माइम का पूर्ण रूप बहुउद्देशीय इन्टरनेट मेल विस्तारक (Multipurpose Internet Mail Extensions) है। माइम (MIME) ऐसा प्रोटोकॉल है जो असमान अक्षर समूहों (character sets) वाले भाषाओं में टैक्स्ट का विनिमय (interchange) करता है । साथ ही कई भिन्न कम्प्यूटर प्रणालियों के मध्य मल्टीमीडिया ई-मेल को भी स्थानांतरित (interchange) करता है। माइम प्रयोक्ता को निम्नलिखित सुविधाओं के साथ ई-मेल संदेशों को बनाने तथा पढ़ने की सुविधा प्रदान करता है-
• एस-की के अतिरिक्त अरबी (Arabic), कन्जी (Kanji) के अक्षर-समूह (character sets)
• ग्राफिक्स इमेज
• विशेष चिन्हों पर आधारित समृद्ध टैक्स्ट जैसे गणित
• ऑडियो फाइल तथा ध्वनि (sound)
● द्विआधारी (binary) फाइलें, पोस्टस्क्रीप्ट तथा संकुचित (compressed) फाइलें जैसे tar तथा zip माइम नॉन-टेक्स्युअल संदेश विषयवस्तुओं के कई पूर्व-परिभाषित रूपों जैसे GIF फाइलो को सपोर्ट (Support) करने के अतिरिक्त प्रयोक्ता को उन्हें अपने द्वारा संदेश को परिभाषित करने की अनुमति देता है।
X.400 प्रोटोकॉल के निर्माण का उद्देश्य ई-मेल संयोजन (connectivity) का सर्वमान्य हल था। इसके विकास की आवश्यकता का कारण एकल सामंजस्य पता योजना (Single consistent addressing scheme) बनाना था तथा द्विआधारी फाइल ट्रान्सफर (Binary File Transfer) जैसी समस्याओं का समाधान करना था।
X.400 का कार्य 1980 में शुरू हुआ था जब संस्थानों ने यह पता लगाया कि असमान कम्प्यूटर प्रणाली के मध्य संदेश प्रसारण (message transmission) के लिए प्रत्येक कम्प्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक मेल प्रणाली के मध्य एक अनुवादक या गेटवे की आवश्यकता थी।
उदाहरणार्थ लोटस सीसी मेल (Lotus CC:Mail ), आई.बी.एम. का व्यावसायिक ऑफिस प्रणाली (IBM’s Professional Office System), डी.ई.सी. का ऑल इन वन (DEC’s All-In-One) तथा हेवलेट पैकर्ड के एच.पी.मेल (Hewlett-Packard’s HP Mail) को उनके सिस्टम को परस्पर जोड़ने के लिए चार प्रकार गेटवे को स्थापित (install) करने की आवश्यकता पड़ती। X 400 का उद्देश्य सभी कम्पनियों के इलेक्ट्रॉनिक मेल प्रणाली को एक गेटवे से जोड़ना था।
X400 इस प्रकार का ई-मेल आदान-प्रदान करने के लिए एक मानक है जिसे ISO तथा CCITT जैसी मानक स्थापित करने वाली कम्पनियों का मान्यता प्राप्त है।
यह प्रोटोकॉल तीन संस्करणों में उपलब्ध है- 1984, 1988 तथा 1992. 84 संस्करण संदेश को संगृहीत तथा भेजने के लिए एक बुनियादी संदेश स्थानांतरण प्रणाली ( message transfer system) है।
92 संस्करण में संदेश के और भी दूसरे रूपों का विस्तार किया गया जो संग्रहण तथा फारवर्ड सेवाओं के अतिरिक्त स्थानांतरित भी किया जा सकता है, जो कि असमान कम्प्यूटरों के मध्य संवाद के लिए महत्वपूर्ण है।
एस.एम.टी.पी. का आशय सिम्पल मेल ट्रान्सफर प्रोटोकॉल (Simple Mail Transfer Protocol) है। ई-मेल सिस्टम के लिए यह एक मुख्य प्रोटोकॉल है।
इस प्रोटोकॉल की सहायता से ही इलेक्ट्रॉनिक मेल एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक पहुँचती है। यह TCP/IP परिवार का प्रोटोकॉल है।
SMTP, किसी मेल को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक पहुँचने का विवरण देता है। इंटरनेट पर हजारों-लाखों सिस्टम SMTP की सहायता से ई-मेल भेजते व प्राप्त करते हैं।
यदि आपका याहू या किसी अन्य वेबसाइट तो आप ई-मेल की सुविधा का उपयोग नहीं कर सकते हैं। इस खण्ड में हम याहू या नया अकाउण्ट बनाने की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दे रहे हैं।
इसकी सहायता से आप याहू के साथ ही अन्य साइटों पर भी अकाउण्ट बना सकते हैं। यद्यपि साइट के अनुसार नये अकाउण्ट के बनाने की प्रक्रिया में थोड़ा बहुत बदलाव होता है जो चिंताजनक नहीं होता है।
आप किसी एक साइट पर इस प्रक्रिया को जानने के पश्चात उसकी सहायता से अन्य साइट पर भी ई-मेल बना सकते हैं। यहाँ यह भी ज्ञान होपना चाहिए कि सभी साइट अपने इन्टरफेस तथा प्रक्रिया में बदलाव करते रहते हैं।
अतः इस खण्ड में बताये जा रहे प्रक्रिया में थोडी बहुत असमानता स्वाभाविक है। इसी प्रक्रिया को समझाने के लिए निम्न पदों का अनुसरण करें-
→ ब्राउजर को प्रारम्भ करें।
→ http://www.yahoo.com एड्रेस बार में टाइप करें।
→ याहू का होम पेज (home page) प्रदर्शित होगा।
→ Sign Up को क्लिक करें। (Sign Up का अर्थ नये अकाउण्ट के लिए साइन करना जबकि Sign in से तात्पर्य पहले से अपने अकाउण्ट को साइन करना होता है।)
जब आप Sign Up को क्लिक करते हैं तो आपको एक फॉर्म प्रतीत होगा जिसे आपको भरना है।
निर्देशों को सावधानीपूर्वक पढते हुए पूछे गये अनुसार फॉर्म को भरें।
→ फॉर्म को भर लेने के पश्चात I Agree को क्लिक करें।
यदि आपने जो आई. डी. के लिए साइट को आग्रह किया है वह पहले से किसी को आवंटित नहीं है तो आपका अकाउण्ट यहीं पूरा हो जायगा। यदि आपके द्वारा माँगा गया आई. डी. पहले से बना हुआ है तो याहू एक संदेश प्रकट करता है कि आई. डी. पहले से बना है तथा आप अन्य आई. डी. चुन लें।
कभी-कभी, कुछ साइट आपको उनमें से एक चयन करने को कहते हैं। यदि आपको विकल्प दिया जाय तो उनमें किसी का चयन कर लें या फिर से फॉर्म को भर लें जिसमें आपको दोबारा केवल कुछ ही फील्डों यथा प्रयोक्ता आई. डी. (User ID), पासवर्ड (Password) इत्यादि भरना होता है
जब आपने सफलतापूर्वक फॉर्म को पूरा कर लिया हो तो आप एक पृष्ठ देखेंगे जिसमें Registration Completed लिखा होगा । Continue with yahoo Mail को क्लिक करें।
आप पतों का निर्माण कर सकते हैं तथा अपने पता पुस्तिका (Address Book) में इसे संग्रहित कर सकते हैं ताकि आप ई-मेल लिखते समय उन्हें प्रयोग कर सकें। पतों का निर्माण उपयोगी होता है जब आप ठीक-ठीक ई-मेल आई डी. भूल ज हैं तथा गलत पता लिखने की संभावना बनी रहती है। पता बनाने के लिए
→ Address बटन के डाउन ऐरो को क्लिक करें तथा Add Contact का चयन करें जब आप याहू में साइन इन कर चुके हों
→ फॉर्म को भरने के बाद फॉर्म के नीचे स्थित Save को क्लिक करें। यदि आप दूसरा पता बनाना चाहते हैं तो Save and Add Another बटन को क्लिक करें।
आपको तत्काल यह सूचना दी जायगी कि आपका पता बन गया है तथा इसे सुरक्षित कर दिया गया है।
आइये हम यह जानते है कि बस क्या है ? (What is a bus ? ) यस कम्प्यूटर के कम्पोनेन्टस (components) के मध्य एक पाथ (path) का कार्य करती है।
कम्प्यूटर में दो मुख्य बस होती है। पहली आंतरिक अथवा सिस्टम बस तथा दूसरी बाहरी अथवा एक्सैनशन (expansion) बस होती है।
सिस्टम बस सदरबाई पर स्थित रहता है तथा सी.पी.यू.को मदरबोर्ड पर स्थित अन्य डिवाइसेज (devices) से जानता है।
एक्सप्रेशन (expansion) बम का कार्य सी.पी.यू. को बाहरी डिवाइसेज़ डिवाइसेज़ जैसे की बोर्ड, माउस, मॉडम प्रिन्टर इत्यादि से जोड़ना होता है।
डिस्क ड्राइव तथा अन्य आन्तरिक डिवाइस के नार बस में प्लग (plug) किये होते हैं। सिस्टम बस के दो भाग डाटा यस तथा ऐड्स बस होते हैं।
डाटा बस एक विद्युतीय पाथ (electrical path) होता है जो मदरबोर्ड पर सी.पी.यू. ममारी तथा अन्य हार्डवयर डिवाइसेज़ को जोड़ता है।
वस्तुतः बस समांतर तारा का एक समूह होता है। बस से तारा को संख्या हार्डवेयर कम्पनिन्ट्स के मध्य डाटा के आवागमन की प्रभावित करता है।
क्योंकि प्रत्येक तार एक समय में एक बिट डाटा स्थानांतरित कर सकता है, एक आठ तारों वाला बस एक समय में आठ बिट अर्थात् एक बाइट ले जा सकता है।
ऐड्रेस यस डाटा बस को तरह ही तारों का एक समूह होता है। ऐड्रेस बस केवल सी पी यू तथा रेम का जोड़ना है तथा मेमोरी ऐड्रेस का हो वहन करता है। रैम में प्रत्येक वाइट एक संख्या के साथ जुड़ा होता है जो इसका मारी ऐड्रेस (address) होता है।
वेब-आधारित ई-मेल द्वारा, आप ई-मेल प्रदाता के साइट पर जाने के लिये अपने इन्टरनेट ब्राउजर (Internet browser) का उपयोग कर सकते हैं, और उसके बाद यूजर नेम (user name) तथा पासवर्ड (pass word) की सहायता से लॉग इन (log in) कर सकते हैं। ई-मेल प्रदाता (e-mail provider) आपके सभी संदेशों को आपके लिये संचित रखता है।
अधिकांश विशालकाय निःशुल्क ई-मेल प्रदाता वेब आधारित ई-मेल व्यवसाय के अन्तर्गत कार्य करते हैं, क्योंकि इस प्रकार की सेवा कार्यान्वित करने में सरल है तथा साइट पर आगन्तुकों (visitors) को बार-बार आने का निमंत्रण देती है।
कई सेवा अतिरिक्त कार्य जैसे- ऑनलाइन वर्तनी जाँच, व्यक्तिगत एड्रेस बुक, वितरण सूची आदि को भी करती है।
वेब आधारित ई-मेल के फायदे (Pros of web based E-mail)
आप इसे सरलतापूर्वक लॉग-इन कर सकते हैं तथा किसी भी वेब ब्राउजर के माध्यम से अपना ई-मेल प्राप्त कर सकते हैं। आपको अपने ई-मेल को पढ़ने हेतु किसी प्रोग्राम को कनफिगर करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह बहुत बड़ा फायदा है यदि आप तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं।
वेब आधारित ई-मेल के नुकसान (Cons of Web based E-mail)
वेब इसे आधारित मेल का सबसे बडा नकारात्मक पक्ष यह है कि इस पर आप ऑफलाइन कार्य नहीं कर सकते हैं। आपको इस पर कार्य करने के लिए इण्टरनेट से जुडना होगा।
कई वेब आधारित सेवाएँ उन्नत फंक्शनों जैसे जावा (Java) का लाभ प्राप्त करती हैं, ताकि एक आकर्षक इन्टरफेस (Interface) प्राप्त किया जा सके। अतः आपको अपने विकल्प खुले रखने के लिये वर्तमान में प्रचलित वेब ब्राउजर की आवश्यकता पड़ती है। नेटस्केप नेवीगेटर 4x (Netscape Navigator 4.x) या इन्टरनेट एक्सप्लोरर 4x (Internet Explorer 4.x) आपके ई-मेल को एक्सेस करने के लिये पर्याप्त होगा।
अधिकांश वेब-आधारित सेवाएँ एक अच्छे ई-मेल सॉफ्टवेयर के कार्य (functionality) से मेल (match) नहीं खाती है। आपको संग्रहण स्थान (storage space) की अपेक्षाकृत छोटी मात्रा (सामान्यतः कुछ मेगाबाइटों तक ही सीमित कर दिया जाता है। अतः आप अपने पुराने संदेशों को काफी लम्बे समय तक सुरक्षित रख पाने में समर्थ नहीं हो पाते हैं।
वेब आधारित ई-मेल सेवा साधारणतः आपको उस समय बैनर विज्ञापन दिखाती है, जब आप अपने संदशों को प्राप्त कर रहे होते हैं। कई आपके द्वारा भेजे गये प्रतयेक संदेश के साथ एक संक्षिप्त “टैग लाइन (Tag line )” भी जोड़ देते हैं, जो आपके द्वारा प्रयुक्त सेवा की पहचान करते हैं। इससे प्राप्तकर्त्ता के लिये यह देखना सरल हो जाता है कि उसने निःशुल्क ई-मेल सेवा का उपयोग किया है।
ई-मेल की विशेषताएँ (Merits of E-mail)
ई-मेल नयी प्रौद्योगिकी की एक अद्भुत देन है जिसने दूरभाष (telephone) तथा दूसरे पारंपरिक संचार सेवाएँ जैसे टेलिग्राम (telegram), फैक्स (Fax), पोस्टकार्ड (Postcard) की आवश्यकताओं पर एक प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इसकी कई विशेषताओं में कुछ विशेषताएँ प्रमुख हैं, जो निम्नलिखित है-
ई-मेल के माध्यम से हम किसी भी व्यक्ति को अपना संदेश शीघ्रता के साथ संचारित (Communicate) कर सकते हैं। कोई भी ई-मेल कुछ सेकण्ड में अपने पते पर पहुँच जाती है।
ई-मेल, अपने मित्रों व रिश्तेदारों से बातचीत करने का बहुत सस्ता तरीका है। ई-मेल दूरी पर निर्भर नहीं करता, अर्थात् हम विश्व में कहीं भी बैठे हुए व्यक्ति को आसानी से ई-मेल कर सकते हैं। यदि हम ई-मेल करने के लिए मूल्य अदा करते हैं तो यह मूल्य भेजे गए संदेशों की संख्या व आकार पर निर्भर करेगा, न कि दूरी पर ।
ई-मेल के माध्यम से पत्रों, संदेशों के साथ-साथ विभिन्न फाइल, डाटा, फोटो तथा कई अन्य दस्तावेज (documents) भेज सकते हैं।
ई-मेल भेजते समय कोई भी व्यक्ति या माध्यम अवरोध उत्पन्न नहीं कर सकता है। इसके साथ-साथ ई-मेल को प्राप्त करने वाला भी इससे अवरोध महसूस नहीं करता, क्योंकि ई-मेल उसके कम्प्यूटर के मेल बॉक्स (mail box) में संगृहीत हो जाती है।
ई-मेल भेजने वाले को ई-मेल प्राप्त करने वाले व्यक्ति से किसी तरह का पहले से समय (appointment) नहीं लेना पड़ता है। यह हमारी सुविधा के अनुसार कभी भी भेजी जा सकती है। इसके लिए प्राप्तकर्ता (Receiver) की उपलब्धता के बारे में भी सोचना आवश्यक नहीं होता है।
ई-मेल संदेशों के खो जाने का डर भी नहीं होता है।
किसी को ई-मेल करने के लिए किसी झिझक या शर्म का सामना नहीं करना पड़ता है जो अक्सर आमने-सामने कीबातचीत में हो सकती है
ई-मेल की सीमाएँ (Limitations of E-mail)
ई-मेल एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर सिस्टम को किसी नेटवर्क के माध्यम से भेजी जाती है। अतः किसी अन्य व्यक्ति की ई-मेल को पढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। किसी ई-मेल संदेश पर सुरक्षा लगा पाना मुश्किल कार्य है।
हम ई-मेल के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकते हैं। क्योंकि ई-मेल प्राप्त करने वाला व्यक्ति हमारे हाव-भाव नहीं देख सकता है, न ही हमारी आवाज सुन सकता है अतः यह भी सम्भव होता है कि प्राप्तकर्ता, प्रेषक के संदेश का गलत आकलन कर ले।
प्रेषक (Sender) (ई-मेल भेजने वाला व्यक्ति) के ई-मेल के आधार पर प्रेषक के बारे में सही जानकारी नहीं लिया जा सकता है। ई-मेल आई.डी. गलत सूचनाओं पर आधारित भी हो सकता है। कुछ ई-मेल सिस्टम चित्रों, पेजों को भेज पाने में असमर्थ होते हैं।
कोई भी प्राप्तकर्ता (Receiver) (ई-मेल प्राप्त करने वाला) ई-मेल को रोक नहीं सकता है। अतः कई बार मनचाही ई-मेल को प्राप्त करने के लिये प्राप्तकर्ता (Receiver) को अपना काफी समय उन ई-मेल को छाँटने में लगाना पड़ता है।
ई-मेल नि:संदेह इंटरनेट की एक अद्भुत सेवा है तथा इसकी विशेषताएँ बहुत अधिक है। साथ ही इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं
मेन मेमोरी के बारे में आप अगले अध्याय में विस्तार से जानगे । इस खण्ड में आइय मेमोरी से संबंधित एक महत्वपूर्ण सहायक रजिस्टर के चारे में जानते हैं।
तो आइये जानते हैं कि रजिस्टर किसे कहते हैं और इनके कार्य क्या है? यह कितने प्रकार के होते हैं? कम्प्यूटर निर्देश (Instructions) सी.पी. यू. के द्वारा एक्जिक्यूट किए जाते हैं।
निर्देशों को एक्यूट करने के लिए सूचनाओं का आदान प्रदान होता है। सूचनाओं के संतोषजनक (satisfactory) रूप व तेज गति से आदान-प्रदान के लिए कम्प्यूटर का सी.पी.यू. मेमारी यूनिट का प्रयोग करता है।
इस समारी यूनिट को रजिस्टर (register) कहते हैं। रजिस्टर मेन मेमोरी के भाग नहीं होते हैं। इनमें सूचनाएं अस्थाई रूप से स्टोर रहती हैं।
किसी भी रजिस्टर का आकार उसको बिट स्टोर करने की क्षमता के बराबर होता है। उदाहरण के लिए यदि कोई रजिस्टर 8 बिट स्टोर कर सकता है तो इसे 8- बिट रजिस्टर कहते हैं।
इन दिनों 16 बिट रजिस्टर वाले कम्प्यूटर तो सामान्य है जब 32-बिट तथा 64-बिट को प्रोसेसर भी उपलब्ध हैं। रजिस्टर जितने अधिक बिट की होगी उतनी ही अधिक तेजी से कम्प्यूटर में डाटा प्रामसिंग का कार्य सम्पन्त होगा। कम्प्यूटर में प्रायः निम्न प्रकार के रजिस्टर होते हैं।
1) मेमोरी ऐड्स रजिस्टर (Memory Address Register) – यह कम्प्यूटर निर्देश (Instruction) की एक्टिथ मैमोरी लोकेशन (location) को स्टार करता है।
2) मेमोरी बफर रजिस्टर (Memory Buffer Register ) – यह रजिस्टर मेमारी से पड़ गए. या लिखे गए किसी शब्द के कंटेन्ट्स (Contents) को स्टार करता है।
3) प्रोग्राम कन्ट्रोल रजिस्टर (Program Control Register) – यह रजिस्टर एक्जिक्यूट होने वाले अगले निर्देश का एंड्स (Address) स्टोर करता है।
4) एक्युमुलेटर रजिस्टर (Accumulator Register ) – यह रजिस्टर एक्जिक्यूट होते हुए डाटा को उसके माध्यमिक (middle) रिजल्ट व अन्तिम रिजल्ट (Result) को स्टोर करता है। प्रायः से रजिस्टर सूचनाओं के एक्जिक्यूशन समय प्रयोग होते हैं।
5) इन्स्ट्रक्शन रजिस्टर ( Instruction Register) – यह रजिस्टर एक्जिक्यूट होने वाली सूचना को स्टोर करता है।
6) इनपुट / आउटपुट रजिस्टर (Input / Output Register) – यह रजिस्टर विभिन्न इनपुट / आउटपुट डिवाइस मध्य सूचनाओं के आवागमन के लिए प्रयोग होता है।