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  • कंप्यूटर में फोटो साफ कैसे करते हैं Best Photo Editor for cleaning Photos

    कंप्यूटर में फोटो साफ कैसे करते हैं Best Photo Editor for cleaning Photos

    क्या आप भी आपकी Photos को Clean करना चाहते हैं? अपने कंप्यूटर की मदद से तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा आज हम आपके साथ में कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर के बारे में बात करेंगे जो कि आपके किसी भी फोटो को साफ करने तथा उसका कलर बढ़ाने में मदद कर सकते हैं जिन्हें आप आपके कंप्यूटर पर डाउनलोड कर इस्तेमाल कर पाएंगे.

    अक्सर हम हमारी फोटो को संभाल कर रखने के लिए उन्हें हम किसी भी एलबम में रख देते हैं परंतु जब हम कुछ समय बाद उन फोटोस को देखते हैं तो वह काफी गंदी और साफ नहीं दिखती है इसके कई कारण हो सकते हैं, एल्बम में नमी होने के कारण धूल मिट्टी आ जाने के कारण हमारी फोटोस खराब हो जाती हैं, लेकिन आप आपके कंप्यूटर की मदद से उन फोटो को साफ कर सकते हैं, साथ ही साथ पहले से भी बेहतर बना सकते हैं जिसके लिए आपको एक सॉफ्टवेयर अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करना होगा हमने आपको इस आर्टिकल में तीन ऐसे सॉफ्टवेयर के बारे में बताया है जो कि यह कार्य करने में बहुत ही ज्यादा सक्षम है.

    इन सॉफ्टवेयर की मदद से आप आपकी फोटो की नॉइस रिडक्शन कर सकते हैं अनवांटेड एलिमेंट्स को रिमूव कर सकते हैं इमेज का साइज बढ़ा सकते हैं तथा इमेज को क्रॉप भी कर सकते हैं.

    3 Best Photo Editor for Cleaning and Editing Photos

    1. PhotoShop

    हमारे लिस्ट पर नंबर वन जो Photo Editor आता है वह PhotoShop है अगर आप कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपने इस फोटो एडिटर के बारे में एक ना एक बार जरूर सुना होगा यह बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय Photo Editor है जो कि बेहतरीन फीचर्स के साथ आता है जिसे आप कंप्यूटर लैपटाप तथा मोबाइल फोन पर इस्तेमाल कर सकते हैं साथ ही साथ आपको फोटोशॉप एक फ्री ट्रायल वर्जन भी प्रोवाइड कर आता है जिसकी मदद से आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह Photo एडिटर किस तरह से काम करता है, अगर आपको यह Photo पसंद आता है, तो आप खरीद सकते हैं इसकी वेबसाइट पर जाकर.

    PhotoShop Features.

    • Better, faster portrait selection
    • Adobe camera waw improvements
    • Auto-activate Adobe Fonts
    • Add rotatable patterns
    • Improved Match Font
    • Crop and Resize.
    • Stylish Fonts.

    2. Luminar

    हमारे लिस्ट में यह एडिटर दूसरे नंबर पर आता है जिसका नाम है लुमिनार जो कि आपको 7 दिन के लिए फ्री में अपना अपनी Service and Features का लाभ उठाने का मौका देता है, इस फोटो एडिटर के माध्यम से आप आपकी फोटोस को क्लीन तथा एक बेहतरीन लुक दे सकते हैं इस फोटो एडिटर में बहुत अच्छी AI टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है साथ ही साथ इसमें Layers, Mask, Blending, उपलब्ध हैं जिसकी सहायता से आप आपकी फोटो में चार चांद लगा सकते हैं.

    आप की फोटोस को Blur तथा कलरफुल बना सकते हैं इस फोटो एडिटर में आपको फोटो ऑटोमेटिक फिल्टर भी देखने को मिल जाते हैं जिसकी सहायता से आप 1 click में अपनी फोटो का कलर चेंज कर सकते हैं.

    Luminar Features

    • Best Brushes
    • Multiple Layers
    • AI Powerd
    • Sky Replacement
    • Sunrays
    • Blending Mode
    • Masks
    • Image Filters

    3. LightZone

    यह भी बहुत अच्छा फोटो एडिटर है, आपकी गंदी फोटो स्कोर साफ करने के लिए यह फोटो एडिटर भी उन्हीं फोटो एडिटर की तरह कार्य करता है जिन्हें हमने इस आर्टिकल में आपके साथ साझा किए हैं PhotoShop and Luminar इस फोटो एडिटर में भी आपको वहीं features देखने को मिल जाते हैं लेकिन इसमें आपको थोड़े अलग तरह के फीचर्स देखने को मिलते हैं साथ ही साथ इस का जो इंटरफ़ेस है वह थोड़ा अलग है किसी भी दूसरे फोटो एडिटर के मुकाबले इस फोटो एडिटर की सबसे खास बात यह है कि यह बिल्कुल फ्री फोटो एडिटर है, आप इसे बिल्कुल फ्री अपने कंप्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं नीचे दिए हुए लिंक से.

    LightZone Features

    • Colour Filters
    • Open Source free to use
    • Photo Resizing
    • Mask
    • All Photo format like PNG, JPG

    इन फोटो एडिटर को डाउनलोड तथा इंस्टॉल करना बहुत ही ज्यादा आसान है, आपको सिर्फ ऊपर दिए हुए लिंक पर क्लिक करें डाउनलोड कर लेना है अपने कंप्यूटर पर उसके बाद Next पर क्लिक कर आप इसे इंस्टॉल कर सकते हैं. हम आशा करते हैं कि आपको हमारे यहां Article पसंद आया होगा और आपकी समस्या का समाधान हुआ होगा इसी प्रकार हमारे कुछ बेहतरीन Photo Clean Editors.

  • कम्प्यूटर की मूल संरचना तथा इसके भाग

    कम्प्यूटर की मूल संरचना तथा इसके भाग

    कम्प्यूटर की मूल संरचना- यदि हम कम्प्यूटर की कार्य-प्रणाली पर ध्यान दें, तो पायक कम्प्यूटर कुछ सूचनाओं को प्राप्त करता है फिर निश्चित निर्देशों का प्रदत्त क्रम में अनुपालन करते हुये सूचना की आवश्यकतानुसार गणना एवं उसका विश्लेषण कर, शुद्ध एवं सत्य परिणाम को प्रस्तुत करता है।

    उदाहरण के लिये- हमारे आस-पास कोई आटा चक्की तो होगी ही। यदि हम इसे ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि आटा चक्की भी तीन भागों में बँटी होती है- पहला भाग, जिसमें गेहूँ डालते हैं, इस चक्की की इनपुट डिवाइसेज है, दूसरा भाग, जिसमें गेहूँ पिसकर आटे के रूप में परिवर्तित होता है, इस चक्की की विश्लेषक इकाई है एवं तीसरा भाग जहाँ से आटा बाहर निकलता है, इसे चक्की की आउटपुट डिवाइसेज कहते हैं।

    कम्प्यूटर के भाग- संरचनात्मक दृष्टिकोण से कम्प्यूटर को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है- 

    (1) सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट 

    (2) स्मृति 

    (3) इनपुट डिवाइसेज 

    (4) आउटपुट डिवाइसेज।

    (1) सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का हिन्दी अनुवाद केन्द्रीय विश्लेषण इकाई है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि कम्प्यूटर का वह भाग, जहाँ पर प्राप्त सूचनाओं की गणना एवं उनका विश्लेषण होता है, सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट अर्थात् केन्द्रीय विश्लेषक इकाई कहलाता है।

    सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को दो भागों में बाँटा जा सकता है

    (i) नियन्त्रक इकाई (ii) अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई।

    (i) नियन्त्रक इकाई (CU)- नियन्त्रक इकाई का कार्य कम्प्यूटर की इनटप. आउटपुट युक्तियों तथा स्टैण्डर्ड डिवाइज को नियन्त्रण में रखना है। इनपुट यक्तिगर सूचनाओं को प्राप्त करना, इन्हें कम्प्यूटर के समझने योग्य संकेतों में बदलना, इन्हें ALUT भेजना, ALU से विश्लेषण के उपरान्त प्राप्त परिणामों को आऊटपुट युक्ति तक भेजना, समान का उचित प्रयोग करना एवं आऊटपुट युक्तियों को विश्लेषण के उपरान्त प्राप्त परिणाम को प्रस्तुत करने के लिय भेजना, इसका मुख्य कार्य है।

    Control unit के कार्य

    (A) यह प्रोग्राम के निर्देशों को मैमोरी से उचित डिवाइसेस तक पहुंचाता है ताकि data process हो सके।

    (B) यह निर्देशों के execution हेतु आवश्यक timing व control signal generate करता है।

    (C) यह computer के अन्य resources जैसे- CPU, memory, input, output device i ont fabular 3/19946 status, timing a control signal प्रदान करता है।

    (व) यह data के आदान-प्रदान को नियंत्रित करता है।

    (ii) अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई (ALU)- कम्प्यूटर के इस भाग में सभी अंकगणितीय गणनायें तथा तार्किक विश्लेषण होते हैं। यह अपने द्वारा संचित सभी निष्कर्षों की स्मृति में भेज देता है।

    ALU के कार्य

    (A) यह increment, decrement shift, clear operation सम्पन्न करता है।

    (B) एक computer कितने व किस प्रकार की गणितीय व logic क्रियाओं को करने में सक्षम है। इनका निर्धारण A.L.U. द्वारा ही होता है।

    (C) इसमें सभी process C.U. के निर्देश में एवं binary format में सम्पन्न होती है।

  • Computer Memory Kya he or Memory ke Prakar

    Computer Memory Kya he or Memory ke Prakar

    Computer Memory Kya he or Memory ke Prakar

    स्मृति (Memory)- किसी भी निर्देश, सूचना अथवा परिणाम को संचित करके रखना ही स्मृति कहलाता है। हमारे मस्तिष्क का भी एक भाग स्मृति के लिये प्रयोग होता है। यदि हमें कोई गणना करनी है तो जिन संख्याओं की गणना की जानी है उनको पहले स्मृति में रखते हैं, फिर गणना के उपरान्त परिणामों को स्मृति में रखने के बाद ही उत्तर देते हैं। अतःस्पष्ट है कि स्मृति हमारे मस्तिष्क में दिये जाने वाले सन्देशों, सूचनाओं, निर्देशों आदि को संचित करके रखने वाला एक भाग है। कम्प्यूटर द्वारा वे सभी कार्य कराये जा सकते हैं, जिनको हम अपने मस्तिष्क से करते हैं। । स्मृति में प्रोग्राम को संचित करने की विधि- कम्प्यूटर की स्मृति में प्रोग्राम को संचित करने की निम्नलिखित दो विधियाँ हैं।

    (i) SAM (Sequential Access Memory)

    (ii) RAM (Random Access Memory)

    Computer Memory ke Prakar

    (i) SAM (Sequential Access Memory)-

    Sequential Access Memory

    SAM का अर्थ है- क्रमिक अभिगम स्मृति अर्थात् क्रमवार लिखना या पढ़ना। जिस प्रका हम कैसिट पर गाना रिकॉर्ड करते हैं और यदि किसी कैसिट पर सन्देश गाने को सुनना चाहते हैं, तो पहले आरम्भ के 4 गानों को फॉरवर्ड करना होगा। इसी प्रकार जब कम्प्यूटर का डाटा मैग्नेटिक टेप पर स्टोर किया जाता है, तो वह भी ठीक इसी प्रकार लिखा या पढ़ा जाता है। स्टोर करने की इस पद्धति को SAM कहा जाता है।

    (2) RAM (Random Access Memory)-

    Random Access Memory

    RAM का अर्थ है– अक्रमिक अभिगम स्मृति अर्थात् बिना किसी निश्चित क्रम में लिखना व पढ़ना। जिस प्रकार गाने को ग्रामोफोन के रिकार्ड पर सुनने के लिये किसी क्रम की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यदि उस पर स्टोर 5वाँ गाना सुनना है तो ग्रामोफोन की सुई डायरेक्ट उस गाने पर रख देते हैं और वह बजने लगता है, ठीक उसी प्रकार फ्लॉपी पर कम्प्यूटर प्रोग्राम को लिखना और पढ़ना होता है। कम्प्यूटर की आन्तरिक स्मृति जिस IC परं संचित की जाती है वह हमेशा आक्रमिक अभिगम पद्धति से ही लिखी अथवा पढ़ी जाती है। अतः RAM एवं ROM दोनों ही IC वस्तुतः RAM ही होती है।

    विशेषतायें

    (1) रैम प्रोग्राम के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक निर्देशों को संग्रहित करती है।

    (2) Main memory हमेशा सीधे तौर पर CPU द्वारा ही access की जाती है।

    (3) Mainmemory का access time काफी कम होता है। लगभग 50 nanosecond

    (4) इसे read-write memory भी कहा जाता है।

    (5) यह volatile memory है। RAM पुनः दो प्रकार की होती है।

    (i) Static RAM-

    इसमें सूचना के storage हेतु Flip-Flop परिपथ का प्रयोग किया जाता है जो पॉवर सप्लाई के चालू होने पर data को रख सकते हैं। इस परिपथ की दो अवस्थायें Set एवं Reset क्रमशः 1 एवं 0 को प्रदर्शित करती है। _ Static RAM में रिफ्रेशिंग की आवश्यकता नहीं होती है। Static RAM तेज एवं महँगी होती है। इनका प्रयोग cache memory बनाने में होता है।

    (ii) Dynamic RAM-

    इसमें सूचना के संग्रहण हेतु केपिसिटर (Capacitors) का प्रयोग होता है। Capacitor का आवेशित होना 1 एवं अनावेशित होना 0 को प्रदर्शित करता है। इन capacitor पर आवेश के समय Leakage होने के कारण इन्हें निश्चित अवधि में बाह्य परिपथ द्वारा रिफ्रेश किया जाता है। कम्प्यूटर की स्मृति के भाग- कम्प्यूटर की स्मृति को दो भागों में बाँटा जा सकता है।

    (i) आन्तरिक स्मृति (ii) बाह्य स्मृति।

    (i) आन्तरिक स्मृति– स्मृति के बारे में इससे पूर्व प्रश्न में जो वर्णन किया गया है। वह आन्तरिक स्मृति के बारे में ही था। कम्प्यूटर की आन्तरिक स्मृति, जो IC पर स्टोर की जाती है सेमी कंडक्टर मेमोरी कहलाती है।

    कम्प्यूटर की आन्तरिक स्मृति का विभाजन दो भागों में किया जा सकता है।

    (A) रीड ओनली मेमोरी (B) रीड/राइट मेमोरी।

    (a) रीड ओनली मेमोरी (ROM)-

    ROM उसे कहते हैं, जिसमें लिखे हुये प्रोग्राम के आउटपुट को हम केवल पढ़ सकते हैं, परन्तु उसमें अपना प्रोग्राम संचित नहीं कर सकती ROM में अक्सर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा प्रोग्राम संचित करके कम्प्यूटर में स्थायी काल जाते हैं, जो समयानुसार कार्य करते रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेटर को निर्देश देते रहते हैं।

    बेसिक इनपुट-आउटपुट सिस्टम (Basic input-output system)- नाम का एक प्रोग्राम ROM का उदाहरण है, जो कम्प्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट आउटपुट डिवाइसेज को चैक करने एवं नियन्त्रित करने का काम करता है। आरम्भ में ROM के लिये यह बाध्यता थी कि कम्प्यूटर-निर्माता भी एक बार किसी प्रोग्राम को इस IC पर स्टोर करने के बाद उसे न तो मिटा सकते थे और न ही उस प्रोग्राम को संशोधित कर सकते थे, परन्तु बाद में PROM, EPROM, EEPROM नाम की मेमोरी रखने वाली IC बनायी गयीं, जिनके निम्न लाभ हैं।

    (1) प्रोग्रामेबिल रोम (PROM)– इस स्मृति में किसी प्रोग्राम को केवल एक बार संचित किया जा सकता है, परन्तु न तो उसे मिटाया जा सकता है और न ही उसे संशोधित किया जा सकता है।

    (2) इरेजेबिल प्रॉम (EPROM)– इसमे संचित किया गया प्रोग्राम मिटाया जा सकता है। यदि कोई प्रोग्राम बहुत समय पहले संचित किया गया था, जिसे मिटाकर उसके स्थान पर हम नया प्रोग्राम संचित करना चाहते हैं, तो यह कार्य EPROM द्वारा सम्भव है

    (3) इलेक्ट्रिकली-इ-प्रॉम (EEPROM)- इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल प्रॉम पर स्टोर किये गये प्रोग्राम को मिटाने अथवा संशोधित करने के लिये किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। इलेक्ट्रीकली सिगनल, जो कि कम्प्यूटर में ही उपलब्ध रहते हैं, हमारे द्वारा कमाण्ड्स दिये जाने पर इस प्रोग्राम को संशोधित कर देते हैं।

    (b) बाह्य स्मृति-

    कम्प्यूटर पर अपने किये गये कार्य को संचित करने के लिये बाब मेमोरी RAM और SAM दोनों प्रकार से कार्य करती है। इनकी संग्रहण क्षमता आन्तरिक स्मृति की अपेक्षा अधिक होती है। ये अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं, परन्तु बाह्य स्मृति की का आन्तरिक मेमोरी की अपेक्षा अत्यन्त कम होती है। बाह्य मेमोरी निम्न प्रकार की हो सकती है।

    Also Read: Computer Cache Memory Kya he?

    (1) फ्लॉपी डिस्क– डिस्क का निर्माण ट्रैक/सैक्टर के समूह द्वारा होता है। सूचनायें संचित की जा सकती हैं। संचयन क्षमता ट्रैक/सैक्टर के अभिलेखन पर निर्भर करती है।

    (2) सीडी-रोम– यह एक उच्च क्षमता वाला भण्डारण उपकरण है, जो लगभग 650 MB तक सूचनायें संचित कर सकता है। 

    (3) हार्ड डिस्क– हार्ड डिस्क बहुत अधिक मात्रा में (20GB से 160GB तक) डाटा संचित करने की क्षमता रखती है।

  • AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना

    AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना

    AutoContent kya he

    AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना- ऑटो AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना बहुत ही सरल है। केवल आपको दिये गये विकल्पों को चुनना होता है एवं नेक्स्ट पर क्लिक करते रहना है जब तक कि नेक्स्ट बटन अनहाइलाइटेड न हो जाये। ऑटो कन्टैन्ट विजार्ड की सहायता से प्रस्तुति बनाने के निम्न पदों का अनुसरण करें

    AutoContent Wizard

    AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना

    • PowerPoint खुलने के साथ ही स्क्रीन पर एक डायलॉग बॉक्स आयेगा। इसमें आपको चार विकल्प दिखाई देंगे। इस पद में ऑटो कान्टेन्ट विजार्ड के रेडियो बटन । पर क्लिक करें और नेक्स्ट को चुनें।
    • इसके बाद ऑटो कॉन्टेन्ट विजार्ड का डायलॉग बॉक्स प्रदर्शित होगा। यहाँ डायलॉग बॉक्स पर नेक्स्ट क्लिक करें।
    • अब, आप कैसे प्रस्तुति बनाना चाहते हैं उसको क्लिक करें उदाहरणार्थ Sales/Marketing के पुश बटन पर क्लिक करें एवं बॉक्स से Selling a product or Service को क्लिक करें।
    • नेक्स्ट क्लिक करें।
    • इस चरण में आप आउटपट किस तरह चाहते हैं इसको निर्धारित करें। इसके विकल्प है।
    • On-screen presentation।
    • Web Presentation।
    • Black and white overheads।
    • Color overheads।
    • 35mm Slides।
    • On screen Presentation को क्लिक करें तथा नेक्स्ट को क्लिक करें।
    • इस चरण में Presentation title के टैक्स्ट बॉक्स में अपने प्रस्तुति का शीर्षक दें एवं फुटर के टैक्स्ट बॉक्स में आवश्यकतानुसार फुटर टाइप करें।
    • Datalast updated : इस विकल्प का प्रयोग प्रत्येक स्लाइड में अपडेट की अंतिम तिथि को प्रदर्शित करने के लिये होता है।
    • Slide number : इस विकल्प का प्रयोग प्रत्येक स्लाइड में स्लाइड के क्रमांक को प्रदर्शित करने के लिये होता है।
    • नेक्स्ट को क्लिक करें।
    • तथा, फिर Finish को क्लिक करें।

    AutoContent Wizard के उपरोक्त पदों को प्रयोग करने के बाद स्क्रीन पर चित्र निम्नानुसार दिखाई देगा.

  • Search Engines क्या है? Web में आप किस प्रकार से सर्च करेंगे?

    Search Engines क्या है? Web में आप किस प्रकार से सर्च करेंगे?

    आज हम सीखेंगे कि किस तरह से Search Engines कार्य करता है और आप उस पर कोई प्रश्न करते हैं तो वह किस प्रकार आपका उत्तर देने में मददगार होता है आज के इस आर्टिकल को आप पढ़ते रहिए और जानकारी प्राप्त करते रहिए.

    सर्च इंजिन (Search Engines)– इंटरनेट को सूचनाओं का महासागर की उपाधि दी जाए तो यह अतिशयोक्ति न होगी। इन सूचनाओं के इस महा भंडार के साथ काठनाई यह है कि इसका कोई केन्द्रीय व्यवस्थापक नहीं है। अतः इस पर एक-एक विशेष सूचना खोजना अति मुश्किल कार्य है। इस समस्या के लिये कम्पनियों ने समाधान के रूप में एस program का विकास किया है जिसे सर्च इंजिन कहते हैं। सर्च इंजिन इंटरनेट पर उपलब्ध सूचना को तलाश करने में हमारी हर संभव मदद करता है।

    Search Engines क्या है? Web में आप किस प्रकार से सर्च करेंगे?

    वेब को खोजना (Searching the Web)- वेब के माध्यम से इच्छित सूचनाओं को तलाशना हमेशा आसान नहीं होता है। ऐसा इसलिए है कि web पर लाखों की संख्या में website उपलब्ध है तथा हजारों की संख्या में समानता रखने वाले page होते हैं। इस खण्ड में हम विभिन्न प्रकार से web पर सूचनाओं को खोजने की प्रक्रिया करेंगे। Web पर दो प्रकार से सूचना को सर्च (search) किया जाता है।

    (1) डायरेक्ट्री (Directories) के द्वारा .

    (2) की-वर्ड (Key-words) के द्वारा.

    (1) डायरेक्ट्री के द्वारा (Using A Directory)- 

    डारेक्टरी के माध्यम से आप जिस विषय पर सूचना पाना चाह रहे हो उस category का चुनाव करते हैं। Directory एक विशेष विषय को निरूपित करती है तथा वह अपने अंदर कई Sub-directory रखती हा जिसका चुनाव करते हुए आप उस खास categoryको चुनते हैं। जब आप उस विशेष directory को चुनते हैं तब directory उस विषय से सम्बन्धित website की सूची प्रदर्शित करती है। उदाहरण के रूप में लूकस्मार्ड नामक सर्च इंजिन को देखें।

    (2) की-वर्ड (Key-words) के द्वारा-

    सर्च इंजिन आपको की-वर्ड के आधार पर भी उससे सम्बन्धित वेवसाइट की सूची प्रदान करता है। कुछ सर्च इंजिन किसी एक key word के आधार पर सर्च करती है। जबकि अधिकतर सर्च इंजिन कई key word के आधार पर सर्च करते हैं। जैसे- “Internet and E-commerce” कई सर्च इंजिन पर आप अंग्रेजी के । पूरे वाक्य या वाक्य खण्ड या प्रश्न के आधार पर एक्सेस कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर “Novels written byO. Henry” या “How is election held in UK” चित्र में आप इस । तरह के खोज (search) को www./ycos.com में देख सकते हैं।

  • What is Microsoft Word processing in Hindi-वर्ड प्रोसेसिंग की कमांड्स पर विस्तारपूर्वक

    What is Microsoft Word processing in Hindi-वर्ड प्रोसेसिंग की कमांड्स पर विस्तारपूर्वक

    Word processing की अवधारणा– कम्प्यूटर पर गणनाओं के अतिरिक्त सबसे पहले जो कार्य सम्पन्न हुआ था वह वर्ड प्रोसेसिंग ही था। कैलकुलेशन करने के पश्चात् लोगों ने इसका प्रयोग पत्र लिखने जैसे कार्यों के लिये प्रारम्भ किया और इससे सम्बन्धित एप्लीकेशन सॉफ्टवेयरों का निर्माण किया। पीसी के प्रारम्भ में वर्ड प्रोसेसिंग के वर्ड स्टार और वर्ड परफेक्ट जैसे सॉफ्टवेयर प्रयोग होते थे। लेकिन वर्तमान समय में इस कार्य के लिये विंडोज पर आधारित सॉफ्टवेयरों का प्रयोग किया जाता है और इनमें सबसे ज्यादा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के भाग माइक्रोसॉफ्ट वर्ड को प्रयोग करते हैं.

    Word Processing को जब हम परिभाषित करते हैं तो इसका सीधा सा अर्थ यह होता है कि कम्प्यूटर के द्वारा टाइपिंग का कार्य करना और उसे विधिवत ले-आउट में सजाना। आजकल में वर्ड प्रोसेसिंग इतनी आगे चली गई है। कि अब हम इसे मुँह से बोलकर भी संपन्न कर सकते हैं.

    वर्ड प्रोसेसिंग के अन्तर्गत जब हम टैक्स्ट मैटर टाइप करते हैं तो उसे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी तरफ एलाइन कर सकते हैं। एलाइन करने का अर्थ होता है कि सभी लाइनों को एक तरफ करके पंक्तिबद्ध करना.

    कम्प्यूटर के द्वारा वर्ड प्रोसेसिंग की अन्य विशेषतायें भी हैं जिनसे यह कार्य बहुत ही आसान हो गया है।

    Microsoft Word processing इनकी विशेषतायें निम्न प्रकार हैं.

    (1) ऑटो करेक्शन-

    जब हम कम्प्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के द्वारा वर्ड प्रोसेसिंग का कार्य करते हैं तो हमें इसमें एक विशेष सुविधा मिलती है। इससे कम्प्यूटर हमारे द्वारा टाइपिंग में की गयी व्याकरण संबंधी गलतियों और कैप्टलाइजेशन संबंधी गलतियों को पहचान करके स्वयं ही ठीक करता है। इसके अलावा यदि किसी शब्द की स्पेलिंग गलत है तो यह हमारे सामने कुछ ऐसे शब्द लाता है जो उस गलत शब्द से मिलते-जुलते होते हैं जबकि यह उनके सही रूप होते हैं। हम इसमें से अपनी पसंद का सही शब्द चुनकर उसे दस्तावेज में जोड़ सकते हैं। ऑटो करेक्ट नामक यह सुविधा कम्प्यूटर के वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर में जुड़ी मुख्य डिक्शनरी का प्रयोग करती है.

    अब हम कम्प्यूटर में अलग-अलग भाषाओं में भी वर्ड प्रोसेसिंग की ऑटो करेक्शन सुविधा का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन हमें ऐसा करने के लिये उससे संबंधित डिक्शनरी को कम्प्यूटर में इंस्टॉल करना होगा। माइक्रोसॉफ्ट ने इस कार्य के लिये एक प्रूफिंग टूल किट बनाई है जिससे हम इसके वेबसाइट से अपने कम्प्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं.

    (2) ऑटो फॉर्मेट-

    फॉर्मेटिंग के लिये अब हमें कोई विशेष परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं है माइक्रोसॉफ्ट वर्ड स्वतः टैक्स्ट फॉर्मेट करने की शक्ति से संपन्न है। हम इसमें दी हई सची में फॉर्मेटिंग को सेट करके उसे दस्तावेज पर बहुत ही।सरलतापूर्वक प्रयोग कर सकते हैं. 

    (3) ऑटो कम्पलीट-

    वर्ड प्रोसेसिंग के अन्तर्गत अब हमें पूरा शब्द टाइप करने की आवश्यकता नहीं है यदि हमने कोई शब्द टाइप करना प्रारम्भ किया है तो कम्प्यूटर स्वयं ही पूरा शब्द लेकर हमारे सामने आता है जिस पर क्लिक करके हम अपने अधूरे शब्द को पूरा कर सकते हैं। ऐसा करने से स्पेलिंग की गलती की संभावना बहुत कम हो जाती है.

    (4) ऑटो समराइजेशन-

    वर्ड प्रोसेसिंग के साथ अब यह एक नई सुविधा जुड़ी है जो हमारे दस्तावेज का सारांश विश्लेषण के साथ हमारे सामने प्रस्तुत कर सकती है। हम इस सविधा का प्रयोग करके अपने दस्तावेज के कुछ खास बिन्दुआ का हाईलाइट कर सकते हैं और उन्हें एक खास स्तर पर भी रख सकते हैं। इससे हमें यह पता चल जाता है कि हमारे द्वारा बनाये हये दस्तावेज में कौन-कौन स तत्व किम मात्रा में उपलब्ध हैं ?


    वर्ड में Document बनाना-

    यदि एमएस वर्ड 2003 में हम कार्य करना चाहते हैं तो हमारे कम्प्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस वर्ड 2003 इंस्टॉल होना चाहिये। यदि यह इंस्टॉल नही है तो हम इसे अपने कम्प्यूटर में स्थापित करना होगा। इसके लिये ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में हमारे पास विंडोज एक्सपी या विंडोज 2000 का होना आवश्यक है।

    स्थापना की प्रक्रिया में हमें केवल इंस्टॉल डिस्क को अपने कम्प्यूटर में लगी सीडी ड्राइव में लगाना होता है। ऑटो रन क्षमता की वजह से इसका इंस्टालेशन मीनू अपने-आप स्क्रीन पर आ जायेगा। इनमें लिखे हुये निर्देशों को पढ़कर नेक्स्ट बटन पर क्लिक करते जायें, शेष कार्य इसका सेटअप विजार्ड स्वयं करेगा। – 

    जब यह सॉफ्टवेयर हमारे कम्प्यूटर में इंस्टॉल हो जायेगा तो विंडोज के प्रोग्राम मीनू में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के नाम से एक ग्रुप बना हुई दिखाई देगा। इस ग्रुप में दिये हुये माइक्रोसॉफ्ट वर्ड नामक विकल्प पर क्लिक कर हम इसे क्रियान्वित कर सकते हैं। क्रियान्वित होने पर वर्ड 2003 मॉनीटर पर स्क्रीन पर दिखाई देगा। डिफॉल्ट सेटिंग के कारण हमारे सामने एक खाली पेज खुलकर आता है जिसमें हम टाइपिंग का कार्य शुरू कर सकते हैं। 

    (1) फोंट-

    वर्ड 2003 हमारे लिये डिफॉल्ट सेंटिंग हेतु Times New Roman फोंट को सिलेक्ट किये हुये होता है। इसके अतिरिक्त इस फोंट का आकार भी 12 प्वाइंट निश्चित रखता है। जब हम टाइपिंग का कार्य प्रारम्भ करेंगे तो वह इसी फोंट में इसी आकार में होगा। इसका कारण यह है कि इस फोंट को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यावसायिक और व्यक्तिगत प्रयोग के लिये सबसे अधिक मान्यता प्राप्त है। यह फोंट प्रत्येक पर्सनल कम्प्यूटर में अपने आप इंस्टॉल होता है। इसके अतिरिक्त इंटरनेट के लिये भी इसे वेब सेफ माना जाता है। इस फोंट वाले दस्तावेज को हम किसी भी वेब ब्राउजर में बिना किसी परेशानी के खोल सकते.

    (2) मार्जिन्स-

    हमारे सामने जो खाली पेज खुलकर आता है उसमें मार्जिन पहले से ही निर्धारित रहते हैं। ऊपर और नीचे की ओर से एक इंच और बायें तथा दायें 125 डंच जगह छूटी रहती है। पेज के इस मार्जिन को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। इस मार्जिन को स्पष्ट रूप में देखने के लिये हमें पेज के प्रिंट लेआउट व्यू में जाना होगा.

    (3) लाइन स्पेसिंग-

    वर्ड 2003 में खाली पेज में जब हम टैक्स्ट टाइप करेंगे तो ‘सिंगल लाइन स्पेसिंग इसमें हमको पहले से ही निर्धारित मिलेगी। यह स्पेसिंग सामान्यतः पर सभी दस्तावेजों में प्रयोग की जाती है। लेकिन हम इसे अपनी आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सकते हैं.

    (4) एलाइनमेंट-

    वर्ड 2003 में डिफॉल्ट सेटिंग के तौर पर टेक्स्ट लेफ्ट एलाइन होता है। अमेरिका और यूरोप में टेक्स्ट इसी पद्धति में लिखा जाता है और यदि आप इस एलाइनमेंट को बदलना चाहते हैं तो बदल भी सकते है.

    (5) बुलैट्स और नंबर-

    यदि हम किसी सूची का निर्माण कर रहे हैं जिसमें हमें प्रत्येक पंक्ति के आगे बुलैट या नंबर प्रयोग करने हैं तो खाली पेज खोलते समय यह सुविधा भी हमें प्राप्त होगी। इसके लिये केवल स्टैंडर्ड टूलबार में दिये हुये बुलैट एंड नबंर नामक आइकन पर क्लिक करना पड़ेगा।

    (6) ऑटो करेक्ट और ऑटो फॉमेट-

    हम वर्ड में जैसे ही खाली पेज में टाइपिंग शरू करेंगे वैसे ही हमारा ऑटो करेक्ट सुविधा से सामना होगा। जैसे ही कोई गलत लिंग टाइप होगी वर्ड हमें इस बात की तुरन्त जानकारी देगा और गलत शब्द के जीरे लाल रंग की एक लाइन दिखाई देने लगेगी। इससे हम गलती में सुधार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त ऑटो फॉर्मेट सुविधा का प्रयोग करके पेज को बिना किसी खास मेहनत के फॉर्मेट भी कर सकते हैं.

    (7) टेम्पलेट प्रयोग करना-

    हमें डॉक्यूमेंट की डिजाइन बनाने में कोई परेशानी नहो इसलिये वर्ड में बड़ी संख्या में पहले से बने हुये डिजाइन होते हैं। इन्हीं डिजाइनों को टेम्पलेट कहा जाता है। यदि हमें इस टेम्पलेट डायलॉग बॉक्स में अपनी पसंद टेम्पलेट नहीं मिलता है तो हम इंटरनेट पर जाकर microsoft.com से और श्री टेम्पलेट खोज सकते हैं। इसके लिये केवल यह आवश्यक है कि हम इंटरनेट से जुड़े हों।

    (8) टैक्स्ट सिलेक्ट करना-

    हम माउस के द्वारा वर्ड में टैक्स्ट सिलेक्ट का कार्य बड़े ही आसानी से कर सकते हैं। इसके लिये हमें केवल उस स्थान पर माउस को क्लिक करना होता है जहाँ से हम टैक्स्ट सिलेक्शन का कार्य आरम्भ करना चाहते हैं

    •  क्लिक करने के बाद माउस की बायीं बटन को दबाये हुये उसे ड्रैग करेंगे। इसके लिये केवल उस स्थान पर माउस को क्लिक करना होता है जहाँ से टेक्स्ट सिलेक्शन का कार्य प्रारम्भ करना है।
    •  यदि केवल एक शब्द को माउस से सिलेक्ट करना है तो उस शब्द पर माउस प्वाइंटर से डबल क्लिक करना होता है।
    •  यदि पूरे पैराग्राफ को माउस से सिलेक्ट करना है तो पैराग्राफ में किसी भी स्थान पर माउस को तीन बार लगाकार क्लिक करना होता है। 
    • किसी भी पैराग्राफ के लेफ्ट मार्जिन पर डबल क्लिक करके परे पैराग्राफ को सिलेक्ट किया जा सकता है। . 
    • लेफ्ट मार्जिन में किसी भी जगह पर तीन बार लगातार क्लिक करके संपूर्ण डॉक्यूमेंट को सिलेक्ट किया जा सकता है। 

    (9) टेक्स्ट एडिट करना-

    टेक्स्ट एडिट करने के लिये कर्सर को उस शब्द पर ले जायेंगे। इस कार्य में माउस और की बोर्ड दोनों को प्रयोग किया जा सकता है। शब्द पर पहुँचने के बाद शब्द को सिलेक्ट करेंगे और नया शब्द टाइप कर देंगे। यदि किसी शब्द में कोई अक्षर अनावश्यक रूप से टाइप हो गया है तो कर्सर को उस अक्षर पर ले जायेंगे और डिलीट-की दबाकर उसे मिटा देंगे।

    ट्याइपिंग करते समय टैक्स्ट का केस बदलने के लिये शिफ्ट-की के साथ F3 न-का को दबाना होगा। इससे हमारे सामने कई केस आयेंगे। जिस केस में टेक्स्ट टाइप करना चाहते हैं उस विकल्प के सामने आने पर शिफ्ट की को छोड़ देंगे और चुना हुआ टेक्स्ट एडिट हो जायेगा।

    (10) फाइल को सेव करना- 

    जब वर्ड में नई फाइल खोलते हैं तो वर्ड स्वयं ही फाइल का नाम Document1 या फिर इसी क्रम में Document 2 रखता है। टेक्स्ट टाइप बाद फाइल को पहली बार सेव करने के लिये हम जब स्टैंडर्ड टल बार में बनी हुई सेव बटन पर क्लिक करेंगे तो फाइल का नाम निर्धारित करने के लिये एक विकल्प बॉक्स स्क्रीन पर आ जायेगा। 

    यहा पर हमको सेव इन नामक भाग में पाँच विकल्प दिखाई देंगे जिनसे हम उस स्थान का चुनाव कर सकते हैं जहां फाइल को सेव करना चाहते हैं। उदाहरण के लिय यदि हम फाइल को डेस्कटॉप पर सेव करना चाहते हैं तो सेव इन नामक भाग में दिये हुये डेस्कटॉप विकल्प पर क्लिक कर देंगे। इसके बाद फाइल नेम नामक भाग में आकर फाइल का वह नाम टाइप करेंगे जिस नाम से फाइल को सेव करना है। 

    फाइल का फॉर्मेट निर्धारित करने के लिये सेव ऐज़ टाइप नामक विकल्प विडी का खोलेंगे और फिर उस फॉर्मेट का चुनाव करेंगे जिसमें फाइल को सेव करना है। यदि हम फाइल को वर्ड के पुराने संस्करण में सेव करना चाहते हैं तो यह हमारे लिये बहुत उपयोगी है। 

    नाम और फॉर्मेट तय करने के पश्चात् सेव बटन पर क्लिक करेंगे। इससे फाइल हमारे द्वारा निर्धारित स्थान पर और निर्धारित नाम से सेव हो जायेगी। सेव कमांड का प्रयोग यदि की-बोर्ड से करना चाहें तो कंट्रोल की के साथ S की को दबायेंगे। 

    (11) टेक्स्ट फामेट करना-

    माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2003 में एक फॉर्मेटिंग टल बार होता है जो अपने अन्तर्गत वह सभी टूल समाहित रखता है जिनका प्रयोग करके हम फॉटिंग के कार्य को पूर्ण कर सकते हैं। इन सभी टूल्स को हम टूलबार में दिये टल्स के नाम के अनुसार ही कार्यों के लिये प्रयोग कर सकते हैं।

    (12) हैडर और फुटर प्रयोग करना-

    पेज में हैडर और फुटर प्रयोग करके हम उसे उत्कष्ट रूप प्रदान कर सकते हैं। हैडर और फुटर में हम टैक्स्ट भी टाइप कर फाइल के संदर्भ में टिप्पणी भी जोड़ सकते हैं। पेज के ऊपरी भाग में सरको जोडा जाता है और पेज के नीचे वाले भाग में फुटर को जोड़ते हैं। इन हों में हम कोई भी टैक्स्ट लिख सकते हैं। हैडर और फुटर के अन्तर्गत लिखा इमा टेक्स्ट हमारी फाइल के टेक्स्ट से अलग होता है क्योंकि यह एक अलग लेयर में स्थित होता है।

    हैडर और फुटर प्रयोग करने के लिये हम वर्ड में व्यू मीन को खोलेंगे। मीनू बोलने के लिये हमें केवल माउस प्वाइंटर ले जाना है। इससे मीन सामने आ जायेगा। इसके चौथे भाग में दिये हुये प्रथम कमांड हैडर और फटर पर क्लिक कर देंगे। जैसे ही हम इस पर क्लिक करेंगे स्क्रीन पर हैडर और फुटर का टूल बॉक्स तथा हैडर टाइप करने का एक बॉक्स आ जायेगा। हैडर नामक भाग में हम जो भी टैक्स्ट टाइप करना चाहें उसे टाइप कर सकेंगे। टैक्स्ट इंसर्ट करने के लिय हम हैडर एंड फुटर टूल बॉक्स में दिये हुये विकल्पों का भी प्रयोग कर सकते हैं। हैडर पूरा करने के बाद हम स्क्रॉल बार से पेज के नीचे वाले भाग में आयेंगे। यहां पर फटर दिखाई देगा.

    जिस प्रकार से फुटर की सेटिंग की थी उसी प्रकार से टूलबार में दिये हुये विकल्पों के द्वारा इसकी सेटिंग भी होती है। जब यह कार्य हो जायेगा तो टूल बार मे दिये हुये क्लोज बटन पर क्लिक करके इसे बंद कर देंगे। इससे सेट किया हुआ हैडर और फुटर पेज में सेट हो जायेगा। हैडर और फुटर की दूरी को पेज के ऊपरी और नीचे भाग से सेट करने के लिये हम फाइल मीनू के पेज सेटअप कमांड में दिये हुये लेआउट नामक टैब से निश्चित कर सकते हैं.

    (13) वर्ड डॉक्यूमेंट प्रिन्ट करना-

    इसके लिये हम पहले उस डॉक्यमेंट को खोलेंगे जिसे प्रिन्ट करना है और फिर स्टैण्डर्ड टूलबार में दिये प्रिंट आइकन पर क्लिक कर देंगे। इसके अलावा फाइल मीनू में दिये प्रिंट कमांड पर क्लिक करके भी यह कार्य किया जा सकता है। प्रिंट कमांड के क्रियान्वित होने से स्क्रीन पर एक प्रिन्ट डायलॉग बॉक्स आता है जिसके विकल्पों से प्रिंट रेंज, प्रतियों की संख्या इत्यादि को निर्धारित किया जा सकता है।

    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

  • E-mail भेजने तथा प्राप्त करने की विधि?

    E-mail भेजने तथा प्राप्त करने की विधि?

    अगर आप इंटरनेट का प्रयोग करते हैं अपने कंप्यूटर तथा लैपटॉप पर तो आपको E-Mail के बारे में जानकारी होना बहुत अति आवश्यक है, क्योंकि आज के युग में ज्यादा से ज्यादा कार्य ईमेल के जरिए ही किया जाता है.

    ई-मेल की अवधारणा (Concept of E-mail) : E-mail एक ऐसा system हाता है, जिसमें एक computer प्रयोगकर्ता किसी अन्य computer प्रयोगकतो का सदश एव सूचनाआ का आदान-प्रदान कर सकता है। इन सचनाओं के लिये कम्यूनिकेशन नेटवर्क का प्रयोग होता है.

    ई-मेल का यूज करने के लिये विभिन्न सॉफ्टवेयर प्रयोग में लाये जाते हैं। ई-मेल करने कालय यह आवश्यक नहीं कि भेजने वाले व प्राप्त करने वाले के पास समान कम्प्यूटर हा यदि हम किसी ऑफिस में काम कर रहे हैं व ऑफिस के अन्य व्यक्ति को E-mail के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं तो हमारे ऑफिस नेटवर्क में इंटरनेट के लिए एक गेटवे (Gateway) होता है जो हमारे संदेश को इंटरनेट के माध्यम से भेजता है।

    ई-मेल के साथ कार्य करना (Working with E-mail)-ई-मेल पर कार्य करने में निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल हैं.

    (1) ई-मेल प्रोग्राम प्रारम्भ करना

    (2) ई-मेल संदेश लिखना

    (3) ई-मेल संदेश मिटाना

    (4) ई-मेल संदेश पढ़ना

    (5) ई-मेल का उत्तर देना

    (6) ई-मेल प्रोग्राम से बाहर आना

    E-mail प्रोग्राम प्रारम्भ करना (Starting the main program)- ई-मेल प्रोग्राम को प्रारम्भ करने के लिये आपके कम्प्यूटर पर ब्राउजर जैसे- इंटरनेट एक्सप्लोरर या नेटस्केप होना चाहिए तथा आपको इंटरनेट से जुड़े होना चाहिए।

    ई-मेल को प्रारम्भ करने के लिये निम्न पदों का अनुसरण करें.

    • इंटरनेट एक्सप्लोरर के Icon को Desktop पर click करें या फिर Start → Program → Intemet Explorer का चयन करें.
    • उस साइट का एड्रेस या U.R.L. एड्रेस बॉक्स में टाइप करें जिसमें आपका ई-मेल Account है। उदा. के लिए आपका ई-मेल आई.डी.
    • Exe. : prssionofmansoor@yahoo.com है तो यू.आर.एल. box में http://www.yahoo.com टाइप करें ऐसा करने पर चित्र की भांति उस साइट का होम पेज खुलेगा।
    • Mail Icon को homepage से click करें।
    • अब yahoo.ID text box में अपना मेल ID टाइप करें तथा पासवर्ड बॉक्स में सही-सही password टाइप करें।
    • Sign in पर click करें या Enter key दबायें।

    मेल को पढ़ना (Reading the mail)-

    जब कोई user E-mail program खोलता है तब वह सबसे पहले आये हुए मेल (message) को मेल बॉक्स में देखता है। सामान्यतः ईमेल जो नये होते हैं एक प्रकार का सूचक चिन्ह रखते हैं। जैसे विषय का हाइलाइट रहना नो संदेश के बगल में Bullet या check का निशान होना ऐसा इसलिये होता है कि आप कहीं नये आये हुए मेल को छोड़ न पायें.

    मेल को पढ़ने के लिए सामान्य प्रक्रिया निम्न है

    • Check mail को click करें या Inbox को click करें।
    • फिर उस mail को खोलने के लिए उसके विषय जो हायपरलिंक होता है, को click करें जब आप मेल के विषय को click करते हैं तब आपका संदेश (messagel खुलता है।
    • Standard toolbar back बटन को mail box में जाने के लिए click करें दसरे mail को पढ़ने के लिए next या previous बटन आवश्यकतानुसार click कर सकते हैं।

    मेल बनाना तथा भेजना (Composing and sending a mail)-

    मेल कम्पोज तथा मेल पढ़ना भी दूसरी प्रक्रिया की तरह ठीक आसान है।

    इस कार्य के लिए निम्नलिखित पदों को करें.

    • Compose को mail box page से click करें ऐसा करने पर चित्र की भाँति compose box खुलेगा.
    • To text में box में मुख्य प्राप्तकर्ता का E-mail ID टाइप करें.
    • दूसरे प्राप्तकर्ता का आई.डी टाइप करने के लिए CC तथा BCC text box में संबंधित E-mail ID टाइप करें.
    • Subject text box में अपना संदेश टाइप करें.
    • अपनी व्यक्तिगत सूचना को मेल में जोड़ने के लिए प्रयोग my signature के check box का चुनाव करें.
    • Send पर click करें.

    फाइलों को संलग्न करना (Attaching files)-

    File को संलग्न (Attach) करने की सुविधा ई-मेल का बढ़िया फीचर है, जिसकी मदद से आप ई-मेल के साथ अतिरिक्त सूचना को एक फाइल के साथ store कर भेज सकते हैं.

    File को Attach करने के लिये निम्न पदों का अनुसरण करें-

    • Compose box में Attach files को click करें। ऐसा करने पर Attach file – डायलॉग बॉक्स चित्र की भाँति खुलेगा।
    • अपने कम्प्यूटर पर file को लोकेट करने के लिए Browse पर click करें।
    • फिर Attach files पर click करें।

    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

    हम आशा करते हैं कि आपको यह Article पढ़ के मजा आया होगा, इस आर्टिकल में हमने “Email Kya he or Kaise Send Kiya jata he” के बारे में आपको जानकारी दी है, अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी हमसे छूट गई हो तो कृपया कर उसे Comment में हमसे साझा करें.

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  • Computer Ke Pramukh kaary and Input Device Name

    Computer Ke Pramukh kaary and Input Device Name

    Computer के चार प्रमुख कार्य- कम्प्यूटर के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं. (1) डाटा का संकलन तथा निवेशन (2) डाटा का संचयन (3) डाटा की संसाधन (प्रक्रिया) (4) प्रक्रिया के बाद परिणाम(सूचना)का निर्गम।

    Computer Ke Pramukh kaary

    Computer Ke Pramukh kaary

    निवेश युक्तियाँ– प्रयोक्ता आँकड़ों को संकलित करते हैं और डाटा पर प्रक्रिया (Data Process) करते हैं। डाटा और निर्देश कम्प्यूटर में जिस यूनिट से प्रविष्ट किये जाते हैं, वह इनपुट यूनिट कहलाती है। इनपुट यूनिट, प्रयोक्ता द्वारा प्रदत्त डाटा और निर्देशों को विद्यत संकेतों में परिवर्तित करके कम्प्यूटर के समझने योग्य बनाती हैं। सामान्यतया Input Device यूनिट में की-बोर्ड प्रयुक्त किया जाता है। इनपुट यूनिट के लिये निम्नलिखित अन्य इनपुट डिवाइसेज भी उपलब्ध रहती हैं.

    (1) की-बोर्ड(7) MICR
    (2) माउस (8) पंचकार्ड
    (3) स्कैनर(9) OCR
    (4) टच स्क्रीन(10) डिजिटल कैमरा
    (5) वाइस स्किनाइजर(11) OMR
    (6) ग्राफिक टेबलेट(12) जॉयस्टिक
    (13) ट्रेकबॉल(14) लाइटपेन.

    इनपुट डिवाइस के रूप में माइक्रोफोन भी प्रयुक्त किये जा सकते हैं जिनसे हम अपनी आवाज कम्प्यूटर में प्रविष्ट करा सकते हैं।

    इनपुट यूनिट बाहरी दुनिया के डाटा व निर्देशों को कम्प्यूटर के विभिन्न आन्तरिक भागों में पहुंचाता है। विभिन्न प्रकार की इनपुट डिवाइसेज आती हैं। ये इनपुट डिवाइसेज दो प्रकार की तकनीक लिये हो सकती हैं

    (1) ऑन लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में रहते हैं। ये डिवाइसेज कम्प्यूटर के साथ सक्रिय होकर इनपुट का कार्य सम्पन्न करते हैं।

    (2) ऑफ लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में नहीं रहते हैं। इनपट उपकरण- कम्प्यूटर को चाहे निर्देश देने हों या फिर उसमें डेटा इनपुट करना हो सभी के लिये हमें इनपुट उपकरणों की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में मुख्य इनपुट उपकरण की-बोर्ड के अलावा भी कई इनपुट डिवाइसों को प्रयोग किया जाता है।

    Cpmputer Input Device Names

    (1) की-बोर्ड-

    यह कम्प्यूटर का प्राइमरी इनपुट उपकरण है। इसके द्वारा करेक्टरों के रूप में टेक्स्ट को इनपुट कर सकते हैं। इस कार्य के लिये इसमें कीज़ होती हैं जिन्हें दबाने पर उससे सम्बन्धित अक्षर स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है। इसे सीपीयू से जोड़ा जाता है। इसका स्टैण्डर्ड ले-आउट इस तरह से होता है।

    keyboard kya he

    जब तक पीसी मेंडॉस को ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है तब उपरोक्त वर्णित QWERTY ले-आउट वाला की-बोर्ड ही प्रयोग होता रहा। लेकिन विन्डोज़ के ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलने के बाद इसमें कई नयी कीज़ को जोड़ा गया। चूँकि विंडोज का निर्माण माइक्रोसोफ्ट ने किया था। इसलिये की-बोर्ड के नये ले-आउट का डिजाइन भी माइक्रोसॉफ्ट ने ही निर्धारित किया। नये ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रयोग के बाद आज जिस कीबोर्ड को प्रयोग किया जा रहा है।

    (2) माउस सिस्टम-

    mouse kya he

    वर्तमान समय में ऑप्टीकल माउस को सबसे ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है। इसमें बाल के स्थान पर लाइट का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग इसलिये भी बढ़ रहा है कि इसमें मेन्टीनेन्स की जरूरत नहीं होती है। प्रकाश के परावर्तन के सिद्धान्त पर यह कार्य करता है। माउस बटनों के हिसाब से दो प्रकारों में उपलब्ध हैं। पहला दो बटन वाला माउस और दूसरा तीन बटन वाला माउस। इन दोनों प्रकार के माउस सिस्टम को हम अपनी आवश्यकतानुसार अलग-अलग साफ्टवेयरों में प्रयोग कर सकते हैं। बटनों के अलावा – इंटरनेट के प्रयोग को सरल बनाने हेतु इसमें एक स्क्रॉल बार को भी जोड़ा गया है जिसे घुमाने पर वेब पेज में आसानी से ऊपर नीचे जाया जा सकता है। कुछ इमेज एडीटिंग सॉफ्टवेयरों में यह स्क्रॉल बार या बटन इमेज को जूम-इन और जूम-आउट करने में भी सक्षम होती है।

    (3) स्कैनर-

    वर्तमान समय में इस डिवाइस का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके द्वारा हम किसी भी डॉक्यूमेंट को स्कैन करके कम्प्यूटर के अंदर भेज सकते हैं तथा उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार बदलाव करके किसी भी इमेज प्रोसेसिंग प्रोग्राम के साथ प्रयोग कर सकते हैं। स्कैनरों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है।

    Printer kya he

    (a) हैंडी स्कैनर– इस श्रेणी के स्कैनरों का प्रयोग काफी छोटी-छोटी फोटोग्राफ या ड्राइंग को स्कैन करने के लिये किया जाता है।

    (b) डेस्कटॉप स्कैनर– इस प्रकार के स्कैनरों में हम A-4 साइज के किसी कागज को डालकर स्कैन कर सकते हैं। स्कैन चार भागों में विभाजित होता हैं- स्कैन कार्ड,स्कैनर, केबल एंड कनेक्टर, स्कैनिंग सॉफ्टवेयर। कम्प्यूटर में सर्वप्रथम मदरबोर्ड में स्कैन कार्ड को लगाते हैं

    (c) ड्रम स्कैनर– इस स्कैनर को व्यावसायिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। यह सबसे उच्च क्वालिटी की स्कैनिंग करने में सक्षम होता है। ऑफसेट प्रिंटिंग के लिये यह आदर्श स्कैनर होता है। इसमें स्कैनिंग का कार्य फोटो मल्टीप्लाइर ट्यूब के द्वारा होता है। इसके विपरीत डेस्कटॉप स्कैनर जिसे फ्लैट बड स्कैनर कहते हैं में CCD का प्रयोग होता है। ड्रम स्कैनर कागज पर प्रिंट इमेज के अलावा फिल्म को भी स्कैन करने में सक्षम होता है।

    (4) टच स्क्रीन-

    वर्तमान समय में इस तकनीक का प्रयोग अमेरिका, जापान व यूरोप के देशों में अपनी आवश्यकतानुसार सूचनाओं को देखने के लिये किया जाता है। इस तकनीक के ‘अन्तर्गत मॉनीटर पर एक मीनू आता है, इस मीनू में जब हम अपनी ऊंगली के द्वारा किसी कमांड को छूते हैं तो वह कमांड क्रियान्वित हो जाती है और हम इच्छित सूचना को मॉनीटर पर देख सकते हैं। वर्तमान समय में लैपटॉप, मोबाइल फोन, बैंकों की ATM मशीनों में इसका जमकर प्रयोग हो रहा है।

    (5) वाइस स्किग्नाइजर (माइक्रोफोन)-

    इस यंत्र के द्वारा हम अपनी आवाज के द्वारा कम्प्यूटर को निर्देश दे सकते हैं, कम्प्यूटर इस यंत्र के द्वारा आवाज को पहचान कर निर्देश ग्रहण करता है और फिर उन निर्देशों को क्रियान्वित करता है। इस समय इस तकनीक का प्रयोग शब्दों को कम्प्यूटर पर टाइप करने में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उपकरण के रूप में माइक का प्रयोग इस कार्य के लिये किया जाता है। इसे कम्प्यूटर की साउंड पोर्ट से जोड़ा जाता है।

    (6) लाइट पेन-

    इस पेन का प्रयोग बार कोड को पढ़ने में किया जाता है। बार कोड पढ़ने के पश्चात् यह यंत्र कम्प्यूटर के मॉनीटर पर दिखाई देता है। इस प्रकार यह यंत्र बार कोड को कम्प्यूटर में इनपुट करता है। इसके पश्चात् हम इसे मॉनीटर पर देखते हैं।

    (7) मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर (MICR)-

    इस शब्द का पूरा नाम मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर है। इस यंत्र के द्वारा हम वर्तमान समय में चैक बुक पर प्रिंट किये गये नम्बरों को पढ़कर उनका प्रयोग करते हैं। इसी कारण इस यंत्र का प्रयोग बैंकों के क्लियरिंग हाउस में सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

    (8) पंच कार्ड-

    इस कार्ड के द्वारा कम्प्यूटर के प्रारम्भ में निर्देशों को कम्प्यूटर में फीड किया जाता था। वर्तमान समय में इसका प्रयोग बहुत कम किया जाता है। यह शुरूआती कम्प्यूटरों में निर्देश देने के खूब प्रयोग किया जाता था।

    (9) ऑप्टिकल करेक्टर रीडर(OCR)-

    इस यंत्र के द्वारा हम पेंसिल से लगे हुये निशान पहचान कर उन्हें कम्प्यूटर में फीड कर सकते हैं। इसका प्रयोग वर्तमान समय में परीक्षाओं के परिणाम जाँचने में किया जाता है। इसका सम्पूर्ण नाम -ऑप्टिकल करेक्टर रीडर है। आजकल डेस्कटॉप स्कैनरों के साथ भी इस तरह के सॉफ्टवेयरों को प्रयोग किया जाता है जो पेज पर प्रिंट अक्षरों को पढ़ सकते हैं।

    (10) डिजिटल कैमरा-

    यह एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक कैमरा होता है जिसमें फिल्म के स्थान पर एक मेमोरी चिप का प्रयोग होता है। यह प्रकाश के परावर्तन के सीसीडी सेन्सर से इमेज के रूप में कैप्चर करके मेमोरी चिप में स्टोर कर देता है जिसे कम्प्यूटर में खोला जाता है।

    (11) ऑप्टीकल मार्क रीडर (OMR)-

    यह एक ऐसी डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जाँचती है। इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित प्रकाश को जाँचा जाता है। जहाँ चिन्ह उपस्थित होगा, कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी।

    (12) जॉयस्टिक-

    यह खेल खेलने के काम में आने वाली इनपुट डिवाइस है। जॉयस्टिक के माध्यम से स्क्रीन पर उपस्थित टर्टल या आकृति को इसके हैंडिल से पकड़ कर चलाया जा सकता है। इसका प्रयोग बच्चों द्वारा प्रायः कम्प्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है, क्योंकि यह बच्चों को कम्प्यूटर सिखाने का आसान तरीका है।

    Also Read: Types of Computer in Hindi

    (13) ट्रैकर बाल-

    यह जॉयस्टिक के समान ही कार्य करती है, लेकिन छोटे बच्चों द्वारा अधिकतर प्रयोग में लायी जाती है। इसकी ऊपरी सतह पर एक बाल लगी रहती है जिसका। हिलाने पर स्क्रीन पर उपस्थित आकृति को कर्सर द्वारा चलाया जा सकता है।

    (14) डिजीटाइजर टेबलेट या ग्राफिक टेबलेट-

    ग्राफिक टेबलेट एक ड्राइंग सतह होती है। इसके ऊपर एक पेन या माउस होता है। ड्राइंग सतह में पतले तारों का जाल होता है जिस पर पेन या माउस को चलाने से संकेत कम्प्यूटर में चले जाते हैं।

    (15) ऑप्टीकल बार कोड रीडर (OBR)-

    OBR का मुख्य कार्य Vertical Bar का जो कि अलग-अलग डाटा के लिये निश्चित होते हैं, स्कैन करने का होता है। OBR द्वारा माता टैगों को पढ़ा जाता है जो कि शॉपिंग सेन्टर में विभिन्न उत्पादों में, दवाइयों के पैकेट पर तथा लाइब्रेरी की पुस्तकों के आवरण आदि पर छपे रहते हैं। ऑप्टीकल बार कोड रीडर के बारकोड के ऊपर से निकालते हैं तो यह इस पर छिपी हुई सूचना को कम्प्यूटर में प्रविष्ट कर देता है।

  • Cache Memory Kya he? संक्षिप्त में

    Cache Memory Kya he? संक्षिप्त में

    what-is-cache-memory-in-hindi

    Cache memory– यह एक अत्यन्त तेज एवं छोटी memory है, जिसे | CPU और main memory के मध्य स्थित किया जाता है तथा जिसका access time CPU की processing गति के समकक्ष होता है। इसका प्रयोग main memory एवं CPU की गति के मध्य 1 : 10 के अनुपात को overcome करने हेतु किया जाता है। यह static RAM से बनी होती है। यह CPU और RAM के मध्य एक उच्च गति buffer का कार्य करती है एवं processing के दौरान अधिक सक्रिय data एवं निर्देशों का अस्थाई संग्रह करती है।

    Cache Memory में लिखना- कैश मैमोरी राईट ऑपरेशन के लिये दो प्रक्रिया हैं

    प्रथम प्रक्रिया-

    यह अत्यधिक उपयोग में आने वाली प्रक्रिया है इसमें मुख्य मैमोरी को राईट ऑपरेशन की प्रत्येक मैमोरी के साथ अपडेट किया जाता है। यदि यह विशिष्ट एड्रैस का कोई शब्द सम्मिलित करती है तब यह राईट श्रू (Write Through) विधि कहलाती है। इस विधि का लाभ यह है कि मुख्य मैमोरी हमेशा कैश मैमोरी के समान ही डाटा को सम्मिलित करती है।

    दूसरी प्रक्रिया-

    यह राईट बैक (Write Back) प्रक्रिया कहलाती है। इस प्रक्रिया में केवल कैश लोकेशन ही राईट ऑपरेशन के दौरान अपडेट की जाती है। उसके बाद लोकेशन को एक फ्लैग द्वारा चिन्हित कर दिया जाता है।

  • WorkSheet में सेल प्वाइंटर का विस्थापन और सेल को फॉर्मेट करने की विधि

    WorkSheet में सेल प्वाइंटर का विस्थापन और सेल को फॉर्मेट करने की विधि

    WorkSheet में सेल प्वाइंटर का विस्थापन वर्कशीट– में सेल पॉइंटर को कीबोर्ड से आसानी से मुक्त किया जा सकता है प्वाइंटर के मूवमेंट में कीबोर्ड की आठ कुंजियां चार Arrow की Home, End, Page Down, Page Up कार्य करते हैं।

    WorkSheet

    प्वाइंटर के मूवमेंट की गति उपरोक्त कुंजियों के साथ Ctrl तथा Shift कुंजी के प्रयोग को तेज हो जाती है, सारणी में प्वाइंटर मूवमेंट से संबंधित कुंजी तथा इनके कार्य निम्नलिखित हैं-

    कुंजीमूवमेंट
    Arrow Keysएक सेल ऊपर, नीचे, बायें, दाये तथा एयर मूव करता है।
    Ctrl-Arrow KeysWorksheet के अंतिम सेल पर एरो की दिशा में मूव करता है।
    Homeपंक्ति के शुरू में मूव करता है।
    Ctrl + HomeWorksheet के अंत में मूव करता है।
    Ctrl + EndWorksheet में पिछले शीट को मूव करता है।
    Page Downएक स्क्रीन नीचे और मूव करता है।
    Page Upएक स्क्रीन ऊपर और मूव करता है।
    Alt + Page Downएक स्क्रीन दाये और मूव करता है।
    Alt + Page Upएक स्क्रीन बाएं और मूव करता है।
    Ctrl + Page Downबुकमार्क में पिछले अगले को मूव करता है।
    Ctrl + Page Dnबुकमार्क में पिछले शीट को मूव करता है।

    सैल को फॉरमेट करने की विभिन्न विधियाँ।

    सैल को फॉरमेट करना-सैल को फॉरमेट करने के विभिन्न तरीके एम.एस.एक्सेल में उपलब्ध है जैसे सामान्य, संख्या, करेन्सी, तिथि, टैक्स्ट आदि।

    WorkSheet

    विभिन्न फॉरमेट निम्नलिखित हैं.

    (A) नम्बर फॉरमेट का प्रयोग-

    इसका प्रयोग संख्यात्मक डाटा की फॉरमेटिंग के लिये करते हैं जैसे संख्या में कितने दशमलव अंक होने चाहिये एवं संख्या लिखने की पद्धति भारतीय होगी या अन्तर्राष्ट्रीय होगी। उदाहरणार्थ 220,000,000 (अन्तर्राष्ट्रीय) या 22,00,00,000 (भारतीय) 

    (B) करेन्सी फॉरमेट का प्रयोग-

    इसका प्रयोग संख्यात्मक डाटा की फॉरमेटिंग से बहुत ही मिलता जुलता है। इस फॉरमेट से आप करेन्सी चिन्ह मूल्य के साथ जोड़ सकते हैं। उदाहरणार्थ- $94,9595

    (C) तिथि फॉरमेट का प्रयोग-

    तिथि फॉरमेट सेल अथवा रेन्ज में उपस्थित दिनांक को विभिन्न तरीकों में फार्मेट करता है। उदाहरणार्थ, August 10, 2010, 4/09/01, या 9April, 2001

    (D) समय फॉरमेट का प्रयोग-

    यह सेल अथवा रेन्ज में उपस्थित समय को विभिन्न तरीकों में फॉर्मेट करता है। जैसे- 10:30 PM, 22:30 

    (E) सैल की विषय-

    वस्तु का मिलान करना- सैल में स्वतः टैक्स्ट बायीं ओर से एवं नम्बर दायीं ओर से मिलान किया जाता है परन्तु आवश्यकतानुसार इनका मिलान निम्नलिखित आइकनों का प्रयोग करके भी कर सकते हैं।

    (i) Align Left बटन का प्रयोग टेक्स्ट या संख्या को बाईं ओर मिलान करने के लिये करते हैं।

    (ii) Align Right बटन का प्रयोग टेक्स्ट या संख्या को दायीं ओर मिलान करने के लिये करते हैं।

    (iii) Align Center बटन का प्रयोग टेक्स्ट या संख्या को केन्द्र में करने के लिये करते।

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    (F) फॉण्ट को फॉरमेट करने के लिये-

    फॉण्ट फॉरमेटिंग अर्थात् फॉण्ट को आकर्षक बनाने हेतु इसे गहरा, तिरछा, रेखांकित बनाया जाता है

    (i) सैल के अवयव को गहरा बनाने के लिये फारमेटिंग टूलबार से बोल्ड पर क्लिक करें।

    (ii) सैल के अवयव को तिरछा बनाने के लिये फॉरमेटिंग टूलबार से Italics बटन पर। सैल के क्लिक करें।

    (iii) सैल के अवयन को रेखांकित करने के लिये फॉरमेटिंग टूलबार से Underline बटन पर क्लिक करें।

    (iv) सैल के अवयव के आकार को बढ़ाने के लिये फॉरमेटिंग टूलबार से फॉन्ट बटन क्लिक करें। सैल के फॉण्ट के रंग को अपने इच्छानुसार चुनाव करने के लिये फॉरमेटिंग ।

    टूलबार से Font Color आइकन के ड्रॉप बॉक्स का चयन करें।

    (vi) सैल के बॉर्डर का चुनाव फॉरमेटिंग टूलबार से Borders आइकन के लिस्ट बॉक्स पर क्लिक करके इच्छानुसार करें। बॉर्डर को समाप्त करने के लिये No Border पर क्लिक करें।