(FAT) का पूरा नाम File Allocation Table है, इसका प्रयोग कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क में फाइल को भण्डारण (store) करने एवं भण्डारण किये गये डाटा फाइलों को प्राप्त करने में किया जाता है. FAT वास्तव में हार्ड डिस्क को बाइट्स के गुच्छों में बाट देता है। और फिर उनमें Bit By Bit फाइलों को store करता है। इसे क्लस्टर (cluster) कहते हैं। फाइल के store होने के समय जो पहला क्लस्टर प्रयोग किया जाता है वह Root Directory से लिया जाता है.
और यदि फाइल का आकार क्लस्टर से ज्यादा हो तो भण्डारण अगले क्लस्टर की ओर बढ़ा दिया जाता है, किन्तु पिछले वाले क्लस्टर में आगे वाले क्लस्टर का पता होता है, जिससे उसे पहचाना जाता है। FAT ही इन क्लस्टर को जोड़कर एक फाइल का निर्माण करता है.
यदि FAT में Entry Zero है तो क्लस्टर free है, और इसके अलावा यदि अन्य कोई अंक है तो इसका तात्पर्य है कि वह अभी प्रयोग में है। Windows 98 से पूर्व FAT 16 प्रणाली का प्रयोग किया जाता था किन्तु अब FAT 32 प्रणाली का प्रयोग किया जाता है.
Batch File Executable file (करणीय फाइल) होती है, जिसका तात्पर्य है कि यह क्रियान्वित (Execute) करने के लिये प्रयोग की जाती है। बैच फाइल का Extension. BAT होता है, Dos के लिये एक विशेष बैच फाइल होती है, जिसे AUTOEXECUTE.BAT कहते हैं? चूँकि यह स्वतः क्रियान्वित होती है। इसलिये इसे autoexecute file की संज्ञा दी गई है। इसके अन्दर डॉस के सभी निर्देश होते हैं, जब कम्प्यूटर बूट होता है। हर बार यह डिस्क पर इस file को ढूंढ़ता है और इसके अन्दर लिखे निर्देशों को स्वतः क्रियान्वित करता है.
Dos के अन्दर बैच फाइल का निर्माण करने के लिये कम्प्यूटर की एक विशेष कमाण्ड copy.con का प्रयोग करते हैं। तथा Extension के लिये BAT जोड़ते हैं.
इसका syntax निम्न प्रकार है
Syntax- C:\> copycon TEST.BAT
PATH = C:\>WINDOS
इसके बाद ctrl + ‘z’ की (key) एक साथ दबाकर इसे save कर लेते हैं.
इसे execute करने के लिये इसका नाम (Test_BAT) लिखकर ENTER key दबाते हैं.
Directory– डायरेक्ट्री फाइलों का एक कलेक्शन है, जिसमें विशेष प्रकार की कई काइलें एक साथ रखी जाती हैं। उदाहरण के लिये जिस प्रकार ऑफिस में विभिन्न प्रकार के पत्र, लेख, दस्तावेज, ऑर्डर, फार्म इत्यादि अलग-अलग प्रकार की फाइलों में सुरक्षित रखे जाते हैं। और फिर इन फाइलों को आसानी से प्राप्त करने के लिये किसी ड्रावर या कैबिनेट में रखते हैं। उसी प्रकार डॉस में इन फाइलों को सुरक्षित रखते हैं, जिसे डायरेक्ट्री कहते हैं.
Files– जब हम किसी एप्लिकेशन प्रोग्राम की सहायता से किसी Document को तेयार करते हैं तो उसे सुरक्षित करने के लिये एक विशेष Extension देना होता है। जैसे MSWord में तैयार की गई फाइलों का Extension.doc होता है। फोटोशॉप में तैयार फोटो का Extension.psd होता है। इन अलग-अलग प्रकार के document को फाइलें कहते हैं.
Rules For Creating a Filename
फाइलों के नाम को बनाने के निम्न भाग होते हैं.
(A) फाइल का आइडेन्टिकल (पहचान वाला) नाम.
(B) फाइल का विस्तारित नाम (Extension) डॉट-ऑपरेटर के द्वारा इन दोनों नामों को जोड़ा जाता है।.
2. एक्सटेंशन छोड़कर फाइल के नाम में 1-8 तक अक्षर हो सकते हैं.
3.एक्सटेंशन नाम में 0-3 अक्षर हो सकते हैं.
4. डॉट-ऑपरेटर के बाद में और पहले खाली जगह नहीं छोड़ी जाती है.
5. फाइलों के नाम में symbols (विशेष चिन्ह) जैसे-&, $, [, ], <, >, इत्यादि का प्रयोग नहीं कर सकते हैं.
Operating System सिस्टम विभिन्न प्रकार की फाइलों का एक सुव्यवस्थित संगठन होता है, जिसे सामान्य भाषा में Software कहते हैं यह वह सॉफ्टवेयर होता है जो कि कंप्यूटर तैयार करते समय सबसे पहले कंप्यूटर पर लोड किया जाता है, बिना इसकी सहायता के हम किसी भी कार्य को संपन्न नहीं कर सकते हैं, इसको लोड करने के बाद ही हम अन्य प्रोग्राम Computer पर लोड कर सकते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर पटर पेरीफेरल, Input, Output Devices, CPU, Memory इत्यादि को संचालित करता है। और इनके द्वारा किये गये कार्यों को नियंत्रित करता है। बाजार में डॉस. विण्डोज (98, 2000, 12000, Me, NT/4.0, XP और Vista), Linux इत्यादि ऑपरेटिंग सिस्टम प्रचलन में है.
ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य.
1. इसका मुख्य कार्य की-बोर्ड से प्राप्त इनपुट की पहचान करना है और आउटपुट को मोनिटर स्क्रीन पर भेजना है.
2. ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोसेस करने के लिये इकट्ठे हुये कार्यों का उनकी प्राथमिकता के आधार पर प्रबंधन करता है.
3. ऑपरेटिंग सिस्टम, हार्ड डिस्क में स्टोर डेटा को प्रोसेस करने के लिये आगे बढ़ाता है। और आउटपुट को आवश्यकतानुसार हार्ड डिस्क पर स्टोर करता है.
4. ऑपरेटिंग सिस्टम, विशेष कार्यों के लिये मेमोरी का मेनेजमेन्ट करता है जो कि कार्यों के आधार पर मेमोरी की क्षमता को कम या ज्यादा भी करता है.
5. ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लिकेशन प्रोग्रामों के संचालन के लिये प्रबंधन करता है और प्राप्त होने वाले निर्देशों के अनुसार कम्प्यूटर पेरीफेरल को व्यवस्थित रूप से तैयार करता है.
6. ऑपरेटिंग सिस्टम, एक साथ प्रयोग किये जाने वाले कई एप्लिकेशन प्रोग्रामों को एक्सेस और एक-दूसरे में दखल अंदाजी से बचाता है.
7. ऑपरेटिंग सिस्टम, का मुख्य कार्य कार्यों की सुरक्षा करना और उनका प्रबंधन करना भी है ताकि अनाधिकृत यूजर उसे एक्सेस न कर सकें.
ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेअर का वह संगठन/समूह होता है जो कम्यर के सभी ऑपरेशन को नियन्त्रित करता है, ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रोग्राम होता है, जो कम्प्यूटर चलाने वाले को कम्प्यूटर हार्डवेयर से जोड़ता है। ऑपरेटिंग सिस्टम में मूल निर्देश (Instructions) होते हैं। यह हार्डवेयर का प्रयोग करता है.
एप्लीकेशन प्रोग्राम के अनुसार हम कम्प्यूटर को निम्नलिखित चार भागों में बाँट सकते हैं.
Hardware
Operating System
Application Program
User
चित्र के अनुसार कम्प्यूटर हार्डवेअर को प्रयोग करने के लिये ऑपरेटिंग सिस्टम माध्यम का काम करता है.
Operating System के उद्देश्य
सुविधा– ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर को उपयोग करने के लिये और सरल बनाता है, जिससे यूजर सीधे हार्डवेअर से जुड़ जाता है और स्वयं निर्देश नहीं लिखन पड़ते.
क्षमता– ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के द्वारा सारे रिसोर्सेज प्रिंटर तथा स्कैनर को अधिक अच्छे प्रकार से उपयोग कर सकते हैं.
Operating System के कार्य
प्रोग्राम को चलाना– प्रोग्राम को चलाने से पहले कई कार्य करने आवश्यक होते हैं जैसे उसका मेमोरी में लोड होना इनपुट आउटपुट डिवाइस को जोड़ना और अन्य सारी डिवाइसों को जोड़ना ऑपरेटिंग सिस्टम यह सभी कार्य करता है.
प्रोग्राम– बनाना ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत सी सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करता है तथा प्रोग्राम बनाने में प्रोग्रामर की मदद करता है.
इनपट और आउटपुट डिवाइसेस का उपयोग करना– कम्प्यूटर को उपयोग वाला, इनपुट और आउटपुट डिवाइसस को आपरेटिंग सिस्टम की मदद उपयोग कर सकता है। प्रत्येक डिवाइस का एक स्पेशल सिग्नल होता है. जिया डिवाइस चुनी जाती है। इन सिग्नल की जानकारी ऑपरेटिंग सिस्टम ही रखता है.
Operating System सिस्टम का कम्प्यूटर में उपयोग
सुरक्षा प्रदान करना– ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर को सुरक्षा प्रदान करता है। जब बहुत से यूजर्स एक ही कम्प्यूटर को उपयोग करते हैं तो आपरेटिंग सिस्टम के Id और पासवर्ड देता है, जिससे कोई अज्ञात यूज़र इस कम्प्यूटर का उपयोग नहीं कर सकता है। सारे यूजर्स जो ID और Password रखते हैं, का भी अलग-अलग परमिशन दी जाती है। जैसे- कोई एक यूजर किसी भी प्रोग्राम में कुछ लिख नहीं सकता तो इसे रीड ऑनली मिशन कहते हैं.
त्रुटि को ढूँढना– जब कम्प्यूटर चलता है तो इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हो सकती हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम इन्हें ढूँढ़ता है.
Operating System का विकास
ऐसी मान्यता है कि पहला ऑपरेटिंग सिस्टम 1950 ई. के लगभग IBM-700 कम्प्यूटर्स के लिये तैयार किया गया था। यह ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत साधारण और सरल था। उस ऑपरेटिंग सिस्टम की क्षमता आज के ऑपरेटिंग सिस्टम की क्षमता के समक्ष लगभग नगण्य है। ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास के समय शोधकर्ताओं का एक मुख्य लक्ष्य था कि कम्प्यूटर के खाली समय को कैसे काम किया जा सके तथा कैसे कम्प्यूटर को अधिक से अधिक कार्यक्षमता तथा और मितव्ययी प्रकार से उपयोग में लाया जा सके?
कम्प्यूटर्स के प्रारम्भ के दिनों में एक कार्य से दूसरे कार्य पर जाना स्वचालित नहीं था। इस समस्या के निदान के लिये नये ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ जो स्वतः ही हाऊस कीपिंग जॉब कर सकता था। ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास में अगला प्रयास था कि कैसे CPU तथा I/O Devices के बीच की गति-असमानता को दूर किया जा सके जिससे कि एक समय में कई प्रोग्राम चलाय जा सकें। इसी तरह से बहुत सारे सुधार होने के बाद आज का आधुनिकतम ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे सामने प्रस्तुत है। ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास के फलस्वरूप जो महत्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम सामने आये, वे इस प्रकार हैं.
साधारण बैच प्रणाली (Simple Batch System)- बहुत पहले जब कम्प्यूटर की मेमोरी कम होती थी, तब प्रोग्राम के रन होने की रफ्तार बढ़ाने के लिये एक समान (Similar) जॉब प्रोग्राम्स का एक बैच बना देते थे और उसको रन करते थे, जिससे सॉफ्टवेयर, जिस पर वह प्रोग्राम रन होना है, बार-बार लोड नहीं करना पड़ता था। उदाहरण के लिये- अगर हम पहले C का प्रोग्राम फिर COBOL का प्रोग्राम तथा फिर C का प्रोग्राम रन करते हैं तो मेमोरी कम होने के कारण पहले C को लोड करना पड़ेगा, फिर C का हटाकर COBOL को लोड करना पड़ेगा और फिर अन्तिम बार C को फिर से लोड करना पड़ेगा। पर बैच सिस्टम में जो प्रोग्राम C में है, हम उस प्रोग्राम को साथ में रख देंगे तथा पहले C को लोड करके पहला और तीसरा प्रोग्राम रन कर देंगे और बाद में COBOL लोड करेंगे, जिससे इसका टाइम बच जायेगा। इसलिये बैच सिस्टम में प्रोग्रामर उसी प्रकार की आवश्यकता के जॉब्स का बैच बना लेते हैं, जिससे कम्प्यूटर की स्पीड बढ़ जाती है.
मल्टी प्रोग्राम्ड बैच प्रणाली (Multiprogrammed Batch System)- बैच सिस्टम के बाद कम्प्यूटर में और विकास हुआ तथा डिस्क टेक्नोलॉजी आयी, जिससे मेमोरी बहुत अधिक बढ़ गयी। अब एक ही साथ कई जॉब्स मेमोरी में रखे जा सकते थे। परन्तु जब कोई जॉब चल रहा हो तब बीच में उसको कुछ इनपुट या आउटपुट की आवश्यकता भी पड़ती है जिससे उस समय में प्रोसेसर सुस्त हो जाता है। इसलिये इस ऑपरेटिंग सिस्टम में जब जॉब को I/O की आवश्यकता पड़ती है, तब उसे हटाकर दूसरे जॉब को चलाने लगते हैं। जब पहले वाले जॉब को सारा इनपुट मिल जाता है या वह आउटपुट दे देता है, तब उसे फिर से रन करते हैं, जिससे कम्प्यूटर का प्रोसेसर लगातार उपयोग होता रहता है और कम्प्यूटर की स्पीड और बढ़ जाती है.
टाईम शेरिंग प्रणाली (Time Sharing System)- अभी तक के ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर अपने जॉब के साथ जुड़ा नहीं था। वह एक बार Job Submit करके I/O की प्रतीक्षा करता था, बीच में कोई परिवर्तन नहीं कर सकता था। परन्तु Time Sharing Operating System, Multiprogrammed Batch System का ही विकसित रूप है। इसमें जॉब को बदलने के साथ साथ यूजर को Time Slot दिया जाता है, जिससे वह अपने जॉब से Interact कर सकता है और बीच में प्रोग्राम को कन्ट्रोल कर सकता है। अतः इस ऑपरेटिंग सिस्टम में टाईम पीरियड बाँट दिये जाते हैं। पहले पीरियड में पहला जॉब, दूसरे में दूसरा और सारे जॉब्स के बाद फिर पहला Job Execute होता है.
वास्तविक समय प्रणाली (Real Time System)– Real-Time System वे सिस्टम होते हैं, जो सीधे ही वातावरण से इनपुट लेते हैं और निश्चित समय पर आउटपुट दे देते हैं। जैसे- रेलवे रिजर्वेशन में जो यात्री होता है, उसका नाम, आयु, इनपुट की तरह जाता है और तभी टिकिट बनकर आउटपुट की तरह आ जाता है.
कुछ प्रसिद्ध Operating System जो PC’s में अक्सर प्रयोग में लाये जाते हैं.
CPM/80 (Control Programmes/Microprocessor)– CPM/80 डिजिटल रिसर्च द्वारा विकसित अक्सर प्रयोग होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह 0.5.8 Bit सिस्टम पर प्रयोग किया जाता है और इसके लिये कई एप्लीकेशन सॉफ्टवेअर भी तैयार किये गये हैं। इसकी अत्यन्त उपयोगिता होने के कारण, 8Bit मशीन में CPM/80 का प्रयोग हुआ। CPM/86, CPM/80 का ही विकसित रूप है, जिसे 16 Bit मशीन के लिये तैयार किया गया है.
MS-DOS– MS-DOS का विकास माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन ने 16 Bit तथा 32 • bit मशीनों के लिये किया। MS-DOS उन मशीनों के लिये स्टैण्डर्ड 0.S. है, जिनमें इन्टेल माइक्रोप्रोसेसर्स होते हैं। IBM ने भी अपने PC’s के लिये MS-DOS को ही चुना। इसी कारण MS-DOS प्रसिद्धि की चरम सीमा तक पहुँचा.
UNIK– UNIK Multiuser वह ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिस आधक क्षमता वाली 16Bit तथा 32 Bit की मशीन के साथ प्रयोग किया जाता है। UNIK का निर्माण AT &T’s Bell Laborataries ने किया। काफी समय तक Mutiuser O.S. मार्केट में UNIK का एकाधिकार रहा। सर्वप्रथम UNIX को एसेम्बली लैंग्वैज में लिखा गया। बाद में, 1973 ई.में इसको पुनः सी लैंग्वैज में लिखा गया, जिसकी वजह से इसे विभिन्न प्रकार की मशीनों पर प्रयोग किया जा सका.
Windows– विन्डोज़ एक अत्यन्त लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम है। विन्डोज़ का निर्माण Microsoft Corporation ने किया। विन्डोज़ चित्र आधारित इण्टरफेस O.S. है.
हम आशा करते हैं कि आपको ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी, इस जानकारी को आप उन दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं जो कि Operating System के बारे में हिंदी भाषा में सीखना चाहते हैं.
Mobile Operating System एक सॉफ्टवेयर है, जो कि मोबाइल फोन के अंदर इंस्टॉल किया जाता है, जिसकी मदद से यूजर मोबाइल फोन के सभी फीचर का उपयोग करने में सक्षम होता है जैसे कि किसी को कॉल लगाना या मैसेज करना इस प्रकार के सभी कार्य OS की मदद से किए जाते हैं, OS कई प्रकार के होते हैं आज के इस आर्टिकल में हम सीखेंगे मोबाइल फोन के सभी OS के बारे में.
कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर के साथ मिलकर कार्य करता है और प्रोग्राम को चलाने की अनुमति देता है.
Mobile Operating System के प्रकार
No.
Operating System
By
1.
iOS
Apple
2.
Android
Google
3.
Windows
Microsoft
4.
BackBerry
Rim
1. Apple iOS
यह Apple द्वारा विकसित एक मोबाइल OS है, जिसे 2007 में iPhone और iPad के लिए बनाया गया था बाद में इसे एप्पल के टीवी में स्थापित किया गया. इसका इलेक्ट्रानिक डिजाइन बहुत ही आसानी से प्रयोग किया जाने वाला तथा तेज गति से चलने से चलने वाला iOS है.
गुण-
iOS यजर इंटरफेस किसी अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम की तुलना में सबसे अच्छा और आसानी से एवं तेजी से अपडेट होता है.
Apple से डाउनलोड की गई Apps दूसरी एप्प की तुलना में सबसे बेहतर है.
एप्पल उपभोक्ता को अपने आईफोन और आईपोड का डाटा डेस्कटॉप कम्प्यूटर के साथ स्क्रिोनाइज करने में सहायता देता है। यह सुविधा एंड्राइड में उपलब्ध नहीं है.
दोष-
यह सख्त नियंत्रण रखता है और केवल उत्तम की एप्प को ही एप्प-स्टोर पर डालने की अनुमति देता है.
एप्पल और आईट्यून सॉफ्टवेयर के द्वारा ही उपभोक्ता को अपने आईफोन और आईपैड को डेस्कटॉप कम्प्यूटर के साथ सिंक्रोनाइज करने की अनुमति देता है.
आई.ओ.एस. प्रयोग करने वाले उपकरण अन्य स्मार्ट फोन या टैबलेट से महंगे होते हैं.
2. Android OS
Android एक लाइनेक्स सॉफ्टवेयर पर आधारित गूगल द्वारा विकसित मोबाइल Operating System है, यह ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है, यानि कि इस ऑपरेटिव सिस्टम का कोड मुफ्त में उपलब्ध होता है और कोई भी प्रोग्रामर इसका कोड लेकर अपने अनुसार कोड में बदलाव करके ला सकता है.
गुण-
एंड्राइड ओ.एस. के कोड में बदलाव लाकर कोई भी इसे अपने अनुकूल बना सकता है.
यह कई एप्प एक साथ चलाने की सुविधा देता है इसलिए अन्य ओ.एस. की तुलना में बेहतर है.
एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम ईमेल नोटिफिकेशन, एप्लीकेशन अपडेट, सोशल नेटवर्किंग, आदि से जुड़ी एप्प में बेहतर कार्य करता है.
एंड्राइड स्टोर (गूगल प्ले) पर असंख्य ऐप्प उपलब्ध हैं.
एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम के ओपन सोर्स होने के कारण यह कई प्रकार के हार्डवेयर उपकरणों के साथ आसानी से तालमेल कर पाता है.
दोष-
एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत ज्यादा बैटरी खाता है.
कुछ ही समय के अन्तराल में गूगल ने एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम के बहुत सारे संस्करण बाजार में उतार दिये हैं, जिसके कारण बाजार में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित उपकरणों में उलझन बढ़ गयी है.
एंड्राइड आपरीटिंग सिस्टम को सही से इस्तेमाल करने के लिए Google के प्रकार लाग इन करना जरूरी होता है जोकि सविधाजनक नहीं है.
एंड्राइड उपकरणों तथा Computer के बीच डाटा को सिंक करने के लिए कोई भी तरीका उपलब्ध नहीं है.
3. Windows 8 OS
Windows 8 ऑपरेटिंग सिस्टम को माइक्रोसॉफ्ट के डेस्कटॉप एवं लैपटॉप के लिए बनाया था, इसके अन्य प्रकार “विंडोज फोन 8” और “विंडोज आर.टी.” क्रमशः स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए बनाये गए हैं.
गुण-
विंडोज 8 ऑपरेटिंग सिस्टम का यूजर इंटरफेस बहुत सुविधाजनक है, जिसमें हर एक एप्लीकेशन टाइल की तरह प्रदर्शित होती है.
कुछ एप्लीकेशन जैसे सोशल नेटवर्किंग, सर्च, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, आदि तथा मैप (मानचित्र) से जुड़ी एप्प बहुत आसानी से चलती हैं.
दोष-
एक साथ कई कार्य करने के लिए उपभोक्ता को कई स्क्रीन खोलनी पड़ती हैं जोकि कभी-कभी बहुत परेशानी पैदा कर देता है.
गूगल प्ले स्टोर और एप्पल के ऐप्पस्टोर की तुलना में विंडोज स्ट्रोर में काफी कम ऐप्प हैं.
बहुत कम हार्डवेयर की कम्पनियाँ जैसे कि नोकिया और डेल विंडोज ओ.एस. को अपने फोन के साथ जोड़ती हैं क्योंकि यह इतना प्रचलित नहीं है.
4. BlackBerry OS
यह RIM (रिसर्च इन मोशन) कंपनी द्वारा विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे BlackBerry अपने ही ब्राण्ड के स्मार्टफोन और टैबलेट उपकरणों के लिए बनाता है.
गुण-
ब्लैकबेरी उपकरण ‘पुश ई-मेल’ तकनीक के साथ आसानी से तालमेल बना लेता है, जिससे उपभोक्ता अपनी ई-मेल अपने उपकरण पर तुरन्त पढ़ सकते हैं जोकि कुछ सेकण्ड के अन्तराल पहले ही उन्हें भेजी गई है.
ब्लैकबेरी फोन डाटा को लगभग 50 प्रतिशत कॉम्प्रेस कर सकता है जिससे ई-मेल भेजने या डाटा Sharing के दौरान बैंडविड्थ कम खर्च होती है, इसके साथ-साथ यह एन्क्रिप्टेड फॉर्म में डाटा को ई-मेल करने की सुविधा देता है.
ब्लैकबेरी अन्य ओ.एस. की तुलना में सबसे अच्छा ‘बैटरी मैनेजमेंट’ उपलब्ध कराता है, जिससे यह फोन कम से कम बैटरी खर्च करता है.
दोष-
ब्लैकबेरी का एप्प स्टोर ‘एप्लीकेशन प्रोग्रामरस’ को आकर्षित करने में असमर्थ दिखाई पड़ता है, और इसमें उपलब्ध एप्प की संख्या अधिक नहीं है.
ब्लैकबेरी में दूसरे ओ.एस. की तुलना में इंटरनेट की गति कम होती है.
ब्लैकबेरी उपकरण एक आम आदमी के प्रयोग हेतु फोन न लगाकर एक ‘कॉर्पोरेट 100 प्रायोजित उपकरण’ ज्यादा दिखाई पड़ता है.
जैसे कि हमने आपको बताया यह चार ऑपरेटिंग सिस्टम दुनियाभर में बहुत ही ज्यादा प्रचलित है जिसमें एंड्राइड और आईफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे ऊपर आते हैं, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पढ़ कर मजा आया होगा और कुछ जानकारी प्राप्त हुई होगी Operating System सिस्टम के बारे में अगर आपका कोई सुझाव हो तो उसे आप हमें कमेंट के जरिए पहुंचा सकते हैं.
क्या आप अपने मोबाइल फोन पर WhatsApp को run करते हैं, और चाहते हैं कि आप आपके Computer पर भी व्हाट्सएप चला पाए आपके मोबाइल फोन के Scanner की मदद से तो आज आप इस आर्टिकल को पढ़ते रहिए, आज हम आपको बहुत सरल भाषा में समझाएंगे कि आप किस तरह व्हाट्सएप को अपने कंप्यूटर तथा लैपटॉप पर चला सकते हैं वह भी बिना किसी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किए.
आज के दौर में यह बहुत ही आसान हो गया है, कि किसी भी व्यक्ति से हम कभी भी बात कर सकते हैं, उसे Message कर सकते हैं, Call कर सकते हैं Video Calling कॉल कर सकते हैं, अपनी Photos भेज सकते हैं और भी इत्यादि कार्य किए जा सकते हैं, व्हाट्सएप जैसी एप्लीकेशंस की मदद से हमारी जिंदगी को बहुत ही आसान बना देती है, बस आपको अपने मोबाइल फोन में एक एप्लीकेशन डाउनलोड करना है और आप भी पूरी दुनिया से कनेक्ट हो जाएंगे जब मन करे जब आप मैसेज कर सकते हैं और इसके लिए आपको ₹1 भी देने की आवश्यकता नहीं होती.
WhatsApp Kya he?
WhatsApp एक Messanger है, जिसकी मदद से आप मैसेज कर सकते हो साथ ही साथ यह बिल्कुल Free एप्लीकेशन है, जो कि Computer, Laptop, Android, iPhone, Windows Phone, JioPhone के लिए उपलब्ध है, यह कंपनी अमेरिका में स्थित है और ऐसे कुछ वर्ष पहले Facebook द्वारा खरीद लिया गया है, यह एप्लीकेशन दुनियाभर में बहुत ही प्रचलित है जिसके कई कारण हैं, यह बिल्कुल फ्री मैं अपनी Service इस्तेमाल करने का मौका देती है, आप HD क्वालिटी में किसी को भी कहीं पर भी वीडियो कॉल कर सकते हो Free Call कॉल कर सकते हो Free Messages भेज सकते हो साथ ही साथ आप Documents फाइल PDF फाइल, व्हाट्सएप के जरिए Send कर सकते हो.
कैसे चलाएं Computer में WhatsApp?
WhatsApp को कंप्यूटर तथा लैपटॉप पर चलाना बहुत ही ज्यादा आसान है इसके लिए आपको नीचे दिए हुए कुछ Steps को Follow करना पड़ेगा.
Step 1. सबसे पहले आपको अपने Mobile Phone में WhatsApp को ओपन कर लेना है.
Step 2. अब आपको “3dot” नजर आएंगे जिस पर आपको क्लिक कर देना है, और तीसरे नंबर के ऑप्शन WhatsApp Web पर क्लिक करना है.
Step 3. अब आपको यहां पर “+” का साइन दिख रहा होगा जिस पर आपको Click कर WhatsApp का Scanner खोल लेना है.
Step 4. Scanner खोलने के बाद अब आपको कंप्यूटर में Web.whatsapp.com साइट को ओपन करना है और यहां पर दिख रहा है क्यूQR CODE को आप को Scan करना है जो कि हमने अभी मोबाइल फोन में Scanner खोला था, अगर आप Apple Computers इस्तेमाल करते हैं चाहे Windows Computer इस्तेमाल करते हैं यह प्रोसेस सभी प्लेटफार्म के लिए सामान्य होगी.
Note: जब कभी भी आप व्हाट्सएप को अपने कंप्यूटर पर चलाएं तो आपको यह ख्याल रखना होगा कि आपका कंप्यूटर और मोबाइल फोन एक ही इंटरनेट के साथ कनेक्ट होना चाहिए अन्यथा आप व्हाट्सएप को कंप्यूटर पर इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे जिसके लिए आप सबसे बढ़िया अपने मोबाइल फोन का HotSpot ऑन कर कंप्यूटर पर कनेक्ट कर सकते हैं या फिर आप USB Tethering का इस्तेमाल कर सकते हैं, अपने इंटरनेट को Share करने के लिए.
WhatsApp में कैसे Phone Number जोड़ते हैं?
अगर आप किसी भी मित्र या घर के सदस्यों से WhatsApp के जरिए बात करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने व्हाट्सएप अकाउंट में उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर ऐड करना होगा जिससे आप वार्तालाप करना चाहते हैं, उसके बाद ही आप उसे मैसेज और कॉल कर पाएंगे जिसके लिए आपको नीचे दिए हुए कुछ Steps को Follow करना होगा.
Step1. सबसे पहले आपको व्हाट्सएप एप्लीकेशन अपने SmartPhone में ओपन कर लेनी है.
Step 2. अब आपको यहां पर नीचे राइट साइड में मैसेजिंग का आइकन दिख रहा होगा जिस पर आपको क्लिक कर देना है.
Step 3. अब आपको यहां पर दो ऑप्शन दिख रहे होंगे New Group और New Contact आपको दूसरे नंबर के ऑप्शन पर क्लिक कर आपके उस व्यक्ति का फोन नंबर यहां पर एंटर कर ऐड कर सकते हैं, जिससे आप बात करना चाहते हैं व्हाट्सएप के जरिए.
कुछ ही पल में मोबाइल फोन नंबर आपके व्हाट्सएप में ऐड हो जाएगा और आप उसे मैसेज तथा कॉल कर सकते हैं बिल्कुल फ्री.
मुझे कंप्यूटर में व्हाट्सएप चलाना है फिर ये स्कैनर का क्या मतलब है?
कंप्यूटर पर व्हाट्सएप चलाने के लिए हमें Whatsapp एप्लीकेशन के अंदर एक फीचर देखने को मिल जाता है, जिसे WhatsApp Scanner स्कैनर कहते हैं, जिसकी मदद से आप तत्काल अपने कंप्यूटर पर व्हाट्सएप इस्तेमाल कर सकते हैं इस स्केनर की मदद से आप का संपूर्ण व्हाट्सएप का डाटा आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर पहुंच जाता है, जिससे भी आप मोबाइल फोन पर Chat करते हो या Video Call करते हो आप सभी की जानकारी प्राप्त कर पाएंगे अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर, इस व्हाट्सएप स्कैनर की मदद से यह व्हाट्सएप का बहुत ही महत्वपूर्ण विचार है.
हम आशा करते हैं कि हमारा यह आर्टिकल पढ़कर आपको मजा आया होगा और कुछ सीखने को मिला होगा कि किस तरह से Whatsapp को Computer पर चलाया जाता है अगर आप अभी भी अपने कंप्यूटर पर व्हाट्सएप को चलाने में असमर्थ है तो कृपया कर हमें नीचे कमेंट कर दीजिए हम आपकी समस्या का समाधान जरूर करेंगे.
आज हम आज के साथ 10 ऐसे Best Application को साझा करेंगे, जोकि आपकी जीवन शैली में काफी लाभदायक होंगे इन सभी एप्लीकेशंस को आप लगभग सभी तरह के SmartPhone पर डाउनलोड कर पाएंगे.
आप अपने लिए Apps कहां से लें यह इस पर निर्भर करता है, कि आप कौन सा स्मार्टफोन प्रयोग कर रहे हैं इस समय तीन मुख्य प्लेटफार्म एंड्रॉयड आईओएस और विंडोज फोन सभी अपने एप स्टोर उपलब्ध कराते हैं जो कि फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम में पहले से ही मौजूद होती है. आजकल मोबाइल उपकरणों में पहले स स्थापित एप की संख्या बहुत अधिक हो गई है। यह मोबाइल उपकरण निर्माताओं और सॉफ्टवेयर कम्पनियों के बीच साझेदारी से संभव हुआ है जिससे मोबाइल उपकरण अधिक आकर्षक और सस्ते हो गये है। अधिकांशतः पर्व स्थापित एप्प मैसेजिंग, गेम, आदि पर आधारित होती है.
गगल प्ले, एप्पल एप्पस्टोर, ब्लैकबेरी वर्ल्ड, विंडोज स्टोर पर उपलब्ध, Skype एक ऐसा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, जोकि इंटरनेट के माध्यम से ‘वाइस कॉल’, ‘वीडियो कॉल’ और ‘इंस्टेंट मैसेजिंग’ की सुविधा प्रदान करता है। स्काइप से स्काइप पर कॉल करने की सविधा मफ्त है, जबकि स्काइप से किसी मोबाइल या लैंडलाइन फोन पर कॉल करने के लिए हमें शुल्क देना होता है.
गूगल प्ले, एप्पल एप्पलस्टोर पर उपलब्ध, गूगल मैप इंटरनेट पर एक मानचित्र उपलब्ध कराने वाली सुविधा है। यह सॉफ्टवेयर लगभग सभी छोटे-बड़े शहरों या गाँवों के रास्तों की विस्तृत जानकारी देता है तथा पैदल अथवा जन परिवहन से प्रयोग संबंधी ‘रूट प्लानर’ उपलब्ध कराता है.
Google Maps का प्रयोग कर आप दुनिया घूम सकते हैं इसमें पूरी दुनिया का मैप आप केवल अपने मोबाइल फोन पर ही देख सकते हैं साथ ही साथ देश विदेश के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं अगर आप एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमना चाहते हैं परंतु आपको उसकी लोकेशन का पता नहीं है तो आप गूगल मैप में उस जगह का नाम सर्च कर उसके जाने का रास्ता पता कर सकते हैं.
गूगल प्ले, एप्पल एप्पस्टोर, ब्लैकबेरी वर्ल्ड, विंडोज स्टोर पर उपलब्ध, YouTube एक वीडियो को साझा करने वाली वेबसाइट तथा एप्प है जिसके माध्यम से उपभोक्ता वीडियो को अपलोड, डाउनलोड, देखना एवं साझा कर सकते हैं.
आज के समय में YouTube पूरी दुनिया में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है, जिसके करोड़ों में उपभोक्ता बन चुके हैं यह बहुत ही अच्छा माध्यम हो सकता है अगर आप वीडियो बनाना पसंद करते हैं और चाहते हैं ऑनलाइन पैसे कमाना आजकल हर कोई बहुत अच्छे पैसे कमा पा रहा है यूट्यूब की मदद से. आप किसी भी भाषा में वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड कर सकते हैं, जब दर्शकों को आपकी वीडियो पसंद आने लगेगी तो धीरे-धीरे आपकी वीडियोस यूट्यूब वायरल करने लगता है और वायरल के साथ-साथ आपकी Income भी बढ़ जाती है.
4. Kindle
गूगल प्ले, एप्पल एप्पस्टोर, ब्लैकबेरी वर्ल्ड, विंडोज स्टोर पर उपलब्ध।, किन्डल एप्प एमेजन कम्पनी द्वारा विकसित की गई है। इस एप्प पर लाखों किताबों की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी पड़ी है (E-book) जिसे आप खरीदकर कम्प्यूटर या मोबाइल उपकरण पर ही पढ़ सकते हैं.
5. Instagram
गूगल प्ले. एप्पल एप्पस्टोर, ब्लैकबेरी वर्ल्ड, विंडोज स्टोर पर इन्स्टाग्राम तस्वीरों एवं वीडियो को साझा करने की सविधा देता है। उपभोक्ता अपनी तस्वीरों के ऊपर विभिन्न रंगीन डिजिटल फिल्टर लगाकर तस्वीरों को सम्पादित कर सकते हैं और फिर उन्हें विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे फेसबुक पर छाप कर सकते हैं.
6. Facebook
फेसबुक इस दुनिया में बहुत ही प्रचलित एप्लीकेशन है जोकि गूगल प्ले स्टोर एप्पल स्टोर और ब्लैकबेरी तथा विंडोज स्टोर पर उपलब्ध है, जैसे कि आप जानते ही हैं. फेसबक सबसे प्रसिद्ध सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट तथा एप्प है। यह उपभोक्ताओं को अपनी प्रोफाइल बनाने, तस्वीरों और वीडियो भेजने तथा दोस्तों और परिवार सदस्यों से तालमेल बनाये रखने में सुविधा प्रदान करता है। यह वेबसाइट 36 भाषाओं में उपलब्ध है.
7. Angry Birds
प्ले, एप्पल एप्पस्टोर ब्लैकबेरी वर्ल्ड, विंडोज स्टोर पर उपलब्ध। यह एक वीडियोगेम है जिसे फिनिश कम्पनी रोविओ इंटरटेनमेंट ने बनाया है। यह एप्प मुफ्त है और आप खेलने से रुकते नहीं हैं। आजकल ऐसे और गेम भी प्रसिद्ध हो रहे हैं.
8. PayTm
गूगल प्ले, एप्पल एप्पस्टोर, ब्लैकबेरी वर्ल्ड, विंडोज स्टोर पर उपलब्ध हैं, यह एप उपभोक्ता को मोबाइल फोन, टी.वा. विजली, म बस पास का भगतान करने में सहायता करती है। एक ही एप के द्वारा आप अलग-अलग जैसे एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, आदि के बिल भर सकते है.
यह एक बहुत ही अच्छा माध्यम हो सकता है, घर बैठे बैठे एक स्थान से दूसरे स्थान पर पैसे भेजने का आप कुछ ही मिनटों में आपके पैसे किसी भी व्यक्ति के अकाउंट में पहुंचा सकते हैं PayTm ऐप को यूज कर, यहां पर आपको किसी भी तरह की सिक्योरिटी की प्रॉब्लम नहीं होगी पेटीएम एक बहुत ही उच्च कोटि की सुरक्षित एप्लीकेशन हैं, पैसे भेजने के लिए सबसे पहले आपको एप्लीकेशन को डाउनलोड करना होगा अपने मोबाइल फोन में और अपने फोन नंबर के साथ एक अकाउंट जारी करना होगा जब आप यह सभी प्रक्रिया पूर्ण कर लेते हो उसके बाद आप किसी भी व्यक्ति के खाते में पैसा भेज सकते हो.
9. Twitter
गूगल प्ले, एप्पल एप्पस्टोर, ब्लैकबेरी वल्ल, विंडोज स्टोर पर उपलब्ध ट्विटर सोशल नेटवर्किंग एवं माइक्रोब्लागिंग साइट एवं एप्प है जो अपने उपभोक्ताओं को टेस्क्ट (अधिकतम 140 करैक्टर) मेसेज पड़ने और भेजने की सुविधा देता है जिन्हें ट्वीट कहते हैं.
10. WhatsApp
प्ले, एप्पल एप्पस्टोर, ब्लैकबेरी वर्ल्ड, विंडोज स्टोर पर उपलब्ध। व्हाट्स एप्प एक मेसेज भेजने की एप्प है जिसके द्वारा उपभोक्ता एक दूसरे को मेसेज, तस्वीरें गया वीडियो भेज सकते हैं। आजकल यह बहुत प्रचलित है. यह एप्लीकेशन पूरी दुनिया में बहुत ही लोकप्रिय है क्योंकि आप इसमें बिल्कुल फ्री में एक स्थान से दूसरे स्थान पर मैसेज तथा कॉल कर सकते हो जो कि हाई क्वालिटी में भी किया जा सकता है, इस एप्लीकेशन के ऑनर FaceBook हैं, और यह एक मुफ्त मैसेज एप्लीकेशन है.
हम आशा करते हैं कि हमारे यह एप्लीकेशन आपको पसंद आए होंगे और जरूर आप एक न एक बार इन्हें अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करना पसंद करेंगे, इस तरह की बहुत सारे बेहतरीन एप्स प्ले स्टोर पर उपलब्ध है अगर आप चाहें तो हम उनकी एक सूची तैयार कर सकते हैं उसके लिए कृपया कर हमें नीचे कमेंट करें.
आज हम सीखेंगे Dos के बारे में कि Dos क्या होता है और यह किस प्रकार कार्य करता है साथ ही साथ इसको प्रोसेस करने की विधि को भी जानेंगे तो पढ़ते रहिए हमारी इस आर्टिकल को
माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन (Microsoft corporation) ने अगस्त, 1981 में MS-DOS नाम का ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित किया था, जिसका पूरा नाम Microsoh Disk Operating System है। इसे version 1.0 के साथ बाजार में उतारा गया था, जिसे IBM के पर्सनल कम्प्यूटर (IBM PC) के लिये बनाया गया था। इसके बाद DOS के कई version बाजार में आये, जिनमें से आज 6.22 उपलब्ध है। DOS कम्प्यूटर के माइक्रो प्रोसेसर को नियन्त्रित करता है। और कार्य करने के लिये निर्देश देता है। इसकी सहायता से ही कम्प्यूटर फ्लॉपी डिस्क और हार्ड डिस्क को प्रयोग करता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा एक ही डिस्क पर अनेक फाइलों को संग्रहित करने की सुविधा मिल चुकी थी। इसके पश्चात् ही फाइल और डायरेक्टरी के सिद्धान्त का चलन हुआ.
Booting of DOS- इस डिस्क का सबसे पहला भाग Boot area होता है, जो Boot record को store करता है। जब हम कम्प्यूटर का प्रारम्भ (Switch on) करते हैं तो एक “step by step process” शुरू होता है, जिसके अन्तर्गत प्रोसेसर सबसे पहले ROM में store निर्देशों को भेजकर अपना कार्य शुरू करता है। ये सभी निर्देश ROM में स्थायी रूप से store रहते हैं, जिन्हें ROM BIOS routines कहते हैं। जब कम्प्यूटर शुरू किया जाता है तो हर बार ये रुटीन्स activate होते हैं। इसमें सबसे पहले यह पता करना होता है कि कम्प्यूटर ठीक प्रकार से कार्य कर रहा है या नहीं अथवा उसमें जुड़े सभी peripheral कार्यरत है या नहीं.
कम्प्यूटर को इस प्रकार जाँचने को POST (Power On Self Test) कहते हैं। यह Start up routines के अन्तर्गत कार्य करता है। ROM BIOS routines का अगला step “Boot strap process” होता है, जो उस ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड करता है। यदि Boot area कई partition में विभाजित है तो वह Master Boot Record (MBR) को पढ़ता है। यदि ROM BIOS Boot Record को पढ़ने में सफल हो जाता है, तो इसे Boot program को सौंप दिया जाता है। इसके बाद यह दो फाइलों IO.sys और MSDOS. sys को एक्सेस करता है, जो data area में store होता है। जब यह दोनों फाइलें मेमोरी में लोड हो जाती हैं तो कम्प्यूटर config.sys फाइल को ढूंढ़ता है। Boot strap process का Last step COMMAND.COM को Load करना है जो यूजर के लिये Command Intepreter का कार्य करता है.
आज हम सीखेंगे कंप्यूटर स्टोरेज के बारे में कि वह कौन-कौन से प्रकार के होते हैं और वह किस तरह कार्य करते हैं, यह सब जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ते रहिए.
(1) फ्लॉपी डिस्कें- लगभग बीस वर्ष पूर्व अमेरिका की IBM कंपनी ने एक 8इंच व्यास की कागज के जैसी पतली प्लास्टिक की एक डिस्क बनाई जिस पर रिकार्डिंग करने के लिये कैसेट टेप पर लगे जैसे चुम्बकीय पदार्थ की एक पतली परत चढ़ी थी.
वह एक मैगनेटिक डिस्क थी, परन्तु ग्रामोफोन के रिकार्ड की तरह वह इतनी मोटी नहीं थी वह स्वयं को सीधी रखे। यदि हम उसे उंगलियों से पकड़ें तो वह मुड़कर दोहरी हो जायेगी। इसलिये वह फ्लॉपी डिस्क कहलाती है। इन फ्लॉपी डिस्कों का एक मोटे कागज या प्लास्टिक का एक चौकोर आवरण होता है और प्रयोग के समय यह डिस्क इस आवरण के अंदर ही घूमती है। अत्यन्त उपयोगी होने के कारण कम्प्यूटर के साथ इनका उपयोग तेजी से बढ़ने लगा। समय के साथ तकनीक की प्रगति से 5.25 इंच व्यास की छोटी डिस्कें बनी जिनका अत्याधिक प्रचलन रहा.
(2) जिप ड्राइवें- वर्तमान में हार्ड डिस्कें इतनी बड़ी हो गई हैं कि उनमें संचित सारी सूचना की प्रतिलिपियाँ बनाने के लिये सैकड़ों फ्लॉपी डिस्कें लग सकती हैं। इसके अतिरिक्त अनेक फाइलें इतनी बड़ी होती हैं कि वे एक फ्लॉपी डिस्क में समा नहीं सकतीं। इसके लिये नई प्रकार की डिस्कों व डिस्क ड्राइवों का प्रयोग किया जाने लगा है.
जिप डिस्कें देखने में लगभग 3.5 इंच की फ्लॉपी डिस्कों के जैसी ही होती हैं, परन्तु ये अधिक सुदृढ़ होती हैं और इनकी सूचना के भंडारण की क्षमता सौ मेगाबाइटों से भी अधिक होती है। इसलिये ये बैकअप रखने और अधिक मात्रा में सूचना के स्थानान्तरण के लिये बहत उपयोगी हैं। इनमें सूचना अंकित करने के व अंकित सूचना वापस पढ़ने के लिये विशेष प्रकार की ड्राइवें होती हैं जिन्हें जिप ड्राइव कहा जाता है.
(3) कॉम्पैक्ट डिस्कें– अधिक से अधिक सूचना के भण्डारण की युक्तियों के विकास के लिये सतत प्रयत्न होते रहे हैं। इन प्रयत्नों के परिणाम स्वरूप कॉम्पैक्ट डिस्कों का आविष्कार हुआ। इन डिस्कों में चुम्बकीय-प्रणाली का उपयोग नहीं होता। सूचना को लिखने व पढ़ने के लिये लेजर किरणों का उपयोग किया जाता है। इसलिये इन डिस्कों को ऑप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है.
फ्लॉपी तथा हार्डडिस्कों में सूचना भरी भी जा सकती है, और अंकित सूचना वापस कम्प्यूटर द्वारा पढ़ी भी जा सकती है अर्थात् ये इनपुट व आउटपुट दोनों प्रकार की युक्तियों की तरह से काम करती हैं। इसलिये इन्हें इनपुट-आऊटपुट युक्तियाँ कहा जाता है। इसके विपरीत कॉम्पैक्ट डिस्कें ऐसी डिस्कें हैं जिन पर एक बार कुछ भी अंकित कर देने के पश्चात् उसे मिटाया या बदला नहीं जा सकता, केवल पढ़ा जा सकता है। इस प्रकार से ये डिस्कों की तरह ही काम करती हैं, और इसीलिये इन्हें सीडी रोम कहा जाता है। सूचना के भंडारण की बहुत अधिक क्षमता के कारण सीडी रोम का प्रचलन अत्याधिक तेजी से बढ़ रहा है.
(4)डिजिटल विडियो डिस्कें– डिस्कों में अधिक से अधिक सूचना के भण्डारण कर सकने के प्रयास में डिजिटल वीडियो डिस्क या संक्षेप में डीवीडी का विकास हुआ। इन डिस्कों में CD-ROM की अपेक्षाकृत 7 से 12 गुना अधिक सूचना संचित की जा सकती है.
एक डीवीडी में भंडारण की क्षमता सीडी की भण्डारण क्षमता से दस-बारह गुनी अधिक होती है। इसलिये उसकी एक ही ओर की सतह पर एक या दो घंटे के चल-चित्र की समूची फिल्म अति स्पष्टता के साथ रिकार्डिंग की जा सकती है। इसमें चित्र, ध्वनियाँ, व तीन या चार भाषाओं में संवाद, सभी शामिल हैं। जैसे-जैसे तकनीक में उन्नति हो रही है, इन डीवीडी प्रकार की डिस्कों की कीमतें कम होती जा रही हैं और इनका प्रचलन बढ़ता जा रहा है.
(5)रैम डिस्क- संगणना करने के लिये जिस किसी डाटा पर संगणना करनी होती है वह डाटा कम्प्यूटर की अस्थायी स्मृति में होनी चाहिये। इसलिये कार्य करते समय कम्प्यूटर वांछित डाटा डिस्क पर से पढ़ कर रैम में संचित करता है और फिर उसका उपयोग करता है। काम पूरा होने पर कंप्यूटर आवश्यक डाटा रेम में से डिस्क पर रिकार्ड कर देता है। किसा लंबे कार्य के समय डिस्कों व RAM में इस प्रकार का आदान-प्रदान बराबर चलता रहता है। यद्यपि आधुनिक हार्ड डिस्क की कार्य करने की गति काफी तेज हो गई है, परन्तु फिर भी एक मेकेनिकल मशीन होने के कारण उसकी अपनी सीमायें हैं और इस कारण आदान-प्रदान में अधिक समय लग जाने के कारण कार्य करने की गति मन्द पड़ जाती है। इस समस्या का एक समाधान इलेक्ट्रोनिक है जिसे रैम डिस्क या Virtual Disk भी कहा जाता है.
(6)मैमोरी कैश– वर्तमान में कम्प्यूटरों के प्रोसेसरों के कार्य करने की गति बहुत अधिक हो गई है और उसका साथ देने के लिये सामान्य प्रकार की रैम की गति बहुत कम रह जाती है। इसलिये अब कम्प्यूटरों में मैमोरी कैश का प्रयोग किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार की चिप होती है जिसकी भंडारण की क्षमता तो कम होती है पर उसकी सूचना के आदान-प्रदान की गति बहुत अधिक होती है। ये साधारण रम की तुलना में अधिक कीमती होती है। इनके प्रयोग से कम्प्यूटर के कार्य करने की गति अत्याधिक बढ़ जाती है.
(7)मैग्नेटिक टेप- अनेक वर्षों से मैग्नेटिक टेप एक महत्वपूर्ण संग्रह माध्यम के रूप में उपयोगी डिवाइस है। हालांकि यह डिस्क की तुलना में कम लोकप्रिय है। लेकिन इसका उपयोग अनेक प्रकार के कम्प्यूटरों में होता है। टेप, किसी रील या कार्टेज में लिपटी हो सकती है जो कि निम्न दो प्रकार की होती हैं.
(i) डिटेचेबल रील टेप- यह प्रायः 1/2 इंच चौड़ी होती है जो एक प्लास्टिक मॉयलर पदार्थ की बनी होती है जिसकी सतह पर चुम्बकीय लेपन रहता है। इसकी रील का व्यास प्रायः 10.5 इंच होता है। एक 2,400 फीट लम्बाई की टेप रील में डाटा का संग्रह 6250 बाइट प्रति इंच तक की सघनता में हो सकता है.
(ii) कार्टेज टेप- यह प्लास्टिक के छोटे खोल में होती है। माइक्रो कम्प्यूटरों में हार्ड डिस्क से डाटा को बैक-अप करने के लिये उपयोग किया जाता है। यह टेप अधिक संग्रह-क्षमता और उच्च गति से कार्य करने वाली होती है। एक 1/4 इंच और 1000 फीट लम्बाई की टेप में 10,20, 40 या 60 मेगाबाइट डाटा को एक मिनट में संग्रहीत किया जा सकता है। कार्टेज टेप विशेषतया हार्ड डिस्क से डाटा और प्रोग्राम्स का बैकअप लेने के लिये तैयार किया गया है.
(8) मैग्नेटिक डिस्क- आजकल मैग्नेटिक डिस्क एक उपयोगी और निर्विवाद संग्रह माध्यम है, क्योंकि इसमें सीधी अभिगम विधि से डाटा को तेज गति से प्राप्त व संग्रह किया जा सकता है। मैग्नेटिक डिस्क के दो मुख्य प्रकार होते हैं- हार्ड डिस्क और डिस्केट्स.
1. हार्ड डिस्क- इसमें वृत्ताकार, ठोस प्लेटर या चकतियाँ होती हैं। इनमें अधिक संग्रह क्षमता होती है और डाटा प्राप्त करो की गति भी तीव्र होती है। हार्ड डिस्क माइक्रो कम्प्यूटर, मिनी कम्प्यूटर और मेनफ्रेम कम्प्यूटर, तीनों में ही प्रयुक्त की जाती है। आज हार्डडिस्क के भी कई प्रकार उपलब्ध हैं.
2. मैग्नेटिक टेप– अनेक वर्षों से मैग्नेटिक टेप एक महत्वपूर्ण संग्रह माध्यम के रूप में उपयोगी डिवाइस है। हालांकि यह डिस्क की तुलना में कम लोकप्रिय है। लेकिन इसका उपयोग अनेक प्रकार के कम्प्यूटरों में होता है। टेप, किसी रील या कार्टेज में लिपटी हो सकती है जो कि निम्न दो प्रकार की होती हैं.
3. डिटेचेबल रील टेप– यह प्रायः 1/2 इंच चौड़ी होती है जो एक प्लास्टिक मॉयलर पदार्थ की बनी होती है जिसकी सतह पर चुम्बकीय लेपन रहता है। इसकी रील का व्यास प्रायः 10.5 इंच होता है। एक 2,400 फीट लम्बाई की टेप रील में डाटा का संग्रह 6250 बाइट प्रति इंच तक की सघनता में हो सकता है.
4. कार्टेज टेप– यह प्लास्टिक के छोटे खोल में होती है। माइक्रो कम्प्यूटरों में हार्ड डिस्क से डाटा को बैक-अप करने के लिये उपयोग किया जाता है। यह टेप अधिक संग्रह-क्षमता और उच्च गति से कार्य करने वाली होती है। एक 1/4 इंच और 1000 फीट लम्बाई की टेप में 10,20, 40 या 60 मेगाबाइट डाटा को एक मिनट में संग्रहीत किया जा सकता है। कार्टेज टेप विशेषतया हार्ड डिस्क से डाटा और प्रोग्राम्स का बैकअप लेने के लिये तैयार किया गया है.
हार्ड डिस्क और डिस्केट्स.
(A) हार्ड डिस्क- इसमें वृत्ताकार, ठोस प्लेटर या चकतियाँ होती हैं.
(B) डिस्केट- इसमें प्लास्टिक की चकतियाँ होती हैं जो प्लास्टिक के खोल में सुरक्षित रहती हैं। इनकी संग्रह क्षमता हार्ड डिस्क की तुलना में बहुत कम होती है। इन्हें फ्लॉपी डिस्क के नाम से जाना जाता है। ये कम्प्यूटर से बाहर निकाली जा सकती हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से लायी व ले जायी जा सकती हैं। फ्लॉपी डिस्क प्रायः माइक्रो कम्प्यूटरों में उपयोग की जाती हैं और कभी-कभी कम्प्यूटरों में भी इनका उपयोग होता है.
क्या आप आपकी Jio Phone के जरिए अपने कंप्यूटर और लैपटॉप पर युटुब को चलाना चाहते हैं, तो आर्टिकल को पढ़ते रहिए क्योंकि यह सर्विस को इस्तेमाल करना बहुत ही ज्यादा आसान है आप कुछ ही मिनट में अपने कंप्यूटर पर यूट्यूब चला पाएंगे आपके जिओ फोन के इंटरनेट की मदद से. आज के टाइम में हर किसी के पास जिओ मोबाइल फोन है जिसमें इंटरनेट के प्लेन हमें बहुत सस्ते देखने को मिल जाते हैं यही कारण है कि बहुत सारे लोग जिओ फोन का इंटरनेट यूज करना चाहते हैं अपने कंप्यूटर पर और साथ ही साथ यूट्यूब जैसी वेबसाइट को भी इस्तेमाल करना चाहते हैं.
Jio Phone एक बहुत ही अच्छा Feature फोन है, जिसमें सभी लगभग सभी तरह की एप्लीकेशन चल जाती है जैसे कि यूट्यूब व्हाट्सएप फेसबुक साथ ही साथ आप इसमें लाइव टीवी भी देख सकते हैं और आपकी मनपसंद मूवी भी इंजॉय कर सकते हैं वह भी बहुत कम पैसे में.
जियो फोन से कंप्यूटर में यूट्यूब कैसे चलाएं?
सबसे पहले आपको डाटा केबल कनेक्ट करनी है अपने Jio Phone से
अब केवल की दूसरी साइड बाली पिन को अपने कंप्यूटर के यूएसबी पोर्ट में लगाइए
अब आपको जिओ फोन की सेटिंग ओपन करना है
सेटिंग में जाने के बाद आपको Wifi का ऑप्शन दिखेगा
उस विकल्प पर क्लिक कर Tethering ऑप्शन को सिलेक्ट कर लेना है
यहां पर आपको तीन विकल्प देखने को मिलेंगे Wifi HotSpot, Tethering, Bluetooth
अब आपको Tethering विकल्प को सिलेक्ट करने के बाद इसे Enable कर देना है
अब आपको अपने कंप्यूटर में कोई भी इंटरनेट ब्राउज़र ओपन कर लेना है
सर्च करें YouTube.com
अब आपके कंप्यूटर में YouTube स्टार्ट हो चुका होगा जियो फोन के इंटरनेट की मदद से.
अगर आपने डाटा केबल को अपने मोबाइल फोन तथा कंप्यूटर से अच्छी तरह से कनेक्ट किया होगा तो आपका मोबाइल फोन का इंटरनेट कंप्यूटर के साथ जुड़ चुका होगा अन्यथा यह कनेक्ट नहीं होगा अगर आपने केबल को सही ढंग से नहीं लगाया होगा तो.
Tip: अगर आप डाटा केबल के जरिए कंप्यूटर पर इंटरनेट नहीं चला पा रहे हैं तो आप अपने कंप्यूटर का वाईफाई हॉटस्पॉट इस्तेमाल कर जिओ फोन का इंटरनेट को कनेक्ट कर सकते हैं जियो फोन के हॉटस्पॉट को इनेबल करने के बाद जहां आपको हॉटस्पॉट का पासवर्ड की जरूरत पड़ेगी.
हम आशा करते हैं कि आपकी समस्या का समाधान हो चुका होगा, हमारे इस आर्टिकल की मदद से अगर आपको किसी भी तरह की समस्या आती है यूट्यूब को अपने कंप्यूटर पर चलाने के लिए जियो फोन की मदद से तो आपको हमें कमेंट कर सकते हैं.