Author: Ram

  • AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना

    AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना

    AutoContent kya he

    AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना- ऑटो AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना बहुत ही सरल है। केवल आपको दिये गये विकल्पों को चुनना होता है एवं नेक्स्ट पर क्लिक करते रहना है जब तक कि नेक्स्ट बटन अनहाइलाइटेड न हो जाये। ऑटो कन्टैन्ट विजार्ड की सहायता से प्रस्तुति बनाने के निम्न पदों का अनुसरण करें

    AutoContent Wizard

    AutoContent Wizard की सहायता से प्रस्तुति बनाना

    • PowerPoint खुलने के साथ ही स्क्रीन पर एक डायलॉग बॉक्स आयेगा। इसमें आपको चार विकल्प दिखाई देंगे। इस पद में ऑटो कान्टेन्ट विजार्ड के रेडियो बटन । पर क्लिक करें और नेक्स्ट को चुनें।
    • इसके बाद ऑटो कॉन्टेन्ट विजार्ड का डायलॉग बॉक्स प्रदर्शित होगा। यहाँ डायलॉग बॉक्स पर नेक्स्ट क्लिक करें।
    • अब, आप कैसे प्रस्तुति बनाना चाहते हैं उसको क्लिक करें उदाहरणार्थ Sales/Marketing के पुश बटन पर क्लिक करें एवं बॉक्स से Selling a product or Service को क्लिक करें।
    • नेक्स्ट क्लिक करें।
    • इस चरण में आप आउटपट किस तरह चाहते हैं इसको निर्धारित करें। इसके विकल्प है।
    • On-screen presentation।
    • Web Presentation।
    • Black and white overheads।
    • Color overheads।
    • 35mm Slides।
    • On screen Presentation को क्लिक करें तथा नेक्स्ट को क्लिक करें।
    • इस चरण में Presentation title के टैक्स्ट बॉक्स में अपने प्रस्तुति का शीर्षक दें एवं फुटर के टैक्स्ट बॉक्स में आवश्यकतानुसार फुटर टाइप करें।
    • Datalast updated : इस विकल्प का प्रयोग प्रत्येक स्लाइड में अपडेट की अंतिम तिथि को प्रदर्शित करने के लिये होता है।
    • Slide number : इस विकल्प का प्रयोग प्रत्येक स्लाइड में स्लाइड के क्रमांक को प्रदर्शित करने के लिये होता है।
    • नेक्स्ट को क्लिक करें।
    • तथा, फिर Finish को क्लिक करें।

    AutoContent Wizard के उपरोक्त पदों को प्रयोग करने के बाद स्क्रीन पर चित्र निम्नानुसार दिखाई देगा.

  • Search Engines क्या है? Web में आप किस प्रकार से सर्च करेंगे?

    Search Engines क्या है? Web में आप किस प्रकार से सर्च करेंगे?

    आज हम सीखेंगे कि किस तरह से Search Engines कार्य करता है और आप उस पर कोई प्रश्न करते हैं तो वह किस प्रकार आपका उत्तर देने में मददगार होता है आज के इस आर्टिकल को आप पढ़ते रहिए और जानकारी प्राप्त करते रहिए.

    सर्च इंजिन (Search Engines)– इंटरनेट को सूचनाओं का महासागर की उपाधि दी जाए तो यह अतिशयोक्ति न होगी। इन सूचनाओं के इस महा भंडार के साथ काठनाई यह है कि इसका कोई केन्द्रीय व्यवस्थापक नहीं है। अतः इस पर एक-एक विशेष सूचना खोजना अति मुश्किल कार्य है। इस समस्या के लिये कम्पनियों ने समाधान के रूप में एस program का विकास किया है जिसे सर्च इंजिन कहते हैं। सर्च इंजिन इंटरनेट पर उपलब्ध सूचना को तलाश करने में हमारी हर संभव मदद करता है।

    Search Engines क्या है? Web में आप किस प्रकार से सर्च करेंगे?

    वेब को खोजना (Searching the Web)- वेब के माध्यम से इच्छित सूचनाओं को तलाशना हमेशा आसान नहीं होता है। ऐसा इसलिए है कि web पर लाखों की संख्या में website उपलब्ध है तथा हजारों की संख्या में समानता रखने वाले page होते हैं। इस खण्ड में हम विभिन्न प्रकार से web पर सूचनाओं को खोजने की प्रक्रिया करेंगे। Web पर दो प्रकार से सूचना को सर्च (search) किया जाता है।

    (1) डायरेक्ट्री (Directories) के द्वारा .

    (2) की-वर्ड (Key-words) के द्वारा.

    (1) डायरेक्ट्री के द्वारा (Using A Directory)- 

    डारेक्टरी के माध्यम से आप जिस विषय पर सूचना पाना चाह रहे हो उस category का चुनाव करते हैं। Directory एक विशेष विषय को निरूपित करती है तथा वह अपने अंदर कई Sub-directory रखती हा जिसका चुनाव करते हुए आप उस खास categoryको चुनते हैं। जब आप उस विशेष directory को चुनते हैं तब directory उस विषय से सम्बन्धित website की सूची प्रदर्शित करती है। उदाहरण के रूप में लूकस्मार्ड नामक सर्च इंजिन को देखें।

    (2) की-वर्ड (Key-words) के द्वारा-

    सर्च इंजिन आपको की-वर्ड के आधार पर भी उससे सम्बन्धित वेवसाइट की सूची प्रदान करता है। कुछ सर्च इंजिन किसी एक key word के आधार पर सर्च करती है। जबकि अधिकतर सर्च इंजिन कई key word के आधार पर सर्च करते हैं। जैसे- “Internet and E-commerce” कई सर्च इंजिन पर आप अंग्रेजी के । पूरे वाक्य या वाक्य खण्ड या प्रश्न के आधार पर एक्सेस कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर “Novels written byO. Henry” या “How is election held in UK” चित्र में आप इस । तरह के खोज (search) को www./ycos.com में देख सकते हैं।

  • What is Microsoft Word processing in Hindi-वर्ड प्रोसेसिंग की कमांड्स पर विस्तारपूर्वक

    What is Microsoft Word processing in Hindi-वर्ड प्रोसेसिंग की कमांड्स पर विस्तारपूर्वक

    Word processing की अवधारणा– कम्प्यूटर पर गणनाओं के अतिरिक्त सबसे पहले जो कार्य सम्पन्न हुआ था वह वर्ड प्रोसेसिंग ही था। कैलकुलेशन करने के पश्चात् लोगों ने इसका प्रयोग पत्र लिखने जैसे कार्यों के लिये प्रारम्भ किया और इससे सम्बन्धित एप्लीकेशन सॉफ्टवेयरों का निर्माण किया। पीसी के प्रारम्भ में वर्ड प्रोसेसिंग के वर्ड स्टार और वर्ड परफेक्ट जैसे सॉफ्टवेयर प्रयोग होते थे। लेकिन वर्तमान समय में इस कार्य के लिये विंडोज पर आधारित सॉफ्टवेयरों का प्रयोग किया जाता है और इनमें सबसे ज्यादा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के भाग माइक्रोसॉफ्ट वर्ड को प्रयोग करते हैं.

    Word Processing को जब हम परिभाषित करते हैं तो इसका सीधा सा अर्थ यह होता है कि कम्प्यूटर के द्वारा टाइपिंग का कार्य करना और उसे विधिवत ले-आउट में सजाना। आजकल में वर्ड प्रोसेसिंग इतनी आगे चली गई है। कि अब हम इसे मुँह से बोलकर भी संपन्न कर सकते हैं.

    वर्ड प्रोसेसिंग के अन्तर्गत जब हम टैक्स्ट मैटर टाइप करते हैं तो उसे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी तरफ एलाइन कर सकते हैं। एलाइन करने का अर्थ होता है कि सभी लाइनों को एक तरफ करके पंक्तिबद्ध करना.

    कम्प्यूटर के द्वारा वर्ड प्रोसेसिंग की अन्य विशेषतायें भी हैं जिनसे यह कार्य बहुत ही आसान हो गया है।

    Microsoft Word processing इनकी विशेषतायें निम्न प्रकार हैं.

    (1) ऑटो करेक्शन-

    जब हम कम्प्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के द्वारा वर्ड प्रोसेसिंग का कार्य करते हैं तो हमें इसमें एक विशेष सुविधा मिलती है। इससे कम्प्यूटर हमारे द्वारा टाइपिंग में की गयी व्याकरण संबंधी गलतियों और कैप्टलाइजेशन संबंधी गलतियों को पहचान करके स्वयं ही ठीक करता है। इसके अलावा यदि किसी शब्द की स्पेलिंग गलत है तो यह हमारे सामने कुछ ऐसे शब्द लाता है जो उस गलत शब्द से मिलते-जुलते होते हैं जबकि यह उनके सही रूप होते हैं। हम इसमें से अपनी पसंद का सही शब्द चुनकर उसे दस्तावेज में जोड़ सकते हैं। ऑटो करेक्ट नामक यह सुविधा कम्प्यूटर के वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर में जुड़ी मुख्य डिक्शनरी का प्रयोग करती है.

    अब हम कम्प्यूटर में अलग-अलग भाषाओं में भी वर्ड प्रोसेसिंग की ऑटो करेक्शन सुविधा का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन हमें ऐसा करने के लिये उससे संबंधित डिक्शनरी को कम्प्यूटर में इंस्टॉल करना होगा। माइक्रोसॉफ्ट ने इस कार्य के लिये एक प्रूफिंग टूल किट बनाई है जिससे हम इसके वेबसाइट से अपने कम्प्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं.

    (2) ऑटो फॉर्मेट-

    फॉर्मेटिंग के लिये अब हमें कोई विशेष परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं है माइक्रोसॉफ्ट वर्ड स्वतः टैक्स्ट फॉर्मेट करने की शक्ति से संपन्न है। हम इसमें दी हई सची में फॉर्मेटिंग को सेट करके उसे दस्तावेज पर बहुत ही।सरलतापूर्वक प्रयोग कर सकते हैं. 

    (3) ऑटो कम्पलीट-

    वर्ड प्रोसेसिंग के अन्तर्गत अब हमें पूरा शब्द टाइप करने की आवश्यकता नहीं है यदि हमने कोई शब्द टाइप करना प्रारम्भ किया है तो कम्प्यूटर स्वयं ही पूरा शब्द लेकर हमारे सामने आता है जिस पर क्लिक करके हम अपने अधूरे शब्द को पूरा कर सकते हैं। ऐसा करने से स्पेलिंग की गलती की संभावना बहुत कम हो जाती है.

    (4) ऑटो समराइजेशन-

    वर्ड प्रोसेसिंग के साथ अब यह एक नई सुविधा जुड़ी है जो हमारे दस्तावेज का सारांश विश्लेषण के साथ हमारे सामने प्रस्तुत कर सकती है। हम इस सविधा का प्रयोग करके अपने दस्तावेज के कुछ खास बिन्दुआ का हाईलाइट कर सकते हैं और उन्हें एक खास स्तर पर भी रख सकते हैं। इससे हमें यह पता चल जाता है कि हमारे द्वारा बनाये हये दस्तावेज में कौन-कौन स तत्व किम मात्रा में उपलब्ध हैं ?


    वर्ड में Document बनाना-

    यदि एमएस वर्ड 2003 में हम कार्य करना चाहते हैं तो हमारे कम्प्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस वर्ड 2003 इंस्टॉल होना चाहिये। यदि यह इंस्टॉल नही है तो हम इसे अपने कम्प्यूटर में स्थापित करना होगा। इसके लिये ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में हमारे पास विंडोज एक्सपी या विंडोज 2000 का होना आवश्यक है।

    स्थापना की प्रक्रिया में हमें केवल इंस्टॉल डिस्क को अपने कम्प्यूटर में लगी सीडी ड्राइव में लगाना होता है। ऑटो रन क्षमता की वजह से इसका इंस्टालेशन मीनू अपने-आप स्क्रीन पर आ जायेगा। इनमें लिखे हुये निर्देशों को पढ़कर नेक्स्ट बटन पर क्लिक करते जायें, शेष कार्य इसका सेटअप विजार्ड स्वयं करेगा। – 

    जब यह सॉफ्टवेयर हमारे कम्प्यूटर में इंस्टॉल हो जायेगा तो विंडोज के प्रोग्राम मीनू में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के नाम से एक ग्रुप बना हुई दिखाई देगा। इस ग्रुप में दिये हुये माइक्रोसॉफ्ट वर्ड नामक विकल्प पर क्लिक कर हम इसे क्रियान्वित कर सकते हैं। क्रियान्वित होने पर वर्ड 2003 मॉनीटर पर स्क्रीन पर दिखाई देगा। डिफॉल्ट सेटिंग के कारण हमारे सामने एक खाली पेज खुलकर आता है जिसमें हम टाइपिंग का कार्य शुरू कर सकते हैं। 

    (1) फोंट-

    वर्ड 2003 हमारे लिये डिफॉल्ट सेंटिंग हेतु Times New Roman फोंट को सिलेक्ट किये हुये होता है। इसके अतिरिक्त इस फोंट का आकार भी 12 प्वाइंट निश्चित रखता है। जब हम टाइपिंग का कार्य प्रारम्भ करेंगे तो वह इसी फोंट में इसी आकार में होगा। इसका कारण यह है कि इस फोंट को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यावसायिक और व्यक्तिगत प्रयोग के लिये सबसे अधिक मान्यता प्राप्त है। यह फोंट प्रत्येक पर्सनल कम्प्यूटर में अपने आप इंस्टॉल होता है। इसके अतिरिक्त इंटरनेट के लिये भी इसे वेब सेफ माना जाता है। इस फोंट वाले दस्तावेज को हम किसी भी वेब ब्राउजर में बिना किसी परेशानी के खोल सकते.

    (2) मार्जिन्स-

    हमारे सामने जो खाली पेज खुलकर आता है उसमें मार्जिन पहले से ही निर्धारित रहते हैं। ऊपर और नीचे की ओर से एक इंच और बायें तथा दायें 125 डंच जगह छूटी रहती है। पेज के इस मार्जिन को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। इस मार्जिन को स्पष्ट रूप में देखने के लिये हमें पेज के प्रिंट लेआउट व्यू में जाना होगा.

    (3) लाइन स्पेसिंग-

    वर्ड 2003 में खाली पेज में जब हम टैक्स्ट टाइप करेंगे तो ‘सिंगल लाइन स्पेसिंग इसमें हमको पहले से ही निर्धारित मिलेगी। यह स्पेसिंग सामान्यतः पर सभी दस्तावेजों में प्रयोग की जाती है। लेकिन हम इसे अपनी आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सकते हैं.

    (4) एलाइनमेंट-

    वर्ड 2003 में डिफॉल्ट सेटिंग के तौर पर टेक्स्ट लेफ्ट एलाइन होता है। अमेरिका और यूरोप में टेक्स्ट इसी पद्धति में लिखा जाता है और यदि आप इस एलाइनमेंट को बदलना चाहते हैं तो बदल भी सकते है.

    (5) बुलैट्स और नंबर-

    यदि हम किसी सूची का निर्माण कर रहे हैं जिसमें हमें प्रत्येक पंक्ति के आगे बुलैट या नंबर प्रयोग करने हैं तो खाली पेज खोलते समय यह सुविधा भी हमें प्राप्त होगी। इसके लिये केवल स्टैंडर्ड टूलबार में दिये हुये बुलैट एंड नबंर नामक आइकन पर क्लिक करना पड़ेगा।

    (6) ऑटो करेक्ट और ऑटो फॉमेट-

    हम वर्ड में जैसे ही खाली पेज में टाइपिंग शरू करेंगे वैसे ही हमारा ऑटो करेक्ट सुविधा से सामना होगा। जैसे ही कोई गलत लिंग टाइप होगी वर्ड हमें इस बात की तुरन्त जानकारी देगा और गलत शब्द के जीरे लाल रंग की एक लाइन दिखाई देने लगेगी। इससे हम गलती में सुधार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त ऑटो फॉर्मेट सुविधा का प्रयोग करके पेज को बिना किसी खास मेहनत के फॉर्मेट भी कर सकते हैं.

    (7) टेम्पलेट प्रयोग करना-

    हमें डॉक्यूमेंट की डिजाइन बनाने में कोई परेशानी नहो इसलिये वर्ड में बड़ी संख्या में पहले से बने हुये डिजाइन होते हैं। इन्हीं डिजाइनों को टेम्पलेट कहा जाता है। यदि हमें इस टेम्पलेट डायलॉग बॉक्स में अपनी पसंद टेम्पलेट नहीं मिलता है तो हम इंटरनेट पर जाकर microsoft.com से और श्री टेम्पलेट खोज सकते हैं। इसके लिये केवल यह आवश्यक है कि हम इंटरनेट से जुड़े हों।

    (8) टैक्स्ट सिलेक्ट करना-

    हम माउस के द्वारा वर्ड में टैक्स्ट सिलेक्ट का कार्य बड़े ही आसानी से कर सकते हैं। इसके लिये हमें केवल उस स्थान पर माउस को क्लिक करना होता है जहाँ से हम टैक्स्ट सिलेक्शन का कार्य आरम्भ करना चाहते हैं

    •  क्लिक करने के बाद माउस की बायीं बटन को दबाये हुये उसे ड्रैग करेंगे। इसके लिये केवल उस स्थान पर माउस को क्लिक करना होता है जहाँ से टेक्स्ट सिलेक्शन का कार्य प्रारम्भ करना है।
    •  यदि केवल एक शब्द को माउस से सिलेक्ट करना है तो उस शब्द पर माउस प्वाइंटर से डबल क्लिक करना होता है।
    •  यदि पूरे पैराग्राफ को माउस से सिलेक्ट करना है तो पैराग्राफ में किसी भी स्थान पर माउस को तीन बार लगाकार क्लिक करना होता है। 
    • किसी भी पैराग्राफ के लेफ्ट मार्जिन पर डबल क्लिक करके परे पैराग्राफ को सिलेक्ट किया जा सकता है। . 
    • लेफ्ट मार्जिन में किसी भी जगह पर तीन बार लगातार क्लिक करके संपूर्ण डॉक्यूमेंट को सिलेक्ट किया जा सकता है। 

    (9) टेक्स्ट एडिट करना-

    टेक्स्ट एडिट करने के लिये कर्सर को उस शब्द पर ले जायेंगे। इस कार्य में माउस और की बोर्ड दोनों को प्रयोग किया जा सकता है। शब्द पर पहुँचने के बाद शब्द को सिलेक्ट करेंगे और नया शब्द टाइप कर देंगे। यदि किसी शब्द में कोई अक्षर अनावश्यक रूप से टाइप हो गया है तो कर्सर को उस अक्षर पर ले जायेंगे और डिलीट-की दबाकर उसे मिटा देंगे।

    ट्याइपिंग करते समय टैक्स्ट का केस बदलने के लिये शिफ्ट-की के साथ F3 न-का को दबाना होगा। इससे हमारे सामने कई केस आयेंगे। जिस केस में टेक्स्ट टाइप करना चाहते हैं उस विकल्प के सामने आने पर शिफ्ट की को छोड़ देंगे और चुना हुआ टेक्स्ट एडिट हो जायेगा।

    (10) फाइल को सेव करना- 

    जब वर्ड में नई फाइल खोलते हैं तो वर्ड स्वयं ही फाइल का नाम Document1 या फिर इसी क्रम में Document 2 रखता है। टेक्स्ट टाइप बाद फाइल को पहली बार सेव करने के लिये हम जब स्टैंडर्ड टल बार में बनी हुई सेव बटन पर क्लिक करेंगे तो फाइल का नाम निर्धारित करने के लिये एक विकल्प बॉक्स स्क्रीन पर आ जायेगा। 

    यहा पर हमको सेव इन नामक भाग में पाँच विकल्प दिखाई देंगे जिनसे हम उस स्थान का चुनाव कर सकते हैं जहां फाइल को सेव करना चाहते हैं। उदाहरण के लिय यदि हम फाइल को डेस्कटॉप पर सेव करना चाहते हैं तो सेव इन नामक भाग में दिये हुये डेस्कटॉप विकल्प पर क्लिक कर देंगे। इसके बाद फाइल नेम नामक भाग में आकर फाइल का वह नाम टाइप करेंगे जिस नाम से फाइल को सेव करना है। 

    फाइल का फॉर्मेट निर्धारित करने के लिये सेव ऐज़ टाइप नामक विकल्प विडी का खोलेंगे और फिर उस फॉर्मेट का चुनाव करेंगे जिसमें फाइल को सेव करना है। यदि हम फाइल को वर्ड के पुराने संस्करण में सेव करना चाहते हैं तो यह हमारे लिये बहुत उपयोगी है। 

    नाम और फॉर्मेट तय करने के पश्चात् सेव बटन पर क्लिक करेंगे। इससे फाइल हमारे द्वारा निर्धारित स्थान पर और निर्धारित नाम से सेव हो जायेगी। सेव कमांड का प्रयोग यदि की-बोर्ड से करना चाहें तो कंट्रोल की के साथ S की को दबायेंगे। 

    (11) टेक्स्ट फामेट करना-

    माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2003 में एक फॉर्मेटिंग टल बार होता है जो अपने अन्तर्गत वह सभी टूल समाहित रखता है जिनका प्रयोग करके हम फॉटिंग के कार्य को पूर्ण कर सकते हैं। इन सभी टूल्स को हम टूलबार में दिये टल्स के नाम के अनुसार ही कार्यों के लिये प्रयोग कर सकते हैं।

    (12) हैडर और फुटर प्रयोग करना-

    पेज में हैडर और फुटर प्रयोग करके हम उसे उत्कष्ट रूप प्रदान कर सकते हैं। हैडर और फुटर में हम टैक्स्ट भी टाइप कर फाइल के संदर्भ में टिप्पणी भी जोड़ सकते हैं। पेज के ऊपरी भाग में सरको जोडा जाता है और पेज के नीचे वाले भाग में फुटर को जोड़ते हैं। इन हों में हम कोई भी टैक्स्ट लिख सकते हैं। हैडर और फुटर के अन्तर्गत लिखा इमा टेक्स्ट हमारी फाइल के टेक्स्ट से अलग होता है क्योंकि यह एक अलग लेयर में स्थित होता है।

    हैडर और फुटर प्रयोग करने के लिये हम वर्ड में व्यू मीन को खोलेंगे। मीनू बोलने के लिये हमें केवल माउस प्वाइंटर ले जाना है। इससे मीन सामने आ जायेगा। इसके चौथे भाग में दिये हुये प्रथम कमांड हैडर और फटर पर क्लिक कर देंगे। जैसे ही हम इस पर क्लिक करेंगे स्क्रीन पर हैडर और फुटर का टूल बॉक्स तथा हैडर टाइप करने का एक बॉक्स आ जायेगा। हैडर नामक भाग में हम जो भी टैक्स्ट टाइप करना चाहें उसे टाइप कर सकेंगे। टैक्स्ट इंसर्ट करने के लिय हम हैडर एंड फुटर टूल बॉक्स में दिये हुये विकल्पों का भी प्रयोग कर सकते हैं। हैडर पूरा करने के बाद हम स्क्रॉल बार से पेज के नीचे वाले भाग में आयेंगे। यहां पर फटर दिखाई देगा.

    जिस प्रकार से फुटर की सेटिंग की थी उसी प्रकार से टूलबार में दिये हुये विकल्पों के द्वारा इसकी सेटिंग भी होती है। जब यह कार्य हो जायेगा तो टूल बार मे दिये हुये क्लोज बटन पर क्लिक करके इसे बंद कर देंगे। इससे सेट किया हुआ हैडर और फुटर पेज में सेट हो जायेगा। हैडर और फुटर की दूरी को पेज के ऊपरी और नीचे भाग से सेट करने के लिये हम फाइल मीनू के पेज सेटअप कमांड में दिये हुये लेआउट नामक टैब से निश्चित कर सकते हैं.

    (13) वर्ड डॉक्यूमेंट प्रिन्ट करना-

    इसके लिये हम पहले उस डॉक्यमेंट को खोलेंगे जिसे प्रिन्ट करना है और फिर स्टैण्डर्ड टूलबार में दिये प्रिंट आइकन पर क्लिक कर देंगे। इसके अलावा फाइल मीनू में दिये प्रिंट कमांड पर क्लिक करके भी यह कार्य किया जा सकता है। प्रिंट कमांड के क्रियान्वित होने से स्क्रीन पर एक प्रिन्ट डायलॉग बॉक्स आता है जिसके विकल्पों से प्रिंट रेंज, प्रतियों की संख्या इत्यादि को निर्धारित किया जा सकता है।

    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

  • E-mail भेजने तथा प्राप्त करने की विधि?

    E-mail भेजने तथा प्राप्त करने की विधि?

    अगर आप इंटरनेट का प्रयोग करते हैं अपने कंप्यूटर तथा लैपटॉप पर तो आपको E-Mail के बारे में जानकारी होना बहुत अति आवश्यक है, क्योंकि आज के युग में ज्यादा से ज्यादा कार्य ईमेल के जरिए ही किया जाता है.

    ई-मेल की अवधारणा (Concept of E-mail) : E-mail एक ऐसा system हाता है, जिसमें एक computer प्रयोगकर्ता किसी अन्य computer प्रयोगकतो का सदश एव सूचनाआ का आदान-प्रदान कर सकता है। इन सचनाओं के लिये कम्यूनिकेशन नेटवर्क का प्रयोग होता है.

    ई-मेल का यूज करने के लिये विभिन्न सॉफ्टवेयर प्रयोग में लाये जाते हैं। ई-मेल करने कालय यह आवश्यक नहीं कि भेजने वाले व प्राप्त करने वाले के पास समान कम्प्यूटर हा यदि हम किसी ऑफिस में काम कर रहे हैं व ऑफिस के अन्य व्यक्ति को E-mail के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं तो हमारे ऑफिस नेटवर्क में इंटरनेट के लिए एक गेटवे (Gateway) होता है जो हमारे संदेश को इंटरनेट के माध्यम से भेजता है।

    ई-मेल के साथ कार्य करना (Working with E-mail)-ई-मेल पर कार्य करने में निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल हैं.

    (1) ई-मेल प्रोग्राम प्रारम्भ करना

    (2) ई-मेल संदेश लिखना

    (3) ई-मेल संदेश मिटाना

    (4) ई-मेल संदेश पढ़ना

    (5) ई-मेल का उत्तर देना

    (6) ई-मेल प्रोग्राम से बाहर आना

    E-mail प्रोग्राम प्रारम्भ करना (Starting the main program)- ई-मेल प्रोग्राम को प्रारम्भ करने के लिये आपके कम्प्यूटर पर ब्राउजर जैसे- इंटरनेट एक्सप्लोरर या नेटस्केप होना चाहिए तथा आपको इंटरनेट से जुड़े होना चाहिए।

    ई-मेल को प्रारम्भ करने के लिये निम्न पदों का अनुसरण करें.

    • इंटरनेट एक्सप्लोरर के Icon को Desktop पर click करें या फिर Start → Program → Intemet Explorer का चयन करें.
    • उस साइट का एड्रेस या U.R.L. एड्रेस बॉक्स में टाइप करें जिसमें आपका ई-मेल Account है। उदा. के लिए आपका ई-मेल आई.डी.
    • Exe. : prssionofmansoor@yahoo.com है तो यू.आर.एल. box में http://www.yahoo.com टाइप करें ऐसा करने पर चित्र की भांति उस साइट का होम पेज खुलेगा।
    • Mail Icon को homepage से click करें।
    • अब yahoo.ID text box में अपना मेल ID टाइप करें तथा पासवर्ड बॉक्स में सही-सही password टाइप करें।
    • Sign in पर click करें या Enter key दबायें।

    मेल को पढ़ना (Reading the mail)-

    जब कोई user E-mail program खोलता है तब वह सबसे पहले आये हुए मेल (message) को मेल बॉक्स में देखता है। सामान्यतः ईमेल जो नये होते हैं एक प्रकार का सूचक चिन्ह रखते हैं। जैसे विषय का हाइलाइट रहना नो संदेश के बगल में Bullet या check का निशान होना ऐसा इसलिये होता है कि आप कहीं नये आये हुए मेल को छोड़ न पायें.

    मेल को पढ़ने के लिए सामान्य प्रक्रिया निम्न है

    • Check mail को click करें या Inbox को click करें।
    • फिर उस mail को खोलने के लिए उसके विषय जो हायपरलिंक होता है, को click करें जब आप मेल के विषय को click करते हैं तब आपका संदेश (messagel खुलता है।
    • Standard toolbar back बटन को mail box में जाने के लिए click करें दसरे mail को पढ़ने के लिए next या previous बटन आवश्यकतानुसार click कर सकते हैं।

    मेल बनाना तथा भेजना (Composing and sending a mail)-

    मेल कम्पोज तथा मेल पढ़ना भी दूसरी प्रक्रिया की तरह ठीक आसान है।

    इस कार्य के लिए निम्नलिखित पदों को करें.

    • Compose को mail box page से click करें ऐसा करने पर चित्र की भाँति compose box खुलेगा.
    • To text में box में मुख्य प्राप्तकर्ता का E-mail ID टाइप करें.
    • दूसरे प्राप्तकर्ता का आई.डी टाइप करने के लिए CC तथा BCC text box में संबंधित E-mail ID टाइप करें.
    • Subject text box में अपना संदेश टाइप करें.
    • अपनी व्यक्तिगत सूचना को मेल में जोड़ने के लिए प्रयोग my signature के check box का चुनाव करें.
    • Send पर click करें.

    फाइलों को संलग्न करना (Attaching files)-

    File को संलग्न (Attach) करने की सुविधा ई-मेल का बढ़िया फीचर है, जिसकी मदद से आप ई-मेल के साथ अतिरिक्त सूचना को एक फाइल के साथ store कर भेज सकते हैं.

    File को Attach करने के लिये निम्न पदों का अनुसरण करें-

    • Compose box में Attach files को click करें। ऐसा करने पर Attach file – डायलॉग बॉक्स चित्र की भाँति खुलेगा।
    • अपने कम्प्यूटर पर file को लोकेट करने के लिए Browse पर click करें।
    • फिर Attach files पर click करें।

    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

    हम आशा करते हैं कि आपको यह Article पढ़ के मजा आया होगा, इस आर्टिकल में हमने “Email Kya he or Kaise Send Kiya jata he” के बारे में आपको जानकारी दी है, अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी हमसे छूट गई हो तो कृपया कर उसे Comment में हमसे साझा करें.

    अगर आपको यह Article Helpful रखता है तो आप इस आर्टिकल को अपने मित्रों के साथ और घर के सदस्यों के साथ Share कर सकते हैं और उन्हें भी कंप्यूटर की जानकारी दे सकते हैं.

    आप हमारे Blog से Computer के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं एस Blog पर कंप्यूटर की सभी जानकारी के बारे में बताया जाता है वह भी बहुत आसान भाषा में धन्यवाद आपका इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए.

  • Computer Ke Pramukh kaary and Input Device Name

    Computer Ke Pramukh kaary and Input Device Name

    Computer के चार प्रमुख कार्य- कम्प्यूटर के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं. (1) डाटा का संकलन तथा निवेशन (2) डाटा का संचयन (3) डाटा की संसाधन (प्रक्रिया) (4) प्रक्रिया के बाद परिणाम(सूचना)का निर्गम।

    Computer Ke Pramukh kaary

    Computer Ke Pramukh kaary

    निवेश युक्तियाँ– प्रयोक्ता आँकड़ों को संकलित करते हैं और डाटा पर प्रक्रिया (Data Process) करते हैं। डाटा और निर्देश कम्प्यूटर में जिस यूनिट से प्रविष्ट किये जाते हैं, वह इनपुट यूनिट कहलाती है। इनपुट यूनिट, प्रयोक्ता द्वारा प्रदत्त डाटा और निर्देशों को विद्यत संकेतों में परिवर्तित करके कम्प्यूटर के समझने योग्य बनाती हैं। सामान्यतया Input Device यूनिट में की-बोर्ड प्रयुक्त किया जाता है। इनपुट यूनिट के लिये निम्नलिखित अन्य इनपुट डिवाइसेज भी उपलब्ध रहती हैं.

    (1) की-बोर्ड(7) MICR
    (2) माउस (8) पंचकार्ड
    (3) स्कैनर(9) OCR
    (4) टच स्क्रीन(10) डिजिटल कैमरा
    (5) वाइस स्किनाइजर(11) OMR
    (6) ग्राफिक टेबलेट(12) जॉयस्टिक
    (13) ट्रेकबॉल(14) लाइटपेन.

    इनपुट डिवाइस के रूप में माइक्रोफोन भी प्रयुक्त किये जा सकते हैं जिनसे हम अपनी आवाज कम्प्यूटर में प्रविष्ट करा सकते हैं।

    इनपुट यूनिट बाहरी दुनिया के डाटा व निर्देशों को कम्प्यूटर के विभिन्न आन्तरिक भागों में पहुंचाता है। विभिन्न प्रकार की इनपुट डिवाइसेज आती हैं। ये इनपुट डिवाइसेज दो प्रकार की तकनीक लिये हो सकती हैं

    (1) ऑन लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में रहते हैं। ये डिवाइसेज कम्प्यूटर के साथ सक्रिय होकर इनपुट का कार्य सम्पन्न करते हैं।

    (2) ऑफ लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में नहीं रहते हैं। इनपट उपकरण- कम्प्यूटर को चाहे निर्देश देने हों या फिर उसमें डेटा इनपुट करना हो सभी के लिये हमें इनपुट उपकरणों की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में मुख्य इनपुट उपकरण की-बोर्ड के अलावा भी कई इनपुट डिवाइसों को प्रयोग किया जाता है।

    Cpmputer Input Device Names

    (1) की-बोर्ड-

    यह कम्प्यूटर का प्राइमरी इनपुट उपकरण है। इसके द्वारा करेक्टरों के रूप में टेक्स्ट को इनपुट कर सकते हैं। इस कार्य के लिये इसमें कीज़ होती हैं जिन्हें दबाने पर उससे सम्बन्धित अक्षर स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है। इसे सीपीयू से जोड़ा जाता है। इसका स्टैण्डर्ड ले-आउट इस तरह से होता है।

    keyboard kya he

    जब तक पीसी मेंडॉस को ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है तब उपरोक्त वर्णित QWERTY ले-आउट वाला की-बोर्ड ही प्रयोग होता रहा। लेकिन विन्डोज़ के ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलने के बाद इसमें कई नयी कीज़ को जोड़ा गया। चूँकि विंडोज का निर्माण माइक्रोसोफ्ट ने किया था। इसलिये की-बोर्ड के नये ले-आउट का डिजाइन भी माइक्रोसॉफ्ट ने ही निर्धारित किया। नये ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रयोग के बाद आज जिस कीबोर्ड को प्रयोग किया जा रहा है।

    (2) माउस सिस्टम-

    mouse kya he

    वर्तमान समय में ऑप्टीकल माउस को सबसे ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है। इसमें बाल के स्थान पर लाइट का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग इसलिये भी बढ़ रहा है कि इसमें मेन्टीनेन्स की जरूरत नहीं होती है। प्रकाश के परावर्तन के सिद्धान्त पर यह कार्य करता है। माउस बटनों के हिसाब से दो प्रकारों में उपलब्ध हैं। पहला दो बटन वाला माउस और दूसरा तीन बटन वाला माउस। इन दोनों प्रकार के माउस सिस्टम को हम अपनी आवश्यकतानुसार अलग-अलग साफ्टवेयरों में प्रयोग कर सकते हैं। बटनों के अलावा – इंटरनेट के प्रयोग को सरल बनाने हेतु इसमें एक स्क्रॉल बार को भी जोड़ा गया है जिसे घुमाने पर वेब पेज में आसानी से ऊपर नीचे जाया जा सकता है। कुछ इमेज एडीटिंग सॉफ्टवेयरों में यह स्क्रॉल बार या बटन इमेज को जूम-इन और जूम-आउट करने में भी सक्षम होती है।

    (3) स्कैनर-

    वर्तमान समय में इस डिवाइस का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके द्वारा हम किसी भी डॉक्यूमेंट को स्कैन करके कम्प्यूटर के अंदर भेज सकते हैं तथा उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार बदलाव करके किसी भी इमेज प्रोसेसिंग प्रोग्राम के साथ प्रयोग कर सकते हैं। स्कैनरों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है।

    Printer kya he

    (a) हैंडी स्कैनर– इस श्रेणी के स्कैनरों का प्रयोग काफी छोटी-छोटी फोटोग्राफ या ड्राइंग को स्कैन करने के लिये किया जाता है।

    (b) डेस्कटॉप स्कैनर– इस प्रकार के स्कैनरों में हम A-4 साइज के किसी कागज को डालकर स्कैन कर सकते हैं। स्कैन चार भागों में विभाजित होता हैं- स्कैन कार्ड,स्कैनर, केबल एंड कनेक्टर, स्कैनिंग सॉफ्टवेयर। कम्प्यूटर में सर्वप्रथम मदरबोर्ड में स्कैन कार्ड को लगाते हैं

    (c) ड्रम स्कैनर– इस स्कैनर को व्यावसायिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। यह सबसे उच्च क्वालिटी की स्कैनिंग करने में सक्षम होता है। ऑफसेट प्रिंटिंग के लिये यह आदर्श स्कैनर होता है। इसमें स्कैनिंग का कार्य फोटो मल्टीप्लाइर ट्यूब के द्वारा होता है। इसके विपरीत डेस्कटॉप स्कैनर जिसे फ्लैट बड स्कैनर कहते हैं में CCD का प्रयोग होता है। ड्रम स्कैनर कागज पर प्रिंट इमेज के अलावा फिल्म को भी स्कैन करने में सक्षम होता है।

    (4) टच स्क्रीन-

    वर्तमान समय में इस तकनीक का प्रयोग अमेरिका, जापान व यूरोप के देशों में अपनी आवश्यकतानुसार सूचनाओं को देखने के लिये किया जाता है। इस तकनीक के ‘अन्तर्गत मॉनीटर पर एक मीनू आता है, इस मीनू में जब हम अपनी ऊंगली के द्वारा किसी कमांड को छूते हैं तो वह कमांड क्रियान्वित हो जाती है और हम इच्छित सूचना को मॉनीटर पर देख सकते हैं। वर्तमान समय में लैपटॉप, मोबाइल फोन, बैंकों की ATM मशीनों में इसका जमकर प्रयोग हो रहा है।

    (5) वाइस स्किग्नाइजर (माइक्रोफोन)-

    इस यंत्र के द्वारा हम अपनी आवाज के द्वारा कम्प्यूटर को निर्देश दे सकते हैं, कम्प्यूटर इस यंत्र के द्वारा आवाज को पहचान कर निर्देश ग्रहण करता है और फिर उन निर्देशों को क्रियान्वित करता है। इस समय इस तकनीक का प्रयोग शब्दों को कम्प्यूटर पर टाइप करने में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उपकरण के रूप में माइक का प्रयोग इस कार्य के लिये किया जाता है। इसे कम्प्यूटर की साउंड पोर्ट से जोड़ा जाता है।

    (6) लाइट पेन-

    इस पेन का प्रयोग बार कोड को पढ़ने में किया जाता है। बार कोड पढ़ने के पश्चात् यह यंत्र कम्प्यूटर के मॉनीटर पर दिखाई देता है। इस प्रकार यह यंत्र बार कोड को कम्प्यूटर में इनपुट करता है। इसके पश्चात् हम इसे मॉनीटर पर देखते हैं।

    (7) मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर (MICR)-

    इस शब्द का पूरा नाम मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर है। इस यंत्र के द्वारा हम वर्तमान समय में चैक बुक पर प्रिंट किये गये नम्बरों को पढ़कर उनका प्रयोग करते हैं। इसी कारण इस यंत्र का प्रयोग बैंकों के क्लियरिंग हाउस में सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

    (8) पंच कार्ड-

    इस कार्ड के द्वारा कम्प्यूटर के प्रारम्भ में निर्देशों को कम्प्यूटर में फीड किया जाता था। वर्तमान समय में इसका प्रयोग बहुत कम किया जाता है। यह शुरूआती कम्प्यूटरों में निर्देश देने के खूब प्रयोग किया जाता था।

    (9) ऑप्टिकल करेक्टर रीडर(OCR)-

    इस यंत्र के द्वारा हम पेंसिल से लगे हुये निशान पहचान कर उन्हें कम्प्यूटर में फीड कर सकते हैं। इसका प्रयोग वर्तमान समय में परीक्षाओं के परिणाम जाँचने में किया जाता है। इसका सम्पूर्ण नाम -ऑप्टिकल करेक्टर रीडर है। आजकल डेस्कटॉप स्कैनरों के साथ भी इस तरह के सॉफ्टवेयरों को प्रयोग किया जाता है जो पेज पर प्रिंट अक्षरों को पढ़ सकते हैं।

    (10) डिजिटल कैमरा-

    यह एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक कैमरा होता है जिसमें फिल्म के स्थान पर एक मेमोरी चिप का प्रयोग होता है। यह प्रकाश के परावर्तन के सीसीडी सेन्सर से इमेज के रूप में कैप्चर करके मेमोरी चिप में स्टोर कर देता है जिसे कम्प्यूटर में खोला जाता है।

    (11) ऑप्टीकल मार्क रीडर (OMR)-

    यह एक ऐसी डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जाँचती है। इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित प्रकाश को जाँचा जाता है। जहाँ चिन्ह उपस्थित होगा, कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी।

    (12) जॉयस्टिक-

    यह खेल खेलने के काम में आने वाली इनपुट डिवाइस है। जॉयस्टिक के माध्यम से स्क्रीन पर उपस्थित टर्टल या आकृति को इसके हैंडिल से पकड़ कर चलाया जा सकता है। इसका प्रयोग बच्चों द्वारा प्रायः कम्प्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है, क्योंकि यह बच्चों को कम्प्यूटर सिखाने का आसान तरीका है।

    Also Read: Types of Computer in Hindi

    (13) ट्रैकर बाल-

    यह जॉयस्टिक के समान ही कार्य करती है, लेकिन छोटे बच्चों द्वारा अधिकतर प्रयोग में लायी जाती है। इसकी ऊपरी सतह पर एक बाल लगी रहती है जिसका। हिलाने पर स्क्रीन पर उपस्थित आकृति को कर्सर द्वारा चलाया जा सकता है।

    (14) डिजीटाइजर टेबलेट या ग्राफिक टेबलेट-

    ग्राफिक टेबलेट एक ड्राइंग सतह होती है। इसके ऊपर एक पेन या माउस होता है। ड्राइंग सतह में पतले तारों का जाल होता है जिस पर पेन या माउस को चलाने से संकेत कम्प्यूटर में चले जाते हैं।

    (15) ऑप्टीकल बार कोड रीडर (OBR)-

    OBR का मुख्य कार्य Vertical Bar का जो कि अलग-अलग डाटा के लिये निश्चित होते हैं, स्कैन करने का होता है। OBR द्वारा माता टैगों को पढ़ा जाता है जो कि शॉपिंग सेन्टर में विभिन्न उत्पादों में, दवाइयों के पैकेट पर तथा लाइब्रेरी की पुस्तकों के आवरण आदि पर छपे रहते हैं। ऑप्टीकल बार कोड रीडर के बारकोड के ऊपर से निकालते हैं तो यह इस पर छिपी हुई सूचना को कम्प्यूटर में प्रविष्ट कर देता है।

  • Cache Memory Kya he? संक्षिप्त में

    Cache Memory Kya he? संक्षिप्त में

    what-is-cache-memory-in-hindi

    Cache memory– यह एक अत्यन्त तेज एवं छोटी memory है, जिसे | CPU और main memory के मध्य स्थित किया जाता है तथा जिसका access time CPU की processing गति के समकक्ष होता है। इसका प्रयोग main memory एवं CPU की गति के मध्य 1 : 10 के अनुपात को overcome करने हेतु किया जाता है। यह static RAM से बनी होती है। यह CPU और RAM के मध्य एक उच्च गति buffer का कार्य करती है एवं processing के दौरान अधिक सक्रिय data एवं निर्देशों का अस्थाई संग्रह करती है।

    Cache Memory में लिखना- कैश मैमोरी राईट ऑपरेशन के लिये दो प्रक्रिया हैं

    प्रथम प्रक्रिया-

    यह अत्यधिक उपयोग में आने वाली प्रक्रिया है इसमें मुख्य मैमोरी को राईट ऑपरेशन की प्रत्येक मैमोरी के साथ अपडेट किया जाता है। यदि यह विशिष्ट एड्रैस का कोई शब्द सम्मिलित करती है तब यह राईट श्रू (Write Through) विधि कहलाती है। इस विधि का लाभ यह है कि मुख्य मैमोरी हमेशा कैश मैमोरी के समान ही डाटा को सम्मिलित करती है।

    दूसरी प्रक्रिया-

    यह राईट बैक (Write Back) प्रक्रिया कहलाती है। इस प्रक्रिया में केवल कैश लोकेशन ही राईट ऑपरेशन के दौरान अपडेट की जाती है। उसके बाद लोकेशन को एक फ्लैग द्वारा चिन्हित कर दिया जाता है।

  • WorkSheet में सेल प्वाइंटर का विस्थापन और सेल को फॉर्मेट करने की विधि

    WorkSheet में सेल प्वाइंटर का विस्थापन और सेल को फॉर्मेट करने की विधि

    WorkSheet में सेल प्वाइंटर का विस्थापन वर्कशीट– में सेल पॉइंटर को कीबोर्ड से आसानी से मुक्त किया जा सकता है प्वाइंटर के मूवमेंट में कीबोर्ड की आठ कुंजियां चार Arrow की Home, End, Page Down, Page Up कार्य करते हैं।

    WorkSheet

    प्वाइंटर के मूवमेंट की गति उपरोक्त कुंजियों के साथ Ctrl तथा Shift कुंजी के प्रयोग को तेज हो जाती है, सारणी में प्वाइंटर मूवमेंट से संबंधित कुंजी तथा इनके कार्य निम्नलिखित हैं-

    कुंजीमूवमेंट
    Arrow Keysएक सेल ऊपर, नीचे, बायें, दाये तथा एयर मूव करता है।
    Ctrl-Arrow KeysWorksheet के अंतिम सेल पर एरो की दिशा में मूव करता है।
    Homeपंक्ति के शुरू में मूव करता है।
    Ctrl + HomeWorksheet के अंत में मूव करता है।
    Ctrl + EndWorksheet में पिछले शीट को मूव करता है।
    Page Downएक स्क्रीन नीचे और मूव करता है।
    Page Upएक स्क्रीन ऊपर और मूव करता है।
    Alt + Page Downएक स्क्रीन दाये और मूव करता है।
    Alt + Page Upएक स्क्रीन बाएं और मूव करता है।
    Ctrl + Page Downबुकमार्क में पिछले अगले को मूव करता है।
    Ctrl + Page Dnबुकमार्क में पिछले शीट को मूव करता है।

    सैल को फॉरमेट करने की विभिन्न विधियाँ।

    सैल को फॉरमेट करना-सैल को फॉरमेट करने के विभिन्न तरीके एम.एस.एक्सेल में उपलब्ध है जैसे सामान्य, संख्या, करेन्सी, तिथि, टैक्स्ट आदि।

    WorkSheet

    विभिन्न फॉरमेट निम्नलिखित हैं.

    (A) नम्बर फॉरमेट का प्रयोग-

    इसका प्रयोग संख्यात्मक डाटा की फॉरमेटिंग के लिये करते हैं जैसे संख्या में कितने दशमलव अंक होने चाहिये एवं संख्या लिखने की पद्धति भारतीय होगी या अन्तर्राष्ट्रीय होगी। उदाहरणार्थ 220,000,000 (अन्तर्राष्ट्रीय) या 22,00,00,000 (भारतीय) 

    (B) करेन्सी फॉरमेट का प्रयोग-

    इसका प्रयोग संख्यात्मक डाटा की फॉरमेटिंग से बहुत ही मिलता जुलता है। इस फॉरमेट से आप करेन्सी चिन्ह मूल्य के साथ जोड़ सकते हैं। उदाहरणार्थ- $94,9595

    (C) तिथि फॉरमेट का प्रयोग-

    तिथि फॉरमेट सेल अथवा रेन्ज में उपस्थित दिनांक को विभिन्न तरीकों में फार्मेट करता है। उदाहरणार्थ, August 10, 2010, 4/09/01, या 9April, 2001

    (D) समय फॉरमेट का प्रयोग-

    यह सेल अथवा रेन्ज में उपस्थित समय को विभिन्न तरीकों में फॉर्मेट करता है। जैसे- 10:30 PM, 22:30 

    (E) सैल की विषय-

    वस्तु का मिलान करना- सैल में स्वतः टैक्स्ट बायीं ओर से एवं नम्बर दायीं ओर से मिलान किया जाता है परन्तु आवश्यकतानुसार इनका मिलान निम्नलिखित आइकनों का प्रयोग करके भी कर सकते हैं।

    (i) Align Left बटन का प्रयोग टेक्स्ट या संख्या को बाईं ओर मिलान करने के लिये करते हैं।

    (ii) Align Right बटन का प्रयोग टेक्स्ट या संख्या को दायीं ओर मिलान करने के लिये करते हैं।

    (iii) Align Center बटन का प्रयोग टेक्स्ट या संख्या को केन्द्र में करने के लिये करते।

    Also Read: PowerPoint Kya he?

    (F) फॉण्ट को फॉरमेट करने के लिये-

    फॉण्ट फॉरमेटिंग अर्थात् फॉण्ट को आकर्षक बनाने हेतु इसे गहरा, तिरछा, रेखांकित बनाया जाता है

    (i) सैल के अवयव को गहरा बनाने के लिये फारमेटिंग टूलबार से बोल्ड पर क्लिक करें।

    (ii) सैल के अवयव को तिरछा बनाने के लिये फॉरमेटिंग टूलबार से Italics बटन पर। सैल के क्लिक करें।

    (iii) सैल के अवयन को रेखांकित करने के लिये फॉरमेटिंग टूलबार से Underline बटन पर क्लिक करें।

    (iv) सैल के अवयव के आकार को बढ़ाने के लिये फॉरमेटिंग टूलबार से फॉन्ट बटन क्लिक करें। सैल के फॉण्ट के रंग को अपने इच्छानुसार चुनाव करने के लिये फॉरमेटिंग ।

    टूलबार से Font Color आइकन के ड्रॉप बॉक्स का चयन करें।

    (vi) सैल के बॉर्डर का चुनाव फॉरमेटिंग टूलबार से Borders आइकन के लिस्ट बॉक्स पर क्लिक करके इच्छानुसार करें। बॉर्डर को समाप्त करने के लिये No Border पर क्लिक करें।

  • Slides को देखने के विभिन्न व्यू कोने कोने से है?

    Slides को देखने के विभिन्न व्यू कोने कोने से है?

    Slides को देखने के विभिन्न व्यू कोने कोने से है?

    Slides को विभिन्न प्रकार से स्क्रीन पर देखना- Microsoft PowerPoint आपको स्लाइड्स संपादन को सरल एवं सहज बनाने हेतु कई प्रकार के व्यूज प्रदान करता है। इनमें दो महत्वपूर्ण व्यूज नॉर्मल तथा स्लाइड सॉटर व्यू आपके प्रस्तुति में आवश्यक भूमिका निभाते हैं। आप इन व्यूज के मध्य स्वीच करने के लिये पावर पॉइन्ट विण्डो के नीचे बायीं ओर के बटनस का प्रयोग कर सकते हैं। 

    कोने कोने से View है Slides को देखने के?

    (अ) नॉर्मल व्यू-

    इस प्रदर्शन में बायीं ओर इसके सभी Slides पर दी गयी सूचनायें प्रदर्शित होती हैं और इस भाग में चुनी गयी स्लाइड का प्रदर्शन इस विंडो में दायीं ओर होता है । प्रस्तुति के इस प्रकार के प्रदर्शन में स्लाइड्स को संपादित किया जा सकता है साथ ही साथ दायीं ओर स्लाइड्स के नीचे के भाग जिसमें क्लिक टू ऐड नोट्स लिखा है, में स्पीकर्स नोट्स भी तैयार किये जा सकते हैं। 

    (ब) आउटलाइन व्यू-

    इस प्रदर्शन में भी बायीं ओर इसकी सभी स्लाइड्स पर दी गयी सूचनायें प्रदर्शित होती है और इस भाग में चुनी गयी स्लाइड का प्रदर्शन इस विंडो में दायीं ओर होता है। नॉर्मल व्यु और इसमें मुख्य अन्तर यह है। प्रस्तुति के इस प्रकार के प्रदर्शन में स्लाइड्स को संपादित भी किया जा सकता है साथ ही दायीं ओर स्लाइड्स के नीचे के भाग जिसमें क्लिक टू ऐड नोट्स लिखा है, में स्सीकर्स नोटस् भी तैयार किये जा सकते हैं।

     (स) स्लाइड व्यू-

    इस प्रदर्शन में भी बायीं ओर इसके सभी स्लाइड्स के आइकन्स प्रदर्शित होते हैं, इनमें से वांछित आईकन पर क्लिक करने पर इस विंडो में दायीं ओर वह स्लाईड प्रदर्शित होती है। स्लाइड के इस प्रकार के व्यू में भी स्लाइड को संपादित किया जा सकता है।

    (द) स्लाइड सॉर्टर व्यू-

    प्रस्तुति के इस प्रदर्शन में इसके सभी स्लाइड्स का प्रदर्शन मॉनिटर स्क्रीन पर एक बार में लघुरूप में होता है। इस प्रकार के व्यू में प्रस्तुति में स्लाइड्स के क्रम का निर्धारण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस व्यू में नये स्लाइड को जोड़ना, अनावश्यक स्लाइड को मिटाना, इन्हें कॉपी करना तथा मूव करना इत्यादि जैसे कार्य सहजता से सम्पन्न हो जाते हैं। 

    (फ) स्लाइड शो ब्यू-

    स्लाइड के इस व्यू में एक स्लाइड पूरी स्क्रीन पर प्रदर्शित होती है।यदि प्रस्तुति में एक स्लाइड से दूसरे स्लाइड के प्रदर्शन के मध्य कोई समय निर्धारित किया गया है तो उस समय स्वतः ही अगला स्लाइड मॉनिटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होती है और यदि समय पर निर्धारण नहीं किया है तो माउस क्लिक या पेज डाउन की को दबाने से अगला स्लाइड मॉनिटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। यदि स्लाइड में एनिमेशन प्रभावों को प्रयोग किया है तो वे प्रभाव निर्धारित किये गये समय के अनुरूप प्रदर्शित होते हैं।

    स्लाइड्स ट्रांज़िशन का प्रयोग

    स्लाइड्स ट्रांज़िशन

    स्लाइड्स ट्रांज़िशन का प्रयोग- स्लाइड्स में ट्रांजिशन का उपयोग इलेक्ट्रिॉनिक शो के दौरान इसमें विशेष प्रभाव डालने के लिये किया जाता है। स्लाइड्स ट्रांजिशन का प्रयोग करने के लिये यह करें•

    • पावर पॉइन्ट विण्डों से स्लाइड सोर्टर व्यू बटन को क्लिक करें या व्यू मैन्य से स्लाइड सोर्टर को चुनें।
    • उस स्लाइड का चयन करें जिसमें ट्रांजिशन प्रभाव जोड़ना है।
    • स्लाइड शो मैन्यू से स्लाइड ट्रांजिशन को चुनें। या स्लाइड सोर्टर टूलबार से स्लाइड ट्रांजिशन आइकन को क्लिक करें।
    • स्लाइड ट्रांजिशन डायलॉग बॉक्स से इफेक्ट के ड्रॉप डाउन लिस्ट बॉक्स से उपयुक्त ट्रांजिशन का चयन करें।
    • Slow, Medium या Fast में वांछित रेडियो बटन को क्लिक करें।

    (i) माउस कलिक द्वारा स्लाइड्स को चलाने के लिये On Mouse click के चैक बॉक्स पर क्लिक करें।

    (ii) स्लाइडस को स्वतः निर्धारित किये गये समय अन्तराल में चलाने के लिये Automatically after के स्क्रॉल टैक्स्ट बॉक्स में इच्छित समय टाइप करें या स्क्रॉल पर क्लिक कर निर्धारित करें।

    • ट्रांजिशन परिणाम को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये एडह्ववांस में दो विकल्प दिये गये हैं ।
    • साउण्ड के ड्रॉप डाउन लिस्ट बॉक्स से इच्छित ध्वनि का चयन करें।
    • चयनित स्लाइड में निर्धारित परिणाम के लिये Apply का चयन करें तथा सभी स्लाइडों में परिणाम डालने के लिये ‘Apply to All’ का प्रयोग करें।
  • Slides में Text का संपादन किस प्रकार किया जाता है? इसके विभिन्न कार्य

    Slides में Text का संपादन किस प्रकार किया जाता है? इसके विभिन्न कार्य

    Slides में Text

    Slides में टैक्स्ट को संपादित करना- आप स्लाइड में आवश्यकतानुसार टैक्स्ट जोड़ सकते हैं, मिटा सकते हैं, बदल सकते हैं, या किसी भी प्रकार का बदलाव कर सकते हैं।

    Slides में Text संपादित करने के लिये यह करें 

    • उस स्लाइड का चयन करें जिसके टैक्स्ट को संपादित करना है। 
    • टैक्स्ट के स्थान पर क्लिक करें और इच्छित संपादन करें। 

    (A) टैक्स्ट कॉपी करना-

    टैक्स्ट को कॉपी करने के लिये.

    • उस स्लाइड का चयन करें और टैक्स्ट को चुनें जिसके कॉपी करना है। •
    • Edit मैन्यू से कॉपी का चयन करें या स्टैन्डर्ड टूलबार से कॉपी पर क्लिक करें या की-बोर्ड से Ctrl+C दबायें।
    • उस स्लाइड का चयन करें जहाँ कॉपी करना है एवं वांछित स्थान पर क्लिक करें।
    • Edit मैन्यू से पैस्ट का चयन करें या स्टैन्डर्ड टूलबार से पैस्ट क्लिक करें या की बोर्ड से Ctrl+V दबायें। 

    (B) टैकस्ट को मूव करना-

    टैक्स्ट को मूव करने के लिये.

    • स्लाइड का चयन करें और टैक्स्ट को चुने जिसको मूव करना है।
    • स्लाइड का चयन करें और टैक्स्ट को चुनें जिसको मूव करना है.’
    • Edit मैन्यू से कट चुनें या स्टैन्डर्ड टूलबा से कट पर क्लिक करें या की बोर्ड की सहायता से Ctrl+X दबायें।
    • उस स्लाइड का चुनाव करें एवं प्लेसहोल्डर के अंदर क्लिक करें।
    • Edit मैन्यू से पैस्ट चुनें या स्टैन्डर्ड टूलबार से पैस्ट को क्लिक करें या की बोर्ड से Ctrl+V दबायें। 

    (C) टैक्स्ट को मिटाना-

    टैक्स्ट को मिटाने के लिये.

    • स्लाइड का चयन करें फिर टैक्स्ट चुनें।
    • DEL की दबायें। 

    (D) टैक्स्ट का फॉन्ट एवं आकार बदलना-

    टैक्स्ट का फॉन्ट बदलने के लिये •

    • स्लाइड तथा टैक्स्ट का चुनाव करें। •
    • Format मैन्यू से Font को क्लिक करें। स्क्रीन पर चित्र की भाँति बॉक्स प्रदर्शित होगा।
    • टैक्स्ट का फॉन्ट बदलने के लिये Font के टैक्स्ट बॉक्स में फॉन्ट का नाम टाइप करें। अथवा सूची से इच्छित फॉन्ट का चयन करें।
    • टैक्स्ट का आकार बदलने के लिये साइज के बॉक्स में आकार टाइप करें या फिर इसके लिस्ट बॉक्स में से चयन करें।
    • टैक्स्ट का आकार बदलने के लिये Size के बॉक्स में आकार टाइप करें या इपा सिके लिस्ट बॉक्स में से चयन करें।

    Font style के चार विकल्प रेग्यूलर

    • रेग्यूलर– यह टैक्स्ट को उसका सामान्य रूप प्रदान करता है।
    • बोल्ड– यह टैक्स्ट को गहरा रूप देता है।
    • इटैलिक– यह टैक्स्ट को तिरछा रूप देता है।
    • बोल्ड इटैलिक– यह टैक्स्ट को गहरा और तिरछा बनाता है।

    टैक्स्ट को विशेष प्रभाव देने के लिये Effects

    • Underline : टैक्स्ट को रेखांकित करता है।
    • Shadow : टैक्स्ट को एक छाया देता है।
    • Emboss : टैक्स्ट को उत्कीर्ण रूप देता है।
    • Superscript : टैक्स्ट को घातिय रूप देता है जैसे a।
    • Subscript : टैक्स्ट को नीचे करता है जैसे 02।

    टैक्स्ट को रंगीन बनाने के लिये

    • फॉन्ट डायलॉग बॉक्स से कलर के ड्रॉप डाउन लिस्ट बॉक्स को क्लिक करें।
    • इच्छित रंग का चुनाव करें।

    की-बोर्ड के माध्यम से टैक्स्ट फॉरमेटिंग के कुछ शार्टकट्स सारणी में दिये जा रहे हैं। इनका प्रयोग कर की-बोर्ड की मदद से भी टैक्स्ट फॉरमेटिंग का काम आसानी से कर सकते हैं।

    FormatingShortcuts
    BoldCtrl + B
    ItalicCtrl + I
    UnderlineCtrl + U
    SuperscriptCtrl + Shift ++
    SubscriptCtrl + =
    Copy FormatingCtrl + C
    Paste FormattingCtrl + Shift + V
    Remove FormattingCtrl + Spacebar
    Change FontCtrl + Shift + F
    Change Font SizeCtrl + Shift + P
    Increase Font SizeCtrl + Shift + >
    Decrease Font SizeCtrl + Shift + <
  • मास्टर स्लाइड क्या है और स्लाइड में ग्राफिक्स को कैसे जोड़े?Master Slide

    मास्टर स्लाइड क्या है और स्लाइड में ग्राफिक्स को कैसे जोड़े?Master Slide

    what is master slide in hindi

    मास्टर स्लाइड क्या है? और उसके लाभ

    PowerPoint में एक विशेष प्रकार का स्लाइड आता है जिसे Slide Master कहते हैं। स्लाइड मास्टर, टैक्स्ट फीचर जैसे- टैक्स्ट का आकार बढ़ाना, उन्हें रंगना, उन्हें गहरा करना, रेखांकित करना, तिरछा करना साथ-साथ बैकग्राउण्ड रंग तथा विशेष प्रभाव यथा बुलेट स्टाइल, छापा (shadow) को control करता है।

    Slide master में Text place holder तथा footer के प्लेस होल्डर तथा तिथि, समय, स्लाइड संख्या रहता है। जब हम अपने स्लाइड के रूप में समान बदलाव लाना चाहते हैं तो हमें केवल slide master में वह बदलाव करना पड़ता है। जैसे ही हम उस slide master में बदलाव करते हैं पॉवर प्वाइन्ट सभी slides को update कर देता है तथा हमारे द्वारा जोड़े गये बदलाव को लागू कर देता है। उदाहरण के लिये यदि हम Place holder Text का Color Red करते हैं तो बने हुये slide तथा नये स्लाइड के Text का color स्वतः ही Red हो जायेगा। हम slide का use चित्र को जोड़ने, Background बदलने, placeholder के आकार को control करने तथा font style, size तथा color बदलने में कर सकते हैं।

    उदाहरण के लिये हम किसी company का presentation बना रहे हैं तो स्वाभाविक है कि हम उसका “Logo” प्रस्तुति के प्रत्येक स्लाइड पर जोड़ना चाहेंगे। इस कार्य को करने के लिये हम केवल slide master में “लोगो” जोड़ सकते हैं ऐसा करने पर अन्य slides पर स्वयं आ जायेगा। जिस स्थिति पर वह ऑब्जेक्ट आप स्लाइड मास्टर पर जोड़ेंगे उसी स्थिति में वह बाकी स्लाइडों पर प्रदर्शित होगा।

    Slide master का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हमें एक ही कार्य को बार-बार अलगअलग slide में नहीं करना पड़ता हैं।

    स्लाइड में ग्राफिक्स को कैसे जोड़े?

    एडिंग क्लिप आर्ट– क्लिप आर्ट को स्लाइड को स्लाइड में जोड़ने के लिये निम्नलिखित चरणों का अनुसरण किया जाता है।

    (1) एक रिक्त स्लाइड का निर्माण किया जाता है।

    (2) मेन्यूबार में इन्सर्ट मेन्यू पर क्लिक करते हैं, तो एक ड्रॉप डाउन लिस्ट खुल जाती।

    (3) इस ड्रॉपडाउन लिस्ट में पिक्चर बटन पर माउस पाइंटर रखते ही दाहिनी ओर एक खिड़की खुल जाती है।

    (4) इस विण्डो में क्लिपआर्ट बटन पर क्लिक करते हैं, तो इन्सर्ट क्लिप आर्ट डायलॉग बॉक्स खुल जाता है।

    (5) यहाँ दिये गये विभिन्न विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चुनाव कर इन्सर्ट क्लिप बटन पर क्लिक किया जाता है। ऐसा करते ही चुना गया विकल्प रिक्त स्लिाइड पर जुड़ जाता है।

    एडिंग वर्डआर्ट स्टाइल

    वर्डआर्ट का उपयोग टैक्स्ट को विभिन्न रंगों में आकर्षक बनाकर प्रस्तुत करना है। इसलिये वर्डआर्ट का उपयोग logo, title तथा प्रचार सामग्री के लिये किया जाता है।

    वर्डआर्ट का उपयोग करने के लिये वर्डआर्ट बटन पर क्लिक करते हैं ऐसा करते ही एडिट वर्डआर्ट टैस्क्ट डायलॉग box खुल जाता है। इस डायलॉग box में वांछित टैक्स्ट टाइप किया जाता है। तथा आवश्यकतानुसार font तथा इटेलिक, bold आदि बटनों का उपयोग करके टैक्स्ट की फॉरमेटिंग की जा सकती है इसके बाद OK बटन पर क्लिक करके सम्बन्धित ऑब्जेक्ट को डॉक्यूमेन्ट में जोड़ा जा सकता है।

    एडिंग साउण्ड-

    साउण्ड जोड़ने के लिये निम्नलिखित चरणों का अनुसरण किया जाता है.

    (1) प्रजेन्टेशन को खोलते हैं।

    (2) इन्सर्ट मेन्यू में से साउण्ड का चयन करते हैं। तो इन्सर्ट साउण्ड डायलॉग बॉक्स खुल जाता है।

    (3) जिस साउण्ड को जोड़ना है, उस पर डबल क्लिक करते हैं।

    (4) साउण्ड आइकन को चुनने के बाद स्लाइड शो व कस्टम एनीमेशन का चयन किया जाता है