Category: ComputerTopic

  • Paragraph Formatting क्या है

    Paragraph Formatting क्या है

    पैराग्राफ फॉर्मेटिंग- वर्ड के द्वारा Paragraph formatting करके हम इसे आसानी से इच्छित रूप में प्राप्त कर सकते हैं। पैराग्राफ फॉर्मेटिंग के अन्तर्गत पैराग्राफ के बीच में space छोड़ना, पैराग्राफ की Lines को Special बनाना, पहली लाइन को Effective दिखाना इत्यादि सम्मिलित हैं।

    पैराग्राफ फॉर्मेटिंग के लिये निम्न steps प्रयोग किये जाते हैं

    Step-1. सर्वप्रथम फॉर्मेटिंग (Formatting) किये जाने वाले Text को select किया जाता है।

    Step-2. मेन्यूबार (Menu bar) में format menu पर click करने के बाद paragraph पर क्लिक करते हैं तो पैराग्राफ डायलॉग बॉक्स प्रकट हो जाता है।

    Step-3. अब अपनी जरूरत के हिसाब से dialog box में सेटिंग करें।

    Step-4. OK पर क्लिक करें अब हम वापस डॉक्यूमेन्ट पर लौट आते हैं।

    Step-5. यदि हम चाहते हैं कि चुने हुये Text के बीच में एक line से दूसरे लाइन के singal double लाइन का space हो तो लाइन स्पसिंग आप्शन line spacing option में से उपयुक्त ऑप्शन को सिलेक्ट करते हैं।

    Step-6. प्रत्येक पैराग्राफ के मध्य में एक खाली लाइन के बराबर जगह छूटे तो आप पहले After पर क्लिक करें तथा 12 प्वाइन्ट स्पेसिफाई (specify) करें अथवा Before or after दोनों पर 6 प्वाइन्ट लागू कर। यदि हम 12 प्वाइन्ट का उपयोग कर रहे हैं तो यह लगभग एक लाइन के बराबर होता है। तब हर बार Enter key दबाने पर एक लाइन के बराबर space छूट जायेगा।

  • मर्जिंग (Merging) डॉक्यूमेन्ट क्या है?

    मर्जिंग (Merging) डॉक्यूमेन्ट क्या है?

    मर्जिंग (Merging) करने के लिये दो document की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में main document को डाटा फाइल (data file) के साथ मर्ज (merge) करने के निम्नलिखित चरणों की आवश्यकता होती है.

    1. फॉर्म लेटर (Form letter) से ‘मेल मर्ज हेल्पर’ (Mail merge helper) बटन पर क्लिक करते हैं। ऐसा करते ही mail merge helper डायलॉग बॉक्स प्रकट हो जाता है। 

    2. इस डायलॉग बॉक्स में मर्ज (merge) पर क्लिक करते हैं मर्ज डायलॉग बॉक्स प्रकट हो जाता है। 

    3. मर्ज विकल्प का चयन निम्न प्रकार से करते हैं

    (i) मर्ज फाइल के नये गंतव्य स्थान का निर्धारण करते हैं। 

    (ii) यदि रिकॉर्ड (Record) एक क्रम में हो, तो उसको मर्ज (merge) करने के लिये अंक प्रदान कर देते हैं। 

    4. जब विकल्प का चयन हो जाता है, तो मर्ज (merge) पर क्लिक करते हैं।

  • Document को कैसे Edit करे MS Word मैं?

    Document को कैसे Edit करे MS Word मैं?

    Document को कैसे Edit करे MS Word मैं?

    MS Word के अन्तर्गत एडिटिंग (Editing) से जुड़े सभी काय एम.एस. वर्ड के द्वारा सम्पन्न करते हैं। किसी भी डॉक्यमेन्ट को एडिट करने के लिये निम्न आवश्यक हैं.

    1. सर्वप्रथम डॉक्यूमेन्ट में सही स्थान का चुनाव करना.
    2. न्यू टैक्स्ट (New text) को इन्टर (Enter) करना.
    3. अनचाहे टैक्स्ट को हटाना.

    सर्वप्रथम डॉक्यूमेन्ट में सही स्थान का चुनाव करना (Choose a right place in a document)-

    माउस के द्वारा डॉक्यमेन्ट में सही स्थान चुनने या खोजने के लिये Scrollbar का उपयोग करते हैं। वर्ड के अन्दर टैक्स्ट का सिलेक्शन माउस और की बोर्ड की सहायता से आसानी से किया जा सकता है.

    माउस के द्वारा टैक्स्ट को चुनने के दो तरीके हैं.

    (1). क्लिक और ड्रेग तरीके का उपयोग- इसके उपयोग के निम्नलिखित स्टैप्स (steps).

    (A) जहाँ से आप सिलेक्ट करना चाहते हैं, उस वर्ड के बायें कार्नर (Left comer) पर क्लिक करें तथा माउस बटन को दबाकर रखें।.

    (B) टेक्स्ट के चुने जाने पर वह टैक्स्ट सिलेक्ट हो जायेगा तब माउस का बटन छोड देते हैं.

    (2). क्लिक और शिफ्ट तरीके का उपयोग- इसके उपयोग के निम्नलिखित स्टैप्स (steps) हैं.

    (A). जिस वर्ड (word) को चुनना चाहते हैं उसके लेफ्ट साइड (Left side) के फर्स्ट कैरेक्टर (First character) पर क्लिक करें.

    (B) टैक्स्ट को आप जहाँ तक चुनना चाहते हैं। वहाँ तक स्क्रॉल बार की सहायता से स्क्रॉल करें.

    (C) जहाँ तक चुनना चाहते हैं, उसके अन्त में क्लिक करें। स्टार्ट (Start) से लेकर क्लिक करने वाले स्थान तक का सारा टैक्स्ट हाईलाइट (Highlight) हो जाये। यदि हम चाहें तो की-बोर्ड के द्वारा भी टैक्स्ट को चुन सकते हैं। इसके लिये टैक्स्ट को सिलेक्ट करने के लिये शिफ्ट को को प्रेस कर Insertion प्वाइन्ट को चलाने वाली किसी भी की (key) जैसे- Arrow key का उपयोग करके सिलेक्ट कर सकते हैं.

    न्यू टैक्स्ट को एन्टर करना (Enter of New text)

    न्यू टैक्स्ट को इन्सर्ट कराने के लिये की-बोर्ड से टाइप करते हैं ऐसा करते हुये इन्सर्शन प्वाइन्ट (Insertion point) आगे-आगे व अक्षर (character) पीछे दिखायी देते हैं.

    अनचाहे टैक्स्ट को हटाना (Delete of Unusable text)

    Insertion point या कर्सर (cursor) के लेफ्ट साइड स्थित अक्षर (character) को हटाने के लिये Delete की का उपयोग करते हैं तथा left side के अक्षर को मिटाने के लिये बैकस्पेस-की (Backspace Key) का उपयोग करते हैं। तेजी से मिटाने के लिये दो तरीके हैं। जिसमें पहला तरीका यह कन्टोल + डिलीट-की को दबाने से text में Insertion point से वर्ड के last का पार्ट मिट जाता है तथा कन्ट्रोल + बेकस्पेस की (ctrl + backspace key) दबाने से Insertion point से वर्ड के स्टार्ट तक का पार्ट मिट जाता है.

  • Application Window क्या है?

    Application Window क्या है?


    Application windows kya he

    Application Window– यह बाहरी विंडो होती है जिसमें एम, एस. वर्ड के समान ही मेन्यू बार, स्टैण्डर्ड प्रदर्शित होते हैं। इसके अतिरिक्त, एम.एस. वर्ड से भिन्न, इसमें फॉर्मूला बार प्रदर्शित होता है। इसके निम्नलिखित अवयव हैं.

    (1) फॉर्मूला बार– कोई भी नैक्स्ट, डाटा या फार्मूला जो हम लिखते हैं, इसमें दिखाई देता है.

    (2) स्टेटस बार– यह एप्लीकेशन विंडो की निचली पट्टिका होती है जिससे विभिन्न सूचनाओं के संदेश प्रदर्शित होती हैं। जैसे यह यदि Ready प्रदर्शित करती है तो इसका अर्थ है कि एक्सेल में डाटा स्वीकार करने के लिये तैयार है और यदि यहाँ Edit शब्द का संदेश है तो इसका अर्थ है कि एक्सेल चयनित सेल में संशोधन की अवस्था में है। इस प्रकार अनेक संदेश स्टेटस बरा समय-समय पर प्रदर्शित करता है.

    (3) मैन्यू बार– यह हमें निर्देश को कार्यान्वित करने के लिये विभिन्न विकल्प दिखाता है। मैन्यू बार में एम.एस. एक्सेल के सभी कमाण्ड नौ मुख्य मैन्यूज के रूप में दिये गये हैं। प्रत्येक मुख्य मैन्यू के अन्दर सब मैन्यूज होते हैं जिनका अपना अलग-अलग कार्य है.

    File, Edit, View, Insert, Format, Tools, Data, Window, Help

    (4). स्टैंडर्ड टूल बार– यह स्क्रीन पर सोता ही प्रदर्शित होता है तथा सामान्यतः प्रयुक्त होने वाली कमांडो के लिए शॉर्टकट प्रदान करता है.

    (5). फॉर्मेटिंग टूलबार– यह भी स्क्रीन पर सोता ही प्रदर्शित होता है तथा टेक्स्ट फॉर्मेटिंग में प्रयुक्त होने वाले कमांडो के लिए शॉर्टकट प्रदान करता है.

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  • MS Excel को Start कैसे करे और कैसे चले?

    MS Excel को Start कैसे करे और कैसे चले?

    MS Excel Windows पर आधारित एम.एस. ऑफिस सूईट का एक एप्लीकेशन पैकेज है जो डाटा पर सारणीबद्ध रूप में विभिन्न गणनाओं को करने पर डाटा | पर आधारित विश्लेषणों को करने में उपयोग किया जा सकता है। इस के अन्तर्गत विभिन्न गणितीय और अकाउटिंग क्रियाओं से सम्बन्धित सूत्र तथा फंक्शन भी उपलब्ध होते हैं। इस के | अन्तर्गत स्प्रेडशीट में ग्राफिक्स की सुविधा भी होती है तथा प्रिन्ट करने के लिये सभी विकल्प एवं टैक्स्ट को फॉर्मेट करने की भी सुविधा देता है.

    MS Excel का प्रारम्भ- एक्सेल का आरम्भ तीन विधियों में से किसी भी एक विधि द्वारा किया जा सकता है.

    Step 1.

    Desktop पर Microsoft Excel के आइकॉन को माउस के बायें बटन द्वारा दोबार क्लिक करके.

    Step 2.

    (A) Start बटन पर माउस के बायें बटन से एक बार क्लिक करने पर ऊपर का ओर खुलती हुई एक सूची मिलेगी.

    (B) इस सुचि मे माउस के बायें बटन द्वारा प्रोग्राम्स पर एक बार क्लिक करेंगे तो दाया ओर एक सूची खुल जायेगी.

    (C) दायीं ओर खुली हुई इस सूची में माउस के बायें बटन द्वारा Microsoft Excel पर एक बार क्लिक करेंगे तो Microsoft Excel आरम्भ हो जायेगा.

    Step 3.

    (A) डेस्कटॉप पर Microsoft Excel के आइकॉन को माउस के बायें बटन द्वारा एक बार क्लिक करें। माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल के आइकॉन का रंग बदल जायगा. 

    (B) इस आइकान पर माउस के दायें बटन द्वारा एक एक बार क्लिक करने पर बायाँ ओर एक सूची खुल जायेगी.

    (C) बायीं ओर खुली हुई इस सूची में माउस के बायें बटन द्वारा Open पर एक बार क्लिक करेंगे तो MS-Excel आरम्भ हो जायेगा.

    MS-Excel का आरम्भ होते ही हमें अग्रलिखित खिडकी कम्प्यटर स्क्रीन पर दिखाई देगी.

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  • Font Size, Font Style, Font Type क्या है?

    Font Size, Font Style, Font Type क्या है?

    Font size kya hai

    1. फॉन्ट साइज (Font size)

    Document के पूरे भाग या उसके किसी भी भाग का Font साइज बदला जा सकता है। आमतौर पर पेज पर दो या तीन फॉन्ट साइज का प्रयोग करना अच्छा माना जाता है। शीर्षक के लिये बड़ा फॉन्ट साइज, टैक्स्ट के लिये सामान्य आकार तथा टिप्पणी आदि के लिये छोटा फॉन्ट साइज का प्रयोग किया जा सकता है.

    फान्ट साइज को बदलने के लिये निम्नलिखित चरणों का अनुसरण किया जाता है.

    • सबसे पहले उस टैक्स्ट को चुनते हैं। जिसका फॉन्ट साइज बदलना है.
    • Format मेन्यू से font विकल्प पर क्लिक करते हैं तो फॉन्ट डायलॉग बॉक्स प्रकट होता है.
    • आवश्यकतानुसार फॉन्ट को चुनते हैं तथा OK बटन पर क्लिक करते हैं, तो आवश्यक परिवर्तन चुने हुये डॉक्यूमेन्ट पर दिखायी देने लगते हैं.

    2. फॉन्ट स्टाइल (Font style)

    इसका प्रयोग करके टैक्स्ट को अधिक प्रभावी बनाया जाता है। सामान्यत: चार फॉन्ट स्टाइल उपलब्ध रहती है। जैसे- Bold, Italic, Underline or Regular इन चारों स्टाइलों में से जिसका भी प्रयोग किया जायेगा, सम्बन्धित टैक्स्ट उसके अनुरूप ढल जाता है.

    फॉन्ट स्टाइल का प्रयोग करने के लिये निम्नलिखित चरणों का अनुसरण किया जाता है.

    • सबसे पहले उस टैक्स्ट को चुनते हैं जिसका फॉन्ट स्टाइल बदलना है.
    • फॉर्मेट मेन्यू से फॉन्ट विकल्प पर क्लिक करते हैं तो फॉन्ट डायलॉग बॉक्स प्रकट होता है.
    • आवश्यकतानुसार फॉन्ट स्टाइल को चुनते हैं तथा OK बटन पर क्लिक करते हैं, तो आवश्यक परिवर्तन चुने हुये डॉक्यूमेन्ट पर दिखायी देने लगता है.

    3. फॉन्ट टाइप (Font type)

    फॉन्ट टाइप का प्रयोग करने के लिये निम्नलिखित चरणों का अनुसरण करना पड़ता है.

    • टैक्स्ट को चुनते हैं.
    • फार्मट मेन्यू से फॉन्ट विकल्प पर क्लिक करते हैं तो फॉन्ट डायलॉग बॉक्स प्रकट जाता है.
    • आवश्यकतानुसार उपलब्ध फॉन्ट टाइप चुनते हैं.
    • अन्त में OK बटन पर क्लिक करते ही डॉक्यूमेन्ट पर आवश्यक परिवर्तन स्पष्ट दिखायी देने लगता है.

    यहाँ विभिन्न फॉन्ट उपलब्ध होते हैं। जैसे- Arial, Times new roman आदि। इसके अलावा हिन्दी में टाइपिंग के लिये भी फॉन्ट टाइप जैसे-देवनगरी लिपि होता है.

  • भंडारण के उपकरण Types of Storage Devices

    भंडारण के उपकरण Types of Storage Devices

    आज हम सीखेंगे कंप्यूटर स्टोरेज के बारे में कि वह कौन-कौन से प्रकार के होते हैं और वह किस तरह कार्य करते हैं, यह सब जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ते रहिए.

    (1) फ्लॉपी डिस्कें- लगभग बीस वर्ष पूर्व अमेरिका की IBM कंपनी ने एक 8इंच व्यास की कागज के जैसी पतली प्लास्टिक की एक डिस्क बनाई जिस पर रिकार्डिंग करने के लिये कैसेट टेप पर लगे जैसे चुम्बकीय पदार्थ की एक पतली परत चढ़ी थी.

    वह एक मैगनेटिक डिस्क थी, परन्तु ग्रामोफोन के रिकार्ड की तरह वह इतनी मोटी नहीं थी वह स्वयं को सीधी रखे। यदि हम उसे उंगलियों से पकड़ें तो वह मुड़कर दोहरी हो जायेगी। इसलिये वह फ्लॉपी डिस्क कहलाती है। इन फ्लॉपी डिस्कों का एक मोटे कागज या प्लास्टिक का एक चौकोर आवरण होता है और प्रयोग के समय यह डिस्क इस आवरण के अंदर ही घूमती है। अत्यन्त उपयोगी होने के कारण कम्प्यूटर के साथ इनका उपयोग तेजी से बढ़ने लगा। समय के साथ तकनीक की प्रगति से 5.25 इंच व्यास की छोटी डिस्कें बनी जिनका अत्याधिक प्रचलन रहा.

    (2) जिप ड्राइवें- वर्तमान में हार्ड डिस्कें इतनी बड़ी हो गई हैं कि उनमें संचित सारी सूचना की प्रतिलिपियाँ बनाने के लिये सैकड़ों फ्लॉपी डिस्कें लग सकती हैं। इसके अतिरिक्त अनेक फाइलें इतनी बड़ी होती हैं कि वे एक फ्लॉपी डिस्क में समा नहीं सकतीं। इसके लिये नई प्रकार की डिस्कों व डिस्क ड्राइवों का प्रयोग किया जाने लगा है.

    जिप डिस्कें देखने में लगभग 3.5 इंच की फ्लॉपी डिस्कों के जैसी ही होती हैं, परन्तु ये अधिक सुदृढ़ होती हैं और इनकी सूचना के भंडारण की क्षमता सौ मेगाबाइटों से भी अधिक होती है। इसलिये ये बैकअप रखने और अधिक मात्रा में सूचना के स्थानान्तरण के लिये बहत उपयोगी हैं। इनमें सूचना अंकित करने के व अंकित सूचना वापस पढ़ने के लिये विशेष प्रकार की ड्राइवें होती हैं जिन्हें जिप ड्राइव कहा जाता है.

    (3) कॉम्पैक्ट डिस्कें– अधिक से अधिक सूचना के भण्डारण की युक्तियों के विकास के लिये सतत प्रयत्न होते रहे हैं। इन प्रयत्नों के परिणाम स्वरूप कॉम्पैक्ट डिस्कों का आविष्कार हुआ। इन डिस्कों में चुम्बकीय-प्रणाली का उपयोग नहीं होता। सूचना को लिखने व पढ़ने के लिये लेजर किरणों का उपयोग किया जाता है। इसलिये इन डिस्कों को ऑप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है.

    फ्लॉपी तथा हार्डडिस्कों में सूचना भरी भी जा सकती है, और अंकित सूचना वापस कम्प्यूटर द्वारा पढ़ी भी जा सकती है अर्थात् ये इनपुट व आउटपुट दोनों प्रकार की युक्तियों की तरह से काम करती हैं। इसलिये इन्हें इनपुट-आऊटपुट युक्तियाँ कहा जाता है। इसके विपरीत कॉम्पैक्ट डिस्कें ऐसी डिस्कें हैं जिन पर एक बार कुछ भी अंकित कर देने के पश्चात् उसे मिटाया या बदला नहीं जा सकता, केवल पढ़ा जा सकता है। इस प्रकार से ये डिस्कों की तरह ही काम करती हैं, और इसीलिये इन्हें सीडी रोम कहा जाता है। सूचना के भंडारण की बहुत अधिक क्षमता के कारण सीडी रोम का प्रचलन अत्याधिक तेजी से बढ़ रहा है.

    (4) डिजिटल विडियो डिस्कें– डिस्कों में अधिक से अधिक सूचना के भण्डारण कर सकने के प्रयास में डिजिटल वीडियो डिस्क या संक्षेप में डीवीडी का विकास हुआ। इन डिस्कों में CD-ROM की अपेक्षाकृत 7 से 12 गुना अधिक सूचना संचित की जा सकती है.

    एक डीवीडी में भंडारण की क्षमता सीडी की भण्डारण क्षमता से दस-बारह गुनी अधिक होती है। इसलिये उसकी एक ही ओर की सतह पर एक या दो घंटे के चल-चित्र की समूची फिल्म अति स्पष्टता के साथ रिकार्डिंग की जा सकती है। इसमें चित्र, ध्वनियाँ, व तीन या चार भाषाओं में संवाद, सभी शामिल हैं। जैसे-जैसे तकनीक में उन्नति हो रही है, इन डीवीडी प्रकार की डिस्कों की कीमतें कम होती जा रही हैं और इनका प्रचलन बढ़ता जा रहा है.

    (5) रैम डिस्क- संगणना करने के लिये जिस किसी डाटा पर संगणना करनी होती है वह डाटा कम्प्यूटर की अस्थायी स्मृति में होनी चाहिये। इसलिये कार्य करते समय कम्प्यूटर वांछित डाटा डिस्क पर से पढ़ कर रैम में संचित करता है और फिर उसका उपयोग करता है। काम पूरा होने पर कंप्यूटर आवश्यक डाटा रेम में से डिस्क पर रिकार्ड कर देता है। किसा लंबे कार्य के समय डिस्कों व RAM में इस प्रकार का आदान-प्रदान बराबर चलता रहता है। यद्यपि आधुनिक हार्ड डिस्क की कार्य करने की गति काफी तेज हो गई है, परन्तु फिर भी एक मेकेनिकल मशीन होने के कारण उसकी अपनी सीमायें हैं और इस कारण आदान-प्रदान में अधिक समय लग जाने के कारण कार्य करने की गति मन्द पड़ जाती है। इस समस्या का एक समाधान इलेक्ट्रोनिक है जिसे रैम डिस्क या Virtual Disk भी कहा जाता है.

    (6) मैमोरी कैश– वर्तमान में कम्प्यूटरों के प्रोसेसरों के कार्य करने की गति बहुत अधिक हो गई है और उसका साथ देने के लिये सामान्य प्रकार की रैम की गति बहुत कम रह जाती है। इसलिये अब कम्प्यूटरों में मैमोरी कैश का प्रयोग किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार की चिप होती है जिसकी भंडारण की क्षमता तो कम होती है पर उसकी सूचना के आदान-प्रदान की गति बहुत अधिक होती है। ये साधारण रम की तुलना में अधिक कीमती होती है। इनके प्रयोग से कम्प्यूटर के कार्य करने की गति अत्याधिक बढ़ जाती है.

    (7) मैग्नेटिक टेप- अनेक वर्षों से मैग्नेटिक टेप एक महत्वपूर्ण संग्रह माध्यम के रूप में उपयोगी डिवाइस है। हालांकि यह डिस्क की तुलना में कम लोकप्रिय है। लेकिन इसका उपयोग अनेक प्रकार के कम्प्यूटरों में होता है। टेप, किसी रील या कार्टेज में लिपटी हो सकती है जो कि निम्न दो प्रकार की होती हैं.

    (i) डिटेचेबल रील टेप- यह प्रायः 1/2 इंच चौड़ी होती है जो एक प्लास्टिक मॉयलर पदार्थ की बनी होती है जिसकी सतह पर चुम्बकीय लेपन रहता है। इसकी रील का व्यास प्रायः 10.5 इंच होता है। एक 2,400 फीट लम्बाई की टेप रील में डाटा का संग्रह 6250 बाइट प्रति इंच तक की सघनता में हो सकता है.

    (ii) कार्टेज टेप- यह प्लास्टिक के छोटे खोल में होती है। माइक्रो कम्प्यूटरों में हार्ड डिस्क से डाटा को बैक-अप करने के लिये उपयोग किया जाता है। यह टेप अधिक संग्रह-क्षमता और उच्च गति से कार्य करने वाली होती है। एक 1/4 इंच और 1000 फीट लम्बाई की टेप में 10,20, 40 या 60 मेगाबाइट डाटा को एक मिनट में संग्रहीत किया जा सकता है। कार्टेज टेप विशेषतया हार्ड डिस्क से डाटा और प्रोग्राम्स का बैकअप लेने के लिये तैयार किया गया है.

    (8) मैग्नेटिक डिस्क- आजकल मैग्नेटिक डिस्क एक उपयोगी और निर्विवाद संग्रह माध्यम है, क्योंकि इसमें सीधी अभिगम विधि से डाटा को तेज गति से प्राप्त व संग्रह किया जा सकता है। मैग्नेटिक डिस्क के दो मुख्य प्रकार होते हैं- हार्ड डिस्क और डिस्केट्स.

    1. हार्ड डिस्क- इसमें वृत्ताकार, ठोस प्लेटर या चकतियाँ होती हैं। इनमें अधिक संग्रह क्षमता होती है और डाटा प्राप्त करो की गति भी तीव्र होती है। हार्ड डिस्क माइक्रो कम्प्यूटर, मिनी कम्प्यूटर और मेनफ्रेम कम्प्यूटर, तीनों में ही प्रयुक्त की जाती है। आज हार्डडिस्क के भी कई प्रकार उपलब्ध हैं.

    2. मैग्नेटिक टेप– अनेक वर्षों से मैग्नेटिक टेप एक महत्वपूर्ण संग्रह माध्यम के रूप में उपयोगी डिवाइस है। हालांकि यह डिस्क की तुलना में कम लोकप्रिय है। लेकिन इसका उपयोग अनेक प्रकार के कम्प्यूटरों में होता है। टेप, किसी रील या कार्टेज में लिपटी हो सकती है जो कि निम्न दो प्रकार की होती हैं.

    3. डिटेचेबल रील टेप– यह प्रायः 1/2 इंच चौड़ी होती है जो एक प्लास्टिक मॉयलर पदार्थ की बनी होती है जिसकी सतह पर चुम्बकीय लेपन रहता है। इसकी रील का व्यास प्रायः 10.5 इंच होता है। एक 2,400 फीट लम्बाई की टेप रील में डाटा का संग्रह 6250 बाइट प्रति इंच तक की सघनता में हो सकता है.

    4. कार्टेज टेप– यह प्लास्टिक के छोटे खोल में होती है। माइक्रो कम्प्यूटरों में हार्ड डिस्क से डाटा को बैक-अप करने के लिये उपयोग किया जाता है। यह टेप अधिक संग्रह-क्षमता और उच्च गति से कार्य करने वाली होती है। एक 1/4 इंच और 1000 फीट लम्बाई की टेप में 10,20, 40 या 60 मेगाबाइट डाटा को एक मिनट में संग्रहीत किया जा सकता है। कार्टेज टेप विशेषतया हार्ड डिस्क से डाटा और प्रोग्राम्स का बैकअप लेने के लिये तैयार किया गया है.

    हार्ड डिस्क और डिस्केट्स.

    (A) हार्ड डिस्क- इसमें वृत्ताकार, ठोस प्लेटर या चकतियाँ होती हैं.

    (B) डिस्केट- इसमें प्लास्टिक की चकतियाँ होती हैं जो प्लास्टिक के खोल में सुरक्षित रहती हैं। इनकी संग्रह क्षमता हार्ड डिस्क की तुलना में बहुत कम होती है। इन्हें फ्लॉपी डिस्क के नाम से जाना जाता है। ये कम्प्यूटर से बाहर निकाली जा सकती हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से लायी व ले जायी जा सकती हैं। फ्लॉपी डिस्क प्रायः माइक्रो कम्प्यूटरों में उपयोग की जाती हैं और कभी-कभी कम्प्यूटरों में भी इनका उपयोग होता है.

  • कंप्यूटर में फोटो साफ कैसे करते हैं Best Photo Editor for cleaning Photos

    कंप्यूटर में फोटो साफ कैसे करते हैं Best Photo Editor for cleaning Photos

    क्या आप भी आपकी Photos को Clean करना चाहते हैं? अपने कंप्यूटर की मदद से तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा आज हम आपके साथ में कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर के बारे में बात करेंगे जो कि आपके किसी भी फोटो को साफ करने तथा उसका कलर बढ़ाने में मदद कर सकते हैं जिन्हें आप आपके कंप्यूटर पर डाउनलोड कर इस्तेमाल कर पाएंगे.

    अक्सर हम हमारी फोटो को संभाल कर रखने के लिए उन्हें हम किसी भी एलबम में रख देते हैं परंतु जब हम कुछ समय बाद उन फोटोस को देखते हैं तो वह काफी गंदी और साफ नहीं दिखती है इसके कई कारण हो सकते हैं, एल्बम में नमी होने के कारण धूल मिट्टी आ जाने के कारण हमारी फोटोस खराब हो जाती हैं, लेकिन आप आपके कंप्यूटर की मदद से उन फोटो को साफ कर सकते हैं, साथ ही साथ पहले से भी बेहतर बना सकते हैं जिसके लिए आपको एक सॉफ्टवेयर अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करना होगा हमने आपको इस आर्टिकल में तीन ऐसे सॉफ्टवेयर के बारे में बताया है जो कि यह कार्य करने में बहुत ही ज्यादा सक्षम है.

    इन सॉफ्टवेयर की मदद से आप आपकी फोटो की नॉइस रिडक्शन कर सकते हैं अनवांटेड एलिमेंट्स को रिमूव कर सकते हैं इमेज का साइज बढ़ा सकते हैं तथा इमेज को क्रॉप भी कर सकते हैं.

    3 Best Photo Editor for Cleaning and Editing Photos

    1. PhotoShop

    हमारे लिस्ट पर नंबर वन जो Photo Editor आता है वह PhotoShop है अगर आप कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपने इस फोटो एडिटर के बारे में एक ना एक बार जरूर सुना होगा यह बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय Photo Editor है जो कि बेहतरीन फीचर्स के साथ आता है जिसे आप कंप्यूटर लैपटाप तथा मोबाइल फोन पर इस्तेमाल कर सकते हैं साथ ही साथ आपको फोटोशॉप एक फ्री ट्रायल वर्जन भी प्रोवाइड कर आता है जिसकी मदद से आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह Photo एडिटर किस तरह से काम करता है, अगर आपको यह Photo पसंद आता है, तो आप खरीद सकते हैं इसकी वेबसाइट पर जाकर.

    PhotoShop Features.

    • Better, faster portrait selection
    • Adobe camera waw improvements
    • Auto-activate Adobe Fonts
    • Add rotatable patterns
    • Improved Match Font
    • Crop and Resize.
    • Stylish Fonts.

    2. Luminar

    हमारे लिस्ट में यह एडिटर दूसरे नंबर पर आता है जिसका नाम है लुमिनार जो कि आपको 7 दिन के लिए फ्री में अपना अपनी Service and Features का लाभ उठाने का मौका देता है, इस फोटो एडिटर के माध्यम से आप आपकी फोटोस को क्लीन तथा एक बेहतरीन लुक दे सकते हैं इस फोटो एडिटर में बहुत अच्छी AI टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है साथ ही साथ इसमें Layers, Mask, Blending, उपलब्ध हैं जिसकी सहायता से आप आपकी फोटो में चार चांद लगा सकते हैं.

    आप की फोटोस को Blur तथा कलरफुल बना सकते हैं इस फोटो एडिटर में आपको फोटो ऑटोमेटिक फिल्टर भी देखने को मिल जाते हैं जिसकी सहायता से आप 1 click में अपनी फोटो का कलर चेंज कर सकते हैं.

    Luminar Features

    • Best Brushes
    • Multiple Layers
    • AI Powerd
    • Sky Replacement
    • Sunrays
    • Blending Mode
    • Masks
    • Image Filters

    3. LightZone

    यह भी बहुत अच्छा फोटो एडिटर है, आपकी गंदी फोटो स्कोर साफ करने के लिए यह फोटो एडिटर भी उन्हीं फोटो एडिटर की तरह कार्य करता है जिन्हें हमने इस आर्टिकल में आपके साथ साझा किए हैं PhotoShop and Luminar इस फोटो एडिटर में भी आपको वहीं features देखने को मिल जाते हैं लेकिन इसमें आपको थोड़े अलग तरह के फीचर्स देखने को मिलते हैं साथ ही साथ इस का जो इंटरफ़ेस है वह थोड़ा अलग है किसी भी दूसरे फोटो एडिटर के मुकाबले इस फोटो एडिटर की सबसे खास बात यह है कि यह बिल्कुल फ्री फोटो एडिटर है, आप इसे बिल्कुल फ्री अपने कंप्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं नीचे दिए हुए लिंक से.

    LightZone Features

    • Colour Filters
    • Open Source free to use
    • Photo Resizing
    • Mask
    • All Photo format like PNG, JPG

    इन फोटो एडिटर को डाउनलोड तथा इंस्टॉल करना बहुत ही ज्यादा आसान है, आपको सिर्फ ऊपर दिए हुए लिंक पर क्लिक करें डाउनलोड कर लेना है अपने कंप्यूटर पर उसके बाद Next पर क्लिक कर आप इसे इंस्टॉल कर सकते हैं. हम आशा करते हैं कि आपको हमारे यहां Article पसंद आया होगा और आपकी समस्या का समाधान हुआ होगा इसी प्रकार हमारे कुछ बेहतरीन Photo Clean Editors.

  • कम्प्यूटर की मूल संरचना तथा इसके भाग

    कम्प्यूटर की मूल संरचना तथा इसके भाग

    कम्प्यूटर की मूल संरचना- यदि हम कम्प्यूटर की कार्य-प्रणाली पर ध्यान दें, तो पायक कम्प्यूटर कुछ सूचनाओं को प्राप्त करता है फिर निश्चित निर्देशों का प्रदत्त क्रम में अनुपालन करते हुये सूचना की आवश्यकतानुसार गणना एवं उसका विश्लेषण कर, शुद्ध एवं सत्य परिणाम को प्रस्तुत करता है।

    उदाहरण के लिये- हमारे आस-पास कोई आटा चक्की तो होगी ही। यदि हम इसे ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि आटा चक्की भी तीन भागों में बँटी होती है- पहला भाग, जिसमें गेहूँ डालते हैं, इस चक्की की इनपुट डिवाइसेज है, दूसरा भाग, जिसमें गेहूँ पिसकर आटे के रूप में परिवर्तित होता है, इस चक्की की विश्लेषक इकाई है एवं तीसरा भाग जहाँ से आटा बाहर निकलता है, इसे चक्की की आउटपुट डिवाइसेज कहते हैं।

    कम्प्यूटर के भाग- संरचनात्मक दृष्टिकोण से कम्प्यूटर को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है- 

    (1) सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट 

    (2) स्मृति 

    (3) इनपुट डिवाइसेज 

    (4) आउटपुट डिवाइसेज।

    (1) सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का हिन्दी अनुवाद केन्द्रीय विश्लेषण इकाई है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि कम्प्यूटर का वह भाग, जहाँ पर प्राप्त सूचनाओं की गणना एवं उनका विश्लेषण होता है, सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट अर्थात् केन्द्रीय विश्लेषक इकाई कहलाता है।

    सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को दो भागों में बाँटा जा सकता है

    (i) नियन्त्रक इकाई (ii) अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई।

    (i) नियन्त्रक इकाई (CU)- नियन्त्रक इकाई का कार्य कम्प्यूटर की इनटप. आउटपुट युक्तियों तथा स्टैण्डर्ड डिवाइज को नियन्त्रण में रखना है। इनपुट यक्तिगर सूचनाओं को प्राप्त करना, इन्हें कम्प्यूटर के समझने योग्य संकेतों में बदलना, इन्हें ALUT भेजना, ALU से विश्लेषण के उपरान्त प्राप्त परिणामों को आऊटपुट युक्ति तक भेजना, समान का उचित प्रयोग करना एवं आऊटपुट युक्तियों को विश्लेषण के उपरान्त प्राप्त परिणाम को प्रस्तुत करने के लिय भेजना, इसका मुख्य कार्य है।

    Control unit के कार्य

    (A) यह प्रोग्राम के निर्देशों को मैमोरी से उचित डिवाइसेस तक पहुंचाता है ताकि data process हो सके।

    (B) यह निर्देशों के execution हेतु आवश्यक timing व control signal generate करता है।

    (C) यह computer के अन्य resources जैसे- CPU, memory, input, output device i ont fabular 3/19946 status, timing a control signal प्रदान करता है।

    (व) यह data के आदान-प्रदान को नियंत्रित करता है।

    (ii) अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई (ALU)- कम्प्यूटर के इस भाग में सभी अंकगणितीय गणनायें तथा तार्किक विश्लेषण होते हैं। यह अपने द्वारा संचित सभी निष्कर्षों की स्मृति में भेज देता है।

    ALU के कार्य

    (A) यह increment, decrement shift, clear operation सम्पन्न करता है।

    (B) एक computer कितने व किस प्रकार की गणितीय व logic क्रियाओं को करने में सक्षम है। इनका निर्धारण A.L.U. द्वारा ही होता है।

    (C) इसमें सभी process C.U. के निर्देश में एवं binary format में सम्पन्न होती है।

  • Computer Memory Kya he or Memory ke Prakar

    Computer Memory Kya he or Memory ke Prakar

    Computer Memory Kya he or Memory ke Prakar

    स्मृति (Memory)- किसी भी निर्देश, सूचना अथवा परिणाम को संचित करके रखना ही स्मृति कहलाता है। हमारे मस्तिष्क का भी एक भाग स्मृति के लिये प्रयोग होता है। यदि हमें कोई गणना करनी है तो जिन संख्याओं की गणना की जानी है उनको पहले स्मृति में रखते हैं, फिर गणना के उपरान्त परिणामों को स्मृति में रखने के बाद ही उत्तर देते हैं। अतःस्पष्ट है कि स्मृति हमारे मस्तिष्क में दिये जाने वाले सन्देशों, सूचनाओं, निर्देशों आदि को संचित करके रखने वाला एक भाग है। कम्प्यूटर द्वारा वे सभी कार्य कराये जा सकते हैं, जिनको हम अपने मस्तिष्क से करते हैं। । स्मृति में प्रोग्राम को संचित करने की विधि- कम्प्यूटर की स्मृति में प्रोग्राम को संचित करने की निम्नलिखित दो विधियाँ हैं।

    (i) SAM (Sequential Access Memory)

    (ii) RAM (Random Access Memory)

    Computer Memory ke Prakar

    (i) SAM (Sequential Access Memory)-

    Sequential Access Memory

    SAM का अर्थ है- क्रमिक अभिगम स्मृति अर्थात् क्रमवार लिखना या पढ़ना। जिस प्रका हम कैसिट पर गाना रिकॉर्ड करते हैं और यदि किसी कैसिट पर सन्देश गाने को सुनना चाहते हैं, तो पहले आरम्भ के 4 गानों को फॉरवर्ड करना होगा। इसी प्रकार जब कम्प्यूटर का डाटा मैग्नेटिक टेप पर स्टोर किया जाता है, तो वह भी ठीक इसी प्रकार लिखा या पढ़ा जाता है। स्टोर करने की इस पद्धति को SAM कहा जाता है।

    (2) RAM (Random Access Memory)-

    Random Access Memory

    RAM का अर्थ है– अक्रमिक अभिगम स्मृति अर्थात् बिना किसी निश्चित क्रम में लिखना व पढ़ना। जिस प्रकार गाने को ग्रामोफोन के रिकार्ड पर सुनने के लिये किसी क्रम की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यदि उस पर स्टोर 5वाँ गाना सुनना है तो ग्रामोफोन की सुई डायरेक्ट उस गाने पर रख देते हैं और वह बजने लगता है, ठीक उसी प्रकार फ्लॉपी पर कम्प्यूटर प्रोग्राम को लिखना और पढ़ना होता है। कम्प्यूटर की आन्तरिक स्मृति जिस IC परं संचित की जाती है वह हमेशा आक्रमिक अभिगम पद्धति से ही लिखी अथवा पढ़ी जाती है। अतः RAM एवं ROM दोनों ही IC वस्तुतः RAM ही होती है।

    विशेषतायें

    (1) रैम प्रोग्राम के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक निर्देशों को संग्रहित करती है।

    (2) Main memory हमेशा सीधे तौर पर CPU द्वारा ही access की जाती है।

    (3) Mainmemory का access time काफी कम होता है। लगभग 50 nanosecond

    (4) इसे read-write memory भी कहा जाता है।

    (5) यह volatile memory है। RAM पुनः दो प्रकार की होती है।

    (i) Static RAM-

    इसमें सूचना के storage हेतु Flip-Flop परिपथ का प्रयोग किया जाता है जो पॉवर सप्लाई के चालू होने पर data को रख सकते हैं। इस परिपथ की दो अवस्थायें Set एवं Reset क्रमशः 1 एवं 0 को प्रदर्शित करती है। _ Static RAM में रिफ्रेशिंग की आवश्यकता नहीं होती है। Static RAM तेज एवं महँगी होती है। इनका प्रयोग cache memory बनाने में होता है।

    (ii) Dynamic RAM-

    इसमें सूचना के संग्रहण हेतु केपिसिटर (Capacitors) का प्रयोग होता है। Capacitor का आवेशित होना 1 एवं अनावेशित होना 0 को प्रदर्शित करता है। इन capacitor पर आवेश के समय Leakage होने के कारण इन्हें निश्चित अवधि में बाह्य परिपथ द्वारा रिफ्रेश किया जाता है। कम्प्यूटर की स्मृति के भाग- कम्प्यूटर की स्मृति को दो भागों में बाँटा जा सकता है।

    (i) आन्तरिक स्मृति (ii) बाह्य स्मृति।

    (i) आन्तरिक स्मृति– स्मृति के बारे में इससे पूर्व प्रश्न में जो वर्णन किया गया है। वह आन्तरिक स्मृति के बारे में ही था। कम्प्यूटर की आन्तरिक स्मृति, जो IC पर स्टोर की जाती है सेमी कंडक्टर मेमोरी कहलाती है।

    कम्प्यूटर की आन्तरिक स्मृति का विभाजन दो भागों में किया जा सकता है।

    (A) रीड ओनली मेमोरी (B) रीड/राइट मेमोरी।

    (a) रीड ओनली मेमोरी (ROM)-

    ROM उसे कहते हैं, जिसमें लिखे हुये प्रोग्राम के आउटपुट को हम केवल पढ़ सकते हैं, परन्तु उसमें अपना प्रोग्राम संचित नहीं कर सकती ROM में अक्सर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा प्रोग्राम संचित करके कम्प्यूटर में स्थायी काल जाते हैं, जो समयानुसार कार्य करते रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेटर को निर्देश देते रहते हैं।

    बेसिक इनपुट-आउटपुट सिस्टम (Basic input-output system)- नाम का एक प्रोग्राम ROM का उदाहरण है, जो कम्प्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट आउटपुट डिवाइसेज को चैक करने एवं नियन्त्रित करने का काम करता है। आरम्भ में ROM के लिये यह बाध्यता थी कि कम्प्यूटर-निर्माता भी एक बार किसी प्रोग्राम को इस IC पर स्टोर करने के बाद उसे न तो मिटा सकते थे और न ही उस प्रोग्राम को संशोधित कर सकते थे, परन्तु बाद में PROM, EPROM, EEPROM नाम की मेमोरी रखने वाली IC बनायी गयीं, जिनके निम्न लाभ हैं।

    (1) प्रोग्रामेबिल रोम (PROM)– इस स्मृति में किसी प्रोग्राम को केवल एक बार संचित किया जा सकता है, परन्तु न तो उसे मिटाया जा सकता है और न ही उसे संशोधित किया जा सकता है।

    (2) इरेजेबिल प्रॉम (EPROM)– इसमे संचित किया गया प्रोग्राम मिटाया जा सकता है। यदि कोई प्रोग्राम बहुत समय पहले संचित किया गया था, जिसे मिटाकर उसके स्थान पर हम नया प्रोग्राम संचित करना चाहते हैं, तो यह कार्य EPROM द्वारा सम्भव है

    (3) इलेक्ट्रिकली-इ-प्रॉम (EEPROM)- इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल प्रॉम पर स्टोर किये गये प्रोग्राम को मिटाने अथवा संशोधित करने के लिये किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। इलेक्ट्रीकली सिगनल, जो कि कम्प्यूटर में ही उपलब्ध रहते हैं, हमारे द्वारा कमाण्ड्स दिये जाने पर इस प्रोग्राम को संशोधित कर देते हैं।

    (b) बाह्य स्मृति-

    कम्प्यूटर पर अपने किये गये कार्य को संचित करने के लिये बाब मेमोरी RAM और SAM दोनों प्रकार से कार्य करती है। इनकी संग्रहण क्षमता आन्तरिक स्मृति की अपेक्षा अधिक होती है। ये अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं, परन्तु बाह्य स्मृति की का आन्तरिक मेमोरी की अपेक्षा अत्यन्त कम होती है। बाह्य मेमोरी निम्न प्रकार की हो सकती है।

    Also Read: Computer Cache Memory Kya he?

    (1) फ्लॉपी डिस्क– डिस्क का निर्माण ट्रैक/सैक्टर के समूह द्वारा होता है। सूचनायें संचित की जा सकती हैं। संचयन क्षमता ट्रैक/सैक्टर के अभिलेखन पर निर्भर करती है।

    (2) सीडी-रोम– यह एक उच्च क्षमता वाला भण्डारण उपकरण है, जो लगभग 650 MB तक सूचनायें संचित कर सकता है। 

    (3) हार्ड डिस्क– हार्ड डिस्क बहुत अधिक मात्रा में (20GB से 160GB तक) डाटा संचित करने की क्षमता रखती है।