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  • What is the Domain Name? डोमेन नाम क्या है?

    What is the Domain Name? डोमेन नाम क्या है?

    Domain name : डॉमेन नाम एक ऐसा पता है जिसके जरिये Internet प्रयोक्ता आपको web पर देखेंगे, web प्रकाश का पहला चरण है.

    what is domain name in hindi

    आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं, Domain Name? के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप कंप्यूटर अथवा वेबसाइट सीखना चाहते हैं.

    आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में  Domain Name  के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.

    अगर आप Website के बारे में सीखना चाहते हैं और अपनी खुद की एक वेबसाइट बनाना चाहते हैं तो आपको यह जानना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है कि Domain Name Kya he है, और यह कैसे काम करता है.

    What is a domain name?

    Domain Name की मदद से हम किसी भी वेबसाइट को Search कर सकते हैं Google पर या और किसी Search Engine पर यह भी एक प्रकार का IP Address होता है जो कि आसान भाषा में आप को दर्शाया जाता है, ताकि आपको किसी भी वेबसाइट का IP Address याद रखने की जरूरत ना पड़े बजाय उसके आपको एक आसान नाम दिया जाता है जिसे कहते हैं Domain Name.

    Domain name planning and registration डॉमेन का नाम निबंधित करवाते समय कुछ बातें आपको दिमाग में रखनी चाहिए। सबसे पहले जो चीज आपको करने की आवश्यकता होती है वह है प्रस्तावित साइट के लिये एक Domain नाम प्राप्त करना Domain name वह name है जिसे आप अपने साइट पर देना चाहते हैं। उदाहरण के लिये computer-hindi.com एक domain name है। एक domain name प्राप्त करने के लिए आपको एक register को एक वार्षिक शुल्क उस नाम का प्रयोग करने देने की अनुमति को पहले देना पड़ता है।

    एक नाम प्राप्त कर लेने से आपको website नहीं मिल पाता है। यह सिर्फ एक नाम है। यह ठीक वैसा है जैसे नकल से बचने के लिए किसी सरकारी संस्था के अधीन किसी व्यावसायिक नाम का निबंधन कराना।

    what is domain name

    एक डॉमेन नाम का चयन करना (Choosing a Domain Name)-

    इसे पूर्व की आप शीघ्रता बरतते हुए अपना डॉमेन नाम चुनें और website का नामकरण करें। आपको निम्न बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है

    आपका डॉमेन नाम ही आपके वेब साइट का नाम होना चाहिए (Your Domain Name should be your website name)-

    ऐसा Domain name जो आपके ब्रांड से मेल खाता है, बहुत महत्वपूर्ण है। वह नेम जिसका प्रयोग आप अपने उत्पाद के विज्ञापन में करते हैं। आप अपने डॉमेन के लिये भी चाहेंगे क्योंकि यही वह पहली चीज होगी जिसे लोग अपने Browser में डालकर देखेंगे। आपका डॉमेन नाम बहुत लम्बा नहीं होना चाहिए।

    आपका डॉमेन नाम बहुत लम्बा नहीं होना चाहिए (Your Domain name should not be too long)-

    Domain 67 अक्षर (character) तक किसी भी लम्बाई के हो सकते हैं। आपको एक अस्पष्ट और दुर्योध Domain नाम जैसे- nbo.com से ही संतोष कर लेने की आवश्यकता नहीं है। जबकि आप जो चाहते हैं, वह है। hamarabinaronine.com यद्यपि आप एक छोटा Domain name प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं। जो मुख्य बात यह सुनिश्चित करता है कि यह अक्षरों का एक सार्थक मेल या संयोजन है या नहीं।

    आपके डॉमेन नाम को hyphen मुक्त होना चाहिए (Your Domain name should be hyphen free)-

    Hyphemation युक्त Domain Name के कुछ-कुछ अपने फायदे हैं और नुकसान भी। यदि hyphen सहित है। तो search इंजन आपके keywords के बेहतर रूप से पहचान सकते हैं। नुकसान यह है कि नाम Type करते समय hyphen को भूल जाना अत्यन्त आम बात है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति मौखिक रूप आपके साइट को अपने किसी मित्र को recommend करता है तो आपके Domain name में hyphen होना गलती होने की संभावना बढ़ाता है।

    डॉमेन नाम में बहुवचन शब्द नहीं होना चाहिए (Your domain should not contain plural words)-

    Domain name का बहुवचन नाम (forex website.com) हमेशा ही नुकसान का कारण बनता है। चूँकि आग क्रम द्वारा नाम में ‘S’ Type की बात भूल जाने की संभावना बहुत रहती है। उदाहरण के लिये मान लीजिए कोई व्यक्ति website.com को log on करना चाहता है, किन्तु गलती से website.com log on कर देता है तो बहुत संभव है इससे cinenet नुकसान होने का खतरा रहेगा यदि दोनों ही डॉमेन के उत्पाद समान हों।


    Abbreviation (Extensions)(एक्सटेंशन)Full Form (पुरा नाम)
    comCommercial Internet Sites
    .netInternet Administrative Site
    .orgOrganization Site
    .eduEducation Sites
    .firmBusiness Site
    .govGovernment Site
    .intInternational Institutions
    .milMilitary Site
    .mobiMobile Phone Site
    .intInternational Organizations site
    .ioIndian Ocean (British Indian Ocean Territory)
    .milU.S. Military site
    .govGovernment site
    .storeA Retail Business site
    .webInternet site
    .inIndia
    .auAustralia
    .aeArab Emirates
    .saSaudi Arabia
    .usUnited States
    .ukUnited Kingdom
    .khCambodia
    .thThailand
    .cnChina
    .vnVietnam
    .jpJapan
    .sgSingapore
    .nzNew Zealand
    .myMalaysia

    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

    हम आशा करते हैं कि आपको यह Article पढ़ के मजा आया होगा, इस आर्टिकल में हमने What is a domain name? के बारे में आपको जानकारी दी है, अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी हमसे छूट गई हो तो कृपया कर उसे Comment में हमसे साझा करें.

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  • What is ISP यह कैसे काम करता है?

    What is ISP यह कैसे काम करता है?

    Internet Service Provider (ISP)- वह कंपनी जो Internet सुविधा प्रदान करती है। इंटरनेट सेवा प्रदाता (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) कहलाती है। किसी अन्य कम्पनी की तरह ही इंटरनेट सेवा प्रदाता अपनी सेवाओं के लिए प्रयोक्ता से पैसा लेती है। सामान्यतः यह शुल्क राशि इंटरनेट सेवा प्रदाता द्वारा दो प्रकार से ली जाती है.

    what is isp

    अगर आप Internet के बारे में सीखना चाहते हो तो, आपको यह बहुत ही ज्यादा जरूरी है जानना की Internet Service Provider (ISP) क्या है? और यह कैसे काम करता है.

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    What is ISP

    Internet Service Provider (ISP)- वह कंपनी जो Internet सुविधा प्रदान करती है। इंटरनेट सेवा प्रदाता (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) कहलाती है। किसी अन्य कम्पनी की तरह ही इंटरनेट सेवा प्रदाता अपनी सेवाओं के लिए प्रयोक्ता से पैसा लेती है। सामान्यतः यह शुल्क राशि इंटरनेट सेवा प्रदाता द्वारा दो प्रकार से ली जाती है

    (i) इंटरनेट प्रयोग करने के लिये।

    (ii) इंटरनेट कनेक्शन देने के लिये।

    Internet पर किए जाने वाले कार्य के बदले प्रत्येक प्रयोक्ता अपने हिस्से का भुगतान करता है। नेटवर्क एक साथ संयोजित होते हैं तथा कैसे आपस में जोड़ें यह निर्णय करते हैं। विद्यालय या विश्वविद्यालय अथवा एक कम्पनी अपने संयोजन का भुगतान क्षेत्रीय नेटवर्क को करती है तथा वह क्षेत्रीय नेटवर्क इस एक्सेस के लिए राष्ट्रीय प्रदाता को भुगतान करता है।

    ISP के सभी ग्राहकों को Internet प्रयोग के बदले में शुल्क राशि का भुगतान करना ही होता है। अधिकतर मामलों में आई.एस.पी. ग्राहक पर एक निश्चित् मासिक शुल्क लगाती है। इसमें कस्टमर को समयावधि, संचार की दूरी तथा DATA Download या UPDATE की मात्रा के लिए स्वतंत्रता दी जाती है। प्रयोग शुल्क के बदले आई.एस.पी. ग्राहक के computer से गंतव्य स्थान तक अन्य स्थानों से ग्राहक के computer तक डाटा को ले जाने और लाने पर सहमत होता है।

    क्या आपको पता है: WWW क्या है?

    ISP एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान (organization) से एक व्यक्ति की तुलना में अधिक शल्क लेते हैं क्योंकि एक व्यक्तिगत प्रयोक्ता (user) इंटरनेट का प्रयोग कम्प्यूटर पर कभीकभी करता है जबकि व्यावसायिक Organization में Internet का प्रयोग कई लोग करते * वहाँ प्रतिदिन डाटा स्थानान्तरण की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा Internet का शुल्क इस बात पर भी निर्भर करता है कि उस ग्राहक के पास कौन-सा संयोजन है ?

    ऐसे ग्राहक जिनके पास बड़ी मात्रा में Data को स्थानान्तरित करने के योग्य संयोजन है, को कम क्षमता संयोजन वाले ग्राहकों की तुलना में अधिक शुल्क देना पड़ता हैं। अब तक अन्य प्रकार का गोजन शल्क की वैसे ग्राहकों के लिए निर्धारित होता है जिनके पास अनेक site तथा ISP के बीच अलग से एक समर्पित Dedicate संयोजन होता है, BSNL, VSNL, Reliance, Sify, Bharti भारत के कुछ इंटरनेट प्रोवाइडर के नाम है .


    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

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  • World Wide Web WWW क्या है?

    World Wide Web WWW क्या है?

    अगर आप Internet का उपयोग करते हैं तो आपको WWW के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि यह Internet का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. World Wide Web क्या है ? और यह कैसे काम करता है, यह जानकारी आपको हमारे ब्लॉग पर मिलेगी.

    www kya he

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    आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में  WWW के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.

    What is WWW?

    World Wide Web (WWW)- सर्वर की एक संख्या है जो कि Hyper Text के माध्यम से आपस में संयोजित होती है, Hyper Text सूचना को प्रस्तुत करने का वैसा तरीका है, जिससे कुछ खास आयटम डाउनलोड होते हैं। उस डाउनलोडेड text को चुनने पर आप उससे सम्बन्धित विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं जो आपको एक document से दूसरे document में जाने में सहायता करता है तथा जो इंटरनेट पर किसी भी सर्वर में उपलब्ध हो सकते हैं।

    Web को विशेष बनाने में प्रमुख यह है आप इंटरनेट पर इनके माध्यम से कहीं भी भ्रमण कर सकते हैं। जैसे आप किसी एफ.टी.पी. साइट, गोफर. Veronica या किसी अन्य दस्तावेज में डाल सकते हैं। Web को भ्रमण करने के लिए आप ब्राउजर सॉफ्टवेयर जैसे (Mosaic), मौजिक नेटस्केप नवीगेटर (Netscape Navigator) या इंटरनेट एक्सप्लोरर का प्रयोग करते हैं। वेब हायपर टैक्सट के साथ उच्च स्तरीय ग्राफिक्स का उत्तम प्रयोग करता है। FTP तथा Telnet जैसी Text पर आधारित सेवाओं के साथ ही web में अच्छी मात्रा में ग्राफिक्स का प्रयोग होता है। आज हम वेब पेजों में चित्र तथा ध्वनि का समावेश आसानी से बहुतायत में देख सकते हैं।

    वेब का इतिहास (History of web)-

    वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कार से पहले इंटरनेट का प्रयोग बहुत ही कठिन था। इस पर उपलब्ध सूचनाओं को खोजना तथा इसका – प्रयोग में लाना और कठिन था। इंटरनेट पर उपलब्ध files को ढूंढ़ना तथा उसे डाउनलोड करने के लिए यूनिक्स स्कीलर (skiller) तथा विभिन्न tools की आवश्यकता पड़ती थी।

    Com में उनके कार्य के लिए हमेशा इंटरनेट की आवश्यकता पड़ती थी। Internet का प्रयोग वह शोध, तथा अपने शोधकर्ता मित्रों के साथ सम्पर्क करने में करते थे, उन्हें इंटरनेट को उपयोग किये जाने में आने वाली कठिनाइयों ने इस बात के लिए उनके अन्दर ऐसी प्रणाली का विकास करने पर प्रेरित किया जो उनके काम को आसान बना सके। 1989 में

    उन्होंने World Wide Web के विकास के लिए सर्न के इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड computing and for physics विभाग को एक प्रस्ताव दिया लेकिन इस प्रस्ताव को बहुत अधिक स्वीकृति नहीं मिली फिर जब दोबारा उन्होंने अपने मित्र रॉबर्ट कैलियो के साथ, प्रस्ताव की अस्वीकृति के कारण पर विचार करने के बाद दुबारा प्रस्तुत किया हो तो उसे स्वीकृति मिल गयी.

    InternetIntranet
    (1) Internet लोकल एरिया नेटवर्क लेनोवा वाइड एरिया नेटवर्क इन दोनों की स्थापित कर सकता हैIntranet केबल लोकल एरिया नेटवर्क प्लेन को जोड़ता है
    (2) यह मानको Protocol का प्रयोग विश्वव्यापी करता हैIntranet इंटरनेट मानकों का प्रयोग किसी निश्चित जगह या संगठन में करता है
    (3) इंटरनेट मेलसर्वर व सूचनाओं का प्रयोग सार्वजनिक न्यूज़ ग्रुप बनाने में करता हैIntranet मेलसर्वर व सूचनाओं का उपयोग निजी न्यूज़ ग्रुप बनाने में करता है
    (4) किसी Internet साइट को बिना इंटरनेट साइट के बना सकते हैंIntranet साइट को बिना इंटरनेट साइट की सहायता के नहीं बनाया जा सकता है
    (5) Internet का प्रयोग करने वाली User कि संख्या अधिक होती हैIntranet प्रयोग प्रयोग करने वाले इधर की संख्या इंटरनेट की तुलना में कम होती है
    (6) इंटरनेट से जोड़ा Hardware इंटरनेट से जुड़े Hardware की तुलना में बहुत अधिक क्षमता वाला होता हैइससे जुड़ा Hardware इंटरनेट से जुड़े Hardware की तुलना में कम क्षमता वाला होता है

    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

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  • What is VSAT? और यह कैसे काम करता है

    What is VSAT? और यह कैसे काम करता है

    what is vsat

    आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं, VSAT? के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप कंप्यूटर अथवा वेबसाइट सीखना चाहते हैं.

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    What is VSAT?

    Very Small Aperture Terminal (VSAT) : VSAT वैरी स्मॉल पचर टर्मिनल (Very small Aperture Teminal) का संक्षिप्त रूप है। इसको एक उधमान भू-स्टेशन के रूप में वर्णन किया जा सकता है जो जियो सिन्क्रोनस उपग्रह (geo synchronous satellite) से जुड़ा होता है तथा द्वि-मार्गी दूर संचार (two-wal telecommunication) तथा सूचना सेवाओं जैसे- ध्वनि, डाटा तथा वीडियो को सपोर्ट करने के लिए उपयुक्त होता है।

    यह छोटे टर्मिनल एक मीटर के एंटिना रखते हैं तथा लगभग एक वाट के होते हैं। अपलिक सामान्यतः 19.2 kilo bite per second के लिये बढ़िया होता है। लेकिन डाउन GNK प्रायः 512 किलो बाइट प्रति सेकण्ड (kbps) से अधिक होता है। बहुत से VSAT प्रणाली के अन्तर्गत माइक्रो-स्टेशन किसी और स्टेशन से (satellite) के द्वारा सीधे जुड़ने की क्षमता नहीं रखते हैं।

    वह एक विशेष प्रकार ग्राउण्ड स्टेशन जो कि बहुत बड़े एंटीना रखते हैं, जिनके द्वारा VSAT, के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इस प्रकार की क्रियाओं में सूचना भेजने वाले (sender) और प्राप्त करने वाले (receiver) के पास बहुत बड़े एंटीना तथा अत्यधिक क्षमता वाले एम्पलीफायर (Amplifier) होते हैं। इन प्रक्रियाओं में user तक सूचना पहुँचने में अधिक समय लगता है।

    FQA:-

    Vsat full form

    इस का फुल फॉर्म (Very Small Aperture Terminal) (VSAT) : VSAT वैरी स्मॉल पचर टर्मिनल (Very small Aperture
    Teminal) का संक्षिप्त रूप है

    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

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  • Telnet क्या है | What is Telnet? EASY GUIDE

    Telnet क्या है | What is Telnet? EASY GUIDE

    Telnet यह protocol remote login की सुविधा प्रदान करता है। यह क्लाइट system पर user को ऐसी सुविधा प्रदान करता है जिसके माध्यम से वह remote पर login कर सकता है जब एक बार login हो जाता है तब user के द्वारा भेजी गयी रिक्वेस्ट या data सर्वर तक पहँचता है।

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    आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में  Telnet के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.

    Telnet क्या है?

    यह (Telnet) program भी FTP का तरह protocol का प्रयोग करता है। इसका standard RFC854 [ postel और Reynolds 1983] है।

    टेलनेट की अवधारणा– Remote login के लिये Internet standard, Telnet नाम के एक protocol में पाया जाता है। इसको विनिदेश TCP/IP दस्तावेजीकरण का हिस्सा होते हैं।

    Telnet protocol इस बात का सटीक विवरण देता है कि कैसे एक दूरस्थ लॉगइन क्लाइंट तथा दूर स्थित login server आपस में संवाद स्थापित करते हैं। यह मानक इस बात का विवरण देता है कि जब उदाहरण के लिए, क्लाइंट किस तरह सर्वर से संबंध स्थापित करता है। कैसे क्लाइंट सर्वर को संप्रेषण के लिये Keystroke को दूर करता है।

    telnet kya he

    चूंकि, दोनों Telnet क्लाइंट तथा सर्वर program एक ही विनिदेशन का पालन करते हैं। वो communication detail पर सहमत हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, यद्यपि अधिकांश computer कुंजी पटल की एक कुंजी की व्याख्या, चल रहे program पर विचलित कर देने के आग्रह के रूप में करते हैं। सभी computer प्रणालियाँ एक ही कुंजी का प्रयोग नहीं करती कुछ computer ATTN Level वाली एक कुंजी इस्तेमाल करती है। जबकि कुछ अन्य DEL Level वाली कुंजी telnet bits की उस कड़ी (sequence) के बारे में बताती है जिसका प्रयोग एक user abort कुंजी represent करने के लिए करता है। जब एक user local कुंजी पटल पर abort कुंजी को दबाता है तो telnet क्लाइंट program, कुंजी को विशेष कड़ी के रूप में अनूदित कर देता है। इस प्रकार telnet user को दूरस्थ program का abort करने के लिए उसी कुंजी को दबाने की अनुमति दे देता है, जिसका प्रयोग वह स्थानीय program को abort करने के लिए करता है।

    what is telnet hindi

    दूर स्थित होस्ट से संयोजन (Connection to a remote host)-

    Telnet program जो Windows-98 और 95 के साथ आता है, Telnet कहलाता है। वह Windows-98 और 95 के साथ आने वाले built in telnet program को संचालित करता है। हालांकि WindowsXP में टेलनेट पूरी तरह वही है जो 95 तथा 98 में है, Windows 98 में Telnet का प्रयोग करने के लिये निम्न पदों का अनुसरण करना चाहिये।

    (1) Start पर click करें एवं Run का चयन करें telnet type करें तथा OK पर click करें telnet windows वैसे ही प्रकट है।

    (2) Internet पर HOST computer से संयोजन करने के लिये connect पर click करें और Remote computer का चयन करें।

    (3) HOST name box में computer का HOST नाम type करें जिससे आप जुड़ना चाहते हैं।

    (4) Port, box set को telnet पर छोड़ देते हैं। दूसरे option भिन्न internet सेवाओं को प्रयोग करने के लिए HOST computer से जुड़ते हैं जो सिर्फ debugging के लिए उपयोगी होता है।

    (5) दूरस्थ computer को भेजने के लिए term type box, the string of character को set करें यदि यह आपसे पूछता है कि किस प्रकार के Terminal का आप प्रयोग कर रहे हैं।

    (6) Connect पर click करें यदि आपका computer intermet से संयोजित नहीं है, तो आप Dial up Networking विण्डो देखेंगे जो आपको संयोजन के लिये तत्पर करेगी; एक बार online होने पर connect बटन पर click करें। telnet HOST computer से जुड़ जाता है। telnet windows में एक terminal विण्डो होता है जो आपके द्वारा HOST computer से प्राप्त text तथा आपके प्रत्युत्तर को प्रदर्शित करता है।

    (7) Login करें तथा HOST computer द्वारा चाहे गए निर्देशों को type करते हुए HOST computer का प्रयोग करें। आप windows के दाहिनी तरफ वाले scroll bar का प्रयोग करके विण्डो के ऊपरी किनारे से भी ऊपर सरक गए text की lines को देख सकते हैं।

     (8) जब आपका HOST computer का प्रयोग समाप्त हो जाए logout करें। telnet भी disconnect हो जाता है। यदि आपको disconnect करने में परेशानी होती है तो connect click करें तथा Disconnect का चयन करे ताकि telnet को sign up करने के लिए निर्देशित किया जा सके।


    कुछ महत्वपूर्ण आर्टिकल

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  • Data Transmission Protocol क्या है? DTP Hindi

    Data Transmission Protocol क्या है? DTP Hindi

    Data transmission protocol होते हैं जो कि सूचनाए, संदेशों को data के रूप में computer या network के बादान-प्रदान करने का कार्य करते हैं। data transmission protocol निम्न हैं.

    Data Transmission Protocol

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    Data Transmission Protocol क्या है

    Data transmission protocol होते हैं जो कि सूचनाए, संदेशों को data के रूप में computer या network के बादान-प्रदान करने का कार्य करते हैं। data transmission protocol निम्न हैं.

    TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol)DIporotocol 1980 में बनाया गया था, इसे TCP/IP सूईट भी कहते हैं, क्योंकि यह Protocol से मिलकर बना होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रत्येक protocol की प्रत्येक परत में एक या एक से अधिक protocol होते हैं। TCP/IP protocol को चार परतों में बांटा गया है। TCP/IP एक इंटरनेट protocol है.

    इसके बारे में कुछ खास बातें निम्न हैं.

    (i). यह वेन्डर स्पेसिफिक नहीं होता है।

    (ii) यह किसी भी computer जैसे- Personal computer से लेकर super computer में इस्तेमाल किया जा सकता है।

    (ii) इसका प्रयोग local Area Network तथा Wide Area Network दोनों में होता

    (iv) इसका प्रयोग कई सरकारी तथा व्यावसायिक साइटें कर रही हैं।

    (v) यदि दो computer एक कमरे से internet के माध्यम से जुड़े हैं तो वे दोनों computer भी TCP/IP protocol का प्रयोग करके ही सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकते हैं।

    संचार नियंत्रण प्रोटोकॉल (TCP – Transmission Control Protocol)-

    यह Protocol Connection ओरिऐन्ट प्रोटोकॉल हो जो यूजर process के लिए विश्वसनीय, full duplex तथा data को साइट stream में ट्रांसमिट करता है। अधिकतर इंटरनेट Application program TCP protocol का प्रयोग करते हैं। क्योंकि TCP protocol IP protocol का प्रयोग करते हैं। अतः इस protocol सूट को TCP/IP protocol कहते हैं।

    कुछ महत्वपूर्ण Post:

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  • What is FTP? File Transfer Protocol  क्या है

    What is FTP? File Transfer Protocol क्या है

    File Transfer Protocol : FTP सर्वर एक ऐसा कम्प्यूटर होता है जो अपनी डिस्क पर सूचना एकत्रित करके रखता है। इस कम्प्यूटर पर एकत्रित सूचनिा यूजर्स के लिये उपलब्ध होती हैं,

    ftp kya he

    आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं, File Transfer Protocol (FTP) के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं. यह Internet का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है जो की Website के निर्माण के दौरान इसकी आवश्यकता पड़ती है.

    आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में  Data transmission protocol  के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.

    File Transfer Protocol क्या है

    जो Internet पर उपस्थित फाइल ट्रांसफर प्रोटोकाल (FTP) के द्वारा किया जाता है। जिसमें फाइल ट्रांसफर प्रोटोकाल (FTP) इन्टरनेट से जुड़े किसी एक कम्प्यूटर की फाइल्स को इन्टरनेट से जुड़े किसी अन्य कम्प्यूटर पर ट्रांसफर करता है। FTP, TCP/IP प्रोटोकाल समूह का ही एक सदस्य है।

    FTP का मख्य प्रतियोगी HTTP है। HTTP दिन प्रतिदिन लोकप्रिय होता जा रहा है, क्योंकि यह वे सभी कार्य तो कर ही सकता है, जो FTP कर सकता है, साथ ही वह अनेक ऐसे कार्य भी कर सकता है जो FTP नहीं कर सकता। लेकिन उल्लेखनीय है कि FTP को फाइल ट्रांसफर के लिये उपयोग में लिया जाता है। Internet से जुड़े हुये यूजर्स को फाइल ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करने के लिये बहुत सारे FTP सर्वर्स पूरे विश्व में स्थापित किये गये हैं।

    ftp in hindi

    FTP की कार्यविधि-

    FTP क्लाइन्ट/सर्वर तकनीक का ही पालन करता है। कोई यूजर अपने Computer पर FTP प्रोग्राम चलाता है, उसे रिमोट कम्प्यूटर से कनैक्ट करने के लिये निर्देश देता है तथा उसके बाद एक या अधिक फाइल्स को स्थानान्तरित करने का निर्देश देता है।

    स्थानीय कम्प्यूटर पर चल रहा FTP प्रोग्राम किसी क्लाइंट के समान कार्य करता है जो FTP सर्वर प्रोग्राम से सम्पर्क बनाने के लिये TCP का उपयोग करता है।

    जब User किसी Files को Transfer करना चाहता है तो क्लाइंट प्रोग्राम तथा सर्वर Program आपस में मिलकर Internet के माध्यम से उस फाइल की एक कॉपी स्थानान्तरित कर देते हैं। जिस फाइल को यूजर ने माँगा है, उस फाइल को FTP सर्वर ढूँढता है और फाइल के सारे कन्टेन्टस की कापी को TCP के द्वारा इन्टरनेट के माध्यम से क्लाइंट तक पहुँचा देता है। जब क्लाइंट प्रोग्राम के पास डाटा आ जाता है तो वह यूजर के कम्प्यूटर की डिस्क पर उस फाइल के डाटा को लिख देता है। FTP के मुख्य दो कार्य निम्नलिखित हैं.

    (1) फाइल अपलोड करना- (File Upload)

    Internet पर जब User अपने कम्प्यूटर से किसी रिमोट कम्प्यूटर पर File Transfer करता है तो यह प्रक्रिया File Uploading कहलाती है। हम फाइल्स को केवल तभी अपलोड कर सकते हैं जब हम FTP सर्वर के प्रमाणिक यूजर हों।

    (2) फाइल डाउनलोड करना- (File Download)

    यह File Downloading के विपरीत प्रक्रिया Downloading है। इसमें फाइलों को किसी रिमोट Computer से अपने कम्प्यूटर पर File किया जाता है। इसके लिये यूजर को FTP Server पर किसी विशेष एकाउंट की आवश्यकता नहीं होती.


    कुछ महत्वपूर्ण Post:

    हम आशा करते हैं कि आपको यह Article पढ़ के मजा आया होगा इस आर्टिकल में हमने File Transfer Protocol क्या है? के बारे में आपको जानकारी दी है, अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी हमसे छूट गई हो तो कृपया कर उसे Comment में हमसे साझा करें.

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    आप हमारे Blog से Computer के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं एस Blog पर कंप्यूटर की सभी जानकारी के बारे में बताया जाता है वह भी बहुत आसान भाषा में धन्यवाद आपका इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए.

  • What is Computer Virus? Computer Virus क्या है

    What is Computer Virus? Computer Virus क्या है

    Computer Virus– कम्प्यूटर वाइरस भी एक प्रकार के विनाशकारी प्रोग्राम होते हैं जो हमारे डाटा व प्रोग्रामों को, बिना हमारी अनुमति के हमारे कम्प्यूटर में घुस कर कुछ भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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    आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं, Computer Virus के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं. अगर आपको कंप्यूटर वायरस के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो यह वायरस आपके कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा सकते हैं यही कारण है कि हमें कंप्यूटर के वायरस के बारे में जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है अगर आप computer में Internet का प्रयोग करते हैं तो.

    आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में Computer Virus क्या है  के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.

    Computer Virus क्या है?

    Computer Virus– कम्प्यूटर वाइरस भी एक प्रकार के विनाशकारी प्रोग्राम होते हैं जो हमारे DATA व प्रोग्रामों को, बिना हमारी अनुमति के हमारे कम्प्यूटर में घुस कर कुछ भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

    एक बार Computer में घुसने के बाद ये अपनी स्थिति सुदृढ़ बना लेते हैं, और फिर संक्रामक रोग की तरह फैलना प्रारम्भ कर देते हैं। ये किसी भी अछूती फ्लॉपी डिस्क या हार्ड डिस्क के सम्पर्क में आते ही घुस जाते हैं। बाद में उस वाइरस वाली फ्लॉपी डिस्क को यदि किसी दूसरे कम्प्यूटर पर चलाने का प्रयास किया जाये तो ये उसकी Hard Disk में घुसकर बैठ जाते हैं, और संक्रामक रोग की तरह यह बीमारी फैलती रहती है।

    Virus की पहचान व उससे छुटकारा पाना बहुत महंगा पड़ सकता है। – वाइरस के प्रोग्राम उन लोगों द्वारा लिखे जाते हैं जो Computer के Program लिखने में अत्यन्त कुशल हैं और जिन्हें दूसरों को क्षति पहुँचाने में आनन्द का अनुभव होता है। अब सैकड़ों प्रकार के वाइरस पहचाने जा चुके हैं।

    वाइरस प्रोग्रामों के विकास के साथ बचाव के लिये कुछ Hardware तथा Software का भी विकास हुआ है। ऐसे हार्डवेअर कार्ड कम्प्यूटर में लगा देने से यदि कोई वाइरस अनाधिकार प्रवेश की चेष्ट करता है, तो कम्प्यूटर एक चेतावनी देता है।

    इस प्रकार के कुछ सॉफ्टवेअर भी मिलने लगे हैं। कुछ Software हमारे Computer System की जाँच करके बता सकते हैं कि उसमें Virus है या नहीं, और यदि हैं तो उन्हें निकाला भी जा सकता है। प्रोग्रामों को virus detection and cleaning प्रोग्राम कहा जाता है। परन्तु ये प्रोग्राम हमेशा सफल नहीं होते क्योंकि समय के साथ नये-नये वाइरस आते रहते हैं और वाइरस से विनाश का संदेह बना ही रहता है।

    वाइरस का प्रवेश-

    हमारे Computer में वाइरस अनेक प्रकार से प्रवेश कर सकता है।

    किसी भी वाइरस वाली Floppy, Disk, Hard Drive में लगाते ही सबसे पहले वाइरस अपने आप को कम्प्यूटर की RAM में प्रविष्ट करता है, फिर वह हार्ड डिस्क पर स्थायित्व जमा लेता है, और उसके पश्चात् हम जितनी भी शुद्ध फ्लॉपी डिस्कों का प्रयोग करेंगे, वाइरस उन सब में चला जायेगा। उन दूषित फ्लॉपियों के द्वारा वह अन्य कम्प्यूटरों में चला जायेगा और वही क्रिया दोहराई जाती रहेगी।

     प्रतिबन्ध-

    वाइरसों से सुरक्षा का सर्वोत्तम उपाय तो यही है कि उन्हें प्रवेश ही न करने दिया जाये. इसके लिये कुछ सावधानियाँ अपनाना चाहिये जो कि निम्न हैं.

    (1) Internet पर E-Mail के साथ क्लिक की हुई फाइलों को सन्देह की दृष्टि से देखें और किसी अपरिचित द्वारा भेजी गई ऐसी फाइल को अपने कम्प्यूटर पर नहीं खोलें।

    (2) किसी भी अपरिचित या माँगी हुई फ्लॉपी डिस्क से अपने कम्प्यूटर को बूट न करें।

    (3) अपनी Hard Disk के सभी Program व मूल्यवान DATA का पूरी Backup रखें ताकि यदि उपयोगी बना कर अपना कार्य आरम्भ कर सकें। Hard Disk को Format करना पड़ जाये तो हम थोड़े समय में ही उसे पुनः

    (4) अपनी Floppy Disk को अन्य कम्प्यूटरों पर प्रयोग करते समय उन्हें राइट प्रोटेक्ट करके उपयोग में लेने से उस कम्प्यूटर में यदि कोई Virus हो तो भी वह वाइरस हमारी फ्लॉपी डिस्क में प्रवेश नहीं कर सकेगा।

    (5) अपनी Hard Disk पर वाइरस पकड़े जाने पर उसे फोरमेट आदेश द्वारा Format करना ही वाइरस को नष्ट करने की सर्वोत्तम विधि है.


    कुछ महत्वपूर्ण Post:

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  • Smartphone क्या है | What is SmartPhone?

    Smartphone क्या है | What is SmartPhone?

    स्मार्टफोन– What is Smartphone? एक प्रकार का Mobile कम्प्यटिंग उपकरण करने जैसी बुनियादी सुविधा के साथ-साथ E-Mail के लेनदेन ऑफिस दस्ताव करना Films देखना, Books पडना. गाने सनना तथा चैट करने जैसी आधुनिक भी होती हैं। यह एक प्रकार का Mobile Phone ही है परन्तु साधारण Mobile का इसमें मोबाइल Operating System के साथ-साथ अनेक अत्याधुनिक कम कनेक्टिविटी वाली सुविधाएँ भी होती हैं।

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    आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं Smartphone के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं. क्योंकि मोबाइल फोन में जो Software Install किया जाता है वह Computer or Laptop की मदद से ही किया जाता है, बिना इसकी कोई जानकारी आप स्मार्ट फोन पर Software को Install नहीं कर सकते हैं.

    आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में  Smartphone के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.

    Smartphone क्या है और यह कैसे काम करता है?

    टैबलेट– टैबलेट एक प्रकार का छोटा कम्प्यूटर होता है। इस उपकरण में उपभोक्ता टच स्क्रीन या फिर स्टाइलस द्वारा कम्प्यूटर को संचालित करता है। इसके साथ-साथ इसमें ऑनस्क्रीन आभासी की-बोर्ड होता है जोकि आवश्यकता पड़ने पर स्क्रीन पर दिखाई देता है। टैबलेट आकर में स्मार्टफोन से बड़े होने के कारण ही इसे अलग वर्ग में रखा गया है।

    (1) मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम- (Mobile Operating System)

    इसे Mobile ओ.एस. भी कहते हैं। यह एक DATA एवं Program का सेट होता है क्योंकि Smartphone, Tablet या अन्य Mobile उपकरणों को नियंत्रित करता है। यह मोबाइल के Hardware तथा Application Software को नियंत्रित करके मोबाइल उपकरण की क्षमता को बढ़ाता है।

    कुछ प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम निम्नलिखित हैं

    • एंड्राइड (गूगल) (Android Google)
    • आई.ओ.एस. (एप्पल) (iOS Apple)
    • विंडोज (माइक्रोसॉफ्ट) (Windows Microsoft)
    • ब्लैकबेरी (आर.आई.एम) (BlackBerry IIM)

    (2) एप्प- (App)

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    App अथवा Application एक सरल, छोटा एवं किसी विशिष्ट कार्य को करने वाला Software होता है। हर छोटे-से-छोटे कार्य को करने के लिए एक एप्प होता है। Chating के लिए, Games खेलने के लिए, पुस्तक पढ़ने के लिए, गाना चुनने के लिए हर किसी कार्य के लिए एप्प उपलब्ध है।

    (3) इंटरनेट कनेक्शन- (Internet Connection)

    आज के युग में Tablet और Smartphone उपकरणों में (3G/4G अथवा WIFI-जैसी तकनीकों द्वारा) Internet Signal प्राप्त करने की सुविधा होना अनिवार्य है। परन्तु इंटरनेट एक्सेस की सुविधा मुफ्त नहीं होती।

    (4) QWERTY की-बोर्ड-

    Smartphone अथवा Tablet में टाइप करते समय उपभोक्ता को अलग सा महसूस न हो इसलिए इन उपकरणों में भी एक साधारण Keyboard के समान Qwerty की-बोर्ड दिया जाता है जिसमें ‘की’ एक पूर्व निर्धारित रूप से लगी होती हैं। या तो वह की-बोर्ड टच स्क्रीन पर प्रकाशित होता है या फिर फोन के नम्बर वाले बटनों पर ही दिखाई देता है।


    Smartphone और Tablet के मुख्य घटक

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    (1) टच स्क्रीन- (Touchscreen)

    Tablet या Smartphone पतले, वजन में हलके एवं कीमत में कम होते हैं, इसलिए इनमें Keyboard, TouchScreen पर ही प्रकाशित होते हैं। इन टच-स्क्रीनों की यह भी विशेषता होती है कि यह बहुरंगी तस्वीरों तथा H.D. गुणवत्ता वाले वीडियो को बहुत सुन्दरता से दिखाते हैं।

    (A) टच स्क्रीन के प्रकारMobile उपकरणों में मुख्य रूप से दो प्रकार की टच स्क्रीन तकनीकों का प्रयोग होता है- रेजिसटिव और कैपेसिटिव। – रेजिसटिव- इस प्रकार की स्क्रीन में कई परतें होती हैं। जब उपभोक्ता इसके किसी हिस्से को दबाता है तो प्रत्येक परत अपने नीचे वाली परत को ठीक उसी जगह पर दबाती है जिससे एक Electronic सर्किट पूरा होता है और उपकरण को यह पता चल जाता है कि स्क्रीन के कौन से हिस्से को छुआ गया है और उसे क्या कार्य करना है?

    कैपेसिटिव– इस प्रकार की स्क्रीन में उपभोक्ता के स्पर्श का पता लगाने के लिए एलेक्ट्रोड का प्रयोग होता है जो कि अपनी प्रवाहकीय गुणों की वजह से उपभोक्ता की उंगलियों के स्पर्श को पता लगा लेता है। कैपेसिटिव स्क्रीन रेजिसटिव स्क्रीन से बेहतर होती है, यह स्क्रीन पर एक ही समय में एक से अधिक जगह पर छुए जाने का भी पता लगा लेती है, टच के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है। इसी कारण कैपेसिटिव स्क्रीन-युक्त उपकरण महंगा भी होता है। आजकल लगभग सभी उपकरणों में कैपेसिटिव स्क्रीन पाई जाती है।

    (B) टच स्क्रीन के आकार- (Touchscreen Sizes)

    Tablet में मुख्य रूप से दो प्रकार के आकार वाली स्क्रीन का प्रयोग होता है-7 इंच एवं 10 टच। 7 इंच का टैबलेट 10 इंच वाले टैबलेट की तुलना में अधिक सुविधाजनक है मगर 10 इंच वाले Tablet में EBook पड़ना, Films देखना, Games खेलना, आदि अधिक मनोरंजनीय है।

    सारणी- मुख्य रूप से प्रयोग होने वाली स्क्रीनों के आकार टैबलेट ब्राण्ड स्क्रीन साइज स्मार्टफोन ब्राण्ड

    स्मार्टफोन में कई प्रकार की स्क्रीन के आकर का प्रयोग किया जाता है। यह 3 इंच से लेकर 6 इंच तक की हो सकती हैं। स्क्रीन के बड़े होने के कारण इसके लिए बड़ा प्रोसेसर एवं बड़ी बैटरी भी चाहिये जिसकी वजह से यह महंगा होता है और अधिक जगह घेरता है।

    (2) प्रोसेसर चिप- (Processor Chip)

    Processor एक प्रकार का Electronic Chip होता है जोकि मोबाइल उपकरण के अन्दर लगा होता है जैसे किसी Desktop Computer के CPU में लगा होता है। यह सैकड़ों गणनाएँ प्रत्येक मिनट करके सभी कार्य को पूरा करता है। प्रोसेसर की कार्यक्षमता दो गुणों पर निर्भर करती है-

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    प्रोसेसिंग की गति और प्रोसेसर को कितने कोर्स में विभाजित किया है ?

    एक से अधिक कोरं के होने से सैंकड़ों कार्यों को बाँटा जा सकता है जिससे कार्य और गतिमय हो जाता है। इस हिसाब से एक ड्यूल कोर प्रोसेसर सिंगल कोर प्रोसेसर से अच्छा होता है और क्वैड कोर प्रोसेसर ड्यूल कोर Processor से अच्छा होता है। परन्तु बैटरी भी जल्दी खर्च होती है।

    (3) बैटरी पॉवर- (Battery Power)

    what is phone battery

    Tablet या Smartphone खरीदते समय हमें Battery की क्षमता का विशेष ध्यान रखना चाहिये। बैटरी की क्षमता उपकरण के भार तथा उसकी कार्यक्षमता पर निर्भर करती है, जैसे कि किसी बहुत पतले उपकरण वाली बैटरी में कम क्षमता और किसी बड़े एवं भारी उपकरण की बैटरी में अधिक क्षमता हो सकती है।

    अनेक वर्षों से निकिल-कैडियम बैटरियों का प्रयोग हो रहा है। निकिल-कैडमियम बैटरियों को केवल पूरी तरह से डिस्चार्ज होने के बाद ही चार्ज किया जा सकता है जबकि लिथियम-इओन बैटरियों को किसी भी समज चार्ज किया जा सकता है। लिथियम-इओन बैटरियाँ, निकिल-कैडमियम बैटरियों की तुलना में महंगी होती हैं।

    (4) आन्तरिक स्टोरेज- (Internal Storage)

    किसी भी उपकरण में आज के समय में कम से कम 2GB Internal Memory होनी चाहिए क्योंकि सभी App स्थापित होने के लिए जगह घेरती हैं।

    (5) रैम- (RAM)

    Desktop और Laptop के समान Mobile उपकरणों में भी RAM उपस्थित होती है। मोबाइल उपकरण मे कितनी एप्प और प्रोग्राम पर एक साथ पावेंगे ये रैम की कार्यक्षमता पर निर्भर करता है। रैम कम से कम 1GB की होनी चाहिए।

    (6) डिस्प्ले पैनेल- (Display Panel)

    Mobile उपकरण पर छपने वाली तस्वीर अथवा चित्र या Video की क्वालिटी (रंगों की तीव्रता, स्पष्टता, गहराई) Display Panel के गुणों पर निर्भर करती है। डिस्प्ले पैनल के दो मुख्य गुण हैं.

    Display Panel hindi

    (क) स्क्रीन की सघनता (Screen)– यह Screen की चौड़ाई और ऊँचाई में कितने पिक्सल हैं, जैसे800 x 600, 1386×768, 1280 x 800, 2048 x 1536 आदि। ज्यादा सघनता स बेहतर चित्र आते हैं.

    (ख) डिस्प्ले तकनीक (Display)- Display तकनीक डिस्प्ले पैनेल का दूसरा मुख्य घटक है। स्क्रीन पर डिस्प्ले होने वाली तस्वीर की quality इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह LCD (क्वालिटी क्रिस्टल डिस्प्ले) या OLED (आर्गेनिक लाइट एमीटिंग डायोड) पर डिस्प्ले की जा रही है। LCD स्क्रीन सस्ती होती है परन्तु इसकी पिक्चर क्वालिटी OLED की तुलना में। अच्छी नहीं होती.

    (7) रिमूवेबल स्टोरेज- (Removal Storage)

    सिक्योर डिजिटल काई-2GB की Internal Memory उपभोक्ता की सारी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होती है, इसलिए अधिकांश उपकरणों में एक्सटर्नल मेमोरी (SD कार्ड) को लगाने के लिए ‘रिमूवेबल स्लॉट’ दिया जाता है। सामान्यतः पर SD Card की Memory 4GB से 32GB तक की हो सकती है.


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    अगर आपको यह Article Helpful रखता है तो आप इस आर्टिकल को अपने मित्रों के साथ और घर के सदस्यों के साथ Share कर सकते हैं और उन्हें भी कंप्यूटर की जानकारी दे सकते हैं.

    यदि आप एक Smartphone का उपयोग करते हैं और आप इन Features के बारे में नहीं जानते हैं, तो कृपया Comment दें.

    आप हमारे Blog से Computer के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं एस Blog पर कंप्यूटर की सभी जानकारी के बारे में बताया जाता है वह भी बहुत आसान भाषा में धन्यवाद आपका इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए.

  • Personal Computer क्या है? और यह किस प्रकार काम करता है

    Personal Computer क्या है? और यह किस प्रकार काम करता है

    Personal Computer का वर्गीकरण- पर्सनल कम्प्यूटर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- Desktop और पोर्टेबल।

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    आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं Personal Computer के  प्रकार के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप Computer सीखना चाहते हैं.

    आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में  Personal Computer के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.

    Personal Computer के प्रकार

    (1) डेस्क टॉप पी.सी.-

    अधिकतर विद्यालयों, घरों और व्यवसायों में उपयोग किये जाने वाले PC. डेस्क Desktop पी.सी. होते हैं। डेस्क टॉप पी.सी. के बाजार में उपलब्ध मॉडल हैं- IBM PC, IBM PS/2; Apple II Ile, IIc और Macintosh Line; Tandy 1000, 2000, 3000, 4000, Compaq Deskpro 286 और 386 Pentium, Pentium PII, Pentium PIII आदि। डेस्क टॉप पी.सी. को हम दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं- सिंगल यूजर सिस्टम और मल्टी यूजर सिस्टम। सिंगल यूजर सिस्टम एक बार में एक व्यक्ति द्वारा उपयोग किये जाने वाला पी.सी. होता है.

    Desktop pc in hindi

    Multiuser System पी.सी. हैं, जिन्हें अनेक व्यक्ति एक बार में काम ले सकते हैं, ऐसे पी.सी. नेटवर्क पर लगाये जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग Computer पर कार्य करता है। लेकिन ये सभी कम्प्यूटर परस्पर जुड़े रहते हैं.

    (2) पोर्टेबल पी.सी.-

    इसके अन्तर्गत वैसे PCs आते हैं जो सुविधाजनक तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित किये जा सकते हैं। मुख्यतः दो प्रकार के Portable पी.सी. होते हैं जो निम्नलिखित हैं

    (i) लैप टॉप पी.सी.-

    Laptop pc hindi

    ऐसे PC. जिनका वजन लगभग 1 से 4 किलोग्राम के बीच होता है और एक व्यक्ति इन्हें अपनी गोद में रखकर इन पर कार्य कर सकता है, Laptop पी.सी. कहलाते हैं। इनकी संरचना इतनी सरल होती है कि वे ब्रीफकेस की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाये तथा ले जाए जा सकते हैं.

    इनकी Screen चपटी होती है, Keyboard में बटन छोटे होते हैं अतः यह जगह कम घेरते हैं. इन्हें बैटरी से चलाया जा सकता है इसलिए Laptop PC यात्रा के समय रेलगाड़ी में बैठकर, शेयर बाजार में या अन्य स्थान पर उपयोग किया जा सकते है.

    (ii) पाम टॉप पी.सी.-

    पाम टॉप पी.सी.

    हथेली के आकार के पी.सी. को पाम टॉप पी.सी. कहते हैं। यह छोटा-सा पी.सी. एक व्यक्ति की शर्ट या पैंट की जेब में रखा जा सकता है। आजकल सेल्यूलर Phone में पी.सी. को समाहित करके इसका उपयोग बहुआयामी कर दिया गया है। यह पाम टॉप पी.सी. Electronic डायरी के रूप में हमें विभिन्न सूचनायें एकत्रित करके देता है, जैसेविभिन्न शहरों के मानचित्र, शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति, Telephone डायरेक्ट्री, विभिन्न टैक्सों की सारणी. होटलों के पते आदि। इस पी.सी. में calculator के समान छोटे बटनों वाला की-बोर्ड होता है, एक छोटी सी स्क्रीन होती है और इसे बैटरी से चलाया जाता है.

    (3) PC (Personal Computer)-

    प्रारम्भ में विकसित किये गये पी.सी. में Intel पनी द्वारा आविष्कृत Microprocess INTEL 8086 लगा हुआ था। यह 8 bit प्रोसेसर था जो IBM-PC के मापदण्ड को पूरा करता था।

    इस माइक्रोप्रोसेसर का आन्तरिक कार्य DATA Memory एड्रेस तथा निर्देश-बिन्दुओं को स्टोर यानी संग्रहीत करना है। इस माइको में यह सविधा प्रदान करने के लिये यानी डाटा हस्तांतरण व DATA प्रोसेसिंग के लिये रजिस्टर लगे थे। इसकी संचय-क्षमता 128 से 640 KB तक थी तथा इसके पार ड्राइवों की संख्या 1 या 2 थी।

    इस प्रकार के Computer में Hard Disk नहीं होती थी तथा गणना गति 8 मेगाहर्टज थी। इसकी मेमोरी 1MB तक होती थी। डाटा बेस का आकार 8 बिट तथा इन्ड्रेस बस का आकार 20बिट होता था।

    (4) PC-XT-

    PC-XT

    इसमे 8088 नामक माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। इस प्रकार Computer की संचय-क्षमता 640KB थी तथा माइक्रोप्रोसेसर 8 बिट का था। इसमें Floppy ड्राइवों की संख्या 1 या 2 तक थी। लेकिन इस प्रकार के कम्प्यूटरों में Hard Disk होती थी. तथा गणना गति 10-12 मेगाह में होती थी। इसकी Memory 1MB तक होती थी तथा इसमें DATABASE का आकार 8 बिट तथा एड्रेस बेस का आकार 20 बिट होता था।

    (5) PC-AT-

    PC-AT hindi

    इस प्रकार के Computer में 80286 नामक माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। इसमें कुछ अतिरिक्त गुण थे जिनमें एक था- Program प्रोसेसिंग की गति तेज होना। इसकी गति 8086 की अपेक्षा अधिक थी। इस प्रकार के Computer की संग्रह-क्षमता 1MB से 2MB तक थी। इसमें Floppy ड्राइवों की संख्या 1 या 2 थी। इस प्रकार के Computer में Hard Disk होती थी तथा इसकी गणना गति 16-20 मेगाहर्ज होती थी। इसकी अधिकतम मेमोरी 16MB तक होती है तथा इसमें Database बेस का आकार 16 बिट तथा एड्रेस बेस का आकार 24 बिट तक होता है.

    PCMemory capacityMicroprocessor Floppy drivesHard DiskClock Speed.
    PC
    PCXT
    PCAT
    128 to 640KB
    640KB
    1MB to 2 MB
    8086
    8088
    80386
    80386
    80486
    1 Or 2
    1 Or 2
    1 Or 2
    1 Or 2
    1 Or 2
    NO
    YES
    YES
    YES
    YES
    YES
    8Mz
    10-12 MHz
    16-12MHz
    33-40MHz
    40-133MHz

    Also Read: Computer ke Upkaran

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