने में प्रभावकारी साबित हुए हैं।

    यह संभव है कि एक sound को एक कदाचित जटिल mathematical function (जिसको Head Related Transfer Function या HRTF कहते हैं) apply करने से यह प्रभाव उत्पन्न होता है। HRTF एक बहुत निजी फंक्शन है जो व्यक्ति के कान के आकार इत्यादि पर निर्भर करता है।

    तथापि सामान्य HRTF को बनाने में महत्त्वपूर्ण सफलता मिली है जो अधिकतर लोगों के लिये काम करता है तथा अधिक आडियो प्लेसमैन्ट के लिये भी। फिर भी अनेक समस्याएँ रह जाती हैं, जैसे ‘cone of confusion’ जिसमें सर के पीछे की ध्वनि को perceive किया जाता है कि वह सिर के सामने है।

    ध्वनि को अन्य सूचना देने का माध्यम सुझाया जाता है, जैसे surface roughness रेत पर अपना वर्चुअल हाथ फिराने से जो ध्वनि होगी वह पत्थरों पर हाथ फिराने से भिन्न होगी।

    • हैप्टिक रेन्डरिंग (Haptic Rendering) : Haptics touch और force feedback सूचना को पैदा करना होता है। यह क्षेत्र नया विज्ञान है और अभी इस संबंध में बहुत कुछ जानना है।

    True touch sense (जैसे द्रव्य, लोम (fur) इत्यादि) के rendering पर बहुत कम अध्ययन हुए हैं। आज तक लगभग सभी सिस्टम्स का लक्ष्य force feedback तथा kinesthetic (काईनेसथेटिक) sensces था। ये systems touch sense के बारे में शरीर को अच्छे सूत्र उपलब्ध करा सकते हैं।

    किन्तु उससे अलग समझे जाते हैं। अनेक haptic systems अभी तक exo-skeletons रह चुके हैं जिनका sensing position कि लिए इस्तेमाल हो सकता है तथा movement को resistence उपलब्ध कराने के लिये भी अथवा active force एप्लीकेशन के हेतु भी उपयोग हो सकता है।

  • Simulation Process kya hai?

    सिमुलेशन प्रोसेस (Simulation Process)

    वीआर (VR) प्रोग्राम का केन्द्रबिन्दु है- सिमूलेशन सिस्टम। यह प्रोसेस है जो वस्तुओं और विभिन्न इनपुट को जानता है।

    यह इन्टरेक्शन्स, स्क्रिप्टैड ऑब्जेक्ट एक्शन्स, भौतिक नियमों (वास्तविक या काल्पनिक) को हैन्डिल करता है और वर्ल्ड स्टेटस (world status) का निर्धारण करता है।

    यह सिमुलेशन मूलरूप से एक विवेकशील (discreet) प्रोसेस है जो प्रत्येक समय, चरण या फ्रेम के लिये एक बार काम करता है।

    एक नैट वर्ल्ड वीआर ऐप्लीकेशन में विभिन्न मशीनों पर चलने वाले अनेक सिमुलेशन हो सकते हैं; प्रत्येक एक भिन्न समय-चरण के साथ होते हैं।

    इनका कॉरडिनेशन एक जटिल कार्य होता है। यह सिमुलेशन इंजन है जो यूजर इनपुट को संसार में प्रोग्राम्ड किये गये किसी भी काम के साथ ले जाता है।

    ये टास्क (Task) collision, detection, script इत्यादि हो सकते हैं और यह उन actions का निर्धारण करता है जो वर्चुअल वर्ल्ड (Virtual World) में होंगे।

  • Aspects of VR Program kya hai?

    VR प्रोग्राम के पक्ष (Aspects of VR Program)

    सिस्टम के मूल भागों को एक Input Processor, एक Simulation Processor एक Rendering Process तथा एक World database में विभाजित किया जा सकता है।

    इन सभी भागों को प्रोसेसिंग के लिये आवश्यक समय का ध्यान रखना है। रिस्पान्स टाइम में प्रत्येक विलम्ब (delay) ‘presence’ के अनुभव और वास्तविकता के सिमुलेशन को डिग्रेड (degrade) करता है।

    VR प्रोग्राम का इनपुट प्रोसेस उन डिवाइसों का नियंत्रण करता है जो कम्प्यूटर में इनफरमेशन इनपुट करते हैं।

    इनपुट डिवाइस के अनेक प्रकार हो सकते हैं; जैसे- की-बोर्ड (key-board), माउस (mouse), ट्रैकबाल (track ball), ज्वायस्टिक (joystick), 3D तथा 6D पोजीशन ट्रैकर (ग्लोव glove; वान्ड, wand; हैड ट्रैकर, head tracker, बाडी सुईट, body suit; इत्यादि)।

    एक नेटवर्कड (networked) वीआर सिस्टम नेट से प्राप्त इनपुट को जोड़ेगा।

    एक वायस (voice) रिकग्निशन (recognition) सिस्टम (system) VR की वृद्धि के लिये अच्छा है, विशेषकर जब यूजर के हाथ अन्य कामों को कर रहे हों।

    साधारणतः VR सिस्टम की इनपुट प्रोसेसिंग को सरल रखा गया है। इसका उद्देश्य कम से कम लैग (lag) समय के साथ कोआरडिनेटैड डाटा को शेष सिस्टम तक पहुँचाना है।

    कुछ पोजीशन सेंसर सिस्टम्स कुछ फिल्टरिंग और डाटा स्मूथिंग (data smoothing) प्रोसेसिंग जोड़ते हैं। कुछ ग्लोव (glove) सिस्टम हाव-भाव की पहचान को जोड़ते हैं।

    यह प्रोसेसिंग चरण ग्लोव इनपुट का परीक्षण कर यह निश्चित करता है कि एक विशेष हावभाव कब बनाया गया. है। अतः यह सिमुलेशन को एक उच्च स्तर का इनपुट उपलब्ध कराता है।

  • Paid VR Programs kya hai?

    पेड वीआर प्रोग्राम (Paid VR Programs)

    वर्चुअल रियलिटी स्टूडियो (अर्थात् वीआर स्टूडियो VRS) एक बहुत कम मूल्य का वीआर आधरिंग सिस्टम है के यूजर को अपने स्वयं के वर्चुअल संसार की परिभाषा करने की इजाजत देता है।

    यूरोप में इस प्रोग्राम को “3D Constructign kit” भी कहते हैं। इस प्रोग्राम में काफी अच्छा ग्राफिकल इन्टरफेस है, जिसमें एक सरल स्क्रिप्टिंग भाष भी है।

    कम मूल्य की वस्तुओं के बाजार में नया कदम रखने वालों में Lepton VR Data Modeling Toolkit प्रमुख है। इस पैकेज में DOS सिस्टम पर रियल यहम 3D डाटा माडलिंग के लिये C प्रोग्रामिंग लाइब्रेरी का एक संग्रह है।

    मैकिनतोश (Macintosh) के बाजार के लिये Vivi Star Consulting से Qd3d, 3dpane, तथा Smartpane] [0++ लाइब्रेरी है।

    ये लोकप्रिय Macintosh C++ कम्पाइलर और साथ ही Think c6.0 के 3D ग्राफिक फंक्शन का सम्पूर्ण सूईट (suite) उपलब्ध कराते हैं।

    VREAM Inc से MS-DOS सिस्टम के लिये VREAM एक संपूर्ण VR आथरिंग पैकेज है। वस्तुओं तथा संसार बनाने एवं काफी शक्तिशाली स्क्रिप्टिंग भाषा के लिये, यह एक अच्छा GUI वातावरण उपलब्ध कराता है।

    VREAM विभिन्न प्रकार की इनपुट और आउटपुट डिवाइसों को सपोर्ट करता है जिनमें HMDs भी सम्मिलित हैं। केवल प्लेबैक योग्यता उपलब्ध कराने के लिये कम दामों पर रन टाइम सिस्टम के दो version उपलब्ध हैं।

    कम दाम वाले रस टाइम केवल स्टैण्डर्ड VGA डिस्प्ले तथा माउस के साथ ही कार्य करते हैं। ज्वायस्टिक के साथ काम करेंगे। उन्नत रन टाइम सिस्टम अधिक डिवाइसेज को सपोर्ट करते हैं।

    Virtus Corp. से Virtus walkthrough है जो Mac और Windows सिस्टम दोनों के लिये उपलब्ध है।

    यद्यपि यह बनाये गये संसारों में व्यूप्वाइन्ट के इन्टरैक्टिव नियंत्रण की योग्यता तथा एक सुन्दर 3d माडलिंग पैकेज उपलब्ध करवाता है, तथापि यह वस्तुओं के साथ इन्टरैक्शन की अनुमति नहीं देता। ताजा संस्करण Walk through Pro टैक्सचर मैप्स (texture maps), Quick Time मूवीज को सपोर्ट करता है।

    Sense 8 World Tool Kit (WTK) संभवतः इस प्रकार का सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला प्रोडक्ट है। यह अनेक प्रकार के प्लेटफार्मों PC से हाई एण्ड (High end) SGI बाक्सेज (Boxes) तक चलता है। इसने श्रेष्ठता के अनेक पुरस्कार अर्जित किये हैं।

    Autodesk Cyberspace Development Kit C++ MSDOS सिस्टम्स के लिये लाइब्रेरी है जो Metaware high c/ C++ कम्पाइलर और Pharlap Dos 32bit Extender प्रयोग करती है।

    यह VESA डिस्प्ले और साथ ही अनेक रैन्डरिंग एक्सीलेटर बोर्ड्स (SPEA Fireboard, FVS Sanphire, Division’s view) को सपोर्ट करती है।

    Stray light Corp. Photo VR नाम का एक पैकेज बनाता है जो विशेष रैन्डरिंग बोर्ड (Intel Action Media Cards) का उपयोग श्रेष्ठ टैक्सचर्ड मैप्ड वाकथ्रू वातावरण प्रदान करने के लिये करता है।

    वर्चुअल संसारों के लिये Dimension International का Superscape VRT3 एक बहुत शक्तिशाली आथरिंग सिस्टम है।

    यह संसारों और वस्तुओं के लिये ग्राफिकल वातावरण तथा एक कम (lower) स्तर (level) तक C लाइब्रेरी दोनों उपलब्ध कराता है।

    Division Ltd. वीआर के लिये एक प्रोग्राम वातावरण (environment) बेचता है जिसे dvs कहते हैं। यह पैकेज SGI सिस्टम्स IBM RS/6000 वर्क स्टेशन्स और एक प्रोपाइटरी Division वर्क स्टेशन पर चलाता है।

  • Freeware VR Program kya hai?

    फ्रीवेयर वी आर प्रोग्राम (Freeware VR Program)

    कुछ फास्ट रैन्डरिंग प्रोग्राम हैं जिनको सोर्स कोड तथा शुल्क बिना रिलीज किया गया है। इन प्रोग्रामों का कापीराइट सामान्यतः फ्रीवेयर ने किया है

    जिसका अर्थ है कि मौलिक जन्मदाता कापीराइट अपने पास रखे हुए हैं और इसका कॉमर्शियल उपयोग प्रतिबन्धित है।

    यह पालिश्ड कॉमर्शियल प्रोग्राम नहीं है और अधिकतर लिखने वाले छात्र होते हैं, तथापि लोगों को, बीआर की दुनिया में कम खर्च में प्रवेश दिलाने के लिये यह प्रोग्राम मौजूद है।

    Rend 386 एक ऐसा फ्रीवेयर पुस्तकालय और वर्ल्ड प्लेयर है जो 386/486 DOS सिस्टम के लिये लिखा गया है। इसको कनाडा के वाटर लू विश्वविद्यालय में डेव स्टैम्प (Dave Stampe) तथा बर्नी रोएल (Bernie Roel) ने लिखा है।

    यह इमेज को 320 x 200 x 256 के रैजूलूशन पर बनाता है तथा अनेक एक्स्ट्रा डिवाइस, जैसे Mattel power glove, LC shutter glasses, Split screen sterio viewers इत्यादि को सपोर्ट करता है। Rend 386 एक संपूर्ण वर्ल्ड प्लेयर तथा एक सोर्स कोड दोनों है।

    यह वर्ल्ड आब्जेक्ट बिल्डिंग के लिये फुल आथरिंग एनवायरमेंट उपलब्ध नहीं कराता है। ACK3D एक फ्रीवेयर C प्रोग्रामिंग पुस्तकालय है जिसको Lary Meyer ने विकसित किया है और जो (PC) पीसी सिस्टम्स के लिये एक तेज ‘raycasting’ रैन्डरर उपलब्ध कराता है।

    गोसामर (Gossamer ) Apple Macintosh सिस्टम के लिये एक फ्रीवेयर VR पैकेज है जिसको जॉन ब्लासम (Jon Blossom) ने लिखा है।

    अभी तक सोर्स कोड रिलीज नहीं किया गया है किन्तु (Jon) जॉन ने एक डेमो तथा एक थिंक C लाइब्रेरी (Think C library) रिलीज की है।

    मल्टीवर्ज (Multiverse) एक फ्रीवेयर है जो Unix आधारित क्लाइन्ट/सर्वर पर आधारित है और जिसे राबर्ट ग्रान्ट (Robert Grant) ने लिखा है।

    यह मल्टीयूजर नान इमरजिव, x- विन्डो आधारित वर्चुअल रियलिटी सिस्टम है जिसका मुख्य लक्ष्य मनोरंजन/ अनुसंधान है।

    इसमें मल्टीपर्सन वर्ल्ड तथा एक लोकल या लांग हाल (haul) नेटवर्क पर एक क्लाइन्ट/सर्वर टाइप वर्ल्ड सिमुलेशन के सैट अप के लिये क्षमताएँ शामिल हैं। Unix के अनेक फ्लेवर्स के लिये मल्टीवर्ज (multiverse) सोर्स और बाइनरी उपलब्ध हैं।

    MR Tool kit (एम आर टूल किट) Unix सिस्टम के लिये एक प्रोग्रामिंग लाइब्रेरी है जो अलबर्टा यूनिवर्सिटी से निःशुल्क उपलब्ध करायी गई है।

    किन्तु लाइसेंसिंग करारनामा यह शर्त रखता है कि इससे कोई कॉमर्शियल प्रोडक्ट नहीं बनाया जायेगा।

    VEOS एक और प्रोग्रामिंग टूलकिट है जो नेटवर्कड Unix मशीन पर वीआर के विकास के लिये एक आधार उपलब्ध कराता है।

    सोर्स कोड वाशिंगटन विश्वविद्यालय की हयूमन इन्टरफेस टैक्नालाजी लैब (HITL) में उपलब्ध है (ftp.u.washington.edu

  • VR software Systems kya hai?

    सॉफ्टवेयर सिस्टम्स (VR software Systems)

    वीआर (VR) टैक्नालाजी को विकसित करने के लिये विभिन्न प्रयत्न किये जा हैं। इनमें से प्रत्येक परियोजना के विभिन्न लक्ष्य हैं और वह सम्पूर्ण वी आर टैक्नालाजी तक पहुँचती है।

    बड़ी-छोटी सभी प्रयोगशालाओं में इस दिशा में अनुसंधान हो रहा है (UNE, Cornell, U. Rochester इत्यादि) । ARDA, NIST, नेशनल साइंस फाउन्डेशन तथा अमेरिका सरकार के अन्य विभाग वी आर पर अधिक धन व्यय कर रहे हैं।

    कुछ प्रयोगशालाएँ ऐसी भी हैं जो उद्योग जगत से अनुदान पाती हैं; जैसे ह्यूमन इन्टरफेस टैक्नालाजीज लेबोरेटरी (HITL) जो सियटल में स्थित हैं तथा जापान की NTT परियोजना ।

    अनेक प्रतिष्ठित और नई कम्पनियाँ भी वर्ल्ड बिल्डिंग टूल (World building tool) जैसे Autodesk, IBM, Sense8, VREAM बना रही हैं ओर बेच रही हैं।

    उपलब्ध VR सॉफ्टवेयर के दो मुख्य वर्ग टूल किट्स (tool kits) तथा आथरिंग सिस्टम्स (authoring systems) हैं।

    टूल किट्स सामान्यत: C या C++ के लिये प्रोग्रामिंग पुस्तकालय हैं जो फंक्शन्स के एक सैट उपलब्ध कराते हैं। आथरिंग सिस्टम ग्राफिकल इंटरफेस के साथ सम्पूर्ण प्रोग्राम हैं जो बिना विस्तृत प्रोग्रामिंग करे हुए वर्ल्ड की रचना कर सके।

    इनमें साधारणतः एक प्रकार की लिपि भाषा ( scripting language) सम्मिलित है जिसमें जटिल कार्यों (actions) को दर्शाया जाये। अतः वे वास्तव में नान प्रोग्रामिंग नहीं हैं, केवल अधिक सरल प्रोग्रामिंग ही हैं।

    प्रोग्रामिंग पुस्तकालय सामान्यतः अधिक फ्लैक्सिबल (flexible) हैं तथा आथरिंग सिस्टम से तेज रैन्डर (renders) हैं। किन्तु इन्हें इस्तेमाल करने के लिये आपको एक अत्यन्त निपुण प्रोग्रामर होना चाहिये।

  • VR Hardware System kya hai?

    वीआर हार्डवेयर सिस्टम के स्तर (Levels of VR Hardware System)

    वीआर हार्डवेयर के अनेक स्तरों की परिभाषा करते हैं। यह विशेषकर अधिक उन्नतशील सिस्टम के समक्ष कठिन स्तर नहीं है।

    ऐन्ट्री वीआर (ईवीआर ) Entry VR (EVR) : ‘एन्ट्री लेबल’ वी आर सिस्टम एक स्टाक पर्सनल कम्प्यूटर या वर्कस्टेशन लेकर एक WOW सिस्टम इम्प्लीमेंट करता है।

    सिस्टम एक IBM क्लोन (clone) मशीन (MS-DOS/Window) या एक एैपल मैकिनटाश (Apple Macintosh) अथवा कदाचित एक कामोडोर-अमीगा (Cammodore Amiga) पर आधारित हो। मैक (Mac) आधारित सिस्टम्स हैं किन्तु कुछ ही हैं जो बहुत तेज हैं।

    जो भी बेस कम्प्यूटर हो इसमें एक ग्राफिक्स डिस्प्ले, एक 2D इनपुट डिवाइस जैसे माउस, ट्रैकबाल या ज्वायस्टिक, की-बोर्ड, हार्डडिस्क तथा मैमोरी होती है।

    बेसिक वीआर (BVR) : ईवीआर (EVR) सिस्टम से अगला कदम है बेसिक इन्टरैक्शन और डिस्प्ले एनहान्समेंट को जोड़ना।

    इन एनहान्समेंट (Enhancement) में एक स्टीरियोग्राफिक व्यूवर (LCD shutter glasses) तथा एक इनपुट /कन्ट्रोल डिवाइस जैसे मैटल पावर ग्लोव (Mattel power Glove) तथा एक मल्टीडाइमेन्शनल (3d या 6d) माउस (mouse) या ज्वायस्टिक (joystick) शामिल होंगे।

    उन्नतिशील वीआर (AVR) : वीआर टैक्नालाजी सीढ़ी की अगला पायदान है- एक एक्सालटर तथा फ्रम बफर आर संभवत: : इनपुट हैन्डलिंग के लिये अन्य समानान्तर प्रोसेसर का जुड़ना। इस क्षेत्र में एक तेज डिस्प्ले कार्ड (faster display card) सबसे सरल एनहान्समेंट (enhancement) है।

    पीसी वर्ग वाली मशीनों के लिये अनेक नये तेज VGA और SVGA एक्सीलेटर कार्ड हैं। ये डेस्कटॉप वीआर सिस्टम के परफारमेंस में नाटकीय सुधार ला सकते हैं। अन्य अधिक परिष्कृत इमेज प्रोसेसर जो Taxas Instrument T134020 अथवा Intel i860 पर आधारित हैं, इस क्षेत्र में और भी अधिक क्षमताओं में सुध पर कर सकते हैं।

    सिलीकान वैपिक्स रियलिटी इंजिन (Silicon Graphics Reality Engine) अनेक 1860 प्रोसेसर इस्तेमाल करता है जो सामान्य एस जी आई वर्क स्टेशन हार्डवेयर (SGI work station Hardware) के अतिरिक्त है, यह विशेषकर रियलटाइम ऐनीमेशन में वास्तविकता के आश्यर्चजनक स्तर तक पहुँचने के लिये है।

    एक AVR सिस्टम में साउन्ड कार्ड भी जोड़ा जा सकता है जिससे मोनो, स्टीरियो अथवा True 3D आडियो आउटपुट मिल सकता है। कुछ साउन्ड कार्ड आवाज पहचानने (Voice recognition) की क्षमता रखते हैं। वीआर एप्लीकेशन्स के लिये यह अत्यन्त उत्तम अतिरिक्त इनपुट डिवाइस होगी।

    इमरशन (Immersion) VR (IVR) इमरशन VR सिस्टम एक प्रकार का इमरसिव ( immersive) डिस्प्ले सिस्टम जोड़ता है: एक HMD, एक Boom, या अनेक बड़े प्रोजेक्शन टाइप डिस्प्ले (Cave), IVR सिस्टम कुछ टैक्टाइल (tectile), हैपटिक (Haptic) और टच फीडबैक (touch feedback) को भी मिला सकते हैं।

    टच (touch) या फोर्स फीडबैक (fource feedback) के क्षेत्र में (जिसको सम्मिलित रूप से हैपटिक्स (Haptics) कहते हैं) अनुसंधान का यह नया विषय है।

    वी आर पर एक सामान्य वैरियेशन है एक काकपिट या कैब (cab) कम्पार्टमेन्ट का यूजर को एनक्लोज (enclose) करने के लिये प्रयोग करना।

    वर्चुअल संसार को या तो एक प्रकार के व्यू स्क्रीन (view screen) से देखा जाता है तथा यह या तो सामान्यतः प्रोजेक्टैंड इमेजरी है या एक पारम्परिक मानीटर होता है।

    काकपिट सिमुलेशन हवाई जहाज सिमुलेटरों में अच्छी तरह परिचित है जिसका इतिहास प्रारम्भिक लिंक फ्लाइट ट्रेनर (Link Flight Trainer) तक जाता है। काकपिट को अधि कतर गतिमान प्लेटफार्म पर माउन्ट किया जाता है जो बड़ी गति का छलावा बनाती है।

    कैम्स (cabs) पानी के जहाज, ट्रक, टैन्ट तथा ‘बेटिल मैक्स’ (‘Battle mechas’) के लिये सिमुलेटर ड्राइव में काम आती है। “बेटिल मैक्स” काल्पनिक चलते हुए रोबोटिक डिवाइस (अर्थात् स्टारवार फिल्म) है। बैटिल टैक लोकेशन आधारित मनोरंजन (Battle Tech location based entertainment or LBE) केन्द्र इस प्रकार के सिस्टम का प्रयोग करता है

    सिमनेट (Simnet) : डिफैन्स सिमुलेशन इन्टरनेट विशाल वीआर परियोजनाओं में से एक है- डिफैन्स सिमुलेशन इन्टरनेट | यह परियोजना एक स्टैण्डर्डाइजेशन (Standardisation) है जिसके पीछे है संयुक्त राज्य अमेरिका का रक्षाविभाग जो विभिन्न सिमुलेटरों को इन्टरकनेक्ट कर एक विशाल नेटवर्क में परिवर्तन योग्य करने के लिये है।

    यह डिफैन्स एडवांस्ड रिसर्च प्रोडक्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन (DARPA) की SIMNET योजना (1980 वर्ष) का आउट ग्रोथ (out growth) है। SIMNET टैंक सिमुलेटर (कैब टाइप) का संग्रह है जो यूनिट टैकटिकल प्रशिक्षण (unit tactical training) की अनुमति देने के लिये साथ-साथ संगठित किये गये हैं।

    जर्मनी में सिमुलेटर उसी वर्चुअल वर्ल्ड (Virtual world) में आपरेट कर सकता है जैसे अमेरिका में सिमुलेटर उसी युद्ध अभ्यास को बाँट रहा है।

    बेसिक डिस्ट्रीब्यूटेड इन्टरएक्टिव व सिमुलेशन (DIS) प्रोटोकॉल की परिभाषा ओरलैण्डों इंस्टीट्यूट फार सिमुलेशन एण्ड ट्रेनिंग ने की है। यह अगली पीढ़ी के SIMNET, डिफैन्स सिमुलेशन इन्टरनेट (DSI) का आधार है।

    बेसिक DIS प्रोटोकॉल, IEEE द्वारा वितरित सिमुलेशन के बीच कम्यूनिकेशन हेतु एक स्टैण्डर्ड की तरह, एडाप्ट (adopt) की गई है।

  • Interface Devices kya hai?

    इन्टरफेस डिवाइसेस (Interface Devices)

    डाय ग्लोव (data glove) वान्ड्स (wands), स्टेयर स्टैपर्स (stair steppers) तथा वर्चुअल एनवायरमेन्ट में इस्तेमाल होने वाली अन्य डिवाइस वर्चुअल रियलिटी में पोस्टल की तरह सेवा देती हैं।

    डाटा ग्लोव (Data gloves)

    डाटा ग्लोव कम्प्यूटर को जैसचरिंग (gesturing) कमाण्ड (command) देने का सरल तरीका देता है। यदि आप हैड माउन्टैड डिस्प्ले पहने हुए हैं तो की-बोर्ड (key-board) पर कमाण्ड पंच करना मुश्किल हो सकता है।

    आप कम्प्यूटर को इस तरह प्रोग्राम कीजिये कि डाटा ग्लोव के साथ बनाये गये आपके जैसचर (gesture) पर कम्प्यूटर मोड को बदल दे।

    एक प्रकार के डाटा ग्लोव में पीछे की तरफ फाइबर आप्टिक का जाल होता है। एक बार हाथ के लिये डाटा ग्लोव कैलीबरेट कर दिया जाये तो आपका जैसचर (gesture) प्री-प्रोग्राम्ड (pre-programmed) कमाण्ड को ट्रिगर कर सकता है।

    अन्य कम्प्यूटर यूजर डाटा ग्लोब की धारणा में विस्तार कर फेशियल सैन्सर और यहाँ तक कि बाडी सूट (body suit) भी बना रहे हैं।

    अनेक वैज्ञानिक इनमें अभी कोई विशेष रुचि नहीं दिखा रहे हैं किन्तु एनीमेटर (animator) इनको इस्तेमाल करने में हिचकिचाहट नहीं दिखा रहे हैं, चेहरे से हावभाव वाले सैंसर तो कम्प्यूटर पर आ ही गये हैं जो अपना काम, विशेषकर एनीमैटेड कार्टून (animater cartoon) बनाने में सरल कर रहे हैं।

    वान्ड्स इन्टरफेस डिवाइसेस में सबसे सरल है और सभी आकारों और प्रकारों में उपलब्ध है। अधिकतर सिमुलेशन या डाटा के डिस्प्ले में वैरियेबल को कन्ट्रोल करने के लिये आन/आफ बटन इनकारपोरेट करते हैं।

    अन्य इनकी जगह नाब (knob), डायल (dial), या ज्वायस्टिक (joystick) रखते हैं। उदाहरण के तौर पर जीव विज्ञानी (biologist) कभी-कभी वर्चुअल ब्रेन से टिशू (tissue) स्लाइस (slice) करने के लिये ऐसा वान्ड इस्तेमाल करते हैं जो देखने में स्कैलपल (सर्जन के चाकू) की तरह होता है।

    वान्ड्स (Wands)

    बहुत से वान्ड फ्रीडम की 6 डिग्री (six degrees of freedom) के साथ काम करते हैं, अर्थात् किसी वस्तु की ओर वान्ड दिखाने से उसकी स्थिति और ओरियेन्टेशन को छः दिशाओं में से किसी भी दिशा में बदला जा सकता है,

    आगे या पीछे, ऊपर या नीचे, या बायें अथवा दाहिने। वान्ड के इस गुण के कारण वह अधिक लोकप्रिय है। अन्य इनपुट डिवाइसेज (Other Input Devices)

    वर्चुअल रियलिटी (Virtual reality) में लगभग सभी वस्तुओं को सिमुलेशन के लिये सैन्सिंग डिवाइस (sensing device) में बदला जा सकता है।

    स्टेयर स्ट्रैपर्स (stair steppers) इन्टरफेस डिवाइस के सीमाहीन मैनीफैस्टेशन्स (manifestations) के उदाहरण हैं। सिमुलेटेड युद्धस्थल टैरेन (terrain) के एक भाग के समान एक रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला में सैनिक की

    गतिविधियों की इनटैनसिटी और दिशा तथा रफ्तार का पता लगाने के लिये इंजीनियरों ने स्टेयर स्टैपर (stair stepper) का लगाया था।

    सैनिक की गतिविधियाँ युद्धक्षेत्र के उन सीनों की प्रतिक्रिया में हैं जो सिर पर लगा डिस्प्ले (head mounted display) प्रोजेक्ट कर रहा है।

    स्टेयर स्टैपर सीढ़ियों को चढ़ने के लिये आसान या कठिन बनाकर सैनिक को फीडबैक (feed back) उपलब्ध कराता है।

  • Head Mounted Display (VR) kya hai?

    हैड माउन्टैड डिस्प्ले (Head Mounted Display)

    हैड माउन्टेड डिस्प्ले (Head Mounted Display) या HMD एक हार्डवेयर डिवाइस है जो वीआर से निकट रूप से सम्बन्धि त है।

    ये हैलमेट या गोगल (helmet or goggle) जैसी वस्तुओं को इस्तेमाल करते हैं जिससे हर आँख के सामने छोटे-छोटे वीडियो डिस्प्ले रखे जा सकते हैं।

    इमें फोकस के लिये विशेष आप्टिक होते हैं जो व्यू की परसीव्ड (perceived) फील्ड को खींच कर तान सकें। अधिकतर HMD दो डिस्प्ले इस्तेमाल करते हैं और स्टीरियो स्कोपिक इमेज उपलब्ध करा सकते हैं।

    अन्य केवल एक बड़ा डिस्प्ले प्रयोग करते हैं जो उच्च रैजोलूशन उपलब्ध करवाता है किन्तु स्टीरियो इस्कोपिक विजन के बिना।

    अधिकतर सस्ते HMD, एलसीडी (LCD) डिस्प्ले इस्तेमाल करते हैं जबकि दूसरे छोटे सीआरटी (CRT) जैसे कैम कोर्डर (cam corder) में मिलते हैं।

    अधिक महँगे HMD विशेष सीआरटी (CRT) इस्तेमाल करते हैं जो नान हैड (non-head) माउन्टैड डिस्प्ले से इमेज को पाइप (pipe) करने के लिये आप्टिकल फाइबर या हैड का इस्तेमाल करते हैं।

    एक HMD को हैलमेट के साथ एक पोजीशन ट्रैकर की भी आवश्यकता होती है। विकल्पतः सपोर्ट और ट्रैकिंग के लिये डिस्प्ले को एक आर्मेचर पर माउन्ट (mount) किया जा सकता है।

  • Stereo Vision kya hai?

    स्टीरियो विजन (Stereo Vision)

    वी आर सिस्टम में बहुधा स्टीरियोविजन शामिल होता है। यह संसार की दो विभिन्न इमेज बनाकर प्राप्त होता है और जो एक आँख के लिये एक होती है। ऐसी अनेक टैक्नालाजी हैं जो इन दो इमेजों को प्रस्तुत करती हैं।

    इनको साथ-साथ रखा जा सकता है और देखने वालों से कहा जाता है (या उसकी सहायता की जाती है) कि वह अपनी आँखों को क्रास (cross) करके देखें।

    इन इमेजों को विभिन्न पोलाराइज्ड फिल्टरों (polarized filterd) के द्वारा आँखों के सामने करसपोन्डिग (corresponding) फिल्टर रखकर प्रोजेक्ट (project) किया जा सकता है।

    एनाग्लिफ (Anaglyph) इमेज यूजर एक क्रूड (बिना रंग वाला) स्टीरियोविजन उपलब्ध कराने के लिए लाल/नीला कांच इस्तेमाल करते हैं।

    दो इमेज एक सिक्वेन्स (sequence) में कनवेन्शनल मानीटर पर दिखाई जा सकती हैं या प्रोजेक्ट कर दिखाई जा सकती हैं।

    लिक्विड क्रिस्टल शटर ग्लास (liquid crystal shutter glasses) का इस्तेमाल आँखों को एक के बाद एक बंद करने में होता है जो डिस्प्ले के साथ सिन्क्रोनाइज होती है। जब दिमाग एक के बाद एक जल्दी-जल्दी इमेजों को रिसीव करता है तो यह प्रक्रिया इमेजों को फ्यूज (fuse) कर एक सिंगल सीन बनाती है जिसमें गहराई महसूस की जा सकती है।

    इसको पाने के लिए हाई डिस्प्ले स्वैपिंग रेट (high display swapping rate) कम से कम 60Hz की आवश्यकता है। अनेक कम्पनियाँ कम दामों के एल सी शटर ग्लासैज (LC shutter glasses) बना रही हैं जो टीवी के लिये इस्तेमाल होते हैं।

    ये कम्पनी हैं- सीगा (Sega), निनटेन्डो (Nintendo) तोशिबा (Toshiba) इत्यादि। इनको आन लाइन सिस्टम में उपलब्ध कम्प्यूटरों में हुक कराने के लिये सर्किट और कोड होते हैं।

    ग्लासैज (glasses) को ढूँढ़कर पता लगाना स्वयं में एक मुश्किल काम है क्योंकि अभी तक अपने मौलिक इस्तेमाल के लिये ये न बनाये गये हैं और न ही बेचे जा रहे हैं।

    स्टीरियो ग्राफिक्स (Sterio graphics) एक बहुत अच्छा कॉमर्शियल LC शटर सिस्टम बेचता है जिसे क्रिस्टल आईज (Crystal Eyes) कहते हैं।

    कम्प्यूटर पर स्टीरियो इमेजरी बनाने की एक वैकल्पिक विधि है- अनेक स्प्लिट (split) स्क्रीन विधि। ये मॉनीटर को दो भागों में बाँट कर दाहिनी और बायीं इमेज को एक ही समय में दिखाते हैं।

    एक विधि इमेज को पास-पास रखती है जो पारम्परिक दिशा में है। यह पूरा स्क्रीन शायद न इस्तेमाल करे या कदाचित सामान्य डिस्प्ले आसपैक्ट रेश्यो (display aspect ratio) में रद्दोबदल भी कर सकती है।

    मॉनीटर के विरुद्ध एक विशेष हुड व्यूअर (hood viewer) रखा जाता है जो आँखों को सही स्थिति में रखने में मदद करता है तथा इसमें एक डिवाइडर (divider) भी हो सकता है जिससे एक आँख अपनी ही इमेज देख सके। इनमें से अनेक हुड जैसे एक जो रेन्ड 386 के V5 के लिये, फ्रेसनेल (fresnel) लेंस इस्तेमाल करते हैं जिससे देखने में बढ़ोतरी हो।

    इस स्प्लिट स्क्रीन (split screen) विधि का विकल्प इमेज को इस तरह ओरियेन्ट (orient) करता है जिससे कि प्रत्येक का शीर्षस्थ मॉनीटर के साइड (side) की ओर इशारा करे।

    एक विशेष हुड जिसमें शीशे हों इमेज को सही ओरियेन्ट करने के लिये इस्तेमाल किया जाता है।