Author: Ram

  • Electronic Mail (e-mail) Kya Hai?

    इलेक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल)

    इलेक्ट्रॉनिक मेल (ईमेल) इन्टरनेट या इन्ट्रानेट कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से मैसेजेस का आदान-प्रदान करने का एक डिजिटल मैकेनिज्म है। ईमेल मैसेजेस को ईमेल सर्वर के माध्यम से रिले किया जाता है, जो सभी इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) द्वारा प्रदान किये जाते हैं।

    ईमेल दो डेडिकेटेड सर्वर फोल्डर्स के बीच ट्रांसमिट किये जाते हैं, सेंडर तथा रिसिपेंट। सेंडर ईमेल मैसेजेस को सेव, सेंड या फॉरवर्ड करता है, जबकि रिसिपेंट ईमेल सर्वर को एक्सेस करके ईमेल्स को रिड या डाउनलोड करता है।

    ईमेल मैसेजेस में तीन कम्पोनेन्ट्स सम्मिलित होते हैं, जो इस प्रकार हैं-

    मैसेज एन्वलप- ईमेल के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट का वर्णन करता है।

    मैसेज हेडर- इसमें सेंडर/रिसिपेन्ट इन्फॉर्मेशन तथा ईमेल सब्जेक्ट सम्मिलित होता है।

    मैसेज बॉडी- इसमें टेक्स्ट, इमेज तथा फाल अटेचमेन्ट सम्मिलित होता है।

  • World Wide Web ki Applications kya hai?

    www की एप्लीकेशन्स

    वेब, वर्ल्ड वाइड वेब का सामान्य नाम है। यह इन्टरनेट का वह सबसेट है, जिसमें वेब ब्राउजर द्वारा एक्सेस किये जाने वाले पेजेस होते हैं। बहुत से लोगों का यह मानना है कि वेब इन्टरनेट के समान है, और इन टर्म्स का परस्पर उपयोग करते हैं। हालांकि, इन्टरनेट शब्द वास्तव में सर्वर्स के ग्लोबल नेटवर्क को रेफर करता है, जो वेब पर होने वाली इन्फॉर्मेशन को शेयर करना संभव बनाना है। इसलिये, यद्यपि वेब इन्टरनेट का लार्ज पोर्टल बनाता है, लेकिन ये दोनों समान नहीं है।

    वेब पेजेस को हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (HTML) नामक लैंग्वेज में फॉर्मेट किया जाता है। यह लैंग्वेज युजर्स को लिंक के माध्यम से वेब पर पेजेस पर डेटा के ट्रांसमिट करने तथा इन्फॉर्मेशन शेयर करने के लिये हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (HTTP) का उपयोग करता है। इन्टरनेट एक्सप्लोरर, गूगल क्रोम या मोजिला फायरफॉक्स जैसे ब्राउजर्स का उपयोग वेब डॉक्यूमेन्ट्स या वेब पेजेस को एक्सेस करने के लिये किया जाता है, जो लिक के माध्यम से कनेक्टेड होते हैं।

    वेब इन्टरनेट पर शेयर किये जाने वाले तरीकों में से एक हैं, अन्य ई मेल, इन्टरनेट मैसेजिंग तथा फाइल ट्रांसफल प्रोटोकॉल (FTP) सम्मिलित हैं।

  • World Wide Web ka Itihaas kya hai?

    वर्ल्ड वाइड वेब का इतिहास

    वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार सन् 1989 में एक ब्रिटिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स-ली ने किया था। वे उस समय CERN में काम करते थे। मूल रूप से, यह दुनियाभर के वैज्ञानिकों के बीच ऑटोमेटेड इन्फॉर्मेशन शेयर करने की आवश्यकता को पूरा करने के लिये उनके द्वारा विकसित किया गया था, ताकि वे एक-दूसरे के साथ अपने एक्सपेरिमेन्ट्स तथा स्टडीज के डेटा तथा रिजल्ट्स को आसानी से शेयर कर सकें।

    CERN, जहाँ टिम बर्नर्स ने काम किया, 100 से अधिक देशों के 1700 से अधिक वैज्ञानिकों की कम्यूनिटी है। ये वैज्ञानिक CERN साइट पर कुछ समय बिताते थे और बाकी समय वे अपनी यूनिवर्सिटीज तथा अपने देश में नेशनल लेबोरेटरीज में काम करते थे, इसलिए रिलाएबल कम्युनिकेशन टूल्स की आवश्यकता थी, ताकि वे इन्फॉर्मेशन का आदान- प्रदान कर सकें।

    इस समय इन्टरनेट तथा हाइपरटेक्स्ट उपलब्ध थे, लेकिन किसी ने भी यह नहीं सोचा कि एक डॉक्यूमेन्ट को दूसरे से लिंक करने या शेयर करने के लिये इन्टरनेट का उपयोग कैसे किया जाए। टिन ने तीन मेन टेक्नोलॉजीस पर ध्यान केन्द्रित किया, जो कम्प्यूटर को एक-दूसरे, HTML, URL तथा HTTP को समझने में सक्षम बना सकें। इसलिये, www आविष्कार के पीछे का उद्देश्य रिसेन्ट कम्प्यूटर टेक्नोलॉजिस, डेटा नेटवर्क्स तथा हाइपरटेक्सट को युजर फ्रेंडली तथा इफेक्टिव ग्लोबल इन्फॉर्मेशन सिस्टम में कम्बाइन करना था।

  • World Wide Web (www) kya hai

    वर्ल्ड वाइड वेब (www)

    वर्ल्ड वाड वेब (www) जिसे वेब के रूप में भी जाना जाता है, वेबसाइट्स या वेब पेजेस का कलेक्शन है, जिसे

    वेब सर्वर में स्टोर किया जाता है और इन्टरनेट के माध्यम से लोकल कम्प्यूटर्स से कनेक्टेड होता है। इन वेबसाइट्स में टेक्स्ट पेजेस, डिजिटल इमेजेस, ऑडियोज विडियोज आदि सम्मिलित होते हैं। यूजर्स इन साइट्स के कन्टेन्ट को कम्प्यूटर, लैपटॉप, सेल फोन आदि जैसी डिवाइसेस का उपयोग करके इन्टरनेट पर दुनिया के किसी भी हिस्से में प्राप्त कर सकता है। www इन्टरनेट के साथ आपकी डिवाइस पर टेक्स्ट तथा मीडिया के रिट्राइवल तथा डिस्प्ले को दर्शाता है।

    वेब पेजेस, वेब के बिल्डिंग ब्लॉक्स है, HTML (हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैग्वेज) में फॉरमेटेड होते हैं और “हाइपरटेक्स्ट” था हाइपरलिक नामक लिंक्स से कनेक्टेड होते हैं, साथ ही HTTP (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल) द्वारा एक्सेस किये जाते हैं। ये लिक्स इलेक्ट्रॉनिक कनेक्शन्स हैं, जो इन्फॉर्मेशन के रिलेटेड पीसेस को कनेक्ट करते हैं, ताकि यूजर्स डिजायर्ड इन्फॉर्मेशन को एक्सेस कर सकें। डायरेक्टर टेक्स्ट से एक शब्द या वाक्यांश को सिलेक्ट करने और इस प्रकार उस शब्द या वाक्यांश से सम्बन्धित एडिशनल इन्फॉर्मेशन प्रदान करने वाले अन्य पेजेस को एक्सेस करने का लाभ प्रदान करता है।

    वेब पेज को एक ऑनलाइन एड्रेस दिया जाता है, जिसे यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL) कहा जाता है। एक विशिष्ट URL से सम्बन्धित वेब पेजेस का एक पर्टिकुलर कलेक्शन वेबसाइट कहलाती हैं, जैसे- www.facebook.com, www.google.com आदि। इस प्रकार, वर्ल्ड वाइड वेब एक विशाल इलेक्ट्रॉनिक बुक की तरह है, जिसके पेजेस दुनियाभर में सर्वर्स में स्टोर्ड है।

    छोटी वेबसाइट्स अपने सभी वेब पेजेस को एक ही सर्वर पर स्टोर करती है, लेकिन बड़ी वेबसाइट्स या ऑर्गेनाइजेशन्स अपने वेब पेजेस को अलग-अलग देशों में अलग-अलग सर्वर्स पर रखते हैं, ताकि जब किसी देश के यूजर्स अपनी साइट पर सर्च करें, तो उन्हें नजदीकी सर्वर से इन्फॉर्मेशन प्राप्त हो सके।

    इसलिये, वेब यूजर्स को इन्टरनेट पर इन्फॉर्मेशन प्राप्त करने और आदान-प्रदान करने के लिये कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। एक बुक के विपरीत, जहाँ हम एक पेज अन्य सिक्वेन्स में जाते हैं, तो वर्ल्ड वाइड वेब पर हम एक वेब पेज पर जाने के लिये हाइपरटेक्स्ट लिंक को फॉलो करते हैं और उस वेब पेज से अन्य वेब पेज पर जाते हैं। आपको वेब को एक्सेस करने के लिये ब्राउजर की आवश्यकता होती है, जो आपके कम्प्यूटर पर इन्स्टॉल रहता है।

  • URL ke Parts aur Components kya hai

    URL के पार्ट्स / कम्पोनेन्ट्स

    1. प्रोटोकॉल या स्कीम इसका उपयोग इन्टरनेट पर रिसोर्स को एक्सेस करने के लिये किया जाता है। प्रोटोकॉल में http, https, ftps, mailto तथा file सम्मिलित है। डोमेन नेम सिस्टम (DNS) नाम के माध्यम से रिसोर्स तक पहुँच जाता है। इस उदाहरण में प्रोटोकॉल https है।

    2. होस्ट नेम या डोमेन नेमः एक यूनिक रेफरेन्स जो वेबपेज को रिप्रेजेन्ट करता है। इस उदाहरण में whatis.example.com डोमेन नेम है।

    3. पोर्ट नेमः आमतौर पर URL में दिखाई नहीं देता है, लेकिन नेसेसरी है। हमेशा एक कॉलम के बाद, पोर्ट 80 वेब सर्वर के लिये डिफॉल्टर पोर्ट है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य ऑप्शन्स है। उदाहरण के लिये, port

    4. पाथः पाथ, वेब सर्वर पर फाइल या लोकेशन को रेफर करता है। इस उदाहरण में serch query

    5. क्वेरी: डायनेमिक पेजेस के URL में पाई जाती है। क्वेरी में प्रश्नवाचक चिन्ह को संदर्भित करती है, जो पैरामीटर्स 80. को फॉलो करती है। उदाहरण के लिये, ‘?’

    6. पैरामीटर्स: किसी URL की क्वेरी स्ट्रिंग में इन्फॉर्मेशन के टुकड़े कई पैरामीटर्स को एम्परसेंड्स () द्वारा सेपरेट किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, q URLIहै।

    7. फ्रेगमेन्टः यह एक इंटर्नल पेज रेफरेन्स है, जो वेबपेज के भीतर एक सेक्शन को रेफर करता है। यह URL के अंत में प्रदर्शित होता है और हैशटेग (# ) से शुरु होता है। यद्यपि हमारे उदाहरण में यह नहीं है, लेकिन http://en.example.org/abcd/lternet/ #History में #History फ्रेगमेन्ट का उदाहरण हो सकता है।

  • Internet ki haniyan kya hai?

    इन्टरनेट की हानियाँ

    1. इन्फॉर्मेशन लॉस– हमारी महत्वपूर्ण इन्फॉर्मेशन या को महत्वपूर्ण फाइल आसानी से हैकर्स द्वारा हैक की जा सकती हैं। हमारे द्वारा स्टोर की जाने वाली डिटेल्स की सिक्योरिटी का कोई सबूत नहीं है, जैसे- अकाउंट नम्बर्स, पासवर्ड्स आदि, इसलिये, सेसिटीव इन्फॉर्मेशन को युजर्स द्वारा सावधानीपूर्वक स्टोर किया जाना चाहिये।

    2. स्पैम- अनावश्यक ईमेल्स, एड्वरटाइजमेन्ट्स को कभी-कभी स्पैम कहा जाता है, क्योंकि उनमें सिस्टम को धीमा करने और यूज़र्स को बहुत सारी समस्याओं का सामना करने की क्षमता होती है। स्पैम ईमेल्स भ्रम पैदा करते हैं, क्योंकि उनके साथ महत्वपूर्ण ईमेल्स भी स्टोर किये जाते हैं।

    3. वायरस अटैक्स– मालवेयर या वायरस का खतरा इतना घातक होता है, जो सिस्टम को वृहद रूप से प्रभावित करता है। यह तुरंत सभी फाइल्स को डिलिट कर देता है और सिस्टम को क्रश करने का कारण बन जाता है। वायरस अटैक तीन तरह से संभव है। पहला, यह सिलेक्टेड फाइल्स पर अटैक करता है। दूसरा, यह एक्जिक्यूटेबल बूट फाल्स को क्षति पहुँचाता है, और इन सभी में सबसे खतरनाक मैको वायरस है, जो फाल्स के सभी पार्ट्स को रेप्लिकेट जो फाइल्स के सभी पट्स को रेप्लिकेट तथा एक्सपांड करने की क्षमता रखता है।

    4. वर्चुअल वर्ल्ड- इन्टरनेट का उपयोग करने वाले लोग वर्चुअल तथा रियल वर्ल्ड के बीच के अंतर को भूल चुके हैं। इससे लोग बहुत जल्द ड्रिपेस हो जाते हैं और उनमें सामाजिक अलगाव तथा मोटापे की समस्या पैदा हो जाती है। मोटापा किसी भी फिजिकल एक्सरसाइज की कमी के कारण होता है। इसलिये इंटरनेट के बजाय बाहर जाकर खेलना तथा एक्सरसाइज करना बेहतर है।

    5. मनी फ्रॉड्स- ऑनलाइन बिजनेस, वर्चुअल शॉप्स तथा क्रेडिट कार्ड के उपयोग की शुरुआत के साथ अब बाजार जाने के बिना चीजों को खरीदना बेहद आसान हो गया है। वैध साइट्स के अलावा कुछ अन्य सोशल मीडिया एडवरटाइजिंग साइट्स भी है, जो पैसो की धोखाधड़ी करती है। ये साइट्स आपकी पर्सनल इन्फॉर्मेशन, क्रेडिट कार्ड डिटेल्स और यहाँ तक कि पिन कोड भी प्राप्त करने की कोशिश करती हैं। एक बार जब उन्हें इन्फॉर्मेशन प्राप्त हो जाती है, आप आसानी से मनी फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं।

    6. ऑनलाइन ब्रेटनिंग वा हेरेसमेन्ट- यदि कोई आपकी पर्सनल आईटी या ईमेल एड्रेस प्राप्त करने की कोशिश करता है, तो चैट सम, ऑनलाइन मैसेजेस तथा ईमेल के माध्यम से परेशान (हैरेस) करना आसान हो जाता है।

  • Internet ke Labh kya hai

    इन्टरनेट के लाभ इस प्रकार है-

    1. कम्युनिकेशन- इन्टरनेट का मुख्य लाभ किसी भी अन्य डिवाइस की तुलना में तेज कम्युनिकेशन है। यह एक इंस्टेंट प्रोसेस हैं। इन्टरनेट का उपयोग करके वीडियो ई-कॉल्स, ईमेल्स आदि के रूप में कम्युनिकेशन संभव है। यह समस्त विश्व में सुलभ है। इसलिये, वैश्विक मुद्दों से निपटना विश्व के विभिन्न हिस्सों के लीडर्स के साथ आसान हो गया है, ताकि वे इसे हल कर सके।

    2. इन्फॉर्मेशन – इन्टरनेट नॉलेज का सॉर्स है। यह लगभग सभी चीजों के बारे में इन्फॉर्मेशन्स प्राप्त कर सकता है। यह आसानी से उन प्रोसेस तक पहुँच सकता है, जो आपको किसी विषय पर एडिशनल नॉलेज देता है। एजुकेशन सम्बन्धित, गवर्नमेन्ट लॉज, स्टॉक्स तथा शेयर्स, नए क्रिएशन्स आदि की फ्री इन्फॉर्मेशन एक ही स्थान पर प्राप्त हो जाती है।

    3. लर्निंग- इन्टरनेट एजुकेशन का हिस्सा बन गया है। होम स्कूलिंग जैसा एजुकेशन इन्टरनेट का उपयोग करके आसानी से किया जा सकता है। रिचर्स अपने टिचिंग वीडियोज इन्टरनेट पर अपलोड कर सकते हैं और समस्त विश्व के लोगों द्वारा एक्सेस किये जा सकते हैं, जो सभी छात्रों के लिये सहायक है। इन्टरनेट पर मार्क्स भी रिलिज किये जा सकते हैं, क्योंकि नोटिस बोर्ड पर सम्पूर्ण इंस्टिट्यूशन के लिये मार्क्स रिलिज करने में अराजकता होगी।

    4. एंटरटेनमेन्ट- आज इन्टरनेट एंटरटेनमेन्ट का सबसे लोकप्रिय साधन है। मूवीज, सॉन्ग्स, विडियोज, गेम्स आदि विभिन्न वेबसाइट्स पर फ्री में उपलब्ध है। इंटरनेट का उपयोग करके सोशल नेटवर्किंग भी सम्भव है। इसलिये ऐसे बहुत सारे एंटरटेनमेन्ट के उदाहरण हैं, जो सभी के लिये आसान एक्सेबिलिटी के साथ ऑनलाइन उपलब्ध है।

    5. सोशल नेटवर्क– सोशल नेटवर्किंग दुनियाभर के लोगों के साथ इन्फॉर्मेशन का आदान-प्रदान है। यह एंटरटेनमेन्ट बेबसाइट होने के अलावा भी इसके कई उपयोग है। कोई भी जॉब वेकेन्सी, इमरजेन्सी न्यूज, आइडियाज आदि को वेबसाइट पर शेयर किया जा सकता है और इन्फॉर्मेशन को जल्द ही विस्तृत क्षेत्र में पास किया जा सकता है। इसके अलावा, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का उपयोग आसान कम्युनिकेशन के लिये भी किया जाता है। उदाहरण के लिये, फेसबुक, ट्विटर तथा इंस्टाग्राम कुछ लोकप्रिय नेटवर्किंग साइट्स हैं।

    6. ई-कॉमर्स- सभी बिजनेस डिल्स इंटरनेट पर शिफ्ट होने लगी हैं, जैसे- पैसों का लेन-देन आदि और इस प्रकार ई-कॉमर्स का विकास हुआ। मूवीज़ के लिये ऑनलाइन टिकट बुकिंग आदि आसानी से किया जा सकता है। ऑनलाइन शॉपिंग अब इन्टरनेट वर्ल्ड का लेटेस्ट ट्रैड है, यहाँ कपड़ों से लेकर घरेलू फर्नीचर तक के प्रोड्क्ट्स घर बैठे उपलब्ध हैं।

  • Internet kya hai?

    इंटरनेट का परिचय (Internet)

    इन्टरनेट एक ग्लोबल कम्युनिकेशन सिस्टम है, जो हजारों इन्डिविजुअल नेटवर्क्स को एक साथ लिंक करता है। यह एक नेटवर्क पर दो या अधिक कम्प्यूटर्स के बीच इन्फॉर्मेशन का आदान-प्रदान करने की अनुमति प्रदान करता है। इस प्रकार इन्टरनेट, मेल, चैट, वीडियो तथा ऑडियो कॉन्फ्रेन्स आदि के माध्यम से मैसेजेस को ट्रांसफर करने में सहायता करता हैं। यह दिन-प्रतिदिन की एक्टिविटीज के लिये अनिवार्य हो गया है, जैसे- बिलों का भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग तथा सर्फिंग, ट्यूटरिंग, वर्किंग, साथियों के साथ बातचीत करना आदि।

    अन्य शब्दों में, इन्टरनेट इन्टरकनेक्टेड कम्प्यूटर नेटवर्क का एक ग्लोबल सिस्टम है, जो समस्त विश्व में कई आव डिवाइसेस को लिंक करने के लिये स्टैन्डर्ड इन्टरनेट प्रोटोकॉल सूट (TCP/IP ) का उपयोग करता है। यह नेटवर्क्स का नेटवर्क है, जिसमें लाखों प्राइवेट, पब्लिक, एकेडमिक, बिजनेस तथा गवर्नमेन्ट नेटवर्क्स होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक, वायरलेस तथा ऑप्टिकल नेटवर्किंग टेक्नोलॉजी से लिंक्ड लिग होते है।

    इन्टरनेट, इन्फॉर्मेशन रिसोर्सेस तथा सर्विसेस की एक विस्तृत श्रृंखला, जैसे कि इंटर-लिंक किये गए हाइपरटेक्सट डॉक्यूमेन्ट्स तथा वर्ल्ड वाइड वेब (www) की एप्लीकेशन, ईमेल को सर्पोट करने के लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा फाइल शेयरिंग और टेलीफोनी के लिये पीयर-टू-पीयर नेटवर्क का संचालन करता है।

    1960 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका की गवर्नमेन्ट द्वारा कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ रॉबस्ट तथा फॉल्ट टॉलरेन्ट कम्युनिकेशन की उत्पत्ति हुई। यह कार्य, यूनाइटेड किंगडम् तथा फ्रांस के प्रयासों से संयुक्त राज्य अमेरिका में प्राइमरी मिकसर नेटवर्क, ARPANET के नेतृत्व में किया गया था। 1980 के दशक में रिजनल एकेडमिक नेटवर्क का इन्टरकनेक्शन, मॉडर्न इन्टरनेट के लिये ट्रांजिशन की शुरुआत का प्रतीक है।

    1980 के दशक में नेशनल साइंस फाउंडेशन द्वारा एक नए अमेरिकी बैकबोन की फंडिंग साथ ही अन्य कमर्शियल बैकबोन्स की फंडिंग, नई नेटवर्किंग टेक्नोलॉजीस के विस्तृत में समस्त विश्व में भागीदारी तथा कई नेटवर्क्स के विलय के परिणामस्वरूप हुई। यद्यपि, 1980 के दशक से इन्टरनेट का व्यापक रूप से एकेडमिया द्वारा उपयोग किया जाता रहा है,

    लेकिन 1990 के दशक में एक इन्टरनेशनल नेटवर्क के कमर्शियलाइजेशन ने इसके लोकप्रियकरण तथा मानव जीवन के लगभग हर पहलू को शामिल किया। 1990 के दशक की शुरुआत से नेटवर्क ने इंस्टिट्यूशनल, पर्सनल तथा मोबाइल कम्प्यूटर्स की जनरेशन्स के रूप में निरंतर एक्स्पोनेन्शियल ग्रोथ का अनुभव किया। 2014 तक विश्व की 38 प्रतिशत मानव आबादी ने पिछले सालों के भीतर इन्टरनेट सर्विसेस का उपयोग किया है।

    इस वर्ष तक 1995 की तुलना में 100 गुना लोगों ने इसका उपयोग किया। इन्टरनेट का उपयोग 1990 के मध्य से 2000 के दशक के अंत तक विकासशील विश्व में प्रस्तुत करने के लिये तेजी से बढ़ा।

  • Ring Topology kya hai?

    रिंग टोपोलॉजी में प्रत्येक डिवाइस इसके दोनों तरफ ये डिवाइसेस से कनेक्टेड रहती हैं। एक डिवाइस में इसके दोनों तरफ पॉइंट-टू-पॉइन्ट लिंक होती है। यह स्ट्रक्चर एक रिंग बनाता है,

    इस प्रकार इसे रिंग टोपोलॉजी के रूप में जाना जाता है। यदि कोई डिवाइस किसी अन्य डिवाइस पर डेटा सेंड करना चाहती है, तो वह डेटा को एक ही डायरेक्शन में सेंड करती है, और यदि अन्य डिवाइस से डेटा इन्टेड होता है, तो रिपिटर इस डेटा को तब तक फॉरवर्ड करता रहता है जब तक इन्टेंडेड डिवाइस इसे रिसिव नहीं करती है।

    रिंग टोपोलॉजी के लाभ-

    1. इन्स्टॉल करना आसान है।

    2. टोपोलॉजी में किसी डिवाइस को एड या रिमूव करने के रूप में मैनेज करना आसान है। इस हेतु केवल दो ि को चेन्ज करने की आवश्यकता होती है।

    रिंग टोपोलॉजी की हानियाँ

    1. एक लिंक फैल्योर सम्पूर्ण नेटवर्क को फैल कर सकती है क्योंकि फैल्योर के कारण सिंग्नल करता है।

    2. डेटा ट्रैफिक की समस्या है, क्योंकि सारा डेटा एक ही रिंग में सर्क्यूलेट होता है।

  • Mesh Topology kya hai?

    मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक डिवाइस डेडिकेटेड पॉइंट-टू-पाइंट लिंक के माध्यम से नेटवर्क पर हर दूसरी डिवाइस से कनेक्टेड होता है।

    जब हम इसे डेडिकेटेड कहते हैं, तो इसका अर्थ है कि लिंक केवल दो कनेक्टेड डिवाइसेस के लिये डेटा कैरी करती है। मान लेते हैं कि हमारे पास नेटवर्क में n डिवाइसेस हैं, तो प्रत्येक डिवाइस को नेटवर्क की (n-1) डिवाइसेस के साथ कनेक्ट किया जाना चाहिये। n डिवाइसेस की मेश टोपोलॉजी में लिंक की संख्या n(n-1)/2 होगी।