आज हम आपके साथ बहुत अच्छा टॉपिक साझा करने वाले हैं जोकि है क्या आप इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया एप्लीकेशन को अपने कंप्यूटर पर इस्तेमाल कर पाएंगे? तो आज हम आपका इस प्रश्न का उत्तर देंगे साथ ही साथ हम आज देखेंगे कि किस तरह से आप अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल कर सकते हैं.
तो मित्रों हम आपको बताने वाले हैं, कुछ ऐसे तरीके जिसकी मदद से आप Instagram को बहुत आसानी के साथ अपने कंप्यूटर तथा लैपटॉप पर इस्तेमाल कर पाएंगे.
What is Instagram?
जैसे कि आप जानते हैं कि इंस्टाग्राम एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं, जहां आप आपके मित्रों से वार्तालाप कर सकते हैं साथ ही साथ यहां पर अपनी फोटोस वीडियोस को अपलोड कर सकते हैं और अपनी डेली बेसिस पर स्टोरी भी क्रिएट कर सकते हैं परंतु हम आपको कुछ अधिक जानकारी आज देने वाले हैं.
इंस्टाग्राम एक अमेरिकन फोटो वीडियो शेयरिंग कंपनी है जो कि फेसबुक द्वारा खरीद ली गई है जिसे Kevin Systrom, Mike Krieger ने डिवेलप किया था अक्टूबर 2010 में और उस वक्त यह एप्लीकेशन केवल आईफोन पर ही काम करती थी परंतु आज के युग में यह एप्लीकेशन आपके एंड्रॉयड फोन में भी काम करती है.
आज के युग में जिस किसी भी युवक के पास स्मार्टफोन है वह जरूर ही इंस्टाग्राम का उपयोग करता है क्योंकि यह एप्लीकेशन इतनी ज्यादा पॉपुलर है कि इसके बारे में हर किसी को पता होता है साथ ही साथ यह बहुत मजेदार है जिसके माध्यम से आप अनोखी फोटोस को देख सकते हैं शेयर कर सकते हैं और यह एक टाइम पास का बहुत अच्छा जरिया भी होता है.
इंस्टाग्राम को अपने कंप्यूटर तथा लैपटॉप पर चलाने के लिए हम आपको 2 तरीके बताने वाले हैं, एक तरीका है एंड्रॉयड एम्बुलेटर के जरिए तथा जो दूसरा तरीका है वह है Google Chrome की Extension के जरिए तो चलिए दोनों तरीके हम देख लेते हैं.
Kaise Install Kare Instagram on PC using Android Emulator
Step 1. इंस्टाग्राम को अपने कंप्यूटर पर यूज करने के लिए सर्वप्रथम आपको एक बेहतरीन Android Emulator डाउनलोड करना पड़ेगा हम सलाह देते हैं आप BlueStacks और Nox Player जैसे एम्युलेटर के इस्तेमाल कर सकते हैं.
Step 2. किसी भी Android Emulator फ्री डाउनलोड करने के बाद अपने कंप्यूटर में इसे इंस्टॉल करना है.
Step 3. एम्युलेटर को इंस्टॉल करने के बाद अब आपको इसको ओपन करना है अपने डेक्सटॉप से.
Step 4. अब आपको सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर ओपन करना है और यहां पर अपनी जीमेल आईडी की इनफार्मेशन एंटर कर प्ले स्टोर में लॉगिन हो जाना है.
Step 5. अब आप सर्च बॉक्स में सर्च कर इंस्टाग्राम एप्लीकेशन को डाउनलोड कर सकते हैं अपने कंप्यूटर के लिए.
यह एक अच्छा तरीका है एंड्राइड एप्लीकेशन को कंप्यूटर पर चलाने के लिए हम आशा करते हैं कि अभी तक आपने इस एप्लीकेशन को अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड कर लिया होगा अगर आपको यह हमारी तरीका पसंद नहीं आई है तो आप दूसरे तरीका भी ट्राई कर सकते हैं.
Google Chrome Extension ka tarika
यह तरीके में आप इंस्टाग्राम को डायरेक्टली गूगल क्रोम पर इंस्टॉल नहीं कर सकते परंतु गूगल क्रोम की वेब स्टोर में कुछ ऐसी बेहतरीन एप्लीकेशन है जो कि आपको पूरा लुफ्त उठाने देती हैं जैसे कि आप उठाते हैं इंस्टाग्राम में.
गूगल क्रोम पर एक बहुत ही अच्छी एक्सटेंशन है जिसका नाम है Web for Instagram आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
Step 1. सबसे पहले आपको गूगल क्रोम को ओपन कर लेना है अपने कंप्यूटर में.
Step 2. अब आपको नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक कर इस एक्सटेंशन को डाउनलोड कर लेना है
तो दोस्तों आप इस तरह से भी इंस्टाग्राम को अपने कंप्यूटर पर इस्तेमाल कर पाएंगे.
हम आशा करते हैं मित्रों आपसे कि आपको यह हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा और कुछ नया जानकारी प्राप्त हुई होगी इंस्टाग्राम के बारे में तो हम मिलते हैं आपसे एक और बेहतरीन आर्टिकल के साथ और अगर आपको को इंस्टॉल करने में कोई भी Error आए तो आप हमें कमेंट के जरिए उसकी सूचना दे सकते हैं.
क्या आप आपकी Jio Phone के जरिए अपने कंप्यूटर और लैपटॉप पर युटुब को चलाना चाहते हैं, तो आर्टिकल को पढ़ते रहिए क्योंकि यह सर्विस को इस्तेमाल करना बहुत ही ज्यादा आसान है आप कुछ ही मिनट में अपने कंप्यूटर पर यूट्यूब चला पाएंगे आपके जिओ फोन के इंटरनेट की मदद से. आज के टाइम में हर किसी के पास जिओ मोबाइल फोन है जिसमें इंटरनेट के प्लेन हमें बहुत सस्ते देखने को मिल जाते हैं यही कारण है कि बहुत सारे लोग जिओ फोन का इंटरनेट यूज करना चाहते हैं अपने कंप्यूटर पर और साथ ही साथ यूट्यूब जैसी वेबसाइट को भी इस्तेमाल करना चाहते हैं.
Jio Phone एक बहुत ही अच्छा Feature फोन है, जिसमें सभी लगभग सभी तरह की एप्लीकेशन चल जाती है जैसे कि यूट्यूब व्हाट्सएप फेसबुक साथ ही साथ आप इसमें लाइव टीवी भी देख सकते हैं और आपकी मनपसंद मूवी भी इंजॉय कर सकते हैं वह भी बहुत कम पैसे में.
जियो फोन से कंप्यूटर में यूट्यूब कैसे चलाएं?
सबसे पहले आपको डाटा केबल कनेक्ट करनी है अपने Jio Phone से
अब केवल की दूसरी साइड बाली पिन को अपने कंप्यूटर के यूएसबी पोर्ट में लगाइए
अब आपको जिओ फोन की सेटिंग ओपन करना है
सेटिंग में जाने के बाद आपको Wifi का ऑप्शन दिखेगा
उस विकल्प पर क्लिक कर Tethering ऑप्शन को सिलेक्ट कर लेना है
यहां पर आपको तीन विकल्प देखने को मिलेंगे Wifi HotSpot, Tethering, Bluetooth
अब आपको Tethering विकल्प को सिलेक्ट करने के बाद इसे Enable कर देना है
अब आपको अपने कंप्यूटर में कोई भी इंटरनेट ब्राउज़र ओपन कर लेना है
सर्च करें YouTube.com
अब आपके कंप्यूटर में YouTube स्टार्ट हो चुका होगा जियो फोन के इंटरनेट की मदद से.
अगर आपने डाटा केबल को अपने मोबाइल फोन तथा कंप्यूटर से अच्छी तरह से कनेक्ट किया होगा तो आपका मोबाइल फोन का इंटरनेट कंप्यूटर के साथ जुड़ चुका होगा अन्यथा यह कनेक्ट नहीं होगा अगर आपने केबल को सही ढंग से नहीं लगाया होगा तो.
Tip: अगर आप डाटा केबल के जरिए कंप्यूटर पर इंटरनेट नहीं चला पा रहे हैं तो आप अपने कंप्यूटर का वाईफाई हॉटस्पॉट इस्तेमाल कर जिओ फोन का इंटरनेट को कनेक्ट कर सकते हैं जियो फोन के हॉटस्पॉट को इनेबल करने के बाद जहां आपको हॉटस्पॉट का पासवर्ड की जरूरत पड़ेगी.
हम आशा करते हैं कि आपकी समस्या का समाधान हो चुका होगा, हमारे इस आर्टिकल की मदद से अगर आपको किसी भी तरह की समस्या आती है यूट्यूब को अपने कंप्यूटर पर चलाने के लिए जियो फोन की मदद से तो आपको हमें कमेंट कर सकते हैं.
क्या आप भी आपकी Photos को Clean करना चाहते हैं? अपने कंप्यूटर की मदद से तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा आज हम आपके साथ में कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर के बारे में बात करेंगे जो कि आपके किसी भी फोटो को साफ करने तथा उसका कलर बढ़ाने में मदद कर सकते हैं जिन्हें आप आपके कंप्यूटर पर डाउनलोड कर इस्तेमाल कर पाएंगे.
अक्सर हम हमारी फोटो को संभाल कर रखने के लिए उन्हें हम किसी भी एलबम में रख देते हैं परंतु जब हम कुछ समय बाद उन फोटोस को देखते हैं तो वह काफी गंदी और साफ नहीं दिखती है इसके कई कारण हो सकते हैं, एल्बम में नमी होने के कारण धूल मिट्टी आ जाने के कारण हमारी फोटोस खराब हो जाती हैं, लेकिन आप आपके कंप्यूटर की मदद से उन फोटो को साफ कर सकते हैं, साथ ही साथ पहले से भी बेहतर बना सकते हैं जिसके लिए आपको एक सॉफ्टवेयर अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करना होगा हमने आपको इस आर्टिकल में तीन ऐसे सॉफ्टवेयर के बारे में बताया है जो कि यह कार्य करने में बहुत ही ज्यादा सक्षम है.
इन सॉफ्टवेयर की मदद से आप आपकी फोटो की नॉइस रिडक्शन कर सकते हैं अनवांटेड एलिमेंट्स को रिमूव कर सकते हैं इमेज का साइज बढ़ा सकते हैं तथा इमेज को क्रॉप भी कर सकते हैं.
3 Best Photo Editor for Cleaning and Editing Photos
1. PhotoShop
हमारे लिस्ट पर नंबर वन जो Photo Editor आता है वह PhotoShop है अगर आप कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपने इस फोटो एडिटर के बारे में एक ना एक बार जरूर सुना होगा यह बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय Photo Editor है जो कि बेहतरीन फीचर्स के साथ आता है जिसे आप कंप्यूटर लैपटाप तथा मोबाइल फोन पर इस्तेमाल कर सकते हैं साथ ही साथ आपको फोटोशॉप एक फ्री ट्रायल वर्जन भी प्रोवाइड कर आता है जिसकी मदद से आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह Photo एडिटर किस तरह से काम करता है, अगर आपको यह Photo पसंद आता है, तो आप खरीद सकते हैं इसकी वेबसाइट पर जाकर.
हमारे लिस्ट में यह एडिटर दूसरे नंबर पर आता है जिसका नाम है लुमिनार जो कि आपको 7 दिन के लिए फ्री में अपना अपनी Service and Features का लाभ उठाने का मौका देता है, इस फोटो एडिटर के माध्यम से आप आपकी फोटोस को क्लीन तथा एक बेहतरीन लुक दे सकते हैं इस फोटो एडिटर में बहुत अच्छी AI टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है साथ ही साथ इसमें Layers, Mask, Blending, उपलब्ध हैं जिसकी सहायता से आप आपकी फोटो में चार चांद लगा सकते हैं.
आप की फोटोस को Blur तथा कलरफुल बना सकते हैं इस फोटो एडिटर में आपको फोटो ऑटोमेटिक फिल्टर भी देखने को मिल जाते हैं जिसकी सहायता से आप 1 click में अपनी फोटो का कलर चेंज कर सकते हैं.
यह भी बहुत अच्छा फोटो एडिटर है, आपकी गंदी फोटो स्कोर साफ करने के लिए यह फोटो एडिटर भी उन्हीं फोटो एडिटर की तरह कार्य करता है जिन्हें हमने इस आर्टिकल में आपके साथ साझा किए हैं PhotoShop and Luminar इस फोटो एडिटर में भी आपको वहीं features देखने को मिल जाते हैं लेकिन इसमें आपको थोड़े अलग तरह के फीचर्स देखने को मिलते हैं साथ ही साथ इस का जो इंटरफ़ेस है वह थोड़ा अलग है किसी भी दूसरे फोटो एडिटर के मुकाबले इस फोटो एडिटर की सबसे खास बात यह है कि यह बिल्कुल फ्री फोटो एडिटर है, आप इसे बिल्कुल फ्री अपने कंप्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं नीचे दिए हुए लिंक से.
LightZone Features
Colour Filters
Open Source free to use
Photo Resizing
Mask
All Photo format like PNG, JPG
इन फोटो एडिटर को डाउनलोड तथा इंस्टॉल करना बहुत ही ज्यादा आसान है, आपको सिर्फ ऊपर दिए हुए लिंक पर क्लिक करें डाउनलोड कर लेना है अपने कंप्यूटर पर उसके बाद Next पर क्लिक कर आप इसे इंस्टॉल कर सकते हैं. हम आशा करते हैं कि आपको हमारे यहां Article पसंद आया होगा और आपकी समस्या का समाधान हुआ होगा इसी प्रकार हमारे कुछ बेहतरीन Photo Clean Editors.
कम्प्यूटर की मूल संरचना- यदि हम कम्प्यूटर की कार्य-प्रणाली पर ध्यान दें, तो पायक कम्प्यूटर कुछ सूचनाओं को प्राप्त करता है फिर निश्चित निर्देशों का प्रदत्त क्रम में अनुपालन करते हुये सूचना की आवश्यकतानुसार गणना एवं उसका विश्लेषण कर, शुद्ध एवं सत्य परिणाम को प्रस्तुत करता है।
उदाहरण के लिये- हमारे आस-पास कोई आटा चक्की तो होगी ही। यदि हम इसे ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि आटा चक्की भी तीन भागों में बँटी होती है- पहला भाग, जिसमें गेहूँ डालते हैं, इस चक्की की इनपुट डिवाइसेज है, दूसरा भाग, जिसमें गेहूँ पिसकर आटे के रूप में परिवर्तित होता है, इस चक्की की विश्लेषक इकाई है एवं तीसरा भाग जहाँ से आटा बाहर निकलता है, इसे चक्की की आउटपुट डिवाइसेज कहते हैं।
कम्प्यूटर के भाग- संरचनात्मक दृष्टिकोण से कम्प्यूटर को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट
(2) स्मृति
(3) इनपुट डिवाइसेज
(4) आउटपुट डिवाइसेज।
(1) सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का हिन्दी अनुवाद केन्द्रीय विश्लेषण इकाई है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि कम्प्यूटर का वह भाग, जहाँ पर प्राप्त सूचनाओं की गणना एवं उनका विश्लेषण होता है, सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट अर्थात् केन्द्रीय विश्लेषक इकाई कहलाता है।
सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को दो भागों में बाँटा जा सकता है
(i) नियन्त्रक इकाई (ii) अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई।
(i) नियन्त्रक इकाई (CU)- नियन्त्रक इकाई का कार्य कम्प्यूटर की इनटप. आउटपुट युक्तियों तथा स्टैण्डर्ड डिवाइज को नियन्त्रण में रखना है। इनपुट यक्तिगर सूचनाओं को प्राप्त करना, इन्हें कम्प्यूटर के समझने योग्य संकेतों में बदलना, इन्हें ALUT भेजना, ALU से विश्लेषण के उपरान्त प्राप्त परिणामों को आऊटपुट युक्ति तक भेजना, समान का उचित प्रयोग करना एवं आऊटपुट युक्तियों को विश्लेषण के उपरान्त प्राप्त परिणाम को प्रस्तुत करने के लिय भेजना, इसका मुख्य कार्य है।
Control unit के कार्य
(A) यह प्रोग्राम के निर्देशों को मैमोरी से उचित डिवाइसेस तक पहुंचाता है ताकि data process हो सके।
(B) यह निर्देशों के execution हेतु आवश्यक timing व control signal generate करता है।
(C) यह computer के अन्य resources जैसे- CPU, memory, input, output device i ont fabular 3/19946 status, timing a control signal प्रदान करता है।
(व) यह data के आदान-प्रदान को नियंत्रित करता है।
(ii) अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई (ALU)- कम्प्यूटर के इस भाग में सभी अंकगणितीय गणनायें तथा तार्किक विश्लेषण होते हैं। यह अपने द्वारा संचित सभी निष्कर्षों की स्मृति में भेज देता है।
ALU के कार्य
(A) यह increment, decrement shift, clear operation सम्पन्न करता है।
(B) एक computer कितने व किस प्रकार की गणितीय व logic क्रियाओं को करने में सक्षम है। इनका निर्धारण A.L.U. द्वारा ही होता है।
(C) इसमें सभी process C.U. के निर्देश में एवं binary format में सम्पन्न होती है।
Computer के चार प्रमुख कार्य- कम्प्यूटर के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं. (1) डाटा का संकलन तथा निवेशन (2) डाटा का संचयन (3) डाटा की संसाधन (प्रक्रिया) (4) प्रक्रिया के बाद परिणाम(सूचना)का निर्गम।
Computer Ke Pramukh kaary
निवेश युक्तियाँ– प्रयोक्ता आँकड़ों को संकलित करते हैं और डाटा पर प्रक्रिया (Data Process) करते हैं। डाटा और निर्देश कम्प्यूटर में जिस यूनिट से प्रविष्ट किये जाते हैं, वह इनपुट यूनिट कहलाती है। इनपुट यूनिट, प्रयोक्ता द्वारा प्रदत्त डाटा और निर्देशों को विद्यत संकेतों में परिवर्तित करके कम्प्यूटर के समझने योग्य बनाती हैं। सामान्यतया Input Device यूनिट में की-बोर्ड प्रयुक्त किया जाता है। इनपुट यूनिट के लिये निम्नलिखित अन्य इनपुट डिवाइसेज भी उपलब्ध रहती हैं.
(1) की-बोर्ड
(7) MICR
(2) माउस
(8) पंचकार्ड
(3) स्कैनर
(9) OCR
(4) टच स्क्रीन
(10) डिजिटल कैमरा
(5) वाइस स्किनाइजर
(11) OMR
(6) ग्राफिक टेबलेट
(12) जॉयस्टिक
(13) ट्रेकबॉल
(14) लाइटपेन.
इनपुट डिवाइस के रूप में माइक्रोफोन भी प्रयुक्त किये जा सकते हैं जिनसे हम अपनी आवाज कम्प्यूटर में प्रविष्ट करा सकते हैं।
इनपुट यूनिट बाहरी दुनिया के डाटा व निर्देशों को कम्प्यूटर के विभिन्न आन्तरिक भागों में पहुंचाता है। विभिन्न प्रकार की इनपुट डिवाइसेज आती हैं। ये इनपुट डिवाइसेज दो प्रकार की तकनीक लिये हो सकती हैं
(1) ऑन लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में रहते हैं। ये डिवाइसेज कम्प्यूटर के साथ सक्रिय होकर इनपुट का कार्य सम्पन्न करते हैं।
(2) ऑफ लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में नहीं रहते हैं। इनपट उपकरण- कम्प्यूटर को चाहे निर्देश देने हों या फिर उसमें डेटा इनपुट करना हो सभी के लिये हमें इनपुट उपकरणों की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में मुख्य इनपुट उपकरण की-बोर्ड के अलावा भी कई इनपुट डिवाइसों को प्रयोग किया जाता है।
Cpmputer Input Device Names
(1) की-बोर्ड-
यह कम्प्यूटर का प्राइमरी इनपुट उपकरण है। इसके द्वारा करेक्टरों के रूप में टेक्स्ट को इनपुट कर सकते हैं। इस कार्य के लिये इसमें कीज़ होती हैं जिन्हें दबाने पर उससे सम्बन्धित अक्षर स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है। इसे सीपीयू से जोड़ा जाता है। इसका स्टैण्डर्ड ले-आउट इस तरह से होता है।
जब तक पीसी मेंडॉस को ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है तब उपरोक्त वर्णित QWERTY ले-आउट वाला की-बोर्ड ही प्रयोग होता रहा। लेकिन विन्डोज़ के ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलने के बाद इसमें कई नयी कीज़ को जोड़ा गया। चूँकि विंडोज का निर्माण माइक्रोसोफ्ट ने किया था। इसलिये की-बोर्ड के नये ले-आउट का डिजाइन भी माइक्रोसॉफ्ट ने ही निर्धारित किया। नये ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रयोग के बाद आज जिस कीबोर्ड को प्रयोग किया जा रहा है।
(2) माउस सिस्टम-
वर्तमान समय में ऑप्टीकल माउस को सबसे ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है। इसमें बाल के स्थान पर लाइट का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग इसलिये भी बढ़ रहा है कि इसमें मेन्टीनेन्स की जरूरत नहीं होती है। प्रकाश के परावर्तन के सिद्धान्त पर यह कार्य करता है। माउस बटनों के हिसाब से दो प्रकारों में उपलब्ध हैं। पहला दो बटन वाला माउस और दूसरा तीन बटन वाला माउस। इन दोनों प्रकार के माउस सिस्टम को हम अपनी आवश्यकतानुसार अलग-अलग साफ्टवेयरों में प्रयोग कर सकते हैं। बटनों के अलावा – इंटरनेट के प्रयोग को सरल बनाने हेतु इसमें एक स्क्रॉल बार को भी जोड़ा गया है जिसे घुमाने पर वेब पेज में आसानी से ऊपर नीचे जाया जा सकता है। कुछ इमेज एडीटिंग सॉफ्टवेयरों में यह स्क्रॉल बार या बटन इमेज को जूम-इन और जूम-आउट करने में भी सक्षम होती है।
(3) स्कैनर-
वर्तमान समय में इस डिवाइस का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके द्वारा हम किसी भी डॉक्यूमेंट को स्कैन करके कम्प्यूटर के अंदर भेज सकते हैं तथा उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार बदलाव करके किसी भी इमेज प्रोसेसिंग प्रोग्राम के साथ प्रयोग कर सकते हैं। स्कैनरों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है।
(a) हैंडी स्कैनर– इस श्रेणी के स्कैनरों का प्रयोग काफी छोटी-छोटी फोटोग्राफ या ड्राइंग को स्कैन करने के लिये किया जाता है।
(b) डेस्कटॉप स्कैनर– इस प्रकार के स्कैनरों में हम A-4 साइज के किसी कागज को डालकर स्कैन कर सकते हैं। स्कैन चार भागों में विभाजित होता हैं- स्कैन कार्ड,स्कैनर, केबल एंड कनेक्टर, स्कैनिंग सॉफ्टवेयर। कम्प्यूटर में सर्वप्रथम मदरबोर्ड में स्कैन कार्ड को लगाते हैं
(c) ड्रम स्कैनर– इस स्कैनर को व्यावसायिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। यह सबसे उच्च क्वालिटी की स्कैनिंग करने में सक्षम होता है। ऑफसेट प्रिंटिंग के लिये यह आदर्श स्कैनर होता है। इसमें स्कैनिंग का कार्य फोटो मल्टीप्लाइर ट्यूब के द्वारा होता है। इसके विपरीत डेस्कटॉप स्कैनर जिसे फ्लैट बड स्कैनर कहते हैं में CCD का प्रयोग होता है। ड्रम स्कैनर कागज पर प्रिंट इमेज के अलावा फिल्म को भी स्कैन करने में सक्षम होता है।
(4) टच स्क्रीन-
वर्तमान समय में इस तकनीक का प्रयोग अमेरिका, जापान व यूरोप के देशों में अपनी आवश्यकतानुसार सूचनाओं को देखने के लिये किया जाता है। इस तकनीक के ‘अन्तर्गत मॉनीटर पर एक मीनू आता है, इस मीनू में जब हम अपनी ऊंगली के द्वारा किसी कमांड को छूते हैं तो वह कमांड क्रियान्वित हो जाती है और हम इच्छित सूचना को मॉनीटर पर देख सकते हैं। वर्तमान समय में लैपटॉप, मोबाइल फोन, बैंकों की ATM मशीनों में इसका जमकर प्रयोग हो रहा है।
(5) वाइस स्किग्नाइजर (माइक्रोफोन)-
इस यंत्र के द्वारा हम अपनी आवाज के द्वारा कम्प्यूटर को निर्देश दे सकते हैं, कम्प्यूटर इस यंत्र के द्वारा आवाज को पहचान कर निर्देश ग्रहण करता है और फिर उन निर्देशों को क्रियान्वित करता है। इस समय इस तकनीक का प्रयोग शब्दों को कम्प्यूटर पर टाइप करने में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उपकरण के रूप में माइक का प्रयोग इस कार्य के लिये किया जाता है। इसे कम्प्यूटर की साउंड पोर्ट से जोड़ा जाता है।
(6) लाइट पेन-
इस पेन का प्रयोग बार कोड को पढ़ने में किया जाता है। बार कोड पढ़ने के पश्चात् यह यंत्र कम्प्यूटर के मॉनीटर पर दिखाई देता है। इस प्रकार यह यंत्र बार कोड को कम्प्यूटर में इनपुट करता है। इसके पश्चात् हम इसे मॉनीटर पर देखते हैं।
(7) मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर (MICR)-
इस शब्द का पूरा नाम मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर है। इस यंत्र के द्वारा हम वर्तमान समय में चैक बुक पर प्रिंट किये गये नम्बरों को पढ़कर उनका प्रयोग करते हैं। इसी कारण इस यंत्र का प्रयोग बैंकों के क्लियरिंग हाउस में सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
(8) पंच कार्ड-
इस कार्ड के द्वारा कम्प्यूटर के प्रारम्भ में निर्देशों को कम्प्यूटर में फीड किया जाता था। वर्तमान समय में इसका प्रयोग बहुत कम किया जाता है। यह शुरूआती कम्प्यूटरों में निर्देश देने के खूब प्रयोग किया जाता था।
(9) ऑप्टिकल करेक्टर रीडर(OCR)-
इस यंत्र के द्वारा हम पेंसिल से लगे हुये निशान पहचान कर उन्हें कम्प्यूटर में फीड कर सकते हैं। इसका प्रयोग वर्तमान समय में परीक्षाओं के परिणाम जाँचने में किया जाता है। इसका सम्पूर्ण नाम -ऑप्टिकल करेक्टर रीडर है। आजकल डेस्कटॉप स्कैनरों के साथ भी इस तरह के सॉफ्टवेयरों को प्रयोग किया जाता है जो पेज पर प्रिंट अक्षरों को पढ़ सकते हैं।
(10) डिजिटल कैमरा-
यह एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक कैमरा होता है जिसमें फिल्म के स्थान पर एक मेमोरी चिप का प्रयोग होता है। यह प्रकाश के परावर्तन के सीसीडी सेन्सर से इमेज के रूप में कैप्चर करके मेमोरी चिप में स्टोर कर देता है जिसे कम्प्यूटर में खोला जाता है।
(11) ऑप्टीकल मार्क रीडर (OMR)-
यह एक ऐसी डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जाँचती है। इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित प्रकाश को जाँचा जाता है। जहाँ चिन्ह उपस्थित होगा, कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी।
(12) जॉयस्टिक-
यह खेल खेलने के काम में आने वाली इनपुट डिवाइस है। जॉयस्टिक के माध्यम से स्क्रीन पर उपस्थित टर्टल या आकृति को इसके हैंडिल से पकड़ कर चलाया जा सकता है। इसका प्रयोग बच्चों द्वारा प्रायः कम्प्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है, क्योंकि यह बच्चों को कम्प्यूटर सिखाने का आसान तरीका है।
यह जॉयस्टिक के समान ही कार्य करती है, लेकिन छोटे बच्चों द्वारा अधिकतर प्रयोग में लायी जाती है। इसकी ऊपरी सतह पर एक बाल लगी रहती है जिसका। हिलाने पर स्क्रीन पर उपस्थित आकृति को कर्सर द्वारा चलाया जा सकता है।
(14) डिजीटाइजर टेबलेट या ग्राफिक टेबलेट-
ग्राफिक टेबलेट एक ड्राइंग सतह होती है। इसके ऊपर एक पेन या माउस होता है। ड्राइंग सतह में पतले तारों का जाल होता है जिस पर पेन या माउस को चलाने से संकेत कम्प्यूटर में चले जाते हैं।
(15) ऑप्टीकल बार कोड रीडर (OBR)-
OBR का मुख्य कार्य Vertical Bar का जो कि अलग-अलग डाटा के लिये निश्चित होते हैं, स्कैन करने का होता है। OBR द्वारा माता टैगों को पढ़ा जाता है जो कि शॉपिंग सेन्टर में विभिन्न उत्पादों में, दवाइयों के पैकेट पर तथा लाइब्रेरी की पुस्तकों के आवरण आदि पर छपे रहते हैं। ऑप्टीकल बार कोड रीडर के बारकोड के ऊपर से निकालते हैं तो यह इस पर छिपी हुई सूचना को कम्प्यूटर में प्रविष्ट कर देता है।
Telnet यह protocol remote login की सुविधा प्रदान करता है। यह क्लाइट system पर user को ऐसी सुविधा प्रदान करता है जिसके माध्यम से वह remote पर login कर सकता है जब एक बार login हो जाता है तब user के द्वारा भेजी गयी रिक्वेस्ट या data सर्वर तक पहँचता है।
आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं, Telnet? के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं.
आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में Telnet के बारे में जानने को मिलेगा और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी.
Telnet क्या है?
यह (Telnet) program भी FTP का तरह protocol का प्रयोग करता है। इसका standard RFC854 [ postel और Reynolds 1983] है।
टेलनेट की अवधारणा– Remote login के लिये Internetstandard, Telnet नाम के एक protocol में पाया जाता है। इसको विनिदेशTCP/IP दस्तावेजीकरण का हिस्सा होते हैं।
Telnet protocol इस बात का सटीक विवरण देता है कि कैसे एक दूरस्थ लॉगइन क्लाइंट तथा दूर स्थित login server आपस में संवाद स्थापित करते हैं। यह मानक इस बात का विवरण देता है कि जब उदाहरण के लिए, क्लाइंट किस तरह सर्वर से संबंध स्थापित करता है। कैसे क्लाइंट सर्वर को संप्रेषण के लिये Keystroke को दूर करता है।
चूंकि, दोनों Telnet क्लाइंट तथा सर्वर program एक ही विनिदेशन का पालन करते हैं। वो communication detail पर सहमत हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, यद्यपि अधिकांश computer कुंजी पटल की एक कुंजी की व्याख्या, चल रहे program पर विचलित कर देने के आग्रह के रूप में करते हैं। सभी computer प्रणालियाँ एक ही कुंजी का प्रयोग नहीं करती कुछ computer ATTN Level वाली एक कुंजी इस्तेमाल करती है। जबकि कुछ अन्य DEL Level वाली कुंजी telnet bits की उस कड़ी (sequence) के बारे में बताती है जिसका प्रयोग एक user abort कुंजी represent करने के लिए करता है। जब एक user local कुंजी पटल पर abort कुंजी को दबाता है तो telnet क्लाइंट program, कुंजी को विशेष कड़ी के रूप में अनूदित कर देता है। इस प्रकार telnet user को दूरस्थ program का abort करने के लिए उसी कुंजी को दबाने की अनुमति दे देता है, जिसका प्रयोग वह स्थानीय program को abort करने के लिए करता है।
दूर स्थित होस्ट से संयोजन (Connection to a remote host)-
Telnet program जो Windows-98 और 95 के साथ आता है, Telnet कहलाता है। वह Windows-98 और 95 के साथ आने वाले built in telnet program को संचालित करता है। हालांकि Windows–XP में टेलनेट पूरी तरह वही है जो 95 तथा 98 में है, Windows 98 में Telnet का प्रयोग करने के लिये निम्न पदों का अनुसरण करना चाहिये।
(1) Start पर click करें एवं Run का चयन करें telnettype करें तथा OK पर click करें telnet windows वैसे ही प्रकट है।
(2)Internet पर HOST computer से संयोजन करने के लिये connect पर click करें और Remote computer का चयन करें।
(3) HOST name box में computer का HOST नाम type करें जिससे आप जुड़ना चाहते हैं।
(4) Port, box set को telnet पर छोड़ देते हैं। दूसरे option भिन्न internet सेवाओं को प्रयोग करने के लिए HOST computer से जुड़ते हैं जो सिर्फ debugging के लिए उपयोगी होता है।
(5) दूरस्थ computer को भेजने के लिए term type box, the string of character को set करें यदि यह आपसे पूछता है कि किस प्रकार के Terminal का आप प्रयोग कर रहे हैं।
(6) Connect पर click करें यदि आपका computer intermet से संयोजित नहीं है, तो आप Dial up Networking विण्डो देखेंगे जो आपको संयोजन के लिये तत्पर करेगी; एक बार online होने पर connect बटन पर click करें। telnet HOST computer से जुड़ जाता है। telnet windows में एक terminal विण्डो होता है जो आपके द्वारा HOST computer से प्राप्त text तथा आपके प्रत्युत्तर को प्रदर्शित करता है।
(7) Login करें तथा HOST computer द्वारा चाहे गए निर्देशों को type करते हुए HOST computer का प्रयोग करें। आप windows के दाहिनी तरफ वाले scroll bar का प्रयोग करके विण्डो के ऊपरी किनारे से भी ऊपर सरक गए text की lines को देख सकते हैं।
(8) जब आपका HOST computer का प्रयोग समाप्त हो जाए logout करें। telnet भी disconnect हो जाता है। यदि आपको disconnect करने में परेशानी होती है तो connect click करें तथा Disconnect का चयन करे ताकि telnet को sign up करने के लिए निर्देशित किया जा सके।
हम आशा करते हैं कि आपको यह Article पढ़ के मजा आया होगा, इस आर्टिकल में हमने What is Telnet? (Telnet क्या है) के बारे में आपको जानकारी दी है, अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी हमसे छूट गई हो तो कृपया कर उसे Comment में हमसे साझा करें.
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आप हमारे Blog से Computer के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं एस Blog पर कंप्यूटर की सभी जानकारी के बारे में बताया जाता है वह भी बहुत आसान भाषा में धन्यवाद आपका इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए.
भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का आगमन हो रहा है। वहीं हमारे उद्योगपति विदेशों में अपने कार्य-क्षेत्र का विस्तार कर रहे हैं। यह युग प्रतिस्पर्धा का युग है। वही बाजा में खडा रह पायेगा जो सर्वोत्तम सुविधायें प्रदान करेगा। जबकि हमारे प्रतिस्पर्डी पी कम्प्यूटरीकृत हैं तो हमारे लिये भी यह आवश्यक है कि हम इस दिशा में पिछडे न Computer के द्वारा कार्य की गति में वृद्धि से उत्पादन लागत कम हो जाती है, अतः प्रतिस्पी हेतु हमें भी अपनी सेवायें उसी स्तर पर रखनी होंगी। इसलिये हमें Computerization करना ही होगा। इसके प्रभावों का विवेचन निम्न प्रकार से है.
(A) ग्राहक सेवा पर प्रभाव-
Computer के प्रयोग से ग्राहक सेवा का स्तर बढ़ता है। बाजार में ग्राहक की सन्तुष्टि ही मूल मन्त्र है।
(1) Computer द्वारा कार्य करने की गति बढ़ती है। ग्राहक को अधिक देर तक लाइन में प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है। अतः समय की बचत होती है।
(2) Computer द्वारा गणनायें पूर्णतः सही एवं विश्वसनीय होती हैं। इससे ग्राहक को अनावश्यक गणना नहीं करनी पड़ती है। साथ ही वह गलतियों को सही कराने के लिये चक्कर लगाने से बच जाता है।
(3) Computer एक मशीन है। यह कभी थकती नहीं है। अतः ग्राहक को कभी भी कार्य हेतु टरकाती नहीं है।
(4) Computer द्वारा विवरण तुरन्त ही तैयार हो जाते हैं, जिससे उपभोक्ता अपना मिलान कर सकता है।
(B) डाटा ट्रांसमिशन-
परम्परागत रूप में डाटा पेपर पर प्रिन्ट करके डाक द्वारा भेजा जाता था। Electronic के विकास के साथ ही डाटा ट्रांसमिशन हेतु टैलेक्स तथा फैक्स का प्रयोग होने लगा है। Computer ने इस प्रक्रिया को अति आसान कर दिया है। वहीं संचार क्रांति के साथ डाटा-प्रेषण के अन्य साधन भी उपलब्ध हो गये हैं, जिन्हें Computer के साथ जोड़कर चमत्कारिक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
(1) टैलेक्स को Computer के साथ जोड़ा जा सकता है। कम्प्यूटर स्वतः ही डायल करता है तथा सन्देश प्रेषित कर देता है। इस प्रकार हम एक ओर से सन्देश फीड कर सकते हैं दूसरी ओर उसी समय में प्रेषण भी होता रहता है।
(2) Computer में मॉडेम लगाकार टेलीफोन लाइन के माध्यम से जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार Electronic Mail द्वारा सन्देश एक Computer से दूसरे कम्प्यूटर पर प्रेषित हो जाता है। इसमें सन्देश इतना शीघ्र प्रेषित होता है कि पूरी की पूरी किताब Telephone की एक काल में भेजी जा सकती है।
(3) Internet के द्वारा हम विश्व के किसी भाग में सीधे ही सन्देश, चित्र आदि भेज सकते हैं। इसमें उपभोक्ता satellite के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। प्रत्येक उपभोक्ता का एक सैटेलाइट एड्रेस होता है, जिसके द्वारा उससे सम्पर्क किया जाता है।
(4) Data को Floppy पर Copy करके फ्लॉपी को कोरियर अथवा डाक द्वारा भेजा जा सकता है। इसमें लागत कम आती है तथा काफी मात्रा में DATA एक लिफाफे में ही आ जाता है।
(C) स्टोरेज डिवाइस-
Computer ने Data का Store (संग्रह) बड़ा ही आसान कर दिया है। कागज पर रिकॉर्ड रखने में हमने बहुत-सी फाइलें अलग-अलग व्यवस्थित करनी पड़ती थीं, पहेत स्थान की आवश्यकता होती थी। दूसरे लागत भी बहुत बढ़ जाती थी। साथ ही अधिक दल में से अपने उपयोग की Files ढूंढना भी कठिन कार्य था। कम्प्यूटर में डाटा संचय तथा फाइल प्रबन्धन उच्च कोटि का है।
(1) DATA को HardDisk में Store किया जा सकता है। आजकल काफी अधिक शक्ति की HardDisk बाजार में प्रचलित हैं, जिनमें डाटा किलोबाइट में न होकर Megabyte में आता है। इसमें बहुत-सी किताबें एक साथ आ सकती हैं।
(2) Computer की कार्य कुशलता बढ़ाने हेतु हम Data को Computer से अलग डिवाइस में भी स्टोर कर सकते हैं, जहाँ से आवश्यकता पड़ने पर पुनः प्रयोग किया जा सकता है। इससे हार्ड डिस्क की मेमोरी की समस्या ही नहीं रहती है।
(i) डाटा को फ्लॉपी डिस्क में स्टोर कर सकते हैं। ये 1.2 MB तथा 1.44MB के आकार में उपलब्ध हैं। हम अलग-अलग प्रकार के डाटा के लिये अलग-अलग फ्लॉपी प्रयोग कर सकते हैं।
(ii) डाटा को मेग्नेटिक टेप पर एकत्र कर सकते हैं। इसमें डाटा सिक्वेन्सियल रूप में जमा होता है। जब भी कोई डाटा आवश्यक हो टेप को कम्प्यूटर में नकल करके वाँछित डाटा निकाला जा सकता है.
(iii) आजकल मार्केट में कैसिट के आकार की मैग्नेटिक टेप उपलब्ध हैं जिन पर प्रतिदिन का बैकअप लिया जा सकता है। इसे कभी भी दुर्घटना की स्थिति में प्रयोग किया जा सकता है।
(iv) आजकल डाटा स्टोर की नई विधि ऑप्टीकल रिकॉरिंग भी आ गयी है जिसमें डाटा लेसर किरण की सहायता से एक प्लेट पर स्टोर कर लिया जाता है जिसे लेसर की सहायता से पुनः पढ़ा जा सकता है।
(D) व्यापार पर प्रभाव-
व्यापारिक क्षेत्र को कम्प्यूटर ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। आज के प्रतिस्पर्धी युग में प्रत्येक व्यापारी के लिये कम्प्यूटर का प्रयोग अनिवार्य है.
(1) कम्प्यूटर द्वारा अंकगणितीय कार्य अत्यधिक कुशलता एवं विश्वसनीयता से सम्पन्न किये जाते हैं। अतः व्यापार में बिल जारी करने तथा खातों के रख रखाव में यह अत्यन्त आवश्यक है।
(2) बढ़ती प्रतियोगिता के युग में यह आवश्यक है कि हम अपनी उत्पादन लागत को कम से कम रखें। कम्प्यूटर के द्वारा यूनिट लागत की गणना सही की जा सकती है ताकि प्रतिस्पर्धी कीमतें निर्धारित की जा सकें।
(3) कम्प्यूटर द्वारा बिना थके लगातार कार्य किया जा सकता है। अतः उत्पादन की मात्रा बढ़ती है तथा लागत में कमी आती है।
(4) आज का युग सूचना क्रान्ति का युग है। वर्तमान में व्यापारी को विश्व में घट रहा है? इसकी जानकारी रखनी होती है जो कम्प्यूटर के माध्यम सारी को विश्व में कहाँ क्या सके माध्यम से ही सम्भव पकता है कि उसका मता का विस्तार होता है।.
(5) कम्प्यटर के प्रयोग के द्वारा व्यापारी यह विश्लेषण कर सकता है, कि उसका उत्पादन निष्पादन क्या है? यह बढ़ रहा है अथवा घट रहा है? उसी कार्य-कशलता हेतु प्रयास कर सकता है। अतः प्रबन्धन क्षमता काल है।
कम्प्यूटर का विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग
(1) औद्योगिक क्षेत्र-
उद्योगों में निर्माण-प्रणाली को कम्प्यूटर द्वारा नियन्त्रित जाने लगा है। निर्माण कार्य पर नियन्त्रण हेतु कई चीजों जैसे तापमान, हवा द्रव्य के बहने की गति आदि की पूरी जानकारी कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त होती रहती है। कम्प्यूटर निम्नलिखित कार्य करता है
(i) सभी चीजों की मात्रा नापना।
(ii) नापी गई मात्रा का निर्धारित मात्रा से तुलना करना।
(iii) प्रणाली को इस प्रकार नियन्त्रित करना जिससे यह अन्तर कम से कम हो।मानवीय रूप से कार्य करने पर प्रत्येक स्तर पर जाँच नहीं हो पाती है तथा श्रम लागत भी बढ़ जाती है।
(2) रिमोट कन्ट्रोल से-
कम्प्यूटर के एक छोटे रूप का उदाहरण है- टीवी-वीसीआर का रिमोट। यह यन्त्र इन्फ्रारेज द्वारा बटन दबाने का सन्देश टीवी में लघु कम्प्यूटर सिस्टम को प्रेषित करता है। कम्प्यूटर उन संदेशों को समझकर टीवी या वीसीआर की टयूनिंग उसी के अनुसार कर देता है। हमें अब बार-बार उठकर टीवी, वीसीआर तक नहीं आना पड़ता है जिससे समय की बचत होती है।
(3) रोबोट में-
कई घातक कार्य जैसे गर्म वस्तुओं का इधर-उधर रखना, रेडियोधर्मी पदार्थों का लाना, खदानों के अन्दर खुदाई करना रोबोट द्वारा आसानी से किये जा सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि रोबोट मनुष्य की तरह हो बल्कि किसी भी मशीन को उसकी आवश्यकतानुसार निर्मित कम्प्यूटराइज्ड संचालन प्रणाली लगाई जा सकती है। यह कार्य बुद्धिमानीपूर्वक कर सकती हैं। इस प्रकार अब घातक कार्यों से होने वाली मानवीय क्षति कम की जा सकती है।
(4) खगोल विद्या के क्षेत्र में-
प्रारम्भ में सूर्य एवं चन्द्रमा की गति का अध्ययन करके मौसम की गणना की जाती थी। भारत में प्राचीन राजाओं ने जन्तर-मन्तर भवन का भी निर्माण कराया था। कम्प्यूटरों ने इस गणना को एक नई दिशा प्रदान की है। सूर्य एवं चन्द्रमा के साथ-साथ आकाश गंगा के अन्य ग्रहों की उत्पत्ति तथा गति का सटीक अध्ययन किया जा रहा है। इसमें मौसम की अधिक सटीक भविष्यवाणी करना सम्भव हुआ है।
(5) ज्योतिष के क्षेत्र में-
ज्योतिष विज्ञान पूर्णतः गणित पर आधारित विज्ञान है। अब कम्प्यूटर के आधार पर गणनायें अधिक विश्वसनीय रूप से की जा सकती हैं। हाथ से गणना में केवल दशमलव के बाद दो अंकों तक ही गणना की जाती थी। इससे ग्रहों की चाल में काफी अन्तर आ जाता था, परन्तु Computer द्वारा स्थान, सूर्योदय आदि को ध्यान में रखते हुये बिल्कुल सटीक गणना की जाती है। इससे भविष्यफल बताने में सत्यता की सम्भावना अधिक हो गयी है। आजकल बाजार में बने हुये ज्योतिष सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं।
(6) व्यापारिक क्षेत्र में-
पाश्चात्य देशों में बाजार में मिलने वाले पैकेटों, पुस्तकों व अन्य वस्तुओं पर एक लेबल बना होता है जिसमें कुछ मोटी व पतली लकीरें बनी होती हैं। यह एक प्रकार की गुप्त संकेत भाषा है जिसमें उस वस्तु की गुणवत्ता तथा मूल्य के विषय में जानकारी होती है। कम्प्यूटर इन बार कोड को एक विशेष प्रकार के पैन जिसे ऑप्टीकल बाण्ड कहा जाता है, के द्वारा पढ़ता है तथा रसीद जारी करता है एवं स्टॉक रजिस्टर को भी अद्यतन कर देता है।
(7) कला एवं भवन-निर्माण में-
कम्प्यूटर पर पैन अथवा माउस की सहायता से चित्र अथवा वास्तचित्र बनाया जा सकता है। कम्प्यूटर की सहायता से हम उसे तरहतरह के परिवर्तन करके उसका वास्तशिल्प देख सकते हैं तथा सर्वोत्तम मॉडल का चयन कर सकते हैं, जबकि मानवीय रूप से केवल कुछ ही विकल्प उपलब्ध कराये जा सकते हैं।
(8) मनोरंजन में-
कम्प्यूटर पर हम टीवी प्रोग्राम चला सकते हैं। गेम खेल सकते हैं।अपनी तर्क-क्षमता तथा सामान्य ज्ञान बढ़ा सकते हैं। आजकल बाजार में बहुत से कम्प्यूटर गेम उपलब्ध हैं जो जटिलता को हल करना सिखाते हैं। पूरा इनसाइक्लोपीडिया सीडी पर उपलब्ध है जिसे हम मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन कर सकते हैं।
(9) फिल्म एवं कार्टून निर्माण में-
कम्प्यूटर में ध्वनि यन्त्र लगाकर विभिन्न एनीमेशन फिल्म का निर्माण किया जा सकता है। इसमें महंगे सेट तथा व्यस्त कलाकारों की आवश्यकता नहीं होती। बल्कि हम अपनी कल्पना का कोई भी कलाकार लेकर मनचाहे एक्शन करा सकते हैं। ध्वनि कंट्रोल द्वारा आवाज नियन्त्रित कर सकते हैं तथा बदल सकते हैं। आजकल बाल मनोरंजन फिल्मों में, विज्ञापन के क्षेत्र में इनका प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है।
(10) बैंकिंग में- बै
ंकिंग क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग विस्तृत रूप से हो रहा है। खातों में लेन-देन में कम्प्यूटरीकृत शाखाओं का प्रादुर्भाव हुआ है। धन के प्रेषण हेतु इलेक्ट्रॉनिक मेल की सुविधा प्रदान की गई है तथा चेकों के समाशोधन में माइकर पद्धति का प्रयोग किया गया है। 24 घण्टे बैंकिंग के लिये एटीएम लगाये गये हैं। ग्राहक को साख-सुविधा हेतु क्रेडिट कार्ड का चलन प्रारम्भ हुआ है। साथ ही कुछ बैंकों ने होम बैंकिंग तथा टैली बैंकिंग जैसी सुविधा भी प्रदान की है। मानवीय कार्य की स्थिति में जब बाहरी चेकों का निस्तारण 20-25 दिनों में होता था, अब 3 से 5 दिन में होने लगा है। खातों की विवरणी तुरन्त ही उपलब्ध है। साथ ही कार्य समय भी एक घण्टा बढ़ गया है.
(11) प्रशासन में-
प्रशासनिक क्षेत्र में अब बाढ़, सूखा, मौसम, फसल, कराधान तथा अपराधों के आँकड़े कम्प्यूटर पर उपलब्ध हैं। इससे प्रशासन के नीति-निर्धारकों को अपनी योजना तैयार करने में सहायता मिलती है। लिपिकीय लापरवाही के कारण होने वाले भ्रष्टाचार तथा विलम्ब पर नियन्त्रण सम्भव हुआ है। रेलवे में आरक्षण की सही स्थिति ज्ञात रहती है। अपराधियों के विरुद्ध रणनीति बनाई जा सकती है।
(12) आयध निर्माण में-
आज नवीनतम हथियार तैयार किये जा रहे हैं। यह हाइडोजन तथा न्यूट्रॉन का युग है। इनका मैदान में परीक्षण करने में काफी लागत आती है। तथा विरोध का सामना भी करना पड़ता है। कम्प्यूटर के द्वारा यह सम्भव हुआ है कि हम प्रयोगशाला में मॉनीटर पर ही डिजायन बनायें तथा उसका विस्फोट करायें। पूर्णतः निर्माण होने पर इसका वास्तविक परीक्षण किया जा सकता है। देश में बहुत-सी मिसाइलों तथा परमाणु बम परीक्षण में इसका प्रयोग किया गया है।
हम आशा करते हैं कि आपको यह Article पढ़ के मजा आया होगा इस आर्टिकल में हमने Computer के विभिन्न क्षेत्रों में क्या उपयोग है।(Computer Utility) के बारे में आपको जानकारी दी है, अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी हमसे छूट गई हो तो कृपया कर उसे Comment में हमसे साझा करें.
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क्या आप जानते हैं Computer का आविष्कारCharles Babbage द्वारा किया गया है जिसे कंप्यूटर का जनक भी कहा जाता है.
आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस Blog पर और आज हम सीखने वाले हैं Computer के कुछ भौतिक स्वरूप उपकरणों के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं.
आज के इस Article में आपको बहुत ही आसान भाषा में Computer के उपकरणों के बारे में जानने को मिलेगा जैसे कि मॉनिटर कीबोर्ड माउस या सिस्टम यूनिट और प्रिंटर यह क्या होते हैं और कैसे काम करते हैं आपको सभी जानकारी आज पढ़ने को मिलेगी
Computer के विभिन्न उपकरण
Computer की आंतरिक संरचना के बारे में विस्तार से जानने और समय इसके भौतिक रूप से परिचित होते हैं। वर्तमान समय में आम बोलचाल की भाषा कम्प्यूटर को PC या Personal Computer कहा जाता है। जब हमारी नजर पहली बार पड़ती है तो इसके निम्न भाग हमें दिखाई देते हैं।
(1) Monitor-
Computer का वह अनिवार्य भाग जिसकी Screen या पटल पर यह देता है कि काम क्या हो रहा है? यह भाग Computer की Output यति अन्तर्गत आता है।
यह कंप्यूटर का मुख्य भाग होता है जिसकी मदद से आपको यह जानने को मिलता है कि कंप्यूटर Software पर क्या Run हो रहा है और यह कैसे काम करता है बिना Monitor के Computer को चलाना लगभग नामुमकिन है
(2) Keyboard-
कम्प्यूटर का वह अनिवार्य भाग जिसके द्वारा हम Computer को काम करने के आदेश और डाटा इनपुट करते हैं। यह भाग Computer Unit के अन्तर्गत आता है।
आप इस Keyboard की मदद से Data Entry, Application Type, कर सकते हैं Email लिख सकते हैं और भी बहुत सारे Typing वर्क आप कर सकते हैं.
(3) System Unit-
कम्प्यूटर का वह अनिवार्य भाग जिसमें कार्य की प्रोसेसिंग, उसके परिणामों यानी पूरे PC को चलाने के अंदरूनी Hardware संसाधन लगे होते हैं। Memory (प्राइमरी और सेकेण्डरी) और कम्युनिकेशन Port जैसे समस्त कम्पोनेन्ट इसी के अन्तर्गत आते हैं। Keyboard, Monitor, Printer, – इत्यादि को इसी से जोड़ा जाता
(4) Mouse-
वर्तमान समय में Computer का वह अनिवार्य भाग जिसके द्वारा Screen पर मनचाही जगह प्वाइंटर को ले जाकर कमांड क्रियान्वित करते हैं। इन कमांडों को iCon के कहा जाना है। विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को इसके बिना संचालित नहीं किया जा सकता है।
(5) Printer-
यह एक वैकल्पिक भाग होता है। इससे अपने काम और दस्तावेज की छपी कॉपी निकालते हैं। इसे सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट में बनी कम्युनिकेशन पोर्ट से जोड़ा जाता है। इसे वर्तमान समय में USB और LPT1 से जोडते हैं।
नये आवश्यक उपकरण
नये आवश्यक उपकरण– इन दिनों Computer के साथ और कई उपयोगी उपकरण लगे होते हैं जिनसे इसकी कार्य-क्षमता में बढोत्तरी तो होती ही है और इसके साथ ही यह बहुआयामी भी हो जाता है। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं
(1) CD, DVD Driver –
फ्लॉपी की जगह अब इसी ड्राइव का अधिक उपयोग हो रहा है। इसके द्वारा जहाँ बड़े-बड़े सॉफ्टवेयरों को इन्सटॉल करते हैं वहीं इसमें Data Backup भी लिया जाता है। आज Computer को Boot भी इसी से किया जाता है।
(2) Speaker-
वर्तमान समय में Multimedia तकनीक की वजह से इसका प्रयोग लगभग अनिवार्य हो गया है। इससे कम्प्यूटर में स्टोर आवाज को सुना जा सकता है। इन्हें सीपीय में लगी लाउंड पोट से जोड़ा जाता है।
(3) Mic-
वर्तमान समय में Multimedia तकनीक की वजह से इसका प्रयोग भी लगभग अनिवार्य हो गया है। इससे कम्प्यूटर आवाज को इनपूट किया जा सकता है। इंटरनेट से फोन करने में इसका प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। यदि हम Headphone का प्रयोग करते हैं तो यह हैडफोन में लगा होता है। स्पीच रिकग्नीशनं के लिये इसका कम्प्यूटर से जुड़ना अनिवार्य है।
(4) Modem-
इस उपकरण का प्रयोग फोन लाइन से संदेश लेन-देन और इंटरनेट से जुड़ने के लिये किया जाता है। यदि हमारे पास इंटरनेट का डॉयल-अप कनेक्शन है तो इसका कम्प्यूटर में लगा होना जरूरी है। इसे सीपीयू के अन्दर भी लगाया जा सकता है।
(5) LAN card-
वर्तमान समय में पर्सनल Computer की जगह Network कम्प्यूटरों का चलन बढ़ रहा है। इसी वजह से इस कार्ड का प्रयोग भी बढ़ गया है। यह कार्ड आज के प्रत्येक कम्प्यूटर में किसी न किसी रूप में लगा होता है। इसके द्वारा एक कम्प्यूटर को एक तार के जरिये दूसरे कम्प्यूटर से जोड़ सकते हैं। इसके अलावा इससे Broadband Internet को प्रयोग किया जाता है।
(6) Scanner, Digital Camera-
इन उपकरणों का प्रयोग Computer में Image को Input करने के लिये किया जाता है। Scanner जहाँ कागज पर छपी इमेज को स्कैन करके कम्प्यूटर में इनटपुट करता है वहीं डिजिटल कैमरा इमेज खींचकर उसे एक फाइल के रूप में कम्प्यूटर में इनपुट कर सकता है।
(7) UPS-
इस उपकरण का प्रयोग बिजली के उतार-चढ़ावों के नुकसान से पीसी को बचाने और लगातार बिजली की आपूर्ति के लिये किया जाता है।
आपने अक्सर देखा होगा कि, जब कभी भी हम Computer Desktop पर अपना कार्य करते हैं और अचानक से अगर बिजली चली जाती है तो हमारा कंप्यूटर का सारा Work का नुकसान हो जाता है, लेकिन इसके समाधान के लिए UPS बनाया गया है जो कि आपको 15 से 20 मिनट की बिजली दे देता है जब कभी भी बिजली चली जाती है.
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आप तो जानते ही हैं कि कंप्यूटर एक बहुत ही ज्यादा Powerful और इंटेलिजेंट मशीन है जो कि मानव द्वारा निर्मित की गई है.
आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस Blog पर और आज हम पढ़ने वाले हैं Computer के कुछ Limitation के बारे में जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं. यह कुछ कमियां हैं जो कि Computer में हमें देखने को मिल जाती हैं.
Computer की कमियां और सीमाएं
Computer की सीमायें अथवा असार्थता- कम्प्यूटर एक मशीन हैं जिसे मानव द्वारा नामत किया गया है इससे बहत से कार्य सम्पन्न कराये जाते हैं, परन्तु इसकी भी कछ सीमायें
(1) गति–
Computer की गणना करने की गति अत्यन्त तीव्र होती है, परन्तु इसमें और वृद्धि की आवश्यकता निरन्तर अनुभव की जाती रही है। प्रारम्भ में कम्प्यूटर द्वारा 10 लाख गणनायें प्रति सेकण्ड की जाती थीं, परन्तु अब लगभग 30 नानो सेकण्ड अर्थात् 3 करोड़ गणनायें प्रति सेकण्ड की जाती हैं। इसमें और वृद्धि के प्रयास अभी जारी हैं।
(2) भण्डारण क्षमता-
Computer एक Machine है जिसे विभिन्न अवयवों को जोड़कर निर्मित किया गया है। इसके प्रत्येक अवयव की एक निश्चित सीमा है। अतः प्रत्येक भण्डारण उपकरण जैसे- Memory, Floppy, टेप तथा CDROM प्रत्येक की संग्रह क्षमता निश्चित है। उसके पश्चात् हमें संग्रह हेतु एक दूसरे उपकरण की आवश्यकता होती है।
(3) संवेदनहीनता-
Computer एक मशीन है अतः उससे किसी संवेदनशील व्यवहार की आशा नहीं की जा सकती है। वह केवल पूर्व-निर्देशित प्रोग्रामों के अन्तर्गत ही स्वागत आदि प्रदर्शित करता है। संगीत का प्रसारण करता है तथा Picture आदि बनाता है परन्तु इसे अनुभव नहीं करता है।
(4) तार्किकता-
कम्प्यूटर पूर्व निर्देशित प्रोग्रामों के अनुसार कार्य करता है। इसमें अपनी ओर से कोई भी तर्क प्रयोग करने की क्षमता नहीं है, जबकि मनुष्य परम्परागत आँकडों से वांछित परिणाम प्राप्त न होने पर अन्य संभावनाय बतलाता है तथा कार्य सम्पन्न करता है।
कम्प्यूटर का प्रयोग-
आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भागमभाग मची हुई है। मनुष्य के पास समय नहीं है। प्रत्येक कार्य को वह कम से कम समय में सम्पन्न करना चाहता है। इसके लिये उसने विभिन्न उपकरणों का निर्माण भी किया है.
जैसे– Calculator, Typewriter, Computer, Telephone आदि। परन्तु जब हमारे पास अन्य मिलते-जलते उपकरण कम लागत में उपलब्ध है तो हम कम्प्यूटर का प्रयोग ही करते हैं, जिसके निम्नलिखित कारण हैं.
(1) जब कार्य की गति बढ़ानी हो-
कम्प्यूटर किसी भी कार्य को त्वरित गति से सम्पन्न करता है। गणना का कार्य जिसमें बहुत से व्यक्ति लगाये गये हों, कम्प्यूटर द्वार तुरन्त ही सम्पन्न किया जा सकता है। जब हमें शीघ्र ही गणना के प्रिंट चाहिये तो हाई Speed प्रिन्टर के द्वारा इसकी बहुत-सी प्रतियाँ शीघ्र ही तैयार की जा सकती हैं। अतः हम कार्य की गति बढ़ाना चाहते हैं तो हमें कम्प्यूटरीकरण का प्रास करना होगा।
(2) जब आँकड़ों की शुद्धता निश्चित करनी हो-
मानवीय गणना करने की सीमायें हैं। केलकुलेटर द्वारा भी एक सीमा तक ही गणनायें की जाती हैं। कम्प्यूटर द्वारा दशमलव के बाद चार से आठ संख्या तक गणना की जा सकती है। इस आधार पर निकाले गये निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय होते हैं. अतः जब हमें ज्यादा सटीक गणनायें करनी हों तो कम्प्यूटर का प्रयोग करना चाहिये।
(3) जब अधिक मात्रा में आँकड़ों का प्रयोग करना हो-
कम्प्यूटर में आँकड़ों को संग्रह करने तथा उनके पुनर्निर्गमन की क्षमता है। यदि हमें अधिक संख्या में आँकड़ों का संग्रह करना हो तो वर्तमान पेपर संग्रहण में जो कार्य एक किताब में आता है, जिस डाटा से एक पूरी अलमारी भर जाती है उसे केवल एक टेप में संग्रह किया जा सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर पूरी अलमारी में खोजने के स्थान पर पुनर्निर्गमन किया जा सकता है।
(4) श्रमिक संगठनों के दबाव को कम करने हेतु-
जब हम एक बड़े औद्योगिक समूह का संचालन करते हैं तो हमें अपने खातों के रख-रखाव तथा आंकड़ों के संचालन हेतु अधिक स्टाफ की आवश्यकता होती है। अधिक मात्रा में श्रमिक होने पर वे अपना संगठन बना लेते हैं तथा विभिन्न समस्यायें पैदा करते रहते हैं। कम्प्यूटर के प्रयोग से श्रमिकों की संख्या सीमित की जा सकती है।
(5) मितव्ययता एवं आधुनिकता-
अगर संस्था में प्रारम्भ में ही नियोजित रूप से कम्प्यूटर लगाये जायें तो हमारी लागत काफी कम हो जाती है। फाइलों में रखरखाव हेतु अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं रहती है। कम संचालनकर्ताओं का आवश्यकता होती है। इससे लागत में कमी हो जाती है। वहीं ऑफिस भी आधुनिक एवं सुसज्जित रहता है। यह प्रत्येक लेन-देन करने वाले को निश्चित ही प्रभावित करता है।
हम आशा करते हैं कि आपको यह Article पढ़ के मजा आया होगा इस आर्टिकल में हमने Computer के सभी कमियां के बारे में आपको जानकारी दी है, अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी हमसे छूट गई हो तो कृपया कर उसे Comment में हमसे साझा करें.
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आप तो जानते ही हैं कि Computer एक बहुत ही ज्यादा Powerful और इंटेलिजेंट मशीन है जो कि मानव द्वारा निर्मित की गई है.
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Computerके प्रमुख कार्य- कम्प्यूटर को जानकारी का इंजन कहा जाता है। जिस प्रकार इंजन में कोयला डालकर उससे ऊर्जा उत्पन्न की जाती है उसी प्रकार कम्प्यूटर में भी आँकड़ों को डालकर इस प्रकार से संशोधित किया जाता है कि उसका जीवन में प्रयोग किया जा सके। कम्प्यूटर में ज्ञान राशि के आँकड़ों को परिमार्जित, संशोधित, व्यवस्थित तथा संगृहीत किया जाता है जिससे वे जीवन में उपयोग किये जा सकें। अतः कम्प्यूटर के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
(1) ऑकड़ों का संकलन
(2) आँकड़ों का संचयन।
(3) आँकड़ों का परिमार्जन तथा व्यवस्थितिकरण।
(4) आँकड़ों का पुनर्निगमन।
Computer की क्षमतायें अथवा विशेषतायें– आज कम्प्यूटर ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को इतना प्रभावित किया है कि हम बिना कम्प्यूटर के बहुत से कार्यों की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यह सम्भव हुआ है उसमें प्रयुक्त किये जाने वाले उच्च क्षमता के माइक्रोचिप आदि के प्रयोग से। इसने मानव के द्वारा तैयार किये निर्देशों के आधार पर ही त्रुटिरहित परिणाम इतनी त्वरित गति से तैयार किये हैं कि जन-सामान्य आश्चर्यचकित रह जाये। इसकी क्षमतायें किसी भी अन्य गणक मशीन से श्रेष्ठ हैं। इन्हें हम निम्न प्रकार से विभाजित कर सकते हैं
(1) गति-
कम्प्यूटर का सबसे बड़ा गुण ही उसकी गणना करने की तीव्र गति है। कम्प्यूटर द्वारा गणनायें इतनी तीव्र गति से की जाती हैं कि हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। एक साधारण कम्प्यूटर एक सेकण्ड में एक करोड़ गणनायें कर सकता है।
वहीं आधुनिकतम कम्प्यूटर तीन करोड़ तक गणनायें कर सकता है। कम्प्यूटर का समय माइक्रो सेकण्ड तथा नानो सेकण्ड में मापा जाता है। इस गति के कारण ही कम्प्यूटर हमारे लिये महत्वपूर्ण हो गया है। पहले हम जिस कार्य को दिनों तथा महीनों में पूरा करते थे, कम्प्यूटर कुछ ही समय में पूरा कर देता है।
(2) संचय क्षमता-
कम्प्यूटर में बहुत अधिक मात्रा में डाटा भंडारण की क्षमता होती है। एक सामान्य फ्लॉपी डिस्क में कई हजार टाइप पेज के बराबर जानकारी एकत्र की जा सकती है। एक लेसर डिस्क में चार करोड़ शब्दों का भंडारण किया जा सकता है।
एक पूरी की पूरी डिक्शनरी एक सीडी रोम में संचय की जा सकती है। जानकारी का संग्रह तो एक बात है,परन्तु कम्प्यूटर में यह सुविधा होती है कि उक्त जानकारी को तुरन्त ही निकाल कर प्रयोग किया जा सके।
कम्प्यूटर की इसी विशेषता ने इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण बना दिया है, क्योंकि उच्च स्तरीय विश्लेषण हेतु आंकड़ों का उपलब्ध होना भी आवश्यक है। कम्प्यूटर सभी सम्बन्धित आंकड़े एकत्र करता है, उन्हें निर्देशित प्रोग्रामों के आधार पर पूर्व के आँकड़ों के साथ विश्लेषित करता है तथा परिणाम प्रदर्शित करता है। इस प्रकार रेलवे आरक्षण, मौसम विज्ञान, आयुध संचालन में कम्प्यूटर का प्रयोग अधिक हो गया है।
(3) विश्वसनीयता एवं निर्भरता-
कम्प्यूटर द्वारा की गई डाटा प्रोसेसिंग विश्वसनीय होती है। इसमें गलती की कोई सम्भावना नहीं रहती है। इसकी गुणवत्ता इतने उच्च-स्तर की होती है कि उस पर निर्भर रहा जा सकता है। अंकीय कम्प्यूटर में यथार्थता शत-प्रतिशत होती है। यह एक दिये हुये प्रोग्राम के अन्तर्गत दिये गये डाटा को बिना किसी अशुद्धि के बार-बार सम्पन्न कर सकता है।
(4) स्वचालन-
कम्प्यूटर की गणनायें स्वचालित होती हैं। इसको एक बार कोई प्रोग्राम दे दिया जाये तथा उसमें सम्बन्धित आँकड़े उपलब्ध करा दिये जायें तो यह स्वतः ही प्रोग्राम डालने पर गणना कर सकता है। इसीलिये यन्त्र मानव आदि का कम्प्यूटर द्वारा संचालन सम्भव हुआ है। मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणियाँ भी कम्प्यूटर उपलब्ध आँकड़ों तथा पिछले को मिलाकर स्वतः ही करता है।
(5) उपयोगिता-
हमारे अधिकांश कार्य तर्क पर आधारित होते हैं। कम्प्यूटर एक तार्किक मशीन है। हम किसी भी प्रोग्राम के द्वारा कम्प्यूटर को कार्य करने हेत निर्देशित करते हैं। ये निर्देश उस प्रोग्राम में दिये जाते हैं। कम्प्यूटर उक्त निर्देशों के अन्तर्गत कार्य का सम्पादन करता है। वह किसी भी कार्य को कर सकता है। यदि हम उसे प्रोग्राम द्वारा उक्त कार्य को करने की प्रक्रिया समझा सकें।
6) सक्षमता-
कम्प्यूटर एक मशीन है। मनुष्य की कार्य करने की सीमायें होती हैं। एक सीमा के बाद व्यक्ति थक जाता है, परन्तु कम्प्यूटर कभी नहीं थकता। उससे हम एक ही प्रकार की अथवा विभिन्न प्रकार की गणनायें निरन्तर करवा सकते हैं। उसे कभी कार्य से नीरसता अथवा बोरियत नहीं होती। What is PC?
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