Blog

  • Mechanism ke adhar par computer ke prakar (types of computermechanism)

    Digital computer

    डिजिटल कम्प्यूटर का कम्प्यूटर होता है जो अंक (digits) की गणना करता है। जब अधिकतर लोग कम्प्यूटर के बारे विचार विमर्श करते हैं तो डिजिटल कम्प्यूटर हो केन्द्रबिन्दु होता है।

    डिजिटल कम्प्यूटर से कम्प्यूटर हैं जो व्यापार (Business) को चलाते हैं, घर का बजट तैयार करते हैं और अन्य सभी कार्य, जो कम्प्यूटर कर सकता है, करते हैं।

    अतः सत्य है कि अधिकतर कम्प्यूटर डिजिटल कम्प्यूटर को श्रेणी में आते हैं। डिजिटल कम्प्यूटर डाटा (Data) और प्रोग्राम (Program) को 0 तथा 1 में परिवर्तित करके उनको इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में ले आता है।

    Hybrid computer

    हायब्रिड (Hybrid) का अर्थ संकरित अर्थात् अनेक गुण-धर्म युक्त होना है। वे कम्प्यूटर जिनमें एनालॉग कम्प्यूटर और डिजिटल कम्प्यूटर, दोनों के गुण हों, हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) कहलाते हैं।

    जैसे- कम्प्यूटर की एनालॉग डिवाइस किसी रोगी के लक्षणों अर्थात् तापमान, रक्तचाप आदि को मापती है। ये परिमाप बाद में डिजिटल पार्ट के द्वारा अंकों (digits) में बदले जाते हैं। इस प्रकार रोगी के स्वास्थ्य में आये उतार-चढ़ाव का तत्काल प्रेक्षण (monitor) किया जा सकता है।

    Analog computer

    एनालॉग कम्प्यूटर के कम्प्यूटर होते हैं जो भौतिक मात्राओं (physical parameters), जैसे- दाब (Pressure), तापमान, लम्बाई आदि को मारकर उनके परिमाप (values) अंकों में व्यक्त करते हैं|

    ये कम्प्यूटर किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते हैं। जैसे कि एक धर्मामीटर कोई गणना नहीं करता है अपितु यह पार के सम्बन्धित प्रसार (Relative Expansion) की तुलना करके शरीर के तापमान को मापता है।

    एनालॉग कम्प्यूटर मुख्य रूप से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किये जाते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में मात्राओं (Quantities) का अधिक उपयोग होता है। ये कम्प्यूटर केवल अनुमानित परिमाप (approximate value) ही देते हैं।

    उदाहरणार्थ, एक पेट्रोल पम्प में लगा एनालॉग कम्प्यूटर, पम्प से निकले पेट्रोल की मात्रा को मापता है और लीटर में दिखाता and है तथा उसके मूल्य की गणना करके स्क्रीन पर दिखाता है।

  • Analog computer kya hai

    एनालॉग कम्प्यूटर में कम्प्यूटर होते हैं जो भौतिक मात्राओं (physical parameters), जैसे-पब (Pressure), तापमान, लम्बाई आदि को मापकर उनके परिमाप (values) अंक में करते हैं।

    ये कम्प्यूटर किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते हैं। जैसे कि एक धर्मामीटर कोई गणना नहीं करता है

    अपितु यहा के सम्बन्धित प्रसार (Relative Expansion) की तुलना करके शरीर के तापमान को मापता है। एनालॉग कम्प्यूटर मुख्य रूप से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किये जाते हैं

    क्योंकि इन क्षेत्रों में मात्राओं (Quantities) का अधिक उपयोग होता है। ये कम्प्यूटर केवल अनुमानित परिमाप (approximate value) ही देते हैं।

    उदाहरणार्थ, एक पेट्रोल पम्प में लगा एनालॉग कम्प्यूटर, पम्प से निकले पेट्रोल की मात्रा को पता है और लीटर में दिखाता है तथा उसके मूल्य की गणना करके स्क्रीन पर दिखाता है।

  • Computer ke prakar (types of computer)

    पिछले सेक्शन हमने कम्प्यूटर की परिभाषा कम्प्यूटर को विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगिता तथा इसके विकास को भरपूर चर्चा |

    इस सेक्शन में हम जानते है कि कम्प्यूटर के कितने प्रकार है ? (How many types are there of a computer ?)

    चूंकि कम्प्यूटर विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग होनेवाला यह है इसलिए ऐसी संभावना है कि क्षेत्र विशेष के हिसाब से इसके कम्प्यूटर भी अलग हो।

    कम्प्यूटर जो आप अपने व्यक्तिगत कार्यों में प्रयोग करते हैं वैज्ञानिक रिसर्च तथा चिकित्सीय जाँच में प्रयोग होने वाले कम्प्यूटर से अलग होते हैं।

    कुछ कम्प्यूटर सामान्य उदद्देशीय (for general purpose) होते है तो कुछ कम्प्यूटर विशेष उद्देश्य (for specific purpose) को पति के लिए बनाए जाते हैं। कम्प्यूटर को उनके काम करने के तरीके के आधार पर एनालॉग, डिजिटल तथा हायब्रीड में वर्गीकृत किया जा सकता है।

    इसी प्रकार कम्प्यूटर को इसक आकार के आधार पर साधको वर्कस्टेशन, मिनी मेनफ्रेम तथा सुपर कम्प्यूटर में वर्गीकृत किया जा सकता है।

    वस्तुत: कंप्यूटरों का सीधे सीधे अर्थात् प्रत्यक्षतः (direct) वर्गीकरण करना कठिन है, इसलिए इन्हें हम निम्नलिखित तीन आधारों पर वर्गीकृत करते हैं।

    1) कार्यप्रणाली (mechanism)

    2) उद्देश्य (purpose)

    3) आकार (size)

  • Computer Ki Pratham Pedhi

    सन् 1946 में एकर्ट और मुचली के एनिएक (ENIAC) नामक कम्प्यूटर के निर्माण से ही कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी का प्रारम्भ हो गया।

    इस पौड़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था जिसका आविष्कार सन् 1904 में किया गया।

    इस पीढ़ी में एनिएक के अलावा और भी कई अन्य कम्प्यूटरों का निर्माण हुआ जिनके नाम एडसेक (EDSAC- Electronic Delay Storage Automatic Calculator), एडवेक (EDVAC Electronic Discrete Variable Auto- – matic Computer), यूनिक (UNIVAC Universal Automatic Computer) एवं यूनिवेक-1 (UNIVAC-1) है।

    प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित लक्षण (attributes) थे-

    1) वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग

    2) पंचकार्ड पर आधारित

    3) स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक ड्रम का प्रयोग

    4) बहुत ही नाजुक और कम विश्वसनीय

    5) बहुत सारे एयर कंडीशनरों का प्रयोग

    6)मशीनी तथा असेम्बली भाषाओं (machine and assembly languages) में प्रोग्रामिंग

  • Internet kya hai?

    इंटरनेट का परिचय (Internet)

    इन्टरनेट एक ग्लोबल कम्युनिकेशन सिस्टम है, जो हजारों इन्डिविजुअल नेटवर्क्स को एक साथ लिंक करता है। यह एक नेटवर्क पर दो या अधिक कम्प्यूटर्स के बीच इन्फॉर्मेशन का आदान-प्रदान करने की अनुमति प्रदान करता है। इस प्रकार इन्टरनेट, मेल, चैट, वीडियो तथा ऑडियो कॉन्फ्रेन्स आदि के माध्यम से मैसेजेस को ट्रांसफर करने में सहायता करता हैं। यह दिन-प्रतिदिन की एक्टिविटीज के लिये अनिवार्य हो गया है, जैसे- बिलों का भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग तथा सर्फिंग, ट्यूटरिंग, वर्किंग, साथियों के साथ बातचीत करना आदि।

    अन्य शब्दों में, इन्टरनेट इन्टरकनेक्टेड कम्प्यूटर नेटवर्क का एक ग्लोबल सिस्टम है, जो समस्त विश्व में कई आव डिवाइसेस को लिंक करने के लिये स्टैन्डर्ड इन्टरनेट प्रोटोकॉल सूट (TCP/IP ) का उपयोग करता है। यह नेटवर्क्स का नेटवर्क है, जिसमें लाखों प्राइवेट, पब्लिक, एकेडमिक, बिजनेस तथा गवर्नमेन्ट नेटवर्क्स होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक, वायरलेस तथा ऑप्टिकल नेटवर्किंग टेक्नोलॉजी से लिंक्ड लिग होते है।

    इन्टरनेट, इन्फॉर्मेशन रिसोर्सेस तथा सर्विसेस की एक विस्तृत श्रृंखला, जैसे कि इंटर-लिंक किये गए हाइपरटेक्सट डॉक्यूमेन्ट्स तथा वर्ल्ड वाइड वेब (www) की एप्लीकेशन, ईमेल को सर्पोट करने के लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा फाइल शेयरिंग और टेलीफोनी के लिये पीयर-टू-पीयर नेटवर्क का संचालन करता है।

    1960 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका की गवर्नमेन्ट द्वारा कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ रॉबस्ट तथा फॉल्ट टॉलरेन्ट कम्युनिकेशन की उत्पत्ति हुई। यह कार्य, यूनाइटेड किंगडम् तथा फ्रांस के प्रयासों से संयुक्त राज्य अमेरिका में प्राइमरी मिकसर नेटवर्क, ARPANET के नेतृत्व में किया गया था। 1980 के दशक में रिजनल एकेडमिक नेटवर्क का इन्टरकनेक्शन, मॉडर्न इन्टरनेट के लिये ट्रांजिशन की शुरुआत का प्रतीक है।

    1980 के दशक में नेशनल साइंस फाउंडेशन द्वारा एक नए अमेरिकी बैकबोन की फंडिंग साथ ही अन्य कमर्शियल बैकबोन्स की फंडिंग, नई नेटवर्किंग टेक्नोलॉजीस के विस्तृत में समस्त विश्व में भागीदारी तथा कई नेटवर्क्स के विलय के परिणामस्वरूप हुई। यद्यपि, 1980 के दशक से इन्टरनेट का व्यापक रूप से एकेडमिया द्वारा उपयोग किया जाता रहा है,

    लेकिन 1990 के दशक में एक इन्टरनेशनल नेटवर्क के कमर्शियलाइजेशन ने इसके लोकप्रियकरण तथा मानव जीवन के लगभग हर पहलू को शामिल किया। 1990 के दशक की शुरुआत से नेटवर्क ने इंस्टिट्यूशनल, पर्सनल तथा मोबाइल कम्प्यूटर्स की जनरेशन्स के रूप में निरंतर एक्स्पोनेन्शियल ग्रोथ का अनुभव किया। 2014 तक विश्व की 38 प्रतिशत मानव आबादी ने पिछले सालों के भीतर इन्टरनेट सर्विसेस का उपयोग किया है।

    इस वर्ष तक 1995 की तुलना में 100 गुना लोगों ने इसका उपयोग किया। इन्टरनेट का उपयोग 1990 के मध्य से 2000 के दशक के अंत तक विकासशील विश्व में प्रस्तुत करने के लिये तेजी से बढ़ा।

  • Computer Ki Pidhiya: Generation of Computer

    कम्प्यूटरों पीढ़ी सम्भवतः एक महत्त्वपूर्ण चर्चा का विषय है। आइए जानते हैं कि कम्प्यूटर की विभिन्न पौड़ियाँ, उनके काल, उन पीढ़ियों के मुख्य विकास तथा विशेषताएं क्या-क्या है ?

    (What are the different generations of computer and their period, main invention and characteristics ?)

    सन् 1946 में प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, वैक्यूम ट्यूब ( Vacuum tube) युक्त एनिएक (ENIAC) कम्प्यूटर की शुरूआत कम्प्यूटर के विकास को एक आधार प्रदान किया।

    कम्प्यूटर के विकास के इस क्रम में कई महत्वपूर्ण डिवाइसेज की सहायता से कम्प्यूटर ने आज तक की तय की। इस विकास के क्रम को हम कम्प्यूटर में हुए मुख्य परिवर्तन के आधार पर निम्नलिखित पाँच पीढ़ियों में बाँटते हैं

    • First generation: 1946-1946
    • Second generation: 1956-1964
    • Third generation: 1964-1971
    • Fourth generation: 1971 To Present
    • Fifth generation: Present and future

  • Ring Topology kya hai?

    रिंग टोपोलॉजी में प्रत्येक डिवाइस इसके दोनों तरफ ये डिवाइसेस से कनेक्टेड रहती हैं। एक डिवाइस में इसके दोनों तरफ पॉइंट-टू-पॉइन्ट लिंक होती है। यह स्ट्रक्चर एक रिंग बनाता है,

    इस प्रकार इसे रिंग टोपोलॉजी के रूप में जाना जाता है। यदि कोई डिवाइस किसी अन्य डिवाइस पर डेटा सेंड करना चाहती है, तो वह डेटा को एक ही डायरेक्शन में सेंड करती है, और यदि अन्य डिवाइस से डेटा इन्टेड होता है, तो रिपिटर इस डेटा को तब तक फॉरवर्ड करता रहता है जब तक इन्टेंडेड डिवाइस इसे रिसिव नहीं करती है।

    रिंग टोपोलॉजी के लाभ-

    1. इन्स्टॉल करना आसान है।

    2. टोपोलॉजी में किसी डिवाइस को एड या रिमूव करने के रूप में मैनेज करना आसान है। इस हेतु केवल दो ि को चेन्ज करने की आवश्यकता होती है।

    रिंग टोपोलॉजी की हानियाँ

    1. एक लिंक फैल्योर सम्पूर्ण नेटवर्क को फैल कर सकती है क्योंकि फैल्योर के कारण सिंग्नल करता है।

    2. डेटा ट्रैफिक की समस्या है, क्योंकि सारा डेटा एक ही रिंग में सर्क्यूलेट होता है।

  • Mesh Topology kya hai?

    मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक डिवाइस डेडिकेटेड पॉइंट-टू-पाइंट लिंक के माध्यम से नेटवर्क पर हर दूसरी डिवाइस से कनेक्टेड होता है।

    जब हम इसे डेडिकेटेड कहते हैं, तो इसका अर्थ है कि लिंक केवल दो कनेक्टेड डिवाइसेस के लिये डेटा कैरी करती है। मान लेते हैं कि हमारे पास नेटवर्क में n डिवाइसेस हैं, तो प्रत्येक डिवाइस को नेटवर्क की (n-1) डिवाइसेस के साथ कनेक्ट किया जाना चाहिये। n डिवाइसेस की मेश टोपोलॉजी में लिंक की संख्या n(n-1)/2 होगी।

  • Brouter kya hai?

    ब्राउटर को ब्रिजिंग राउटर भी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य राउटर तथा ब्रिज और राउटर की विशेषताओं को संयोजित करना है। यह नेटवर्क लेयर या डेटा लिंक लेयर पर कार्य करता है।

    जब यह एक राउटर के रूप में कार्य करता है, तो इसका उपयोग नेटवर्क में पैकेट जो राउट करने के लिये किया जाता है, जबकि यह ब्रिज के रूप में फिल्टर करने के लिये किया जाता है।

  • Gateway Kya Hai

    गेटवे

    आमतौर पर, गेटवे OSI मॉडल में सेशन तथा ट्रांसपोर्ट लेयर्स पर परफॉर्म करता है। गेटवे OSI (ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन) तथा TCP/IP जैसी नेटवर्किंग टेक्नोलॉजीस के बीच कन्वर्शन प्रदान करते हैं।

    इस कारण, ये दो या अधिक ऑटोनोमस नेटवर्क्स से कनेक्टेड होते हैं, जहाँ प्रत्येक नेटवर्क की अपनी डोमेन नेम सर्विस, राउटिंग एल्गोरिदम, ट्रोपोलॉजी, प्रोटोकॉल तथा नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन और पॉलिसीज के प्रोसीजर्स होते हैं।

    गेटवे राउटर के सभी फंक्शन्स को एक्जिक्यूट करते हैं। दरअसल, गेटवे एक एडिशनल कंवर्शन फंक्शनालिटी वाला राउटर है, इसलिये विभिन्न नेटवर्क टेक्नोलॉजिस के बीच कंवर्शन को प्रोटोकॉल कन्वर्टर के रूप में जाना जाता है।