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  • Social Media ki Labh aur haniyan kya hai?

    सोशल मीडिया के लाभ सोशल मीडिया की हानियाँ (Advantages of Social Media)

    1. कनेक्टिविटी: सोशल मीडिया का पहला और मुख्य लाभ कनेक्टिविटी है। लोकेशन तथा रिलिजियन की परवाह किए बिना कहीं से भी व्यक्ति किसी से भी जुड़ सकते हैं। सोशल मीडिया की खूबी यह है कि आप अपने विचारों को शेयर करने के लिए किसी से भी जुड़ सकते हैं।

    2. एज्युकेशन : स्टूडेन्ट्स तथा टीचर्स के लिए सोशल मीडिया के बहुत सारे लाभ हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से एक्सपर्ट्स तथा प्रोफेशनल्स से सीखना बहुत आसान है। आप किसी से भी सीखने के लिए उसे फॉलो कर सकते हैं और किसी भी फील्ड में अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं। आपकी फील्ड तथा एज्युकेशन बैकग्राउंड के बावजूद आप इसके लिए भुगतान किए बिना स्वयं को एज्युकेट कर सकते हैं।

    3. सहायताः आप सहायता और गाइड करने के लिए उद्देश्य से अपने इशूज को कम्युनिटी के साथ शेयर कर सकते है। चाहे यह सहायता पैसों के मामले में हो या सलाह के मामले में, आप इसे उस कम्युनिटी से प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आप जुड़े हुए हैं।

    4. इन्फॉर्मेशन तथा अपडेट्स: सोशल मीडिया का मुख्य लाभ यह है कि आप दुनिया भर में होने वाली नवीनतम घटनाओं से स्वयं को अपडेट कर सकते हैं। आजकल अधिकांश समय टेलीविजन तथा प्रिंट मीडिया पक्षपाती होते हैं, जिसके कारण कई बार सही इन्फॉर्मेशन कन्वे नहीं हो पाती है। सोशल मीडिया की सहायता से आप कुछ रिसर्च करके सही तथ्त था इन्फॉर्मेशन प्राप्त कर सकते हैं।

    5. प्रमोशनः आफलाइन बिजनेस हो या ऑनलाइन, व्यक्ति अपने बिजनेस को बड़ी संख्या में आडियंस तक पहुँचा सकता है और इसे प्रमोट कर सकता है। यह बिजनेस को प्रॉफिटेबल तथा कम एक्सपेन्सिव बनाता है, क्योंकि किसी बिजनेस में किए गए अधिकांश खर्च एडवर्टाजमेन्ट तथा प्रमोशन के लिए ही होते हैं। सही ऑडियंस से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया पर लगातार तथा नियमित रूप से इन्वॉल्व होने से इसे कम किया जा सकता है।

    6. नेक कार्य: सोशल मीडिया का उपयोग नेक कार्यों के लिए भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक NGO (नॉन गवर्नमेन्ट आर्गेनाइजेशन) को प्रमोट करने के लिए सोशल वेलफेयर एक्टिविटीज तथा जरूरतमंदों के लिए डोनेशन्स लोग जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए डोनेशन करने हेतु सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, और यह ऐसे लोगों की सहायता करने का एक त्वरित तरीका हो सकता है।

    7. अवेयरनेसः सोशल मीडिया अवेयरनेस (जागरूकता) भी उत्पन्न करता है और लोगों के जीवन में नवाचार लेकर आता है। यह सोशल मीडिया ही है, जिसने लोगों को नई चीजे खोजने में भरपूर सहायता की है, जो निजी जीवन को बेहतर बना सकती है। किसानों से लेकर स्टूडेन्ट्स तथा वकीलों तक समाज का हर व्यक्ति सोशल मीडिया और इसके अवेयरनेस फैक्टर से लाभान्वित हो सकता है।

    8. गवर्नमेन्ट तथा एजेन्सीज को अपराधों से लड़ने में सहायता करता है सोशल मीडिया का एक लाभ यह भी है कि यह गवर्नमेन्ट तथा सिक्योरिटी एजेन्सीज को अपराधों से लड़ने के लिए अपराधियों की जासूसी करने तथा पकड़ने में सहायता करता है।

    9. बिजनेस रेप्युटेशन बढ़ाता है जिस प्रकार यह किसी बिजनेस के रेप्युटेशन को समाप्त कर सकता है, उसी प्रकार यह बिजनेस की सेल्स तथा रेप्युटेशन को दोगुनी मात्रा में बढ़ा भी सकता है। किसी कंपनी के बारे में पॉजिटिव कमेन्ट्स तथा शेयरिंग उनकी सेल्स तथा गुडविल बढ़ाने में सहायता कर सकती है। चूंकि लोग सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने के लिए स्वतंत्र हैं, इसलिए जब अच्छा कन्टेन्ट शेयर किया जाता है, तो यह पॉजिटिव रूप से प्रभावित हो सकता है।

    10. समुदाय बनाने में सहायता करता है: चूँकि विश्व में अलग-अलग धर्म तथा मान्यताएँ हैं, सोशल मीडिया अपने धर्म के समुदाय बनाने तथा उसमें भाग लेने में सहायता करता है और इसके बारे में डिस्कस तथा शेयर करने में भी सहायता करता है। इसी प्रकार, विभिन्न समुदायों के लोग सम्बन्धित कन्टेन्ट पर डिस्कस तथा शेयर करने के लिए जुड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, खेल प्रेमी, खेल समुदायों से जुड़ सकते हैं, कार प्रेमी कारों से सम्बन्धि समुदायों से जुड़ सकते हैं, आदि

    सोशल मीडिया की हानियाँ (Disadvantages of Social Media)

    1. साइबर बुलिंगः एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश बच्चे अतीत में साइबरबुलिंग का शिकार हो चुके हैं। चूँकि कोई भी फेक अकाउंट क्रिएट कर सकता है और बिना ट्रेस किए कुछ भी कर सकता है, इसलिए किसी के लिए भी इंटरनेट पर धमकाना या बुल करना काफी आसान हो गया है। समाज में बैचेनी तथा अराजकता पैदा करने के लिए जनता को धमकी, धमकी भरे मैसेजेस तथा अफवाहें भी भेजी जा सकती है।

    2. हैकिंग: पर्सनल डेटा तथा प्राइवेसी को आसानी से हैक किया जा सकता है और इंटरनेट पर शेयर किया जा सकता है, जिससे फाइनेंशियल तथा पर्सनल लाइफ को भारी नुकसान पहुँच सकता है। इसी प्रकार, आइडेन्टिटी की चोरी एक अन्य मुद्दा है, जो किसी के पर्सनल अकाउंट्स को हैक करके फाइनेन्शियल नुकसान पहुंचा सकता है। कई पर्सनल ट्विटर तथा फेसबुक अकाउंट्स पहले भी हैक कि जा चुके हैं, जिसके नुकसान गंभीर हुए हैं। यह सोशल मीडिया के खतरनाक नुकसानों में से एक है, और युजर को सलाह दी जाती है कि इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए अपने पर्सनल हटा तथा अकाउंट्स को सुरक्षित रखें।

    3. एडिक्शन: सोशल मीडिया का एडिक्शन बहुत खराब है और पर्सनल लाइफ को भी अस्त-व्यस्त कर सकता है। सोशल मीडिया की लत से किशोर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। वे बहुत बड़े पैमाने पर इसमें इन्वॉल्व हो जाते हैं और अंततः समाज से कट जाते हैं। यह व्यक्तिगत समय को भी बर्बाद कर सकता है, जिसका उपयोग प्रोडक्टिव टास्क्स तथा एक्टिविटीज द्वारा किया जा सकता था।

    4. फ्रॉड तथा स्कैम्सः ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर किए जाने वाले फ्रॉड तथा स्कैम्स की लम्बी-चौड़ी लिस्ट है, जिसके लाखों लोग प्रतिदिन शिकार होते है।

    5. सिक्योरिटी इशूजः आजकल सिक्योरिटी एजेन्सीज के पास लोगों के पर्सनल अकाउंट्स का एक्सेस होता है, जिससे प्राइवेसी लगभग खत्म हो जाती है। आप कभी नहीं जान सकते है कि कब किसी इन्वेस्टिगेशन आफिसर द्वारा किसी इशू पर आपका अकाउंट विजिट कर लिया गया हो, जिस विषय पर आपने गलती से या अनजाने में चर्चा की हो।

    6. रेप्युटेशनः सोशल मीडिया झूठी कहानी बनाकर और इसे फैलाकर किसी व्यक्ति विशेष की रेप्युटेशन आसानी से बर्बाद कर सकता है। इसी प्रकार, सोशल मीडिया खराब रेप्युटेशन के कारण बिजनेसेस को भी काफी नुकसान हो सकता। है।

    7. धोखाधड़ी तथा रिलेशनशिप इशूजः ज्यादातर लोग सोशल मीडिया का उपयोग शादी करने के उद्देश्य आदि से करते हैं। हालाँकि, कुछ समय बाद वे अपने फैसले को लेकर गलत साबित हो जाते हैं और अलग हो जाते हैं। इस प्रकार सोशल मीडिया के माध्यम से ठगी को जन्म दिया जाता है।

    8. हेल्थ इशूज: सोशल मीडिया के अधिक उपयोग से स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है। चूंकि एक्सरसाइज वजन करने की कुंजी है, लेकिन इसके विपरीत लोग सोशल नेटवर्किंग साइट्स का अत्यधिक उपयोग करने के कारण आलसी हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उनके नियमित जीवन में अवस्थता आ जाती है।

    9. सोशल मीडिया मौत का कारण बन सकता है: केवल इसका उपयोग करना ही नहीं, बल्कि स्टंट्स तथा अन्य खतरनाक चीजों का पालन करके व्यक्ति मौत के घाट उतर सकता है, जो इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है। उदाहरण के लिए, अनावश्यक स्टंट करने वाले बाइकर्स, दोनों के ऊपर से छलांग लगाने वाले लोग तथा इस प्रकार की अन्य खतरनाक चीजें। इस प्रकार के स्टंट किशोरों द्वारा अपना लिए जाते हैं, जिन्हें सफल लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है।

    10. ड्रग्स तथा एल्कोहल को ग्लैमराइज करता है: सोशल मीडिया के बड़े नुकसानों में से एक यह है कि लोग अमीर या ड्रग एडिक्टेड लोगों को फॉलो करना शुरू कर देते हैं और वेब पर अपने व्यूज तथा वीडियो शेयर करने लग जाते हैं, जो अंततः अन्य लोगों को भी इसे फॉलो करने को मजबूर कर देता है और वे भी इम्स तथा एल्कोहल से एडिक्ट हो जाते हैं।

  • Social Media kya hai?

    सोशल नेटवर्क / सोशल मीडिया (Social Network/Social Media)

    वैकल्पिक रूप से वर्चुअल कम्युनिटी या प्रोफाइल साइट भी कहा जाता है, एक सोशल नेटवर्क ऐसी वेबसाइट है, जो लोगों को बात करने, ऑइडियाज शेयर करने या नए दोस्ट बनाने के लिए एक साथ लाती है। इस प्रकार के कोलेबरेशन तथा शेयरिंग को सोशल मीडिया के रूप में जाना जाता है।

    ट्रेडिशनल मीडिया के विपरीत, जिसे दस लोगों से अधिक द्वारा नहीं बनाया जा सकता है, सोशल मीडिया साइट्स में सैकड़ों या लाखों लोगों द्वारा बनाया गया कन्टेन्ट होता है। अन्य शब्दों में, सोशल नेटवर्किंग दोस्तो, परिवार, कलीग्स, कस्टमर्स या क्लाइंट्स से जुड़े रहने के लिए इंटरनेट बेस्ड सोशल मीडिया साइट्स का उपयोग है। फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन और इंस्टाग्राम जैसी साइट्स के माध्यम से सोशल नेटवर्किंग का उद्देश्य सामाजिक बिजनेस या दोनों ही हो सकता है। कस्टमर्स को जोड़कर रखने के इच्छुक मार्केटर्स के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बन गया है।

    Bolt.com सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट को सन् 1996 में जेन माउंट और डेन पेल्सन द्वारा क्रिएट किया गया था।। हालांकि, इसे पहली सोशल मीडिया वेबसाइट नहीं माना जाता है, लेकिन तकनीकी रूप से इसे सबसे पहले क्रिएट किया गया था। इसे अधिकारिक तौर पर अक्टूबर 2008 में बंद कर दिया गया था। पहली सोशल मीडिया वेबसाइट sixDigrees.com को माना जाता है, जिसे सन् 1997 में एंड्रियू वेनरिच द्वारा क्रिएट किया गया था।

    सोशल नेटवर्क्स व्यक्तियों को अपने मित्रो तथा परिवार से जुड़े रहने में सहायता करते हैं और साथ ही यह इस बात का पता लगाने का आसान तरीका है कि आपके सोशल सर्कल में अन्य लोग क्या कर रहे हैं। मार्केटर्स ब्रांड की पहचान बढ़ाने और ब्रांड लॉयल्टी को प्रोत्साहित करने के लिए सोशल नेटवर्किंग का उपयोग करते हैं। चूंकि यह कंपनी को नए कस्टमर्स के लिए सुलभ तथा मौजूदा कस्टमर्स के लिए अधिक पहचानने योग्य बनाता है, इसलिए सोशल नेटवर्किंग एक ब्रांड की आवाज और कन्टेन्ट को प्रमोट करने में सहायता करती है।

    उदाहरण के लिए, एक फ्रिक्वेन्ट ट्विटर युजर पहली बार किसी कंपनी के बारे में न्यूज फीड के माध्यम से सुन सकता है और प्रोडक्ट या सर्विस खरीदने का निर्णय ले सकता है। किसी कंपनी के ब्रांड के प्रति जितने लोग उजागर होते हैं, नए कस्टमर्स को खोजने और बनाए रखने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

    मार्केटर्स कन्वर्शन रेट्स को इम्युव करने के लिए सोशल नेटवर्किंग का उपयोग करते हैं। इसका निर्माण नए तथा पुराने कस्टमर्स तक पहुँच और उनके साथ इन्टरेक्शन प्रदान करता है। सोशल मीडिया पर ब्लॉग पोस्ट्स, इमेजेस, वीडियोज या कमेन्ट्स शेयर करने पर फॉलोअर्स को रिएक्ट करने की अनुमति प्राप्त होती है। साथ ही वे कंपनी की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं और कस्टमर्स बन सकते है।

  • Digital Footprint ka Parichay aur Prakar kya hai?

    डिजिटल फुटप्रिंट का परिचय (Introduction to digital Footprint) डिजिटल फुटप्रिंट्स के प्रकार

    डिजिटल फुटप्रिंट वह डेटा है, जो युजर्स के ऑनलाइन होने के दौरान छुट जाता है। अन्य शब्दों में, डिजिटल फुटप्रिंट आपके बारे में इंटरनेट पर छोड़ी गई इन्फॉर्मेशन के टूकड़ों का बना होता है। वैकल्पिक रूप से, डिजिटल एक्जॉस्ट के रूप में भी जाना जाता है, डिजिटल फुटप्रिंट उन एक्टिविटीज का वर्णन करता है, जिन्हें ट्रेक किया जा सकता है, जब कोई व्यक्ति इंटरनेट या अन्य ऑनलाइन सर्विसेस जैसे सर्च इंजन का उपयोग करता है।

    वेबसाइट्स को ब्राउज करने के बाद हम जो डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ देते हैं, उसे इंटरनेट फुटप्रिंट भी कहा जा सकता है। इन्हें आमतौर पर कुकीज के रूप में भी जाना जाता है। अधिकांश वेबसाइट्स आपको इन्हें एक्सेस करने से पहले कुकीज के उपयोग को स्वीकार करने के लिए कहती है, भले ही आप इसका अर्थ न जानते हों। यदि हम अनजाने में बहुत सारी इन्फॉर्मेशन छोड़ देते हैं, तो इसे अन्य लोगों द्वारा पैसिव या एक्टिव रूप से सर्च इंजन का उपयोग करके एक्सेस किया जा सकता है।

    यह एम्पलॉयर्स के लिए साइबर वेट प्रोस्पेक्टिव एम्प्लॉयीज के लिए उनकी ऑनलाइन एक्टिविटीज के आधार पर कॉमन होता जा रहा है। डिजिटल फुटप्रिंट्स का उपयोग पुलिस द्वारा व्यक्तियों के बारे में के लिए इन्फॉर्मेशन एकत्रित करने हेतु भी किया जा सकता है। पूछताछ करने में सहायता करने

    डिजिटल फ्रुटप्रिंट डेटा के एक डिजिटल कलेक्शन को संदर्भित करता है, जिसे आपके द्वारा पुनः ट्रेस किया जा सकता है।

    1. प्राइमरी इन्फॉर्मेशन सीधे शेयर की जाती है: प्राइमरी इन्फॉर्मेशन उस इन्फॉर्मेशन को संदर्भित करती है, जिसे आपने सर्विसेस को एक्सेस करने के लिए शेयर किया है या उदाहरण के लिए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, ईमेल्स, फोन कॉल्स तथा चैट्स पर पोस्ट किया है । इसमें पर्सनल ऑइडेन्टिफाएबल, सेन्सिटिव या अन्य इन्फॉर्मेशन सम्मिलित है, जिसे आप सर्विसेस को एक्सेस करने के लिए शेयर करते हैं।

    2. सेकंडरी इन्फॉर्मेशन आपकी एक्टिविटीज के माध्यम से एकत्रित की जाती है: यह वह इन्फॉर्मेशन होती है, जिसे आप शेयर नहीं करते हैं। यह अक्सर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटीज जैसे- ब्राउजिंग, पर्चेसिंग, वेबसाइट विजिट तथा सर्च से सम्बन्धित होती है। इसे आपकी जानकारी के बिना भी एकत्रित किया जा सकता है, जो अन्य लोगों द्वारा आपकी इन्फॉर्मेशन शेयर करने का परिणाम है।

    डिजिटल फुटप्रिंट्स के प्रकार (Types of Digital Footprints)

    मुख्य रूप से डिजिटल फुटप्रिंट के दो प्रकार होते हैं: एक्टिव तथा पैसिव। इनका वर्णन इस प्रकार किया गया है:

    1. पैसिव फुटप्रिंटः पैसिव फुटप्रिंट तब बनता है, जब युजर से बिना यह जाने कि यह क्या हो रहा है, इन्फॉर्मेशन एकत्रित कर ली जाती है। एक पैसिव डिजिटल फुटप्रिंट का सटिक उदाहरण यह हो सकता है कि युजर ऑनलाइन हो और उसकी इन्फॉर्मेशन ऑनलाइन डेटाबेस में स्टोर हो जाए। इसमें यह सम्मिलित हो सकता है कि फुटप्रिंट क्रिएट होते समय यह कहाँ से आया है, और साथ ही युजर का IP एड्रेस । फुटप्रिंट का आफलाइन एनालिसिस भी किया जा सकता है और इसे उन फाइल्स में स्टोर किया जा सकता है और इसे उन फाइल्स में स्टोर किया जा सकता है, जिन्हें एक एडमिनिस्ट्रेटर एक्सेस कर सकता है। इसमें इस बात की जानकारी भी सम्मिलित होगी कि उस मशीन का उपयोग किसलिए किया गया लेकिन इस बात की जानकारी नहीं हो सकती है कि इन एक्शन्स को किसके द्वारा परफॉर्म किया गया है।

    2. एक्टिव फुटप्रिंट: एक्टिव फ्रुटप्रिंट वह है, जहाँ युजर ने सोशल मीडिया साइट्स या वेबसाट्स का उपयोग करके जानबूझकर अपने बारे में इन्फॉर्मेशन शेयर की है। एक्टिव डिजिटल फुटप्रिंट का सटिक उदाहरण यह हो सकता है। कि यूजर ने किसी ऑनलाइन फॉरम या सोशल मीडिया साइट पर एडिटिंग या कमेन्ट करने के लिए लॉग इन किया हो। रजिस्टर्ड नाम पर प्रोफाइल को बनाई गई पोस्ट्स से लिंक किया जा सकता है और आपके द्वारा छोड़े गए ट्रेल्स से किसी व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ पता लगाना आश्चर्यजनक रूप से आसान है।

    एक ब्लॉग पब्लिश करना और सोशल मीडिया अपडेट्स पोस्ट करना आपके डिजिटल फुटप्रिंट का विस्तार करने का लोकप्रिय तरीका है। किसी व्यक्ति द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया जाने वाला प्रत्येक ट्विट, फेसबुक पर पब्लिश की जाने वाली प्रत्येक अपडेट तथा इंस्टाग्राम पर शेयर की जाने वाली प्रत्येक फोटो उसके डिजिटल फुटप्रिंट में योगदान देती है। युजर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर जितना समय व्यतीत करेगा, उसका डिजिटल फुटप्रिंट उतना ही बड़ा होगा। यहाँ तक कि किसी पेज या फेसबुक पोस्ट को लाइक करने से भी डिजिटल फुटप्रिंट एड हो जाता है, क्योंकि डेटा फेसबुक के सर्वर पर सेव होता है।

  • Digital Footprint kya hai?

    डिजिटल फुटप्रिंट (Digital Footprint)

    डिजिटल फुटप्रिंट डेटा की बॉडी है, जो ऑनलाइन एक्शन्स तथा कम्युनिकेशन्स के परिणाम के रूप में मौजूद होता है, जिसे किसी व्यक्ति द्वारा पुनः ट्रेस किया जा सकता है। डिजिटल फुटप्रिंटस कभी-कभी एक्टिव तथा पैसिव डेटा ट्रेसेस में विभाजित होते हैं।

    एक्टिव डेटा ट्रेसेस वे होते हैं, जिन्हें युजर जानबूझकर छोड़ देता है। फेसबुक, ट्विटर तथा ब्लॉग पोस्ट्स, सोशल नेटवर्क कनेक्शन्स, इमेज तथा वीडियो अपलोड्स, ईमेल, फोन कॉल्स तथा चैट्स ऐसे तरीके हैं, जिनसे व्यक्ति एक्टिव डिजिटल फुटप्रिंट्स क्रिएट करते हैं।

    पेसिव डेटा ट्रेसेस वे होते हैं, जो किसी व्यक्ति से जुड़े होते हैं और अन्य व्यक्ति द्वारा छोड़ दिए जाते हैं या कोई एक्टिविटी के माध्यम से एकत्र किए जाते हैं। इस डेटा का उपयोग यूजर बिना किसी उद्देश्य के कर लेता है। वेबसाइट विजिट तथा एक्शन, सर्च तथा ऑनलाइन पर्चेस उन एक्टिविटीज में से हैं, जो डिजिटल फुटप्रिंट में पेसिव डेटा ट्रेसेस को जोड़ती हैं।

    एक डिजिटल फुटप्रिंट अपेक्षाकृत स्थायी होता है और एक बार डेटा पब्लिक या सेमी पब्लिक होने के बाद, जैसा कि फेसबुक के केस में होता है, ऑनर का इस पर बहुत कम कंट्रोल होता है। वह यह तय नहीं कर सकता है कि दूसरों के द्वारा उसके डेटा का उपयोग किस प्रकार किया जाएगा। इस कारण, डिजिटल फुटप्रिंट मैनेजमेन्ट (DFM) का प्रमुख फोकस डेटा को कंट्रोल करने के लिए ऑनलाइन एक्टिविटीज के बारे में सावधानी है, जिसे पहले स्थान पर एकत्रित किया जा सकता है।

  • Shiksha Mein Computer ka kya Yogdan hai

    Computers in education

    1940 और 1950 के दशक में कम्प्यूटर को तेजी गणना करने के लिए स्थापित किया गया था। कम्प्यूटर का शिक्षा में उपयोग बढ़ाने के लिए सबसे पहला प्रयास जॉन कैमेनी (John Kemeny) ने 1960 के दशक में किया

    जब उन्होंने बेसिक (BASIC) कम्प्यूटर भाषा ( language) का विकास किया। यह भाषा जल्दी हो डार्ट माउथ महाविद्यालय के विद्यार्थियों के जीवन का अंग बन गई। आज कम्प्यूटर और शिक्षा एक दूसरे के पूरक हैं। शिक्षा में कम्प्यूटर के उपयोग निम्नलिखित हैं

    1) कम्प्यूटर सीखना (Learning about Computer) – कंप्यूटर आज जनसाधारण का यंत्र है। अतः यह अब एक उपकरण मात्र से एक सम्पूर्ण विद्या में परिवर्तित हो गया है।

    हर व्यक्ति कंप्यूटर जानने को आतुर है । फलस्वरूप विश्वविद्यालय नये नये ट्रेड्स और पाठ्यक्रमों को लागू कर रहे हैं। कंप्यूटर विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, Computerised Information System सब कुछ कंप्यूटर के सिखने से ही संबंधित हैं। छोटे गाँव में भी लोगों को प्रशिक्षण देने हेतु 19. संस्थानों की संख्या दिन व दिन बढ़ रही है।

    2) कम्प्यूटर एक शिक्षक के रूप में (Computer as a Teacher) – कम्प्यूटर असिस्टेड इंस्ट्रक्शन (Computer Assisted Instruction) कम्प्यूटर का एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को एक शिक्षक का रूप दे देता है। उदाहरण के लिए माध्यमिक स्तर का विद्यार्थी कम्प्यूटर में चल रहे सी. ए.आई. (CAI) में बीजगणित का अध्ययन करे तो सी. ए.आई. (CAI) विद्यार्थी को कम्प्यूटर की स्क्रीन पर बीजगणित का एक सवाल हल करने के लिए देगा|

    विद्यार्थी उसे यदि सही हल करता है तो सी.ए.आई. (CAI) अगला सवाल हल करने का देगा और यदि सवाल का हल गलत है तो यह सॉफ्टवयर स्क्रीन पर उस सवाल का मही हल दिखाएगा और साथ हो पुनः हल करने के लिए वैसा ही नया सवाल विद्यार्थी को दिया जायेगा।

    बाद में प्रश्नावली के पूर्ण होने पर कम्प्यूटर विद्यार्थी को प्रगतिपत्र (marksheet) छापकर उसके प्राप्तांक भी दे सकता है।कम्प्यूटर मैनेज्ड इंस्ट्रक्शन (Computer Managed Instruction) जिसे संक्षेप में सी.एम. आई. (CMI) कहा जाता है.

    एक और सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर पर पुस्तक पड़ने की सुविधा देता है। इसके साथ ही विद्यार्थी इसकी सहायता से अपने- लेख परस्पर जुड़ (Connected) कम्प्यूटरों में भेज सकते हैं। इस प्रकार विषय-वस्तु एक कम्प्यूटर में सीमित नहीं रहती। इसलिए CMI को बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक विश्वविद्यालय (Electrome University) भी कहते हैं।

    कम्प्यूटर में वीडियो सी. डी. (Video CD.) के उपयोग से हम किसी भी विषय के बिन्दुओं का फिल्म के रूप में अध्ययन कर सकते हैं।

    3) समस्या समाधान (Problem Solving) – अध्ययन में कठिन समस्याओं को कम्प्यूटर सरल कर देता है। कम्प्यूटर एक समस्या के हल के लिए अनेक व्यक्तियों के तकों का उपयोग तेजी से कर लेता है जिससे समस्या शीघ्र हल हो जाती है।

    4) प्रशिक्षण तथा परीक्षा में कंप्यूटर (Computers in Training and Examinations) – आज प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा कई ऑनलाइन पाठ्यक्रम चालाए जा रहे हैं। आप माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन, सन कॉरपोरेशन द्वारा उनके उत्पादों पर प्रशिक्षित किये जा सकते हैं।

    आप ऑनलाइन उनके द्वारा लिये जाने वाली परीक्षाओं में बैठ सकते हैं और उसमें सफल होने पर उनसे डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं। मैग्नेटिक इक रिकॉगनिशन (MIR) एक ऐसी टेक्नॉलॉजी है

    जो बँकिंग तथा अन्य वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं को अद्भुत गति और शुद्धता के साथ जाँचने में सहायक होती है |

  • Ghar mein aur Vyaktigat kaaryon mein computer ke prayog

    Computer in Household and Personal uses

    सन् 1970 में जब माइको कम्प्यूटर का विकास हुआ तो कम्प्यूटर को घर के उपयोग में लाने को केवल कल्पना ही की जा सक थी। आज यह कल्पना साकार होता जा रही है।

    माइको कम्प्यूटर के विभिन्न छोटे आकार के और सुविधाजनक मंडल हम अम व्यक्तिगत कार्यों के लिए घरों में स्थापित कर सकते हैं। यह एक डेस्क (Desk) पर या एक ब्रीफकेस रखा जा सकता है। निम्नलिखित रूपों में घरों में या व्यक्तिगत कार्यों में प्रयोग किया जाता है-

    1) रसोईघर में (In Kitchen ) – इलेक्ट्रॉनिक प्रोससर और मेमोरी का रसोई सम्बन्धी यन्त्रों जैसे माइक्रोवेव ओवन (Microwave Oven) में प्रयोग होता है।

    2) कम्प्यूटरीकृत कार (computer ized) – आधुनिक कारों में कम्प्यूटर के द्वारा सभी नियन्त्रण जैसे कार मालिक को आवाज पहचानकर दरवाजा खुल जाना,

    पेट्रोल को उचित मात्रा को चेतावनी, कार की सतह को इच्छानुसार परिवर्तित करना, सड़क व शहर का मानचित्र उपलब्ध कराना आदि संचालित होते हैं।

    3) कम्प्यूटरीकृत घर (Computerized Homes) – आजकल घरों की कम्प्यूटर नियंत्रित बनाया जा रहा है। कम्प्यूटर मेहमानों का स्वागत व उनकी पहचान करते हैं,

    लॉन (Lawn) में पानी देने का काम करत है, जबकि हम घर से अनुपस्थित हो। ये पर के तापमान को भी स्वतः नियन्त्रित करते हैं।

    4) व्यक्तिगत रोबोट नौकर (Personal Robot Servants) – रोबोट (Robot) का केवल फैक्ट्रियों (Factories) में खतरनाक कार्यों को करने वाला ही नहीं समझना चाहिए।

    इसे व्यक्तिगत कार्यों के लिए नौकर भी बनाया जा सकता है। रोबोट कम्प्यूटर द्वारा संचालित एक ‘यान्त्रिक मानव’ (computerised machine man) होता है।

    5) घर से बैंकिंग और खरीदारी (Home Banking and Shopping) – इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर (EFT) Electronic Fund Transfer) सिस्टम बैंक की एक ऐसी सुविधा है जिससे हम बैंकों यातायात एजेन्सियों और दुकानों से रुपयों का लेन-देन घर में लगे कम्प्यूटर को सहायता से कर सकते हैं। घर में लगा कम्प्यूटर टेलीफोन लाइन में जुड़ा रहता है जिसका सम्पर्क इण्टरनेट (Internet) से होता है।

    6) आधुनिक कुटीर उद्योग (Modern Cottage Industries) – आजकल कम्प्यूटर ने सूचना को विक्रय योग्य एवंउपयोगी वस्तु बना दिया है जिससे घर में चलाये जा सकने वाले व्यवसायों का उदय हुआ है।

    डी. टी. पी. (DTP-Desk Top Publishing) एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम्प्यूटर से प्रकाशन के कार्य घर ही किये जा सकते हैं। डिश एटिना लगाकर उपग्रह से संपर्क स्थापित करने वाला केन्द्र हम कम्प्यूटर की मदद से घर में ही बना सकते हैं।

  • Super Computer kya hai?

    सुपर कम्प्यूटर, कम्प्यूटर की सभी श्रेणियों में सबसे बड़े सबसे अधिक स्टोरेज क्षमता वाले तथा सबसे अधिक (speed) वाले होते हैं। इनमें अनेक सौ. पी. यू. (CPU) समान्तर क्रम में कार्य (processing) करते हैं।

    इस क्रिया समान्तर प्रक्रिया (Parallel Processing) कहते हैं। एक सी. पी. यू. (CPU) द्वारा डाटा (Data) और प्रोग्राम (Program) एक स्ट्रीम (Stream) में एक्ज़िक्यूट करने की पारम्परिक विचारधारा ‘वॉन न्यूमान ‘सिद्धान्त’ (von Neumann Concept) कहलाती है।

    लेकिन सुपर कम्प्यूटर ‘नॉन वनि न्यूमान सिद्धान्त’ (Non-Von Neumann Concept) के आधार पर तैयार किया जाता है। सुपर कम्प्यूटर में अनेक ए. एल यू. (ALU) सी. पी. यू. के एक भाग होते हैं।

    प्रत्येक ए. एल. यू. (ALU) एक निश्चित क्रिया के लिए होता है और सभी ए. एल. यू. (ALU) एक साथ समान्तर प्रक्रिया (parallel processing) करते हैं। सुपर कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों में होता है :

    1) बड़ी वैज्ञानिक और शोध (research) प्रयोगशालाओं में शोध व खोज करना।

    2) अन्तरिक्ष यात्रा के लिये अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भेजना।

    3) मौसम की भविष्यवाणी।

    4) उच्च गुणवत्ता के एनीमेशन (animation) वाले चलचित्र (movie) का निर्माण|

    उपरोक्त सभी कार्यों में को जाने वाली गणनाएँ व प्रक्रिया (processing) जटिल व उच्चकोटि की शुद्धता वाली होती हैं जिन्हें केवल सुपर कम्प्यूटर ( Super Computer) ही कर सकता है।

    सुपर कम्प्यूटर सबसे महँगे कम्प्यूटर होते हैं। इनकी कीमत अरबों रुपयों में होती है। भारत में C-DAC द्वारा “PARAM” नामक सुपर कम्प्यूटर विकसित किया गया है।

    इसका विकसित रूप परम-10000 भी तैयार कर लिया गया है।CRAY-2, CRAY XMP-24 और NEC-500 सुपर कम्प्यूटर के अन्य उदाहरण हैं।

    इम्बेडेड कम्प्यूटर (Embedded Computer)

    इम्बेडेड कम्प्यूटर एक विशेष उद्देशीय कम्प्यूटर सिस्टम है, जिसे किसी dedicated function को सम्पन्न करने के लिए डिजाइन किया जाता है।

    एक सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर जैसे कि एक पर्सनल कम्प्यूटर से भिन्न एक इम्बेडेड कम्प्यूटर सिस्टम एक या कुछ पूर्व निर्धारित (pre-defined) कार्यों को सम्पन्न करती है

    जिनकी प्रायः बहुत विशिष्ट आवश्यकताएँ होती हैं तथा प्रायः ऐसे विशेष कार्य वाले हार्डवेयर एवं मेकॅनिकल पार्ट्स को सम्मिलित करता है जो प्रायः सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर में नहीं पाये जाते हैं।

    यद्यपि यह सिस्टम चित्र ट्रेफिक कन्ट्रोल प्रणाली में इम्बेडेड विशिष्ट कार्यों के लिए निर्धारित है, तथापि डिजाइन इन्जीनियर इस उत्पाद के आकार तथा लागत के घटने से इसके प्रति आशान्वित हैं।

    आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद होने से इम्बेडेड सिस्टम प्रायः बड़े पैमाने पर उत्पादित हो रहे हैं। भौतिक रूप से, इम्बेडेड कम्प्यूटर पोर्टेबल (portable) कम्प्यूटरों, जैसे डिजिटल घड़ियाँ तथा एम.पी. श्री (MP3) प्लेयर्स से लेकर बड़े स्टेशनरी इन्स्टॉलेशन traffic lights फैक्ट्री कंट्रोलर अथवा परमाणु शक्ति इकाइयों तक को नियंत्रित करने में पाया जा सकता है।

    जटिलता (कॉम्पलेक्सटी) के मामले में इम्बेडेड सिस्टम्स साधारण से एक माइक्रोकन्ट्रोलर चिप से लेकर मल्टीपल यूनिट, पेरिफेरल्स तथा नेटवर्क जो एक बड़े चेसिस (chassis) या आवरण जैसे कॉम्पलेक्स सिस्टम्स में भी हो सकते हैं।

    मोबाइल फोन अथवा हैण्ड-हेल्ड कम्प्यूटर कुछ ऐलिमेन्ट्स (elements) इम्बेडेड सिस्टम के साथ शेयर (share) करते हैं, जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम तथा माइक्रोप्रोसेसर्स जो उन्हें पॉवर (power) देते हैं|

    परन्तु ये वस्तुतः इम्बेडेड सिस्टम नहीं होते हैं क्योंकि इन्हें सामान्य उद्देशीय होने के साथ विभिन्न एप्लिकेशन्स को तथा पेरिफेरल्स को संयोजित (reservation system) होने की अनुमति प्रदान करनी होती है।

  • Mainframe computer kya hai?

    ये कम्प्यूटर आकार में बहुत बड़े होते हैं साथ ही इनकी स्टोरेज क्षमता भी अधिक होती है। इनमें अधिक मात्रा के डाटा (Data) पर तीव्रता से प्रोसेस (Process) करने की क्षमता होती है,

    इसलिए इनका उपयोग बड़ी कम्पनियों, बैंक तथा सरकारी विभाग एक centralised computer system के रूप में करते हैं। ये चौबीसों घंटे कार्य कर सकते हैं और इन पर सैकड़ों उपयोगकर्त्ता (Users) एक साथ काम कर सकते हैं।

    मेनफ्रेम कम्प्यूटर को एक नेटवर्क (network) या माइक्रो कम्प्यूटरों से परस्पर जोड़ा जा सकता है। अधिकतर कम्पनियाँ या संस्थाएँ मेनफ्रेम कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए करती हैं।

    1) उपभोक्ताओं द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना

    2) भुगतानों का ब्यौरा रखना

    3) बिलों को भेजना, रखना

    4) नोटिस (Notice) भेजना

    5) कर्मचारियों के भुगतान करना

    6) कर (Tax) का विस्तृत ब्यौरा रखना आदि।

    IBM 4381, ICL 39 श्रृंखला (series) और (CDC Cyber) श्रृंखला मेनफ्रेम कम्प्यूटरों के उदाहरण हैं।

  • Web Page kitne Prakar ke Hote Hain Hindi

    (Web page ke Prakar)

    1.स्टेटिक वेब पेज को फ्लेट या स्टेशनरी वेब पेज के रूप में भी जाना जाता है। वे क्लाइंट के ब्राउजर पर लोड होते. हैं, क्योंकि उन्हें वेब सर्वर पर स्टोर किया जाता है। इन वेब पेजेस में सिर्फ स्टेटिक इन्फॉर्मेशन ही होती है। युजर इन्फॉर्मेशन को सिर्फ रिड कर सकता है, लेकिन इसे मोडिफाय नहीं कर सकता है और न ही इन्फॉर्मेशन के साथ इन्टरेक्ट कर स्टेटिक वेब पेज स्टेटिक वेब पेजेस सिर्फ HTML का उपयोग करके बनाए जाते हैं। स्टेटिक वेब पेजेस का उपयोग सिर्फ तब किया जाता है, जब इन्फॉर्मेशन को मोडिफाय करने की आवश्यकता नहीं होती है।

    2. डायनेमिक वेब पेज- डायनेमिक वेब पेज विभिन्न बिन्दुओं पर अलग-अलग इन्फॉर्मेशन प्रदर्शित करता है। सम्पूर्ण वेब पेज को तोड़ किये बिना वेब पेज का चित्रण (पोरटेन) बदलना सम्भव है। यह एजाक्स टेक्नोलॉजी का उपयोग करके संभव बनाया गया है। डायनेमिक वेब पेज को दो उप-श्रेणियों में विभाजित किया गया है-

    (i) सर्वर साइड डायनेमिक वेब पेज इसे सर्वर साइड स्क्रिप्टिंग के लिये बनाया जाता है। कुछ सर्वर साइड स्क्रिप्टिंग पैरामीटर्स होते हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि नए वेब पेज को कैसे असेम्बल किया जाए, जिसमें अधिक क्लांट साइड प्रोसेसिंग को सेट अप करना भी सम्मिलित है।

    (ii) क्लाइंट-साइड डायनेमिक वेब पेज इसे क्लाइंट-साइड स्क्रिप्टिंग जैसे जावास्क्रिप्ट का उपयोग करके प्रोसेस किया जाता है। इसके बाद डॉक्युमेन्ट ऑब्जेक्ट मॉडल (DOM) में पास किया जाता है। सकता है।

  • Website kitne Prakar ki hoti hai? Hindi

    (Website kitne Prakar ki hoti hain)

    1. अर्चिव वेबसाइट आज इन्टरनेट पर अरबों वेबसाइट्स हैं, जिन्हें निम्न प्रकार की श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। ध्यान रखें कि वेबसाइट के लिये निम्न में से एक से अधिक वेबसाइट्स में वर्गीकृत होता संभव है। उदाहरण के लिये, वेबसाइट एन्ड फ्लेटफॉर्म, वेबमेल, ब्लॉग या सर्च इंजन भी हो सकती है। अर्चिव वेबसाइट एक ऐसी साइट है, जो एक या अधिक अन्य वेबसाइट्स के कन्टेन्ट्स का रिकॉर्ड रखती है। इन्टरनेट आर्चिव वेबसाइट का सबसे अच्छा उदाहरण हैं।

    2. लॉग (वेबलॉग) – ब्लॉग, वेबसाइट का प्रकार है, जो अक्सर किसी व्यक्ति द्वारा की गई एन्ट्रीज की लिस्ट रखने के लिये होता, जिनमें वे रुचि रखते हैं। माइक्रोब्लॉग वेबसाइट भी ब्लॉगिंग वेबसाइट का ही एक अन्य लोकप्रिय रूप है, जो प्रत्येक ब्लॉग एंट्री में किसी व्यक्ति द्वारा पोस्ट किये जाने वाले कैरेक्टर्स की संख्या को सीमित करता है। ट्विटर माइक्रोब्लॉग के लिये सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट का एक उदाहरण है।

    3. बिजनेस वेबसाइट तथा कॉर्पोरेट वेबसाइट-बिजनेस वेबसाइट या कार्पोरेट वेबसाइट कस्टमर्स, पार्टनर्स, क्लांट्स तथा पोटेन्शल कस्टमर्स को अकाउंट इन्फॉर्मेशन तथा एक्सेस प्रदान करने के लिये बनाई जाती हैं।

    4. कम्यूनिटी वेबसाइट कम्यूनिटी वेबसाइट, एक वेबसाइट या वेबसाइट का सेक्शन है, जो विजिटर्स को चैट, फोरम्स या बुलेटिन बोर्ड के अन्य रूप का उपयोग करके साइट पर आने में सहायता करता है।

    5. कन्टेन्ट वेबसाइट तथा इन्फॉर्मेशन वेबसाइट एक कन्टेन्ट वेबसाइट तथा इन्फॉर्मेशन वेबसाइट यूनिक कन्टेन्ट प्रदर्शित करने के इन्टेन्शन से बनाई जाती है, जो अक्सर एक स्पेसिफिक कैटेगरी से सम्बन्धित होती हैं। उदाहरण के लिये, कम्प्यूटर होप को कम्प्यूटर से सम्बन्धित कन्टेन्ट वाली साइट माना जा सकता है। अन्य कैटेगरीज में पॉलिटिकल वेबसाइट को सम्मिलित किया जा सकता है, जिसमें पॉलिटिक्स से सम्बन्धित कन्टेन्ट या फिर किसी विशेष धर्म के बारे में इन्फॉर्मेशन देते हुए धार्मिक वेबसाइट भी बनाई जा सकती है।

    6.ई-कॉमर्स वेबसाइट ई-कॉमर्स (इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स) वेबसाइट ऐसी साइट है, जो ऑनलाइन प्रोड्क्ट्स या सर्विसेस को बेचने केइन्टेन्शन से बनाई जाती है। अमेजन एक ई-कॉमर्स वेबसाइट का बेहतर उदाहरण है। ई-कॉमर्स वेबसाइट्स को निम्नलिखित सब-कैटेगरीज में तोड़ा जा सकता है-

    (1) अफिलिएट वेबसाइट अफिलिट वेबसाइट को थर्ड पार्टी प्रोडक्स को बेचने के इन्टेन्शन से बनाया जाता है। उदाहरण के लिये, अमेजन के पास किसी अन्य कम्पनी को लिंक करने के लिये अफिलियेट प्रोग्राम है और प्रोडक्ट्स के खरीद जाने के बाद वह कमीशन लेता है। एक अफिलिएट वेबसाइट को ई-कॉमर्स वेबसाइट के साथ प्रमित नहीं होना चाहिये।

    (ii) ऑक्शन वेबसाइट- ऑक्शन वेबसाइट ऐसी वेबसाइट है, जो अन्य लोगों को अपने प्रोडक्ट्स या सर्विसेस को बेचने की अनुमति प्रदान करती है। उदाहरण के लिये, इसे सबसे प्रसिद्ध ऑक्शन वेबसाइट्स में से एक है।

    (III) क्लासिफाइड एड्स वेबसाइट क्लासिफाइड एड्स वेबसाइट एक ऐसी वेबसाइट है, जो किसी को प्रोडक्ट्स या सर्विसेस को सूचीबद्ध करने की अनुमति प्रदान करती है। आमतौर पर फ्री या कम कॉस्ट पर। क्रेगलिस्ट, क्लासिफाइड एड्स वेबसाइट का एक उदाहरण है।

    (iv) क्राउडफंडिंग वेबसाइट- क्राउडफंडिंग वेबसाइट का सेट अप किसी बिजनेस, पर्सन या किसी अन्य कारण से एक समय या मासिक भुगतान करने में सहायता करने के लिये किया जाता है। किकस्टारर क्राउडफंडिंग वेबसाइट का एक उदाहरण है।

    7. गेमिंग वेबसाइट गेमिंग वेबसाइट एक ऐसी वेबसाइट होती है, जिसमें वेबसाइट पर खेले जा सकने वाले गेम्स होते है। ये ऑनलाइन गेम्स अक्सर HTML फ्लैश या जावा का उपयोग करके बनाए जाते हैं। गेमिंग वेबसाइट्स को गेमिंग कन्टेन्ट वेबसाइट के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिये, जिसमें एक्चुअल गेम्स के होने के बजाए ऑनलाइन गेम कन्टेन्ट होता है।

    8. गवर्नमेन्ट वेबसाइट एक गवर्नमेन्ट वेबसाट किसी डिपार्टमेन्ट लोकल या स्टेट गवर्नमेन्ट साइट होती है, जो गवर्नमेन्ट बिजनेस तथा सर्विसेस के बारे में पब्लिक को इन्फॉर्म करने में सहायता करने के लिये बनाई जाती है। पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायता करने के लिये भी लोकल गवर्नमेन्ट वेबसाइट का सेट अप किया जा सकता है।

    9. मेलिशियस वेवसाइट मेलिशियस वेबसाइट ऐसी वेबसाइट होती है, किसी अन्य कम्प्यूटर को इन्फेक्ट करने का पर्सनल डेटा कलेक्ट करने के उद्देश्य से बनाया जाता है। उदाहरण के लिये, मालवेयर वेबसाइट किसी भी विजिटर को मालवेयर, स्पायवेयर या ट्रोजन हॉर्स के साथ इन्पेक्ट करने के इन्टेन्शन से बनाया जाता है। इस प्रकार की साइट्स में डाउनलोड किया जाने वाला कोई भी डेटा इन्फेक्टेड हो सकता है और डाउनलोड होने के बाद आपके कम्प्यूटर इन्फेक्ट कर सकता है। अन्य सामान्य मेलिशियस वेबसाइट्स में फिशिंग वेबसाइट्स सम्मिलित हैं। इन साइट्स को अन्य ऑफिशियल साइट्स (उदाहरण के लिये, आपके बैंक) की तरह इस उम्मीद के साथ डिजाइन किया जाता है कि वे आपके यूजरनेम तथा पासवर्ड जैसी ऐंसिटिव इन्फॉर्मेशन किश कर सकें।

    फेक न्यूज वेबसाइट्स अन्य प्रकार की मेलिशियल वेबसाइट्स होती हैं, जो भय तथा झूठ फैलाने के इन्टेन्शन से न्यूज के लेजिरिमेन्ट सोर्स (वैद्य स्रोत) के रूप में दिखाई देती है।

    10. मीडिया शेयरिंग वेबसाइट मीडिया शेयरिंग वेबसाइट ऐसी वेबसाइट है, जो विजिटर्स को एक या अधिक प्रकार की मीडिया को शेयर करने की अनुमति प्रदान करती है। उदाहरण के लिये, यूट्यूब वीडियो मीडिया शेयर करने की साइट है । साउंड क्लाउड म्युजिक शेयर करने की साइट है। फ्लिक्ट फोटोज शेयर करने की साइट है। डिवेएन्ट आर्ट आर्ट को शेयर करने का पेज है।

    11. मिरर वेबसाइट एन्ड मिरर वेबसाइट किसी अन्य वेबसाइट से पूर्णतः डुप्लिकेट होती है, जो किसी वेबसाइट पर ओवरलोड होने पर उपयोग की जाती है। यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में वेबसाइट की स्पीड के साथ सहायता करती है। साथ हो, भले ही ये समान होती है, फिर भी मिरर साइट को स्क्रॅपर वेबसाट या CDN (कन्टेन्ट डिलिवरी नेटवर्क) के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिये।

    12. न्यूज वेबसाइट न्यूज वेबसाइट लेटेस्ट लोकल या वर्ल्ड न्यूज प्रदान करने के लिये एक डेडिकेटेड वेबसाइट है। न्यूज वेबसाइट किसी स्पेसिफिक टॉपिक के लिये भी डेडिकेटेड हो सकती है। उदाहरण के लिये, कई कम्प्यूटर रिलेटेड न्यूज: वेबसाइट्स लेटेस्ट कम्प्यूटर तथा टेक्नोलॉजी-रिलिटेड न्यूज के बारे में बात करने के लिये डेडिकेटेड होती हैं।

    13. पर्सनल वेबसाइट पर्सनल वेबसाइट किसी व्यक्ति द्वारा बनाई गई साइट होती है, जो उसकी पर्सनल लाइफ, एक्सपीरियेंसेस के बारे में बनाती है। की बार इसमें रिज्यूमे भी सम्मिलित होता है। आज बहुत से लोग पर्सनल वेबसाइट्स को एक ब्लॉग के रूप में बना रहे हैं, या अपने बारे में इन्फॉर्मेशन स्टोर करने के लिये सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग कर रहे हैं।

    14. पर्सनालिटी वेबसाइट पर्सनालिटी वेबसाइट किसी व्यक्ति विशेष को कवर करती है, जैसे- आर्टिस्ट, सेलिब्रिटी ऑथर या कोई अन्य व्यक्ति। इस प्रकार की वेबसाइट किसी व्यक्ति से अफिलिएट व्यक्ति द्वारा सेट की जाती है, जैसे कि एक पब्लिसिस्ट एजेन्सी या किसी पर्सनालिटी का फैन

    15. पोर्टल पोर्टल एक वेबसाइट या सर्विस का आइडिया है, जो ईमेल, गेम, कोट्स, सर्च, न्यूज तथा स्टॉक्स जैसी सर्विसेस की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है।

    16. सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट यूजर्स फ्रेंड्स, फेमिली, सेलिब्रिटिज, ग्रुप्स तथा ऑर्गेनाइजेशन्स से कनेक्ट करती है।